अश्वगंधा : ashvgandha in hindi

आयुर्वेदीय संहिताओं सहित होम्योपैथी जगत में भी अब, अश्वगंधा के फायदे की बात होने लगी है। जिसको हिंदी में अश्वगंधा के फायदे हिंदी कहते है। जिसका उपयोग चूर्ण और कैप्सूल आदि के रूप में होता है। जिसको अश्वगंधा चूर्ण के फायदे एवं, अश्वगंधा कैप्सूल के फायदे से भी जाना जाता है। अश्वगंधा के गुण महिला और पुरुष में भिन्न है। जिसके कारण महिलाओं के लिए अश्वगंधा लाभ और, अश्वगंधा के फायदे पुरुषों के लिए अलग – अलग है। 

अश्वगंधा के फायदे

आधुनिक शोधो ने अश्वगंधा को एंटीऑक्सिडेंट, इम्युनिटी बूस्टर, एंटीस्ट्रेस, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल, एंटीकॉन्वेलसेंट माना है। जबकि आयुर्वेद में अश्वगंधा को पौरुष शक्ति प्रदायक, दौर्बल्य नाशक, ऊर्जावान, कामोद्दीपक और बल प्रदान करने वाला कहा गया है। जिसके कारण अश्वगंधा से मोटापा घटने लगता है। लगड़ी या साइटिका में अश्वगंधा का सेवन लाभकारी है। आज का समय तनाव, चिंता , भय और अवसाद से भरा हुआ है। जिससे निजात दिलाने में अश्वगंधा परम उपयोगी है। 

कामुक मनोवृत्तियों के कारण होने वाले शीघ्रपतन और स्वप्नदोष की, अश्वगंधा बहुत ही असरदार और उपयोगी दवा है। जिसमे इसका सेवन अश्वगंधा पाक ( ashwagandha pak ), अश्वगंधा अवलेह, चूर्ण आदि के रूप में किया जाता है। जिनको अश्वगंधा की आयुर्वेदिक विधि कहते है। वही आजकल अश्वगंधा की टेबलेट और कैप्सूल भी आने लगे है। जिनको अश्वगंधा उपयोग की ऐलोपौथिक विधि कहते है। जो पेट की जलन और दर्द इत्यादि में उपयोगी है। 

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अश्वगंधा क्या है ( ashvgandha kya hai )

अश्वगंधा क्या है

आयुर्वेदीय सहिताओ के अनुसार अश्वगंधा एक प्रकार की जड़ी – बूटी है। जो विभिन्न जलवायु ( देशो ) में अलग प्रजाति की पायी जाती है। जिनको छोटी और बड़ी अश्वगंधा के नाम से जाना जाता है। जिससे अश्वगंधा के गुण विशेषकर अश्वगंधा के औषधीय गुण में भिन्नता आ जाती है। परन्तु अश्वगंधा का पूर्ण लाभ लेने के लिए, उपयुक्त अश्वगंधा की पहचान आवश्यक है। जिसके लिए प्रश्न उठता है कि असली अश्वगंधा की पहचान कैसे करे ?

अश्वगंधा पौधा अश्वगंधा की पहचान में प्रबल हेतु है। जिससे अश्वगंधा के पत्ते ( ashwagandha ke patte ), अश्वगंधा की जड़ ( ashwagandha ki jad ), अश्वगंधा के बीज आदि के द्वारा अश्वगंधा का पौधा ( ashwagandha ka paudha ) आसानी से पहचाना जा सकता है। फिर भी संदेह न रह जाए, इसके लिए गंध परीक्षण अमोघ उपाय है। जिसमे अश्वगंधा के पौधों, अश्वगंधा के पत्तों, जड़ आदि को मसलने पर घोड़े के पेशाब जैसी तीक्ष्ण गंध होती है। जिसका मूल अश्वगंधा शब्द है, जो अश्व और गंध से मिलकर बना है। यहाँ अश्व घोड़े का और गंध दुर्गन्ध ( बदबू ) का द्योतक है।  

आयुर्वेदीय ग्रंथो सहित अश्वगंधा के स्थानीय नामो में भी भेद है। इसको असगंध, अश्वगंध, असगन्द, अश्वगन्धा आदि। इसकी प्रसिद्धी भारतीय जिनसेंग के रूप में भी है। इसके संस्कृत नाम वराहकर्णी, वरदा, कुष्टगंधिनी, बरदा आदि प्रसिद्द है। प्रायः अश्वगंधा के उपयोग ( ashwagandha uses ) बालक, वृद्ध और युवाओ में भी होता है। यह ज्वर की भी बढ़िया दवा है। जबकि शास्त्रों में बुखार की सबसे अच्छी  दवा का भी वर्णन है।  

अश्वगंधा का पौधा कैसा होता है ( ashwagandha ka paudha kaisa hota hai ) 

आज के यांत्रिकी युग में, किसी भी आयुर्वेदिक औषधि को पहचानना दुर्गम है। जिसके कारण कुछ लोग अश्वगंधा का पेड़ ( ashvgandha ka ped ) की बात करते है। जिसकी जिज्ञासा में अश्वगंधा का पेड़ कैसा होता है ? की बात सामने निकलकर आती है। जबकि वास्तव में अश्वगंधा एक पौधा है। जिसकी पहचान के लिए अश्वगंधा के पत्ते कैसे होते हैं ? और अश्वगंधा का फूल कैसा होता है ? के साथ अश्वगंधा कहां मिलता है और अश्वगंधा का पौधा कैसे होता है पूछते है। 

अश्वगंधा के पौधों के पत्ते कुछ मोटे, लम्बे, रोम से भरे हुए, मुलायम और कटे हुए होते है। जो भारत में पर्याप्त मात्रा में पाए जाते है। यह अधिक और कम दोनों तरह के तापमान में उगते है। इसका बीज कच्चा होने पर हरा और पकने पर लाल हो जाता है। जिसको खेती में उपयोग किया जाता है। जंगलो में पाए जाने वाले पौधे से अश्वगंधा तेल बनाया जाता है। जबकि चिकित्सीय उपयोग के लिए कृषि से उत्पादित अथवा जंगलो में उगने वाले अश्वगंधा ही उपयोगी माना जाता है। जिसके लिए कुछ लोग अश्वगंधा का पौधा कैसे लगाएं और, अश्वगंधा के बीज कहां से प्राप्त करें या अश्वगंधा का पौधा कहां मिलेगा की बात पूछते है। 

शास्त्रों में पृथ्वी से द्रव्य उत्पादन की विधा को, कृषि विज्ञान के नाम से जाना जाता है। जिसमे द्रव्यानुकूल खाद – पानी आदि का समय पर, समुचित प्रबंध अनिवार्य है। इसके लिए ही अश्वगंधा की खेती कैसे की जाती है ? जैसे प्रश्न किये जाते है। भारत के राजस्थान राज्य के नागोरी नामक स्थान पर छोटी अश्वगंधा की खेती होती है। जिसमे झाडी का आकार छोटा परन्तु जड़ बड़ी होती है। इसकी जड़ को ही कूटकर चूर्ण बनाया जाता है। जिसका सेवन वजन कम करने के लिए किया जाता है।  

अश्वगंधा का वानस्पतिक नाम ( ashwagandha botanical name ) 

आधुनिक समय में विज्ञान की जीव ( वनस्पति ) शाखा के अंतरगत, अश्वगंधा का अध्ययन होता है। जिसके कारण अश्वगंधा के वनस्पतिक नाम को अश्वगंधा का वैज्ञानिक नाम भी कहते है। जिसकी दो प्रजातियां पायी जाती है। अश्वगंधा उसे इन हिंदी में असगंध आदि भी कहते है। 

पहली विटानिया सोमनीफेरा ( Withania somnifera ) है। जो बहुतायत में प्रयोग किया जाता है। यह लगभग 0.5 – 2 मीटर ऊंचा, लगभग सीधा, धूसर या भूरे रंग का, चारो और रोम से आच्छादित तना वाला पौधा होता है। जिसको मूल अश्वगंधा भी कहा जाता है। 

दूसरी विथानिया कोआगुलेनस ( Withania coagulans ) है। जो लगभग 1 – 1.5 मीटर ऊंचा, झाड़ीनुमा पौधा होता है। इस प्रकार दोनों तरह के अश्वगंधा के पौधे की पहचान होती है। 

अश्वगंधा के फायदे ( ashvgandha ke fayde )

अश्वगंधा के फायदे

आयुर्वेद में किसी भी जड़ी – बूटी आदि का लाभ, विधि – निषेध का पालन करने पर ही मिलता है। इस आधार पर अश्वगंधा चे फायदे प्राप्त करने के लिए, अश्वगंधा में परहेज अर्थात विरोधी खाद्य पदार्थो का सेवन अनुपयोगी है। सदियों से अश्वगंधा का उपयोग अनेको प्रकार के रोगो में होता आया है। जिसका उपयोग अश्वगंधा में विद्यमान गुणों का अध्ययन करने पर ही हुआ। जैसे हिचकी रोग में घी गुणकारी है। 

सदियों से अश्वगंधा का उपयोग पौरुष शक्ति के लिए किया जाता रहा है। जिसमे स्त्री और पुरुष दोनों के लिए उपयोगी रहा है। जब इसमें इसके अविरुद्ध और अनुकूल द्रव्यों का योग होता है तब इसकी उपयोगिता में चार चाँद लग जाते है। जैसे – शिलाजीत, अश्वगंधा, मूसली, शतावरी, कौंच बीज आदि। जिससे होने वाले लाभ को, शिलाजीत अश्वगंधा सफेद मूसली कौंच बीज के फायदे कहते है। पुरुष ओज को बढ़ाने में शिलाजीत अश्वगंधा प्लस सिरप के फायदे है। जिसके अन्य योग इस प्रकार है – 

नेत्र ज्योति बढ़ाने में अश्वगंधा खाने के फायदे ( ashwagandha khaane ke fayde )

आँखों की रोशनी बढ़ाने में अश्वगंधा मददगार है। इसके लिए एक छोटा चम्मच अश्वगंधा का सेवन करे। अथवा 2 ग्राम अश्वगंधा, 2 ग्राम आंवला और 1 ग्राम मुलेठी को कूट – पीसकर चूर्ण बना ले। इसका एक चम्मच चूर्ण नियमित सेवन करने पर दृष्टि बढ़ती है।   

सफ़ेद बाल में अश्वगंधा पाउडर के फायदे ( ashwagandha powder benefits in grey hair )

असमय सफ़ेद बालो की समस्याओ अश्वगंधा लाभकारी है। जिसकी लगभग 5 ग्राम की मात्रा का सेवन, उष्ण जल से कुछ दिन करने पर लाभ मिलता है। 

गठिया में अश्वगंधा के फायदे  ( ashwagandha benefits for health )

अश्वगंधा के 2 ग्राम चूर्ण को गर्म दूध या पानी या घी या शक्कर के साथ लेने पर गठिया रोग में फायदा होता है। अश्वगंधा के पत्तो का काढ़ा पीने से कफ से होने वाले, वात एवं गठिया रोग में विशेष लाभ होता है।  

नींद न आने की समस्या को दूर करता है अश्वगंधा  

अश्वगंधा और दूध का सेवन कमर दर्द और नीद न आने में उपयोगी है। यह अश्वगंधा पाउडर पीने के फायदे है। अश्वगंधा और दूध height बढ़ाने में भी सहायक है। 

गला रोग में अश्वगंधा के लाभ ( ashwagandha ke labh in goiter )

अश्वगंधा के औषधीय गुण गले के रोगो में उपकारक है। अश्वगंधा पाउडर और पुराने गुड़ को सामान मात्रा में मिलाकर वटी ( गोली ) बना ले। जिसका सुबह के समय बासी जल से सेवन करे। गण्डमाला रोग में अश्वगंधा के हरे पत्तो की चटनी का लेपन करने से लाभ मिलता है।  

टीबी रोग में अश्वगंधा के फायदे ( ashwagandha ke fayde )

2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को असगंधा के 20 – 25 मिली, काढ़े के साथ सेवन करने पर टीबी में लाभ होता है। अश्वगंधा की जड़ को कूटकर चूर्ण बना ले। इस चूर्ण का 2 ग्राम लेकर। इसमें 1 ग्राम पीपर, 5 ग्राम शहद और 5 ग्राम घी मिलाकर चाटने से क्षयरोग में लाभ होता है। इनको ही टीबी रोग में अश्वगंधा और शहद खाने के फायदे कहते है। 

रक्त दोष में अश्वगंधा लाभ ( blood poisoning ashwagandha benefits in hindi )

अश्वगंधा चूर्ण में चिरायता या चोपचीनी को बराबर मात्रा में, मिलाकर पीने से रक्त विकार में लाभ होता है।

कब्ज की समस्या में अश्वगंधा के फायदे ( kabj me ashwagandha ke fayde in hindi )

अश्वगंधा पाउडर के 2 ग्राम मात्रा का सेवन गुनगुने पानी से, करने पर कब्ज समस्याओ से छुटकारा मिलता है। यह अश्वगंधा पाउडर के फायदे इन हिंदी ( ashwagandha powder benefits in hindi ) है। जैसे कब्जादि में सोंठ के फायदे है। 

आघात या चोट लगने पर अश्वगंधा के फायदे 

अश्वगंधा चूर्ण और गुड़ या घी को मिलाकर खाने से, औजार आदि से लगने वाली चोट के दर्द में आराम मिलता है।  

अश्वगंधा के फायदे महिलाओं के लिए ( ashwagandha benefits for women )

संतानोत्पत्ति ही मातृत्व का द्योतक है। जिसके लिए गर्भधारण आदि की आवश्यकता होती है। जिसमे अश्वगंधा विशेष भूमिका प्रदर्शित करता है। इसके लिए 20 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण, 1 ली पानी और 250 ग्राम गाय के दूध में मिलाकर धीमी आंच पर पकाए। जब केवल दूध अर्थात 250 ग्राम रह जाए। तब इसमें थोड़ी सी ( 5 – 6 ग्राम ) मिश्री और घी मिला ले। इसका सेवन मासिक शुरू होने के तीन दिन बाद, तीन दिन तक सेवन करने पर गर्भधारण में सहायक है।   

गर्भधारण में अश्वगंधा का उपयोग ( ashwagandha ka upyog ) है। जिसमे अश्वगंधा पाउडर को गाय के घी में मिलाकर, मासिक धर्म शुद्धि के बाद प्रत्येक दिवस प्रातः काल गाय के दूध के साथ या जल से सेवन करना चाहिए। ऐसा एक महीना करने पर लाभ होता है। 

ताजी अश्वगंधा की जड़ और सफ़ेद कटेरी का 10 मिली रस पहले माह से 5 माह तक गर्भवती स्त्री को सेवन कराने से अकाल गर्भपात नहीं होता। वही अश्वगंधारिष्ट ( ashwagandharishta ) का सेवन भी महिलाओ से सम्बंधित अनेक रोग में उपयोगी है। 

पुरुषों के लिए अश्वगंधा लाभ ( ashwagandha benefits for men )

असगंधा मर्दों के लिए हितकारी है। जिसका उपयोग इन्द्रिय दुर्बलता, लिंग की शिथिलता या कमजोरी को दूर करने में किया जाता है। जिसको पुरुषो के लिए अश्वगंधा बेनिफिट्स इन हिंदी कहा जाता है। यह मनुष्यो की वह समस्या है। जिससे वह शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों में स्वयं को असहाय महसूस करता है। इस प्रकार की समस्याओ से निजात दिलाने में अश्वगंधा प्रभावकारी है। 

अश्वगंधा के कपड़छन चूर्ण में बराबर मात्रा में खाड़ मिला रख ले। जिसकी एक चम्मच की मात्रा का सेवन ताजे गोदुग्ध में सुबह – सुबह करे। ऐसा भोजन के 2 – 3 घंटे पूर्व करने पर अधिक लाभ होता है। 

रात्रि में अश्वगंधा के बारीक चूर्ण को चमेली के तेल में घोटकर लिंग पर लगाने से लिंग की कमजोरी दूर होती है। 

मात्रा की अधिकता आदि के कारण द्रव्यगत गुणों का आक्रामक प्रभाव सेवनकर्ता पर आते है। जिसे अश्वगंधा के नुकसान पुरुषों के लिए कहते है। 

होम्योपैथिक अश्वगंधा के फायदे ( homeopathic ashwagandha )

अश्वगंधा के औषधीय गुणों के कारण ही होम्योपैथी में अश्वगंधा का उपयोग होता है। जिसको होम्योपैथी में होम्योपैथिक अश्वगंधा कहते है। जिसके लिए होम्योपैथिक अश्वगंधा खाने से क्या होता है जैसी अनेक जिज्ञासाए व्यक्त की जाती है। जिसका सेवन टिंचर और पोटेंसी दोनों में होता है। 

द्रव्यगत औषधि का स्वाभाविक गुण ही चिकित्सा का मूल है। जिसकी यथावत उपस्थिति को द्रव्यगत लक्षणों के नाम से जाना जाता है। जिसकी अनुकूल और अविरुद्ध साम्यता होने पर, रोगी को रोग मुक्त कर विशेषज्ञ के माध्यम से स्वयं को चमत्कृत करती है। जिसके कारण आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक लक्षणों में सादृश्य है। अंतर केवल भाषा शैली, नवीन शोध आदि से प्राप्त होने वाले परिणामो का है। 

होम्योपैथी में डाइल्यूसन आदि के द्वारा अश्वगंधा का उपयोग होता है। जिसमे प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि, वजन बढ़ाने, शरीर को मजबूती देने, मानसिक रुग्णता को समाप्त करने, पौरुष शक्ति का सवर्धन करने इत्यादि में उपयोग होता है। इसको कुछ लोग टॉनिक के रूप में भी उपयोग करते है। तिल्ली का बढ़ना रोकने में भी अश्वगंधा सहायक है। 

पतंजलि अश्वगंधा के फायदे ( ashwagandha khane ke fayde )

आजकल पतंजलि आयुर्वेद का प्रचार है। जिसके कारण लोग अश्वगंधा चूर्ण पतंजलि की बात करते है। वास्तव में पतंजलि अश्वगंधा पाउडर के फायदे ( ashwagandha powder patanjali ), वही है जो सामान्य अश्वगंधा चूर्ण के है। इसलिए अश्वगंधा चूर्ण पतंजलि के फायदे और, पतंजलि अश्वगंधा चूर्ण के फायदे भी अश्वगंधा के फायदे जैसे है। रह गई पतंजलि अश्वगंधा का सेवन विधि की बात तो भी सामान्य अश्वगंधा जैसी है। जैसे अदरक के फायदे है। 

अश्वगंधा अनेको प्रकार के खनिजों से परिपूर्ण होता है। जिसके कारण इसमें लम्बाई बढ़ाने वाले तत्व भी पाए जाते है। जब अश्वगंधा पाउडर पतंजलि निर्माता बनाया जाता है। तब पतंजलि अश्वगंधा पाउडर फॉर हाइट के नाम से भी जाना जाने लगता है। आजकल पतंजलि अश्वगंधा का उपयोग भी होने लगा है। क्योकि पतंजलि अश्वगंधा मार्केट रेट के लगभग बराबर है। जबकि पतंजलि अश्वगंधा कैप्सूल ( patanjali ashwagandha capsule ) अधिक प्रचलित है। जिसका सेवन और रख – रखाव करना आसान है। 

अश्वगंधा का सेवन कैसे करें ( ashwagandha ka sevan kaise karen )

पौराणिक चिकित्सीय प्रणाली में अश्वगंधा का सेवन चूर्ण, रस, कल्क आदि के रूप में होता था। परन्तु आजकल अश्वगंधा का सेवन चूर्ण, कैप्सूल और टेबलेट के रूप में ही अधिक होता है। जिसका मूल कारण मशीनी युग है। इनको ही आजकल अश्वगंधा का सेवन विधि भी माना जाता है। जिसके लिए ज्यादातर अश्वगंधा चूर्ण का सेवन कैसे करे तथा, अश्वगंधा टेबलेट खाने का तरीका पूछा जाता है। 

चिकित्सीय दृष्टि से अश्वगंधा सेवन कैसे करे से अधिक महत्वपूर्ण यह जानना है की अश्वगंधा का सेवन कब करें ? सभी चिकित्सीय सिद्धांतो में आवश्यकता पड़ने पर ही औषधि का विधान है। इसके साथ ही इसकी सानुकूल मात्रा भी निर्धारित है। जिसका पालन करने पर लाभ और अतिक्रमण करने पर हानि होती है। इस कारण जब तक रोगी अश्वगंधा के लक्षणों को न बताये या प्रदर्शित करे, तब तक अश्वगंधा का सेवन नहीं करना चाहिए।  

अश्वगंधा और दूध का सेवन आमतौर पर शक्ति संचयन आदि के लिए होता है। जिसमे शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार है। जबकि आजकल अश्वगंधा का सेवन तीन प्रकार से होता है – 

  1. अश्वगंधा कैप्सूल ( ashwagandha capsule )
  2. अश्वगंधा टेबलेट ( ashwagandha tablet )
  3. अश्वगंधा पाउडर ( ashwagandha powder )

अश्वगंधा कैप्सूल के उपयोग ( ashwagandha uses in hindi )

आज जड़ी – बूटी इत्यादि का वैश्विक उत्पादन और विपणन होता है। जिसमे अधिक जन – धन की आवश्यकता पड़ती है। जिसमे अनेक वैज्ञानिक प्रक्रियाओं की गहन जांच आदि भी करनी पड़ती है। जिससे इनका निर्माण औगोगिक इकाइयों में होता है। जो अपने – अपने नाम से बाजार में अपना उत्पाद बेचती है। जिसको अश्वगंधा कैप्सूल के लाभ कहा जाता है। इसी प्रकार डाबर अश्वगंधा कैप्सूल के फायदे को, डाबर अश्वगंधा कैप्सूल के फायदे कहते है। हिमालय अश्वगंधा कैप्सूल के लाभ को हिमालय अश्वगंधा कैप्सूल के फायदे कहते है।

आजकल अश्वगंधा कैप्सूल पतंजलि भी प्रचलित है। जिसको पतंजलि अश्वगंधा कैप्सूल के फायदे ( patanjali ashwagandha capsule ke fayde ) से जानते है। जिससे सम्बंधित अनेक बाते सामने आती है। जैसे – पतंजलि का अश्वगंधा कैप्सूल खाने से क्या होता है ? और पतंजलि अश्वगंधा कैप्सूल के उपयोग ( patanjali ashwagandha capsule uses in hindi ) क्या है। इस कारण अश्वगंधा कैप्सूल के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। 

अब बात आती है कि अश्वगंधा कैप्सूल कब खाना चाहिए और, पतंजलि अश्वगंधा कैप्सूल का सेवन कैसे करे ? अश्वगंधा कैप्सूल इन हिंदी में ध्यान रखने वाली महत्वपूर्ण बिंदु है। अश्वगंधा के लक्षणों की प्राप्ति होने पर ही अनुपान आदिका, स्मरण करते हुए अश्वगंधा कौंच के बीज का उपयोग करना चाहिए। 

मात्रा : एक- एक कैप्सूल सुबह शाम या केवल सुबह खाली पेट गुनगुने या बासी पानी से लिया जा सकता है।  

अश्वगंधा टेबलेट के फायदे ( ashwagandha tablet ke fayde )

आयुर्वेद में अश्वगंधा सेवन की विधि में, अश्वगंधा रसायन वटी का भी उपयोग होता है। किंतु आधुनिक चिकित्सीय प्रणालियों में टेबलेट आदि प्रचलित है। जिनको अश्वगंधा टेबलेट के उपयोग ( ashwagandha tablet uses ) कहते है। वही आजकल इनका वैश्विक उत्पादन भी aneko कंपनियों द्वारा होने लगा है। जैसे हिमालया, पतंजलि, वैद्यनाथ आदि। जिनसे होने वाले लाभ को हिमालय अश्वगंधा टेबलेट के फायदे एवं, डाबर अश्वगंधा टेबलेट के फायदे, पतंजलि अश्वगंधा टेबलेट के फायदे ( ashwagandha tablet benefits ) कहते है। 

अमात्रात्मक और अनावश्यक उपयोग हानियुक्त है। वही आवश्यक और मात्रात्मक उपयोग लाभ देने वाला है। इस कारण अश्वगंधा टेबलेट का फायदा ( ashwagandha tablets benefits ) सिद्धांत के अनुसार करने पर ही लाभकारी है। इनके कारण ही हिमालय अश्वगंधा टेबलेट के फायदे और नुकसान है। इसी प्रकार अश्वगंधा टेबलेट पतंजलि ( ashwagandha tablet patamjali ) भी लाभ हानि से युक्त है। अश्वगंधा खाने से हाइट बढ़ती है। यह अश्वगंधा लोकप्रिय उपयोग ( ashwagandha tablet uses in hindi ) है।  

अश्वगंधा टेबलेट का सेवन कैसे करे ? अश्वगंधा कैप्सूल की भाँती ही अश्वगंधा टेबलेट का सेवन किया जाता है। इसलिए हिमालय अश्वगंधा टेबलेट का सेवन कैसे करे में, उपरोक्त नियम का अनुशरण है। जबकि पतंजलि स्पिरुलिना विथ अश्वगंधा और, अश्वगंधा कौंच के बीज के फायदे भी है। 

अश्वगंधा चूर्ण के फायदे ( ashwagandha powder benefits )

सभी अश्वगंधा चूर्ण के फायदे अश्वगंधा चूर्ण के फायदे है। जिनके कुछ योगो की चर्चा ऊपर की गई है। फिर चाहे डाबर अश्वगंधा चूर्ण के फायदे हो। बैद्यनाथ अश्वगंधा चूर्ण के फायदे हो या कोई और। डाबर अश्वगंधा चूर्ण कैसे खाये या अश्वगंधा चूर्ण का सेवन कैसे करे। जिससे अश्वगंधा से होने वाले लाभ प्राप्त हो सके। 

इसके लिए 2 – 4 ग्राम की मात्रा में अश्वगंधा चूर्ण का सेवन करना चाहिए। अनुपान के रूप में गुनगुना पानी, गाय का दूध या दूध, बासी पानी अदि का प्रयोग किया जा सकता है। बल या ताकत बढ़ाने के लिए अश्वगंधा पाक के फायदे है। जिसकी एक चम्मच की मात्रा का सेवन किया जा सकता है। 

अश्वगंधा की कीमत ( ashwagandha price )

अलग – अलग स्थान और कंपनियों में भेद होने के कारण, अश्वगंधा प्राइस ( ashwagandha price) में अंतर है। अश्वगंधा चूर्ण प्राइस या अश्वगंधा पाउडर प्राइस की बात करे, तो 200 ग्राम चूर्ण का मूल्य 250 – 300 रुपये है। डाबर अश्वगंधा चूर्ण प्राइस भी इसके आस – पास है। पतंजलि अश्वगंधा चूर्ण प्राइस ( ashwagandha price patanjali ) भी लगभग, इतनी ही है। जबकि नीमच मंडी में अश्वगंधा का भाव अलग है। जो बाजार भाव पर निर्भर है। जंहा अश्वगंधा के बीज का भाव कम और जड़ का भाव अधिक है। 

अश्वगंधा कितने रुपए किलो है ? अश्वगंधा पाउडर की कीमत ( ashwagandha price per kg ) किलो में 1500 के लगभग है। इसको ही डाबर अश्वगंधा चूर्ण के फायदे प्राइस भी कहते है। इसको any नाम जैसे अश्वगंधा चूर्ण price अश्वगंधा चूर्ण पतंजलि मूल्य के नाम से भी जानते है। 

अश्वगंधा टेबलेट प्राइस ( ashwagandha tablet price ) की बात करे, तो यह लगभग 120 – 150 रुपये का 60 टेबलेट है। जबकि पतंजलि अश्वगंधा कैप्सूल प्राइस ( patanjali ashwagandha capsule price ) कुछ महगी है। कुछ कंपनियों के अश्वगंधा कैप्सूल प्राइस कम है। जो 200 – 500 के बीच है। अश्वगंधा का भाव नीमच मंडी में अलग है। इन्ही विभेदो के कारण ही प्रश्न होता है कि पतंजलि अश्वगंधा कैप्सूल की कीमत कितनी है। 

अश्वगंधा के नुकसान ( Ashwagandha Side Effects )

आनुपातिक मात्रा से अधिक अश्वगंधा का सेवन करने पर, द्रव्य के लक्षणों की पुनरावृत्ति देखी जाती है। जिसके कारण अश्वगंधा के फायदे और नुकसान ( ashwagandha ke fayde aur nuksan ) है। यह अश्वगंधा के साइड इफेक्ट्स ( ashwagandha ke nuksan ) कहलाता है। जो इस प्रकार है – 

  • पेट में दर्द होना
  • दस्त 
  • जी घबराने जैसी समस्याए हो सकती है।
  • गर्भवती महिलाओ को अश्वगंधा का सेवन हानिकारक हो सकता है। इसलिए गर्भावस्था में अश्वगंधा की मात्रा का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  • उष्ण स्वभाव वालो को अधिक मात्रा में अश्वगंधा का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • अश्वगंधा के नुकसानकारी प्रभाव को घी, गोंद और कतीरा के सेवन से कम किया जा सकता है।

अनावश्यक और अनुपयुक्त अश्वगंधा टेबलेट, कैप्सूल और चूर्ण आदि हानिकारक है। जिनको अश्वगंधा टेबलेट के नुकसान, अश्वगंधा कैप्सूल के नुकसान, अश्वगंधा चूर्ण के नुकसान ( ashwagandha powder side effects )  कहते है। 

FAQ

अश्वगंधा कितने दिन तक खाना चाहिए

आयुर्वेदानुसार किसी भी औषदि का सेवन, सामान्यतया नियमित रूप से 3 माह तक किया जा सकता है। जबकि रोगग्रस्त होने पर चिकित्सीय परामर्शानुसार ही करना चाहिए।

अश्वगंधा से मोटापा कैसे कम करें

अश्वगंधा से मोटापा कम करने के लिए, 5 – 10 ग्राम चूर्ण का सेवन गुनगुने जल से करना चाहिए।

अश्वगंधा शतावरी कितने दिन तक खाना चाहिए

स्वास्थ्य को स्थिर रखने या छोटी मोटी समस्याओ के, निदान के लिए अश्वगंधा और शतावरी का सेवन करना चाहिए। परन्तु ध्यान रहे न्यून मात्रा में अधिक से अधिक तीन माह। 

अश्वगंधा से कितने दिन में हाइट बढ़ती है

कम से कम नियमित 3 माह तक, अश्वगंधा खाने से लम्बाई बढ़ने की संभावना है।

अश्वगंधा शतावरी से कितने दिन में वजन बढ़ेगा

कुछ महीनो तक अश्वगंधा का नियमित सेवन करने पर, वजन बढ़ना आरम्भ हो जाता है।

अश्वगंधा का चूर्ण कैसे बनाएं

अश्वगंधा की जड़ को कूटकर चूर्ण बनाया जाता है।

अश्वगंधा का सेवन कब करना चाहिए

अश्वगंधा का सेवन अश्वगंधा के लक्षण प्राप्त होने पर चिकित्सक की सलाह पर ही करना चाहिए।

क्या अश्वगंधा से हाइट बढ़ती है

हाँ