इन्फ्लुएंजा वायरस ( H3N2 Virus ) : influenza virus in hindi

वायरस के लगातार म्यूटेट होने से नए – नए वायरस आते रहते है। यह वायरेसेस ( viruses ) का स्वाभाविक गुण है। जिनको किसी भी युक्ति ( उपाय ) के द्वारा, कभी रोका ही नहीं जा सकता। वायरस म्यूटेशन के इसी क्रम में इन दिनों इन्फ्लुएंजा वायरस ( Influenza Virus ) देखा जा रहा है। जो एक और नाम H3N2 वायरस ( H3N2 Virus ) के नाम से भी जाना जा रहा है।

इन्फ्लुएंजा वायरस से बचने के उपाय इन्फ्लुएंजा वायरस ( H3N2 Virus )

कोरोना, लम्पी आदि वायरसों के बाद अब एच3एन2 वायरस कोहराम मचा रहा है। यह अलग – अलग लोगो को, उनकी प्रतिरोधक क्षमता के अनुसार क्षति पहुंचा रहा है। जैसे – किसी के सिर में दर्द करा रहा है तो किसी की नाक बहा रहा है। जिसको आयुर्वेदादी शास्त्रों में देह प्रकृति से उल्लेखित किया गया है। जिसके किसी भी कारण दोषो का मेल होते ही हम रोग के चपेट में आ जाते है। 

इन्फ्लुएंजा वायरस में फ्लू जैसे लक्षण मिलने से, इसको एच3एन2 फ्लू ( h3n2 flu ) भी कह देते है। जिसमे  छाती में दर्द के साथ खांसी आना, तेज बुखार होना, सूखी खांसी आना, गला चुभना और दर्द होने के साथ नाक बहने आदि की समस्या हो रही है। जिसके कारण संक्रमण का खतरा अस्वस्थो के साथ, स्वस्थ लोगो को भी बना हुआ है। जो कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वालों के लिए ख़तरा बना हुआ है।   

इन्फ्लूएंजा वायरस क्या है ( influenza virus kya hai )

वायरस के आरएनए में बदलाव से बना नया इन्फ्लूएंजा वायरस है। जिससे प्रभावित होने पर बदलते मौसम में होने वाली बीमारियों के जैसे लक्षण होते है। जिसमे मुख्य रूप से सर्दी जुकाम बुखार आदि है। इसकारण इन्फ्लुएंजा के आने से देश में अचानक सर्दी खांसी बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। 

H3N2 वायरस को इन्फ्लूएंजा वायरस नाम दिया गया है। जिसमे मौसमी बीमारियों के जैसे लक्षण पाए जाते है। जिन ध्यान न देने से इन लक्षणों में उत्तरोत्तर वृद्धि होती जाती है। जिससे रोग की तीव्रता से रोगी की स्थिति अत्यंत बुरी होती जाती है।   

h3n2 फ्लू का अर्थ ( h3n2 flu meaning in hindi )

इन्फ्लूएंजा वायरस में पाए जाने वाले लक्षण फ्लू से मिलते है। जिसके कारण इसे h3n2 फ्लू कहा जाता है। जबकि इन्फ्लूएंजा वायरस की संरचना RNA की संरचना जैसे होती है। जिसका मूल कारण h3n2 फ्लू इसी में म्यूटेट होने से बनता है। जिसके तीन भेद है।
  • H3N2 – A 
  • H3N2 – B 
  • H3N2 – C 

जिसके कारण एच3एन2 के लक्षणों ( h3n2 symptoms ) में कुछ अंतर देखने को मिल सकता है।  

इन्फ्लूएंजा वायरस के लक्षण ( influenza virus symptoms in hindi )

H3N2 वायरस में मौसमी बीमारियों के जैसे लक्षण पाए जाते है। जो सामान्य फ्लू में भी पाए जाते है। एच3एन2 वायरस के अधिकाँश लक्षण फ्लू के लक्षण से मिलते जुलते है। जिसके कारण एच3एन2 में पाए जाने वाले लक्षणों को एच3एन2 फ्लू सिम्पटम्स ( h3n2 flu symptoms ) कहते है। इसलिए दोनों बीमारियों में विभेद करने में कठिनाई होती है। एच3एन2 वायरस से प्रभावित रोगियों में निम्न लक्षण देखे जा रहे है – 

  • बुखार होना
  • सर्दी – जुकाम होना
  • ठण्ड लगना
  • शरीर में दर्द होना
  • नाक बहना
  • खांसी आना
  • गले में चुभन या चुभन के साथ दर्द होना
  • दस्त आना
  • उल्टी होना
  • सिर में दर्द होना आदि।

इन्फ्लूएंजा वायरस के उपचार ( influenza Virus treatment in hindi )

H3N2 वायरस अभी नया है। जिससे इसके लक्षणों की सटीक पहचान हो पाना कठिन है। जिसके लिए ट्रैकिंग, ट्रेसिंग, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट नामक 4T सिस्टम बनाया गया है। जो एच3एन2 ( h3n2 treatment ) में उपयोगी है। इससे इन्फ्लूएंजा वायरस की पहचान और इलाज दोनों में, सहायता मिल सकती है।  

परन्तु इन्फ्लूएंजा वायरस से बचने का सबसे सुरक्षित उपाय, अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को सुदृढ़ बनाना है। जिसके लिए आयुर्वेद में कुछ ऐसी औषधिया बताई गयी है। जिनका नित्य सेवन करते रहने से इम्युनिटी बनी रहती है। जिससे हम किसी वायरस के प्रभाव में आने से बच जाते है। 

H3N2 वायरस से बचाव में उपयोगी आयुर्वेदिक दवा 

रोग से बचाव और रोग की निवृत्ति को आयुर्वेद ने उपचार माना है। जिसमे प्रयुक्त होने वाले सभी उपाय आयुर्वेदिक उपचार है। वायरस का प्रसार होने पर, इसके विषाणु वातावरण में फ़ैल जाते है। जिससे यह लोगो को अपने प्रभाव में लेकर बीमार करने लगते है। 

जबकि मजबूत प्रतिरोधकता वाले व्यक्ति पर, इनका बहुत कम या नहीं के बराबर प्रभाव होता है। जिसमे ये  आयुर्वेदिक औषधिया कारगार है –

गिलोय

H3N2 वायरस से बचाव में गिलोय के फायदे 

आयुर्वेदानुसार गिलोय त्रिदोषघ्न है। जिसके कारण यह वात, पित्त और कफ की गड़बड़ी को ठीक करती है। तीनो दोषो के संतुलित रहने पर इम्युनिटी बनी रहती है। जिसके कारण किसी भी वायरस से बचाने में गिलोय के फायदे है।  

इसका लाभ लेने के लिए इसको कई प्रकार से उपयोग किया जाता है। इसकी बेल का आप काढ़ा बनाकर पी सकते है। और इसके बेल को कूटकर जूस निकाल पर भी पी सकते है।   

अदरक

अदरक में अनेको प्रकार के रोग उपचारक गुण पाए जाते है। जिनसे वायरस के प्रभाव को इम्युनिटी बढ़ाकर निष्क्रिय कर दिया जाता है। जिससे हमारा न केवल वायरस से बचाव होता है, बल्कि हम अनेक प्रकार के रोगो से भी बचे रहते है। इसलिए इन्फ्लुएंजा वायरस से बचाव में अदरक के फायदे है। 

अदरक की चाय

अदरक का सेवन आप इसके टुकड़े को कूटकर उबाल कर गुनगुना पी सकते है। अथवा अदरक का रस निकालकर शहद मिलाकर भी ले सकते है।  

मुलेठी

सभी प्रकार के कफ रोगो में मुलेठी अत्यंत प्रभावी है। जिसका उपयोग आप काढ़ा बना कर सकते है। साथ ही इसके छोटे – छोटे टुकड़े करके मुँह में डालकर चूस सकते है। यह सर्दी, खांसी, गला चुभना आदि समस्याओ से छुटकारा दिलाता है। जो वायरस आदि में अत्यधिक प्रभावित होता है।  

शहद और सोंठ

सोंठ का चूर्ण सभी प्रकार के वायरस को रोकने में प्रभावी है। साथ ही वायरस से प्रभावित लोगो का उपचार करने में भी सोंठ के फायदे है। जिसको आप चौथाई चम्मच सोते समय मुँह में डालकर सो जाए। यदि ऐसा करने में असुविधा हो तो सोंठ को शहद में मिलाकर भी ले सकते है। यह साँस फूलना, गला बंद होने आदि में रामबाण है।  

तुलसी

वायरल और एंफेटियस डीजीज से बचाने में तुलसी कारगार है। क्योकि तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट नामक गुण विशेष रूप से पाया जाता है। जिससे पूजा पाठ आदि में भी इसको बहुत समादर दिया गया है। ज्यादातर लोग इसका सेवन काढ़ा बनाकर करते है। जबकि कुछ इसकी पत्तियों को मुँह में डालकर चबाते है। जो हानिकारक है। 

काली मिर्च और लौंग

लौंग और काली मिर्च दोनों ही इम्युनिटी बढ़ाने में सहायक है। जिसके कारण इनका उपयोग वायरस आदि से बचने में, आसानी से किया जा सकता है। यह सभी प्रकार की मौसमी बीमारियों पर प्रहार करता है। फिर चाहे वह वायरस आदि के कारण ही क्यों न हो।  

पुराना गुण

आधुनिक विशेषज्ञों के अनुसार शरीर में थकान होना, कमजोरी होना आदि के पीछे हीमोग्लोबिन को जिम्मेदार है। जिसको बढ़ाने में आयरन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जो गुण में पर्याप्त मात्रा में पायी जाती है। जिसके लिए तुलसी की पत्ती और अदरक का काढ़ा बनाकर, गुनगुना पीना ही लाभकारी है। 

इन्फ्लूएंजा वायरस से बचने के उपाय ( prevention of influenza Virus in hindi ) 

H3N2 वायरस से बचाव में निम्न उपाय प्रभावी है –

  • हाथ, पैर और मुँह को धोकर ही भोजन करे। 
  • वायरस से बचाव में गरम पानी पीने के फायदे है। जिसके लिए पीने में गर्म पानी का प्रयोग करे।
  • खुद को वायरस से बचाने के लिए चीनी किसी भी रूप में न लें।
  • पके हुए भोजन के अतिरिक्त कच्चा भोजन भी खाने का अभ्यास करे।
  • नियमित पर्याप्त मात्रा में मौसमी, फलो और सब्जियों का सेवन करें।
  • सुबह जल्दी जगे
  • नियमित व्यायाम, योग अथवा ध्यान आदि करे।
  • तले – भुने, तीखे, मसालेदार और चटपटे भोजन का प्रयोग न करे।
  • आइसक्रीम, वर्फ और फ्रिज के पानी का प्रयोग न करे।
  • कोल्ड अथवा सॉफ्ट ड्रिंक के प्रयोग से बचे।
  • पेस्टी, केक, चॉकलेट आदि को खाने में वर्जित करे।
  • साफ़, स्वच्छ और एकांत स्थान में निवास करे।
  • व्यक्ति से व्यक्ति के बीच निश्चित दूरी बनाकर रहे।
  • किसी से हाथ न मिलाये अर्थात स्पर्श आदि न करे।
  • हाथ गंदा होने पर साफ पानी और मिट्टी से धोये।
  • बार – बार मुँह, आँख, नाक और मल – मूत्र के द्वार को न छुए।

उपसंहार :

इन्फ्लूएंजा वायरस ( Influenza Virus ) में सर्दी जुकाम खासी के लक्षण आमतौर पर पाए जाते है। जो मौसमी बीमारियों यहाँ तक की फ्लू आदि में भी देखने को मिलते है। जिसके कारण इनमे अंतर करना बड़ा कठिन है। इसलिए आज की परिस्थित में छोटे – छोटे रोग का समाधान, सावधानी पूरक विशेषज्ञ से सलाह लेकर करना चाहिए।  

ज्यादातर वायरस का प्रभाव मौसम के परिवर्तित होने पर हो ही जाता है। जिसमे मुख्यतः दो प्रकार के परिवर्तन है। पहला गर्मी से सर्दी ( गरम से ठंडा ) और दूसरा सर्दी से गरम ( ठंडा से गरम ) है। यह जब भी होता है तो सर्द – गरम के लक्षणों से युक्त होता है। जिसका समय पर इलाज न होने पर, भीषण रोग को जन्म देता है। 

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