कोरोना वायरस के बारे में बताइए : Coronavirus Ke Bare Mein Bataiye

कोरोना वायरस (coronavirus) को 2020 का सबसे भीषण संक्रामक रोग कहा गया है।  इसको कोरोना या करुणा वायरस या व्हायरस इत्यादि नामो से जाना गया। कोरोना को देश और दुनिया में महामारी mahamaari (pandemic) के रूप में घोषित किया गया। कोरोना विषाणू की पहचान संक्रमित व्यक्ति से प्राप्त होने वाले लक्षणों से की गयी। जिसको कोरोना लक्षण (corona symptoms) कहा गया। चिकित्सा में लक्षणों का सर्वाधिक महत्व है। जिसको ध्यान में रखकर ही यहाँ भी इसकी प्रमाणिकता को स्वीकारा गया। जिसके लक्षणों में पेट दर्द आदि भी देखा जाता है। 

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यह वायरस मुख्य रूप से श्वसन तंत्र को सर्वाधिक प्रभावित करता है। जिससे श्वास संबंधी रोगो का जनन आमतौर पर होता है। यह विषाणू होने के कारण ठोस, द्रव और गैस जैसा तीनो ही माध्यमों से अपना प्रसार करता है। जिसके कारण बहुत ही कम समय में भारत के विभिन्न राज्यों में इसका प्रभाव देखा गया। जिनमे विहार, जबलपुर, झारखंड, चंडीगढ़, प्रयागराज (prayagraj), महाराष्ट्र जैसे स्थान मुख्य है। कोरोना की जानकारी ( माहिती विषाणूबद्दल ) ही इस व्हायरस से बचने का सबसे सुगम उपाय है।

किसी भी विषाणु का प्रभाव उन पर अधिक होता है। जो पहले से ही किसी रोग के शिकार है। जैसे तिल्ली का बढ़ना, फैटी लीवर, मधुमेह, कैंसर आदि। जिसको आमतौर पर जीर्ण रोगो की श्रेणी प्राप्त है। जो एक दिन में विकसित नहीं होते, बल्कि समय के साथ धीरे – धीरे विकसित होते है। 

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Coronavirus meaning/meaning of corona और covid full form(फुल फॉर्म)

नोवेल कोरोनावायरस वायरस का नया नस्ल बताया गया है। इससे होने वाली बीमारी को कोरोनावायरस डिजीज (COVID-19/कोविड – 19) कहते हैं। जिसमे CO को कोरोना के लिए, VI  को – वायरस के लिए और डी को  – डिजीज के लिए प्रयुक्त किया गया है। पहले इसको ‘2019 नोवेल कोरोनावायरस’ या ‘2019-nCoV.’ के नाम से जाना जाता था। इसको कुछ लोगोके द्वारा carona virus या coronovirus या corono virus या corna के नाम से भी जाना जाता है।

covid या corona full form एक ही है। corona meaning से अभिप्राय कोरोना संक्रमण से है। जिसको pandemic के रूप में बताया जा रहा है। pandemic meaning का मतलब ही कोरोना नामक वायरस के संक्रमण से है। pandemic meaning in hindi कहने का आशय ऊपर बताया जा चुका है। जिसको कुछ लोग pandemic in hindi या pandemic meaning भी कह रहे है। mahamari in english को pandemic कहते है। mahamari को ही आंग्ल भाषा में pandemic कहा जाता है। pamdemic को ही हिंदी में mahamari कहते है। 

COVID-19/कोविड – 19 वायरस को Severe Acute Respiratory Syndrome (SARS) से जुड़ा एक नया वायरस है। जिसको एक्यूट रोग की श्रेणी में रखा गया है। जो अनेको प्रकार के प्रभावों को प्रकट करता है। जिससे रोगियों में अनेको प्रकार के लक्षणों की प्राप्ति होती है। जिनके आधार पर चिकित्सा की जाती है। चिकित्सा सिद्धांतो के अनुसार बिना कारण के रोग की उत्पत्ति संभव नहीं। रोगो की अभिव्यक्ति लक्षणों के माध्यम से होती है। सामान्यतः लक्षणों को समाप्त करने को ही चिकित्सा कहा जाता है। जिसके लिए विविध प्रकार के उपाय आयुर्वेदादी शास्त्रों में बताए गए है।

जबकि लक्षणों के साथ रोग कारण का समूल नाशकर चिकित्सा उपायों का आलंबन लेते हुए लक्षणों की निवृत्ति को आयुर्वेद के अनुसार रोग निदान माना गया है। जो अन्य किसी में परिलक्षित नहीं होता। इस कारण ही आज  के समय में भी यह अजेय चिकित्सा पद्धति के रूप में उभरकर सामने आयी है।

कोरोना विषाणू या coronavirus क्या है (what is coronavirus)?

इसका सर्वप्रथम प्रभाव 2019 में देखा गया। इसलिए इसे covid 19 / कोविड 19 के नाम से भी जाना जाता है। पूर्व के कुछ वर्षो में कोरोना नामक विषाणु के संक्रमण की प्राप्ति होती है। जो 17 वी या 18 वी शताब्दी के आस पास की मानी जाती है। परन्तु अब के कोरोना को नोबेल कोरोना वायरस के नाम से जाना जा रहा है। जिसको कोरोना संक्रमण से होने वाली बीमारी को कोरोना डीजीज के नाम से जाना जा रहा। 

Coronaviruses ( कोरोना वायरस ) दो शब्दों से मिलकर बना है। वायरस जिसको हिंदी में विषाणु कहते है। विषाणुओ का शरीर आरएनए   से बना होता है। जो एक बहुलक अणु है। जो डीएनए ( जीन ) की अभिव्यक्ति में आवश्यक है। आरएनए  को राइबोन्यूक्लिक एसिड कहा जाता है। आरएनए और डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (डीएनए) न्यूक्लिक एसिड हैं। प्रोटीन, लिपिड और कार्बोहाइड्रेट के साथ, न्यूक्लिक एसिड जीवन के सभी ज्ञात रूपों के लिए आवश्यक चार प्रमुख माइक्रोमोलीक्यूल्स में से एक का निर्माण करते हैं।
डीएनए की तरह, आरएनए को भी न्यूक्लियोटाइड्स की एक श्रृंखला या चेन के रूप में एकत्र किया जाता है। जिसका उपयोग पैथालॉजी में रोग परीक्षण के लिए किया जाता है। डीएनए की भाँती ही किसी भी जीवित शरीर में आरएनए के भी उतनी ही आवश्यता होती है। इसलिए किसी भी जीव के शरीर में दोनों पाए जाते है। आरएनए और डीएनए दोनों ही वसा के एक प्रकार है। इस कारण ही इन दोनों का लक्षण एक सा होता है। यह आरएनए एक विशाल परिवार रखता है। जिसके वायरस के पास भी बहुत बड़ी संख्या होती है। जो अनेको प्रकार की बीमारिया पैदा करती है। जैसे
  • सामान्य सर्दी बुखार
  • MERS-CoV ( मिडिल ईस्ट रेसपरिटरी सिंड्रोम )
  • SARS-CoV ( सीवियर एक्यूट रेसपरिटरी सिंड्रोम )

कोरोना वायरस कैसे बना?

यह एक प्रकार का आरएनए वायरस है। जिसका निर्माण वसा से हुआ है। जिसको हम लिपिड, प्रोटीन आदि नामो से जानते है। जो खाद्य तेल, घी इत्यादि में पाया जाता है। जीवित जीव जन्तुओ में जीवत्व की प्राप्ति इनके बिना सम्भव नहीं। जिसके कारण इनकी उपस्थिति किसी भी जीवित शरीर में आसानी से हो जाती है।

इसकी संरचना को लेकर विचार करे तो उपरोक्त चित्र में इसको दिखाया गया है। जो एक प्रकार के प्रोटीन से बनी होती है। जिसमे स्पाइक्स के रूप में बाहर निकली हुई संरचना होती है। जो शरीर में जाने के बाद चिपक जाते है। किसी भी जीवित शरीर में डीएनए और आरएनए पाया जाता है। जिससे इनको इनके अनुकूल पोषण प्राप्त होने के अनुकूल वातावरण मिलता है। जो प्रभावी होने पर पूरे शरीर को अपने प्रकोप में जकड लेता है।

संरचनात्मक आकृति के आधार पर विचार करे तो यह एक रूप से दुसरे रूप में आसानी से बदल जाता है। जिससे इसके रूप और प्रभाव में अंतर दिखाई पड़ता है। इस कारण विषाणु का अंत कभी सम्भव नहीं। इससे बचने का एक ही उपाय है। जो आयुर्वेद में बताया गया है। जिसको समझने और समझकर व्यावहारिक धरातल पर उतारने की आवश्यकता है।

कोरोनावायरस कहां से आया?

कोरोना विषाणू  का आगमन चीन के वुआन शहर को माना जाता है। वुआन में भी विशेषकर उस स्थान को माना जाता है। जहा पशु पक्षियों के मांस आदि का व्यापार किया जाता था। बताया जाता है की उस स्थान पर 112 प्रकार के जीवो का मांस बेचा और खरीदा जाता था। सर्वप्रथम यह संक्रमण उन लोगो को हुआ जो वहां पर काम करते थे। या किसी अन्य कारण से वहाँ आना जाना होता था।

 

वहां पर भी यह रोग मुर्गियों और चमगादड़ो के सेवन और उनके साहचर्य से प्राप्त होता है। जिसका खुलासा जनवरी 2021 में चीन के द्वारा किया गया। यह विषाणु जनित होने के कारण ही संक्रमित बीमारी के श्रेणी में रखा गाय। इसका संक्रमण आधुनिक विशेषज्ञों के द्वारा बहुत अधिक बताया गया। जबकि अलग अलग लोगो के द्वारा अलग आकड़ा रखा गया। जिससे सही स्थिति का आकलन लगा पाना बहुत ही कठिन है। जिसका पता लगा पाना या सक्रमित व्यक्ति का पता लगा पाना भी कठिन है।

कठिनता का सबसे बड़ा कारण यह है कि इसके जांच में जो तरीके, टिप्स या उपाय प्रयोग में लाये जाते है। उनके परिणामो में अस्थिरता है। जिसके कारण अनुकूल योग नहीं प्राप्त हो पाता। यह वायरस होने के कारण किसी के शरीर पर अपना प्रभाव दिखाने में समय लेता है। जिससे व्यक्ति को सही समय पर इसका पता नहीं चल पाता। जिससे समस्या के गंभीर परिणामो की प्राप्ति होती है। जिससे यह कभी कभी प्राणघातक परिणामो की प्राप्ति कराता है। कोरोनावाइरस को ही किसी किसी स्थान पर रोना वायरस लिखा हुआ भी पाया गया है। जो क के छूट जाने के कारण है। 

कोरोना वायरस कैसे फैलता है?

किसी भी प्रकार का वायरस तीनो ही माध्यमों में प्रसार करने में समर्थ होता है। जिसमे सबसे अधिक समय तक ठोस में जीवित रहता है। और सबसे कम समय तक गैस में जीवित रहता है। आज दुनिया के अन्य देशो की भाँती भारत भी यांत्रिक विधा को ही प्रश्रय देता है। जिससे महानगरों का निर्माण होता है। जो सीमेंट, लोहा और पत्थर आदि का आलंबन लेकर बनाया जाता है। जो एक प्रकार का ठोस है। इसके कारण ही ग्रामीण क्षेत्र की अपेक्षा शहरो में अधिक वायरस का प्रकोप देखा जा रहा है।

शहरो में ज्यादातर निर्माण पक्का होता है। जिससे वायरस को रोकने में किसी न किसी प्रकार का ठोस ही सामने होता हो। जो उस वस्तु की सतह पर चिपका रहता है। जब इसी कारण से किसी भी अन्य वस्तु का स्पर्श होता है, तो vishaanu उस वस्तु के प्रभाव में आ जाता है। जैसे संक्रमित व्यक्ति के द्वारा यदि किसी दरवाजे को स्पर्श किया गया तो वह 72 घंटो तक वहां पर जीवित रहेगा। किसी अन्य व्यक्ति के स्पर्श होते  ही उस व्यक्ति के पास उसका संचार हो जाएगा।

यह ज्यादातर एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति के कारण प्रसारित होता है। संक्रमित व्यक्ति के किसी से बात करने पर, खांसने या छींकने पर भी इसके विषाणु हवा में विचरण करते है। जो किसी अन्य व्यक्ति के संपर्क में आते ही कुछ समय के बाद अपने लक्षणों को प्रकट करते है। जिससे संक्रमित व्यक्ति की पहचान करना भी कठिन होता है। जिस कारण ये कभी कही जानलेवा भी हो सकता है। इस कारण विषाणु जनित रोगो से बचने का सुगम उपाय सावधानी रखना है।

कोविड का प्रभाव या संक्रमण क्षेत्र

यह विषाणु श्वसन तंत्र को सर्वाधिक प्रभावित करता है। जिसके कारण इससे प्रभावित सभी प्रकार के लक्षणों में श्वसन तंत्र से सम्बंधित लक्षणों की प्राप्ति होती है। जिसका मूल कारण SARS-CoV ( सीवियर एक्यूट रेसपरिटरी सिंड्रोम )है। जोकि नाम से ही स्पष्ट है। श्वास सम्बन्धी रोगो के जनन का मूल आयुर्वेद में कफ विकृति को माना गया है। जिसका प्रभाव कफ से सम्बन्धी अंगो को माना गया है। इसकारण कोरोना प्रभावित लोगो में कफ से सम्बंधित रोगो की प्रबलता पायी जाती है।

श्वसन तंत्र में विशेषकर मुँह से लेकर पेट के ऊपर का क्षेत्र पाया जाता है। परन्तु सिर को भी आयुर्वेद में कफ का भी स्थान माना गया है। इससे प्रभावित अंगो की बात करे तो मुँह, नाक, गला, फेफड़ा आदि अंगो के साथ साथ सिर में भी विकृति देखने को मिलती है। सिर को लेकर बात करे तो माथे में दर्द, आँखों से पानी आना, आँखों का लाल होना, चेहरे का लाल होना आदि प्रमुख है।

संक्रमण प्रभावित व्यक्ति में जब इन अंगो में एक साथ विकृति प्राप्त होती है। तो व्यक्ति में अनेको प्रकार के लक्षणों की प्राप्ति होती है। यह व्यक्ति के प्रतिरक्षा प्रणाली के ऊपर निर्भर करता है कि उसका कौन सा अंग प्रभावित होगा? इस कारण ही अलग व्यक्ति में अलग अंगो में अलग प्रकार के रोग लक्षणों की प्राप्ति होती है। जिससे रोग की पहचान कर पाना कठिन होता है। निदान तो दूर की बात है। इसलिए इस समय में सहायता करने वालो को धन्यवाद ज्ञापित करना चाहिए।

कोरोना लक्षण (corona symptoms) / कोरोनावायरस के लक्षण(symptoms of coronavirus disease)

कोरोनाके लक्षणोंकी बातकी जायतो यह प्रमुख रूपसे निमोनिया और इन्फुएन्जा से सम्मिलित लक्षणों को प्रकट करता है। जिसके कारण कोरोना, निमोनिया और इन्फुएन्जा में भेद कर पाना भी कठिन होता है। इन्फुएन्जा को वायरल फीवर के नाम से भी जाना जाता है। लक्षणों को स्पष्ट होने तक किसी भी प्रकार की चिकित्सा देना जानलेवा हो सकता है। इस कारण इस परिस्थति में सामान्य उपचारो का अनुगमन करते हुए तटस्थ होकर रोगी का निरीक्षण करना होता है। साथ ही साथ लक्षणों की प्रतीक्षा भी करनी होती है। जिसके कारण भी अनेको प्रकार की विसंगतिया उत्पन्न हो जाती है।

चिकित्सा में समय का बहुत महत्व है। जिसके कारण इस प्रकार के रोगियों की चिकित्सा कठिन होती है। जब व्यक्ति किसी अन्य प्रकार के रोगो से प्रभावित होता है। तो कठिनाई और भी बढ़ जाती है। जिससे रोगी के जान जाने का भी ख़तरा होता है। जिसमे अत्यधिक सावधानी ही इन विकट परिस्थितियों से बाहर निकलने का एक मात्र साधन है।

फिर भी कुछ सामान्य लक्षण होते है। जो इस प्रकार है

  • सूखी या गलगम वाली खांसी होना
  • सामान्य या तेज बुखार होना
  • छाती में दर्द
  • घबराहट होना
  • साँस लेने में तकलीफ होना
  • दम घुटना ( फेफड़ो का कम फूलना )
  • शरीर में आलस का बने रहना
  • चक्कर आना
  • सिर दर्द
  • मांसपेशियों में दर्द होना आदि।

कोरोनावायरस का उपचार

कोरोना के बारे में सही जानकारी ( information )ही इससे बचने (prevention) का सरल उपाय है। कोरोना काल में सावधानी ही सुरक्षा कवच है। नियमित रूप प्राप्त हो रहे केसेस के अपडेट (update) से घबराए नहीं। बल्कि अपने आस पास के लोगो को हिम्मत प्रदान करे। उनका ढाढस बढ़ाए। अफवाहों को न फैलाए और न फैलने दे। प्राप्त परिस्थिति में सही जानकारी (coronavirus ke bare mein jankari) देकर उनको कोरोना विषाणु के संक्रमण से बचाए। अनावश्यक दबाव में या किसी के बहकावे में आकर कोई भी ऐसा कदम न उठाए। जो आपके लिए हानिकारक सिद्ध हो। बल्कि बुद्धिपूर्वक धैर्य धारण करते हुए प्राप्त परिस्थिति से बाहर निकलने का प्रयास करे।

विषाणु जनित रोगो से बचने के उपायों का आलंबन ले। कोरोना का उपचार करने के लिए अनेको प्रकार के शोध और परीक्षण के उपरांत corona वैक्सीन ( कोरोना टीका ) का निर्माण किया गया। परन्तु इस टीके को लगवाने के बाद भी सावधानियों का पालन करने की सलाह दी गयी। जिसके कारण corona vaccine को भी शत प्रतिशत सफल नहीं माना जा सकता। इस कारण विषाणु जनित रोग या संक्रमण से बचने के सबसे बढ़िया उपाय सावधानी पूर्वक आयुर्वेदोक्त नियमो का कटिबद्धता पूर्वक पालन करना है।

ज्वरके अनियंत्रित होनेपर या तेज बुखार होनेपर आयुर्वेद में वर्णित ज्वरनाशक काढ़ो का प्रयोग करना सबसे सुरक्षित उपाय है। यह उपाय पूर्ण रूप से दुष्परिणाम रहित है। जो शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाकर वायरस को समाप्त करने का कार्य करता है। जिससे शरीर में अनेको प्रकार के अन्य क्रियाए आसानी से होने लगती है। शरीर शुद्धी के उपायों का आलंबन लेकर भी हम अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ा सकते है। इस प्रकार की सही जानकारी को ही मराठी में कोरोना विषाणू बद्दल माहिती कहते है।

कोरोना से बचने हेतु सावधानी ( tips for corona prevention)

  • नियमित रूप से साबुन या सैनेटाइजर (sanitizer) का प्रयोग करना चाहिए। जबकि आयुर्वेद में स्वच्छ मिट्टी से हाथ धोने की बात कही गयी है।
  • बार बार मुँह, नाक और आँख को न छुए।
  • शरीर को तेल या अन्य किसी पदार्थ से सौम्य बनाये रखे।
  • साफ़ और स्वच्छ वस्त्र धारण करे।
  • किसी भी परिस्थिति में दो व्यक्तियो के बीच कम से कम दो गज की दूरी बनाए रखे।
  • जहा ज्यादा भीड़भाड़ हो तो वहां जाने से बचे।
  • ताजे फल और सब्जियों का ही सेवन करे।
  • बासी भोजन से परहेज करे।
  • बाजार में निर्मित भोजन जैसे होटल, रेस्टोरेंट आदि में भोजन करने से बचे।
  • छींक आने पर कोहनी पर ही छीके। यदि सम्भव हो तो साफ़ कपडे का प्रयोग करे।
  • पीने के लिए तांबे के बर्तन के पानी का ही प्रयोग करे। यह जीवाणु और विषाणु नाशक पानी होता है।
  • इम्युनिटी बढ़ाने के लिए तुलसी, गिलोय, काली मिर्च, अदरक, दालचीनी आदि से निर्मित काढ़े का प्रयोग करे।
  •  मैदा, आयोडीन नमक, पैकेज्ड दूध आदि के सेवन से बचे।
  • दिन में कम से कम एक मौसमी फल का सेवन करे।
  • भोजन से पूर्व हाथ, मुँह और पैर धोकर ही भोजन करे।
  • जूते पहन कर और खड़े होकर भोजन न करे।
  • भोजन के रूप में मिलेट या मोठे अनाज का ही प्रयोग करे।
  • कोरोना का लक्षण ( लक्षणे) मिलने पर विशेषज्ञों की मदद ले।
  • आवश्यकता पड़ने पर आयुर्वेदिक औषधियों को प्राथमिकता दे।
  • सुबह और शाम धूप का सेवन करे।
  • एक दिन में कम से कम 75 मिनट अवश्य परिश्रम करे।
  • मांस सेवन से बचे। शाकाहारी भोजन का ही प्रयोग करे।
  • घर में आने के बाद सर्वप्रथम हाथ मुँह और पैर धोकर ही बैठे।
  • गर्भवती महिलाओ और नवजात शिशुआओं का विशेष ध्यान रखे।
  • प्रसव के लिए सुरक्षित स्थान की सुनिश्चतता निर्धारित करे।

चिकित्सा जांच

आज की चिकित्सा पद्धति में लक्षणों से अधिक महत्व जांच को दिया जाता है। जिसे पैथालॉजी या यांत्रिक विधा का आलंबन लेकर ही पूरा करते है। आज के लोगो को प्रमाणिकता के रूप में इन उपायों को प्रश्रय दिया जाता है। चिकित्सा के अनुसार विचार करे तो पैथालॉजी भी एक प्रकार के लक्षणों की सुस्पष्टीकरण करने का ही कार्य करता है। जो रोगी अपनी मुँह से कह/ व्यक्त कर पाने में रोग प्रभाव के कारण असमर्थ होता है।

जो चिकित्सा को और पैनी बनाने का मार्ग प्रशस्त करती है। जब बात संक्रमण की हो तो और अधिक सावधानी पूर्वक लक्षणों का एकत्रीकरण किया जाना चाहिए। जिससे प्राप्त संक्रमण और अन्य रोगो में तुलनात्मक रूप से भेद किया जा सके। जो चिकित्सा के लिए और अधिक महत्वपूर्ण है। इस कारण वायरस आदि की जांच करना भी एक निर्णायक कदम हो सकता है।

कोविड 19 की चिकित्सा में प्रायः दो प्रकार की जांच कराई जाती है। जिसमे RT-PCR टेस्ट और एंटी बॉडी टेस्ट है। दोनों ही टेस्ट अब तक के प्राप्त आकड़ो के आधार पर प्रामाणिक रूप से शत प्रतिशत सफल नहीं है। जिसके आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि यह व्यक्ति निश्चित रूप से संक्रमित है या नहीं। यह केवल संदिग्ध व्यक्ति को संक्रमित व्यक्ति के और पास ले जाता है। न कि विषाणु प्रमाणन का कार्य करता है। यह बात हम सभी को समझना चाहिए।

RT-PCR ( रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलीमेराइज चैन रिएक्शन )टेस्ट

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यह एक प्रकार की रासायनिक क्रिया होती है। जिसके माध्यम से इस टेस्ट को किया जाता है। यह एक लम्बी आवधिक तक चलने वाली क्रिया है। जिसमे अधिक समय की आवश्यकता पड़ती। रसायन विज्ञान के आधार पर विचार आकर तो यह अत्यधिक जटिल प्रक्रिया है। यह एक प्रकार की नई विधि होने के कारण इसकी उपलब्धता कम है। जबकि जांच के लिए अधिक यंत्रादि की अपेक्षा है। जिसके सरकार अपनी स्तर पर इसके प्रसार की क्रिया को बढ़ा रही है। जिससे कम से कम समय में सही जांच प्राप्त कर अनुकूल कदम उठाया जा सके।

इसको करने के लिए संक्रमित व्यक्ति के नाक या मुँह में किसी सीक या स्टिक डालकर सैंपल लिया जाता है। जिसमे थूक या नाक से निकलने वाला कफ आदि होता है। जिसमे डीएनए स्वाभाविक रूप से होता है। जिसको ट्रांस्क्रिप्शन प्रॉसेस से आर एन ए में बदला जाता है। जिसको पुनः रासायनिक प्रक्रिया का आलंबन लेकर डीएनए में बदला जाता है। इस क्रिया के दौरान एक निश्चित आकृति की प्राप्ति होती है। जो पूर्व में अनेको विधा को आलंबन लेकर पहले से ही प्रयोग के आधार पर प्राप्त किया गया होता है। जिससे इस समय प्राप्त आकृति का मिलान किया जाता है।

यदि आकृति मिल जाती है तो व्यक्ति को पॉजिटिव बताया जाता है। यदि नहीं मिलती तो उसे निगेटिव बताया जाता है। जहा पोजिटिक का अर्थ संक्रमित है वही निगेटिक का मतलब संक्रमण रहित है। इस प्रकार संक्रमित व्यक्ति का पता लगाया जाता है। जो एक लम्बी प्रक्रिया है। जिसमे अधिक समय लगता है। जिससे रोगी को त्वरित चिकित्सा दे पाना कठिन होता है।

एंटी बॉडी टेस्ट

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मानव शरीर में एक डेन्डेन्ट्रिक सेल पाया जाता है। जो प्रतिरक्षा प्रणाली के अंतर्गत आता है। जो पहरेदार का काम करता है। जब शरीर में किसी भी आवांछित तत्व का प्रवेश होता है। तब यह उनसे लड़ने और लड़कर समाप्त करने में अनेक प्रकार की क्रियाए करता है। जैसे शरीर के ताप को बढ़ा देता है। जिसे हम बुखार समझते है। यह सब इसलिए होता है क्योकि यह शरीर में एंटीजन का निर्माण करता है। जो वायरस को मारने में सहायक है। जबइस समयके बुखारका उपचार करते है तो इसक्रिया में व्यवधान आनेके कारण संक्रमणका प्रभाव बढ़ जाता है।

किसी भी वायरस को समाप्त करने के लिए जब शरीर तेजी से एंटीबाडी का निर्माण कर रहा होता है। जिसका मतलब यह नहीं कि यह केवल कोरोना विषाणु को समाप्त करने के लिए ही ऐसा करता है। यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली के द्वारा शरीर को संतुलित करने हेतु कार्य है। जो स्वस्थ व्यक्ति में स्वाभाविक रूप से पायी जाती है। किसी भी विपरीत स्थिति में स्वस्थ शरीर में एंटीबाडी का निर्माण होता है। इसका मतलब यह नहीं की जब कोरोना होगा तभी इसका निर्माण होगा।

जबकि एंटी बॉडी टेस्ट का परिणाम कुछ ही घंटे में प्राप्त हो जाता है। जो आजकल कोरोना वायरस के जांच में अधिक प्रभावी साबित हो रही है। जिसका मुख्य कारण समय का कम लगना है। इस प्रक्रिया में परीक्षण के लिए खून का प्रयोग किया जाता है। जो एक किट के माध्यम से की जाती है। जिसमे रक्त की एक बूद डालने पर +ve और -ve की सूचना देता है। आजकल कोरोना का प्रकोप जोरो पर है। जिसके कारण द्रुत गति से एंटीबाडी के निर्माण को वायरस प्रभावी के रूप में देखा जाता है। जो वास्तविक न होकर उपलक्षण मात्र है।

कोरोनावायरस की दवा ( औषधि )

किसी भी व्हायरस की सबसे अच्छी दवा अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ रखना है। जिसके लिए आयुर्वेद में वर्णित विधि निषेध का पालन करना अनिवार्य है। जिनका निर्माण अनेको प्रकार की संहिताओं के आधार पर किया गया है। जिसमे लोभ, भय, कोरी भावुकता और अविवेक से उपरामता प्राप्त कर इनका निर्माण किया गया है। जिसके कारण यह हर देश में, हर काल में, हर परिस्थिति में हर व्यक्ति के लिए वरदानस्वरूप है। जिसमे खांसी आने पर खांसी का इलाज घरेलू, का उपयोग निर्भीकता पूर्वक किया जाता है।

आज यांत्रिक युग में कोरोना के भीषण संक्रमण से बचाने वाला कोई उपाय किसी के पास नहीं था। फिर भी आयुर्वेद के उपाय सभी के लिए वरदान के रूप में काम आये। जिसका आलंबन लेकर ही हम इस विकट परिस्थिति से अपने आप को सुरक्षित रखने में सफल रहे। आज दवा के रूप में अनेको प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियों का ही आलंबन लिया जा रहा है। जो आज विविध प्रकार के सीरप, कैप्सूल या टैबलेट रूप में बाजार आदि में उपलब्ध है। जबकि अनेको प्रकार अन्य दवाइयों का भी प्रयोग इसके उपचार में किया जा रहा है।

इस समय कोरोना वायरस की दवाई के रूप में टीकाकरण की बात कही जा रही है। जबकि आयुर्वेदादी शास्त्रों में इस प्रकार के किसी विधान की बात नहीं कही गयी है। यह एक प्रकार की नवीन कल्पना है। माना की यह उपाय सफल रहे। फिर भविष्य में जो संभावित वायरस होगा उसके लिए भी एक नया टीका का निर्माण किया जाएगा। जिसमे देश का कितना पैसा खर्च होगा? एक बच्चे को कितने टीके लगाए जायेंगे। क्या हम जीवन भर टीका ही लगवाते रहेंगे? इस प्रकार के अनेको प्रश्नो से हमारा ह्रदय और मस्तिष्क भरा होगा।

कोरोना वायरस कब खत्म होगा

वायरस की प्रकृति होती है की कुछ समय में बाद यह एक रूप से दुसरे रूप में परिवर्तित होता रहता है। जिसे हम आंग्ल भाषा में म्यूटेट करना कहते है। इस आधार पर विचार करने पर तो जब से सृष्टि बनी है। तब से लेकर अबतक न जाने कितने प्रकार के वायरसों से हमारा पाला पड़ा होगा। यहाँ हमारा का अर्थ हमारे पूर्वजो से है। पूर्वजो के अस्तित्व के कारण ही आज हमारा अस्तित्व है। यह बात विज्ञान को भी स्वीकार है।

वायरस का अंत नहीं है। सृष्टि के रहने तक इसकी प्राप्ति है। इस कारण वायरस के संक्रमण का पूर्णतः समाप्त होना सम्भव नहीं। इसमें किसी प्रकार का संशय किसी को नहीं होना चाहिए। अलग अलग काल खंड में इसकी तीव्रता के आधार पर इसके संक्रमण की दर भिन्न या समान हो सकती है। जिसके कारण इसके नाम में भी भिन्नता देखी जा सकती है। जो वायरस जिस अंग या गतिविधि को प्रदर्शित करेगा। उसी आधार पर इसका नामकरण किया जाएगा।

कौन सा वायरस कितने समय तक प्रभावी होगा? इसका आकलन नहीं किया जा सकता। केवल इसके प्रभावों के आकड़ो के आधार पर ही इसको देखा और समझा जा सकता है। इसलिए यह आकलन नहीं किया जा सकता कि कोरोना कब ख़त्म होगा। कब हमें इससे छुटकारा मिलेगा? तो कोरोना से तो छुटकारा मिल सकता है परन्तु वायरस या विषाणु से नहीं। इससे बचने के जितने भी उपाय है। उनका आलंबन लेकर ही हम इस प्रकार की समस्या से बच सकते है।

कोरोना / कोविड 19 / कोरोना वायरस से बचने का उपाय

कोरोना के प्रकोप से बचने के लिए सरकार, वैज्ञानिक और चिकित्सासिद्ध ( डॉक्टर ) सभी अपने अपने स्तर पर कार्यरत है। पूरी दुनिया इससे उबरने के लिए भरसक प्रयास कर रही है। जिसके पास जो उपाय है। उनका आलंबन लेकर अपने अपने स्तर पर सभी  इस समस्या का हल निकालने में जुटे है। जिसमे सभी प्रकार की चिकित्सा पद्धतियों के विशेषज्ञों से भी संपर्क साधा जा रहा है। आधुनिक जीवन की स्वस्थ दिनचर्या का निर्धारण आयुर्वेदीय पद्धति के, अनुसार करने पर सभी रोगो में वरदान है।

यह संक्रमण किसी व्यक्ति विशेष पर प्रभाव डालने वाला नहीं बल्कि सभी पर एक सामान रूप से प्रभाव दिखाता है। जिसके कारण बच्चे, बूढ़े और युवा सभी पर इसकी विधि संहिता समान रूप से लागू होती है। विधि के अनुपालन में आपकी इच्छा या आस्था के अनुसार शिथिलता दिखाई जा सकती है। परन्तु निषेध का विधिवत पालन करने के लिए हम बाध्य है। इसमें प्रमाद या गलती करने पर हमें संक्रमित होने से कोई बचाने वाला नहीं।

आधुनिक तकनीकों की बात करे तो कोरोना वायरस के उपचार में corona vaccine की बात की जा रही है। जिसको कोविड का सबसे असरदार उपचार भी कहा जा रहा है। जो भारत समेत दुनिया के अन्य देशो में भी कार्यकर रहा है। इसप्रकार के वायरस के उपचार में इसको प्रभावी भी बताया जा रहा है। परन्तु यह उपाय केवल कोरोना तक ही सीमित है। जबकि वायरस के म्यूटेट होते ही इसका दूसरा प्रभाव प्रकाश में आएगा। जो इससे भी अधिक विप्लवकारी होने की पूर्ण संभावना है। उससे निपटने का क्या उपाय होगा? इस पर भी विचार करना आवश्यक है।

आयुर्वेद में कोरोना वायरस (संक्रमण) से बचने का उपाय

किसी भी विषाणुजनित संक्रांम से बचने के लिए आयुर्वेद में भी उपायों की बात कही गयी है। जिसमे प्रतिरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ बनाने पर सर्वाधिक बल दिया गया है। जिसमे भोजन को उगाने ( पैदा करने ), पकाने और खाने को लेकर अनेको प्रकार की विधि निषेध की चर्चा के गयी है। जिनका अनुशरण नियमित तौर पर करने को कहा गया है। जो आज के समय में भी उतना ही प्रभावी और उपयोगी है। जितना की आज से हजारो वर्षो पूर्व।

इन उपायों पर जितना अधिक प्रयोग किया गया होगा। उतना आज के किसी उपाय पर विचार भी किया गया हो कह पाना कठिन है। जितने अधिक व्यक्ति और विशेषज्ञों पर इसका प्रयोग किया गया होगा। उतना आज के उद्भूत उपायों पर किया गया होगा या नहीं। यह तो हमारी सोच से भी परे है। इन्ही युक्तियों के बल पर हम भारतीयो के ह्रदय और मस्तिष्क में आयुर्वेद के प्रति कृतज्ञता स्वाभाविक रूप से प्राप्त है। सोंठ कोरोना से बचने का अमोघ उपाय है। जिसको सोंठ के फायदे और नुकसान के रूप में जाना जाता है।

जाने अनजाने में हम इन उपायों का आलंबन अपने जीवन में लेते ही है। आज घरेलू उपचार के नाम पर जितने भी उपाय प्रयोग में लाये जाते है। वह सभी आयुर्वेद के द्वारा प्राप्त उपाय ही है। जिनका आलंबन हम सभी ने अपने जीवन में लिया है। इस कारन आयुर्वेद से अधिक प्रभावी और सुरक्षित चिकित्सा अन्य कोई हो ही नहीं सकती। coronavirus से बचाव में जितने भी नियम बनाये गए। वह सभी उपाय आयुर्वेद में पहले से ही बताये गए है। आयुर्वेद के अनुसार वायरस कायिक रोगो के जन्म देता है। जिसका शमन करने के लिए आहार – विहार और दिनचर्या पालन पर विशेष बल दिया गया है। 

प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर कोरोना वायरस से बचने का उपाय

प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ने के लिए मुख्य रूप से तीन विटामिन की आवश्यकता होती है। विटामिन बी, विटामिन सी और विटामिन डी। यह विटामिन प्रकृति में सहज रूप से विद्यमान है। यह बात अलग है की हमें उनका ज्ञान नहीं। इन तीनो ही विटामिन का अनुकूल अनुपात हमारे शरीर में सभी प्रकार की इम्युनिटी को देने वाला है।

विटामिन बी मानव शरीर में मुख्य रूप से गुदा या आंतो के जीवाणुओ के फलस्वरूप प्राप्त होता है। इन जीवाणुआओ को हम आंग्ल भाषा में गट वैक्टीरिया के नाम से जानते है। जिसको भोजनविसंगति का नाशकर ही प्राप्त किया जा सकता है। जिसमे जंक फ़ूड, अत्यधिक तला भुना, मैदा, रासायनिक उत्पादों के स्थान पर मोठे अन्न और जैविक उत्पाद से निर्मित भोजन को प्रश्रय दिया जाता है। जिससे इन विषाणुओ को पनपने का वातावरण और भोजन आसानी से सुलभ हो सके। जिसके समन्वय से हमें विटामिन बी की निबद्धता प्राप्त हो सके।

विटामिन डी को प्राप्त करने का सबसे सुगम उपाय सूर्य है। जिसके लिए सुबह और शाम को कम से कम 15 मिंट तक धूप का सेवन करना चाहिए। इसको प्राप्त करने के अन्य स्रोतों की बात करे तो घी, तेल, दाल और अन्य खाद्यान्नों से भी इसको प्राप्त किया जा सकता है।

रहगयी बात विटामिन सी की तो इसको प्राप्त करनेके लिए किसीभी मौसमीफल का सेवनकर इसको प्राप्तकिया जा सकता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ रखने का सबसे आसान, सरल और सबसे कम खर्च करके प्राप्त किया जा सकता है। जो अन्यत्र प्राप्त कर पाना कठिन है।

कोरोनावाइरस बीमारी में नींद

किसी भी बीमारी में नींद भी सामान्य रूप से प्रभावित होती है। जब बात कोरोना वायरस की हो तो नींद का असामान्य होना स्वाभाविक है। यह अलग अलग व्यक्ति में कम या ज्यादा भी देखने को मिलता है। वायरस संक्रमण की तीव्रता के आधार पर ही इसका निर्धारण किया जा सकता है। व्हायरस कितना प्रभावित होगा यह व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली पर निर्भर है।

किसी किसी व्यक्ति में वायरस से प्रभावित होने पर नींद अधिक आती है। जिसको चिकित्सा में एक प्रकार का लक्षण के रूप में देखा जाता है। जिसका उपयोग रोग विशेषज्ञों द्वारा रोग निवारण में किया जाता है। जबकि किसी भी रोग के शमन की प्रक्रिया में नींद सामान्य से अधिक आती है। जो चिकित्सा में सकारात्मक परिणाम के रूप में देखा जाता है। इन्ही कारणों से coronavirus ke bare mein bataiye की बात कही जाती है।

19 thoughts on “कोरोना वायरस के बारे में बताइए : Coronavirus Ke Bare Mein Bataiye”

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