बवासीर में अदरक खाना चाहिए या नहीं

आयुर्वेद में अदरक पाचकाग्नि को बढ़ाने, वात एवं कफजनित रोगो की अचूक दवा मानी गई है। लेकिन स्वाद में बहुत ही कटु और जलनकारी स्वभाव वाली होती है। वही गुदा में निकलने वाले मस्सों में जलन होना भी बवासीर के लक्षण माने गए है। जिसके कारण लोगो को बवासीर में अदरक खाना चाहिए या नहीं का भ्रम होना स्वाभाविक है।

बवासीर में अदरक खाना चाहिए या नहीं

अदरक में पाइल्स के लक्षण से मिलते जुलते गुण पाए जाते है। जिसके कारण अदरक का सेवन करने और बवासीर के उग्र होने में एकरूपता पायी जाती है। जिसको चिकित्सा विज्ञान ने औषधि या दवा की संज्ञा दी है। जिसे लक्षण साम्य से वस्तु साम्य का सिद्धांत कहते है। इसलिए अदरक बवासीर के लिए एक अच्छा घरेलू उपचार माना गया है। परन्तु इन सिद्धांतो को न जानने वाले पाइल्स में अदरक खाना चाहिए या नहीं का प्रश्न कर ही देते है। 

बवासीर को जड़ से खत्म करने के उपाय में, आहारचर्या आदि की विसंगति को दूर करने की बात बात बताई गई है। जिसमे बवासीर में क्या खाना चाहिए क्या नहीं की बात को गंभीरता पूर्वक लिया गया है। क्योकि हमारे द्वारा ग्रहण किये गए भोजन का सर्वाधिक प्रभाव हमारे शरीर पर होता है। फिर वह चाहे बवासीर रोग हो या कोई अन्य रोग।  

अदरक के गुण

आयुर्वेदानुसार अदरक का उपयोग मसालों और औषधि दोनों ही रूप में किये जाने का विधान है। जिसके कारण अदरक हमारे भोजन का स्वाद बढ़ाने के साथ, रोगो का उपचार करने में भी दक्ष है। अदरक को ही उबाल और सुखाकर, सोंठ बनाया जाता है। जो मूलतः अदरक के ही गुण है। जैसे –

मल का भेदन करने वाली, पाक में गुरु, तीक्ष्ण, उष्णवीर्य, अग्निदीपक, कटुरसयुक्त, विपाक में मधुर रसयुक्त, रुक्ष, वात और कफ को नष्ट करने वाली होती है। इसलिए बवासीर में अदरक के फायदे बहुत से है।

सोंठ के गुण

रुचिकारक, आमवातनाशक, पाचक, कटुरसयुक्त, लघुपाकी, स्निग्ध, उष्णवीर्य, विपाक में मधुर रसयुक्त, कफ, वात और विबंध ( कब्ज ) को दूर करने वाली, वृष्य, स्वर के लिए हितकारी, वमन, श्वास, शूल, खांसी, ह्रदय रोग, श्लीपद, शोथ, बवासीर, आनाह और उदर की वायु को दूर करने वाला होता है। इसके साथ यह ग्राही होता है अर्थात मल के जलीय भाग को सुखाकर गाढ़ा करने वाला होता है। जिसके कारण बवासीर में सोंठ के फायदे बहुत ही गुणकारी है।

अदरक का सेवन बवासीर में सही या गलत 

अदरक का सेवन बवासीर में सही या गलत 

आयुर्वेद में बवासीर के उपचार के दौरान खाद्य सामाग्री के सेवन की तीन विशेषता बताई गई है –

  1. मलबन्ध ( कब्जियत ) को दूर करने वाली हो
  2. अपानवायु को अनुकूल करे
  3. पाचक अग्नि को बढाए 

अब अदरक के गुणों के आधार पर विचार करे तो 

  1. अदरक मल का भेदन करने वाली होने के कारण, विबंध अर्थात मल को बांधने वाली नहीं है।
  2. ग्राही और उदर वायु को दूर करने वाली होने के कारण, अपानवायु को अनुकूल करती है।
  3. अग्नि प्रदीपक होने से पाचकाग्नि को बढ़ाती है। 

इस प्रकार अदरक में वो सभी गुण पाए जाते है। जो बवासीर को दूर करने के लिए आवश्यक है। फिर चाहे वह बादी बवासीर हो या खूनी बवासीर। इसलिए बादी बवासीर में क्या खाना चाहिए और खूनी बवासीर में क्या खाना चाहिए पर विचार किये बिना, बवासीर में अदरक का सेवन करना चाहिए।  

अदरक का उपयोग बवासीर में कैसे करें 

अदरक का उपयोग बवासीर में कैसे करें 

आयुर्वेदादी शास्त्रों में औषधि की शक्ति को बढ़ाने के लिए, अनुपान का सिद्धांत प्रतिपादित है। जिससे सामाग्री के गुणों में वृद्धि होती है। इसके साथ रोगी को अनुकूल स्वाद के साथ, दवा को लेने में भी आसानी होती है। जो अदरक पर भी लागू होती है।

  • भोजन करने के प्रथम सर्वदा सेंधा नमक के साथ अदरक खाना हितकारी होता है। यह अग्नि को दीप्त करने वाला, रुचिकारक, जिह्वा (जीभ) और कंठ का शोधन करने वाला होता है। 
  • अदरक को चटनी बनाकर खाने से बवासीर के लक्षणों में कमी हो सकती है। अदरक में मौजूद एंटी-इन्फ्लामेटरी गुण बवासीर के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
  • अदरक का तेल बवासीर के मस्सों पर लगाने से रूखेपन से छुटकारा मिलता है। 
  • अदरक का रस पीने से लाभ मिलता है। इसे पीने से बवासीर के लक्षणों में कमी होती है और आपको बवासीर में होने वाले दर्द में राहत मिलती है। अदरक में एंटी-इन्फ्लामेटरी गुण होते हैं। जो बवासीर के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। अदरक के एंटी – आक्सीडेंट गुण शरीर में बनने वाले फ्री रेडिकल्स को ख़त्म करते है।
  • अदरक का रस बवासीर के लिए एक अच्छा घरेलू उपाय है। आप अदरक का रस निकालकर एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर पी सकते हैं। इसे दिन में दो बार पिया जा सकता है।

मस्से वाली बवासीर को जड़ से खत्म करने के उपाय के रूप में अदरक और सोंठ बहुत ही उपयोगी है। अदरक मल का भेदन करने में प्रवीण है। इसलिए वात दोष के कारण होने वाली बवासीर की उत्तम दवा है। जिसमे बवासीर के मस्सों में चुभन और शूल का दर्द अधिक रहता है। इसके साथ पेट में अथधिक गैस भरी होती है। जिससे कई दिनों तक मलत्याग का वेग ही नहीं आता। 

जबकि सोंठ कफ दोष के कारण होने वाली बवासीर की उत्तम औषधि है। इसके मस्से आकार में बहुत बड़े, सफेदी लिए हुए, चिकने और मोठे होते है। जिसमे प्रायः दर्द नहीं होता। इस बवासीर का मल बहुत ही पतला होता है। जिसमे सोंठ ग्राही होने के कारण अच्छा काम करती है। 

उपसंहार :

वात और कफ दोष के वारण में अदरक और सोंठ बहुत ही उपयोगी उपाय है। इस आधार पर बवासीर में अदरक का उपयोग करना एक सुरक्षित और प्रभावी उपाय है। अदरक मल का भेदन और ग्राही दोनों गुणों से युक्त होती है। जिससे यह वात और कफ दोनों प्रकार के दोषो को दूर करती है। जिसके कारण अदरक सभी प्रकार के बवासीर में लाभ करती है। जबकि रोग से बचाव के लिए भोजन के पूर्व सेंधानमक और अदरक के सेवन से भूख बढ़ती है। जिह्वा और कंठ की शुद्धि होकर अन्न में रूचि बढ़ती है। जो बवासीर के लिए रामबाण है। 

बवासीर बहुत ही तकलीफदेह बीमारी है। जिसमे जीवशैली में बदलाव किये बिना, स्थायी रूप से छुटकारा नहीं मिल सकता। आजकल खानपान की अशास्त्रीय विविधता के कारण, खानपान की गड़बड़ी दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। जिससे आशंकित व्यक्ति के मन में बवासीर में अदरक खाना चाहिए या नहीं का विचार आ ही जाता है।

ध्यान रहे: कुष्ठ, मूत्रकृच्छ, पांडुरोग, रक्तपित्त, ज्वर, दाह रोगो में एवं ग्रीष्म तथा शरद ऋतुओ में अदरक खाना हितकारी नहीं है। 

सन्दर्भ : 

चरक संहिता चिकित्सा अध्याय – 14

भाव प्रकाश हरीतक्यादिवर्ग – 05

अष्टांग संग्रह चिकित्सा अध्याय – 10 

अष्टांग ह्रदय चिकित्सा अध्याय – 08

भैषज्यरत्नावली चिकित्सा अध्याय – 09

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