ब्रेन ट्यूमर ( मस्तिष्कार्बुद ) : brain tumer in hindi

ब्रेन ट्यूमर हमारे मस्तिष्क के ऊतकों की कोशिकाओं में, होने वाली असामान्य वृद्धि या गाँठ अथवा गिल्टी है। जो तब होती है, जब मस्तिष्कीय कोशिकाए अनियंत्रित हो जाती है। यह मस्तिष्क को चारो ओर से घेरने वाली, कठोर खोपड़ी के अंदर विकसित होती है। जिसकी पहचान ब्रेन ट्यूमर के लक्षण से होती है। ब्रेन ट्यूमर के लक्षणों सिर दर्द प्रायः देखने को मिलता है। ब्रेन ट्यूमर के इलाज का खर्च भी अमूमन अधिक होता है। जिसके लिए कुछ लोग ब्रेन ट्यूमर का होम्योपैथिक इलाज, और ब्रेन ट्यूमर का आयुर्वेदिक उपचार अपनाते है। 

ब्रेन ट्यूमर के लक्षण

ब्रैन ट्यूमर (brain tumer), जिसे इंट्राकैनायल ट्यूमर के रूप में देखा जाता है। जिसमे ऊतक का एक असामान्य द्रव्यमान होता है। जिसमे कोशिकाए बढ़ती है और अनियंत्रित रूप से गुणा होती है। यह सामान्य कोशिकाओं को नियंत्रित करने वाले तंत्र द्वारा अनियंत्रित सी लगती है। जिससे कई अलग – अलग प्रकार के ब्रेन ट्यूमर होते है। जिनमे कुछ कैंसर रहित ( सौम्य ) और कुछ कैंसरयुक्त ( घातक ) है। जैसे – माइग्रेन पुराना होने पर सिर में तीव्र दर्द पैदा करता है। 

मनुष्यो को होने वाली बीमारियों में, ब्रेन ट्यूमर सबसे अधिक कष्ट देने वाली बीमारी है। जिसमे बहुत अधिक सिरदर्द होता है, चक्कर आता है, शारीरिक और मानसिक संतुलन साधने में दिक्कत होती है, व्यक्तित्व में परिवर्तन जैसी तमाम समस्याए होती है। इसके कारण यह अप्रत्याशित रोग माना जाता है। जिसके बारे में पहले से कुछ नहीं कहा जा सकता। ब्रेन ट्यूमर कितना अधिक खतरनाक है, यह इसके होने वाले स्थान और आकार पर निर्भर है। इसलिए समय पर इलाज न करने पर ब्रेन ट्यूमर जानलेवा हो सकता है। फिर चाहे वह बिनाइन ( कैंसरमुक्त ) हो या मेलिग्नेंट ( कैंसरयुक्त )।     

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ब्रेन ट्यूमर क्या होता है (brain tumor kya hota hai)

मानव शरीर रचना विज्ञान के अनुसार, हमारा मस्तिष्क चार भागो में विभक्त है। फ्रंटल ( मस्तिष्क के सामने का हिस्सा ), टेम्पोरल ( मस्तिष्क के बाई ओर का हिस्सा ), पैरेंट्रल ( मस्तिष्क के दाहिनी ओर का हिस्सा ) और ऑक्सिपिटल ( मस्तिष्क के पीछे का हिस्सा )। जिसके अपने अलग – अलग कार्य है। जैसे – मस्तिष्क के आगे का भाग सोचने आदि का कार्य करता है। मस्तिष्क के बाई ओर का भाग देखने, सुनने और भाषा इत्यादि को समझने का कार्य करता है। मस्तिष्क के दाई ओर का हिस्सा स्पर्श, दर्द आदि का एहसास करता है। और मस्तिष्क के पीछे का भाग पहचानने, स्मरण आदि का कार्य करता है।

जब किसी कारणवस मस्तिष्क के इन चार भागो में, किसी एक या अधिक भागो में मांस की गाँठ बनने लगती है। जिसको आमतौर पर अर्बुद या ट्यूमर कहा जाता है। जो शरीर में कही भी बन सकती है। यह मुलायम और कड़ी दोनों प्रकार की हो सकती है। जब इस प्रकार की गाँठ ब्रेन में बनती है, तो उसे ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है। जिसके कारण होने वाले सिर दर्द को, ब्रेन ट्यूमर का सिर दर्द (brain tumor headache) कहते है।

जिसको समझने के लिए ब्रेन ट्यूमर क्या है (what is brain tumor) और ब्रेन ट्यूमर क्यों होता है (brain tumor kyu hota hai) को जानना चाहिए। क्योकि सभी प्रकार के ट्यूमर समय के साथ बढ़ते है। जिससे मस्तिष्क के आंतरिक भागो की नलिकाओं में दबाव पड़ता है। जिनसे मस्तिष्क की कार्यप्रणालियों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसलिए ट्यूमर मस्तिष्क के किसी भी हिस्से में हो, रोगी को परेशान करने की पूरी क्षमता रखता है। ब्रेन ट्यूमर प्रायः खोपड़ी के अंदर पाया जाता है। जिससे इसके फैलने की संभावना कम होती है।  

ब्रेन ट्यूमर कैसे होता है (brain tumour kaise hota hai)

ब्रेन ट्यूमर कैसे होता है

आयुर्वेदादी शास्त्रों में हड्डी के अंदर होने वाली गाँठ को विद्रधि की संज्ञा दी गई है। जिसके कारण मस्तिष्क में होने वाली गाँठ एक प्रकार की विद्रधि ही है। इस कारण मस्तिष्क की गाँठ (brain tumor) को मस्तिष्कार्बुद भी कहते है। इसको ब्रेन ट्यूमर हिंदी (brain tumor hindi) भी कहते है। अमूमन आजकल किसी भी गाठ को कैंसर का पर्याय माना जाता है। जिसके कारण ब्रेन ट्यूमर को कैंसरस और नॉन – कैंसरस माना गया है।
जिसमे बिनाइन को नॉन – कैंसरस और मैलिग्नेंट को कैंसरस कहा गया है। इनमे से कुछ प्राथमिक ब्रेन ट्यूमर है, जो मस्तिष्क में ही शुरू होते है। जबकि अन्य सेकेंडरी ( मेटास्टेटिक ) ब्रेन ट्यूमर है, जो शरीर के किसी भी हिस्से में शुरू होकर मस्तिष्क में फैलते है। यह ब्रेन ट्यूमर मीनिंग इन हिंदी (brain tumor meaning) कहलाती है। जिसका मतलब मस्तिष्क में बनने वाली गाँठ है। 
मिथ्या आहार – विहार से वात, पित्त और कफ दोष असंतुलित होते है। जिनको आयुर्वेद में रोग का मुख्य हेतु स्वीकारा गया है। जिसमे बढे हुए दोष को कुपित दोष के रूप में देखा जाता है। जब यह क्रिया मस्तिष्कगत हो जाती है। तब धीरे – धीरे वेदनायुक्त छोटी अथवा बड़ा गाँठ बनने लगती है। जिसे ब्रेन ट्यूमर कहते है। जिसे ब्रेन ट्यूमर हिंदी मीनिंग भी कहते है।
आधुनिक विज्ञानानुसार दिमाग में 1 ख़राब के, लगभग कोशिकाए पायी जाती है। जिनकी सहायता से मस्तिष्क काम करता है। जिसके अनियंत्रित होते ही मस्तिष्कीय कोशिकाए नष्ट होने लगती है। परिणाम स्वरूप मस्तिष्क में कैंसर के रूप में फैलने लगता है। जो ब्रेन ट्यूमर आदि कहलाता है।    

ब्रेन ट्यूमर होने के कारण (causes of brain tumor)

जैसा कि हम ऊपर जान चुके है, की ब्रेन ट्यूमर के दो प्रकार है।

मस्तिष्क में शुरू होने वाले ब्रेन ट्यूमर

प्राथमिक ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क में या उसके आस – पास उत्पन्न होते है। जैसे कपाल नसों, पीनियल  या पिट्यूटरी ग्रंथि, मस्तिष्क को ढकने वाली झिल्लियों आदि में। 

प्राथमिक ब्रेन ट्यूमर तब शुरू होता है, जब सामान्य कोशिकाए अपने डी एन ए में परिवर्तन ( म्यूटेशन ) करती है। जिसमे एक कोशिका के डी एन ए में निर्देश होता है। जो दूसरे कोशिका को बताते है कि करना क्या है ? इसमें परिवर्तित कोशिकाओं को बढ़ने, तेजी से विभाजित होने और स्वस्थ कोशिकाओं के मरने पर भी जीवित रहने के लिए कहता है। जिसके परिणाम के रूप में असामान्य कोशिकाओं का एक द्रव्यमान बनता है। जो ट्यूमर कहलाता है। 

वयस्कों में प्राथमिक ब्रेन ट्यूमर सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर की तुलना में बहुत कम होता है। जिसमे कैंसर कही और शुरू होकर मस्तिष्क में फैलता है। यही प्राथमिक ब्रेन ट्यूमर के कारण (cause of brain tumor) है। जो कई अलग – अलग प्रकार के है। जैसे – ग्लियोमास, मेनिंगियोमास, एकॉस्टिक न्यूरोमास, मेडुलोब्लास्टोमा आदि। 

कैंसर जो कही भी शुरू होकर मस्तिष्क में फैलता है

सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर वो ट्यूमर होते है। जो कैंसर से उत्पन्न होकर शरीर में कही और शुरू होते है। और मस्तिष्क में फैलते है। सेकेंडरी ( मेटास्टेटिक ) ब्रेन ट्यूमर कहलाते है।

सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर प्रायः उन लोगो में होते है। जिनमे कैंसर का इतिहास हो अर्थात कैंसर से प्रभावित हो चुके हो। वयस्कों को सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर की तुलना में अधिक होता है। जिसमे कोई भी कैंसर मस्तिष्क में फैल सकता है। इसमें शामिल है –

  • गुर्दे का कैंसर 
  • पेट का कैंसर
  • फेफड़े का कैंसर
  • स्तन कैंसर आदि।  

ब्रैन ट्यूमर के लक्षण (brain tumor ke lakshan)

ब्रेन ट्यूमर के लक्षण अलग – अलग लोगो में भिन्न होते है। जिनको हिंदी में ब्रेन ट्यूमर के लक्षण इन हिंदी (brain tumor symptoms in hindi) कहते है। जो ब्रेन ट्यूमर के आकार, स्थान और उसके विकास करने की दर पर निर्भर करते है। जो ब्रेन ट्यूमर के लक्षण और इलाज के अनुपूरक है। ब्रेन ट्यूमर के लक्षण हिंदी में और मराठी ब्रेन ट्यूमर ची लक्षणे पूछे जाते है। वही ब्रेन ट्यूमर के कारण होने वाली समस्याओ में निम्न लक्षण हो सकते है – 

  • अनेको प्रकार के सिरदर्द जो धीरे – धीरे अधिक गंभीर हो जाते है 
  • तीव्र, लगातार और अधिक समय तक बना रहने वाला सिर दर्द
  • मतली और उल्टी
  • दृष्टिगत समस्याए जैसे धुंधली, दोहरी और कमजोर दृष्टि 
  • एक हाथ और पैर का सुन्न पड़ना
  • बोलने में कठिनाई होना
  • शारीरिक संतुलन बनाये रखने में कठिनाई होना
  • व्यक्तित्व और व्यवहार में बदलाव आना 
  • सुनने में कठिनाई होना
  • बेहोशी होना
  • शरीर में अकड़न होना
  • थकान महसूस होना
  • निर्णय लेने में कठिनाई

बच्चों में ब्रेन ट्यूमर के लक्षण

बच्चो में होने वाले ब्रेन ट्यूमर सिम्पटम्स (brain tumor symptoms) वयस्कों से भिन्न है। जिसको हिंदी में ब्रेन ट्यूमर के लक्षण हिंदी (brain tumor ke lakshan in hindi) कहते है। जिसमे मेडुलोब्लास्टोमा सबसे आम है। यह बच्चो में होने वाला सबसे आम ट्यूमर है। जो किसी भी आयु में हो सकता है। यह मस्तिष्क के निचले भाग में शुरू होकर, रीढ़ की हड्डी के तरल पदार्थ से फैलता है। जिसमे ब्रेन ट्यूमर से सिरदर्द का लक्षण (brain tumor symptoms headache) पाया जाता है।  

ब्रेन ट्यूमर के प्रकार (brain tumor types)

ब्रेन ट्यूमर को लेकर अक्सर एक बात पूछी जाती है। वह यह कि ब्रेन ट्यूमर कितने प्रकार के होते हैं ? ब्रेन ट्यूमर मुख्यतः दो प्रकार के होते है –

  1. बिना कैंसर वाले ब्रेन ट्यूमर : इस तरह का ट्यूमर धीरे – धीरे बढ़ता है। एक बार उपचारित होने के बाद, इसके दुबारा होने की संभावना कम होती है। 
  2. कैंसर वाले ब्रेन ट्यूमर : आरम्भ में यह मस्तिष्क में प्राथनिक ट्यूमर के रूप होता है। जो बढ़ता हुआ मस्तिष्क के अन्य भागो में ( सेकेंडरी ट्यूमर ) के रूप में फ़ैल जाता है। जिसके कारण इसके बार – बार होने की संभावना होती है। वही आधुनिक शोधो के आधार पर इसके अनेक प्रकार है –   
  • एकाउस्टिक न्यूरोमा 
  • एस्ट्रोसाईटोमा
  • ब्रेन मेटास्टेट
  • क्लोराइड प्लेक्सस कार्सिनोमा
  • कार्नियो फेरिनगियोमा
  • भ्रूण ट्यूमर
  • एपेंडीमोमा
  • ग्लयोब्लास्टोमा
  • ग्लिओमा
  • मेडुलोब्लास्टोमा
  • मिनिंगियोमा
  • ओलिगोडेंड्रोग्लियोमा
  • बाल ब्रेन ट्युमर
  • पाईनोब्लास्टोमा 
  • पिट्यूटरी ट्युमर 

ब्रेन ट्यूमर की जांच (brain tumor diagnosis)

ब्रेन ट्यूमर की जांच

चिकित्सीय परामर्श के दौरान मिलने वाले लक्षण, यदि ब्रेन ट्यूमर की ओर इशारा करते है। तब चिकित्सा विशेषज्ञ आपके शरीर की गहनता से जांच करेंगे। जिसमे आपका पारिवारिक इतिहास आदि है। जिनको ब्रेन ट्यूमर निदान में उपयोगी माना जाता है। तदुपरांत लक्षणों की पुष्टि के लिए निम्न परीक्षण करा सकते है –  

न्यूरोलॉजिकल जांच (neurological test) : यह नसों से सम्बंधित जांच होती है। जिसमे आपके आँखों की देखने की क्षमता, कान की सुनने की क्षमता, मांसपेशियों की ताकत, सतर्कता क्षमता, अंग समन्वय आदि की जांच की जाती है।  

एमआरआई (MRI) : यह विकिरण सिद्धांतो पर आधारित यन्त्र है। जिसके माध्यम से आपके आंतरिक मस्तिष्क का साफ़ – सुथरा चित्र लिया जाता है। इसके चित्र में मस्तिष्क के असामान्य क्षेत्रो में होने वाले ट्यूमर इत्यादि को दिखाते है। 

सिटी स्कैन (CT SCAN)

सिटी स्कैन (CT SCAN) : इसके माध्यम से आपके मस्तिष्क के, अंदरूनी हिस्सों के अलग – अलग कोणों से कई चित्र लिए जाते है। जिससे मस्तिष्क में होने वाले ट्यूमर आदि का पता लगाने में सहायता मिलती है। 

एंजियोग्राफी (angiography) : एंजियोग्राफी में रक्त वाहिकाओं में इंजेक्शन के द्वारा, डाई के माध्यम से मस्तिष्क का एक्स रे किया जाता है। जिससे मस्तिष्क में होने वाला ट्यूमर एक्स रे में दिखाई पड़ता है। 

बायोप्सी टेस्ट (biopsy test) : बायोप्सी के द्वारा कैंसर या उसके ऊतकों में होने वाले परिवर्तन को देखा जाता है। जो आगे चलकर कैंसर का कारण बनते है। किसी भी प्रकार के कैंसर की पुष्टि के लिए, आधुनिक मत में बायोप्सी ही एकमात्र पुख्ता उपाय माना जाता है। 

ब्रेन ट्यूमर के जोखिम (risk factors of brain tumor)

प्राथमिक ब्रेन ट्यूमर वाले अधिकांश लोगो में, ट्यूमर का स्पष्ट कारण नहीं पता चलता। फिर भी विशेषज्ञों ने कुछ ऐसे कारको की पहचान की है। जो ब्रेन ट्यूमर के खतरे को बढ़ा सकते है –

विकिरण के संपर्क में आने से : जो लोग विकिरण ( आयनकारी ) के संपर्क में आते है। उनमे ब्रेन ट्यूमर होने का खतरा अधिक होता है। जैसे – कैंसर उपचार के लिए प्रयुक्त होने वाली विकिरण चिकित्सा, परमाणु बमो के कारण होने वाले विकिरण आदि।   

ब्रेन ट्यूमर का पारिवारिक इतिहास : ब्रेन ट्यूमर का एक छोटा सा हिस्सा ब्रेन ट्यूमर का, पारिवारिक इतिहास रखने वाले लोगो में पाया जाता है। यह आनुवांशिक इतिहास का पारिवारिक सिंड्रोम होता है। जो ब्रेन ट्यूमर के जोखिम को बढ़ाता है। 

ब्रेन ट्यूमर से बचने के उपाय (how to prevent brain tumor)

किसी भी रोग की पहचान, उसके लक्षणों से होती है। जो दार्शनिक और व्यवहारिक जगत के साथ – साथ, वैज्ञानिक ( चिकित्सीय ) जगत में भी देखने को मिलती है। इसके लिए ब्रेन ट्यूमर के क्या लक्षण है को जानना आवश्यक है। जबकि शास्त्रीय जीवनचर्या समस्त व्याधियों से बचाने में सहायक है। जिसके विविध सोपान इस प्रकार है –

  • कृत्रिम रसायनो के सीधे संपर्क में आने से बचे। फिर चाहे वह गैस के रूप में हो या द्रव के रूप में हो। जैसे – खेतो में पेस्टीसाइड, इन्सेक्टीसाइड आदि का छिड़काव करते समय, कारखानों फैक्ट्रियों आदि में कार्य के दौरान। 
  • आधुनिक खाद के स्थान पर गोबर – गोमूत्र से उत्पादित भोज्य पदार्थो का सेवन करे। जिनकी प्रसिद्धी आजकल जैविक खाद्य पदार्थो के रूप में है। 
  • वसा के रूप में प्राकृतिक और शास्त्रीय विधि से निर्मित घी और तेल का ही उपयोग करे। न कि बाजारों में मिलने वाले रिफाइंड तेल का। 
  • रिफाइंड नमक के स्थान पर प्राकृतिक समुद्री या सेंधा नमक का उपयोग करे।
  • चीनी के स्थान पर गुड़, खाड़, शक्कर का प्रयोग उत्तम है। 
  • कार्बोनेटेड वाटर, एनर्जी डिंक्स को पीने के बजाय शरबत, शिकंजी, ताजे फलो के जूस आदि को पिए। 
  • खाना बनाते समय तेल बहुत गर्म होने से बचाये। ऐसा न करने पर फ्री रेडिकल उत्सर्जित होते है। जो ट्यूमर आदि का कारण बनते है।
  • दिन में सोये नहीं
  • भूख, मल – मूत्रादि अधारणीय वेगो को रोके नहीं।
  • रात्रि में अधिक देर तक न जगे।
  • दिन के भोजन के बाद छाछ और रात्रि के भोजन के बाद दूध जरूर पिए।
  • अर्ध रात्रि के बाद भूलकर भी भोजन करे।
  • प्लास्टिक एवं थर्माकोल के दोनो ( डिस्पोजल ) में गर्म पदार्थ का सेवन न करे। 
  • पूर्व में किये गए भोजन को पचे बिना, पुनः भोजन न करे।
  • अधिक मात्रा में खाना न खाये।
  • नशीले पदार्थ और मादक द्रव्यों का उपयोग भूलकर भी न करे। जैसे – तम्बाकू, खैनी, जर्दा, सिगरेट, शराब आदि।  

ब्रेन ट्यूमर के उपचार (treatment of brain tumor)

ब्रेन ट्यूमर के उपचार

ब्रेन ट्यूमर के उपचार को ही ब्रेन ट्यूमर ट्रीटमेंट (brain tumor treatment) कहते है। जिसमे ब्रेन के प्रकार, आकार, स्थान के साथ – साथ आपका स्वास्थ्य और प्राथमिकताए शामिल है। जिसमे शल्य क्रिया आदि का आलंबन लिया जाता है। जिसके द्वारा ब्रेन ट्यूमर के सिर दर्द के लक्षणों (brain tumor headache symptoms) को समाप्त करने में सहायता मिलती है। जिनकी निम्नलिखित विधिया है – 

 सर्जरी (Surgery)

यदि मस्तिष्क में पाया जाने वाला ट्यूमर, ऐसी जगह पर है। जहाँ उसका ऑपरेशन किया जा सकता है। तो सर्जन ब्रेन ट्यूमर का ऑपरेशन करके ट्यूमर को निकाल देते है। जिसको ब्रेन सर्जरी (brain tumor surgery) कहा जाता है। 

कुछ मस्तिष्क में पाए जाने वाले ट्यूमर छोटे होते है, और आसपास के मस्तिष्कीय ऊतकों से आसानी से अलग हो जाते है। जिसको शल्य क्रिया के माध्यम से निष्कासित कर दिया जाता है। अन्य ब्रेन ट्यूमर को आसपास के ऊतकों से अलग नहीं किया जा सकता। क्योकि ये मस्तिष्क के संवेदनशील हिस्सों में पाए जाते है। जिससे इनका ऑपरेशन जोखिम भरा होता है। इस स्थिति में चिकित्सक ट्यूमर के सुरक्षित भाग को ही हटा पाता है। ऐसा करने पर भी ब्रेन ट्यूमर के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है।  

ब्रेन ट्यूमर को हटाते समय संक्रमण और रक्तस्राव जैसे खतरे होते है। जबकि अन्य खतरे आपके मस्तिष्क के उस हिस्से पर निर्भर करते है, जहाँ पर ट्यूमर है। उदहारण के लिए, आपकी आँखों के पास स्थित ट्यूमर का ऑपरेशन करने पर दृष्टि का लोप हो सकता है। जिसको ब्रेन ट्यूमर सर्जरी के बाद साइड इफेक्ट कहा जाता है।

रेडिएशन थेरेपी (Rediation Therapy)

विकिरण चिकित्सा में ट्यूमर कोशिकाओं को मारने के लिए, एक्स रे या प्रोटान की उच्च ऊर्जा का किरण पुंज ( बीम ) डाला जाता है। यह विकिरण आपके शरीर से बाहर एक मशीन से आ सकती है। या बहुत ही कम विकिरण आप के शरीर में पाए जाने ब्रेन ट्यूमर के पास रखा जा सकता है।

बाहरी बीम विकिरण आपके मस्तिष्क के उस क्षेत्र पर ध्यान देकर रखा जाता है। जहां ट्यूमर स्थित होता है या इसे आपके पूरे मस्तिष्क पर लगाया जा सकता है। पूरे मस्तिष्क पर विकिरण का उपयोग ज्यादातर कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है। जो शरीर के किसी अन्य भाग से मस्तिष्क में फैलता है, और मस्तिष्क में अनेक ट्यूमर बनाता है।

परम्परागत रूप से विकिरण चिकित्सा में एक्स रे का प्रयोग होता है। लेकिन अब इसके उपचार में प्रोटॉन बीम का भी प्रयोग होने लगा है। प्रोटॉन बीम थेरेपी के द्वारा चिकित्सक अधिक आसानी से, विकिरण को नियंत्रित कर सकते है। जिसके कारण यह बच्चो में ब्रेन ट्यूमर और संवेदनशील क्षेत्रो के बहुत पास पाए जाने वाले ट्यूमर के उपचार में भी मदद करता है। परन्तु यह एक्स रे की भांति व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं है।

विकिरण चिकित्सा के दुष्प्रभाव आपको प्राप्त होने वाले, विकिरण के प्रकार और मात्रा ( खुराक ) पर निर्भर करते है। जो इलाज के दौरान या उसके तुरंत बाद हो सकते है। जिसमे थकान, सिरदर्द, याददास्त कम होना, खोपड़ी में खुजली आदि शामिल है।   

रेडियोसर्जरी (Radiosurgery)

रेडियोसर्जरी को पारम्परिक रूप से सर्जरी नहीं माना जाता। बल्कि रेडियोसर्जरी बहुत छोटे क्षेत्र में ट्यूमर कोशिकाओं को मारने के लिए प्रयोग होता है। जिसमे विकिरण उपचार को अत्यधिक केंद्रित करने के लिए कई बीम का उपयोग होता है। इसमें विकिरण की प्रत्येक विशेष बीम शक्तिशाली नहीं होती। परन्तु वह बिंदु जहाँ सभी बीम मिलते है वह ब्रेन ट्यूमर – ट्यूमर कोशिकाओं को मारने के लिए बहुत शक्तिशाली होते है।

ब्रेन ट्यूमर के इलाज में विकिरण देने के लिए, विभिन्न तकनीकियों का प्रयोग होता है। जैसे – गामा नायफ आदि। यह आमतौर पर एक ही उपचार में की जाती है। जिसमे आप उसी दिन घर जा सकते है।    

कीमोथेरेपी (Chemotherapy)  

इसमें ट्यूमर कोशिकाओं को मारने के लिए दवाओं का प्रयोग होता है। कीमोथेरेपी की दवाओं को मौखिक तौर पर गोली के रूप में लिया जा सकता है। या एक नाश ( अन्तः शिरा ) सुई के द्वारा डाला जा सकता है। ब्रेन ट्यूमर के इलाज में सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली कीमोथेरेपी दवा टेम्पोजोलोमाइड ( टेमोडेर ) है। जबकि कैंसर के प्रकार के आधार पर अन्य कीमोथेरेपी दवाइयों का भी इस्तेमाल होता है।

कीमीथेरेपी के दुष्प्रभाव आपको दी जाने वाली दवा के प्रकार और उसकी खुराक पर निर्भर करते है। इसकारण कीमोथेरेपी मतली, उल्टी, बालो के झड़ने का भी कारण है। 

कीमोथेरेपी होगी या नहीं। इसका निर्धारण ब्रेन ट्यूमर की कोशिकाओं का परीक्षण करके ही पता लगाया जा सकता है।   

ब्रेन ट्यूमर के अन्य उपचार (Other treatment of brain tumor)

लक्षण को कम करने के उपचार 

पॉलीसिएटिव केयर ब्रेन ट्यूमर के इलाज में सहायक है। जिसमे लक्षणों को कम करने, जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के साथ परिवार की सहायता करने का काम करता है। इसमें दवा, विश्राम की विधि, पोषण सम्बन्धी नियम, भावनात्मक मजबूती देने जैसे अन्य काम किये जाते है। यह सभी आयु वर्ग के, सभी प्रकार के कैंसर रोगियों को दिया जा सकता है।

यह जितनी जल्दी शुरू की जाती है, उतना ही जल्दी परिणाम देखने में आता है। ज्यादातर मामलो में कैंसर के साइड इफ़ेक्ट को कम करने के लिए, इसका प्रयोग किया जाता है। 

अन्य दवा उपचार 

ब्रेन ट्यूमर के कुछ लक्षण बहुत ही गंभीर होते है। जिससे रोगी के जीवन पर बुरा असर पड़ सकता है। ऐसे लोगो को सम्भलने के लिए कुछ विशेष प्रकार की दवाइयों की आवश्यकता पड़ती है। जैसे –

  1. दौरे पड़ने की अवस्था में एंटी – सीजर दवाइया फायदा करती है।
  2. मस्तिष्क की सूजन को कम करने के लिए कर्टिकोस्टेरॉइड्स नामक दवा उपयोग होती है। इस दवा को लेने से सूजन के कारण होने वाला दर्द कम होता है। अलग से कोई और पेन किलर की आवश्यकता नहीं पड़ती। ये दवार ट्यूमर के दबाव को कम करने का भी काम करती है। इसके साथ मस्तिष्क के स्वस्थ्य ऊतकों में सूजन के कारण होने वाली न्यूरोलॉजिकल समस्याओ को भी कम करती है।
  3. कैंसर को रोकने में गिलोय लाभकारी है। जिसको गिलोय के फायदे भी कहते है। 

ब्रेन ट्यूमर का उपचार के बाद पुनर्वास (Rehabilitation after treatment)

ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क कुछ ऐसे हिस्से में विकसित होता है। जिससे आपके बोलने, देखने, सोचने आदि की क्रियाकलापों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। जिसको दूर करने के लिए कुछ विशेष चिकित्साए है। जिनको करने की सलाह चिकित्सक देते है। जैसे –

फिजिकल थेरेपी : भौतिक चिकित्सा आपकी खोई हुई मांसपेशियों की ताकत को लौटाने में मदद करती है। 

स्पीच थेरेपी : यदि बोलने में आपको किसी तरह की कठिनाई होती है, तो भाषण रोग विज्ञानी आपकी बोलने में होने वाली समस्या को कम अथवा दूर करने के लिए इसका प्रयोग करते है।  

ब्रेन ट्यूमर का आयुर्वेदिक इलाज (brain tumor ayurvedic treatment)

आधुनिक विज्ञान भी एंटीऑक्सीडेंट को, कैंसर के उपचार में उपयोगी मानता है। जिसमे विटामिन सी को उत्तम स्थान प्राप्त है। जिसमे अनेको प्रकार के फल, सब्जिया, जूस और अन्य वस्तुए है। जिनका सेवन ब्रेन ट्यूमर के उपचार में उपयोगी है। प्रायः सभी प्रकार के खट्टे फलो को विटामिन, मिनरल्स, फाइबर आदि का स्रोत माना जाता है। 

कैंसर के उपचार में अश्वगंधा को असरकारी माना गया है। जिसकी प्रसिद्धी अश्वगंधा के फायदे के रूप में है। जिसका नियमित सेवन करने से ब्रेंत्युमार से छुटकारा मिलता है। जिसको ब्रेन ट्यूमर का आयुर्वेदिक उपचार (brain tumor ayurvedic upchar) भी कहते है। वही गिलोय को आयुर्वेद ने त्रिदोषज कहा है। जिसके कारण गिलोय का सेवन कैंसर के उपचार में सहायक है। जिसकी सेवन विधि को गिलोय सेवन विधि कहा जाता है।  

ब्रेन ट्यूमर का होम्योपैथिक इलाज (homoeopathic medicines for brain tumors) 

होम्योपैथी में ब्रेन ट्यूमर का होम्योपैथिक उपचार होता है। जिसमे लक्षणों को ध्यान में रखकर ही दवा का चयन होता है। ब्रेन ट्यूमर के दर्द की होम्योपैथिक दवा (homeopathic medicine for brain tumor pain) निम्न है – 

प्लम्बम मेटालिकम : पेट की तकलीफो के साथ ब्रेन ट्यूमर होने पर इसका इस्तेमाल होता है। जिसमे स्मरण शक्ति का लोप हो जाता है, या कमजोर पड़ जाती है। जिससे सभी बात याद नहीं रहती। रक्तहीनता बनी रहती है। चेहरा गंदा राख के रंग जैसा, पीला रहता है। आँखे बैठ जाती है। गाल चुचके हुए और चेहरे पर अंदरूनी कष्ट दिखाई देता है। पेट में कब्ज बना रहता है। जिसमे मल बकरी की लेडी या मींगनी जैसा होता है।

सीपिया : सीपिया के ब्रेन ट्यूमर का दर्द सिर के एक ओर अधकपारी जैसा होता है। जिसमे आँख तक दर्द करती है। किसी भी तरह की आवाज या रोशनी सहन नहीं होती। नींद के समय दर्द कुछ घटा रहता है। जरायु – सम्बन्धी किसी भी बीमारी के साथ इस तरह के सिर दर्द की अमोघ औषधि है। किसी काम को करते समय एकाएक सिर में चक्कर आने पर परमोपयोगी है। जो ब्रेन ट्यूमर का मुख्य लक्षण है।

अर्निका : चोट लगने से होने वाले ट्यूमर में सर्वोपयोगी दवा है। जिसमे सिर में असहनीय पीड़ा होती है। इसके साथ याददाश्त कम हो जाना, पक्षाघात, बेहोशी, अनजाने में मल – मूत्र निकल जाना, सभी कामो से उदासीन हो जाने के साथ रोगी अपने आप को अच्छा समझता है। जो सुबह शाम सर्दी लगने और हिलने – डुलने से बढ़ जाता है।  

ब्रेन ट्यूमर के लिए योग (yoga for brain tumor)

ब्रेन ट्यूमर के लिए योग

मस्तिष्क विशेषज्ञ मस्तिष्क को स्वस्थ्य रखने में, मस्तिष्क के लिए योगासन को महत्वपूर्ण मानते है। योग दर्शन के अनुसार मानव मस्तिष्क को, संतुलित रखने में योग सहायक है। इसलिए ब्रेन ट्यूमर के रोगियों को योग, अपने दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए। जिससे पेट में गैस, एसिडिटी आदि नहीं होती। क्योकि अम्लीय माध्यम में ही रोग पलता और बढ़ता है। जिसके लिए पेट की गैस को जड़ से खत्म करने के उपाय अपनाने चाहिए।  

योग से न केवल मन बल्कि शरीर भी लाभान्वित होती है। इस कारण ब्रेन ट्यूमर के लिए योगासन की आवश्यकता है। जिसको ब्रेन ट्यूमर का योग (brain tumor yoga) भी कहते है। ब्रेन ट्यूमर में मस्तिष्क की सूक्ष्तम रक्त वाहिकाएँ भी प्रभावित होती है। जिससे ऐसे किसी भी प्रकार के आसन आदि का प्रयोग न करे। जिससे सिर पर झटका या दाब लगे। ऐसी सावधानी न रखने पर समस्या के गंभीर होने की संभावना होती है।   

उपसंहार / निष्कर्ष :

माना कि ट्यूमर कैंसर की प्राथमिक अवस्था है। जिसके कारण इसको जीर्ण रोग ( क्रोनिक डिजीज) कहा जाता है। जिसमे से सभी ट्यूमर कैंसरकारक नहीं होते। फिर चाहे वह ब्रेन ट्यूमर ही क्यों न हो। 

यदि किसी कारणवश ब्रेन ट्यूमर हो भी गया तो, उसका समुचित प्रबंध करने पर लगभग – लगभग ठीक हो जाता है। जिसमे दवा के साथ खानपान, दिनचर्या, ध्यान और योग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। जिसका यथोचित पालन कर, हम आसानी से रोग मुक्त हो सकते है। ब्रेन ट्यूमर होने की आशंका तम्बाकू और इनसे बनने वाले उत्पाद का सेवन करने से होती है। जिसका सर्वथा त्याग करना ही, ब्रेन ट्यूमर से बचने का सुरक्षित उपाय है।    

सन्दर्भ : 

  1. मायो क्लिनिक
  2. माई उपचार  

 

FAQ

ब्रेन ट्यूमर कैसे ठीक होता है?

सही समय पर चिकित्सक को दिखाने और उपचार करवाने पर ब्रेन ट्यूमर ठीक हो जाता है। 

ब्रेन ट्यूमर का ऑपरेशन कैसे होता है?

सर्जरी के द्वारा ब्रेन के ट्यूमर को निकालकर, टाँके या प्लेट के माध्यम से खोपड़ी को बंद कर दिया जाता है। 

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