वजन बढ़ना आधुनिक यांत्रिक युग की गंभीरतम स्वास्थ्य समस्याओ में से एक है। जिसको लोग मोटा होना भी कहते है। इसको जहा लोग स्वस्थ होने का परिचायक मानते है। वही चिकित्सीय दृष्टि में इसे जीर्ण रोगो का शुरुआती दौर कहा जाता है। जिसके मूल हेतुओ में पाचन से सम्बंधित तमाम समस्याए आती है। जैसे – पेट में गैस बनना आदि। जिससे मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग जैसी अनेको समस्याए जन्म लेती है। जो आज ही नहीं अपितु पूर्व समय में भी प्रचलित और विध्वंशक रोग कहे जाते थे।
आज का समय अपौष्टिकता, श्रमहीनता और प्रतिकूल जीवनचर्या आदि से सुसज्जित है। जिसके कारण इसको विकास का युग माना जाता है। जिसमे भोजन का उत्पादन, विपणन और निर्माण सभी यांत्रिकी ( मशीनों ) द्वारा संचालित है। जिससे कृषि को भी अब उद्योग के रूप में देखा जाने लगा है। जिसने मानव, गाय ( गोवंश ) आदि की उपयोगिता पर पानी फेर दिया। उद्योग आधारित खाद्यो का सेवन पेट में जलन और दर्द होना जैसी समस्या पैदा करता है।
जिनका समर्थन पौराणिक ( आयुर्वेदादी ) शास्त्र ही नहीं, अपितु आधुनिक विज्ञान भी अब करने लगा है। जिसमे ना ना प्रकार के खाद्यान्न उत्पादन और उपभोग, दोनों की विसंगतियों पर ध्यान आकृष्ट किया जा रहा है। जिसमे भोजन का विश्लेषण वैज्ञानिक ही नहीं, दार्शनिक एवं व्यवहारिक परिपेक्ष्य में करना आवश्यक है। क्योकि इनके बिना भोजन शरीर को स्वस्थ्य करने वाला नहीं, बल्कि रोग ग्रस्त करने वाला है। आधुनिक विविधताओं का ग्रास अब भारत भी है। जिसका कारण इसको भी यांत्रिक तकनीकी सिद्धांतो पर विकसित करना है।
वजन बढ़ना क्या है (what is overweight in hindi)
वजन और भार दोनों एक दूसरे के पूरक शब्द है। इस आधार पर वजन बढ़ना और भार का बढ़ना, दोनों ही चिकित्सा की दृष्टि से एक ही है। जबकि विज्ञान और व्यवहार में दोनों का अर्थ अलग है। जहा पर उनकी अपनी उपयोगिता भी सिद्ध है। परन्तु आयुर्वेद पर्यन्त मानव चिकित्सा में भार में होने वाली वृद्धि को वजन बढ़ना कहा जाता है। जिसका अनुगमन प्रचलित सभी चिकित्सीय पद्धतियाँ करती है। भेद केवल भार के अनुमापन विधि का है।
जब किसी रोग ( कफादि ), पौष्टिक तत्वों की कमी ( खनिज एवं विटामिन ), अनियमित खानपान ( दूषित या विषैले, अभोज्य तथा अभक्ष्य खाद्य पदार्थो का सेवन ), शास्त्र विरुद्ध रहन सहन आदि के कारण शरीर में कैल्शियम के अवशोषण में कमी के चलते हड्डिया होने लगती है। जिनको टूटने से बचाने के लिए शरीर की रक्षात्मक प्रणाली द्वारा मांस से आवरित ( ढका ) किया जाता है।
जब हमारा आपका शरीर विसंगति को प्राप्त होता है। तब कैल्शियम को ग्रहण करने की दर तेजी से घटती है। जिससे हड्डियों और अधिक कमजोर होने लगती है। जिनकी सुरक्षा के लिए हमारा शरीर इनके ऊपर और तेजी से मांसो के द्वारा इनको ढकता जाता है। इससे शरीर देखने में मोटा और वजन में भारी हो जाता है। जिसको वजन बढ़ना कहते है। जिसकी सम्प्रति एसिडिटी आदि के कारण भी होती है। जिसके लिए एसिडिटी को जड़ से ख़त्म करने के उपाय उपयोगी है।
वजन बढ़ने का कारण (overweight causes in hindi)
वजन बढ़ने के अनेको कारण है। जिसमे तीन महत्वपूर्ण कारणों पर विचार करना आवश्यक है। पहला शरीरगत दोष। आयुर्वेद में वर्णित दोष के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति की देह में भेद है। जिसको व्यावहारिक जगत में स्वभाव के नाम से जाना जाता है। आंग्ल भाषा में इसे मूड आदि का नाम देते है। इसको ही व्यक्ति की चारित्रिक प्रवृत्ति भी कहते है। जो कभी नहीं बदलती। जिसके बल पर रोग और रोगी की पहचान होती है। इन्ही दोषो के असंतुलित होते ही अचानक से वजन बढ़ना शुरू हो जाता है।
दूसरा अपौष्टिकता। महायान्त्रिक युग का सबसे बड़ा कलंक है। जिससे आज के समय में बच पाना नामुमकिन है। जिसका मूल कारण न मिट्टी पौष्टिक है और न भोजन। क्योकि इनकी पौष्टिकता को आद्यौगिक खाद और प्रिजर्वेटिव आदि के द्वारा हम तक पहुंचने ही नहीं दिया जाता। जिसका दूरगामी परिणाम हमारे स्वास्थ्य पर वजन बढ़कर पड़ता है। जिसको ठीक करने के जितने भी उपक्रम है। सभी में मूल समस्या की ओर कोई किसी का ध्यान ही नहीं।
तीसरा विपरीत दिनचर्या और ऋतुचर्या। इनका नायकत्व प्राप्त होते ही वजन बढ़ने की प्रक्रिया दिन दूनी रात चौगुनी हो जाती है। आजकल बिजली ( विद्युत ) की पहुंच ने दिन – रात की विभाजक रेखा ही मिटा दी। अब कारखाने रातो – दिन कार्य कर रहे है। वही कोई भी काल हो हर समय एक जैसा भोजन सुलभ है। जिससे शरीर में ऊतकों का घनत्व बढ़ता है। जिसके कारण वजन में वृद्धि होना देखा जाता है। जिसको सुचारु रूप से चलाने के लिए आधुनिक जीवन की स्वस्थ दिनचर्या अपनाना हितकारी है।
वजन बढ़ने के लक्षण (symptoms of overweight in hindi)
वजन बढ़ने पर शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के परिवर्तन आते है। जिनसे न केवल हमारा दैनिक क्रिया कलाप प्रभावित होता है। बल्कि हमारे प्रमुख कार्य जैसे पढ़ाई – लिखाई, रोजगार, व्यवसाय आदि पर भी गहरा असर डालता है। ऐसा होने पर इसके अनेक लक्षण दिखाई पड़ते है। जैसे –
- शारीरिक अंगो का मांसल होना। जिससे शरीर का मोटा दिखाई पड़ना।
- शरीर के भार में वृद्धि होना
- अधिक नींद आना ( यहाँ तक की दिन में भी )
- सांस लेने में कठिनाई होना
- आलस्य का नियमित बने रहना
- अधिक भूख लगना
- स्फूर्ति का लोप हो जाना
- शरीर थका – थका सा मालूम होना
- अधिक पसीना आना आदि।
वजन की गणना (overweight calculator in hindi)
सामान्यतः भार को मापने के लिए तराजू ( वेट मशीन ) का प्रयोग होता है। जिसको बोलचाल की भाषा में तौलना कहा जाता है। जो किसी भी वस्तु का भार जानने का उपाय है। परन्तु चिकित्सीय दृष्टि में भार और लम्बाई के नियत अनुपात के द्वारा वजन को मापा जाता है। जिसका आधुनिक समय में उपयोग होता है। जिसको बॉडी मास इंडेक्स (BMI) कहा जाता है। यह पूर्णतया आधुनिक ( पश्चात ) विचार है।
आयुर्वेद में इसको मेद वृद्धि, स्थौल्य आदि के द्वारा ख्यापित किया गया है। जिससे प्राप्त होने वाली व्याधि को मेदोरोग, स्थौल्यरोग कहा गया है। जिसका निगमन करने में अनेको दोष आदि को उत्तरदायी माना गया है। जिसकी पहचान रोगी से प्राप्त लक्षणों के आधार पर किया गया है।जिसमे पाचन क्रिया से सम्बद्ध अनेको रोग है। जिसको व्यवस्थित करने के लिए पाचन किया कैसे सुधारे को जानने की आवश्यकता है।
ध्यान रहे : रोगी में लक्षणों की प्राप्ति होने पर भी, यदि उसको ( रोग प्राप्तकर्ता ) कोई समस्या न हो तो उसे आयुर्वेद के अनुसार रोग नहीं माना जाता। जोकि आधुनिक पद्धतियों को मान्य नहीं। आजकल मोटापे की मुख्य वजह वसा ( लिपिड या फैट ) को भी माना जाता है।
बी एम आई द्वारा वजन बढ़ना का निर्धारण (overweight bmi in hindi)
आधुनिक विज्ञान ने सामान्य व्यक्तियों को वजन नियंत्रित करने के लिए भार और लम्बाई का अनुसंधान करके सूत्र बनाया। जिससे सभी लोग आसानी से खानपान आदि के द्वारा वजन को नियंत्रित कर सके। जो इस प्रकार है –
kg/m² ( किग्रा/मीटर²)
जहाँ kg मनुष्य का भार ( किलोग्राम में ) और m मनुष्य की लम्बाई ( मीटर में ) है। इस प्रकार उचित मात्रक में भार और लम्बाई को मापकर सूत्र के द्वारा वजन ज्ञात किया जा सकता है। जिसमे प्राप्त होने वाला उत्तर निम्नलिखित को दर्शाता है। जिसको नेशनल हार्ट, लंग एंड ब्लड इंस्टिट्यूट द्वारा भी जाना जा सकता है।
कम वजन ( underweight ) <18.5
सामान्य वजन ( Normal Weight ) = 18.5 – 24.9
अधि या अधिक वजन ( Overweight ) > 25 – 29.9
मोटापा > 30
वजन बढ़ने और मोटापा में अंतर (difference between overweight and obesity in hindi)
आमतौर पर वजन बढ़ने और मोटापे में विभेद करना कठिन है। जिसका कारण दोनों ही रोगो में ज्यादातर लक्षणों का एक जैसा होना है। जिसमे बहुत ही सूक्ष्मता से भेद किया जाता है। चिकित्सा में वजन बढ़ने की जीर्णावस्था को मोटापा, और मोटापे की पूर्वावस्था में वजन बढ़ना कहा जाता है। इस आधार पर वजन बढ़ना क्रोनिक रोगो की प्राथमिक अवस्था है।
वजन बढ़ने पर शरीर थुलथुला, नींद और आलस्य से भरा हुआ, अधिक भोजन करने वाला, थोड़ा सा परिश्रम करते ही पसीने से लथपथ एवं थक जाने वाला, एक स्थान पर मन को न केंद्रित करने वाला, काम से अरुचि, उदासी, बेचैनी इत्यादी से युक्त होता है। यह सभी लक्षण मोटापे में भी होते है। भेद केवल इनकी तीव्रता का होता है। जबकि पेट में गैस होने पर भी इनसे मिलते जुलते लक्षण पाए जाते है। जिससे बचने के लिए पेट की गैस को जड़ से ख़त्म करने के उपाय उपयोगी है।
वजन बढ़ने से बचने के उपाय (precautions of overweight in hindi)
वजन का बढ़ना मुख्य रूप से कफ दोष की विकृति से होने वाला रोग है। जिससे कफवर्द्धन को रोकने वाले खाद्यो का सेवन करना चाहिए। इनके साथ ही दिनचर्या आदि का पालन चार चाँद लगाने वाला है।
- पानी में उत्पन्न होने वाली चीजों का सेवन कम मात्रा में करे। जैसे – सिंघाड़ा, मखाना, जलीय जंतु ( मछली, सुकर मांस ) आदि।
- रिफाइंड तेल ( जले तेल ) का उपयोग न करना।
- अधिक मात्रा में तली – भुनी वस्तुओ का सेवन न करना । जैसे – बाजारों में मिलने वाले चिप्स, स्नैक्स, पापड़, समोसा आदि।
- अति गरिष्ट और देर से पचने वाली खाद्य सामाग्रियो से परहेज करे। जैसे – चाउमीन, मिठाईया, छोले, पूड़ी, पराठे इत्यादि।
- गुप्त या प्रकट रूप में चीनी का प्रयोग न करना। जैसे – कार्बोनेटेड वाटर युक्त पेय पदार्थ ( ठंडा, कोल्ड ड्रिंक, डिब्बाबंद और पैकेटबंद तरह – तरह के जूस, चाय, काफी आदि।
- विदाह ( जलन ) करने वाली वस्तुओ को न खाना। जैसे – चॉकलेट, केक, पेस्टी, बिस्कुट ( बिस्किट ) आदि।
- बहुत तीखे और चटपटे पदार्थो को न खाये। जैसे – नमकीन, चाट आदि।
- बहुत चिकने और अभिष्यंदी खाद्यों का सेवन न करना । जैसे – चावल का आटा, अरुई आदि।
- बासी भोजन से दूर रहे। इसके स्थान पर ताजा और गर्म भोजन करे।
- आनुपातिक मात्रा से अधिक पानी का प्रयोग न करना।
- प्लास्टिक बर्तन में रखा हुआ पानी न पियें।
- रिफाइंड नमक ( आयोडीन ) के स्थान पर सेंधा या समुद्री नमक खाना।
- संशोधित और रिफाइंड चीनी के बजाय गुड़ खाना बेहतर है।
- दिन में भूलकर भी नहीं सोना चाहिए ( ग्रीष्माऋतुतिरिक्त )।
- खाने के पूर्व अदरक और सेंधा का नमक का सेवन उपयोगी है। जिसको अदरक के फायदे भी कहते है।
वजन बढ़ने में खानपान (overweight diet in hindi)
मानव शरीरगत समस्त दोषो के उन्मूलन और निर्मूलन में, भोजन की महत्वपूर्ण भूमिका है। जिसको अस्वीकार करना सामान्य व्यक्ति के लिए भी सम्भव नहीं। जिसका समर्थन सभी आयुर्वेदीय आचार्यो ने एक स्वर में किया है। यही नहीं आयुर्वेद के प्रकांड आचार्यो ने देहानुकूल भोजन को औषधि की संज्ञा दी है। जिसके कारण भोजन की महत्ता और अधिक बढ़ जाती है। आयुर्वेद में एक बात स्पष्ट रूप से कही गई है।
शरीर को प्राकृतिक रूप से पोषण ( ऊर्जा ) के लिए पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है। भोजनादि के माध्यम से पोषक तत्वों की आपूर्ति न होने पर तात्कालिक अवधि में औषधि विशेष या सप्लीमेंट की। न कि इन्हे नियमित तौर पर लेने की।
वजन बढ़ने की समस्या उन लोगो में अधिक पायी जाती है। जो नियमित एक ही प्रकार का भोजन करते है। जैसे – एक ही प्रकार की दाल, चावल और रोटी। शहरो में समय आदि के अभाव के चलते एक ही प्रकार के भोज्य पदार्थ बाजार में मिलते है। जिनके कारण वजन बढ़ने की समस्या को बल मिलता है। जिससे बचने के लिए प्रतिदिन दाल, चावल, सब्जी और रोटी बनाने वाले अन्नो के प्रजातियों में विभेद करना चाहिए। जिससे सभी के पोषक तत्वों की प्राप्ति हो सके। इनके साथ वजन बढ़ाने के बचाव का परिपालन प्रबलकारी है।
वजन बढ़ने का उपचार (overweight treatment in hindi)
आयुर्वेदानुसार दोषो के असंतुलन को ही रोग कहा जाता है। वही व्यवहार में अलग – अलग व्यक्ति का शरीर भी दोषप्रधान होता है। जिनसे वजन बढ़ाने वाली परिस्थितियां उत्पन्न होती है। जिसका निर्माण शरीरगत दोष ( कफादि ) के द्वारा आयुर्वेदज्ञों को मान्य है। जिसकी प्राप्ति हमें अलग – अलग ढंग से होती है। जिसको आयुर्वेदादी शास्त्रों में लक्षणादि कहा गया है। जिसको मिटा पाना संभव नहीं, बल्कि इससे सावधान रहना ही मात्र उपाय है।
जिसमे वजन बढ़ने का घरेलू उपाय प्रचलित है। जिसमे सोंठ के फायदे है। जबकि वजन बढ़ने का आयुर्वेदीय उपाय भी शास्त्रों में वर्णित है। जिसमे अनेको औषधियों का प्रयोग है। जिनको वजन घटाने की दवा भी कहा जाता है। वही होम्योपैथी में भी वजन को संतुलित करने की अनेको दवाए है। जिनको वजन कम करने की होम्योपैथिक दवा कहते है। यहाँ वजन कम करने के कुछ योग इस प्रकार है –
- रात्रि में गर्म पानी पीने से कफ, आमवात तथा मेदोरोग को नष्ट करता है। इसके साथ वस्ति का शोधन और अग्नि का दीपन करता है। जिससे वजन बढ़ने की समस्या समाप्त होती है।
- त्रिफला का क्वाथ मधु ( शहद ) मिलाकर पीने से वजन घटने लगता है।
- गर्म जल को ठंडा कर मधु मिलाकर पीने से वजन बढ़ना कम होता है।
- खारी मिट्टी, शुद्ध तूतिया, भुजा हुआ हींग, सफ़ेद कसीस, पीला कसीस, शिलाजीत और सेंधा नमक। इनको सम भाग में मिलाकर पीने से वजन बढ़ने की समस्या से निजात मिलता है।
वजन बढ़ने के नुकसान (overweight side effects in hindi)
वजन बढ़ने के अनेको नुकसान है। जिसमे ह्रदय विकार, हड्डी रोग आदि से सम्बंधित अनेको बीमारिया है। जैसे –
- वजन बढ़ने से रक्त दाब पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। जिससे रक्त चाप की समस्या जन्म लेती है।
- ब्लड प्रेशर की समस्या आघात ( हृदयाघात और मस्तिष्काघात ) को जन्म देती है। ऐसी दसा में लकवा आदि की संभावना भी प्रबल हो जाती है।
- वजन बढ़ने से यकृत प्रभावित होता है। जिससे फैटी लीवर, लीवर का बढ़ना आदि की समस्या जन्म ले सकती है।
- वजन बढ़ने से प्लीहा आदि पर बुरा असर पड़ता है। जिनसे तिल्ली का बढ़ना जैसी समस्याए हो सकती है।
- वजन बढ़ने से प्रायः घुटने दर्द होने समस्या होती है। जिसका कारण अधिक वजन के दाब से घुटना समय से पहले घिसने लगता है।
- वजन बढ़ने से कमर दर्द आदि की समस्याए जन्म लेती है।
- वजन बढ़ने के साथ – साथ मोटापा, मधुमेह, कैंसर आदि असाध्य रोगो की प्रायिकता में वृद्धि देखी जाती है।
- वजन बढ़ने से गर्भवती महिलाओ में प्रसव की समस्या होती है।
- वजन बढ़ने से गर्भधारण करने में कठिनाई देखी जाती है।
FAQ
अचानक वजन क्यों बढ़ता है?
मानव देह में जब अपौष्टिकता आदि के कारण, अधिक मात्रा में कैल्शियम की कमी होने से वजन बढ़ने की दर तीव्र हो जाती है।
वजन बढ़ने से कौन सी बीमारी होती है?
जीर्ण रोगो की प्राथमिक अवस्था को वजन बढ़ना कहते है। जिससे मोटापा, मधुमेह ( शुगर ), कैंसर, आघात ( हृदयाघात एवं मस्तिष्काघात ) आदि बीमारिया होती है।
कैंसर में वजन बढ़ता है क्या?
कैंसर में वजन घटना और बढ़ना दोनों देखा जाता है। यह इस बात पर निर्भर करता है की रोग का स्थान क्या है। जैसे – गर्भाशय कैंसर में पेट में पानी भरने के कारण फूलता है। जिससे वजन बढ़ता है। वही मुँह के कैंसर आदि में वजन घटता है।
डायबटीज में वजन बढ़ता है क्या?
डायविटीज होने का मुख्य कारण मोटापा माना जाता है। जो वजन बढ़ने के कारण ही होता है। जिससे निसंदेह रूप से डायवतीज में वजन बढ़ता है।
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