महिलाओ में बच्चे की डिलीवरी के बाद बवासीर के लक्षण देखे जा सकते है। जिन महिलाओं को डिलीवरी के बाद बवासीर की समस्या हो जाती है। उनमे अधिकांशतः महिला बवासीर के लक्षण पाए जाते है।
ज्यादातर प्रसव के बाद बवासीर का कारण प्रसव में आयी विसंगति को माना जाता है। जिसमे अनेको समस्याओ के साथ बवासीर की तकलीफ भी हो सकती है। जिसको दूर करने के लिए डिलीवरी के बाद बवासीर का इलाज करना पड़ता है। जिसमें प्रसव के बाद बवासीर के लिए घरेलू उपचार गुणकारी है।
जिन महिलाओ को प्रेगनेंसी के पहले और प्रेगनेंसी में बवासीर के लक्षण पाए जाते है। उनमे डिलीवरी के बाद पाइल्स के लक्षण पाए जाने की संभावना अधिक होती है। यह समस्या उन महिलाओ में अधिक पायी जाती है। जो पेट विकारो का सामना अधिक करती है। जैसे – पेट में कब्ज रहना, नित्य समय पर मल का वेग न आना, कई दिनों तक मल त्याग न होना आदि। जिनको चिकित्सीय शैली में पेट साफ न होने के लक्षण कहते है।
प्रेगनेंसी और डिलीवरी के बाद का समय, हर महिला के लिए अत्यंत कष्टकारी होता है। परन्तु यदि उस महिला की पहली गर्भावस्था हो तो पूछो ही मत। इस समय वह डर, हड़बड़ी, उत्सुकता और जिम्मेदारियों के बीच अपने आप को घिरी पाती है।
जिससे महिलाए न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक दर्द का भी सामना करती है। जिसमे बवासीर की समस्या होने पर, उनका मनोबल प्रभावित होता है। जिससे उनमे क्रोध ( झुंझलाहट ) के साथ बेचैनी बढ़ने लगती है। जिसमे बवासीर के मस्से को जड़ से ख़त्म करने का उपाय बहुत काम का है।
डिलीवरी के बाद बवासीर होने का कारण ( causes of piles after delivery )
महिला गुदा में पायी जाने वाली शिराए गुदा नली की दीवारों में लम्बाई की ओर कपाट रहित होकर फैली रहती है। जिसमे विकृत प्रसव होने पर गुदीय शिराओ पर दाब पड़ता है। जो मलत्याग के समय प्रवाहण ( मल को दाब डालकर निकालने ) करने पर और अधिक बढ़ जाता है।
जिससे इन शिराओ में गया हुआ रक्त वापस नहीं आ पाता। इस कारण डिलीवरी के बाद गुदा रक्त पूरित होकर फूल जाती है। जिस पर सौत्रिक धातु के तंतुओ का आवरण बनते रहने से, मांस के मस्से निकल आते है। जो धीरे – धीरे पुराने होकर बढ़ने और दर्द करने लगते है।
डिलीवरी के बाद बवासीर के लक्षण ( symptoms of piles in female after delivery )
डिलीवरी होने के बाद होने वाली बवासीर में, कभी – कभी डिलीवरी होने के लक्षण जैसे लक्षण दिखने लगते है। जिसे कुछ महिलाए प्रेगनेंसी समझकर डरने लगती है। जो वास्तव में डिलीवरी के नहीं अपितु प्रसव की अनुक्रिया के फलस्वरूप, बवासीर होने पर देखे जाते है। जैसे –
- पेट साफ़ न होना
- नाभि के नीचे पेट में दर्द होना
- मल का सूखा, सख्त और कडा होना
- अत्यधिक पतले मल के झाग आना
- गुदा के आस- पास सूजन और दर्द होना
- गुदाद्वार पर भारीपन लगना
- अत्यधिक प्यास लगना
- गुदा द्वार पर, अंदर या उसके आस – पास मस्से निकल आना
- गुदा में खुजली और दर्द होना
- गुदा में मांस के कील निकल आना
- मलत्याग के दौरान या बाद गुदा से खून गिरना, आदि।
डिलीवरी के बाद बवासीर का इलाज ( treatment for piles after delivery )
जिस प्रकार गर्भावस्था की बवासीर का उपचार ( pregnancy piles treatment ) की व्यवस्था है। जो आमतौर पर गर्भ के दौरान देखी जाती है। उसी प्रकार प्रसव की गड़बड़ी के कारण बवासीर की समस्या देखी जाती है।
जिसके उपचार में भी अधिकांशतः औषधि चिकित्सा ही अपनाई जाती है। डिलीवरी के बाद होने वाली ज्यादातर बवासीर उपचार के उपरान्त ठीक हो जाती है। परन्तु यह उन लोगो में फिर से देखी जाती है। जो बवासीर के इलाज को बीच में छोड़ देते है या पूरा नहीं करते।
प्रसव के बाद होने वाली बवासीर एक प्रकार का पाइल्स इन वीमेन है। जो प्रसव में गड़बड़ी के कारण मुख्य रूप से देखा जाता है। जो प्रकारांतर से दो प्रकार का होता है –
- ऐसी बवासीर जिसके मस्से सूखे, कठोर, सूजे हुए और दर्द से भरे रहते है। जिनको बादी बवासीर के लक्षण भी कहा जाता है।
- ऐसी बवासीर जिसके मस्सो से दर्द के साथ या बिना दर्द के खून अथवा मवाज रिसता है। जो मुख्य रूप से खूनी बवासीर के लक्षण कहे जाते है। इनको ही ब्लड पाइल्स इन हिंदी भी कहा जाता है।
इन बवासिरो की आवश्यकतानुसार औषधि, क्षार, अग्नि और शस्त्र चिकित्सा की जाती है। जिसमे सर्वाधिक उपयोगी औषधि चिकित्सा बतलाई गयी है। जिसके दो कारण है। पहली यह सुख पूर्वक है, दूसरी दोष प्रधान होने से स्थायी रूप से रोग को मिटाने वाली है। इसलिए डिलीवरी पाइल्स ( delivery piles ) में यह बहुत ही गुणकारी है। जिसके कुछ उपाय निम्न है –
प्रसव के बाद बवासीर के लिए घरेलू उपचार ( piles after delivery home remedy )
आयुर्वेद के जो उपाय छोटे और गुणकारी होते है। उनको ही घरेलू उपचार कहा जाता है। जो आम जनमानस में पूर्णतः आयुर्वेदिक होने पर भी घरेलू उपचार ही कहे जाते है। डिलीवरी के बाद बवासीर के लिए घरेलू उपचार निम्न है –
- सुबह खाली पेट पीपरि ( पिप्पली ) का चूर्ण गुड़ के साथ लेने पर बवासीर को नष्ट कर डालता है।
- 40 ग्राम काला तिल खाकर शीतल जल पीने से बवासीर नष्ट हो जाता है। यह गर्भवती, प्रसूताओं और दुग्धपान कराने वाली माताओ – बहनो की शारीरिक कमजोरी को दूर करती है। जिससे यह इनकी उत्तम और गुणकारी औषधि है।
- 5 ग्राम हर्रे का चूर्ण 10 ग्राम गुड़ के साथ गरम अथवा ठन्डे पानी के साथ प्रतिदिन खाने से सभी तरह के बवासीर को समाप्त कर देती है।
- अनारदाने का चूरन गुड़ के साथ लेने से, डिलीवरी के बाद होने वाली बवासीर को नष्ट कर डालता है।
- थूहर के दूध में हल्दी का चूर्ण मिलाकर, बवासीर के मस्सों पर लगाने से सभी प्रकार का मस्सा नष्ट हो जाया करता है।
- काले तिल का चूर्ण और शुद्ध भिलावों का चूर्ण दोनों को बराबर – बराबर लेकर प्रतिदिन 5 – 10 ग्राम की मात्रा में मठ्ठे, शीतल जल व गुनगुने दूध के साथ लेने से मंदाग्नि बढ़ती है। और सभी प्रकार के बवासीर को नष्ट कर डालती है। यह गर्भवती महिलाओ और प्रसूताओं के बवासीर की गुणवत्तम औषधि है। जो बवासीर की गारंटी की दवाई कहलाती है।
बवासीर एक्यूप्रेशर प्वाइंट ( piles acupressure point )
डिलीवरी के बाद बवासीर की समस्या ( after delivery piles problem in hindi ) में एक्यूप्रेशर हमारी मदद कर सकता है। यदि इसका समुचित और ठीक से उपयोग किया जाय तो।
जिसमे मुख्य रूप से शरीर में पाए जाने वाली मर्म बिन्दुओ पर, दाब ड़ालकर रक्त की गति को सक्रिय किया जाता है। जिससे अंग विशेष में जमा होने वाला मल खून आदि में घुलकर बाहर निकलने लगता है।
एक्यूप्रेशर चिकित्सीय नियमानुसार बवासीर का उपचार करने में SP६, SP8 और UB60 आदि स्थान बताये गए है। जिन पर दाब डालने से गुदीय शिराओ पर सकारात्मक अनुक्रिया होती है। जिससे डिलीवरी के बाद होने वाली बवासीर की समस्या धीरे – धीरे दूर होने लगती है।
व्यवहारिक भाषा में कहे तो अनामिका उगली और कोहनी के नीचे लगभग कलाई के स्थान आदि पर यह मर्म बिंदु पाए जाते है। जिन पर लगातार दाब डालने से डिलीवरी के बाद होने वाली बवासीर में फायदा होता देखा गया है।
डिलीवरी के बाद बवासीर के लिए योग ( piles yoga after delivery )
सामान्य और विशेष सभी व्यक्ति के लिए परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है। फिर चाहे वह प्रेगनेंसी में बवासीर होना ( pregnancy me bawasir hona ) हो या डिलीवरी के बाद बवासीर होना। सभी में कही न कही परिश्रम का अभाव होता ही है। लेकिन महिलाओ को इस समस्य विश्राम की आवश्यकता होती है। जिसका मुख्य कारण महिलाओ के आंतरिक शरीर के अंगो का ढीला होना है।
जिसके कारण दोष विकृति को बल मिलता है। इनसे आबद्ध होते ही हम रोग के शिकार हो जाते है। आजकल लोग शहरी जीवन को पसंद कर रहे है। जिसके कारण हमारी दिनचर्या आदि में बदलाव होने से, जीवनशैली में भी बदलाव आ रहा है। इसके फलस्वरूप अस्वास्थ्यता ( बीमारी ) जन्म ले रही है।
इसलिए जीवन जीने ही नहीं, देह को स्वस्थ रहने के लिए भी परिश्रम आवश्यक है। यह उतना ही जरूरी है, जितना कि हमारा भोजन। लेकिन इस ओर हमारा ध्यान नहीं जाता। गुणवत्ता परक एवं महंगी दवाइया खाने के बाद भी, हम बार – बार किसी न किसी रोग के चपेट में आ जाते है। परन्तु योग बहुत कम जगह में भी आसानी से किया जा सकता है। जो परिश्रम के विकल्प के रूप में भी किया जा सकता है।
ध्यान रखे : डिलीवरी के बाद आंते ढीली पड़ जाती है। जिसमे बहुत मेहनत और कठिन आसान आदि नहीं करना चाहिए, जबकि सामान्य अवस्था में सभी प्रकार के आसान किये जा सकते है। जैसे –
- पवनमुक्तासन
- सुखासन
- बलासन
- सर्वांगासन, आदि।
डिलीवरी के बाद बवासीर से बचने के उपाय ( prevention of piles after deleevree )
डिलीवरी के बाद पेट में वायु के आने की संभावना अधिक होती है। जिसके लिए निम्न सावधानिया रखनी चाहिए –
- मलत्याग का वेग लगने पर ही मल त्यागे, जोर लगाकर काँखे नहीं
- डिलीवरी के बाद पेट पर कपड़ा बांधे या बेल्ट लगाए
- हवादार कमरे में न बैठे
- पूर्व दिशा की वायु से परहेज करे
- भारी वजन न उठाये
- उबड़ – खाबड़ आसन पर न बैठे
- तेज गति से चलने से बचे
- जोर लगाकर चिल्लाये नहीं
- पुरुष – प्रसंग से दूर रहे ( पति से अलग रहे )
- खाने में हल्का, सुपाच्य और ताजा भोजन करे
- चाय, काफी, चॉकलेट, केक आदि को खाने से बचे
- जंक और फास्ट फूड से दूरी बनाये
- रिफाइंड चीनी न खाये
- फ्री फ्लो और अम्लीय नमक का भोजन में प्रयोग न करे
उपसंहार :
बहुत सी महिलाओ को डिलीवरी के बाद बवासीर होना देखा जाता है। इस समय होने वाले बवासीर से मिलने वाले लक्षण को डिलीवरी के बाद बवासीर के लक्षण कहते है। डिलीवरी के बाद बवासीर का इलाज करने में दवाइयों के साथ खान – पान का विशेष प्रभाव होता है। जिसका ध्यान रखकर प्रसव के बाद बवासीर होने की संभावना कम किया जा सकता है।
लेकिन जिन महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान बवासीर की समस्या होती है। वह प्रसव के बाद अक्सर ठीक हो जाती है।
सन्दर्भ :
माधव निदान – अर्श रोग निदान
भैषज्यरत्नावली – अर्श रोग चिकित्सा प्रकरण
FAQ
डिलीवरी में काली लैट्रिन आने का क्या मतलब है?
डिलीवरी के बाद अक्सर कई दिनों तक, पेट साफ न होने से लैट्रिन काली हो सकती है। लेकिन अधिक समय तक ऐसा होते रहने पर कब्ज या बवासीर आदि भी हो सकती है। जिसकी पुष्टि के लिए चिकित्सीय सलाह लेना आवश्यक है।
डिलीवरी के बाद अगर लैट्रिन में खून आए तो क्या करें?
डिलीवरी के बाद लैट्रिन में खून आना बवासीर का लक्षण हो सकता है। जिसकी चिकित्सा विशेषज्ञ से गहनतापूर्वक जांच करानी चाहिए।
डिलीवरी के बाद लैट्रिन नहीं आने पर क्या खाना चाहिए?
डिलीवरी के बाद लैट्रिन को बाहर निकालने में मदद करने वाली चीजे कहानी चाहिए। जिन्हे आयुर्वेद में विरेचक द्रव्य कहते है। जैसे – एरंड तेल, त्रिफला चूर्ण आदि। और नवीन चिकित्सा प्रणाली में जिन्हे लैक्सेटिव दवाइया कहते है। जो मल को पतला और ढीला कर बाहर निकालती है। जैसे – इसबगोल की भूसी आदि।
पाइल्स में क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए?
पाइल्स में हल्का, सुपाच्य और मल को पतला करने वाली वस्तुओ का सेवन करना चाहिए। जबकि गरिष्ट, चिकनी और मल को बांधने वाली चीजों को खाने से बचना चाहिए।
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