पेट की गैस को जड़ से खत्म करने के उपाय, को आज सभी जानना चाहते है। फिर चाहे वह शहर में रहने वाला हो या गाँव में। जिसका मूल कारण औद्योगिक जीवन पद्धति है। जिसके कारण पेट में गैस बनना प्रारम्भ हो जाता है। जिनके निदान के लिए पेट की गैस का अचूक इलाज, आदिकी व्यवस्था आयुर्वेदादी शास्त्रों के माध्यम से हमे प्राप्त है। इसके त्वरित उपचार को पेट की गैस का तुरंत इलाज, कहते है। जबकि स्थाई चिकित्सा को पेट की गैस का रामबाण इलाज, के रूप में जाना जाता है। जिसमे पेट की गैस की अचूक दवा आदि का प्रयोग है।
आधुनिक जीवनचर्या को औद्योगिक जीवनशैली कहने का तात्पर्य मशीनीकरण है। जिसका उपयोग कार्यालय ही नहीं घरो में किया जाने लगा है। जिससे घर और दफ्तर के बीच का अंतर ही नहीं रहा। इसका मूल कारण हमसब का महायंत्रों पर बढ़ती निर्भरता है। जिसके चलते तनाव अधिक और परिश्रम घटता जा रहा है। जिससे पेट ही नहीं अन्य बीमारियों को भी, पनपने का अवसर प्राप्त हो रहा है। इनसे बचने के लिए आधुनिक जीवन की स्वस्थ दिनचर्या का, परिपालन अभीष्ट फल ( स्वास्थ्य ) को देने वाला बताया गया है। जिसको पेट की गैस के स्थाई निदान में सहयोगी माना गया है।
पेट की गैस से परेशान होने पर लोग, पेट की गैस से तुरंत राहत चाहते है। जिसका मुख्य कारण पेट दर्द से होने वाली तकलीफ है। जिसके लिए अनेको उपायों को अपनाते है। जैसे – पेट दर्द का देसी उपचार और पेट की गैस के नुस्खे आदि है। जबकि इसके स्थायी समाधान के बिना अधिक दिनों तक, गैस से बचना संभव नहीं है। जिसको पेट की गैस जड़ से खत्म करने का उपाय कहते है। जिसमे पेट की गैस की दवा का प्रयोग होता है। इसको ही पेट की गैस का इलाज कहा जाता है।
पेट की गैस क्या है ( What Is Stomach Gas in Hindi )
किसी भी समस्या के समाधान के लिए क्या, क्यों और कैसे का बड़ा महत्व है। जिनको समझे बिना निदान तक पहुंचना, हथेली पर सरसो उगाने के सामान है। इन्ही निराकरणो के लिए पेट की गैस क्या होती है पूछा जाता है। चिकित्सा की दृष्टि में जिसका एकमात्र ध्येय रोग का उपचार है। जिसको पेट की गैस से छुटकारा पाने का उपाय, कहा जाता है। जिसमे पेट की गैस के लिए दवा आदि का उपयोग है। जिन्हे आयुर्वेद में अदरक के फायदे कहते है।
आयुर्वेद के अनुसार पेट की गैस का मूल वातसंचय है। जिसमे आध्मान होने लगता है। जिसके कारण पेट फूलने लगता है। वात होने पर दर्द प्रायः देखा जाता है। जो वात का स्वाभाविक गुण है। जब इसमें आध्मान होता है तो दर्द और गैस, दोनों एक साथ दिखाई पड़ते है। यह प्रकृतिगत वात का लक्षण है। जिसके कारण पेट में गैस होने पर दर्द का अनुभव होता है। जिसमे पेट में जलन और दर्द होना भी पाया जा सकता है। इसको ही पेट की गैस से सम्बोधित करते है। जिनके उपचार को पेट की गैस का इलाज कहते है।
ध्यान रहे : किसी भी तरह का दर्द होने ( आघातातिरिक्त ) पर वात सुनिश्चित है। बिना आध्मान के वात होना संभव नहीं। जिसके कारण एक की उपस्थिति होने पर, दुसरे की विद्यमानता स्वीकार्य है। जिसका मूल दोनों का एक दुसरे के अनुगत होना है। परन्तु कभी कभी बिना गैस के भी दर्द होता है। जिसमे आध्मान ( गैस ) तो होती है। लेकिन पेट नहीं फूलता। अर्थात पेट में गैस न इकठ्ठी होकर शरीर के अन्य भागो में चली जाती है। जिसके कारण अन्यान्य समस्याए होने लगती है।
पेट की गैस क्यों बनती है ( Stomach Gas Reason in Hindi )
सभी प्रकार के रोगो का मूल अग्नि मंदता है। जिसके हेतुओ में दोषयुक्त भोजनाहार का सेवन है। जिसमे शरीरगत तीनो दोषो में असंतुलन हो जाता है। जिससे हम विभिन्न रोगो के चपेट में पड़ जाते है। जैसा की ऊपर बताया गया कि पेट की गैस में वात की प्रधानता है। जिसके असंतुलित होने से इन रोगो का उद्भव होता है। जिनमे आंत्र रोगो में कब्ज का वर्णन है। जिसमे कब्ज का रामबाण इलाज उपयोगी है।
दूषण युक्त आहार ( भोजन ) को मिथ्या आहार कहा गया है। जिसमे अभोज्य, अभक्ष्य और कलंज भोजन की बात आयुर्वेदादी शास्त्रों में बतायी गई है। ऐसे दूष्य भोज्य पदार्थ को खाने से, सड़े – गले बासी और सूखे अन्न के सेवन करने से एवं स्नेहन, स्वेदन, विरेचन, वमनादि पंचकर्मो के गलत प्रयोग करने से पाचकाग्नि दुर्बल होती है। जिससे वातादि दोष प्रकुपित होकर पेट में जाकर गुल्म ( गोले ) के सामान पेट में गैस करते है।
आधुनिक परिपेक्ष्य में – मुँह से लेकर गुदा द्वार तक खुली नलीय संरचना पायी जाती है। जिसमे अनुपयोगी द्रव्यों का नियमित सेवन करने से मल जमा हो जाता है। जिसकी विघटन प्रक्रिया में गैस बनती है। जिसको पेट की गैस कहा जाता है। चिकित्सीय दृष्टि से उदर को तीन भागो में बाटा गया है। पेट का ऊपरी भाग, मध्य भाग और पेट का निचला भाग। पेट के उर्ध्व भाग में आमाशय, बीच के भाग में ह्रदय और निम्न भाग में आंतादि को स्थान दिया गया है।
पेट की गैस कैसे बनती है ( How Gas Formation In The Stomach in Hindi )
दूषित हुआ अन्न का सारभूत रसभाग जब वायु के वेग से, प्रेरित होकर आहार के पाक के प्रधानाधारभूत ग्रहणी ( ड्योडिनम ) से नए मिट्टी के घड़े के समान सूक्ष्म छिद्रो से स्नेह भाग के बाहर स्रावित होता हुआ दिखाई देता है। उसी तरह उदरगुहा से बाहर निकलकर उदर की त्वचा को चारो ओर से उद्यत कर धीरे – धीरे पेट की गैस को उत्पन्न करता है।
पेट के अंदर गैस क्यों बनती है ( Why Gas Formation In Stomach in Hindi )
जब भी उदर में या पेट के अंदर गैस की बात होती है, तो उसमे पेट के तीनो हिस्सों ( ऊपरी, मध्य और निम्न ) या किसी एक हिस्से में बनने वाली गैस का अंतर्भाव हो जाता है। इसको पेट की गैस से इसलिए जोड़ा जाता है क्योकि तीनो ही पेट में पाए जाते है। जैसा की शब्द से ही स्पष्ट है। जिसके सयुक्त प्रकल्प से भोजन को पचाने की क्रिया पेट में सम्पादित होती है। जिसमे विकृति होने पर ही पेट के अंदर गैस बनती है।
पेट के ऊपरी हिस्से में मुख्य रूप से आमाशय को और गौड़ रूप से आहार नाल, मुँह आदि को समझा जाता है। इसके मध्य भाग में लीवर, प्लीहा, ह्रदय आदि को स्थान दिया गया है। जबकि निम्न भाग में आंतो ( छोटी और बड़ी ), गुदा आदि को स्थान दिया गया है। इन सभी चरणों की पारम्परिक, सशक्त और पूरक प्रक्रिया का परिणाम ही पाचन है। जिसमे मुख्य रूप से भोजन के परमाणुओ का विखंडन एवं अवशोषण होता है। जिससे शरीर को ऊर्जा और पोषक तत्वों आदि की आपूर्ति होती है।
यदि इनको एक वाक्य में कहे तो पाचन क्रिया, मुँह से लेकर गुदा पर्यन्त चलती है। जब उपरोक्त किसी कारण की विद्यमानता होती है। तब पेट के अंदर गैस बनती है। इसके समाधान के लिए पेट की गैस के कारण में, चिकित्सीय हेतु महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
पेट की गैस के लक्षण ( Symptoms Of Gas Problem in Hindi )
- हाथो, पैरो, नाभि और पेट के आस – पास सूजन होना
- कोखा ( कुक्षि ) में दर्द होना
- पसलियों में वेदना
- पेट में पीड़ा होना ( मरोड़, जलन आदि )
- पीठ में दर्द होना
- संधियों में फटने की तरह दर्द होना
- सूखी खांसी आना ( बहुत खांसने के बाद भी कफ न निकलना )
- शरीर के अंगो में मसलने की तरह दर्द होना
- पेट के निचले भाग में भारीपन
- मल का न होना या रुकावट होना
- एकाएक पेट का फूलना इस पिचकना
- पेट में सुई चुभने के सामान दर्द होना
- पेट के ऊपर काली शिराओ का उभर आना
- पेट में पानी भरने के सामान तन जाना
- पेट में वायु का गुड़ – गुड़ शब्द के साथ इधर – उधर घूमना
पेट की गैस कितने प्रकार की होती है ( Types Of Stomach Gas Formation in Hindi )
पेट की गैस को तीन आधार पर चिकित्सा की दृष्टि से विभाजित किया जा सकता है।
दोषो के आधार पर – आयुर्वेद में तीन प्रकार के दोषो का वर्णन है। जिनको वात, पित्त और कफ के नाम से जाना जाता है। इनको ही त्रिदोष की उपमा दी गई है। इनके आधार पर होने वाली चिकित्सा को त्रिदोषज उपचार कहा जाता है। जिसमे समस्त कायिक रोग को समाहित किया गया है। इन्ही दोषो को होम्योपैथी में सोरा, सिफलिस और साइकोसिस कहते है। जिनको धातुगत चिकित्सा के नाम से जाना जाता है।
दर्द की प्रकृति के आधार पर – पेट की गैस होने पर अनेको प्रकार के दर्द होते है। जैसे – मरोड़, चुभन, टपकन, सिलाई करना, भारीपन, घबराहट इत्यादि। जिनके आधार पर पेट की गैस के लिए दवाई, का चयन चिकित्सीय सिद्धांतनुरूप किया जाता है।
स्थान ( अंग ) विशेष के आधार पर – जब गैस का प्रभाव अंग विशेष पर होता है। तब उसे उस अंग से सम्बंधित माना जाता है। जैसे – गैस के कारण तिल्ली का बढ़ना ( प्लीहावृद्धि ) होना आदि। जबकि पेट में भी अनेको स्थानों में दर्द होता है। जैसे – पेट के ऊपर, पेट के दाहिनी ओर, पेट के बाई ओर, पेट में नीचे इत्यादि।
पेट की गैस के लिए उपचारात्मक प्रक्रिया में तीनो का, तालमेल बिठाने पर ही स्थाई और पूर्ण चिकित्सा का लाभ मिलता है।
पेट की गैस का दर्द ( Pain In Stomach Gas in Hindi )
पेट में होने वाले दर्द का कोई समय नहीं होता। फिर भी कुछ लोगो में एक निश्चित समय पर इसकी पुनरावृत्ति देखी जाती है। आमतौर पर गैस की समस्या सर्दियों के समय अधिक देखने को मिलती है। जिसका दो प्रमुख कारण है। पहला रात का बड़ा होना और ठंड लगना। सर्दी बचने के लिए लोग रात्रि में जल्दी सो जाते है। और देर तक बिस्तर पर ही पड़े रहते है। जिसके कारण गैस की समस्या उत्पन्न होती है। जिसके उपचार में पेट की गैस के नुस्खे प्रयोग होते है।
दूसरा अधिक मात्रा में खाना खाना। शरद ऋतु में खाने – पीने की अनेको प्रजातियां उपलब्ध हो जाती है। जो स्वास्थ्यवर्धक होने के साथ हानिरहित भी है। जिनका सेवन शरीर बनाने के लिए किया जाता है। जानकारी के अभाव में लोग मात्रा का ध्यान नहीं रखते। जिससे पेट की गैस के फेर में पड़ जाते है। जिसमे असहनीय दर्द होता है। जिसकी प्रकृति भिन्नता के साथ लोगो में दिखाई पड़ती है। जिसके लिए पेट की गैस का घरेलू इलाज परम उपयोगी है।
पेट की गैस से बचने का उपाय ( How To Prevent Stomach Gas Problem in Hindi )
पेट की गैस से छुटकारा कैसे पाएं? यह बात सभी के मन में कभी न कभी आती है। क्योकि आज हर व्यक्ति अशास्त्रीय ( आधुनिक ) संस्कृति पालन करने के लिए विवश है। फिर चाहे शहरो में निवास के कारण हो, या अन्य किसी कारण से हो। जिसका अनुकरण करने पर रोग की स्वाभाविकी अनुगति चिकित्सा को मान्य है। ठीक वैसे ही जैसे धुँआ उठने पर आग होती है। बिना आग के धुए की सत्ता असंभव है।
पेट की गैस से छुटकारा पाने के उपाय में, खानपान, दिनचर्या, ऋतुचर्या आदि का विशेष महत्व है। स्वस्थ्य रहने के लिए इनका पालन अनिवार्य है। यह सभी निर्विकल्प है, अर्थात इनका कोई विकल्प नहीं हो सकता। यदि आलस्य, प्रमाद आदि के कारण कोई इसमें विभेद करना चाहे तो स्वास्थ्य से उसे वंचित होना पडेगा। सबको ध्यान में रखकर कुछ पेट गैस से बचने के उपाय इस प्रकार है –
- तली – भुनी चीजों का सेवन न करे। ऐसा करने से भोजन की गुरुता बढ़ती है। जिससे पाचन में कठिनाई होती है।
- बासी भोजन से परहेज करना चाहिए।
- मैदे से बनी वस्तुओ के सेवन से बचे।
- पेस्टी, केक, चॉकलेट, सैंडविच, चिप्स जैसी चीजों को खाने से बचे।
- रसायन मिश्रित ( प्रिजर्वेटिव ) भोजन न करे। अर्थात पैकेट बंद, डब्बा बंद और सील बंद खाद्य पदार्थो को न खाये।
- कार्बोनेटेड वाटर, सॉफ्ट ड्रिंक इत्यादी न ले।
- आधी रात्री के बाद भोजन न करे। रात्रि के प्रथम पहर और सोने के, दो घंटे पूर्व भोजन करना हितकारी है।
- शांत चित्त और स्वतंत्र मन से भोजन न करे। जैसे – मोबाइल चलाते हुए, टी बी देखते हुए आदि। भोजन न करे।
पेट की गैस को जड़ से कैसे खत्म करें ( Treatment Of Gas In The Stomach in Hindi )
पेट की गैस के बारे में जानकारी ही इन समस्याओ का स्थायी समाधान है। जिसके अनेको कारण बताये जा चुके है। इसके अन्य कारणों की बात करे तो तापमान की कमी से वसा का जमाव आंतो आदि में होने लगता है। जो मूलतः बड़ी आंत में होता है। ऐसा होने का मूल हेतु वसा का चिकना न होकर चिपचिपा होना है। जिनके चलते इनका जमाव उदर कोष्ठो में होने लगता है। जिसको आयुर्वेदादी शास्त्रों में मल संचयन कहा गया है। जिससे फैटी लीवर आदि की समस्याए उत्पन्न होती है।
यहाँ मल का अर्थ मुख्यतः वात है, और गौड़ रूप से कफ और पित्त है। जिनके निवारण के लिए स्नेहन ( मालिस या अभ्यंग ) आदि का, वैधानिक अधिकार चारकादि महर्षियो द्वारा हमें प्राप्त है। जिनका प्रयोग अनादिकाल से चिकित्सा मर्मज्ञ धैर्य और सफलता पूर्वक करते रहे है। जिनको आज पेट की गैस के उपाय कहा जाता है।
पेट की गैस के बारे में उपाय की बात करे, तो इसके सभी पहलुओ पर विचार करना आवश्यक है। जिससे सैद्धांतिक और व्यवहारिक दोनों में सामंजस्य स्थापित किया जा सके। जिसमे रोग कारण के रूप में उपलक्षित सभी हेतुओ पर हमारा ध्यान आकृष्ट हो सके।
पेट की गैस बाहर कैसे निकाले (Stomach Gas Solution in Hindi)
सनातन चिकित्सा में पेट की गैस का कारण वात को माना गया है। जिसके आपनोदन के लिए शोधन की बात कही गई है। जिसमे मुख्यतः विरेचन क्रिया को स्वीकारा गया है। इसके समुचित प्रयोग से न केवल वात संचित मार्गो की, रुकावट दूर होती है। बल्कि पेट भी साफ़ होता है। पेट की गैस बनने का कारण इन्ही व्यवधानों को माना गया है।
विरेचन में जिन दवाइयों का उपयोग होता है। उन्हें ही विरेचक द्रव्यों के नाम से जाना जाता है। जैसे – अरंडी ( कैस्टर ) का तेल, तिल का तेल, पेट की गैस का चूर्ण ( त्रिफला आदि ) है। सभी पेट में जमे हुए मल को गुदा मार्ग से बाहर निकालते है। जिसमे भोजन की गुणवत्ता और देह प्रकृति दोनों ही, पेट की गैस के लिए दवा के जैसे उपयोगी है। इनका कुछ दिन तक नियमित सेवन करने से, पेट की गैस का जड़ से छुटकारा मिलता है।
पेट की गैस को जड़ से खत्म करने के उपाय ( How Reduce Stomach Gas in Hindi )
पेट की गैस का अभिप्राय पेट न साफ़ होने से है। जिसमे मुख्य रूप से आंतो का साफ़ न होना है। जिसके लिए पेट की गैस साफ करने का तरीका अक्सर पूछा जाता है। यह वह स्थिति होती है, जिसमे रोगी जल्दी से जल्दी गैस को बाहर निकालना चाहता है। ऐसा करने के लिए सभी उपायों को करता है। जिससे उसकी तकलीफ में कमी हो। गैस के कारण होने वाला दर्द अत्यंत पीड़ादायक, असहनीय और जान लेने वाला होता है।
पेट को साफ़ करने का सबसे उपयुक्त उपाय आयुर्वेद में है। जिसमे गुणवत्ता परक भोजन, पर्याप्त परिश्रम और तनाव मुक्त जीवनशैली अपनाने की बात कही गई है। यह सूत्र हर देश, हर काल, हर परिस्थिति में हर व्यक्ति पर लागू होता है। जिसका पालन करने पर हमें सहजता से स्वास्थ्य प्राप्त होता है। प्राप्त खाद्य सामाग्री में दोष होने पर शरीरगत क्रिया प्रणाली में दोष होता है। जिससे गैस की समस्या आदि होती है।
शरीर, भोजन आदि दोषापनोदन की चर्चा आगे की जा रही है। इसमे पेट दर्द और गैस का घरेलू उपाय आदि है। जिसमे विरेचन की क्रिया पर बल दिया गया है। जो शरीर में संचित मल को बाहर निकालने का कार्य करती है। जिससे पेट के अंगो में फसा हुआ कचरा ( अशुद्धि ) बाहर निकल जाता है। जिससे गैस की समस्या समाप्त हो जाती है। जिनको पाचन क्रिया कैसे सुधारे में प्रयुक्त माना गया है।
पेट के गैस का घरेलू उपाय (Home Remedy Stomach Gas in Hindi)
पेट की गैस का घरेलू उपाय में चूर्ण, काढ़े, क्वाथ आदि प्रयोग में लाये जाते है। जैसे – गैस के लिए चूर्ण में जीरा, अजवाइन, काला नमक और सेंधा नमक का प्रयोग अत्यंत लाभकारी है। इन चारो को सामान भाग में लेकर प्रयोग किया जाता है। यदि रोगी का कफ प्रकृति का न हो तो इसमें नीबू मिलाकर भी प्रयोग किया जा सकता है। जबकि गर्मियों के दिनों में दोपहर आदि में, नीबू के साथ सभी इसका प्रयोग कर सकते है।
पेट रोग का पित्त से विशेष सम्बन्ध होता है। जिसके निवारण के लिए दोपहर के भोजन में, अजवाइन की छौक लाभकारी है। दही को अजवाइन और काला नमक का तड़का लगाकर, खाना भी पेट गैस का घरेलू उपाय है। वात दोष के निवारण के लिए मालिस करना उपयोगी है। जिसको अभ्यंग भी कहा जाता है। इनके साथ इनको पीने से भी वात नष्ट होता है। जिसको पेट की गैस का घरेलू उपचार इन हिंदी भी कहते है।
पेट रोगो में मालिस करने और पीने के लिए निशोथ, मीठा सहिजन और मूली के बीजो का तेल प्रयोग करना उपयोगी माना गया है। जिसके कारण इनको पेट की गैस को जड़ से खत्म करने के उपाय कहा गया है। यह मल को ढीला कर पेट को साफ करने में मदद करता है।
पेट की गैस का चूर्ण (Stomach Gas Remedies in Hindi)
पेट की गैस के लिए चूर्ण में रोहीतक की छाल, जमालगोटा की जड़, आंवला, बहेड़ा और हरड़ । सभी को सामान भाग लेकर क्वाथ विधि से पाक करे। उसमे मारीच, सोंठ, जवाखार और पीपल मिलाकर पीने से पेट की गैस दूर होती है। इन चूर्णों को गैस का आयुर्वेदिक चूर्ण भी कहते है।
धनियां, हाऊबेर, अजवाइन, त्रिफला, स्याहजीरा, मंगरैल, पीपलामूल, अजमोदा, कचूर, मीठावाच, सोया, जीरा, सोंठ, मारिच, पीपल, स्वर्णक्षीरी की जड़, चित्रकमूल, जवाखार, सज्जीखार, पोहकरमूल, मीठाकूत, सेंधा नमक, सोंचर नमक, विरिया नमक, सामुद्र नमक, सांभर नमक, वायविडंग। सभी को समान भाग में लेकर जमालगोटा की जड़ 3 भाग, निशोथ और इन्द्रायण की जड़ 2-2 भाग, पीले दूध वाले थूहर की जड़ 4 भाग लेकर इनका कपड़छान चूर्ण बनाकर रख ले। इसको ही नारायण चूर्ण कहा जाता है। जो आयुर्वेद में पेट की गैस को जड़ से खत्म करने के उपाय के रूप में प्रयोग किया जाता है।
दंतीमूल, गवाक्षी ( इन्द्रायण ), शंखिनी, तिल्वक ( लोध विशेष ) का छिलका, बालवच। सभी सम भाग में लेकर कपड़छान चूर्ण कर ले। इसको लगभग 1 -2 मासा की मात्रा में लेकर मुनक्का के क्वाथ, गोमूत्र, बेर के क्वाथ, झड़बेर के क्वाथ, और सीधु ( मद्य भेद ) के साथ पीने से गैस आदि समस्याए दूर होती है। इस चूर्ण को गवक्ष्यादि चूर्ण कहते है। जिनसे पेट की गैस का रामबाण इलाज किया जाता है।
गैस की आयुर्वेदिक दवा (Ayurvedic Remedy For Stomach Gas in Hindi)
आयुर्वेद में गैस की दवा अनेक है। लेकिन नारायण चूर्ण का आयुर्वेद जगत में बहुत आदर है। यह लगभग – लगभग सभी रोगो में परमोपयोगी है। इसका जैसा नाम है वैसा काम भी है। अंतर केवल इतना है कि रोग भेद के अनुरूप इसके अनुपान में भिन्नता है। जैसे – उदर रोग में इसको मठ्ठे के साथ प्रयोग किया जाता है। एवं वायु के कारण कोष्ठबद्धता होने पर मदिरा और वात में, प्रसन्ना के साथ प्रयोग होता है। इसकारण इसको गैस की रामबाण आयुर्वेदिक दवा भी कहते है।
पेट गैस की आयुर्वेदिक दवा में हपुषादी चूर्ण भी है। जो गैस के कारण पेट में दर्द होने पर प्रयोग होता है। जिसके लिए हाऊबेर, स्वर्णक्षीरी की जड़, आंवला, हरड़, बहेड़ा, नीली का बीज, कुटकी, त्रायमाणा, सातला, सफ़ेद निशोथ, मीठावच, सेंधानमक,विरियानमक, पिप्पली। सभी सामान भाग में लेकर कूट पीसकर कपड़छन चूर्ण कर ले। इसके लिए अनुपान के रूप में खट्टे अनार का रस, गोमूत्र, गुनगुना जल, त्रिफला क्वाथ आदि में किसी एक के साथ प्रयोग करना चाहिए।
यह एक श्रेष्ठ विरेचक चूर्ण है। जिसको पेट की गैस का दवाई या पेट की गैस के लिए दवाई भी कहते है। यह पूर्णतः आयुर्वेदीय सिद्धांतो के अनुरूप है। जिससे इसे गैस की दवा का नाम आयुर्वेदिक कहते है। जबकि पतंजलि गैस की दवा में त्रिकटु चूर्ण, गैसहर चूर्ण और त्रिफला चूर्ण का प्रयोग होता है। जिनको गैस की रामबाण दवा पतंजलि भी कहा जाता है।
पेट की गैस की अचूक दवा homeopathic
पेट रोगो के समाधान होम्योपैथी द्वारा भी होता है। जिनकी दवाओं के निर्माण में सामान्यतः प्लांट, एनिमल और मिनरल का प्रयोग होता है। जबकि नोसोड में अनेको प्रकार की कोशिकाओं की विकृत अवस्था का उपयोग होता है। जो पूर्णतः वैज्ञानिक सिद्धांतानुरूप है। इन्ही उपयोगिताओं से आकर्षित होकर लोग पेट में गैस का इलाज होम्योपैथी दवा का नाम पूछते है। जो पेट की गैस को जड़ से खत्म करने के उपाय भी है।
पेट की गैस से तुरंत राहत पाने के लिए आयुर्वेद में जिस प्रकार हींग का प्रयोग होता है। उसी प्रकार होम्योपैथी में चाइना, कार्बो वेज और लाइकोपोडियम का प्रयोग है। गैस की रामबाण होम्योपैथिक दवा में कैल्केरिया, पल्साटिला, सीपिया, कैरिका पपाया, काली कार्ब, एण्टियम क्रूड, कैमोमिला, ब्रायोनिया, आर्सेनिक, कोलोसिन्थ आदि का प्रयोग होता है। इनके कारण लोगो का होम्योपैथिक दवाओं पर विश्वास है।
खाली पेट गैस की दवा में डायोस्कोरिया और मरोड़ के साथ पेट दर्द में कोलोसिन्थ आदि का प्रयोग होता है। छाती में गैस के कारण दर्द होने पर कार्बो वेज, पूरे पेट में तनाव के साथ दर्द होने पर चाइना उपयोगी है। कुछ भी खाने के बाद पेट में गैस बनने पर नुक्स वोमिका और कुछ भी खाने के बाद दस्त होने पर पल्साटिला उपयोगी है।
पेट की गैस के लिए टेबलेट (Tablet For Stomach Gas in Hindi)
टेबलेट्स को ही गैस की अंग्रेजी दवा कहा जाता है। जिसमे अनेको प्रकार की कृत्रिम दवाई है। परन्तु आजकल आयुर्वेदिक टेबलेट भी उपलब्ध है। जिन्हे वटी इत्यादी नामो से भी जाना जाता है। जब भी पेट की गैस की दवा क्या है? पूछा जाता है तो उसमे सभी दवाई सम्मिलित होती है। फिर चाहे वो आयुर्वेदिक हो, एलोपैथिक हो या कुछ और हो। परन्तु टेबलेट का प्रथम विचार एलोपैथिक है। कुछ गैस की अंग्रेजी दवा का नाम इस प्रकार है –
- गैस ओ फ़ास्ट
- जेलुसिल
पेट की गैस के लिए एक्यूप्रेशर पॉइंट (Acupressure For Stomach Gas in Hindi)
एक्यूप्रेशर चिकित्सा में भी पेट की गैस का उपचार होता है। जिसको पेट की गैस का तुरंत इलाज Acupressure आदि नामो से जाना जाता है। जिसमे किसी दवा की आवश्यकता नहीं होती। इसमें कुछ निश्चित बिन्दुओ पर दाब डालकर रक्तचाप को उत्तेजित कर, चिकित्सा की जाती है। जिसके अनेको स्थानों की चर्चा मर्म चिकित्सा आदि में है। मर्मीय बिन्दुओ से सम्बंधित बाते भाव प्रकाश आदि आयुर्वेदादी ग्रंथो में भी प्राप्त है। इसलिए पेट की गैस को जड़ से खत्म करने के उपाय में एक्यूप्रेशर का भी प्रयोग किया जाता है।
जबकि इसके कुछ उपाय इस प्रकार है –
- कोहनी के ऊपरी भाग को दबाने से पेट की गैस में आराम मिलता है।
- तर्जनी और मध्यमा उंगलियों की नाखूनों की संधि पर दबाना, पेट की गैस से छुटकारा पाने के उपाय है।
पेट की गैस के लिए योग और व्यायाम (Yoga And Exercise For Stomach Gas in Hindi)
प्रकट फल देने के कारण आज योग की प्रसिद्धी है। इन्ही विशेषताओं की उपयुक्तता इनको चिकित्सा में सहायक बनाती है। जिसको अपनाकर बहुत ही कम समय में, रोग की चपेट से मुक्त हुआ जा सकता है। जिसको पेट की गैस का तुरंत इलाज yoga भी कहा जा रहा है। जो पेट की गैस में बदबू आना जैसी समस्याओ के, समाधान में इनका उपयोग है।
आयुर्वेदान्तर्गत प्राप्त परहेज में पेट रोगियों को, अधिक परिश्रम का प्रतिषेध किया गया है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योकि बिना कुम्भक के मेहनत – मजदूरी, भारी वजन उठाना, अधिक दूरी तक पैदल चलना आदि संभव नहीं। कुम्भक की प्रक्रिया में श्वास रोका जाता है। जिससे पेट पर दाब लगता है। जिनके कारण आंतो में अनेको प्रकार की समस्या के, होने की संभावना होती है। जैसे – जलोदर आदि।
पेट की गैस के लिए आसन में पदमासन, शवासन, सुखासन आदि करना लाभकारी है। जबकि व्यायाम में ताजी धुप सेकना, धीरे – धीरे पैदल टहलना सर्वोपयोगी बताया गया है।
ध्यान रहे : पेट की गैस में पेट पर दाब डालने वाली, सभी क्रियाओ का त्याग नितांत आवश्यक है।
पेट की गैस से होने वाले नुकसान (Side Effects Of Stomach Gas And Pain in Hindi)
नवीन गैस की समस्या होना सामान्य है। यह हर किसी को होती है। जिसके लिए अनेको प्रकार के घरेलू नुस्खों का प्रयोग ही पर्याप्त है। परन्तु जब यह नियमित रूप से होने लगती है। तब किसी बड़े और कष्टकारी रोग होने का संकेत हो सकता है। जैसे – लीवर बढ़ने का लक्षण आदि। जिनसे बचाव के लिए लोग पेट की गैस की दवा बताएं की बात करते है।
पेट में गैस बने तो क्या खाना चाहिए (Diet For Painful Stomach Gas in Hindi)
पेट में गैस बनने पर क्या खाना चाहिए? यह प्रश्न हर उदर रोगी के मन में होता है। जिसका उत्तर आधुनिक प्रचलित पद्धतियों में ढूढ़ने पर अधिक से अधिक 1 % ही प्राप्त हो पाता है। जबकि वेदादि ( आयुर्वेदादी ) शास्त्रों में इसका शत – प्रतिशत विवेचन प्राप्त होता है। जिसमे भोजन की वैज्ञानिकता ही नहीं। इसके दार्शनिक और व्यवहारिक परिपेक्ष्यों का भी वृहद्, गंभीरता पूर्वक और पैनी ( सूक्ष्म ) दृष्टि से विचार किया गया है। इस आधार पर भोजन का महत्व न केवल विज्ञान आधारित है, बल्कि दर्शन और व्यवहार आधारित भी है।
यही वजह है कि भोजन कि त्रुटि भी रोग में हेतु है। जिसके निवारण के लिए आयुर्वेदादी शास्त्रों के मर्मज्ञ आचार्यो ने, भोजन को ही औषधि बनाने की बात कही है। जिनके लिए भोज्योंषधि और अन्नौषधि जैसे शब्दों का प्रयोग, चिकित्सीय शास्त्रों में किया गया है। जिनको पेट की गैस में क्या खाना चाहिए, और पेट गैस में क्या खाना चाहिए कहते है। उदर रोगो में सामान्यतः लघु विपाकी, शीघ्र पचने वाले और पौष्टिकता से भरपूर भोजन उपयुक्त माना गया है।
जिसमे अन्नो में जौ, मूंग और लाल शालीचावल तथा आसव, आरिष्ट, मधु ( शहद ), मूत्र, सीधु, सुरा का प्रयोग बताया गया है। यह सभी रोगी के जठराग्नि को प्रदीप्त करने में सहायक है। अर्थात पेट की गैस की दवा के रूप में इनका प्रयोग है। जबकि पेट रोग में सोंठ के भी अपने फायदे और नुकसान है।
पेट में गैस बने तो क्या नहीं खाना चाहिए (Don’t Eat In Stomach Gas And Pain in Hindi)
पेट की गैस में क्या नहीं खाना चाहिए, यह जानना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। जितना कि पेट में गैस के लिए क्या खाना चाहिए? आयुर्वेद में इनको सावधानी और परहेज इत्यादी कहा गया है। जिसका पूर्णतः पालन करने पर पेट की गैस आदि, से छुटकारा पाने में सहायता मिलती है। सिद्धातानुरूप भोजन को ही आयुर्वेदादी शास्त्रों में औषधि कहा गया है। जिसको जानने के बाद पेट में गैस बनने पर क्या नहीं खाना चाहिए का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
वैसे से सभी प्रकार के उदर रोगो में पानी और, इसमें उत्पन्न होने वाली वस्तुओ के सेवन का प्रतिषेध है। जैसे – हरी पत्तियों वाली शाक – पात, मछली आदि को पेट में गैस होने पर क्या नहीं खाना चाहिए। इनके अतिरिक्त कुछ ऐसी चीजे है। जिनको पेट में गैस बनता है तो क्या नहीं खाना चाहिए। जैसे –
- मैदे से बना हुआ, अत्यधिक तला – भुना, मिर्च – मसाला लगा हुआ पदार्थ। जैसे – पिज्जा, बर्गर, चाउमीन आदि।
- उष्ण, नमकीन, खट्टे इत्यादी पदार्थो को नहीं खाना चाहिए।
- विदाहकारी ( जलन करने वाले ) खाद्य वस्तुओ का सेवन नहीं करना चाहिए। जैसे – खटाई, अचार आदि।
- चॉकलेट, चिप्स, स्नेक्स आदि का सेवन हानिकर है।
- चावल के आटे से विनिर्मित सभी पदार्थ त्याज्य है।
- पेट की समस्याओ में तिल नहीं खाना चाहिए।
- पेट रोग में शक्ति संचय के लिए दूध का प्रयोग होता है। परन्तु पेट की गैस में दूध न खाये तो अच्छा है।
उपसंहार :
शरीर गत दोषो को संतुलित रखने के लिए, प्रयोग होने वाले सिद्धांत ही पेट की गैस को जड़ से खत्म करने के उपाय है। जिसमे आहार चर्या और दिनचर्या आदि का विशेष योगदान है।
सन्दर्भ :
FAQ
पेट की गैस दूर करने के लिए कौन सा आसन उपयोगी है?
पेट की गैस में नौकासन, हलासन आदि उपयोगी है।
गैस बनती हो तो क्या खाएं?
सुपाच्य, स्वादिष्ट और सादा भोजन ही गैस बनने पर खाना चाहिए।
आंतों में गैस क्यों बनती है?
नियमित पेट साफ न होने से, आंतो में मल का संचय हो जाने के कारण गैस बनती है।
क्या दाल खाने से गैस बनती है?
सामान्यतया दाल खाने से गैस नहीं बनती। जबकि वातादि दोष से पीड़ित अधिक गुरु दाल जैसे उरद इत्यादि दालों का, सेवन करने पर गैस की समस्या देखी जाती है।
रात को कौन सी दाल नहीं खानी चाहिए?
रात के समय कोई भी दाल नही खानी चाहिए।
पेट की गैस में कौन कौन सी दाल खानी चाहिए?
पेट की गैस के लिए पाचन में हल्की, प्रोटीन से युक्त और बल प्रदान करने वाली दाल खानी चाहिए। जैसे – मूंग आदि।
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