हममें से ज्यादातर लोगो के दिन की शुरुआत चाय और काफी से होती है। जो अक्सर बवासीर के मरीजों को तकलीफ देती है। जिससे बवासीर रोगियों को आशंका होती है कि बवासीर में चाय पीनी चाहिए या नहीं। सुबह के समय हमारा पेट खाली होता है। जिससे कब्जियत की समस्या को बल मिलता है। तो आइये जानते है कि बवासीर में चाय पी सकते हैं या नहीं।
बवासीर में चाय
बवासीर गुदा में होने वाली एक ऐसी बीमारी है। जिसमे हमारी गुदबलियो में मांस के मस्से निकल आते है। जिससे मल के निकलने में रुकावट होने लगती है। जिनको मुख्य रूप से बवासीर के लक्षण कहते है। चाय और काफी जैसे पदार्थ में इन लक्षणों को बढ़ाने की संभावना पाई जाती है। जिसके कारण बवासीर के मरीजों के लिए चाय पीना एक बड़ा सवाल होता है।
आजकल चाय की अनेको किस्मे बाजारों में उपलब्ध है। जैसे – कुल्हड़ चाय (kulhad chai), मसाला चाय आदि। लेकिन यह सभी चाय ही है। जिनको बनाने के लिए चायपत्ती का ही इस्तेमाल किया जाता है। जिससे इनका सेवन बवासीर के मस्से को जड़ से खत्म करने का उपाय में हानिकर बताया गया है। जिसके लिए बवासीर में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं को जानने की आवश्यकता है।
बवासीर में चाय पीनी सही है या गलत?
चाय को बनाने के लिए चाय पत्ती, दूध और मिठास लाने के लिए चीनी की आवश्यकता पड़ती है। जिनके समिश्रण को पानी में डालकर खौलाने से गरमा गरम चाय बनती है। जिसका सेवन सभी ऋतुओ में किसी भी समय लोग करते है। जिससे यह और हानिकर सिद्ध होती है। आयुर्वेदानुसार चाय में लगभग 14 प्रकार के विषाक्त पदार्थ पाए जाते है। जिनका सेवन करने से भूख मरती है, निद्रा का नाश और शुक्र का क्षय होता है। जिससे यह चाय हमारे स्वास्थ्य के साथ ब्रह्मचर्य पर भी आघात करती है।
आयुर्वेद में बवासीर की दशा में निम्न गुण रखने वाली वस्तु के सेवन का निषेध है।
- कब्जकारक हो
- मंदाग्नि को बढाए
- अपानवायु प्रतिलोम करें
चाय में उपरोक्त तीनो गुणों का समावेश है। चाय का सेवन करने से कब्जकारी गतिविधियों को बल प्राप्त होता है। कब्ज के बढ़ने से अपानवायु का प्रतिकूलन होता है। जिसके कारण पेट में गैस बनना देखा जाता है। जिससे प्रभावित होकर पाचन अग्नि क्षीण होने लगती है। इसलिए बवासीर में चाय पीना बवासीर में मीठा खाने के समान हानिकर है।
आधुनिक विज्ञान के अनुसार चाय में कैफीन नामक तत्व पाया जाता है। जो रक्तचाप को बढ़ाने का काम करता है। जिसके कारण बवासीर में चाय पीना घातक माना जाता है। ठीक उसी प्रकार जैसे बवासीर में आलू खाना नुकसानदायक माना गया है।
बवासीर में कौन सी चाय पीनी चाहिए?
बवासीर रोग में सभी प्रकार की चाय हानिकारक है। इसलिए बवासीर में चाय की जगह कुछ और पीना चाहिए। जिससे हमारे शरीर को आवश्यक पोषण प्राप्त हो सके। जिससे शरीरगत असंतुलित दोष संतुलित होकर हमें स्वस्थ बनाये रखे।
जिसके लिए अनेक प्रकार के औषधिगत काढ़े की चर्चा आयुर्वेद में आयी है। जैसे – तुलसी, मेथी, दालचीनी, गिलोय, काली मिर्च ( मरिच ) आदि का काढ़ा। जिनका सेवन करते रहने से हम स्वस्थ बने रहते है।
यह सभी ऐसी जीवनदायी औषधिया है। जिनका सेवन करने से हमारी दिनचर्या बाधित नहीं होती, बल्कि हमें बहुत से अन्य लाभ भी प्राप्त होते है। जैसे – शरीर की सफाई, आलस्य और चुस्ती – फुर्ती बनाये रखती है।
उपसंहार:
बवासीर के रोगियों के लिए चाय पीना एक बड़ी समस्या हो सकती है। जिसके कारण हम बवासीर में चाय पीनी चाहिए या नहीं के सोच में पड़ जाते है। क्योकि शहरी जीवन जीने वालो के दिन की शुरुआत चाय से ही होती है। उसमे भी वो लोग चाय का सेवन दिन में बहुत बार करते है। जिससे इनके जीवन में चाय के दुष्परिणाम रोगो के रूप में दिखाई देते है।
लेकिन बहुतों के लिए बवासीर में चीनी छोड़ पाना कठिन होता है, तो बहुत को चाय। यह सब ऐसे खड़ी पदार्थ है। जिनकी हमे लत बहुत जल्दी लगती है। जबकि वास्तव में बवासीर रोग को उपचारित करने के लिए परहेज के रूप में चाय को छोड़ना जरूरी है।
सन्दर्भ:
अष्टांग ह्रदय चिकित्सा अध्याय – 08
अष्टांग संग्रह चिकित्सा अध्याय – 10
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