माइग्रेन ( आधे सिर में दर्द होना ) : migraine in hindi

माइग्रेन एक प्रकार का सिर दर्द है। जो सिर के एक ओर ही होता है। इसलिए यह एक साइड का सिर दर्द भी कहलाता है। जिसकी पहचान माइग्रेन के लक्षण द्वारा होती है। जबकि इसके उपचार में माइग्रेन के लक्षण और उपाय दोनों की आवश्यकता पड़ती है। मस्तिष्क रोग होने के कारण माइग्रेन के नुकसान अत्यंत घातक है। जिसकी चिकित्सा में आयुर्वेदिक औषधियों, माइग्रेन की टेबलेट आदि की आवश्यकता पड़ती है। जैसे – पेट में जलन और दर्द होने पर होती है।  

माइग्रेन के लक्षण और उपाय

माइग्रेन का दर्द (migraine pain) सिर के आधे हिस्से में, बार – बार मध्यम से गंभीर सिर दर्द पैदा करता है। जिसके कारण इसे अधकपारी, आधाशीशी, मिग्रेन (maigrane), हीमेक्रेनिया (hemicrania) इत्यादी नामो से जाना जाता है। माइग्रेन उल्टी, ओकाई ( मतली ), चक्कर आना, प्रकाश और ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता बढ़ा देता है। जिसका प्रभाव कुछ घंटो से लेकर अनेक दिनों तक हो सकता है। सिर दर्द के घरेलू उपाय सभी प्रकार के सिर दर्द में उपयोगी है। चिकित्सा जगत में इसके मूल कारण का पता नहीं है। जिसके कारण इसको आनुवंशिक माना जाता है।

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माइग्रेन क्या है  (migraine kya hai)

आज के महायान्त्रिक युग में मानसिक समस्याओ की भरमार है। जिसमे माइग्रेन दुनिया की लगभग तीसरी सबसे प्रचलित बीमारी है। जिसकी समस्या से लगभग 100 करोड़ लोग ग्रसित है। जिसमे महिलाओ की संख्या लगभग 50 प्रतिशत और पुरुषो की संख्या लगभग 25 प्रतिशत है। कुछ विशेषज्ञ इसे स्नायुविक रोग तो कुछ इसे मस्तिष्क रोग कहते है। जिसके कारण लोगो में माइग्रेन को लेकर अनेको प्रकार के भ्रम है। जैसे – माइग्रेन सिर दर्द क्या है (what is headache migraine) इत्यादि। 

माइग्रेन एक प्रकार का सिर में होने वाला दर्द है। जो प्रातः काल भौहो या आँखों या कनपटी या इन सब में मंद पीड़ा के साथ प्रारम्भ होता है। और धीरे – धीरे बढ़ता हुआ क्रमशः सिर के आधे भाग में फैल जाता है। यह रोग प्रायः सिर के आधे भाग में ही सीमित रहता है। किन्तु कभी – कभी एक तरफ से दूसरी तरफ फैलकर पूरे सिर में भी हो जाता है। जिसको माइग्रेन के नाम से जाना जाता है। जिसको जानने के लिए  माइग्रेन क्या है इन हिंदी (what is migraine in hindi) पूछा जाता है। जबकि न्यूरेल्जिया में भी सिर में तीव्र दर्द होता है।

पेट में गैस बनने पर भी माइग्रेन होता है। जिससे पेट में दर्द के साथ अन्य समस्याए भी होती है। वही कब्ज भी अनेक विकृतियों को जन्म देता है। जिसका उपचार कब्ज का रामबाण इलाज द्वारा किया जाता है। 

माइग्रेन रोग क्या है (what is migraine headache)

माइग्रेन रोग क्या है

माइग्रेन के लक्षणों (migraine headache symptoms) से युक्त सिर दर्द की माइग्रेन के रूप में पहचान होती है। इसके नियमित या स्थायी हो जाने को माइग्रेन रोग कहते है। जो सामान्यतः सिर दर्द का एक प्रकार है। जिसका दर्द विशेष तरह का होता है। जिससे इसमें अत्यंत तीव्र और घातक दर्द होता है। जो रोगी को झकझोर कर रख देता है। कभी – कभी यह दर्द इतना बढ़ जाता है कि गंभीर से गंभीरतम समस्याओ का जन्मदाता बन जाता है। जैसे – आंशिक अथवा पूर्ण पक्षाघात ( लकवा ) आदि। इस कारण माइग्रेन क्या होता है (migraine kya hota hai) को जानना और भी आवश्यक है। 

माइग्रेन क्यों होता है (migraine kyu hota hai)

माइग्रेन प्रायः बाल्यकाल से युवावस्था में अधिक, फिर क्रमशः कम होता हुआ। वृद्धावस्था में प्रायः अपने आप बंद हो जाता है। यह रोग ज्यादातर बुद्धिजीवियों, अत्यधिक कार्यकरने वाले पुरुषो और विचारवती महिलाओ को अधिक प्रभावित करता है। यह रोग पुरुषो की अपेक्षा स्त्रियों, युवाओ की अपेक्षा युवतियों में और लड़को की अपेक्षा लड़कियों में अधिक पाया जाता है। जिसका कारण मासिक धर्म ( माहवारी ), रजोनिवृत्ति ( मेनोपॉज ) के समय, डिंबग्रंथि ( ओवरी ) अथवा पीयूष ग्रंथि (pituatry gland) विकारो के कारण भी माइग्रेन होता है।

माइग्रेन कैसे होता है (migraine kaise hota hai)

सामान्यतः आधे सिर दर्द को माइग्रेन समझा जाता है। जिसके कारण आयुर्वेद में आधा सिर दर्द का कारण निम्न बताया गया है। जिनको आमतौर पर माइग्रेन क्या है कैसे होता है द्वारा व्यक्त करते है। जैसे हिचकी आने पर हिचकी आने का क्या कारण है आदि। 

रूखा भोजन करने से, बिना पचे पुनः भोजन करने से, अधिक हवा या पुरवा हवा का सेवन करने से, ओस में रहने से, अति मैथुन करने से, मल – मूत्रादि के वेगो को धारण करने से, अत्यधिक श्रम एवं व्यायाम करने आदि से कुपित अकेला बलवान वायु अथवा कफ से सयुक्त वायु सिर के आधे भाग को पकड़कर आक्रांत करता हुआ मन्या, भौह, कनपटी, आँख, कान और माथे के आधे हिस्से से वज्रपात के सामान तीव्र वेदना उत्पन्न कर देता है। जिसको माइग्रेन का दर्द क्षेत्र (migraine pain area) कहा जाता है। 

माइग्रेन हिंदी मीनिंग (migraine meaning in hindi)

आयुर्वेदादी शास्त्रों में अर्धावभेदक को माइग्रेन (migraine) के सामान कहा गया है। जिसका कारण माइग्रेन और अर्धावभेद में लक्षणों का सम होना है। जबकि चिकित्सा शास्त्रों में इसको स्नायुविक मस्तिष्क रोग कहा गया है। जिसका मतलब मस्तिष्कगत स्नायुविक विकार माइग्रेन का कारण है। जिसको समझने के लिए माइग्रेन मीनिंग इन हिंदी या,माइग्रेन मीन्स इन हिंदी का प्रश्न किया जाता है। 

माइग्रेन हिंदी में आधे सिर में होने वाला दर्द कहलाता है। जिसको आधाशीशी का दर्द भी कहते है। माइग्रेन और अपस्मार दोनों ही आघात के प्रकार है। किन्तु दोनों के लक्षणों में भेद है। माइग्रेन से मुक्ति पाने में माइग्रेन का मंत्र परमोपयोगी है। जिनको हिंदी भाषी माइग्रेन इन हिंदी कहते है। 

माइग्रेन होने का कारण (migraine causes)

आधुनिक विचारको के अनुसार माइग्रेन के संभावित कारण निम्नलिखित है –

  • सिर दर्द की प्रारम्भिक अवस्था में माइग्रेन होने की संभावना होती है। क्योकि शारीरिक संश्लेषण और विश्लेषण की क्रियाओ से उत्सर्जित होने वाला विष या अन्य विष रक्तसंचरण द्वारा मस्तिष्क में आकर सिर में तीव्र दर्द पैदा करता है। इसके साथ पित्त का वमन और मस्तिष्कगत धमनियों के संकुचित होने से मुख पर अवसन्नता के लक्षण दिखाई पड़ते है।
  • रक्तवाहिनियों की विस्तृति ( प्रसार ) से भी सिर में दर्द हो सकता है। क्योकि जैसे – जैसे बहिर्ग्रीवाधमनी की शाखाओ में विस्तार होने के फलस्वरूप सिर दर्द और चेहरा आरक्तवर्ण का हो जाता है। जो इलेक्ट्रानिक उपकरण नियंताओ में भी देखा जाता है। जिसका कारण नेत्र रक्तवाहिनियों पर पड़ने वाला प्रसारात्मक दबाव है।
  • नेत्र दोष ( नेत्र पेशियों की दुर्बलता, सिनेमा आदि हानिकारक प्रभाव वाले खेलो को अधिक देखना )
  • इनके अतिरिक्त गर्दन और सिर की पेशियों के सिकुड़ने से भी सिर में दर्द होता है। जिसको माइग्रेन से जोड़ा जाता है।
  • मस्तिष्कगत धातु की क्रिया सम्बन्धी गड़बड़ी होने से अपस्मार के लक्षणों के साथ सिर में दर्द उत्पन्न होता है। जो माइग्रेन का बड़ा कारण है। 
  • शीर्षाम्बु में पाए जाने वाले छिद्रो के बंद होने से भी माइग्रेन की समस्या होती है।
  • पीयूष ग्रंथि के विकार भी माइग्रेन से होने वाले सिर दर्द के कारण है। जिनको आजकल हार्मोनल एम्बलेंस कहा जाता है।
  • इसके अतिरिक्त चिंता, भोजन की अनियमितता, कुलज प्रवृत्ति भी माइग्रेन रोग के जनन में सहायक है।

माइग्रेन लक्षण (migraine symptoms in hindi)

माइग्रेन पुराना होने पर ही अपनी तीव्रता को प्रकट करता है। जिससे शुरुआती दिनों में प्रायः लोग माइग्रेन को समझ नहीं पाते। जिससे यह धीरे – धीरे बढ़कर जीर्ण रोग में परिणत हो जाता है। इस कारण माइग्रेन की पहचान के लिए माइग्रेन के लक्षण in hindi (symptoms of migraine in hindi) को जानना अत्यंत आवश्यक है। कुछ लोग माइग्रेन के लक्षण को, आधासीसी दर्द के लक्षण (migraine ke lakshan in hindi) कहते है। जिसमे उपरोक्त कारणों से निम्नलिखित लक्षण पाए जाते है –

आधे सिर में भौह, कनपटी, माथे, कान, नेत्रों में शस्त्र से काटने, आग से जलने या मथनी से माथे जाने के समान भीषण पीड़ा को उत्पन्न करता है। जो हर तीसरे, पांचवे, पंद्रहवे दिन या एक माह बाद दोहराती है। जिसकी अवधि कुछ क्षणों से दिनों तक भी हो सकती है।  यदि किसी कारणवश रोग बढ़ता है तो दर्द वाले भाग को यह अकर्मण्य ( शून्य ) कर देता है। जिससे रोगी न उस कान से सुन सकता है और न उस आँख से देख सकता है।     

माइग्रेन के प्रकार (types of migraine)

अन्य मस्तिष्क रोगो की भांति माइग्रेन सिरदर्द का ही भेद है। जिनको माइग्रेन सिरदर्द के प्रकार (headache types migraine) कहते है। जिसके लिए माइग्रेन कितने प्रकार के होते हैं का प्रश्न भी पूछा जाता है। जबकि माइग्रेन के प्रायः दो भेद (migraine types) है। जो इस प्रकार है – 

सौम्य माइग्रेन : सौम्य प्रकार के माइग्रेन में पीड़ा कम होती है। जिससे रोगी अपना काम – काज करता रहता है। 

तीव्र माइग्रेन : तीव्र प्रकार के माइग्रेन में बहुत तेज दर्द होता है। कभी – कभी दर्द गर्दन और हाथ तक भी फ़ैल जाता है। यह बहुत ही विध्वंशक होता है। जिसमे रोगी स्वस्थ्य सा दिखाई पड़ता है। लेकिन सोकर उठने के बाद चक्कर आना, जी मिचलाना, धुंधला दिखाई देना, आँखों के सामने रंगीन और चमकते हुए टेढ़े – मेढ़े दृश्यों का दिखाई पड़ना। देखते – देखते इनका लुप्त हो जाना और पुनः दिखाई पड़ना। इसके साथ ही सिर के कनपटी और सिर के किसी भाग में छेद करने के समान भयंकर, असहनीय और पागल सा कर देने वाला दर्द होता है।   

माइग्रेन से खतरा (is migraine dangerous)

आयुर्वेद की दृष्टि में रोग का अंश भी विघातक माना गया है। जिससे बचने और नष्ट करने की विधि चिकित्सा कहलाती है। इस दृष्टि से माइग्रेन खतरनाक है। जिसको जानकारी के लिए माइग्रेन से क्या खतरा है की बात उठती है। रोग की साध्यासाध्यता ही व्याधि को सामान्य और खतरनाक बनाती है। जिसमे रोग की तीव्रता और रोगी की रोग के प्रति प्रतिक्रयाशीलता, साध्य और असाध्य का भेद करती है। जो बात माइग्रेन में भी लागू होती है। जिसको माइग्रेन से खतरा in hindi कहा जाता है। 

माइग्रेन रोग जब अत्यंत बढ़ जाता है। तब आँख और कान को नष्ट कर डालता है। जिससे आँख की देखने की क्षमता और कान की श्रवण शक्ति का लोप ( नाश ) हो जाता है। जिससे रोगी अंधा और बहरा हो सकता है। जिसके कारण समय पर माइग्रेन का उपचार करवाना चाहिए। 

माइग्रेन से बचने के उपाय (migraine prevention)

माइग्रेन में परहेज माइग्रेन से बचने का उत्तम उपाय है। जिसके लिए अनेक उपाय सुझाए गए है। जो निम्नलिखित है – 

  • अत्यंत रूखा भोज्य पदार्थ न ले। 
  • अत्यधिक भोजन या बिना पचे तुरंत पुनः भोजन का परित्याग करे। 
  • हवा विशेषकर पूर्वी हवा का सेवन न करे।
  • ओस ( अवश्याय ) में शयन और अधिक समय तक विश्राम न करे। 
  • दिन में सोना छोड़ देवे। 
  • अधिक स्त्री प्रसंग करने से बचे।  
  • अधिक या कम समय तक मलादि के वेग को न धारण करे।
  • अधिक रोने से भी सिर का दर्द होता है। जो माइग्रेन का भी कारण हो सकता है। 
  • अत्यधिक परिश्रम और व्यायाम आदि से बचे। 
  • असमय में भोजन न करे।
  • मादक द्रव्यों का सेवन न करे। जैसे – तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट, गुटका, शराब आदि।
  • कोल्ड और सॉफ्ट ड्रिंक के चीनी मिश्रित द्रव्यों के सेवन से बचे।
  • दूषित जल का सेवन न करे।
  • विरुद्ध आहार सेवन से बचे। 

माइग्रेन परीक्षण (test for migraine)

माइग्रेन की डाइग्नोसिस की आधुनिक प्रणालियों में अनेको उपाय है। जिसका निर्धारण निम्नलिखित बातो पर निर्भर करता है –

  1. जब आपको माइग्रेन हुआ तब आपकी आयु कितनी थी
  2. कितने समय से माइग्रेन से पीड़ित है
  3. आपके परिवार में आपके अतिरिक्त किसको माइग्रेन है और कितने समय से है
  4. दर्द के दौरान यदि कोई विशेष लक्षण प्रकट होता हो
  5. आपके माइग्रेन की वजह से आपका कार्य ( पढ़ाई और व्यापार ) तो प्रभावित नहीं होता
  6. दर्द का स्थान
  7. दर्द होने के समय आप कैसा महसूस करते / करती है
  8. दर्द कितना तेज होता है। यदि पैमाने पर मापा जाय 1 से 10 के बीच
  9. दर्द कितने समय और कितनी देर तक ठहरता है
  10. दर्द कितने समय बाद पुनः दोहराता है 

उपरोक्त बातो को ध्यान में रखकर निम्न परीक्षणों को आवश्यकतानुसार विशेषज्ञ कराने की सलाह देते है –

सी टी स्कैन (CT SCAN) : इसमें x किरणों और कंप्यूटर की सहायता से मस्तिष्क के अंदर का चित्र लिया जाता है। जिससे माइग्रेन के कारण को समझना आसान हो जाता है। 

एम् आर आई ( MRI) : इसके द्वारा मस्तिष्क के भीतर की अच्छी गुणवत्ता का चित्र प्राप्त होता है। इससे मस्तिष्क की आंतरिक बनावट में बदलाव का पता चलता है। जिससे माइग्रेन को समझने में और आसानी होती है। 

ई ई जी (EEGs) : इसके माध्यम से मस्तिष्क के विद्युत् संकेतो का पता चलता है। जिसमे यांत्रिक विधा से कम्प्यूटर का सहारा लिया जाता है। जिससे माइग्रेन का कारण पता लगाने में मदद मिलती है।  

माइग्रेन का इलाज (how to cure migraine)

माइग्रेन का इलाज

माइग्रेन एक प्रकार का जीर्ण रोग है। जो शनैः शनैः विकृति को पैदाकर बलवान होता है। जिससे इसकी क्रियाशीलता आरम्भ में कम और अंतिम दौर में अधिक विकराल होती है। इस वृहद् कालावधि तक माइग्रेन आँखों और कानो को भी अपने चपेट में ले लेता है। जब माइग्रेन का दर्द अधिक समय तक बना रहता है। अनेक उपाय करने पर भी शांत नहीं होता, तब केवल नींद आने पर ही शांति मिलती है।

परन्तु दुसरे दिन रोगी जब सोकर उठता है तब क्लांत सा ( अत्यधिक शांत ) दिखाई पड़ता है। जिससे कई बार मूकता, एकांगघात, अर्धांगघात देखने को मिलता है। जो प्रकार का आघात है। इसको ही माइग्रेन का दौरा या माइग्रेन अटैक (migraine attack) कहते है। जिसकी तीव्रता होने पर नेत्रपेशीघात या अन्य सिर की नाड़ियो की क्रियाशीलता में शून्यता आ जाती है। यह दौरा बंद होने के साथ ही उपद्रव भी शान्त हो जाता है। किन्तु पुनः दौरे के आक्रमण की संभावना बनी रहती है। जिससे उपद्रव के दुबारा होने की आशंका भी होती है। 

इस प्रकार माइग्रेन वर्षो तक चलता रहता है। जिसकी तीव्रता आयु बढ़ने पर शनै शनै कम होती जाती है। लेकिन रोग की अवस्था काल में ऐसे समस्याओ को जन्म दे जाती है। जिसकी पूर्ति जीवन भर नहीं होती। जिससे रोगी अंतिम समय में शव सरीखा हो जाता है। इसलिए इस प्रकार की गंभीरतम समस्याओ से बचने के लिए समय पर उपचार नितांत आवश्यक है। जैसे – तिल्ली का बढ़ना होने पर त्वरित उपचार अपेक्षित है।  

माइग्रेन को जड़ से ख़त्म कैसे करें (how to cure migraine permanently)

माइग्रेन से छुटकारा पाने के अनेक उपायों की चर्चा, सनातन ( आयुर्वेद ) और आधुनिक चिकित्साओं में है। जिसमे माइग्रेन सिर दर्द की घरेलू दवा (home remedies of migraine headache) आदि है। जिसको आधा सिर दर्द के घरेलू उपाय भी कहते है। जिनका उपयोग माइग्रेन का घर पर उपचार (migraine treatment at home) में होता है। इसकी प्रशस्ति आधा सिर दर्द का इलाज के रूप में भी है। 

आयुर्वेदीय संहिताओं में धातुगत, रसगत, दोषगत आदि पर दृष्टि केंद्रित की गई है। जिसमे वात आदि दोषो की प्रधानता को सभी आयुर्वेदीय आचार्यो ने स्वीकारा है। जिसकी विकृति से जन्म लेने वाली बीमारियों का समाधान दोष समता के आधार पर होता है। जिसके सम होते ही रोगी स्वतः रोग से निरोग हो जाता है। इन्ही सैद्धांतिक उपायों का आलंबन लेकर माइग्रेन का भी उपचार होता है। यद्यपि आयुर्वेद मस्तिष्क रोग को सन्निपातिक दोष के अंतर्गत माना है।   

जबकि माइग्रेन केवल वात, वात और पित्त के अतिरिक्त कफ एवं वात से भी प्रभावित माना है। जिसमें रोगी के सिर के दाहिने अथवा बाए भाई भाग में वातदोष कुपित होकर कफयुक्त हो जाता है। तो सिर में सुई चुभने, फूटने या फटने या शस्त्र से काटे जाने के सामान तेजी से सिर में दर्द होता है। इससे उसका आधा सिर पीड़ित हो जाता है। और आँखे फटने लगती है। यह वातकफज अर्धावभेदक रोग है।

कुछ लोग वातपित्तज अर्धावभेदक भी स्वीकारते है। जिससे सिर में दर्द के साथ जलन का भी समावेश हो जाता है। वही दर्द वातज होने का प्रतीक है। जिसके कारण माइग्रेन को सुश्रुत जी ने त्रिदोषज स्वीकारा है। 

माइग्रेन ट्रीटमेंट (migraine cure)

दोष आधारित दोष के अनुसार माइग्रेन एक दोषज, द्विदोषज और त्रिदोषज होते है। जिसकी पहचान कर तदनुकूल चिकित्सा कर्म ही माइग्रेन सलूशन इन हिंदी है। जिसमे औषधियों के अतिरिक्त दोषप्रधान भोजन द्रव्यों का प्रयोग भी माइग्रेन से निपटने का उत्तम उपाय है। जबकि माइग्रेन के लिए पतंजलि की दवा भी उपकारक है। 

माइग्रेन ट्रीटमेंट

ब्रेन ट्यूमर इत्यादि बीमारियों के कारण भी माइग्रेन होता है। जिसमे उक्त रोग का उपचार होने से माइग्रेन स्वतः ठीक होता है। जिसके लिए रोग की पहचान और रोग के अनुसार चिकित्सा करवानी चाहिए। ऐसा न करने पर समाया बनी रहती है। जिससे हम पीड़ित होते रहते है। जैसे कब्ज का पूर्ण उपचार न करने पर पेट में दर्द अधिक समय तक बना रहता है। 

मासिक धर्म मे होने वाले माइग्रेन को मासिक धर्म माइग्रेन कहा जाता है। जो अक्सर नवयुवतियों और कुमारी कन्याओ में देखने को मिलता है। वही रजोनिवृत्ति ( मेनोपॉज ) की दशा में भी, 40 -45 वर्ष की महिलाओ को माइग्रेन होता है। जिसका मुख्य कारण अधिक रजःस्राव या कम रजःस्राव होना है। जिसका उपचार करने पर माइग्रेन का दर्द बंद हो जाता है।   

माइग्रेन की दवाई (best medicine for migraine)

सिर के आधे भाग में होने वाले दर्द में, जिन दवाओं का उपयोग होता है। उनको आधा सिर दर्द की दवा कहते है। जिसमे आधे सिर दर्द का मंत्र आदि प्रयुक्त होते है। जिनको माइग्रेन के लिए मंत्र भी कहते है। जबकि माइग्रेन के लिए टोटका का भी प्रयोग है। जिसमे पीपल के पेड़ के नीचे बैठना और उसको गोठना है। जबकि माइग्रेन मेडिसिन पतंजलि भी उत्तम गुण वाली है।   

माइग्रेन की सबसे अच्छी दवा (best migraine medicine) में अनेक घरेलू, आयुर्वेदीय और होम्योपैथिक दवाओं का जिक्र प्रकारांतर से किया जा रहा है। वही पतंजलि माइग्रेन की दवा के रूप में निम्नलिखित दवाओं का प्रयोग है –

  • अविपत्तिकर चूर्ण 100 ग्राम और मुक्ता शुद्धि भस्म 10 ग्राम दोनों को आपस में मिलाकर रख ले। जिसका नित्य दिन में दो बार 2 ग्राम सेवन करने से माइग्रेन में लाभ होता है।
  • मोटी पिष्टी, मुक्ताशुद्धि और गोदन्ती भस्म को मिलाकर, दिन में एक बार आधा ग्राम की मात्रा में ले।
  • बादाम रोगन भी माइग्रेन के लिए पतंजलि की दवा है। 

उपरोक्त दवाओं को पतंजलि माइग्रेन मेडिसिन कहते है। जो माइग्रेन का आयुर्वेदिक इलाज पतंजलि कहलाता है।

वैद्यनाथ फार्मेसी की निम्न दवाई माइग्रेन में उपयोगी है –

  1. शिरशूलादिवज्र रस
  2. पथ्यादि क्वाथ या काढ़ा
  3. सौफ अर्क
  4. अजवाइन अर्क आदि। 

माइग्रेन के घरेलू उपाय (home remedies for migraine)

चिकित्सा की दृष्टि से माइग्रेन का घरेलू उपचार (migraine home remedies) आयुर्वेदीय उपचार है। जिसमे उपयोग होने वाली औषधियों को माइग्रेन की घरेलू दवा (home remedy for migraine) कहा गया है। जिनको माइग्रेन के घरेलू उपाय इन हिंदी भी कहा जाता है। इनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि – इनकी लगता जितनी कम है, प्रभाव उतना ही अधिक है। शायद इसीलिए लोग आधा सिर दर्द का घरेलू उपाय बताइए की बात करते है। 

आयुर्वेद में आधे सिर दर्द की दवा घरेलू उपचार निम्न है – 

  • दूध में मिश्री या शक्कर मिलाकर खाना माइग्रेन में हितकारी है।
  • माथे पर बकरी के दूध की पट्टी रखने से माइग्रेन में लाभ होता है।
  • अमृतधारा को माथे पर लगाने से माइग्रेन में आराम मिलता है।
  • पुदीना ( मेंथोल ), दालचीनी और लौंग आदि उड़नशील सुगन्धित तेलों को सर पर लगाने से माइग्रेन के दर्द में लाभ होता है।
  • इसके साथ लैवेंडर का तेल, तुलसी का तेल आदि का प्रयोग भी फलदायी है। 
  • दूध में पकी खीर, रबड़ी आदि दूध में बने पदार्थ रात भर ओस में ढककर रखे और प्रातः काल प्रयोग करने से माइग्रेन में फायदा होता है। 

माइग्रेन की एलोपैथिक दवा (migraine allopathic medicine)

एलोपैथी में माइग्रेन के उपचार माइग्रेन टेबलेट्स आदि का प्रयोग किया जाता है। जिनको आधा सिर दर्द की टेबलेट (migraine headache tablets) भी कहते है। माइग्रेन टैबलेट का निर्माण अनेक रसायनो के समुचित अनुपात से होता है। जिसके कारण माइग्रेन tablet माइग्रेन के दर्द को कम करती है। जिनको माइग्रेन टेबलेट का इस्तेमाल (migraine tablet uses) कहते है। यह कुछ क्षणों में माइग्रेन के दर्द में राहत पहुँचाती है। इस कारण माइग्रेन के दर्द से छुटकारा पाने के लिए, माइग्रेन की टेबलेट बताइए की बात करते है। 

माइग्रेन टेबलेट नाम निम्न है –

  1. सेरिडान
  2. अस्प्रो
  3. कैस्प्रिन 

यह सभी दवाई माइग्रेन के उपचार में उपयोग होती है। जिनका प्रमुख कार्य सर में होने वाले दर्द को कम या समाप्त करना है। जिनको मेंग्रने टेबलेट का उपयोग हिंदी (migraine tablet uses in hindi) कहते है। माइग्रेन पतंजलि की दवा की बात ऊपर की जा चुकी है। आइये अब माइग्रेन का आयुर्वेदिक इलाज इन हिंदी को जाने। 

माइग्रेन की आयुर्वेदिक दवा (migraine ayurvedic medicine)

माइग्रेन का आयुर्वेदिक इलाज (migraine ayurvedic treatment) करने के निम्नलिखित चिकित्साक्रम निर्धारित है –  

  1. स्नेहपान : ऐसा करने से रोगी के अंदर की रुक्षता ( रूखापन ) नष्ट हो जाती है। 
  2. स्वेदन : कराने से स्रोतों में जमा दोष पिघलकर बाहर निकलने लगते है।
  3. विरेचन : द्वारा पेट की शुद्धी की जाती है।
  4. नस्य : मस्तिष्क आदि की कायशुद्धि की जाती है। 
  5. आस्थापन और अनुवासन बस्ति : मलशोधन की विधि है।  
  6. धूम्रपान : के द्वारा कफादि मलो का निर्हरण होता है। 
  7. स्निग्धोष्ण भोजन व्यवस्था : रोगी को बलकारक बनाने में सहयोग करता है। जिसमे घी में बनी गरम – गरम जलेबी, मालपुआ, गुलगुले खाना हितकारक है।  

जबकि आधा सिर दर्द की आयुर्वेदिक दवा में अनेक प्रयोग है। जैसे – अनेको प्रकार के नस्य देना आदि। 

  • शालपर्णी के स्वरस की नस्य देने से माइग्रेन की पीड़ा शांत होती है। 
  • वायविडंग और काले तिल को सामान मात्रा में लेकर बकरी के दूध में पीसकर नस्य ले और गर्म करके सर पर लेप करने से माइग्रेन ठीक होता है।
  • कायफल, एलाचूर्ण, बालछड़ और सोंठ के चूर्ण को नस्य ( सूघने ) से माइग्रेन नष्ट होता है। जिसको माइग्रेन में सोंठ के फायदे कहते है। 
  • खिरनी के तीन बीजो की गिरी को पानी में पीसकर जिस ओर माइग्रेन के कारण सिरदर्द हो लगाने से लाभ मिलता है।  
  • चकवड़ के पंचांग को पीसकर सर पर लेप करने से माइग्रेन में लाभ होता है।
  • मुलेठी के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर नाक में डालने से माइग्रेन ठीक होता है। 

माइग्रेन की होम्योपैथिक दवा (migraine homoeopathic medicine)

माइग्रेन का होम्योपैथिक इलाज करने के लिए माइग्रेन होम्योपैथिक मेडिसिन का उपयोग होता है। जिसको माइग्रेन का होम्योपैथिक उपचार भी कहते है। इनको हिंदी में माइग्रेन की होम्योपैथिक दवा इन हिंदी कहते है। होम्योपैथी में माइग्रेन की निम्न दवाइया है – 

सीपिया : सिर में एक ओर दर्द होना, यहाँ तक कि आँख भी दर्द होती है। रोगी किसी तरह की आवाज और रोशनी सहन नहीं कर सकती, नींद के समय सिर – दर्द कुछ घटा सा रहता है। जरायु – सम्बन्धी किसी भी बीमारी के साथ उपरोक्त प्रकार के सिर दर्द की सीपिया अमोघ औषधि है। किसी काम को करते समय एकाएक सिर में चक्कर आ जाता है। 

साइलिसिया : इसके माइग्रेन के दर्द का आक्रमण दाहिनी ओर अधिक होता है। इसका दर्द माथे के पिछले भाग से शुरू होकर क्रमशः माथे के ऊपर चढ़ता है। यह दर्द खूब जोर से बाँधने या गर्मी से ही घटता है।

नक्स वोमिका : इसका दर्द माथे के पीछे गर्दन की ओर होता है। या एक ओर की कनपटी में होता है। यह दर्द आँखों के ऊपर विशेषकर बाई आँख के ऊपर अधिक होता है। इसका माइग्रेन सूर्य उगने से लेकर सूर्य के अस्त होने तक होता है।

ग्लोनॉयिन : यह आधासीसी की बहुत ही बढ़िया दवा है। जिसमे माथे में जबरजस्त तकलीफ देने वाला टपकन का दर्द होता है। ऐसा एहसास होता है कि माथा चूरचूर हो जाएगा। इसका सिरदर्द गर्दन के पिछले भाग से शुरू होकर क्रमशः सामने की ओर अर्थात माथे में फ़ैल जाता है।   

बेलेडोना : बेलाडोना में भी माथे का दर्द और यंत्रणा के लक्षण है। परन्तु इसका सिर – दर्द दाहिनी तरफ दिन के 4 – 5 बजे से प्राम्भ होकर रात के 2 – 3 बजे तक रहे तो बेलाडोना होम्योपैथिक मेडिसिन फायदा करती है। जिसमे बेलाडोना 200 का प्रायः उपयोग होता है।  

माइग्रेन में क्या खाना चाहिए (migraine me kya khana chahiye)

आयुर्वेद में किस रोग में क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए का विचार है। जिसको लेकर माइग्रेन में क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए का है। आयुर्वेदानुसार सन्निपातिक रोग बहुत ही सावधानी पूर्वक करना चाहिए। जिसके लिए भोजन पर विशेष रूप से ध्यान रखना आवश्यक है। क्योकि भोजन के रूप में लिए जाने वाले सभी द्रव्य, सेवन करने पर अपना स्वाभाविक गुण शरीर पर छोड़ते है। जिससे शरीर में स्थित दोषो के अनुपात में बदलाव होता है। जैसे – नीबू का सेवन कफ को बढ़ाता है, और कफ पीड़ित व्यक्ति नीबू का सेवन करे। तो कफ रोगो का प्रकोप बढ़ता है। 

इसलिए माइग्रेन में क्या खाना चाहिए क्या नहीं का विचार रोग निवृत्ति के उपायों में करना आवश्यक है। माइग्रेन के दर्द में खाने योग्य निम्न सामाग्रियां है – 

  1. पुराना घी, जूस और दूध को पीना उत्तम बताया गया है। जिसका मुख्य कार्य शरीर का शोधन करना है। जिसमे स्निग्धता, स्नेहन स्वेदन आदि की क्रियाए सम्पादित होती है। 
  2. जबकि अन्नो में शाली और साठी चावल का सेवन गुणकारी माना गया है। 
  3. सब्जियों में दाख, बथुआ, सहजन, करेला का सेवन उपयोगी है।
  4. फलो में आवला, अनार, आम और विजौरे नीबू को खाने से माइग्रेन ठीक होता है।
  5. द्रव पदार्थो में तेल, छाछ, नारियल और नारियल पानी पीना श्रेष्ठ है।
  6. कर्पूर का सेवन माइग्रेन रोग में असरकारक है।
  7. हरड़ सभी प्रकार के सिर दर्द की श्रेष्ठ औषधि है। 
  8. एलोवेरा का जेल माइग्रेन के दर्द में माथे में लगाने से आराम मिलता है।
  9. खस स्वाभाविक रूप से ठंडी तासीर का होता है। जो खस खस के फायदे कहलाते है। जिसका शरबत पीने से माइग्रेन के दर्द से छुटकारा मिलता है।   
  10. चन्दन अत्यंत शीतल द्रव्य है। जिसका माथे पर लेप करने से माइग्रेन में लाभ होता है।   

माइग्रेन के लिए एक्यूप्रेशर (migraine acupressure points)

माइग्रेन के लिए एक्यूप्रेशर

एक्यूप्रेशर भी आधे सिर दर्द की दवा (migraine remedy) के जैसे है। जिसमे शरीर में पाए जाने वाले मर्म बिन्दुओ का प्रयोग होता है। जो अलग – अलग रोगो के लिए अलग – अलग होते है। जिनकी पहचान कर बिंदु विशेष पर दाब डालकर रक्त की सक्रियता को गति दी जाती है। जिससे रक्त का परिसंचरण तीव्र गति से होने लगता है। जिसके फलस्वरूप अशुद्धि को अंग विशेष के माध्यम से छान लिया जाता है। माइग्रेन के एक्यूप्रेशर पॉइंट (acupressure points for migraine) निम्न है –

  1. माथे के दोनों किनारो पर पाए जाने वाले गढ्ढो को दोनों अंगूठे से दबाए 
  2. हाथ की सभी अंगुलियों के अग्र शीरे पर दबाए
  3. दोनों अंगूठो के शीर्ष पर दबाए
  4. सिर में चोटी बांधने के स्थान पर दबाए 
  5. दोनों हाथ की अनामिका ( रिंग फिंगर ) अंगुली के शीर्ष पर दबाए 

जिस प्रकार एक्यूप्रेशर पेट की गैस को जड़ से ख़त्म करने का उपाय है। उसी प्रकार माइग्रेन को जड़ से ख़त्म करने में भी सहयोग करता है। जिसके लिए अलग मर्म बिन्दुओ पर दाब डाला जाता है। 

माइग्रेन के लिए योग (yoga for migraine)

माइग्रेन के लिए योग

किसी भी रोग से बचाव और निवारण में योग का महत्व है। जिसमे आसन प्राणायाम आदि का उपयोग है। पर योग आसन करने की उपयुक्त विधि का पालन अनिवार्य है। नहीं तो हानि होने की आशंका होती है। इस कारण आसन और प्राणायाम के फायदे लेने के लिए, इनको विधि पूर्वक सीखना चाहिए। ताकि प्राणायाम योग से हमें लाभ प्राप्त हो, न कि हानि। माइग्रेन के लिए प्राणायाम में निम्नलिखित प्राणायाम लाभकारी है। जैसे – 

  1. भस्त्रिका प्राणायाम
  2. कपालभाति प्राणायाम
  3. भ्रामरी प्राणायाम
  4. उज्जायी प्राणायाम
  5. अनुलोम विलोम प्राणायाम
  6. उद्गीथ प्राणायाम

माइग्रेन में प्राणायाम के अतिरिक्त आसन की भी उपयोगिता है। जिसका मूल कारण योग की चरणबद्ध प्रक्रिया में आसन के बाद प्राणायाम को रखा गया है। जिसको समझने के लिए योग क्या है को जानने की आवश्यकता है। सैद्धांतिक दृष्टि में आसन प्राणायाम का आधार है। जिसके बिना प्राणायाम का उत्कृष्ट फल प्राप्त करना असंभव है। जब बात माइग्रेन की हो तो आसन की महत्ता और अधिक बढ़ जाती है। इस रोग में वात रोग के आसन और कफ रोग के आसन के साथ, पित्त रोग के आसन भी उपयोगी है।

जब माइग्रेन को तीनो दोषो से युक्त मान लिया जाता है, तब निम्न आसनो की आवश्यकता चरितार्थ होती है। जो इस प्रकार है –

  • पवन मुक्त आसन
  • बज्रासन या ब्रज आसन
  • उदराकर्षण आसन
  • शव आसन   
  • मर्कटासन
  • सूर्य नमस्कार
  • शशकासन
  • गोमुखासन
  • ताड़ासन
  • मकरासन
  • मंडूकासन
  • धनुरासन
  • भुजंगासन
  • शलभासन     

माइग्रेन के लिए एक्सरसाइज (exercises for migraine)

आयुर्वेदीय ग्रंथो में स्वास्थ्य रक्षण हेतु एक्सरसाइज को आवश्यक माना गया है। जिसके माध्यम से शरीर में एकत्रित अनावश्यक मलिन पदार्थो का निष्पादन होता है। जिससे शारीरिक क्रियाओ की क्रियाशीलता बाधित नहीं होती। जिसके फलस्वरूप शारीरिक अंगो में पारस्परिक समंजस्यता बनी रहती है। और हमारा शरीर भोजनादि से आवश्यक और अनुकूल पदार्थो का अवशोषणकर स्वस्थ बना रहता है। इस कारण स्वस्थ और अस्वस्थ सभी के लिए व्यायाम उपयुक्त है। 

माइग्रेन जैसे रोगो से निजात दिलाने में व्यायाम सहयोगी है। नियमित व्यायाम करने से शरीर में विषाक्त पदार्थो का निष्पादन होता रहता है। यही विषैले तत्व वात, कफादि दोषो के उद्भाषक है। जिनकी उपस्थिति रोग पैदा करने के वातावरण का निर्माण करती है। जो आगे चलकर माइग्रेन जैसे रोगो का कारण बनते है। जिनको जड़ मूल से समाप्त करने में व्यायाम उपयोगी है। जिस प्रकार एसिडिटी को जड़ से ख़त्म करने का उपाय है। 

जब हम परिश्रम आदि से दूर रहते है, तब वातादि दोषो के संचय होने से शारीरिक अंगो आदि पर अनावश्यक दबाव पड़ता है। जिनको दूर करने के लिए माइग्रेन का घरेलू उपाय (home remedies of migraine headaches), और माइग्रेन का आयुर्वेदीय उपचार (migraine treatment in ayurveda) आदि है। परन्तु व्यायाम के बिना यही सभी अधूरे है। ज्यादातर रोगियों में परिश्रम के अभाव में रोग की पुनरावृत्ति देखी जाती है। इस कारण माइग्रेन से बचने के लिए सभी को कम से कम सवा घंटे एक्सरसाइज करना चाहिए। 

क्या माइग्रेन ठीक होता है (is migraine curable)

माइग्रेन का समय पर उपचार कराने पर माइग्रेन ठीक हो जाता है। जबकि बहुत ही कम लोगो में इसके असाध्य लक्षण देखे जाते है। जिनका कितना ही उपचार कराया जाय। लेकिन ठीक नहीं होता। 

उपसंहार / निष्कर्ष (conclusion) :  

माइग्रेन मस्तिष्क में होने वाली एक ऐसी समस्या है। जिसमे सिर के आधे भाग में दर्द होता है। जो दाहिने और बाए में से किसी एक ओर ही होता है। किन्तु किसी किसी में दोनों ओर भी होता देखा जाता है। यह दर्द अक्सर सिर के पीछे गर्दन आदि से आरम्भ होकर माथा, कान, कनपटी और आँखों को प्रभावित करता है। जिसमे अत्यंत पीड़ा देने वाला सिर दर्द होता है। माथे और कनपटी में जबरजस्त दर्द देने वाला टपकने का दर्द रहता है। जिसमे ऐसा मालूम होता है कि माथा चूर – चूर हो जाएगा। 

ऐसा दर्द प्रायः तब देखा जाता है। जब खून अचानक बहुत तेजी से, माथे की ओर संचालित होने लगे। और उस रक्त संचालन में किसी तरह का व्याघात हो जाए। इस तरह का दर्द होने पर रोगी मुँह से उपरोक्त बातो को तो बताता है। लेकिन माथे पर हाथ रखने पर टपक स्पष्ट रूप से मालूम होती है। इसके साथ माथे एवं गर्दन की शिराए ( ब्लड वेसेल्स ) फूली हुई लग सकती है। रोगी का चेहरा दर्द से लाल सुर्ख दिखाई देने लगता है। कभी – कभी तो उल्टियां और चक्कर तक आने लगते है।  

इस कारण माइग्रेन या आधे सिर दर्द का उपाय शीघ्र करना चाहिए। जिसमे आधा सिर दर्द का घरेलू उपाय उपयोगी है। इसके साथ आयुर्वेदिक उपाय, माइग्रेन टैबलेट (tablet migraine), योग, व्यायाम  आदि है। जबकि आयुर्वेदोक्त पथ्यापथ्य में द्रव्य, गुण और कर्म का विधान है। जिसमे माइग्रेन भोजन (migraine food) आदि है। जिसको माइग्रेन के लिए क्या खाना चाहिए द्वारा व्यक्त किया गया है।

ध्यान रहे : जरूरी नहीं कि हर व्यक्ति की एक दवा एक ही हो। क्योकि प्रत्येक व्यक्ति में रोग लक्षणों के अनुगति के भिन्न कारण हो सकते है। जिसका मूल देह प्रकृति और विकृत दोष आदि में भिन्नता है।   

FAQ

सिर दर्द के लिए कौन सी दवा लेनी चाहिए?

गुड़ और सोंठ कल्क का नस्य देने से माइग्रेन का सिर दर्द नष्ट होता है।  

माइग्रेन किस विटामिन की कमी से होता है?

विटामिन B12 की कमी से सिर में दर्द, मुँह में छाले, थकान आदि समस्याए होती है। 

माइग्रेन कैसे ठीक होता है?

माइग्रेन को ठीक करने के लिए औषधि, खानपान, योग, जीवनशैली और चिकित्सक के निर्देश का पालन करने पर ही माइग्रेन ठीक होता है।

माइग्रेन सिर्फ सिरदर्द से कहीं अधिक है;
वे दुर्बल करने वाले हो सकते हैं और अक्सर   के साथ आते हैं।

8 thoughts on “माइग्रेन ( आधे सिर में दर्द होना ) : migraine in hindi”

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