रोग मुक्त रहने और आकर्षक दिखने की चाह में, हर कोई वजन कम करने के सबसे उत्तम उपाय ढूढ़ता है। जिसमे वह वजन कम करने के लिए घरेलू उपाय, डाइट चार्ट आदि का अपनी सीमा में आलंबन लेता है। फिर भी वजन बढ़ता ही जाता है। कभी – कभी तो लोगो को वजन कम करने की इतनी जल्दी होती है, कि जल्दी वजन कम करने के उपाय ढूढ़ने लगते है। फिर भी ढाक के तीन पात वाली कहावत, ही चरितार्थ होती है अर्थात वजन नहीं घटता। जिसके लिए प्रश्न उठता है कि आखिर वजन कैसे घटाएं ? ऐसी परिस्थिति में वजन कम करने के उपाय कौन से है ? जो पूणतः स्थाई और कारगार हो।
आयुर्वेदादी शास्त्रों में अधिक वजन बढ़ाने वाले कारको में दूषणयुक्त आहार – विहार, अपरिश्रम और कफ रोग आदि को प्रमुख स्थान प्राप्त है। जिसको अब आधुनिक विज्ञान भी मानता है। जिसमे वैज्ञानिक विधा के भोजन का प्रचलन अधिक है। जिसका ख्यापन आंग्ल शब्द ” डाइट चार्ट ” से हो जाता है। इनके कारण सभी प्रकार के रोगो में आहार द्रव्यों में, स्वाभाविक रूप से विद्यमान गुणों का उपयोग है। जहां विधि – विधान से लेने पर यह औषधि तुल्य है, वही अनुपयुक्त रूप से सेवन करने पर विषकारक भी। जैसे – भोजन के पहले पानी पीने से पेट में गैस बनना आरम्भ हो जाता है।
तकनीकी परिष्कृतता आधुनिक महायंत्रों के उपभोक्ता की, संख्या में इजाफा कर रही है। जिससे काम न करने की भावना और भोग – विलास की प्रवृत्ति को बल मिल रहा है। वही दूसरी ओर आधुनिक विधा में इनके संचालन की दक्षता को ही विकास का द्योतक माना जाता है। जिसके चलते विकसित देशो में लोग वजन बढ़ने ( ओवरवेट ) की समस्या से परेशान है। जिसकी नकल करने के कारण, अब यह विकासशील देशो की ओर बढ़ रहा है।
वजन कैसे बढ़ता है ( how to increases weight in hindi )
वजन का ही पर्यायवाची शब्द भार है। जिसको लोग मोटापा भी कह देते है। जिसका विश्लेषण आधुनिक चिकित्सा विज्ञानियों ने अनुसंधानात्मक चिकित्सीय मानकों को आधार बनाकर किया है। जिसमे मनुष्यो के भार और उनकी लम्बाई को आधार बनाया गया है। जिसको इन्होने शरीर भार सूचकांग ( बी एम आई ) का नाम दिया है। जिसके आधार पर अधिक वजन, कम वजन और मोटापा आदि का वर्गीकरण किया गया है। जिनके आधार पर वजन कितना होना चाहिए का निर्धारण, सरलतापूर्वक किया जा सकता है।
आयुर्वेद में समस्त स्थावर जंघमात्मक जीवो का शरीर पंचभूतो ( आकाश, वायु, तेज, जल और पृथ्वी ) का तारतम्यक संघात बताया गया है। अर्थात इन्ही पांच तत्वों के अनुकूलित अनुपात से बना है। जिसमे मानवो को जंगम जीवो के जरायुज प्राणियों के रूप में स्वीकारा गया है। जिनका पोषण पंचमहाभूतो के द्वारा होता है। वास्तव में जीव संज्ञा होने के कारण, सब के सब पञ्चतत्वात्मक है। जिसके अनुपातिक असंतुलन से वात, पित्त और कफ नामक रोगो की सम्प्राप्ति आयुर्वेद को मान्य है।
आयुर्वेदानुसार जब मानव शरीर में पृथ्वी ( अन्न ) और जल दोष की विद्यमानता होती है। तब कफ रोग की प्राप्ति और व्याप्ति होती है। जिसके प्रभाव से धीरे – धीरे वजन बढ़ने लगता है। कफ रोगो के अनुकूल शरीर वालो में यह और भी अधिक प्रभावी होता है। कभी – कभी तो लोगो में कुछ महीनो में, वजन 21 किलो भी बढ़ता देखा गया है। वजन बढ़ते ही हमें अनेको प्रकार के रोगो के होने की संभावना तो होती ही है।
इसके साथ अनेको प्रकार अन्य दिक्क़ते भी होती है। जैसे – बेडौल शरीर से हाव – भाव में न्यूनता, शारीरिक सौंदर्य और आकर्षण में हीनता आदि। जिससे छुटकारा पाने के लिए लोग प्रश्न कर देते है कि – कैसे 7 दिनों में वजन 10 किलो कम करने के लिए उपाय क्या है
तेजी से वजन बढ़ने का कारण ( reasons for weight gain in hindi )
वजन क्यों बढ़ता है ? यह अपने आप में एक जटिल प्रश्न है। जिसका उत्तर चिकित्सीय सिद्धांतो का, अनुगमन करने पर ही प्राप्त किया जा सकता है। न कि मनमाने ढंग से। आयुर्वेद ने कफ रोगो को ही वजन बढ़ने का मुख्य कारण माना है। जिसकी प्राप्ति के अधिकांश कारण निम्न है –
- शरीरानुकूल परिश्रम न करना
- कफ कारक द्रव्यों का सेवन करना
- दिवस शयन
- मीठे रस वाले पदार्थो का सेवन करना
- अधिक मात्रा में स्नेहता से युक्त ( घी और तेल ) का उपयोग करना।
- आमरस का सेवन
परन्तु आधुनिक विचारको ने वजन बढ़ने के कुछ अन्य कारण भी बताये है। जैसे –
- नियमित नींद पूरी न होना
- बिना चिकित्सीय परामर्श के अत्यधिक मात्रा में या अनावश्यक रूप से दवाओं का सेवन करना।
- मातृ – पितृ गत आनुवांशिक विकार
- नशीले द्रव्यों ( शराब, तम्बाकू आदि ) का सेवन
- हार्मोन्स का असंतुलित होना
- तनाव
वजन का माप ( measurement of weight in hindi )
वजन को मापने के लिए वजन तोलने वाला कांटा प्रयोग होता है। जिसको तराजू या वेइंग स्केल भी कहते है। जिसमे भार को किलोग्राम आदि में तौला जाता है। जिसकी मदद से हम किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति की वजन तालिका बना सकते है। जिसका उपयोग चिकित्सीय उपचार में भी आसानी से किया जा सकता है। इस कारण लोग 10 kg वजन कैसे घटाएं की बात करते है। कुछ तो कैसे 2 सप्ताह 10 किलो में तेजी से वजन कम करने के लिए अनेको तरीके खोजने लगते है।
कुछ महानुभाव वजन को लेकर प्रश्न करते है कि – वजन को इंग्लिश में क्या कहते हैं ? तो वजन के लिए आंग्ल भाषा में वेट शब्द का प्रयोग होता है। जिसको कम करने के लिए विविध प्रकार के उपाय अपनाये जाते है। जिनको वजन कम करने का तरीका भी कहा जाता है। ज्यादा वजन उठाने से सीने में दर्द कमरदर्द, पीठ में दर्द, पेट में दर्द जैसी समस्याए हो सकती है। जिसे ज्यादा वजन उठाने के नुकसान कहते है। जबकि कैसे 2 महीनों में 50 किलो कम करने के लिए , और कैसे 7 दिनों में वजन 10 किलो कम करने के लिए क्या उपाय है ?
वजन सारणी ( weight chart by age in hindi )
बॉडी मास इंडेक्स ( BMI ) = kg/m²
उपरोक्त सूत्र के आधार पर वजन चार्ट बनाया जा सकता है। जिसमे व्यक्ति का वजन और उसकी लम्बाई का अनुपात दिया गया है।
व्यक्ति का वजन ( किलो ) व्यक्ति की लम्बाई ( सेमी ) BMI
50 150 22.2
60 160 23.4
70 165 25.7
इस प्रकार किसी भी लम्बाई और भार का वजन निकाला जा सकता है।
एक महीने में वजन कैसे घटाएं के उपायों को आगे बताया जा रहा है। जिसमे सभी दृष्टियों से विचार किया गया है। क्योकि स्वास्थ्य भोजन, चर्या, परिश्रम आदि का सुव्यवस्थित रूप है। जिसमे सबका अनुकूल सहयोग आवश्यक है। जैसे – हमारा स्मार्ट फोन या मोबाइल फोन। स्मार्ट फोन स्पीकर, डिस्प्ले, सिम, बैटरी, बटन ( टच पैड ) आदि से मिलकर बनता है। जिसमे किसी एक में खराबी आने पर पूरे सिस्टम ( फोन ) पर उसका प्रभाव होता है। ठीक ऐसा ही हमारे स्वास्थ्य के साथ है। वजन कमी करने के लिए विसंगति को ध्यान में रखकर पोरे शरीर पर कार्य करना होता है।
लंबाई के अनुसार वजन कितना होना चाहिए ( weight according to height in hindi )
आजकल लम्बाई के अनुसार वजन का आकलन शरीर भार सूचकांग ( बॉडी मास इंडेक्स ) के आधार पर किया जाता है। जिसका सूत्र ऊपर वर्णित है। जिसमे 18.5 – 24.9 इकाई BMI को लम्बाई और वजन के आधार पर उचित ठहराया जाता है। जिसके अनुसार वजन को खानपान के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। क्योकि लम्बाई तो एक समय तक बढ़ती है। फिर वयस्क होने पर स्थिर हो जाती है। जिससे लम्बाई पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है।
निर्धारित समय सीमा ( 18 वर्ष से कम ) तक उचित आहार – विहार, दिनचर्या आदि का अनुकूल योग होने पर जितनी लम्बाई होनी चाहिए। उतनी हो ही जाती है। तदुपरांत फेरबदल के लिए केवल भार ही शेष रह जाता है। जिसका नियंत्रण युक्त आहार – विहार, शांत – एकांत वास आदि के द्वारा आसानी से किया जा सकता है। अक्सर जीर्ण रोगो में दर्द आदि की समस्या प्रारम्भ में लगभग नहीं ( बहुत ही कम ) होती है। जिससे रोग को पनपने का अवसर मिलता है। जिसके कारण वजन बढ़ता है। जैसे – फैटी लीवर ( यकृत शोथ ) आदि।
उम्र के हिसाब से वजन कितना होना चाहिए ( weight according to age in kg in hindi )
बॉडी मास इंडेक्स सूत्र की सहायता से, किस उम्र में कितना वजन होना चाहिए प्राप्त किया जा सकता है। व्यवहार में एक समय तक उम्र के साथ वजन बढ़ता है, और उसके बाद स्वाभाविक रूप से वजन घटने लगता है। जिसका कारण चिकित्सीय ग्रंथो में शरीर की परिपक्वता को बताया है। कहने का आशय बाल्यावस्था से अधिक विकास किशोरावस्था में, और किशोरावस्था से अधिक विकास युवावस्था में देखने में आता है।
युवावस्था किसी भी व्यक्ति की शारीरिक परिपुष्टता का द्योतक है। जबकि मध्यावस्था से वृद्धावस्था शारीरिक दुर्बलता को द्योतित करता है। किन्तु ध्यान रहे वजन पर नियंत्रण किसी भी उम्र में आवश्यक है। जिसके लिए लोगो के द्वारा अनेको प्रकार की जिज्ञासाए व्यक्त की जाती है। जैसे – 20 साल की उम्र में कितना वजन होना चाहिए ? या कितनी उम्र में कितना वजन होना चाहिए ?
उम्र कोई भी हो बॉडी मास इंडेक्स के अनुसार, वजन होना स्वास्थ्यता का परिचायक है। जिस पर नियंत्रण के उपायों की चर्चा यहाँ की जा रही है। जिसमे उपचार, खानपान के साथ – साथ योग और व्यायाम आदि को भी सम्मिलित किया गया है। तिल्ली का बढ़ना भी वजन अधिक होने पर देखा जाता है। जो अधिकांशतः अधिक उम्र के लोगो में होता है। परन्तु अब यह कम आयु में भी देखा जाने लगा है।
वजन कम करने के लिए क्या करना चाहिए ( how to weight loss in hindi )
वजन को बढ़ाने में आजकल के महायंत्रों का विशेष योगदान है। आज इनको संचालित करने की ललक किसको नहीं है ? हर कोई इन पर नियंत्रण चाहता है। जिसके लिए वह इनका उपभोक्ता बनता है। जिससे मेहनत आदि के विलोप का मार्ग प्रशस्त होता है। और परिणाम के रूप में रुग्णता ( रोग ) को बल प्राप्त होता है। जिससे इनको ( व्यापार तंत्र ) दोहरा लाभ मिलता है। अर्थात दो प्रकार के व्यापार को बढ़ावा मिलता है। पहला महायंत्रों का और दूसरा फार्मासूटिकल ( दवा आदि ) का।
वजन कम करने के लिए भोजन का महत्वपूर्ण योगदान है। जिसमे मुख्यतः कफकारक आहार सेवन बचना अतिआवश्यक है। परन्तु महायन्त्रिक परिवेश में इनसे बचना उतना ही कठिन है। क्योकि आज के समय में शास्त्र के प्रतिकूल और विरुद्ध खाद्य सामाग्रियो की, निर्मिती और सेवन को ही विकास कहा जाता है। जिससे हर कोई पौष्टिकता के अभाव से जूझता है। जिसकी पूर्ति न होने पर किसी न किसी रोग के चपेट में पड़ जाता है। जैसे – मधुमेह, हार्ट डिजीज ( ह्रदय रोग ), हड्डी रोग आदि।
वजन कम करने के लिए दिनचर्या और ऋतुचर्या आदि भी उतने ही महत्व के है। जितने की हमारा भोजन, परिश्रम इत्यादी। इनको संक्षेप में कहे तो काल के अनुसार कर्म सम्पादन। किस समय कौन सा काम करे कौन सा न करे। इसकी जानकारी दिनचर्या आदि का ज्ञान न होने प्रायः नहीं होती। जिससे अनेको प्रकार की शारीरिक क्रियाए बाधित होती है। जिनसे मल निस्तारण आदि में विसंगति आ जाती है। जिसके कारण भी हम रोगो का शिकार हो जाते है। इसलिए आधुनिक जीवन की स्वस्थ दिनचर्या का पालन नितांत आवश्यक है।
जल्दी वजन कम करने के उपाय ( weight loss tips in hindi )
शीघ्र वजन घटाने के उपाय में उपरोक्त तथ्यों विचार करना अनिवार्य है। इनको ही चिकित्सीय दृष्टि से, वजन कम करने के तरीके भी कहते है। जबकि वजन घटाने के तरीके बाबा रामदेव आजकल प्रचलन में है। जिसमे परिश्रम ( कसरत, व्यायाम ), देहप्रकृति के अनुरूप भोजन और उपयुक्त दिनचर्या आदि की बात सम्मिलित है। जिसमे अनुकूलता होने पर ही अपेक्षित फल, अर्थात वजन घटाने वाला सिद्ध होता है। इसको ही वजन कम करने के नियम भी कहा जाता है।
आजकल हर कोई वजन घटाने के तरीके की बात करता है। जिनको अपनाने के बाद भी वजन नहीं घटता। यदि घटता भी है तो अस्थायी ( कुछ के लिए ) तौर पर। जिसका मुख्य कारण हमारा शरीर अनेको क्रियाओ और प्रक्रियाओं का मिला जुला रूप है। जिससे एक में विसंगति होने पर दुसरे का विसंगतिग्रस्त होना स्वाभाविक है। जबकि प्राप्त विसंगति को समझकर उसका निदान कर देने पर समस्या का समाधान निश्चित है। जिसके लिए विशेषज्ञ आपेक्षित है।
आज के समय में भोजन पर पर्याप्त ध्यान दिया जाता है। जिसमे वजन घटाने के लिए भोजन की मात्रा का निर्धारीकरण करना, कच्चा भोजन पके भोजन के पहले लेना आदि है। लेकिन शास्त्रों में जहा – जहा भोजन शब्द का उपयोग हुआ है। वंहा पानी का ग्रहण स्वाभाविक रूप से किया गया है। इसका कारण जब बिना पानी के भोजन पक नहीं सकता तो पच कैसे सकता है।
ज्यादातर लोग भोजन तो बहुत बढ़िया करते है। सही अनुपात ( प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन, मिनरल आदि ) में करते है। परन्तु भोजन के साथ पानी कम पीते है, अत्यधिक पी लेते है, बिलकुल नहीं पीते, गलत तरीके से पीते है या पर्याप्त गुणवत्ता का जल नहीं पीते। जिससे भोजन का पाचन सुचारु रूप से नहीं हो पाता।
वजन कम करने के घरेलू उपाय ( home remedy to lose weight in hindi )
वजन कम करने का सबसे तेज उपाय भोजन और पानी में उचित तालमेल है। जिसमे न केवल भोजन बल्कि पानी की गुणवत्ता भी अनिवार्य है। जिनका अनुकूलित अनुपात में सही समय और मात्रा में लेना और भी अधिक महत्व का है। जब बात वजन घटाने की हो तो इसकी महत्ता और अधिक बढ़ जाती है। भोजन की गुणवत्ता में न्यूनता तो अपच का एक कारण है। जबकि भोजन के साथ अत्यधिक पानी पीना, पानी ही नहीं पीना, पानी कम पीना या कम गुणवत्ता का पानी पीना भी अपच में हेतु है। जिससे रोगो के होने की प्रबल सम्भावना होती है।
युवतियों और महिलाओ में वजन बढ़ने की समस्या पुरुषो से कुछ अधिक देखी जाती है। इनमे एक अतिरिक्त अंग पाया जाता है। जिसको गर्भाशय कहते है। जिसमे सामान्य रूप से प्रति माह रजस्राव होता है। जिसे मासिक धर्म या पीरियड कहते है। जिसमे अनेको प्रकार की भिन्न समस्याए होती है। जैसे – पेडू में मरोड़ के साथ दर्द आदि। तब इनके लिए प्रश्न खड़ा होता होता है कि – पीरियड में वजन कम करने के उपाय क्या है ? तो इसके लिए भी उपरोक्त विधि का अनुशरण करना है। यह कुछ दिन होने वाली क्रिया है। जिसमे पोषण की आवश्यकता सामान्य दिनों से अधिक होती है। जिसको गर्भाशय वजन घटाने के बाद जीवन कहा जाता है।
आयुर्वेद में वजन घटाने का नुस्खा बताया गया है। जो सरल, सुगम होने के साथ – साथ प्रभावशाली है। जिनका प्रयोग पुरातन काल से लेकर अब तक होता आया है। जिससे इन पर हमारा अटूट विश्वास है। जैसे –
- रात्रि में सोने से पूर्व उष्ण जल का प्रयोग करने से वजन घटने लगता है।
- जल को खौलाने के बाद ठंडाकर मधु मिलाकर पीने से वजन कम होता है।
- रात में गर्म जल पीने से वजन घटता है।
वजन कम करने की दवा ( weight loss medicine in hindi )
आयुर्वेद में तात्कालिक और पूर्ण रूप से वजन घटाने की दवा बतायी गई है। जिसमे शिलाजीत, हींग, पीला और सफ़ेद कसीस, तूतिया, खारी मिट्टी, सेंधानमक, सहोड़ा की छाल, गोमूत्र, मधु, पाढ़ल, अरणी, बेलगिरी, गाम्भारी, श्योनाक आदि। इन सभी दवाइयों की यह विशेषता है कि इनकी क्रियाशीलता लक्षणों के बिना नहीं होती। जिसके कारण इनका उपयोग बिना औषधि विशेषज्ञ के अभीष्ट फलदायी नहीं होता। बल्कि दुष्परिणामों की अनुगति के पूर्ण आयामों की संभावना होती है।
बिना किसी दुष्प्रभाव वजन घटाने के लिए सर्वोत्तम दवा परिश्रम, उपयुक्त आहार – विहार आदि है। जो वजन कम करने की दवाई न दिखाई पड़ते हुए भी किसी दवा से कम नहीं है। आजकल तो वजन कम करने के लिए फास्टिंग ( भोजन न करना या बहुत कम भोजन करना ) करने का चलन है। जिसमे शरीरगत ऊर्जा पर नियंत्रण के लिए भोजन की मात्रा पर ही अंकुश लगाया जाता है। जो भविष्य में अनिष्टकारी भी हो सकता है।
बाजारवाद के युग में वजन नियंत्रण के लिए अनेको प्रकार के चूर्ण, टेबलेट, सिरप आदि का भी प्रयोग होता है। जैसे – वजन घटाने के लिए एम २ टोन सिरप इत्यादि। यह सभी वैकल्पिक रूप से पाचन आदि व्यवस्थित करने का काम करते है। जिससे बढ़ा हुआ वजन धीरे – धीरे कम होने लगता है। जबकि पाचन क्रिया कैसे सुधारे को जानकार, हम हमेशा के लिए पाचन को मजबूत बना सकते है।
वजन कम करने की आयुर्वेदिक दवा ( Ayurvedic medicine for weight loss in hindi )
आयुर्वेद सभी प्रकार की वनस्पतियो, वृक्षों, लताओं आदि के स्वाभाविक गुणों का खजाना है। जिसे द्रव्यगत लक्षण भी कहा जाता है। जिनके आधार पर ही रोगी के रोग निवारक उपायों पर विचार होता है। जिसमे मुख्य रूप से रोगी का परीक्षण के रूप में, उसके लक्षणों को परखा जाता है। तदनुरूप द्रव्यगत औषधि लक्षणों से लक्षित वस्तु ( दवा ) का चयनकर, मात्रा निर्धारित की जाती है। जिससे औषधि की क्रियाशीलता हमारे शरीर पर हो सके। जैसे कुछ का मानना है कि – नारियल खाने से वजन बढ़ता है और वजन कम करता है धनिया।
इसके साथ ही अनेको प्रकार की बाते है। उदहारण के लिए कैसे वजन घटाने के लिए चिया बीज लेने के लिए उपाय, किशमिश खाने से वजन बढ़ता है या घटता है । आयुर्वेदीय सिद्धान्तानुसार कोई भी औषधि कितनी भी, प्रभावी क्यों न हो लक्षण के अभाव में अप्रभावकारी है। जिसके आधार पर हर दवा हर व्यक्ति के लिए उपयोगी नहीं है। वही हर दवाई किसी न किसी के लिए उपयोगी जरूर है। अर्थात लक्षण मिलने पर और सही मात्रा एवं विधि के अनुसार लेने पर ही दवा लाभदायी है। मनमाने ढंग से लेने पर नहीं।
कुछ महानुभाव प्रश्न करते है कि – क्या मेदोहर वटी से वजन कम होता है ? तो यह ज्यादातर लोगो में काम करती है। जबकि आयुर्वेद में वजन घटाने के कुछ योग इस प्रकार है –
- त्रिफला का काढ़ा मधु मिलाकर पीने से वजन बढ़ना कम होता है।
- श्योनाक ( अरलू ), अरणी, बेलगिरी, पाढ़ल और गाम्भारी का काढ़ा मधु मिलाकर पीने से चर्बी बढ़ने वाले रोग नष्ट होते है।
- शाखू या सहोड़ा की छाल का काढ़ा गोमूत्र मिलाकर पीने से वजन बढ़ने की समस्या दूर होती है।
वजन कम करने की होम्योपैथिक दवा ( homeopathic medicine for weight loss in hindi )
होम्योपैथी पूर्णतया लक्षणों पर आधारित चिकित्सीय विधा है। जिसके आधार पर रोग निवृत्ति के आयामों का प्रयोग होता है। जिसमे तेजी से वजन कम करना आदि है। यह विशेषकर उस व्यक्ति में प्रभावी होता है। जिसमे किसी व्याधि के कारण वजन बढ़ने लगता है। जैसे – अपच, अजीर्णता, एसिडिटी, कब्ज और गैस आदि के कारण वजन में वृद्धि होती हो। जिसके उपचार में पॉलीकृष्ट, नोसोड, टिश्यू रेमेडीज का प्रयोग होता है। जिसमे सर्वाधिक रूप से पोलिकृष्ट का ही उपयोग होता है।
जिसमे दवा का चुनाव धातु के आधार पर रोग लक्षण का मिलान कर किया जाता है। जिससे रोग का उपचार होते ही वजन बढ़ने की समस्या का स्वतः समाधान होने लगता है। जिसमे कार्बोवेज, चाइना, लाइको, कैल्के कार्ब, एण्टियम क्रूड, कोलोसिन्थ, बिस्मथ, सल्फर, पल्साटिला, साइलीशिया, सीपिया, प्लेटिना, लिलियम टिग जैसी अनेको दवाओं का प्रयोग होता है।
जबकि कुछ लोग अनुपात निर्धारित कर दवा को आपस में मिलाते है। जिसको कॉम्बिनेशन कहा जाता है। जिनका प्रयोग व्यक्ति विशेष के अतिरिक्त लोगो पर भी किया जा सकता है। अल्फाल्फा माल्ट वजन को नियंत्रित करने का कार्य करता है। जिसमे अनेको प्रकार की दवाओं का योग होता है। जिससे यह पाचन से सम्बंधित अंगो पर विशेष रूप से कार्य करता है। जिससे वजन बढ़ने की समस्या का निदान होता है।
वजन कम करने का योग ( yoga for weight loss in hindi )
वजन कम करने के लिए योग का महत्व किसी औषधि से कम नहीं है। जिसके लिए योगदर्शन और विष्णुपुराण में अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, शौच ( स्वच्छता एवं शुद्धि ), संतोष और तपस नामक आठ यम – नियम बातये गए है। जिनका क्रमिक रूप से आचरण करने पर देह, इन्द्रिय, प्राण और अंतःकरण का शोधन होता है। जिससे रोग की निवृत्ति का मार्ग स्वतः ( प्रयास न करने पर भी ) प्रशस्त होता है।
योगदर्शन में यम – नियम की परिपुष्टता के बाद आसान – प्राणायाम की चर्चा की गई है। जिसमे अनेको प्रकार के आसनो का विधान है। जिसमे हलासन, सर्वांगासन, चक्रासन, मयूरासन, बकुलासन, शवासन आदि है। जिसको वजन कम करने का योगासन भी कहा जाता है। जिनके नियमित अभ्यास से न केवल स्वास्थ की प्राप्ति होती है। बल्कि भगवद दर्शन का सुयोग भी सधता है।
वजन कम करने की एक्सरसाइज ( exercise for weight loss in hindi )
वजन घटाने के लिए व्यायाम सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। जिसमे शरीर में जमा वसा आदि का विगलन होता है। अर्थात उसका उपयोग शरीर की गर्मी बढ़ाकर किया जाता है। जिसको लोग शरीर में जमे वसा का जलना भी कहते है। आधुनिक समय में लोग एक्सरसाइज जिम में करते है। जो मशीन आधारित होने के कारण तेजी होती है। लेकिन इसके अनेको दुष्परिणाम है। जिसमे साँस फूलना, दम घुटना आदि प्रमुख है।
वजन कम करने का एक्सरसाइज खुले आसमान में करना चाहिए। जिससे फेफड़ो को बल मिले। साथ ही फेफड़ो में जमे अनावश्यक पदार्थ वायु में घुलकर बाहर आ जाए। जैसे – कार्डियो व्यायाम वजन कम करने में सहायक है। जबकि पैदल चलना सभी प्रकार के रोगो में लाभदायक है। जिससे सम्बंधित अनेको बाते है। जैसे – कैसे चलने से वजन कम करने के लिए और मैं 1 घंटे चलने के एक दिन से अपना वजन कम कर सकते हैं। यदि नियमित सवा घंटा ( 75 मिनट ) बिना रुके चला जाय। तो शरीर में एकत्रित सभी प्रकार की वसा और शर्करा नष्ट हो जाती है।
रस्सी कूदना भी एक प्रकार का व्यायाम है। जिसमे बहुत ही तेजी से वसा आदि कम होता है। इसलिए ही प्रश्न पूछा जाता है कि – रस्सी कूदने से कितने दिन में वजन कम होता है ? इसके लिए नियमित 40 दिन 15 मिनट अभ्यास करने पर वजन कम होने लगता है। यदि सीढ़ियों से सम्बंधित बात करे तो प्रश्न उठता है कि – कितने सीढ़ियों पर चढ़ने के लिए वजन कम करने के लिए आवश्यक है। तो कुल मिलाकर यदि 75 मिनट सभी प्रकार का परिश्रम किया जाय। तब वजन बढ़ने की समस्या रुक सकती है।
वजन घटाने के लिए डाइट चार्ट ( for weight loss diet chart in hindi )
आजकल वजन कम करने के लिए डाइट चार्ट का प्रचलन है। जिसमे विशेषज्ञों के द्वारा सुबह, दोपहर और रात्रि के लिए भोजन का निर्धारण किया जाता है। जिसको पीसीओ आहार वजन कम करने की योजना भी कहते है। जिसके माध्यम से भोजन से होने वाले नुकसान से बचाकर शरीर को मजबूत बनाया जाता है। वैज्ञानिक भाषा में कहे तो शरीर को आवश्यक पोषक तत्वों की सुलभता को निश्चित किया जाता है। जिससे वजन बढ़ने की समस्या कम होती है।
जबकि आहार चार्ट थायराइड रोगियों वजन कम करने के लिए भी किया जाता है। जिसके लिए थायराइड के दौरान कैसे करें वजन कम की जिज्ञासा कुछ लोगो के द्वारा प्रकट की जाती है। जिसमे ग्रंथि की विसंगति के कारण अनेको प्रकार के व्यवधान है। जिसमे वजन बढ़ना भी है। जिस पर भोजन के माध्यम से नियंत्रण प्राप्त करना, चिकित्सीय मानकों के अनुरूप है। कभी – कभी बुखार होने के बाद अनेको प्रकार की समस्याए होने लगती है। जैसे – बजन का बढ़ना या कम होना, बाल झड़ना आदि। जिसके लिए बुखार की सबसे अच्छी दवा आवश्यकता पड़ती है।
आयुर्वेदादी शास्त्रों में जीवो के शरीर पर, भोजन का प्रभाव दवा से भी अधिक स्वीकारा गया है। जिसके कारण बिना भोजन में सुधार किये, किसी भी रोग से उबर पाना हथेली पर सरसो उगाने के सामान है। जिसको समझकर आयुर्वेद के जानकार औषधि के साथ भोजन, पानी आदि की व्यवस्था का यजन करते है। जिनसे दो क्रियाए एक साथ होती है। पहली औषधि के कारण और दूसरी आहार के कारण। जिससे रोग दुर्बल होकर शरीर छोड़ने के लिए विवश हो उठता है। अंततः दोहरे प्रहार को न सह पाने के कारण रोग पर रोगी की विजय हो जाती है।
वजन कम करने के लिए कितनी रोटी खानी चाहिए ( how much roti should i eat to lose weight )
कुछ लोगो का मानना है कि कम रोटी खाने से वजन कम होता है। किन्तु सत्य तो यह है कि आवश्यक ऊर्जा की आपूर्ति के अभाव में शरीर कमजोर होने लगता है। जिससे अनेको प्रकार के रोग होने की संभावना प्रबल हो जाती है। कुछ लोग वजन कम करने के लिए अचानक से रोटियां कम खाना कम कर देते है। जिससे भी रोगानुगति की पूर्ण गुंजाइस होती है। जिससे बचने के लिए रोटियों की मात्रा को धीरे – धीरे ही कम करना चाहिए। जिससे शरीर समय के अनुरूप स्वयं को दाल सके।
वजन कम करने के लिए कम से कम उतनी रोटियां खानी चाहिए। जिससे क्षुधा ( भूख ) मिट सके। भूख को मार कर रोटियां कम खाने पर शरीर में कृशता, आलसपन आदि बना रहता है। कुछ लोग रोटियां कम कर भोजन खाने की आवृत्ति ( बार ) बढ़ा देते है। जिससे भी वजन कम करने में कठिनाई होती है। इसलिए उतनी रोटियां कहानी चाहिए, जिससे हमारे दैनिक कार्यो में कोई बाधा न पहुंचे।
कभी – कभी पेट में कब्ज होने के कारण भी वजन बढ़ने लगता है। जिसका मूल कारण आंतो में अनेको प्रकार की मलिनता एकत्र हो जाती है। जिसके लिए कब्ज की रामबाण इलाज करवाना चाहिए। जिससे नियमित पेट की सफाई हो सके।
वजन कम करने के लिए कितना पानी पीना चाहिए ( weight loss water detox in hindi )
सभी चिकित्सा पद्धतियाँ और सनातन शास्त्र पानी को भोजन से अधिक महत्व देते है। जितने दिन तक व्यक्ति भोजन के बिना ज़िंदा रह सकता है। उससे कम दिन तक ही व्यक्ति पानी के बिना ज़िंदा रह सकता है। जिससे पानी की उपयोगिता भोजन से अधिक सिद्ध होती है। लेकिन व्यवहारिक धरातल पर महत्ता दोनों की स्वतः सिद्ध है। जिसका अनुगमन तो किया जा सकता है, परन्तु बदला नहीं जा सकता।
जल की विसंगति का प्रभाव भोजन पर होता है। जिसका मूल कारण पृथ्वी और पार्थिव प्रपंच का उपादान ( आश्रय ) जल है। जल के अभाव में अन्न, फल, सब्जी आदि का उत्पादन कोटी – कोटी यांत्रिक, मांत्रिक और तांत्रिक विधाओ का आलंबन लेकर भी नहीं किया जा सकता। आज तो पीने के पानी की कमी लोगो को सताने लगी है। जिससे पानी की गुणवत्ता आदि का समन्वय हो ही जाता है। जिसके चलते पेट दर्द भी होता है।
जिस प्रकार भोजन को उगाने के लिए समय – समय पर पानी की आवश्यकता होती है। उसी प्रकार भोजन को पचाने के लिए भी पानी आवश्यक है। भोजन परमाणुओ के विखंडीकरण को संतुलित रखने, रस का निर्माण करने, पाचन के बाद बचे हुए पाचक रसो को धोकर बाहर निष्कासित करने आदि के लिए शरीर को जल की आवश्यकता पड़ती है। जिसके लिए समय – समय पर जल पीना स्वास्थ्यकर है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञानियों ने स्वथ्य वयस्क व्यक्ति को दिन भर में, औसतन दो से तीन लीटर पानी पीने की सलाह देते है।
वजन कम करने वाले आहार ( weight loss diet in hindi )
आयुर्वेद वजन को कम करने वाले आहार की मीमांसा करता है। जिसमे अनेको विशेषताओं की विशेषणा से युक्त आहार को, वजन कम करने वाला खाना मानता है। जबकि आजकल ज्यादातर लोग वजन को कम करने वाले प्रोटीन आहार की ही चर्चा करते है। जिसका मूल कारण आधुनिक ( पश्चात ) विज्ञान है। जिसमे प्रोटीन को समस्त कोशिकाओं का विकास करने वाला कहा गया है। जिससे लोग प्रोटीन खाद्यो से युक्त पदार्थो का सेवन सर्वाधिक करते है।
सनातनी चिकित्सीय ग्रंथो में भोजन का विस्तार से वर्णन है। जिसमे ऋतुनुकूल मोटे अन्न को स्निग्धता और मौसमी फलो के साथ, सूर्य प्रकाश में सेवन की बात कही गई है। जिसको आधुनिक भाषा में फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन, ओमेगा, मिनरल्स आदि से युक्त बताया गया है। मोटे अन्नो में फाइबर की सर्वाधिक मात्रा पायी जाती है। जिससे कार्बोहाइड्रेट ( शर्करा ) बढ़ा रहता है। जिससे भोजन का धीरे – धीरे होता है। जिससे हमारे शरीर के आवश्यक ऊर्जा की प्राप्ति होती रहती है। जिसके कारण हमें भूख भी देर से लगती है।
दूसरी और जब इसमें घी ( गोघृत ) आदि को चुपड़ दिया जाता है। तब यह सैचुरेटेड फैट्स, फैटी एसिड ( ओमेगा 3 और ओमेगा 6 ) आदि से युक्त हो जाता है। सैचुरेटेड फैट्स को ऊर्जा का संग्राहक, हार्मोन्स का निर्माण, विटामिन्स को सोखने ( वसा में घुलनशील विटामिन ए, डी, इ, के ), सेल मेम्ब्रेन को बनाने और पेड करने आदि के लिए उत्तरदायी माना जाता है। जिनको लॉन्ग चेन ( विशुद्ध गोघृत ) और मीडियम चेन ( नारियल तेल ) में बाटा गया है। जिसमे नारियल तेल वजन कम करने में सहायक है। क्योकि मीडियम चेन फैटी एसिड लम्बाई में छोटे होते है और सेल मेम्ब्रेन में आसानी से प्रवेशकर, सैल्स की आवश्यकता की पूर्ति करते है।
वजन कम करने वाले फल ( weight loss fruits in hindi )
सभी प्रकार के ताजे और मौसमी फल वजन को संतुलित रखते है। यदि इनमे उपयुक्त खाद ( गोबर आदि से निर्मित ) और पानी दिया जाय, तो इनमे अमृत तुल्य उच्च कोटि के विटामिन, मिनरल्स, सुक्रोज ( शर्करा ), अन्य पौष्टिक घटको की प्राप्ति होती है। जिसका सेवन सुबह खाली पेट करने पर सर्वाधिक गुणकारी है। सभी फलो में मिठास, खट्टापन आदि से युक्त रस विद्यमान रहता है। जिसके लिए प्रातः काल का समय सर्वाधिक उपयोगी होता है। मलत्याग, दन्त धावन आदि करने के बाद पेट सभी प्रकार के रसो के पाचन के उपयुक्त होता है।
प्रायः सभी फल वजन को नियंत्रित रखते है। परन्तु कुछ फल ऐसे है जो वजन को कम करते है। जैसे –
- पपीता
- नारियल ( नारियल पानी )
- अनानास
- संतरा
- मोसम्बी
- नीबू आदि।
ध्यान रहे : फल का जूस पीने की अपेक्षा फल खाना अधिक लाभदायक है।
वजन कम करने के लिए क्या खाना चाहिए (
वजन बढ़ने के तीन प्रमुख कारणों में भोजन भी है। जिसको दोष प्रधान चिकित्सा की दृष्टि से वजन का बढ़ना कफ रोग माना गया है। इस कारण कफ रोगियों में कफ रोग के लक्षण पाए जाते है। जिससे छुटकारा पाने के लिए कफकारक आहार का निषेध किया गया है। जिससे कफ जनन को रोका जा सके। जिसको आजकल के आहार विशेषज्ञ एक प्रकार की चिकित्सा के रूप में उपयोग करते है।
वजन घटाने का तरीका में कफ प्रतिषेधक आहार द्रव्यों का, समुचित उपयोग करना सर्वाधिक उपयोगी है। जिसमे सभी प्रकार के पोषक तत्व मौजूद हो। जैसे – प्रोटीन, शर्करा, माइक्रो मिनरल्स, वसा, विटामिन आदि। यहाँ ध्यान रखने वाली बात यह है कि आजकल भोजन में, वसा को न्यून और अम्लीय पानी के सेवन को प्रश्रय दिया जाता है। जिससे न जल में घुलनशील विटामिन का, अवशोषण हो पाता है न वसा में घुलनशील। जिससे कही न कही विटामिन आदि की कमी हो ही जाती है। विटामिन डी 3 वजन घटाने लाभ कारी है। परन्तु आजकल ऐसी कार्यशैली विकसित की गई। जिसमे धूप का कोई उपयोग ही नहीं समझा जाता।
इस प्रकार कही न कही अपौष्टिकता जन्म लेती रहती है। जिसका हमें आभास तक नहीं होता। जिसको समाप्त किये बिना वजन को घटाना मरुस्थल में जल ढूढ़ने के समान है। आजकल माहायान्त्रिक व्यस्तता कुए में भांग पडी के सामान है। जिसको ध्यान में रखकर शास्त्र वर्णित प्रतिषेधात्मक वचनो का पालन कर ही वजन को घटाया जा सकता है। जबकि प्रकृति में वजन कम करने वाली सब्जी भी है। जो हमारे लिए विटामिन आदि की आपूर्ति करती है। जैसे – लौकी, तर्ररोई ( नेनुआ ) आदि। जिससे पोषण प्राप्त करने के लिए भी शास्त्रीय विधा का परिपालन आवश्यक है।
वजन कम करने के लिए क्या नहीं खाना चाहिए ( Don’t eat for weight loss in hindi )
वजन को घटाने के लिए भोजन से सम्बंधित बहुत से प्रतिषेध है। यह वजन कम करने का सबसे तेज उपाय कहलाते है। जो इस प्रकार है –
- सामान्य जल के स्थान पर उष्ण ( गर्म ) जल का सेवन करे। यदि ताम्र शोधित जल हो तो ताम्बे के पात्र में न जल को गर्म करे और न सेवन करे। इसके स्थान पर किसी अन्य पात्र का प्रयोग करे।
- रिफाइंड और जले तेल का उपयोग न करे।
- चीनी और कार्बोनेटेड वाटर शरीर के जल को सुखाते है। इसलिए वजन कम करने के लिए इनके सेवन से बचना चाहिए।
- बासी भोजन वजन बढ़ाता है। जिसके कारण इनका सेवन नहीं करना चाहिए।
- दिन में सोने से वजन बढ़ता है। इसकारण दिन में सोने से बचे।
- मांसाहार भोजन से परहेज करना वजन घटाने में सहायक है।
- अत्यधिक ताली ( डीप फ्राई ) वस्तुओ के सेवन से बचे। जैसे – चिप्स, स्नेक्स, पापड, कटलेट और समोसा आदि।
- विदाही या जलनकारक खाद्य पदार्थो के सेवन का प्रतिषेध करे। जैसे – चाउमीन, बर्गर, पिज्जा, चॉकलेट और अनेको प्रकार की मिठाईया।
- रूखे ( रुक्ष ) पदार्थो का सेवन न करे। जैसे – बिस्किट, केक, ब्रेड आदि।
- कफकारक आहार जैसे – चावल के आटे आदि से निर्मित वस्तुए।
- देर से पचने वाली चीजे और कब्जकारक वस्तुओ के सेवन से बचे। जैसे – मैदे से बनी तीखी और चटपटी नमकीन, उरद की दाल, दाल और आलू के पराठे आदि।
FAQ
कैसे 7 दिनों में वजन 10 किलो कम करने के लिए क्या करे?
वजन बढ़ना और घटना एक सतत प्रक्रिया है। जिसको अचानक कम या ज्यादा नहीं किया जा सकता है। प्रायोगिक धरातल पर ऐसा होना भी संभव नहीं। परन्तु रोग की चपेट में आने से वजन घटता और बढ़ता है। जिसको दूर करने पर वजन अविश्वनीय ढंग से घटता है।
वजन कम करने के घरेलू उपाय
7 दिन में 7 किलो वजन कैसे कम करें?
वजन कम करने के लिए आयुर्वेद वर्णित ऋतुचर्या, दिनचर्या, आहारचर्या आदि का विधि – विधान पूर्वक पालन करना चाहिए।
वजन कम करने के लिए क्या करें घरेलू उपाय?
अधिक वजन होने पर रात्रि शयन के पूर्व गुनगुना पानी पीने से कफ रोग दूर होता है। जिससे वजन बढ़ने की समस्या समाप्त हो जाती है।
1 दिन में 1 किलो वजन कैसे घटाएं?
नियमित विशुद्ध आहार ( विसंगति से मुक्त खान – पान, रहन – सहन, विचार ), परिश्रम ( व्यायाम, काम – काज ), लौकी का जूस आदि के द्वारा 1 दिन में 1 किलो वजन घटाया जा सकता है।
1 हफ्ते में 5 किलो वजन कैसे घटाएं?
नियमित सवा घंटे परिश्रम, रिफाइंड नमक के स्थान पर सेंधा या समुद्री नमक, अम्लीय जल ( आर ओ वाटर ) के स्थान पर क्षारीय जल और मोटे अनाज का सेवन किया जाय तो कुछ ही दिन में तेजी से वजन घटने लगता है।
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