सहजन के पत्ते की सब्जी सहजन के गुणों से भरपूर होती है। क्योकि 100 ग्राम सहजन की पत्ती में दूध से 17 गुना अधिक कैल्शियम, पालक से 25 गुना अधिक आयरन, गाजर से 10 गुना अधिक बीटा – कैरोटीन, केले से 3 गुना अधिक पोटैशियम, और संतरे से 7 गुना अधिक विटामिन सी पाया जाता है। जिसके सेवन का निर्देश आयुर्वेद में चूर्ण, जूस और सब्जी के रूप में है। इसलिए सहजन के पत्ते कैसे खाएं और, सहजन के पत्तों की सब्जी कैसे बनाए ?
कैल्शियम जहाँ अस्थियो ( हड्डियों ) को मजबूत बनाता है। वही आयरन खून की लाल रुधित कणिकाओं का निर्माण करता है। जिससे आक्सीजन को सोखने में मदद मिलती है। जो बालो को भी झड़ने से बचाने में सहायक है। बीटा – कैरोटिन आँखों, त्वचा ( स्किन ) और रोग प्रतिरोधी तंत्र के लिए लाभदायक है। पोटैशियम रक्तदाब ( रक्तचाप ) को नियंत्रित रखने में सहायक है। और विटामिन सी स्कर्वी रोग, थकान, दांतो में ढीलापन, कमजोर नाखून आदि के लिए उत्तरदायी है। सभी प्रकार के सिर के दर्द में सहजन खाना लाभकारी है।
पाचन तंत्र को चुस्त – दुरुश्त रखने में सहजन का महत्वपूर्ण योगदान है। इसके कोमल पत्तों का साग खाने से शौच खुलता है। जिससे पेट साफ हो जाता है। जिसके लिए अलग से पेट साफ करने का उपाय नहीं करना पड़ता। इसलिए यह पाचन क्रिया कैसे सुधारे में महती भूमिका निभाता है। आधुनिक विज्ञान के अनुसार बिटामिन बी काम्प्लेक्स के, विकल्प के रूप में सहजन की पत्ती का चूर्ण प्रयोग होता है। जिसको मोरिंगा पाउडर (moringa powder) भी कहते है। जिसके कारण यह भारत में पूर्व से लेकर पश्चिम तक, उत्तर से लेकर दक्षिण तक खाई जाती है।
सहजन कैसे खाए (sahjan kaise khaye)
सहजन जितना आसानी से उगता है, उतना ही अधिक इसका लाभ है। ज्यादातर लोग सहजन लम्बी फली वाली सब्जी समझते है। जिसके कारण उत्तर भारतीय सहजन का उपयोग सहजन की सब्जी, और दक्षिण भारतीय सहजन से सांभर इत्यादि बनाने में करते है। जबकि सहजन के पत्ते इसकी फली से भी अधिक लाभकारी है। जिसकी जानकारी न होने से हम इसका उपयोग नहीं करते, और इसके पत्तो से होने वाले लाभ से वंचित रह जाते है। वजन कम करने में भी सहजन का उपयोगी है।
सहजन के हरे पत्तों का साग कब्ज की रामबाण दवा है। जिसका सेवन करने से नियमित रूप से, आंतो की सफाई होती रहती है। आंतो के द्वारा ही हमारे शरीर का पोषण होता है। जिसका कारण समग्र पोषणीय पदार्थो को, अवशोषित करने का दायित्व इनको ही प्राप्त है। जिसका समग्रता से निर्वाहन होने के लिए, आंतो की सफाई होना अत्यावश्यक है। जिसके लिए सहजन कैसे खायें को जानना आवश्यक है।
परन्तु हम आजकल की भागदौड़, व्यस्तता और तकनीकी की दासता के बोझ से दबे है। जिससे न तो हमें सहजन के पत्ते की सब्जी के बारे में, जानने और पढ़ने का समय मिल पाता है। वही दूसरी और ऐसे लोगो की संख्या भी बहुत कम है। जिसके कारण हम सहजन के पत्तों का लाभ नहीं ले पाते। ऐसा न होने पर हम जाने अनजाने में लालच, डर, कोरी भावुकता और बुद्धिहीनता के शिकार है। जिसका अतिरेक होने से पेट में दर्द होना (pet me dard hona) शुरू हो जाता है।
सहजन के पत्ते की सब्जी कैसे बनाते है
सहजन के पत्ते और आलू की सब्जी की, भुजिया बहुत ही स्वादिष्ट और स्वास्थ्यकारी है। जिसको आंग्ल भाषा में टेस्टी और हेल्दी कहा जाता है। जिसका नियमित अंतराल में सेवन करते रहने पर, पेट में गैस बनना प्रायः बंद हो जाती है। जिसका मुख्य कारण आंतो में जमा मल बाहर निकल जाता है। ऐसा होने पर आंतो की आंतरिक परतो ( दीवारों ) पर मल चिपक जाता है। जिससे पाचनोपरांत रस में, सन्निहित पोषक पदार्थ का अवशोषण नहीं हो पाता। जिससे शरीर कमजोर होता जाता है, और मन खिन्न रहने लगता है।
पेट में गुड़ गुड़ होने की भी सहजन बढ़िया दवा है। जिसमे पाचन प्रक्रिया के दौरान उत्सर्जित गैस, पेट से बाहर नहीं निकल पाती। जिसके कारण आंतो में गैस घूमने लगती है। जिससे पेट से गुड़ गुड़ शब्द होता है। जिसमे पेट की गैस को जड़ से ख़त्म करने के उपाय उपयोगी है।
आयुर्वेद के अनुसार सहजन वृहदान्त्र में, होने वाले रोगो की अचूक दवा है। जिसके लिए सहजन की सब्जी कैसे बनाते हैं जानना अनिवार्य है। सहजन के पत्ते और आलू की रेसिपी बहुत ही आसान है। जिससे हम अनोखा स्वाद और पौष्टिक पोषक तत्व पा सकते है। जबकि आमतौर पर सहजन की सब्जी (sahjan ki sabji) में, इसके फली का ही प्रयोग होता है। माइग्रेन ( आधे सिर में दर्द होना ) के दर्द में सहजन खाने से लाभ होता है।
आयुर्वेद में सहजन की छाल, जड़, फली और पत्ती सभी को उपयोगी माना गया है। जिसमें सबसे अधिक हम पत्तियों का ही सेवन अधिक कर सकते है। जिसका कारण इनका अधिक समय तक उपलब्ध होना है। जिसमे सहजन के पत्ती की सब्जी का सेवन ब्रेन ट्यूमर के इलाज में सहायक है। इसप्रकार सहजन की पत्ती के फायदे जानने के बाद, आइये अब सहजन की सब्जी कैसे बनती है को जाने।
सहजन के पत्तों की सब्जी बनाने की विधि
आवश्यक सामाग्री (Ingredients)
- सहजन की पत्ती – 250 ग्राम
- आलू – 250 ग्राम
- लहसुन – 1 से 2 कली
- मिर्च ( लाल / हरी ) – स्वादानुसार
- प्याज – 1
- टमाटर – 1
- तेल – 1 से 2 चम्मच
- जीरा – ½ छोटा चम्मच
- सेंधा या समुद्री नमक – स्वादानुसार
- अदरक – एक छोटा टुकड़ा
- हल्दी पाउडर – ¼ छोटा चम्मच या एकछोटी गाँठ
- धनिया पाउडर – 1 छोटे चम्मच
- गरम मसाला – ½ छोटा चम्मच
यह सब्जी लहसुन और प्याज के बिना भी बनाई जाती है। जिसका सेवन ज्यादातर सात्विक शाकाहारी लोग करते है। जिसको बनाने के चरण निम्नलिखित है –
- सहजन की पत्ती की सब्जी बनाने के लिए, इसकी पत्तियों को तोड़कर साफ़ पानी से धोये।
- और इसकी पत्तियों का पानी निझरने के लिए किसी जालीदार बर्तन या डालिये में रखे।
- आलू को छोटे – छोटे टुकड़ो में काटकर रख लीजिए।
- सरसो, हल्दी, जीरा, धनिया, प्याज, मिर्च और लहसुन को सिलबट्टे पर या मिक्सर में पीस लीजिए।
- अब गैस या चूल्हे की हल्की आंच पर कढ़ाई में तेल डालकर हल्का सा गर्म करे।
- इसके बाद पीसे हुए मसाले को कढ़ाई में डाले और पकाए।
- जब मसाला पककर लाल जो जाए तब आलू को डाले और कुछ समय तक पकाये।
- अब सहिजन की पत्तियों को बिखराकर कढ़ाई में डाले।
- कुछ समय तक कलछुल या बड़े चम्मच से, इसको हिलाते रहे। जिससे सब्जी जले नहीं।
- इसके बाद कढ़ाई में नमक और थोड़ा सा पानी डालकर ढककर पकने के लिए रख दे।
- जब सब्जी पक जाए अर्थात जब आलू पक जाए।
- तब टमाटर के छोटे – छोटे टुकड़े काटकर कुछ समय तक पकाए।
- अब सब्जी को चूल्हे से उतारकर परोसे।
- सहजन की यह सब्जी रोटी और पराठे दोनों के साथ खाई जा सकती है।
- परन्तु ज्यादातर लोग सहजन की सूखी सब्जी पराठे के साथ खाना पसंद करते है।
उपसंहार / निष्कर्ष :
सहजन की पत्तिया पेट के लिए बहुत ही फायदेमंद है। जिसके कारण यह न केवल हमें पेट रोगो से बचाता है। बल्कि हमारे शरीर के लिए आवश्यक पोषण भी प्रदान करता है। इसकारण सहजन की पत्ती का उपयोग सभी को करना चाहिए। इसकी पत्तिया अनेक प्रकार के मिनरल और विटामिन का स्रोत होती है। जिसके कारण यह मल्टीविटामिन के जैसे भी उपकारी है।
सहजन विटामिन बी का प्रमुख स्रोत है। जिसका नियमित सेवन करने से स्वास्थ्य की रक्षा होती है। आधुनिक विज्ञानानुसार एक स्वास्थ्य व्यक्ति को, नियमित तीन प्रकार के विटामिनो की आवश्यकता होती है। जिसमे विटामिन बी, विटामिन सी और विटामिन डी है। जिसमे सामान्य रूप से विटामिन सी और डी की आपूर्ति आसानी से हो जाती है। जबकि बहुत ध्यान रखने पर भी, बिटामिन बी कमी रह ही जाती है। इस कमी को पूरा करने के लिए सहजन की पत्तियाँ पर्याप्त है।
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