बवासीर गुदवलियो की शिराओ में होने वाला रोग है। जिसमे गुदा की वलियो की रक्त वाहिनिया, खून से भरकर मांस के अंकुरों के रूप में निकल आया करती है। जिन्हे बवासीर के लक्षण कहा जाता है। बवासीर के यह मस्से अत्यंत पीड़ादायी और वेदना कारक होते है। जिसके उपचार में बैद्यनाथ बवासीर की दवाइयां बहुत ही लाभ करती है। यह आयुर्वेदिक जड़ी – बूटियों से बनायी जाती है। जिसके कारण इनको बवासीर के मस्से को जड़ से खत्म करने के उपाय भी कहते है। जिसमे काम आने वाली बैद्यनाथ बवासीर की दवा की बात आज हम करेंगे।
आज बवासीर एक आम समस्या बन चुकी है। जिससे दुनिया भर के लाखों लोग प्रभावित हो रहे है। जिसके मूलभूत कारणों में जीवनशैली की गड़बड़ी आदि को माना गया है। जिसमे खान – पान, रहन – सहन आदि क्रिया कलापों में प्रतिकूलता देखी जा रही है। जिसके कारण पाचक अग्नि धीरे – धीरे मंद होती जाती है। जिससे महिलाओ और पुरुषों की गुदीय शिरा रक्त वाहिनियों में, महिला और पुरुष बवासीर के लक्षण देखे जाते है।
आमतौर पर बवासीर के दो भेद देखने में आते है –
बादी बवासीर : वह बवासीर जिसमे गुद वलियो में, मांस के बड़े – बड़े अंकुर और भयंकर चुभन का दर्द तो होता है। परन्तु इन अंकुरों से किसी प्रकार का कोई स्राव नहीं होता। जिसके कारण इन्हे सूखी और बादी बवासीर के लक्षण कहा जाता है।
खूनी बवासीर : इस बवासीर के मस्से आकार में, बहुत छोटे और गुदा के भीतर पाए जाते है। जिसमे निरंतर तीव्र जलन और रक्त स्राव होता रहता है। जिसके कारण रोगी को पीड़ा और घबराहट का एहसास होता है। इसलिए बवासीर के इन मस्सों को, खूनी बवासीर के लक्षण वाला माना जाता है।
बवासीर के लिए आयुर्वेदिक दवा बैद्यनाथ ( ayurvedic medicine for piles baidyanath in hindi )
वैद्यनाथ बवासीर की दवाइयां, सभी तरह के बवासीर और उनसे होने वाली परेशानियों को दूर करने में सहायक है। जिससे वैद्यनाथ की बवासीर की दवा को, बवासीर के उपचार में अच्छा माना गया है। हालाकिं बवासीर की होम्योपैथिक दवाइयां भी, बवासीर का इलाज बहुत ही बढ़िया तरीके से करती है। जिसका एक मात्र कारण लक्षणगत औषधि चिकित्सा है।
बैद्यनाथ बवासीर की दवाइयां ( baidyanath bavasir ki davaiyan ), आयुर्वेदिक सिद्धांतो का अनुशरण कर बनाई गई है। जिसमे औषधियों के रूप में बवासीर में कारगर, आयुर्वेदिक दवाओं का प्रयोग हुआ है। जिसके कारण यह आयुर्वेदिक बवासीर की दवाइयां है। जिसमे खूनी बवासीर की गारंटी की दवा के जैसे गुण पाए जाते है। जिसके कारण बैद्यनाथ पाइल्स मेडिसिन ( baidyanath piles medicine ) को, बवासीर की चिकित्सा में उपयोगी माना गया है।
आजकल बैद्यनाथ बवासीर की दवाइयां वटी, चूर्ण और क्रीम के रूप में उपलब्ध है। जिससे इनका सेवन और रख रखाव आसानी से किया जा सकता है। बवासीर में काम आने वाली, बैद्यनाथ बवासीर की दवा ( baidyanath medicine for piles ) निम्नलिखित है –
बैद्यनाथ बवासीर टेबलेट ( baidyanath piles tablet in hindi )
दरअसल आयुर्वेद में जिनको वटी कहा जाता है। उनको आजकल की भाषा में टेबलेट कहा जाता है। बवासीर के इलाज में उपयोगी, बैद्यनाथ बवासीर की वटिया ( baidyanath piles tablets ) और बवासीर का आयुर्वेदिक दवा का नाम इस प्रकार है –
बैद्यनाथ अर्श कुठार रस ( baidynath arsh kuthar ras )
यह अनेक प्रकार के रसायनों से बनी, बवासीर की बहुत ही उत्तम दवा है। इसमें पारद, गंधक, अभ्रक, लौहभस्म, चित्रकमूल, कलिहारी विष, हर्रा, दंतीमूल जैसी दुर्लभ दवाओं के मिश्रण है। जिसका इस्तेमाल करने से गंभीर से गंभीर बवासीर भी ठीक हो जाती है। परन्तु इसको लेते समय ध्यान यह रखना चाहिए कि प्रथम मात्रा लघु होनी चाहिए।
यह अति जीर्ण कब्ज को मिटाकर, मल को मुलायम कर बाहर निकालने में माहिर है। जो बवासीर की समस्या का मूल कारण माना गया है। यह बवासीर में अर्श कुठार रस के फायदे है। जिससे यह बादी और खूनी बवासीर में लाभ करती है। इसलिए इसको उत्तम कोटि की बवासीर की दवाइयां कहा जाता है।
बैद्यनाथ अर्श कुठार रस सेवन विधि :
इसकी एक से दो गोली का सेवन गुलकंद के साथ करना लाभदायी है।
बैद्यनाथ कंकायन वटी ( baidynath kankayan vati ):
यह मस्से वाली और खूनी दोनों तरह के बवासीर में लाभ करती है। जिससे कंकायन वटी को सभी तरह की बवासीर में इस्तेमाल किया जाता है। यह भिलावा, शुंठी, सूरन, काली मिर्च, चेता, चव्य, हरण, जीरा, पीपर, पीपरामूल, यवक्षार और पुराने गुड़ को मिलाकर बनाई जाती है।
यह दवा बवासीर के मस्से सुखाने का उपाय तो है ही। इसके साथ बवासीर में होने वाली असुविधाओं का भी अच्छा विकल्प है। जिसके प्रभाव से बवासीर की तकलीफे भी छूमंत्रर हो जाती है। जैसे – कोष्ठबद्धता, मंदाग्नि, उदरशूल आदि। इसलिए कांकायन वटी को, प्रसिद्द बवासीर की दवाइयां माना गया है।
कंकायन वटी का उपयोग ( kankayan vati uses in hindi )
कंकायन वटी के बवासीर में निम्नलिखित उपयोग है –
- यह मस्से वाली बवासीर के चुभन को मिटाता है।
- बवासीर में होने वाली जलन को नष्ट करता है।
- बवासीर के रक्त स्राव को कम करने में सहायता करता है।
- बवासीर के मस्से को सिकोड़ने में मदद करता है।
- अपच, कब्ज आदि को मिटाकर पाचक अग्नि को बढ़ता है।
बैद्यनाथ कंकायन वटी सेवन विधि :
इसका सेवन छाछ से सुबह और शाम किया जा सकता है।
बैद्यनाथ अर्शोघ्नी वटी ( baidynath arshoghni vati ) :
यह बवासीर की सुप्रसिद्ध औषधि है। जिसके निर्माण में मुख्य अवयव के रूप में नीम , बकायन, कहरवा, पिष्टी और रसौत इत्यादि का प्रयोग किया गया है। जिसके कारण यह खूनी और बादी बवासीर को मिटाने में सहायक है। इसके सेवन से बवासीर की तकलीफे बहुत ही जल्दी मिटने लगती है। जिसके कारण सिद्ध योग संग्रह में इनको, उत्कृष्ट बवासीर की दवाइयां कहा गया है।
बैद्यनाथ अर्शोघ्नी वटी सेवन विधि :
इसका सेवन मठ्ठे अथवा पानी से दिन में दो बार कर सकते है।
बैद्यनाथ त्रिफला गुग्गुल वटी ( baidynath trifla guggul vati ) :
इसको त्रिफला गुग्गुलु के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण त्रिफला चूर्ण, पीपर का चूर्ण और घी में शुद्ध गुग्गुलु को मिलाकर किया जाता है। जिसके सेवन से सभी जगह का वातज शूल, भगंदर, फिशर, बवासीर जैसे गुदा रोग नष्ट हो जाते है। यह कब्ज रोग को मिटाने में, बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। जो बवासीर रोग का मुख्य कारण है। यह खूनी और बादी सहित सभी बवासीर में, अत्यंत उपयोगी है। यह रेचक होने के साथ वायु शामक है। जिससे इसमें गुदा की सूजन को मिटाने के गुण पाए जाते है। यह बवासीर में त्रिफला गुग्गुल वटी के फायदे है।
बैद्यनाथ त्रिफला गुग्गुल वटी सेवन विधि :
इसकी दो से चार गोली का सेवन, त्रिफला क्वाथ या गोमूत्र से करना लाभदायी है।
बैद्यनाथ सिड पाइल्स टेबलेट ( baidynath sidpiles tablet ) :
यह बैधनाथ बवासीर की दवा है। जिसका सेवन बवासीर रोग के उपचार के दौरान किया जाता है। जिसमे आंवला, नागकेशर, फिटकरी और पिश्ती आदि को मिलाया गया है। जिससे यह बवासीर में होने वाली तकलीफो में फायदा करती है।
बैद्यनाथ सिड पाइल्स टेबलेट सेवन विधि :
जिसकी एक टेबलेट को दिन में दो बार, खाना खाने के बाद गुनगुने पानी से ले सकते है।
बैद्यनाथ पिरोइड टेबलेट ( baidyanath pirrhoids tablet )
यह गुदा रोगो में काम आने वाली, आयुर्वेदिक औषधियों को मिलाकर बनाई गई दवा है। जिसके सेवन से बवासीर जैसे गुदा में बहुत लाभ होता है। यह जिमीकंद, अर्शोघ्नी वटी, नागकेशर, खस, गिलोय आदि के मिश्रण से बनी है। जिससे यह बवासीर जैसे रोग में बहुत लाभ करती है।
बैद्यनाथ पिरोइड टेबलेट के उपयोग ( baidyanath pirrhoids tablet uses in hindi )
बवासीर में इसके निम्नलिखित उपयोग है –
- यह गुद रक्त वाहनियों में रक्त की गति को सुचारु बनाये रखती है।
- बवासीर के मस्सों की सूजन कम कर, उन्हें सिकोड़ती है।
- बवासीर में होने वाली चुभन, जलन और खुजली आदि को मिटाती है।
- बवासीर के दर्द और रक्त स्राव को कम करती है।
- अपच और कब्ज को मिटाती है।
बैद्यनाथ पिरोइड टेबलेट सेवन विधि :
इसकी दो टेबलेट को गुनगुने पानी के साथ दिन में दो से तीन बार लिया जा सकता है।
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बैद्यनाथ बवासीर चूर्ण ( baidynath hemorrhoids churan )
बवासीर की आयुर्वेदिक दवाइयों में, चूर्ण का विशेष स्थान है। जिसका सबसे बड़ा कारण, इसमें पाया जाने वाला स्वाभाविक गुण है। यह बवासीर की दवाइयां बवासीर के उपचार, और इनको जड़ से मिटाने में भी सहायता करती है। ज्यादातर बवासीर की दवाइयां रोग लक्षणों पर कार्य करती है। लेकिन बवासीर के चूर्ण बवासीर के मूल समस्याओ को ही मिटा देते है। जिससे रोग अपने – आप ही दुर्बल पड़ जाता है। बवासीर के उपचार के दौरान निम्न चूर्णों की आवश्यकता पड़ती है।
बैद्यनाथ पंचसकार चूर्ण ( baidynath panchsakar churna )
पंचसकार चूर्ण के घटक ( panchsakar churna ingredients )
यह हरण, सोंठ, सोनामुखी, सेंधा नमक और सौफ आदि से मिलकर बना चूर्ण है।
पंचसकार चूर्ण के फायदे ( panchsakar churna benefits )
जो कब्ज नाशक और विरेचक जैसे गुण रखता है। जिसके कारण बवासीर जैसे रोगो के निवारण में, इनका इस्तेमाल किया जाता है। यह अपच को मिटाकर पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है। जिसके कारण उदर रोगो में भी, इसका प्रयोग होता है।
बैद्यनाथ पंच सकार चूर्ण सेवन विधि :
इसके 4 – 6 ग्राम के मात्रा में, रात को गुनगुने पानी के साथ लिया जा सकता है।
बैद्यनाथ अविपत्तिकर चूर्ण ( baidynath avipattikar churna )
अविपत्तिकर चूर्ण के घटक ( avipattikar churna ingredients )
यह त्रिकटु, नागर मोथा, त्रिफला, विडंग, निशोथ, छोटी इलायची, लौंग, तेजपत्ता, विड लवण और मिश्री आदि को मिलाकर बनाया जाता है।
बवासीर में अविपत्तिकर चूर्ण का उपयोग ( avipattikar churna uses in hindi )
यह अम्लपित्त की बहुत ही बढ़िया औषधि है। जिसके सेवन से अपच, पेट दर्द, कब्ज और गैस जैसी समस्याओ में लाभ होता है। यह सभी समस्याए खूनी और मस्से वाली बवासीर में पायी जाती है।
बैद्यनाथ अविपत्तिकर चूर्ण सेवन विधि
इसके 4 – 6 ग्राम के मात्रा में, रात को गुनगुने पानी के साथ लिया जा सकता है।
बैद्यनाथ त्रिफला चूर्ण ( baidynath trifla churan )
त्रिफला आयुर्वेद की प्रसिद्द महौषधि है। जिसका सेवन अधिकांश रोगो में किया जाता है, अर्थात त्रिफला चूर्ण का फायदा हर रोग में है। इसके मुख्य घटक आंवला, हरण और बहेड़ा है। यह पेट साफ़ करने के लिए रात्रि में, गुनगुने पानी से लिया जाता है। जिससे सुबह में आसानी से पेट को साफ करता है। यह एक प्रकार का रसायन है। जिस अलग – अलग ऋतुओ में विभिन्न अनुपानों के साथ लिया जाता है।
बवासीर में त्रिफला चूर्ण खाने का तरीका :
इसके 4 – 6 ग्राम के मात्रा में, रात को गुनगुने पानी के साथ लिया जा सकता है।
बैद्यनाथ बवासीर क्रीम ( baidyanath hemorrhoids cream in hindi )
बवासीर के मस्से खून से भरकर बहुत कड़े, खुरदरे आदि प्रकृति के हो जाते है। जिससे यह मलत्याग में अत्यंत बाधा उत्पन्न करते है। जबकि खूनी बवासीर में मस्सों से रक्त स्राव होता रहता है। जिसके कारण घाव बन जाया करता है। जो मल त्याग के बाद और अधिक बढ़ सकता है। जिनसे पार पाने के लिए बवासीर के मस्से सुखाने की क्रीम का प्रयोग किया जाता है। जिनको एक प्रकार की बवासीर की दवाइयां कहा जाता है।
बैद्यनाथ पायराईड मलहम ( baidynath pirrhoid ointment in hindi )
पतंजलि बवासीर क्रीम की तरह ही वैद्यनाथ पायराइड क्रीम का प्रयोग भी, बवासीर के उपचार में किया जाता है। जिसके कारण इनको क्रीम वाली बवासीर की दवाइयां कहते है। जिनके इस्तेमाल से बवासीर के मस्सों का घाव ख़त्म होता है। जिससे बवासीर के मस्से को सुखाने में मदद मिलती है। इसके साथ ही रक्त स्राव आदि की समस्या भी समाप्त हो जाती है। बवासीर क्रीम का वाह्य प्रयोग ही होता है।
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उपसंहार :
बैद्यनाथ बवासीर की दवाइयां, बवासीर के उपचार में अत्यंत लाभकारी है। जिनका यथा योग्य उपयोग बवासीर को जड़ मूल से नष्ट कर देता है। जिससे बैद्यनाथ बवासीर की दवा को, बवासीर के इलाज में बहुत ही ऊंचा दर्जा प्राप्त है।
ध्यान रहे : यहाँ पर बताई गई बवासीर की दवाइयां, चिकित्सीय परामर्श नहीं है। इनके सेवन से पूर्व चिकित्सीय सलाह लेना अति आवश्यक है।
सन्दर्भ :
- योग रत्नाकर
- रसेन्द्र सार संग्रह
- योग चिंतामणि
- सिद्ध योग संग्रह
- शारंगधर संहिता
- भैषज्य रत्नावली