हर पत्नी की चाहत अपने पति को हमेशा युवा देखने की होती है। जिससे वह उसकी सम्भल कर देखभाल कर सके। अर्थात उसकी अन्तर्निहित काम सम्बन्धी वासनाओ को पूरा कर सके। जिसके लिए पुरुषो का पुरुषत्व सुरक्षित रहना अति आवश्यक है। परन्तु जीविका की भाग दौड़, बच्चों और पत्नी की चिंता, बीमारी, ढलती आयु, पोषण की कमी और बढ़ता प्रदूषण पुरुषो से पौरुष शक्ति को धीरे – धीरे छीनता रहता है। जिससे दोनों के सम्बन्धो में धीरे – धीरे कमी आने लगती है। जिसको बरकरार रखने के लिए, पौरुष शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा काम में लाई जाती है।
पौरुष शक्ति बढ़ाने की दवा, पुरुषो में क्षीण हुई यौन शक्ति को पुनः जाग्रत करती है। जिससे अपने जीवन से हतास और निराश हो चुके, लोगो के भीतर भी घोड़े जैसी सेक्स पावर आ जाती है। जिनको आयुर्वेद की भाषा में वाजीकरण द्रव्य औषधि कहा जाता है। इसलिए पौरुष शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा patanjali भी, एक प्रकार की वाजीकारक दवा है। जिसके सेवन कमजोर मर्दाना ताकत फिर से पुष्ट होने लगता है। जिससे पुरुषो की खोई हुई पौरुष शक्ति वापस लौट आती है।
पुरुषो के पौरुष शक्ति में कमी आने के बहुत से कारण है। परन्तु सबसे बड़ा कारण शुक्र का वर्धन करने वाली, खाद्य वस्तुओ का सेवन न करना है। काम शास्त्रों की दृष्टि में मन को सुख देने वाली, ज्ञानेद्रियों के सभी विषय स्त्री शरीर में पाए जाते है। इतने पर भी यदि मनोनुकूल स्त्री की प्राप्ति हो जाय, तो सामान्य पुरुष क्या नपुंसक भी स्वयं पर नियंत्रण नहीं रख पाता। जिससे सम्भोग की क्रिया चलती रहती है, लेकिन वाजीकरण द्रव्यों का सेवन हम नहीं करते है। इसलिए नियमित रूप से इनको लेते रहना, पौरुष शक्ति बढ़ाने का मूल मंत्र है। जिसमे पौरुष शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा वैद्यनाथ अत्यंत लाभ करती है।
पौरुष का अर्थ ( virility meaning in hindi )
यौवन अवस्था को प्राप्त होते ही, स्त्री – पुरुष पुत्र उत्पत्ति में समर्थ हो जाते है। जिसके लिए उन्हें सहवास की आवश्यकता होती है। लेकिन स्त्रियों और पुरुषों में काम कला को प्रकट करने के तरीके अलग – अलग होते है। जिसका मूल कारण स्त्रियों के शरीर का अग्नि प्रधान होना, जबकि पुरुषो का सोम प्रधान होना है। जिसमे प्रायः स्खलन की अवस्था पुरुषो से अधिक होती है। जिसके लिए उन्हें अधिक समय तक, मैथुन और स्तम्भन आदि की आवश्यकता रहती है।
परन्तु जब पुरुष महिला को स्खलित किये, बिना ही स्खलित हो जाता है। तब महिला संतुष्टि की चरम सीमा तक नहीं पहुंच पाती। जिससे उसके अंदर ही अंदर मैथुन के प्रति घृणा पलने लगती है। जिसे पुरुषों में पौरुष शक्ति की कमी कहा जाता है। जिसका प्रभाव कुछ दिन में, हमारे वैवाहिक सम्बन्धो पर दिखाई देने लगता है। जिसके लिए पौरुष शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा बहुत काम आती है।
पौरुष शक्ति बढ़ाने के उपाय
आज हमारी पौरुष शक्ति में कमी आने का सबसे बड़ा कारण, जीवनशैली का बदलाव है। जिसमे हम नित नए संसाधनों का प्रयोग, अपने दैनिक कार्यो को करने के लिए करते है। जिससे हम पूरी तरह से इन पर ही निर्भर हो जाते है। फलस्वरूप हमारा खान – पान भी प्रभावित हो जाता है। जिससे हम अपौष्टिक्ता के शिकार हो जाते है। दूसरी ओर कामुकता की वासना को शांत करने के लिए, नियमित मैथुन भी करते है। फिर भी काम वासन शांत नहीं होती।
जबकि आयुर्वेदादी शास्त्रों में मैथुन की इच्छा रखने वाले, स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी भोजन के अनुरूप ही वाजीकरण औषधियों के सेवन की बात कही गई है। जिस पर आज कोई ध्यान नहीं देता। बल्कि प्रचार – प्रसार के द्वारा वासना को गहराई तक भर दिया जाता है। इन तथ्यों की जानकारी न होने से, अच्छा खासा हष्ट – पुष्ट युवा भी थोड़े ही दिनों में यौन शक्ति से दुर्बल हो जाता है। जिससे वह न ठीक से पत्नी को खुश रख पाता है, और न बच्चों की बेहतर ढंग से परवरिस कर पाता है।
ऐसा होने पर उसका अधिकांश स्वर्णिम समय बर्बाद हो जाता है। जिसका प्रतिफल उसकी आने वाली पीढ़ियो को भुगतना पड़ता है। इससे बचने के लिए आत्मवान और बुद्दिमान व्यक्तियों को, पौरुष शक्ति बढ़ाने के लिए नियमित रूप से वाजीकारक आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन करते रहना चाहिए। तो आइये जानते है कि वाजीकरण योगो से पौरुष शक्ति कैसे बढ़ाएं?
पौरुष शक्ति बढ़ाने की दवा
आयुर्वेद में वाज से आशय शुक्र से है। अर्थात वाजीकारक वह औषधि है जिसके सेवन से मनुष्य घोड़े के समान, अत्यंत वेगवान होकर स्त्रियों को संतुष्टि प्रदान करता है। जिसके लिए आमतौर पर निम्न औषधियां लाभदायी है –
मूसली : सफेद मूसली यह पौरुष शक्ति बढ़ाने की बहुत ही प्रचलित औषधि है। जिसे लोग हर्बल वियाग्रा के नाम से भी जानते है। इसके सेवन से स्तम्भन दोष, स्वप्न दोष और शीघ्रपतन जैसे रोगो से छुटकारा मिलता है। जिससे शुक्र पुष्ट होने के साथ, शुक्र की गुणवत्ता और इसकी संख्या में वृद्धि होती है। यह शीत, लघु, स्नेहन और उत्तम बल्यकारक है। जिसके सेवन से सभी प्रकार की थकान मिटती है।
शिलाजीत : इसको आयुर्वेद में यौवन शक्ति प्रदान करने वाली औषधि कहा जाता है। जिसके सेवन से शारीरिक और मानसिक दुर्बलता को मिटाने में मदद मिलती है। यह धातुओ को पुष्ट करने एवं रखने वाला रसायन है। इसके साथ यह मल का छेदन, योगवाही एवं कफ, श्वास आदि के सहित बवासीर के लक्षण में भी उपयोगी है।
अश्वगंधा : यह बल्यकारक, बाजीकर और बृहण गुण से युक्त होता है। इससे इसका सेवन करने वाला मनुष्य अश्व के समान, पौरुष शक्ति संपन्न हो जाता है। जिससे वेगवान होकर सम्भोग क्रिया का सम्पादन करता है। अत्यंत वेग से की जाने वाली रति क्रिया, महिलाओ को अत्यंत प्रिय होती है। जिसको करने वाला पुरुष महिलाओ का अनन्य प्रिय हो जाता है। इसलिए अश्वगंधा के फायदे पुरुषों के लिए बहुत है।
कौंच के बीज : यह वात शामक एवं अत्यंत वाजीकरण औषधि है। जिसके सेवन पुरुषो में खोई हुई कामेच्छा बढ़ने लगती है। इसके साथ यह बलवर्धक और पुष्टिवर्धक है। पौरुष शक्ति को बढ़ाने के लिए इसके बीज को प्रयोग में लाया जाता है। इसके बीजो में पायी जाने वाली मज्जा का चूर्ण बनाकर, वाजीकरण के लिए प्रयोग किया जाता है।
पौरुष शक्ति बढ़ाने का घरेलू उपाय
पौरुष शक्ति बढ़ाने के घरेलू उपाय बहुत ही गुणकारी है। जोकि एक प्रकार के आयुर्वेदिक उपाय है। लेकिन इनकी प्रसिद्धी पौरुष शक्ति बढ़ाने वाले नुस्खे के रूप में है। जिसके सेवन से थोड़े ही समय में व्यक्ति पौरुष शक्ति से संपन्न हो जाता है।
- उड़द में मधु और घी मिलकर खाने, उसके बाद दूध पीने से यौवन शक्ति बढ़ने लगती है।
- उड़द के दाल को घी में भूनकर दूध में पकाकर खीर बना ले। इसमें मीठा मिलाकर खाने से पुरुष की सदा पौरुष शक्ति बनी रहती है।
पौरुष शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा
पौरुष शक्ति बढ़ाने के लिए घरेलू उपाय से, अधिक उत्कृष्ट आयुर्वेदिक औषधिया मानी जाती है। जिनका सेवन करने से किसी भी कारण नष्ट हुआ पौरुष पुनः लौट आता है। जिसके कुछ प्रसिद्द योग इस प्रकार है –
- गर्म दूध के साथ विदारीकंद का कल्क गूलर फल की मात्रा के बराबर, पीकर पीने से वृद्ध व्यक्ति भी पौरुष शक्ति से भर कर युवा हो जाता है।
- कौंच के बीज और तालमखाना के चूरन में, चीनी मिलाकर धारोष्ण दूध के साथ पीने से शुक्र का क्षय नहीं होता।
- कौंच के बीज, उच्चटा के बीज और गोखरू को दूध के साथ घोटकर पकावें। इसमें चीनी मिलाकर दूध के साथ सेवन करने पर, मनुष्य की पूरी रात कामेच्छा शांत नहीं होती।
- शतावरी, पुनर्नवा, अश्वगंधा, गोखरू, नागबाला और सफेद मूसली को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना ले। इस चूर्ण को गाय के घी और चीनी के अनुपान से खाने वाला, कमजोर से कमजोर व्यक्ति भी हाथी के समान पौरुष शक्ति वाला हो जाता है।
पौरुष शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा patanjali
पतंजलि की दिव्य फार्मेसी द्वारा, पौरुष शक्ति बढ़ाने की निम्नलिखित दवाइयां है। पौरुष शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा patanjali price की बात करे तो हमारे बजट में आने वाली है।
पतंजलि अश्वशिला कैप्सूल : यह अश्वगंधा और शिलाजीत को मिलाकर बनाई गई दवा है। जिससे इसका सेवन करने से शिलाजीत और अश्वगंधा के गुण हमें प्राप्त होते है। यह हमारे अंदर खोई हुई पौरुष शक्ति को जगा देती है।
पतंजलि शिलाजीत कैप्सूल : शिलाजीत को आयुर्वेद में बहुत ही उत्तम वाजीकरण द्रव्य कहा गया है। जिसके सेवन से मानसिक और शारीरिक थकान में कमी आती है। इसके साथ यह पेट को साफ़ करने में भी सहायक है। जिसका सेवन करने से शीघ्र ही यौवनावस्था लौट आती है।
पतंजलि यौवन चूर्ण : यह कई प्रकार के वाजीकरण औषधियों से बनाई गई दवा है। जिसके नियमित सेवन से पौरुष शक्ति की कमी दूर होती है।
दिव्य अश्वगंधा चूर्ण : यह बहुत ही बढ़िया बलकारक और वाजीकरण औषधि है। जिसके निरंतर सेवन से पौरुष शक्ति में कमी नहीं आने पाती।
दिव्य कौंच बीज चूर्ण : कौंच के बीजो को उत्कृष्ट वाजीकरण कहा जाता है। जिसके सेवन करने से अधिक समय तक पौरुष शक्ति को बनाये रखने में मदद मिलती है।
दिव्य शतावरी चूर्ण : यह महिलाओ की जानी मानी औषधि है। परन्तु पुरुषो के लिए भी किसी वरदान से कम नहीं है। यह थकान को मिटाने और शरीर को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करती है। जिससे इसका सेवन करने वाले व्यक्ति में पौरुष शक्ति की कमी नहीं आने पाती।
उपसंहार :
ज्यादातर महिलाओ को काम संतुष्टी तभी प्राप्त होती है। जब अत्यंत बल और वेग पूरक से रति क्रिया की जाय। इस कारण उन पुरुषों से उन्हें विशेष प्रेम होता है। जिनमे प्रबल पौरुष शक्ति पायी जाती है। जिसके लिए पौरुष शक्ति बढ़ाने की दवा की आवश्यकता पड़ती है। जिसमे पौरुष शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा patanjali बहुत ही गुणकारी है। जिसका निरंतर और नियमित सेवन करते रहने से, पुरुषो में पौरुष शक्ति की दुर्बलता नष्ट हो जाती है।
ध्यान रहे : यहाँ बताये गए उपाय, चिकित्सीय सलाह नहीं है। इनके सेवन से पूर्व विशेषज्ञीय सलाह अवश्य ले।
सन्दर्भ :
- चरक संहिता चिकित्सा अध्याय – 02
- सुश्रुत संहिता चिकित्सा अध्याय -26
- भाव प्रकाश -गुडुच्यादिवर्ग, धात्वादिवर्ग
- भैषज्य रत्नावली
- योगरत्नाकर