व्यस्ततम जीवनशैली के दुष्प्रभावों में, पेट साफ न होना घातक समस्या है। चिकित्सीय दृष्टि में कायिक रोग जनन का, मुख्य आधार भी पेट न साफ होना है। इन समस्त रोगो से बचने का सर्वोत्तम उपाय, नियमित पेट साफ होना है। जिसको समझने वाले पेट साफ कैसे करे के उपाय ढूढ़ते है। जबकि पेट साफ न होने से परेशान लोग, तुरंत पेट साफ कैसे करे जानने की कोशिश करते है। वही मोटापे आदि के चंगुल में फसे व्यक्ति, 5 मिनट में पेट साफ कैसे करें जानना चाहते है। परन्तु आयुर्वेदादी शास्त्रों में उपयुक्त आहार – विहार आदि, पेट साफ करने का मंत्र स्वीकार्य है। जिसमे पेट साफ करने वाली आयुर्वेदिक दवा उपयोगी है।
शारीरिक और मानसिक रोगो के होने का, मुख्य आधार पेट का साफ न होना माना गया है। जिससे न केवल हम शारीरिक बल्कि मानसिक स्तर पर भी प्रभावित होते है। जो धीरे – धीरे मन को प्रभावित करती हुई, आधी ( मनोविकार ) में बदलने लगती है। इसलिए सभी जीर्ण रोगो में औषधि चिकित्सा के साथ, मन की चिकित्सा की भी आवश्यकता पड़ती है। जिसके लिए पेट साफ न होने के लक्षण को जानना अनिवार्य है। जिसमे इतनी गैस बनती है कि पेट में दर्द होने लगता है।
आज लगभग हर कोई व्यस्त और तनावयुक्त जीवन जीने को मजबूर है। जिसका मूल महायंत्रों का अंधाधुंध और अनुचित प्रयोग है। जिसके कारण न लोगो के पास विश्राम का समय है, न खाने और बनाने का। जिससे अनुचित खान – पान, खाना खाने और सोने के समय आदि में बदलाव देखा जाता है। जिसके फलस्वरूप पेट साफ न होने की समस्या के साथ, ढेरो अन्य समस्याए जन्मती है। जैसे – पेट में गैस बनना, पेट दर्द होना आदि।
पेट साफ नहीं होने के कारण (pet saaf nahi hone ke karan)
अत्यंत रूखे, चिपचिपे अन्नो को खाने से, बबासीर – उदावर्त आदि रोगो के द्वारा गुदा के अवरुद्ध हो जाने से कुपित हुआ अपान वायु मल – पित्त – कफ को रोककर पेट को साफ नही होने देता। जिससे पेट से सम्बंधित रोगो के होने की संभावना बढ़ जाती है। इनके अतिरिक्त पेट न साफ होने के अन्य कारण भी है। जैसे –
पानी कम पीना : कम पानी पीने से पाचन की क्रिया में व्यवधान होता है। जिससे मल कडा हो जाता है, और बाहर निकालने के लिए जोर लगाना पड़ता है।
पर्याप्त मात्रा में फाइबर का उपयोग न करना : आज की नई पीढ़ी तली भुनी चीजे खाना पसंद करती है, जिसमे फाइबर न के बराबर होता है। जिससे मलाशय में मल निष्कर्षण की प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो पाती। जबकि मोठे अन्न, फलो और सब्जियों में फाइबर पर्याप्त मात्रा में पाया है।
कच्चा खाना खाना : कच्चा खाना खाने पर पूरा भोजन नहीं पचता। जिससे यह आंतो में चिपकता है, और पेट को साफ होने से रोकता है।
असमय में खाना खाना : भोजन करने की मर्यादित सीमा का अतिक्रमण करने से, पाचन का पर्याप्त समय नहीं मिल पाता। जो अक्सर शादी – विवाह आदि में, या देर रात तक जगने आदि के कारण होता है।
सुबह देर से जागना : प्रातः काल नहीं जगने से, मलाशय में पड़ा मल सूखने लगता है। जिससे वह कठोर हो जाता है, और पेट साफ होने में बाधा उत्पन्न करता है।
मादक पदार्थो का सेवन करना : नशीले पदार्थो के सेवन से आंते अक्रिय हो जाती है। जिसके कारण पेट साफ नहीं होता। जैसे – बीड़ी, शराब, सिगरेट, तम्बाकू, गुटका, चाय और काफी आदि।
तनाव ग्रस्त होना : किसी प्रकार की चिंता, शोक या दुःख शारीरिक क्रिया प्रणालियों में शिथिलता ला देती है। जिससे पेट साफ होने में कठिनाई होती है।
पेट साफ नहीं होने के लक्षण (pet saaf nahi hone ke lakshan)
जिस प्रकार पेट साफ नहीं होने के अनेक कारण है। उसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति की देह प्रकृति, गुण और दोष में भेद है। उसके कारण अलग – अलग लोगो में, पेट न साफ होने के अलग – अलग लक्षण पाए जाते है। जिनकी पुष्टि कर चिकित्सक चिकित्सा करते है। जैसे –
- पेट भरा – भरा लगना
- पेट में गैस होना
- जी मिचलाना
- पाचन खराब होना
- भूख न लगना
- पेट खराब होना
- पेट में मरोड़ होना
- मन खिन्न या अशांत होना
- सिर दर्द होना
- उल्टियां होना
- अपान वायु का त्याग न होना
- मल का कडा या सख्त होना
- मल त्याग करते समय जोर लगाना
- गुदा में पीड़ा होना आदि।
पेट साफ न होने के नुकसान (pet saaf na hone ke nuksan)
पेट के साफ न होने से ढेरो समस्याए होती है। जिनके कारण अनेको प्रकार के रोगो को प्रश्रय मिलता है। जैसे –
- पेट में जलन और दर्द होना
- पेट भारी लगना
- मुँह और गला सूखना
- उल्टी आना
- छाती जलना
- घबराहट होना
- आंतो में जख्म या सूजन होना
- वजन बढ़ना
- त्वचा सम्बंधित रोग होना
- मन उदास होना
- हमेशा थका – मादा महसूस करना
- रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना
- कब्ज होने की संभावना का बढ़ जाना
पेट साफ न होने से मोटापा, डायबटीज जैसे रोगो के बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। जिसकी समाप्ति के लिए इस प्रकार की, छोटी पर महत्वपूर्ण बातो पर अमल करना आवश्यक है।
पेट साफ होने के फायदे (pet saaf hone ke fayde)
पेट साफ होने के अनेक फायदे है। जैसे –
रोगो से बचाव : यदि नियमित आपका पेट साफ होने लगे तो पेट में दर्द और जलन होना, खट्टी डकार आना, कब्ज व गैस जैसी समस्याए नही होती।
मजबूत पाचन तंत्र : प्रतिदिन पेट साफ होना, पाचन तंत्र के मजबूत होने का लक्षण है। जिसके कारण हम गुणवत्ता परक भोजन का आसानी से पाचन कर लेते है। जिसके लिए पाचन क्रिया कैसे सुधारे को भी जानना चाहिए।
एकाग्रता में वृद्धि : पेट के साफ होने से स्फूर्ति और आनंद दोनों बने रहते है। जिससे बार – बार शारीरिक समस्याओ पर हमारा ध्यान नहीं जाता। जिसके कारण एकाग्र मन से काम पर हमारा ध्यान होता है।
प्रबल बौद्धिक क्षमता : पेट साफ रहने से मेधा शक्ति का विकास होता है। जबकि चिकित्सा विशेषज्ञ मस्तिष्क रोग से बचने के लिए, पेट साफ होना आवश्यक मानते है। इस प्रकार अधिक समय तक बौद्धिक क्षमता को सहेजने में पेट साफ होना नितांत आवश्यक है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता : पेट साफ होने से शरीर के अंदर की, सभी कोशिकाओं को पोषण प्राप्त होता है। जिसके कारण शारीरिक गतिविधियों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इनसे अनावश्यक ऊर्जा क्षय नहीं होता, और हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
पैसे की बचत : नियमित पेट साफ होने से, हमें बीमारिया कम अथवा नहीं होती। जिससे हम आर्थिक रूप से समृद्ध होते है। पैसो की बचत करना अमीर बनाने में सहायक है।
पेट साफ कैसे करें (pet saaf kaise kare)
पेट साफ होने के लिए मल साफ होना आवश्यक है। मल साफ होने के लिए आंतो का साफ होना अत्यावश्यक है। आंतो के साफ होने के लिए शारीर के अनुकूल भोजन, दिनचर्या आदि अपेक्षित है। जिनकी उपेक्षा कर देने पर ही, पेट साफ नहीं होता (pet saaf na hona) आरम्भ होता है। वही आधुनिक जीवनशैली सर्वथा इसके विपरीत है। जिसमे साफ, सुथरा, स्वच्छ, स्वादिष्ट और मनमोहक भोजन का विधान है। परन्तु इनमे कही भी गुणवत्ता आदि का कोई ध्यान नहीं रखा गया है। जिसके कारण दिखने में सुन्दर और स्वाद से भरपूर होते हुए भी अखाद्य है।
आज के समय में ज्यादातर लोग इन बातो से अनजान है। क्योकि आज हम निरुद्देश्य भागे जा रहे है। जिसमे न हमारा कोई लक्ष्य है और न कोई ठिकाना। जिसके कारण जंहा जैसा मिल गया खा लिया, पी लिया, पहन लिया और रह लिया। पंरतु ईश्वर के द्वारा निर्मित यह शरीर प्रतिदिन, हमसे कुछ आवश्यक तत्वों की मांग करती है। जिनकी पूर्ति हो जाने पर हमे स्वास्थ्य ( सुख ) प्रदान करती है। वही मांग पूरी न होने पर रोग ( दुःख ) भी देती है। यह वह सिद्धांत है, जो सभी पर सामान रूप से लागू है। चाहे इसका हमे ज्ञान हो या न हो। जिसको न आज कोई समझाने वाला है, और न कोई समझने वाला।
मल साफ न होना गाँव या शहर की समस्या नहीं। यह एक वैश्विक समस्या बन चुकी है। जिसके निपटारे के लिए लोग, रोज पेट साफ कैसे करें (roz pet saaf kaise kare) ? को अब जानना चाहते है। क्योकि यह रोग मानशिक और शारीरिक दोनों प्रकार के, रोगो के होने की आशंका को बढ़ा देता है। जिससे हमारे लिए पेट साफ नहीं होना विघातक है। कुछ लोग इससे इतनी बुरी तरह त्रस्त है, कि उनको 4 दिन से लैट्रिन नहीं हो रहा है।
तुरंत पेट साफ कैसे करें (turant pet saaf kaise kare)
जिसके लिए वो जितने उपाय आजमाते है, सब मे मूकी ही खाते है। कुछ लोग पेट को तुरंत साफ करने के लिए, भूख लगने पर ही भोजन करने की सलाह देते है। जिसमे न कोई समय की बाध्यता है, और न खाने वाले पदार्थ है। यह परामर्श कामकाजी लोगो को पसंद भी आता है। जिसका मूल कारण न इसमें समय का कोई निषेध है, और न मनपसंद किसी खाद्य वस्तु का। परन्तु सिद्धांत का गला दबाकर हम कितने दिन जीवित रह सकते है। सिद्धांत तो सिद्धांत है। जो बिना कहे सभी जीवो पर, एक सामान रूप से लागू होता है। जिसको मानने वाला उत्कृष्ट फल ( स्वास्थ्य )को प्राप्त करता हुआ सुख भोगता है।
और इसको न मानने वाला निकृष्ट फल ( रोग ) प्राप्त कर दुःख भोगता है। इस प्रकार सिद्धांत को हम अन्यथा नहीं सिद्ध कर सकते। बल्कि बुद्धि पूर्वक सिद्धांत को समझकर, इसका अनुगमन करने के अतिरिक्त किसी के पास और कोई मार्ग नहीं है। इसलिए मृत्यु पर्यन्त स्वस्थ रहने के लिए, पेट का साफ होना आवश्यक है। जिसके लिए तीन बातो का प्रमुखता से पालन अनिवार्य है। पहला विधि सम्मत भोज्य पदार्थो का चयन। दूसरा चयनित खाद्य सामाग्री का विधि पूर्वक पाक और सेवन। तीसरा शास्त्रीय दिनचर्या का परिपालन। जिसके लिए सुबह में जल्दी उठना अनिवार्य है। जिसके लिए सुबह जल्दी कैसे उठे ?
लौकिक दृष्टि से तुरंत पेट कैसे साफ करे (how to clean stomach instantly), में उपरोक्त सैद्धांतिक नियमो का पालन करने के अतिरिक्त और कोई रास्ता नहीं है। दिनचर्या का मतलब ही सूर्य गति के द्वारा, निर्धारित समय का निर्धारण अपने जीवन में करना। जिसमे जागने, सोने, खाने को एक निश्चित समय पर प्रतिदिन सम्पादित करना होगा। जिसके लिए हमे अपने शरीर को मानसिक और शारीरिक तौर पर तैयार करना होगा। और निष्ठुरता पूर्वक इसको बनाये रखना होगा।
पेट को साफ कैसे रखे (pet ko saaf kaise rakhe)
पेट साफ नही होना (pet saaf nahi hona), में कुछ बाते ऐसी है। जिनका हमे ध्यान रखना चाहिए। जैसे –
आंतो में चिपकने वाले आहार का सेवन न करे : जैसे – चावल, मैदा आदि से निर्मित पदार्थो को खाने से पेट साफ नहीं होता। साथ इनसे निर्मित होने वाले, पदार्थो को खाने से भी ऐसा होता है। जैसे – बिस्किट, चाउमीन, ब्रेड आदि।
गुदाद्वार में यदि कोई रोग है तो उसका उपचार करे : उदावर्त रोग और बबासीर के मस्सों आदि के कारण मल का मार्ग रुक जाता है। तब उसके कारण कुपित हुआ अपानवायु मल, पित्त और कफ दोषो को रोककर पेट साफ होने में व्यवधान उत्पन्न करता है।
गरिष्ठ अथवा भारी खाना खाना : जब हम हमेशा या अधिकतर गरिष्ठ भोजन करते है, तब भोजन पचने में कठिनाई होती है। भारी खाना पेट साफ न होने का प्रमुख कारण है। विशेषकर नान वेज ( मांसाहार ) खाने वाले, अक्सर पेट न साफ होने की शिकायत करते है।
आनुपातिक मात्रा में विधि पूर्वक पानी पिए : आयुर्वेदादी शास्त्रों में शरीर शोधन के लिए जल आवश्यक है। जिसमे इसकी गुणवत्ता और मात्रा के साथ, इसके सेवन की विधि पर भी विशेष बल दिया गया है।
जल्दबाजी में भोजन न करे : विधि पूर्वक पका हुआ भोजन भी जल्दबाजी में करने से, मुँह से निकलने वाली लार का आनुपातिक मिश्रण नहीं हो पाता। जिसके कारण यह आंतो आदि में चिपकता है। जो पेट को साफ होने से रोकने का कार्य है।
अधिक भोजन न करे : अधिक मात्रा में अन्न अथवा खाद्य पदार्थो का, सेवन करने से भोजन पूरी तरह नहीं पच पाता। इसलिए पेट कैसे साफ करे तुरंत (pet saaf kaise kare turant), में इसका ध्यान रखना चाहिए।
भूख लगने पर ही भोजन करे : जब तक भूख न लगे, तब तक भोजन न करे।
पेट साफ करने का तरीका (pet saaf karne ka tarika)
आयुर्वेदीय शास्त्रों में पेट साफ होने के तरीके वर्णित है। जिन्हे आमतौर पर हम पेट साप करने का तरीका भी कहते है। जिसमे भोजन की गुणवत्ता, पाक और सेवन विधि के साथ समय का विशेष महत्व है। जो इस प्रकार है –
रिफाइंड के उपयोग से बचे : आजकल भोजन बनाने और खाने में रिफाइंड तेल, नमक आदि का भरपूर उपयोग किया जाता है। जिससे भोजन की गुवत्ता नष्ट होती है। जिससे शरीर को आवश्यक तत्वों की आपूर्ति, उस रूप में नहीं हो पाती। जिस रूप में वो इनकी मांग करते है। जिससे पेट साफ होने के साथ अन्य समस्याए होती है।
बिना पचे भोजन न करे : अब हमारे पास उच्च कोटी की तकनीकी है। जिसका इस्तेमाल हम खाने का समय याद दिलाने के लिए अलार्म के रूप में करते है। जिससे समय पूर्ण होने पर भूख लगी हो या न लगी हो हम खाना खा लेते है। यह केवल व्यापार बढ़ाने का मंत्र है। इसका हमारे स्वास्थ्य से कोई लेना देना नहीं।
अम्लीय जल न पिए : प्लास्टिक बोतलों में रखा पानी, रिवर्स ओसमोसिस ( आर ओ ) का पानी अम्लीय जल है। क्योकि इस जल में किसी न किसी रूप में प्लास्टिक घुला रहता है। जो पेट को साफ करने के अनुकूल नहीं है।
नियमित श्रम करे : नियमित रूप से मेहनत और व्यायाम आदि का, अभ्यास करने से शारीरिक ऊतक सक्रीय रहते है। जिससे इनमे अतिरिक्त रूप से, सोखी गयी गंदगी बाहर निकल जाती है। जैसे मलाशय में रहने वाला मल।
जैविक खाद्यानो का ही प्रयोग करे : भोजन के रूप में अधिक से अधिक जैविक पदार्थो का उपयोग करे। जिनको उगाने में देशी खाद का उपयोग किया गया हो, न कि यूरिया और कृत्रिम रसायन आदि का।
पेट साफ होने के उपाय (pet saaf hone ke upay)
आधुनिक परिपेक्ष्य में पेट को साफ करने में, जीवनशैली में बदलाव, खानपान की आदतों में सुधार आदि शामिल है। जिसमे भोजन करने और सोने का समय निर्धारित करे, समय पर शौच जाए, तनाव न ले आदि है। जिसके लिए कही न कही हमारा ही दोष है। जिसको सुधारने का प्रयास न कर। हम समय की कमी के चलते, उसके साथ हिल – मिल जाते है। जिसको हम तकनीकी युग की मजबूरी आदि कहते है। जिसके लिए हम वास्तविक कारणों पर ध्यान न देकर, व्यायाम और दवाओं का सहारा लेते है। जिससे अनैच्छिक और अस्थायी रूप से, हमे थोड़े बहुत अच्छे परिणाम भी प्राप्त होते है।
परन्तु आयुर्वेद में पेट न साफ होने के उपाय (pet na saaf hone ke upay) में, जठराग्नि को प्रदीप्त करने का नियम निर्धारित है। जिसके लिए रोगी और उसके परिचारक को अनुशासन में, रह कर धैर्य पूर्वक नियम का पालन करना चाहिए। जिसमे अनेको प्रकार की वनौषधिया, अभिमत गुणकारी द्रव्य आदि का विधान वर्णित है। जो रोगी के देहगत और व्याप्त दोषो को ध्यान में रखकर निर्धारित किया जाता है। जिससे रोग व्याप्त व्यक्ति के लक्षणों का सूक्ष्मता से अध्ययन होता है। जिनके कारण इन उपायों का प्रभाव अमृत तुल्य और अचूक है।
परन्तु यदि यह दिनचर्या के अनुसार हो, तो सोने पे सुहागा होगा। क्योकि यह सैद्धांतिक त्रुटि से मुक्त होने के कारण अमोघ है। जबकि आजकल लोग झट पट रोग मुक्त होना चाहते है। फिर चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़े। ध्यान रहे स्वास्थ्यता को प्राप्त कराने वाली औषधि की अपनी कार्यसीमा है। जिसमे उसके कार्य करने की दर और समय दोनों आवश्यक है। इसलिए विशेषज्ञ और रोगी दोनों को कम से कम, इतना धैर्य रखना पडेगा। जितने समय तक औषधि अपना कार्य करती है। तदुपरांत परीक्षण कर आवश्यकता पड़ने पर, पुनः आवृत्ति की।
पेट साफ करने की दवाई (pet saaf karne ki dawa)
आजकल तुरंत पेट साफ करने की दवा में, पेट साफ करने की एलोपैथिक दवा का प्रयोग होता है। यह टेबलेट और सिरप दोनों ही रूपों में उपलब्ध है। जो पेट साफ करने का टेबलेट और, पेट साफ करने वाला सिरप कहलाता है। जिसमे मुख्य रूप से लैक्सेटिव का उपयोग होता है। जबकि आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाई भी इनका बेहतर विकल्प है। जिनका मुख्य गुण आंतो में चिपके मल को निकालना है। जो मलाशय में गीले और कड़े दो रूपों में पाया जाता है।
गीला मल : अनेको प्रकार के आवंछित और अपाचक द्रव्य पदार्थो का भक्षण करने के कारण पाचन प्रक्रियाओं के फलस्वरूप जल का अधिक अवशोषण होता है। जिससे मल अत्यधिक गीला हो जाता है, और पाचन के दौरान बनने वाली गैस इकठ्ठी हो जाती है। जिसको बाहर निकालने के लिए आंतो से गाढ़ा स्राव निकलता है। जिसे आंव कहते है। वो भी मल में जाकर लिपट जाता है। जिससे पेट की गैस, अपानवायु के रूप में बाहर नहीं निकल पाती। जिससे पेट में गुड़ – गुड़ाहट और मरोड़ के साथ भयंकर दर्द होता है।
सूखा और कडा मल : जब हम अत्यधिक सूखा और चिपचिपा खाना खाते है। तब इनको पचाने के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है। और किसी कारणवस पानी नहीं पीते। तब खाने और पचने की प्रक्रिया में, यह आंतो में जा कर चिपकता है। पानी न मिलने से आंतो की नमी को सोखता है। जिससे आंतो से निकलने वाली आंव को मल में चिपका लेता है। जिससे आंतो का मुँह पूरी तरह बंद ( चोक ) हो जाता है। जिससे बाद में पानी पीने पर भी, पानी की नमी को मल तक पहुंचने से रोकता है। जिससे मल मलाशय में पड़े – पड़े सूखता है। जिससे मलाशय की सक्रियता क्षीण हो जाती है, और मल का वेग नहीं आता।
पेट साफ करने का घरेलू उपाय (pet saaf karne ka gharelu upay)
उपरोक्त दोनों ही परिस्थितियों में, मल बाहर निकलना मुश्किल होता है। जिसको बाहर करने के लिए उपचार की आवश्यकता पड़ती है। जिसमे घरेलू उपचार अत्यंत उपयोगी है। जिसको पेट साफ करने का घरेलू उपचार कहते है। जिनका उपयोग चरक आदि के समय से होता आ रहा है। जिससे यह लोगो जुबान ( वाणी ) पर होता है। वर्षो से इनका उपयोग करने से इसकी प्रमाणिकता स्वतः सिद्ध है। तो आइये अब पेट साफ कैसे करे घरेलू उपाय (pet saaf kaise kare gharelu upay) को जानते है –
सौफ और जीरा : पेट रोगो में सौफ और जीरा के अनेको लाभ है। इसको खाने से पेट न साफ होने की समस्या में सुधार होता है। जिसके लिए दोनों को सम मात्रा में तवे पर भूनकर, कूटकर चूर्ण बनाया जाता है। जिसका सेवन प्रतिदिन सुबह में खाली पेट, उष्ण जल से किया जाता है।
मुलेठी : मुलेठी कफ दोष का वारण करने में माहिर है। जिसके कारण कफ दोष के आवेश के कारण, पेट साफ न होने पर फायदेमंद है। इसके सेवन से पाचनशक्ति बढ़ती है। पेट साफ करने के लिए मुलेठी के आधा चम्मच, चूर्ण को थोड़े से गुण में मर्दनकर मिला ले। जिसका सेवन थोड़े से गुनगुने जल से करे।
अजवाइन : पित्त दोषो को हरने के कारण, पेट को साफ करने में अजवाइन का उपयोग है। जो तुरंत पेट को साफ करने में सहयोग करता है। जिसके लिए इसको भूनकर, खाने के बाद चबाया जाता है। अथवा इसका चूर्ण बनाकर गुनगुने पानी के साथ ले सकते है।
हींग : हींग का प्रयोग पेट साफ करने के लिए फायदेमंद माना जाता है। जिसका इस्तेमाल गर्म पानी के साथ करना उपकारी है।
विशेष : अधिक ठंडा पानी, आइसक्रीम कुल्फी आदि को खाने से पेट साफ नहीं होता। क्योकि यह मल को सुखाते है।
पेट साफ होने के आयुर्वेदिक उपाय (pet saaf karne ki ayurvedic dawa)
पेट साफ होने के लिए मल का मुलायम होना, और आंतो का क्रियाशील होना आवश्यक है। दोनों में से किसी एक या दोनों के, प्रभावी होते ही पेट साफ नहीं होता। जिसके लिए आयुर्वेद विरेचन की क्रिया उपयोगी मानता है। जिसमे गीले मल को सुखाकर और सूखे मल को, गीलाकर मुलायम बनाकर बाहर निकाला जाता है। जिसमे निम्न योग प्रभावी है –
नारायण चूर्ण : हाऊबेर, धनिया, सौफ, कलौंजी, अजवाइन, कचूर, अजगन्धा, पीपरामूल, काला जीरा, चित्रक, बालवच, जीरा, पीपल, काली मिर्च, सत्यानाशी के बीज, हरड़, बहेड़ा, आंवला, जौखार, सज्जीखार, पोहकरमूल, कूठ, सेंधानमक, सोंचर नमक, विड़नमक, समुद्रणमेक, रेहनामक और वायविडंग – ये सब 1- 1 भाग, दंतीमूल 3 भाग, निशोथ तथा इन्द्रायण के सूखे फल 2 – 2 भाग और सप्तपर्णी ( छतिवन ) की छाल 4 भाग – लेकर कूटकर कपड़छन चूर्ण बना ले। यह अनेक रोगो में उपयोगी चूर्ण है, जिसके सेवन की अलग – अलग विधिया है। पेट न साफ होने पर 5 ग्राम की मात्रा में, इसका सेवन दही के पानी से करना फलदायी है।
हपुषादी चूर्ण : हाऊबेर, स्वर्णक्षीरी ( सत्यानाशी ) के बीज, हरण, बहेड़ा, आंवला, नील के फल, त्रैमाना, कुटकी, सातला ( सप्तपर्णी ), निशाच, बालवच, पिप्पली, सेंधानमक और काला नमक। इन सब को लेकर कपड़छन चूर्ण बना ले। यह एक श्रेष्ठ विरेचक चूर्ण है। जिसका सेवन पेट साफ करने के लिए खट्टे अनार के रस, त्रिफला क्वाथ अथवा गुनगुने जल के साथ सेवन करने से पेट साफ होता है। जिसका रात्रि में सेवन अधिक फलदायी है।
चित्रकादि कल्क : चीता की जड़ और देवदारु का कल्क ( चटनी ), दूध के साथ एक मास तक सेवन करने से पेट साफ होने लगता है।
ध्यान रहे : आनुपातिक मात्रा में शुद्ध घी और तेल का उपयोग, सही विधि से करने पर आपेक्षित विरेचन स्वतः होता है।
पेट साफ करने के लिए चूर्ण (pet saaf karne ka churn)
पेट साफ करने के लिए आयुर्वेद में, विरेचक द्रव्यों का उपयोग किया जाता है। जिसमे अनेको प्रकार के तेल, चूर्ण आदि प्रयुक्त होते है। विरेचन के रूप में उपयोग होने वालो चूर्णों को, हम पेट साफ करने का चूर्ण (pet saaf krne ka churan) कहते है। जो कब्ज का रामबाण इलाज भी है। जिनमे से कुछ इस प्रकार है –
- त्रिफला चूर्ण (trifla choorn)
- पेट सफा चूर्ण (pet safa churn)
- अविपत्तिकर चूर्ण
- सितोपलादि चूर्ण
- इसबगोल चूर्ण (भूसी )
उपरोक्त सभी चूर्णों का सेवन गर्म दूध या पानी से, रात्रि में करने पर अधिक लाभ होता है। ऐसा आयुर्वेद विशेषज्ञ मानते है। पेट साफ करने वाले चूर्ण, एसिडिटी को जड़ से खत्म करने के उपाय में उपयोगी है।
पेट साफ करने वाली होम्योपैथिक दवा (pet saaf karne ki homoeopathic dava)
बहुत से लोगो का मानना है की होम्योपैथी में, पेट साफ करने की बढ़िया दवा नहीं है। वास्तव में यह परिकल्पना सही नहीं है। होम्योपैथी में पेट साफ करने की बहुत सी दवाई है। जिनमे कुछ प्रमुख दवाए निम्न है –
एसिड गैलिक : 1x विचूर्ण को 10 गेन की मात्रा में, प्रतिदिन 4 – 5 बार कुछ दिनों तक सेवन करे। जिससे किसी भी प्रकार की कब्जियत समाप्त होकर, पेट साफ होने लगता है।
कैल्केरिया – सिलिका : इसका एक और नाम सिलिका मेरिना भी है। जिसकी 3x – 5 ग्रेन की मात्रा में, नित्य 3 बार कुछ दिनों तक खाना चाहिए।
इलाटिरियम : यह कोठा साफ करने की बढ़िया दवा है। जिसका सेवन 2x शक्ति में रोज सवेरे एक बार करना चाहिए।
हाइड्रैस्टिस : नित्य सवेरे मूल आरक की 2- 1 बूँद पानी से, सेवन करने पर पेट साफ हो जाता है।
कौस्टिकम : 30 शक्ति की 3 – 4 गोलियों का सेवन, रोज सुबह लगातार 8 – 10 दिन तक करने से पेट साफ हो जाता है।
ओपियम : आंत और मलद्वार की क्रिया नष्ट हो जाने पर, यदि पेट साफ न हो तो ओपियम से फायदा होता है। इसमें मलद्वार मल से खूब भरा रहता है। फिर भी मल का वेग या हाजत नही आती।
प्लम्बम : मलद्वार के संकोचन के कारण, पेट साफ न होने की प्रभावी दवा है। जिसमे कडा और काला रंग का मल गाँठ – गांठ निकलता है। लक्षण मिलने पर पेट की गैस को जड़ से खत्म करने का उपाय है।
पेट साफ करने की गोली (stomach clean tablet)
पेट साफ करने की अंग्रेजी गोली को ही, पेट साफ करने की टेबलेट कहते है। जिनका उपयोग भी पेट को साफ करने के लिए किया जाता है। जिनको पेट साफ कैसे करे हिंदी (pet saaf kaise kare hindi) में प्रयोग करते है। यह सभी लैक्सेटिव दवाई है। जो लैक्सेटिव सिरप की तरह काम करती है। ये दवाइया मल को बाहर निकालने के साथ, पेट में एकत्रित गैस को भी बाहर निकालती है। जो निम्न है –
- डुल्कोलैक्स
- लैक्स
- किलक्स
- जुलेक्स
पेट साफ करने की अंग्रेजी सिरप (pet saaf karne wale syrup)
क्रेमाफिन प्लस सिरप शुगर फ्री (Cremaffin Plus Syrup Refreshing Sugar Free) : क्रेमाफिन प्लस सिरप मधुमेह रहित पेट साफ करने की दवा है। जोकि कॉम्बिनेशनल मिडेसिन है। जो लैक्सेटिव की भाँती काम करती है। यह पानी को सोखकर मल और गैस दोनों को, बाहर निकालने में सहयोग करती है।
किनलैक्स प्लस सिरप शुगर फ्री (Kinlax Plus Syrup Pineapple Sugar Free) : यह शुगर फ्री कॉम्बिनेशनल मेडिसिन है। जिसका उपयोग पेट साफ करने और कब्ज में किया जाता है। यह अतिरिक्त पानी को सोखकर मल मुलायम बनाती है। जिसके कारण मल को निकलने में आसानी होती है।
कोलैक्स पीएम सिरप (Colax PM Syrup) : पेट साफ करने की कॉम्बिनेशनल दवा है। जो लैक्सेटिव के जैसे काम करती है।
लैक्सोबिग सिरप (Laxobig Syrup) : पेट साफ करने की अंग्रेजी दवा syrup है। जो पेट में इकठ्ठे हुए पॉटी को, लैक्सेटिव की तरह बाहर निकालने में मददगार है।
पिकसुल प्लस सिरप (Picsul Plus Syrup) : यह पेट को साफ करने की कॉम्बिनेशनल लैक्सेटिव दवा है। जो पेट के गीले मल (पोटी) को सुखाकर, और सूखे मल को गीलाकर बाहर निकालता है।
लैक्सिट प्लस सिरप (Laxit Plus Syrup) : लैक्सिट प्लस सिरप पेट साफ करने का सिरप है। जो लैक्सेटिव के जैसे काम करता है।
पिकोफीन प्लस सिरप (Picofin Plus Syrup) : कॉम्बिनेशनल लैक्सेटिव दवा से पिकोफीन सिरप बनती है। जो पेट में रुके हर मल को बाहर निकालने में सहायता करती है।
पेट साफ करने के योग (pet saaf karne ke yoga)
पेट को साफ करने में, योग चमत्कारिक रूप से काम करता है। जिसका प्रभाव बहुत ही कम समय दिखने लगता है। इस कारण शास्त्रों में योग को प्रकट प्रभाव वाला बताया गया है। आज के समय में बाबा रामदेव पेट के लिए योग प्रसिद्द है। जबकि योग का अर्थ ही जुड़ाव है। जिसका आलंबन लेकर हम प्राण और बुद्धि को एकीभूत करते है। जिससे हमे समाधि की प्राप्ति होती है। जिसका साक्षात प्रयोग भगवत प्राप्ति में कर, हम मोक्ष लाभ भी कर सकते है। जिसके लिए धैर्य और अभ्यास दोनों की अपेक्षा है।
परन्तु यदि हममे इतना धैर्य न हो, अथवा कोई कहे की हमे मोक्ष नहीं चाहिए। तो भी योग के द्वारा प्राणो को साध कर, स्वास्थ्य नामक सुख प्राप्त किया जा सकता है। जिसके लिए भी चरणबद्ध प्रक्रिया का आलंबन लेना अनिवार्य है। क्योकि बिना प्रक्रिया के सिद्धांत तक नहीं पहुंचा जा सकता। इसलिए विधि पूर्वक आसान और प्राणायाम करने पर ही, पेट साफ किया जा सकता है। वरना बार – बार जतन करने पर भी लाभ नहीं प्राप्त होगा। और दोषारोपण योग अथवा इसको सिखाने वालो को देंगे। जो उचित नहीं।
इसलिए पेट साफ करने के लिए, योग और उसमे सन्निहित आसनो को बहुत ध्यानपूर्वक और तन्मयता से सीखना और उसका अभ्यास करना चाहिए। जिसके लिए निम्न आसन परम कल्याणकारक है –
- हलासन
- त्रिकोणासन
- पश्चिमोत्तानासन
- बलासन
- नौकासन
- बंधासन
- ताड़ासन
- चक्रासन या कटिचक्रासन
पेट साफ करने का व्यायाम (pet saaf karne ki exercise)
व्यायाम परिश्रण का ही अंग है। जिसको शांत – एकांत वातावरण में करने का विधान है। यदि प्रचुर वायु की उपलब्ध हो तो फिर कहना ही क्या ? यहाँ वायु अर्थात प्राण वायु है। जिसको वैज्ञानिक भाषा में आक्सीजन के नाम से जाना जाता है। जिसकी उपस्थिति हम जीवो को जीवन प्रदान करती है। जिससे इसकी अनुपम उपयोगिता न केवल मानवो बल्कि सम्पूर्ण जीव जगत को है। इन्ही विशेषताओं के कारण इनको जीवन का आधार भी कहते है।
पेट को साफ करने के लिए सुबह का समय, सभी दृष्टियों से बढ़िया है। जिसमे न केवल शारीरिक अंगो को क्रियाशील बनाया जाता है। अपितु वायु की प्रचुरता हमारे फेफड़ो को भी बलशाली बनाती है। जिससे हमारे आयु बढ़ती है। जिसकी इच्छा आज हर कोई करता है।
पेट को साफ करने के सभी व्यायाम खाली पेट करना अधिक फलदायक है। क्योकि जब हमारा पेट खाली होता है, तब पेट के आंतरिक भाग में हलचल होता है। जिसका सर्वाधिक प्रभाव हमारी आंतो पर पड़ता है। जिससे आंतो में जमा मल गर्मी पाकर पिघलता है। जिसका कुछ हिस्सा पसीने आदि के रूप में निकलता है। शेष भाग पुरीष ( टट्टी ) का रूप धारण कर, गुदामार्ग से होता हुआ बाहर निकल जाता है। जिससे शरीर रोगमुक्त होने के कारण हल्की, बलकारक होने से सामर्थ्यशील हो जाती है।
FAQ
पेट के रोग को दूर करने के लिए कौन सी क्रिया की जाती है?
कुंजल क्रिया। जिसमे खाली पेट पानी पीकर नाक के, माध्यम से पानी बाहर निकालते है। यह बहुत सावधानी से की जाने वाली क्रिया है।
जब लैट्रिन बहुत टाइट होती है तो क्या करे?
जब मलाशय में मल अत्यधिक सूख जाता है। तब बहुत जोर लगाने पर भी लैट्रिन टाइट होती है।
निष्कर्ष :
चिकित्सा की दृष्टि से पेट को सभी रोगो का, मूल स्थान माना गया है। जिसके कारण स्वयं को स्वस्थ रखना अर्थात पेट को साफ रखना है। जिसमे सर्वाधिक महत्वपूर्ण हमारे द्वारा सेवनीय आहार आदि है। जिसमे भोजन, दिनचर्या और परिश्रम तीनो का मिला जुला रूप ही हमारा स्वास्थ्य है। जिसका पालन पोषण करना हम सभी दायित्व है। जिसमे किंचित शिथिलता ( लापरवाही ) हमे बीमार करने के लिए आतुर है।
तुरंत पेट कैसे साफ करे में विसंगति को, दूर करते हुए औषधि लेना उपयोगी है। जिसके लिए आहार शुद्धि और परिश्रम का तालमेल ही, पेट साफ करने का अमोघ उपाय है। पेट को साफ करने के लिए, इसका हमे धैर्य रखकर तत्परता पूर्वक पालन करना चाहिए।
ध्यान रहे : किसी भी दवा का उपयोग चिकित्सीय परामर्श के बिना न करे। विशेषकर बच्चो में, गर्भावस्था और जीर्ण रोगो के दौरान।
सन्दर्भ :
- चरक संहिता चि अ 13
- अष्टांग संग्रहम नि अ 12
- अष्टांग संग्रहम चि अ 17
- कंपरेटिव मैटेरिया मेडिका द्वारा एन सी घोष
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