कोरोना पॉजिटिव (कोविड-19) रोगियों के लिए आहार प्रबंधन ( Diet Management for Corona Positive / covid-19 patients )

कोरोना विषाणु से संक्रमित व्यक्ति को आधुनिक चिकित्सा विज्ञानियो के अनुसार कोरोना पॉजिटिव (कोविड-19) (corona positive) कहा जा रहा है। जिसको अन्यनाम जैसे कोविड-19 (covid-19) आदिसे भी जाना जा रहा है। जिससे छुटकारा पानेके लिए दवाओं, आहार (diet) और व्यायाम आदि का आलंबन लिया जा रहा है। फिरभी इसकी रोकथाम और उपचार में आहार और सावधानी के अतिरक्त अन्य कोई कारगार उपाय सामने निकलकर अब तक नहीं आये है। इसकारण ही आहार विशेषज्ञों के द्वारा corona patient diet chart  या covid patients diet plan का निर्धारण किया गया है। corona diet chart जो liquid diet की तरह है। इस भयावह स्थिति से बाहर निकलने में यह मददगार है।

कोरोना पॉजिटिव (कोविड-19) रोगियों के लिए आहार प्रबंधन

कोरोना से आज पूरा विश्व प्रभावित है। जिसके कारण आज कोरोनावायरस भारत (coronavirus india) में भी अपना प्रभाव दिखा रहा है।  जिससे बाहर निकलने की जुगत सभीलोग अपने अपने स्तर पर लगा रहे है। फिर चाहे वह वैज्ञानिक हो, चिकित्सा विशेषज्ञ हो या सामान्य व्यक्ति ही क्यों न हो? फिर भी इससे बाहर निकल पाना किसी चुनौती से कम नही है। अब तक किसीभी देश में इसके समाधान के पुख्ता सबूत देखने या सुनने में नहीं आये है। जिसके कारण लोगोमें अनेको प्रकारकी शंकाओ का समावेश होजाने के कारण भय व्याप्त है। जबकि इसके शोध अनेक समाधानों की पुष्टि करते है।

चिकित्सा में मनोविज्ञान का अद्भुत महत्व है। जिसके आधारपर मरणासन्न रोगी के भीतर जान फूकने की कला, आयुर्वेदादी शास्त्रों में बताई गई है। जिसको सभी चिकित्साविद एक मत से स्वीकार करते है। परन्तु कोरोना काल में इसका नकारात्मक उपयोग देखने को प्राप्त होरहा है। जिसमे प्रचार तंत्र ( इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया ) महत्वपूर्ण भूमिका प्रदर्शित कर रहा है। जो बीमारी को बढ़ाने में सक्रिय योगदान दे रहा है। जबकि आयुर्वेद में किसीभी रोग से बचने के लिए नियमित आहार – विहार, दिनचर्या आदि की बात कही गई है। जिसके आधार पर कोविड-19 रोगियों के लिए आहार प्रारूप (diet chart for covid-19 patients) निर्धारित करना अनिवार्य है।

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क्या है कोरोनावायरस (coronavirus kya hai)?

विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO ) के अनुसार कोरोनवायरस वायरस (COVID-19) एक संक्रामक रोग है, जो एक नए खोजे गए कोरोनवायरस के कारण होता है।

COVID-19 वायरस से संक्रमित अधिकांश लोग हल्के से मध्यम श्वसन सम्बन्धी बीमारी का अनुभव करेंगे और विशेष उपचार की आवश्यकता के बिना ठीक हो जाएंगे। वृद्ध लोगों और हृदय रोग, मधुमेह, पुरानी श्वसन बीमारी और कैंसर जैसी अंतर्निहित चिकित्सा लेने  वाले लोगों में गंभीर बीमारी के विकसित होने की अधिक संभावना है।

स्थानांतरण को रोकने और धीमा करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है। COVID-19 वायरस के बारे में अच्छी तरह से बताया जान। यह किस बीमारी का कारण है और यह कैसे फैलता है। अपने हाथों को धोने या शराब आधारित सैनेटाइजर का उपयोग करके। आप अपने चेहरे को छूने से अपने आप को और दूसरों को संक्रमण से बचाएं।

COVID-19 वायरस मुख्य रूप से लार की बूंदों या नाक से तब फैलता है। जब किसी संक्रमित व्यक्ति को खांसी या छींक आती है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप श्वसन शिष्टाचार का भी अभ्यास करें (उदाहरण के लिए, छीकते समय हाथो से नाक पर कपड़ा आदि का प्रयोग करे)। वर्तमान समय में कोरोनावायरस बीमारी (coronavirus disease) को ही COVID-19 के नाम से जाना जा रहा है। जिससे बचने के लिए कोरोनावायरस के बारे में बताइए जैसे प्रश्नो को भी स्थापित करते है।

भारत में कोरोनावायरस अद्यतन (coronavirus update in india) के अनुसार कुल मामले लगभग ढाई करोड़  है। जिसको हम coronavirus update india भी कह सकते है। जबकि coronavirus worldometer केअनुसार भारतमें अबतक कोरोनावायरस के मामले (coronavirus cases in india/total corona cases in india) कुल 2,43,72,243 है। जिनमेसे 2,66,229 लोगो की मृत्यु हुई है। जिसको corona worldometer कभी कहा जाता है। इन्हीको corona meter या corona tracker भी कहा जाता है। दुनिया भरमें इसका मापन world corona meter के माध्यमसे किया जाता है।

कोरोना वायरस की परिभाषा (coronavirus definition)

कोरोनावायरस : एक प्रकार के सामान्य वायरस जैसा है, जो मनुष्यो को संक्रमित करता है। यह आमतौर पर ऊपरी श्वसन प्रणाली के लिए अग्रणी है, जो ऊपरी श्वसन संक्रमण (URI) के लिए अग्रणी होता है। अब तक सात अलग-अलग प्रकार के मानव कोरोनावायरस की पहचान की गई है। जिससे अधिकांश लोग अपने जीवनकाल में कम से कम एक प्रकार के कोरोनावायरस से संक्रमित होंगे।

वायरस हवा के माध्यम से खांसने और छींकने, व्यक्तिगत संपर्क करने, वायरस से दूषित किसी वस्तु या सतह को छूने और शायद ही कभी मल संदूषण द्वारा फैलता है। अधिकांश कोरोनावायरस के कारण होने वाली बीमारी आमतौर पर थोड़े समय तक रहती है। जिसमे नाक बहने, गले में खराश, अस्वस्थता, खांसी और बुखार की विशेषता होती है।

उपरोक्त परिभाषा मेडिसिननेट डॉट कॉम के द्वारा दी गई है।  जबकि मेडिकलन्यूज़टुडे डॉट कॉम के अनुसार –  कोरोनावायरस अनेक बीमारियों का कारण है, जिसमे कोविड-19 भी है। जो आमतौर पर श्वसन तंत्र को प्रभावित करते है। लेकिन अच्छी तरह से फ़ैल जाने पर इसका प्रभाव श्वसन प्रणाली के अतिरिक्त भी देखा जाता है।

उपरोक्त दोनों परिभाषाओ से श्वसन तंत्र को प्रभावित करने की बात उभयनिष्ट रूप से प्राप्त होती है। आयुर्वेद में छाती से ऊपर के भाग को कफ का स्थान माना गया है। इस आधार पर कोरोनावायरस के बारे (about coronavirus) में एक बात स्पष्ट है कि यह कफ जनित रोग है।

आयुर्वेद में कफ रोगो के शमन की अनेको विधाओं का वर्णन किया गया है। जिनमे आहार – विहार और दिनचर्या का विधिवत पालन का निर्देश सभी प्रकार के रोगो में आवश्यक माना गया है। जिसके साथ उत्प्रेरक के रूप में औषधियों का भी विधान है। आयुर्वेद के अनुसार कोई भी वस्तु किसी न किसी देश या स्थान में और काल में उत्पन्न होती है। जिस आधार पर सभी पार्थिव है।

कोरोनावायरस से बचने का सुझाव (preventive coronavirus tips)

कोरोना वायरस एक प्रकार का आरएनए है। जो लगभग-लगभग डीएनए के जैसा होता है। जब बात कोरोना (corona) वायरस (virus) की जाती है तो यह भी वायरस ही कहा जाता है। जिसकी कण या आकृति अति सूक्ष्म होते है। जिसको सामान्य आँखों से नहीं बल्कि इलेक्ट्रानिक माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है। जिसकी संरचना में अति सूक्ष्म कण के ऊपर प्रोटीन और लिपिड की संरचना होती है। जो यह मृत जीव या निर्जीव या आधा जीव और आधा निर्जीव कहा जाता है। जिसका अभिप्राय यह स्वयं में निर्जीव होता है। परन्तु जब किसी कोशिका के साथ संलग्न होता है तो यह जीवित हो जाता है। ठीक उसी प्रकार जैसे परपोषी पौधा पातालबवर आदि।

कोरोनावायरस से बचने का सुझाव

corona worldometer के अनुसार भारत में कोरोना मामलो (corona cases in india) इजाफा देखा जा रह है। जिसको भारत में कोरोना अद्यतन (corona update in india) कहा जा रहा है। राज्यवार कोरोना मीटर भारत (corona meter india state wise) अलग अलग है। जिसमे दिल्ली और महाराष्ट्र (maharashtra corona cases) प्रमुख है। कोरोना वायरस से बचाव के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के द्वारा दिए गए सुझाव-

संक्रमण को रोकने और COVID -19 के संचरण को धीमा करने के लिए, निम्नलिखित कार्य करें:

  • अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी से धोएं, या उन्हें अल्कोहल-आधारित सैनेटाइजर से हाथ रगड़कर साफ करें।
  • अपने और अन्य लोगों के बीच कम से कम 1 मीटर की दूरी बनाए रखें।
  • खांसने और छींकने वाले लोगो से दूर रहे।
  • अपने चेहरे को बार बार छूने से बचें।
  • खांसते और छींकते समय अपना मुंह और नाक ढक लें।
  • अपनी पेन, मोबाइल आदि का हस्तांतरण करने से बचे। 
  • यदि आप अस्वस्थ महसूस कर रहे हैं तो घर पर ही रहें।
  • धूम्रपान और फेफड़ों को कमजोर करने वाली अन्य गतिविधियों से बचे।
  • अनावश्यक यात्रा से बचने और लोगों के बड़े समूहों से दूर रहने के लिए शारीरिक दूरी का अभ्यास करें।

कोरोनावायरस के लक्षण (symptoms of coronavirus/symptoms of coronavirus disease)

कोविड-19 (covid-19) से संक्रमित रोगियों से मिलने वाले लक्षणों के आधार पर ही विशेषज्ञों ने इसके लक्षण बताये है। जिनको कोरोना संक्रमण का लक्षण (corona symptoms) कहा जा रहा है। जिसको हिंदी में कोरोना के लक्षण (corona ke lakshan/coronavirus ke lakshan/ या corona symptoms in hindi) कहते है। किसी भी बीमारी का प्रभाव अलग अलग रोगियों पर समता और भिन्नता के साथ भी परिलक्षित हो सकता है। जिनके आधार पर ही रोग विशेष की चिकित्सा का विधान चिकित्सा शास्त्रों में किया गया है। इनके ही आधार पर विश्व में कोरोना मामलो (corona cases in world) और भारत में कोरोना मामलो (corona update india) को आका जा रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना के लक्षणों की विवेचना इस प्रकार की है –

COVID-19 अलग-अलग लोगों को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करता है। अधिकांश संक्रमित लोग हल्की या मध्यम बीमारी को विकसित करते है और अस्पताल में भर्ती हुए बिना ठीक हो जाएंगे।

सबसे आम लक्षण:

  • बुखार।
  • सूखी खाँसी।
  • थकान।

कम सामान्य लक्षण:

  • दर्द एवं पीड़ा।
  • गले में खराश।
  • दस्त।
  • आँख आना।
  • सरदर्द।
  • स्वाद या गंध का चले जाना।
  • त्वचा पर दाने, या हाथ और पैर की उंगलियों पर खुजली।

गंभीर  लक्षण:

  • सांस लेने में कठिनाई या सांस की तकलीफ।
  • सीने में दर्द या दबाव।
  • बोलने में या भीड़ भाड़ में तकलीफ।
  • यदि आपके पास गंभीर लक्षण हैं, तो तत्काल चिकित्सा की तलाश करें। हमेशा अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य सुविधा पर जाने से पहले फोन करें।

हल्के लक्षणों वाले लोग जो अन्यथा स्वस्थ हैं। उन्हें घर पर अपने लक्षणों का प्रबंधन करना चाहिए। औसतन यह तब होता है। जब वायरस संक्रमण लक्षणों को दिखाने के लिए 5-6 दिन लगाता हैं। हालांकि इसमें 14 दिन तक लग सकते हैं। इस बीच हम corona patient diet chart  या covid patients diet plan का पालन कर हम Corona positive होने से बच सकते है।

कोरोनावायरस के अन्य लक्षण (other symptoms of coronavirus disease)

जबकि हेल्थलाइन वेवसाइट के अनुसार कोरोना लक्षणों को विकसित करने में 2 दिन से लेकर 2 सप्ताह तक का समय ले सकता है। जिसमे कोरोनावायरस के लक्षणों में दिन ब दिन (coronavirus symptoms day by day) बदलाव देखने को प्राप्त होता है।

कुछ सामान्य लक्षण जिन्हें विशेष रूप से COVID-19 से जोड़ा गया है, जिसमें शामिल हैं:

  • सांस लेने में कठिनाई
  • जो खांसी जो समय के साथ और अधिक गंभीर हो जाती है
  • बुखार
  • ठंड लगना
  • थकान

कम सामान्य / असामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

  • ठंड लगने के साथ दुबारा से कांपना ( शरीर का कांपना )
  • गले में खराश
  • सरदर्द
  • मांसपेशियों में खिचाव और दर्द
  • स्वाद और गंध का चले जाना
  • एक भरी हुई ( सटी नाक ) या बहती नाक
  • जठरांत्र संबंधी लक्षण जैसे कि दस्त, मतली और उल्टी होना
  • उंगलियों या पैर की उंगलियों का मलिनिकरण
  • लाल या गुलाबी आँखे
  • रैसेस ( त्वचा पर दरारे आना )

यदि आप इस प्रकार की समस्याओ से बचना चाहते है तो आहार विशेषज्ञों के द्वारा निर्धारित corona patient diet chart  या covid patients diet plan को दैनिक जीवन में स्थान देना चाहिए। जिसको लोग corona diet chart भी कहते है।

कोरोनावायरस का लक्षण और सर्दी (coronavirus symptoms vs cold)

सामान्यतः कोरोना वायरस और सर्दी के लक्षण एक सामान होते है। जिनके कारण दोनों में भेद कर पाना कठिन होता है। सबसे बड़ी समस्या तब होती है। जब संदेहवश सर्दी को भी कोरोना के रूप में देखा जाने लगता है। आजकल कोरोना का प्रभाव सर्वत्र व्याप्त होने के कारण लोग घबराये हुए है। जिसके कारण भी अनेको प्रकार की समस्याए हमारे चारो और दिखाई पड़ती है। किसी भी समस्या का निपटारा / समाधान जब तक उचित विधा से नहीं किया जाएगा। तब तक किसी के मन से इस प्रकार के भ्रम का निवारण नहीं होगा है।

इसके लिए हमें जुकाम और सर्दी के लक्षणों का भी ज्ञान होना चाहिए। जिनके आधार पर हम इनमे भेद कर सके और आववश्यक तनाव से बचे रहे। किसी भी बीमारी की प्राप्ति से अधिक घातक उसकी व्याप्ती होती है। जिसके निवारण के लिए मनोविज्ञान का प्रयोग किया जाता है। तो सर्दी के प्रमुख लक्षण (symptoms of cold/ cold symptom) निम्न है –

  • नाक का बंद होना या नाक बहना (closed nose or runny nose)
  • सर दर्द (headache)
  • बदन दर्द (bodyache)
  • आँखों से पानी आना
  • हल्का या तेज बुखार (low or high fever)  आदि है।

यह सभी लक्षण कोरोना वायरस में भी पाए जाते है क्योकि आयुर्वेद के अनुसार दोनों कफ रोग है। कफ रोगो में कफ की विकृति से जिन लक्षणों की प्राप्ति होती है। वह स्वाभाविक रूप से होगी। अब दोनों में विभेद करने का दायित्व चिकित्सा विशेषज्ञों का है। जिन्हे दक्षता पूर्वक अपने कर्तव्य का निर्वाह अपने अधिकार की सीमा में करना चाहिए।

आजकल corona virus vaccine को कोरोना पॉजिटिव (corona positive) होने से बचाने वाला बताया जाता है। जिसके कारण  coronavirus vaccine news के बारे में लोग जानना चाहते है।  corona vaccine news या corona vaccine latest न्यूज़ की बात करे तो यह भारत सहित अनेको देशो में आ चुकी है।

कोरोनावायरस का उपचार (coronavirus treatment)

आज कोरोनावायरस का उपचार (coronavirus cure) अनेको प्रकार से किया जा रहा है। इस प्रकार की समस्या इसके पूर्व न होने के कारण इसके इलाज में विशेषज्ञों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। जबकि आयुर्वेदादी शास्त्रों में भूत, वर्तमान और भविष्य में संभावित सभी प्रकार की बीमारियों के निदान की बात कही गई है। जिनके आधार पर ही इनको चेतन बताया गया है। इन्ही विशेषताओं के आधार पर इसकी उपयोगिता राकेट, कम्प्यूटर, एटम और मोबाईल के युग में भी ज्यो के त्यों चरितार्थ है।

आज परिस्थितिवश जितने भी प्रयोग या उपाय देखने को प्राप्त है। सभी की चर्चा पूर्व में ही आयुर्वेद और वेदांत आदि के ग्रंथो में पहले ही की जा चुकी है। जिसमे प्रतिकार या प्रतिषेध पर बल दिया गया है। जिसका निगमन करने के लिए एक सिद्धांत है – अप्राप्त का प्रतिषेध नहीं होता।  जो वस्तु, पदार्थ या क्रिया है ही नहीं उसका प्रतिकार कैसे किया जा सकता है? चिकित्सा संदर्भो में इन सिद्धांतो का महत्वपूर्ण योगदान है। जब कोरोना आदि का प्रभाव सामान्य जन मानस में परिलक्षित हुआ तो लोग इसका समाधान ढूढ़ने लगे। जिसमे अनेको प्रकार की बाते सामने आयी।

किसी ने इसकी दवाई बनाई, किसी ने टीके बनाये, किसी ने जीवाणुरोधी हस्त प्रक्षालन ( सैनेटाइजर ) द्रव आदि का निर्माण आदि किया। परन्तु एक बात जो सदियों पूर्व से लेकर अब तक चली आयी है। वह है हमारा भोजन और हमारी दिनचर्या है। जिसको करने के लिए हम विवश है। इन पर हम मनुष्यो में किसी का कोई अधिकार नहीं है। प्राणरक्षा या जीवन रक्षा के लिए हम इनको करने के लिए बाध्य है। इनके आधार पर कोरोना का उपचार करने के लिए हमारे पास तीन ही उपाय है। दवाई (medicine), टीका (vaccination) और भोजन (diet) एवं दिनचर्या (daily routine)

कोरोना के लिए दवाई (medicine for corona/medicine for coronavirus)

इसके उपचार के लिए अलग – अलग पद्धतियों के विशेषज्ञों के अपने अपने सिद्धांत है। जिनके अनुरूप रोगियों की चिकित्सा उनसे प्राप्त लक्षणों के आधारपर की जाती है। औषधियों का चयन रोगीकी अवस्था, रोगकी तीव्रता आदि को लेकर किया जाता है। जिसमे एंटीबायोटिक, स्टेराइड, ब्लड थिनर आदि का प्रयोग किया जाता है। सामान्यतः जीवाणुओ के नाश के लिए एंटीबायोटिक का प्रयोग होता है। सूजन आदिको समाप्त करनेके लिए स्टेराइड का उपयोग किया जाता है। जबकि खूनको पतला करने के लिए ब्लड थिनर का इस्तेमाल होता है। इन दवाइयों के भी अपने प्रभाव और दुष्प्रभाव होते है।

जिनका प्रयोग उचित ढंग से करने पर लाभकारी है। वही अनुचित विधा से करनेपर प्राणघातक भी हो सकता है। आजकल तो सामान्य बुखार आदि होने पर भी लोग इनका प्रयोग आमतौर पर करने लगे है। जिससे इनकी अधिकता होने से इनका दुष्प्रभाव भी हम पर पड़ता है। जिसे आजकल म्यूकर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) कहा जा रह है। इसलिए सेल्फ मेडिकेशन को घातक बताया गया है। किसीभी दवाका उपयोग आवश्यकता से अधिक और लक्षण के विपरीत करने पर विस्फोटक परिणाम देती है। जिसके लिए विशेषज्ञों के सलाह की आवश्यता होती है।

आजकल कोरोना के संकट में गले में चुभन होना, सर्दी जुकाम होना आम है। इनमे सामान्य रूप से सूजन, त्वचा का लाल होना जैसी समस्याए होती है। जिसको कम करने या समाप्त करनेके लिए लोग स्टेराइड और अन्य उपायों का आलंबन लेते है। इसमें कुछ लोग मनः कल्पित विधा का अवलंबन लेकर अनुचित उपायों को घरेलू नुस्को के रूप में प्रचारित करते है। जैसे आजकल पानी से भाप लेने को प्रश्रय दिया जा रहा है। दिन में एक बार से काम न चले तो दो बार और इससे भी काम न चले तो तीन तीन बार लेनेकी सलाह दी जा रही है। जिससे शरीरके आंतरिक भागोके जलने का ख़तरा होता है। इसलिए किसी भी उपाय का प्रयोग बिना विशेषज्ञ से परामर्श लिए बिना नहीं करना चाहिए।

कोरोनावायरस टीकाकरण (coronavirus vaccine)

आज कोरोनावायरस से बचनेके लिए टीकाकरण (vaccine for corona) को अधिक प्रभावी बताया जा रहा है। इसलिए कुछ लोगोको कोरोना टीका अद्यतन ( corona vaccine update) के बारे में जाने की उत्सुकता बनी रहती है। नियमित रूप से कोरोना टीके के विस्तार को लोग coronavirus treatment update के रूपमें भी देख रहे है। जिसको हेल्थलाइन ने COVID-19 टीके 90% से अधिक प्रभावी हैं: इसका मतलब क्या है के नाम से प्रकाशित किया है। जिसमे उन्होंने तीन बातो पर प्रमुखता से बल दिया है –

  • टीका लगवाने के बाद कोविड-19 से प्रभावित होने वाले लोग कुल टीकाकरण का 1 प्रतिशत है।
  • विशेषज्ञों के अनुसार टीके अत्यधिक सुरक्षात्मक तो है लेकिन 100 प्रतिशत प्रभावी नहीं है।
  • जो लोग टीका लगने के बाद बीमार हो जाते हैं। उनके अस्पताल में भर्ती होने की संभावना कम होती है।

उपरोक्त बातो पर गहनतापूर्वक विचार करे तो इसके पूर्ण सुरक्षित होनेकी पुष्टि कोई नहीं करता। टीकाकरण के बाद कोरोना नहीं होगा यहभी कोई स्वीकार नहीं करता। जिसके आधारपर coronavirus covid 19 vaccine कितनी सुरक्षित है और कितनी नहीं इसका आकलन नहीं किया जा सकता। व्यक्तिसे व्यक्तिमें लक्षणों का विभेद होने के कारण यह नहीं कहा जा सकता कि यह किसके लिए कितना सुरक्षित है?

इसमें आगे यह भी कहा गया है कि यह सत्य है कि टीकाकरण के बादभी लोग COVID-19 के शिकार हो सकते है। इसमें अचंभित होने वाली कोई बात नहीं है। जिसके शत प्रतिशत कारगार होने की बात यहाँ भी स्वीकार नहीं की गई है। टीकाकरण न करवाने के बाद भी आप COVID-19 के शिकार हो सकते है और करवाने के बाद भी हो सकते है। जिससे यहाँ भी स्पष्टता का अभाव है। जिसके आधार पर विचारकुशल व्यक्ति covid 19 coronavirus vaccine को लेकर कोई ठोस निर्णय नहीं ले सकता। अब तो भारत में भी corona vaccine india को लगाया जा रहा है।

आहार और दिनचर्या (diet and daily routine)

किसी भी रोग से बचाव और रोग शमन में आहार और दिनचर्या का प्रयोग अनादिकाल से होता आया है। जिसको सभी किसी न किसी रूप में स्वीकार करते ही है। चाहे आयुर्वेद का नाम ले या न ले। यह अनादि काल से चिर, परीक्षित और उपयुक्त उपाय है। जिसमे किसी प्रकार के संशय की न तो प्राप्ति है और न व्याप्ति है। आज भी वह व्यक्ति उतना ही स्वस्थ्य है, जितना आयुर्वेदादी शास्त्रों का निष्ठापूर्वक पालन करता है। जो व्यक्ति इन सिद्धांतो से जितना दूर है, उतना ही बीमार है।  

इन्ही अनूठी विशेषताओं के कारण ही दुनिया आयुर्वेद का समादर करती है। अनेक बार विपरीत से विपरीत परिस्थिति से हमें बाहर निकालने में आयुर्वेद मददगार रही है, आज भी है और आगे भी होगी। उदहारण के लिए COVID-19 को ही लीजिए तो जब सभी ने हाथ खड़े कर दिए तो एकमात्र आयुर्वेद ही सभी के लिए सहारा बनी। जिसका उपयोग नाम लिए बिना किया गया और किया भी जा रहा है। कोरोना पॉजिटिव (COVID-19) होने से बचने के लिए corona patient diet chart  या covid patients diet plan की आवश्यकता है। इसको ही कुछ लोगो के द्वारा corona diet chart भी कहा जाता है।

आयुर्वेद में भूख, प्यास आदि को स्वाभाविक रोग कहा गया है। जिसका निवारण करने के लिए भोजन की आवश्यकता है। मानव शरीर को नियमित रूप से संचालन के लिए दिनचर्या की जरुरत है। इस कारण ही आहार मीमांसा में कैसा भोजन करना चाहिए और दिनचर्या में किस समय करना चाहिए वताया गया है। जिसको समग्रता से कहे तो भोजन कब कितना और कैसे करना चाहिए का उल्लेख किया गया है। जिसको नियमित रूप से विधिवत अपनाने पर स्वतः स्वास्थ्य की प्राप्ति होगी। शास्त्रों में इन नियमो के परिपालन का यह फल बताया गया है।

कोविड रोगियों का आहार नियोजन (covid patients diet plan)

अनेको विधाओं से प्राप्त हो रहे कोरोना आकड़ो (corona statistics) के अनुसार सभीको अत्याधुनिक चिकित्सा सुलभहो पाना कठिन है। जिसमे सामाग्री की अनुपलब्धता, आवागमन, कुशल चिकित्सक का उपलब्ध हो पाना आदि अनेको प्रकार की दुविधाए है। वही कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या (coronavirus count) में लगातार वृद्धि भी समस्या है। चारोओर समस्या ही समस्या है। जिससे बाहर निकलने का एक ही मार्ग है कि स्थानीय स्तरपर इसके निपटने के प्रयास किये जाए। जिसमे सभी लोगो का सहयोग आपेक्षित है।

आयुर्वेद के अनुसार भोजनको यदि विधि – निषेध के अनुसार लिया जायतो वह औषधि है। जिसके आधार पर हम कोरोना संक्रमित (corona positive/ COVID-19) व्यक्तिको आहारके रूप में औषधि की व्यवस्था कर सकते है। जिसके लिए घर पर कोविड रोगियों का आहार नियोजन (covid patients diet plan at home) किया जा सकता है। जिसको हम भारत में कोविड रोगियों का आहार नियोजन (diet plan for covid patients in india) के रूप में भी प्रसारित कर सकते है। यह सभी को सामान रूप से इस परिस्थिति से बाहर निकालने में सहायक होगा। इस व्यवस्था को हम भारत में कोविड रोगियों का आहार नियोजन (diet plan for covid patients in india) भी कह सकते है।

इस विषम परिस्थितिमें कोरोना से बचने के सुझावों (preventive coronavirus tips) में दोनों का प्रयोग करना अनिवार्य है। जिसमे आहार, दिनचर्या (daily routine) और साफ़ सफाई (hygene) किसी औषधि से कम नहीं। जिसके लिए भारतमें कोरोना रोगियोंका आहार चार्ट (diet chart for corona patients in india) विशेषज्ञों द्वारा निर्धारित होना चाहिए। जिसको हम भारतमें कोविड-19 रोगियों का आहार चार्ट (diet chart for covid-19 patients in india) कह सके। जिससे लोगो को संक्रमणसे होने वाली समस्याओ के लिए भटकना न पड़े। जिसको भारत का कोविड आहार नियोजन (covid diet plan india) कहा जाए। जिसको कोरोना आहार चार्ट पीडीऍफ़ (corona diet chart pdf) के रूप में वितरित किया जाय।

भारत में कोविड रोगियों का आहार नियोजन (diet plan for covid patients in india)

भारतको एक समयमें अनेको प्रकारकी भौगोलिक अवस्थाए प्राप्त है। जिसके आधारपर अनेको ( छ ) प्रकारकी ऋतुए पायी जाती है। जिनके आधारपर अलग अलग प्रकार के अन्न, फल, सब्जियों आदि का उत्पादन होता है। जिनका एक सामान वितरणकर पानाभी कठिन है। जबबात भारत में कोरोना रोगियोंका आहार चार्ट (corona patient diet chart in india) को निर्धारित करनेकी होतो कठिनाई औरभी बढ़जाती है। इस प्रकार सभीको पोषक आहार (nutrition diet) सुलभहो पानाभी किसी चुनौतीसे कम नहीं है। फिरभी इस परिस्थिति से बचना और बचाना हमसभी का दायित्व है। जिसका निर्वहन मानवताकी सीमा में हमें करनाही चाहिए।

सनातन शास्त्रोंमें सात्विक आहार (sattvic diet) की भूरी भूरी प्रशंसा की है। जिसमे सभी प्रकारके पोषक तत्वोंकी अनुकूल आनुपातिक मात्रा का सन्निवेश होता है। जो जीवोको दीर्घआयु प्रदान करनेके साथ साथ आनुवांक्षित स्वास्थ्यभी प्रदान करता है। जिसपर आजका विज्ञान और वैज्ञानिक दोनों लट्टू है। फिर इतिहास गवाह हैकि हमारे पूर्वज इन्ही शास्त्र सम्मत भोजन विज्ञानके बल पर जीवन यापन करते थे। जिसमे वे निरोगी रहकर सैकड़ो वर्ष जीते थे। उनके जीवन में बीमारी और दवाका कोई स्थान नहीं था या बहुत ही न्यून स्थान था। इस आधारपर तो यह नहीं कहाजा सकता कि वह अवैज्ञानिक जीवन जीते थे।

इस प्रकारके अनेको विभेद होनेपर भी हम आहार को दो भागो में विभाजितकर सकते है। जिसमे सामान्य और विशेष है। सामान्य आहार में वे सभी आहार है। जिनका उपयोग सभी एक सामान्य नियमके अनुरूप कर सकते है। जबकि विशेष आहारका निर्धारण देश, काल, परिस्थिति, देह प्रकृति, रोगकी तीव्रता आदि के आधारपर किया जाता है। इसप्रकार से आहार निर्धारण को ही आयुर्वेद के अनुसार दवाई या औषधि कहा जाता है। यह तो आहार विशेषज्ञके द्वारा रोगीकी उपस्थिति मेंही किया जा सकता है। जबकि सामान्य आहारका निर्धारण जनसामान्य के लिए भी किया जा सकता है। जिसमे पूरे दिनको तीन भागो में बाटा गया है। सुबह, दोपहर और शाम।

आहार नियोजन में होने वाली कठिनाईयां (difficulties in diet management)

आयुर्वेद के अनुसार उपरोक्त लक्षणों से यह बात सिद्ध है कि COVID-19 कफ के असंतुलन से होने वाला रोग है। जिसका समाधान करने के लिए कफ शामक ( नष्ट करने वाले ) सभी प्रकार के योगो को करना चाहिए। जिसमे औषधि ( दवा ), आहार, दिनचर्या आदि का आयुर्वेद में विधिवत वर्णन किया गया है। जिससे रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत बने और रोग का सम्पूर्ण नाश हो सके। सभी प्रकार की उपलब्ध सामग्रीयो में अनुकूल सामाग्री का चयन करना ही आहार प्रबंधन है। जिसमे मुख्यतः पांच प्रकार की समस्याए आती है।

पहली कठिनाई सूर्यगति के अनुरूप होती है। जहा वात, पित्त और कफ में बदलाव देखने को प्राप्त होता है। जैसे प्रातःकाल में वात, अपराह्न या दोपहर में पित्त, रात्रि या शाम में कफ की अवस्था होती है। जबकि रात्रि में इसके विपरीत होता है। दूसरी कठिनाई अवस्था को लेकर प्राप्त है। जिसके अनुरूप भी वात, पित्त और कफ का प्रभाव हम सभी के शरीर पर होता है। जैसे वृद्धवस्था में वात, युवावस्था में पित्त और बाल्यावस्था में कफ। तीसरी कठिनाई देह प्रकृति को लेकर प्राप्त है। जिसमे जिसका शरीर मोटा होता है वो कफ प्रकृति का होता है। जिसका पतला होता है वो पित्त प्रकृति का होता है। और जो न अधिक मोटा होता न अधिक पतला होता है वो वात प्रकृति का होता है।

चौथी कठिनाई जो वस्तु जिस देश, स्थान आदि में उत्पन्न होती है। जैसे हिमालय में उगने वाली औषधीय शीत प्रकृति की होती है। और उष्ण स्थान पर पैदा होने वाली औषधिया स्वभाव से गर्म होती है। पांचवी कठिनाई औषधियो के अपने स्वाभाविक गुण है। जैसे आवला स्वभाव से शीतल है। गुण कफ शोधक है। अजवाइन पित्त शामक है आदि। उपरोक्त पांचो बातो को ध्यान में रखकर नियोजित आहार औषधी है। जिसके लिए विशेषज्ञ की आवश्यकता होती है।

सुबह के समय कोविड रोगियों का आहार नियोजन (diet plan for covid patients in morning)

  • शास्त्रों के अनुसार प्रातःकाल का समय वात का समय होता है। इस कारण इस समय सभी प्रकार के जलीय पदार्थो का सेवन करना हितकारी माना गया है।
  • सुबह शौच के पूर्व तांबे के द्वारा शोधित जल या गुनगुना पानी पिए।
  • इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए गिलोय का काढ़ा पी सकते है।
  • गिलोय जूस, आवला जूस या फलो के जूस का सेवन करना हितकारी है। यदि इनको पीने से जुकाम आदि की समस्या हो तो इसमें चूने के पानी का प्रयोग किया जा सकता है।
  • प्रातः काल सूर्य प्रकाश में आधा घंटा अवश्य घूमे। जिससे विटामिन डी की आवश्यक मात्रा बनी रहे।
  • सुबह का भोजन 10 बजे से 11 बजे के बीच करे।
  • भोजन के रूप में कम से कम एक दाल, सब्जी और अन्य अन्नो का प्रयोग रोटी इत्यादी के माध्यम से करे।
  • गेहू, चावल के स्थान पर मक्का, बाजरा, मकरा, ज्वार आदि का सेवन करना अधिक लाभकारी है।
  • यदि सुलभ हो तो कोदो चावल, कुटकी, सावा, ककुनी आदि का सेवन करे।
  • कोदो चावल, कुटकी आदि का किण्डवनीकरण (Fermentation) कर प्रयोग करने पर प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।
  • सुबह भूलकर भी बिस्कुट, चाय या काफी का प्रयोग न करे।
  • नियमित एक फल का सेवन करे। फल की अनुपलब्धता की स्थिति में अचार का उपयोग किया जा सकता है।
  • सुबह के समय सुपारी वाला पान खाना अच्छा माना गया है।
  • इस दौरान सभी प्रकार के मेवे जैसे खजूर (dates), काजू, बादाम आदि का प्रयोग किया जा सकता है।

दोपहर के समय कोविड रोगियों का आहार नियोजन (diet plan for covid patients in afternoon)

  • दोपहर का समय पित्त करक होता है। इसलिए दोपहर के भोजन में सलाद (salad) को स्थान दे।
  • सलाद को उबाल कर नहीं बल्कि तांबे के पानी से धोकर उपयोग करे।
  • दोपहर के समय कत्थे वाला पान खाना अच्छा माना गया है।
  • आवश्यकता पड़ने पर काढ़े की आवृति को बढ़ाया भी जा सकता है।
  • अदरक को पानी में उबाल कर उपयोग में लाया जा सकता है। इसके स्थान पर सोंठ का प्रयोग भी किया जा सकता है।
  • प्रोटीन सप्लीमेंट के स्थान पर गोघृत ( देशी गाय के घी ), विभिन्न प्रकार की दाल, फल, सब्जी और गोदुग्ध का प्रयोग करे।
  • प्रतिदिन अलग प्रकार के अन्न, फल, सब्जी और सलाद का प्रयोग करे।
  • दोपहर के समय शिकंजी, शरबत आदि का प्रयोग लाभप्रद है।

शाम के समय कोविड रोगियों का आहार नियोजन (diet plan for covid patients in evening/night)

  • रात्रि या शाम का समय कफ कारक होता है।
  • शाम के समय में सूर्य के ढलने से पूर्व सूर्य प्रकाश में आधा घंटा अवश्य घूमे। जिससे शरीर में विटामिन डी की आवश्यक मात्रा बनी रहे।
  • शाम के समय चूने वाला पान खाना अच्छा माना गया है।
  • रात्रि में हल्का भोजन करे।
  • रात्रि में दूध का सेवन कफ रोगो में लाभकारी है।
  • रात्रि में हल्दी मिलाकर पीना बहुत ही गुणकारी है।
  • रात्रि में सोने से पूर्व गुनगुना पानी पीकर सोये।
  • हल्दी दूध या गुनगुना पानी दोनों में से कोई एक उपाय ही एक बार में करे।
  • रात में सोने के पूर्व सोंठ का उपयोग नाक और मुँह से होने वाले संक्रमण को रोकता है।
  • इसको ही Coronavirus diet plan in Hindi के नाम से भी जाना जाता है।
  • इसको ही कोरोना से बचाव का आहार प्रारूप (Diet plan for protection from Corona) भी कहा जाता है।

कोविड रोगियों के लिए कुछ आवश्यक सामान्य सावधानिया (some important general precautions for covid patients)

  • भूलकर भी दूध का सेवन दिन में या सुबह के समय न करे।
  • पानी की मात्रा को सुचारु रूप से बनाये रखे।
  • दिन में सोना त्यागे। दिन में सोने से रोग प्रतिरोधक क्षमता का ह्रास होता है।
  • मैदा से बनी वस्तुओ का सेवन न करे।
  • सब्जियों आदि को धोने के लिए ताम्रजल का उपयोग करे।
  • खाने वाले सभी खाद्य पदार्थ जैसे सब्जियों और फलो की विषाक्तता को समाप्त करने के लिए इमली और नमक का उपयोग करे।
  • किसी भी परिस्थिति में घबराये नहीं।
  • भगवन्नाम का स्मरण ( भगवद भजन ), ध्यान नियमित रूप से करे। जिससे मनोबल मजबूत बना रहे।
  • अतथ्यात्मक बातो को नजरअंदाज करे।
  • नियमित रूप से चिकित्सीय सलाह ले।
  • भोजन करने से पूर्व थाली को तांबे के पानी से धोकर प्रयोग करे।
  • नित्य साफ़ और स्वच्छ कपडे पहने ।
  • हाथ को धुलने के लिए मिट्टी प्रयोग उत्तम है। इसके अनुपलब्ध होने पर साबुन आदि का प्रयोग किया जा सकता है।
  • एल्कोहल युक्त सैनेटजर का कम से कम उपयोग करे।
  • भोजन करने के लिए फूल की थाली का प्रयोग करे। यह कफ नाशक मानी गयी है।
  • बाहर खाना खाने से बचे और घर पर सुपाच्चय भोजन का निर्माण करे एवं ग्रहण करे।
  • विशेषज्ञों के द्वारा बताया जाता है कि COVID-19 के उपचार में विटामिन सी, विटामिन बी और विटामिन डी की आवश्यकता होती है।
  • जिसमे जिंक आदि को भी महत्वपूर्ण माना जाता है। उपरोक्त भोजन में उन सभी का समावेश है।
  • बार बार मुँह झूठा करने से बचे।
  • चीनी का प्रयोग न करे। इसके स्थान पर गुड़ का प्रयोग करे।
  • COVID-19 की रोकथाम में सोंठ का उपयोग नाक और मुँह में करना बहुत ही लाभकारी है। नाक में चौथाई चुटकी और मुँह में आधा चम्मच की मात्रा पर्याप्त है। इसका प्रयोग बिना पानी या अन्य किसी पेय पदार्थ के साथ ही करना चाहिए।

ध्यान रहे :

रोग कारण की विद्यमानता होने पर रोग की पुनरावृत्ति प्रायः देखी जाती है। जब कारणों की बात होती है तो आहार – विहार, दिनचर्या आदि की विसंगति होने की पूर्ण संभावना होती है। जिसका निवारण करने के लिए उपरोक्त नियमो को निरंतर बनाये रखने की आवश्यता है। इस कारण ही corona patient diet chart  या covid patients diet plan को निरंतरता के साथ पालन करना चाहिए। जिससे हम रोग और दोष से बचे रहे। यदि खांसी की समस्या होतो खांसी का इलाज घरेलू का प्रयोग करे।

9 thoughts on “कोरोना पॉजिटिव (कोविड-19) रोगियों के लिए आहार प्रबंधन ( Diet Management for Corona Positive / covid-19 patients )”

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