आजकल खान – पान आदि में अनियमितता देखी जा रही है। जिसके कारण कब्ज की समस्या का जन्म हो रहा है। जो न केवल वृद्धो को परेशान कर रही है। बल्कि बच्चे और वयस्क भी इससे पीड़ित है। जिससे पार पाने के लिए कब्ज का रामबाण इलाज क्या हो सकता है? इसके लिए कब्ज का अर्थ constipation meaning in hindi को समझना होगा। जिसके उपचार के लिए कब्ज की आयुर्वेदिक दवा ( ayurvedic medicine for constipation )आदि का भी विधान है। जबकि नियमित योग के माध्यम से भी कब्ज को दूर किया जा सकता है। खांसी
आयुर्वेद चिकित्सा में कब्ज को उदर रोगो में स्थान प्राप्त है। जिसमे मुख्य रूप से पेट में प्रसार होता है। जिसको साधारण भाषा में पेट फूलना कहते है। जिसके अनेक कारण आयुर्वेदादी शास्त्रों में बताये गए है। जिसमे अनेको प्रकार की समस्याए होती है। जैसे पेट में दर्द होना आदि है। यह जीर्ण होने पर साध्य से असाध्य हो सकता है। जिसके कारण इसका उपचार शीघ्रातीशीघ्र करना चाहिए। पेट को शरीर की दृष्टि से ऊर्जा का स्रोत माना गया है। जिसमे किसी प्रकार का अवरोध आने पर, उसका प्रभाव सम्पूर्ण शारीरिक अंगो पर होता है।
चिकित्सा शास्त्रों में उदरकी सीमा का निर्धारण किया गया है। जिसके अंतर्गत क्षुद्रांत्र, वृहदन्त्र, यकृत, प्लीहा आदि को रखा गया है। इन अंगो में होने वाले रोगोको उदर रोग कहते है। यद्यपि अतिसार, ग्रहणी, शूल ( पेट दर्द ), आदि अनेक उदर रोग भी होते है। यह सभी सम्पूर्ण उदर में न होकर उदर के अवयव विशेष में होते है। जिसके कारण इनको, उदर रोगो की सीमा से बाहर रखा गया है। जबकि चरक ने मूलतः यकृत, अंत्र, ह्रदय आदि में स्थित सभी अवयवों की विकृति से, उत्पन्न रोगो को ही उदर रोग की संज्ञा दी है। जिसमे तिल्ली बढ़ना, फैटी लिवर आदि है।
कब्ज क्या है ( What is constipation in Hindi)
मानव शरीर में भोजन को पचाने के लिए अग्नि पायी जाती है। जिसे जठराग्नि या पाचकाग्नि कहा जाता है। जठराग्नि से तात्पर्य जठर में पायी जाने वाली अग्नि है। जठर को ही आमाशय भी कहते है। कही कही आमाशय और उदर, दोनों के सम्मिलित करके जठर कहा जाता है। जिसमे आमाशय ऊपर का भाग है। जिसके अंतर्गत यकृत, प्लीहा आदि आते है। जबकि उदर को नीचे का भाग माना गया है। जिसमे आंते इत्यादि आती है। जो भोजन को पचाने के लिए, पाचक रसों का श्रावण करती है। जिससे भोजन छोटे – छोटे अणुओ में विखंडित होता है। जिसके कारण इसको पाचन अग्नि व पाचकाग्नि कहते है। जिसके मंद या तीव्र होनेसे रोग की प्राप्ति होती है।
यद्यपि मानव शरीर में होने वाले सभी रोग, अग्नि के मंद पड़ जाने से ही होते है। जिसको मंदाग्नि के नाम से भी जाना जाता है। जिसमे पाचक रसों के श्रावण की अनुपातिक मात्रा में न्यूनता होती है। जिसके कारण भोजन पचता नहीं। जिसे अजीर्णता के नाम से जाना जाता है। दूषित अर्थात कृत्रिम अन्न आदि के पाचन में, आवश्यकता से अधिक रसो की आवश्यकता होती है। जिससे पेट में गैस बननी आरम्भ होती है। जिससे पेट फूलने लगता है। इसके परिणाम के रूप में अन्य अंगो पर दबाव पड़ता है, और वे संकुचित हो जाते है। जिससे गैस के निकलने का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है। जिससे पेट में मरोड़ और दर्द की समस्या आदि होती है। जिसको कब्ज कहा जाता है।
जो उदर रोगो में प्रायः देखने को मिलती है। जिसको कोष्ठबद्धता भी कहते है। जिसका मूल जठराग्नी की विसंगति को माना गया है। जिसके उपचार की अनेको विधाए है। जिसमे पाचन शक्ति का मजबूत होना आवश्यक है। जिसके लिए पाचन क्रिया कैसे सुधारे को जाननेकी आवश्यकता है।
कब्ज होने का कारण ( Cause of Constipation in Hindi)
इसके होने का मुख्य कारण जठराग्नि का दूषित होना, या मंद पड़ जाना माना गया है। ऐसा होने से तीनो दोष प्रकुपित हो जाते है। जिसको वात, पित्त और कफ के नाम से हम जानते है। जिसके होने के तीन कारण बताये गए है। जिनमे अजीर्णता, दूषित अन्नपान और मल संचय को माना गया है। जिसके अनेको कारण आयुर्वेदादी शास्त्र में बताये गए है। जिनका निवारण करने पर कब्ज के कारण का निवारण हो जाता है। इनके उपचार को कब्ज का रामबाण इलाज कहा जाता है।
जिसमे वर्षा ऋतु में पृथ्वी से भाप निकलने के कारण, वर्षा के होने से तथा जल के अम्लविपाकी होने से वात आदि दोष कुपित होते है। विरुद्ध आहार आदि जो अत्यंत दोषजनक होते है। उनके कारण मलिन ( दूषित ) वात आदि के अधिक बढ़ जाने एवं संचय हो जाने से। जिन पुरुषो के शरीर में मलो का संचय हो गया हो। उनको उदर रोग हो जाते है। विशेष कर मंदाग्नि वालो को कब्ज रोग होते है। हिंदी में कब्ज का इलाज को कब्ज का रामबाण इलाज इन हिंदी कहते है।
प्रायः कब्ज होने पर गैस बनती है। जिसके कारण इसको गैस के साथ जोड़ा जाता है। जिसकी औषधि को गैस और कब्ज की आयुर्वेदिक दवा कहते है। इसको उपचारित करने के लिए आयुर्वेद में अनेक योग है। जिसको कब्ज की आयुर्वेदिक उपचार के नाम से जाना जाता है। ठीक उसी प्रकार जैसे कोरोना के उपचार में, कोरोना पॉजिटिव रोगियों के लिए आहार – प्रबंधन का प्रयोग होता है।
कब्ज के लक्षण एवं उपचार (symptoms of constipation in hindi)
उदर में स्थित रोग को उदर रोग कहते है। जब बात कब्ज या कोष्ठबद्धता की आती है। तो यह भी पेट से ही सम्बंधित है। जिसको मलबद्धता के नाम से भी जाना जाता है। जिससे प्राप्त होने वाले लक्षणों के आधार पर इसका उपचार किया जाता है। जिसके समाधान के लिए अनेको प्रश्न किये जाते है। जैसे – कब्ज का रामबाण इलाज क्या है? कब्ज गैस का रामबाण इलाज आदि है। यहाँ ध्यान रखने वाली बात यह है कि इलाज उर्दू शब्द है। जिसको हिंदी में उपचार या चिकित्सा कहते है। जब बात रामबाण की होती है, तो उसे स्थायी उपचार के रूप में देखा जाता है। जिसे कब्ज का परमानेंट इलाज कहते है। इसको अन्य भाषाओ में कब्ज का रूहानी इलाज भी कहा जाता है।
किसी भी रोग से ग्रसित होने से अच्छा है कि उससे बचा जाय। जिसके लिए स्व श्री राजीव दीक्षित जी ने अथक परिश्रम किया। जिसमे आयुर्वेद की विधि – संहिता का प्रसार सामाजिक स्तर पर किया। जैसे – constipation meaning in hindi को बताया आदि। जिसको लोग कब्ज का रामबाण इलाज राजीव दीक्षित के नाम से जानते है। जिससे लोगो में स्वस्थ्य के प्रति जन चेतना आयी। जबकि चिकित्सीय ग्रंथो के अनुसार रोग के लक्षण को जाने बिना उपचार सम्भव नहीं। जिसमे लक्षणों का बीरीकी से अध्ययन करने पर बल दिया गया। इसके उपरांत रोगी की प्रकृति को ध्यान में रखकर औषधि का चयन किया जाता है।
जिसके सेवन के लिए अनुकूल आहार – विहार का विधान है। जिसमे विरुद्ध आहार का प्रतिषेध आदि है। ठीक उसी प्रकार जैसे ज्वर के उपचार के लिए, बुखार की सबसे अच्छी दवा का चयन किया जाता है। इसी प्रकार कब्ज की आयुर्वेदिक दवा को भी चुना जाता है।
कब्ज के लक्षण ( Symptoms Of Constipation in Hindi )
अलग अलग कारण से कब्ज होने पर लक्षणों में भेद होता है। जिसके फलस्वरूप व्यक्ति से व्यक्ति में भिन्न लक्षण प्राप्त होते है। जिसके कारण कब्ज के अनेको लक्षण है। जिनको कबज के लक्षण के नाम से भी जाना जाता है। जबकि कुछ लक्षण ऐसे होते है, जो सभी में पाये जाते है। जिन्हे कब्ज के सामान्य लक्षण कह सकते है। जैसे –
- पेट में फटने की तरह दर्द होना
- हाथ पैर में शोथ या सूजन होना
- अंगो में मसलने के सामान दर्द होना
- पसलियों, पेट, कमर, तथा पीठ में दर्द होना
- संधियों या जोड़ो में दर्द होना
- मल का रुक जाना
- खासी आना
- आँखों से लाल दिखाई पड़ना
- एकाएक पेट का फूलना या पिचकना
- पेट में गुड़गुड़ाहट होना
- बुखार, बेहोशी, जलन होना
- बार बार प्यास लगना और मुँह सूखना
- मुँह में कडुआपन होना
- चक्कर आना
- थोड़ा सा खाने पर ही पेट भर जाना
- शरीर के सभी अंगो का ढीला पड़ना
- आलस्य से भरा रहना
- नींद न आना और लगातार ऊंघते रहना
- जी मिचलाना
- भोजन से अरुचि होना
- सर दर्द होना
- पीठ में दर्द होना विशेष कर रीढ़ की हड्डी में
कब्ज से बचने का उपाय ( kabj ke upay )
इन समस्याओ से बचने के लिए आयुर्वेद में उपायों की बात बतायी गई है। जिसमे आहार, भोजन, दिनचर्या आदि का विधिवत पालन है। जो सभी रोगो से बचने का रामबाण उपाय है। जिसका अनुशरण किये बिना रोग की निवृत्ति होना असम्भव है। फिर भी कब्ज से बचने के कुछ विशेष उपायों निम्न है –
- रूखे पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए
- अधारणीय ( मल, मूत्रदि ) वेगो को नहीं रोकना चाहिए
- खड़े होकर जल नहीं पीना चाहिए
- अति उष्ण और अति तीक्ष्ण भोजन नहीं करना चाहिए
- अग्नि और धूप का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए
- पहले खाया हुआ भोजन जब तक न पचा हो, तब तक दूसरा नहीं करना चाहिए
- अजीर्णता या अफारा से बचना चाहिए
- अधिक लवण या नमकीन पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए
- मल्टीग्रेन आटे के उपयोग से बचना चाहिए
- अधिक अम्लीय जैसे नीबू, इमली इत्यादि पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए
- कटु पदार्थ जैसे सोंठ, लाल मिर्च इत्यादि का सेवन कम से कम करना चाहिए
- रिफाइंड तेल आदि के सेवन से बचना चाहिए
- प्लास्टिक की बोतल का पानी नहीं पीना चाहिए
- दिन में नहीं सोना चाहिए
- नियमित व्यायाम या परिश्रम करना चाहिए
- स्वादिष्ट भोजन का सेवन अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए
- अत्यंत चिकने पदार्थ अरुई, घुइया आदि का प्रयोग आधी नहीं करना चाहिए
- मांस का सेवन नहीं करना चाहिए
कब्ज का रामबाण इलाज ( kabj ka ilaj )
अब कब्ज को जड़ से इलाज की बात करे, तो इसके लिए आयुर्वेद में अनेको योग है। यहाँ योग का अर्थ दवाइयों के योग से है। जिसमे अनेको औषधियों के नियत अनुपात में आपस में मिलाया जाता है। जिनको कब्ज का रामबाण उपाय कहा जाता है। इसके लिए अनेको प्रकार चूर्ण का प्रयोग किया जाता है। जो पतंजलि आयुर्वेद द्वारा निर्मित किया जाता है। जिसको कब्ज का रामबाण इलाज पतंजलि भी कहा जाता है। गैस और कब्ज दोनों एक दूसरे के पूरक है। बिना गैस के पेट फूल नहीं सकता, और बिना पेट फूले कब्ज हो सकती नहीं। जिसके कारण इसके उपचार को गैस और कब्ज का रामबाण इलाज भी कहते है।
जिसके लिए कब्ज का रामबाण उपाय बताएं जैसे प्रश्न किये जाते है। जबकि आयुर्वेद में कब्ज की आयुर्वेदिक दवा बतायी है। जिसको खाने के नियमो का निर्धारण भी किया गया है। जिसमे अनेको प्रकार की विधि और निषेध परक बातो की चर्चा भी हुई है। जिसका सेवन मात्रा, अनुपान और विधि के साथ करने पर ही लाभकारी है। इसके साथ ही आकस्मिक स्थिति में भी उपचार की व्यवस्था है। जिसको कब्ज का तुरंत इलाज का नाम दिया जाता है।
किसी भी रोग के उपचार में दिनचर्या पालन की आवश्यकता होती है। जो सभी चिकित्सीय पद्धतियों को मान्य है। जिसका समावेश आधुनिक जीवन की स्वस्थ दिनचर्या नामक पुस्तक में किया गया है। जिसमे स्वस्थ रहने की दिनचर्या सम्बन्धी, सभी पहलुओ पर विचार किया गया है।
बच्चो के लिए कब्ज का रामबाण इलाज
सामान्यतया 1 वर्ष से छोटे बच्चो को कब्ज नहीं होता। जिसका कारण उनका खान – पान है। जिसमे सर्वाधिक दूध का प्रयोग किया जाता है। विशेष रूप से माँ का दूध। आजकल तो ज्यादातर लोग 6 माह के बाद ही, माता के अतिरिक्त दूध का भी प्रयोग करते है। जैसे गोदुग्ध, बकरी का दूध आदि। जोकि आयुर्वेदीय नियमो के विरुद्ध है। आयुर्वेद के अनुसार छोटे बच्चो को दूध पिलाने के दो नियम है। पहला एक वर्ष तक। दूसरा जब तक दांत न आ जाय। दोनों में से जो पहले हो, तब तक केवल माता काही दूध पिलाने का नियम है। ऐसा करने पर बच्चे को इसका लाभ मिलता है।
बच्चा जब इससे अधिक आयु का होता है, तो जो कुछ भी उसे प्राप्त होता है। उसे मुँह में डालता है। जिसके कारण उसको कब्ज की समस्या हो सकती है। जबकि इसके अन्य कारण भोजन आदि की अशुद्धता भी है। जिसको नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। इसकारण बच्चो की constipation meaning in hindi को समझना, और समझकर उसके कारण तक पहुंचना। चिकित्सा में दोनों ही अनिवार्य है। इसके बाद ही कब्ज का रामबाण इलाज किया जा सकता है। बच्चे योग कर नहीं सकते। इसकारण इनके लिए yoga for constipation अनुपयोगी है।
बच्चो के लिए दवाइयों की बात करे, तो कड़वी दवाइयों को यह उगल देते है। साथ में रोते और चिल्लाते भी है। जिसके कारण इनको मीठी दवा देने की विवशता होती है। जिसके लिए ayurvedic medicine for constipation शहद प्रयोग होता है।
बच्चो के कब्ज में मधु का प्रयोग
इसके लिए पानी को उबाला जाता है। जब पानी ठंडा हो जाय तब, मधु को मिलाकर प्रयोग किया जाता है। इसके लिए ताम्र जल का प्रयोग करे तो अच्छा है। मधु बच्चो के लिए अच्छी कब्ज की आयुर्वेदिक दवा है। जबकि इसका प्रयोग अन्यो पर भी किया जा सकता है। यह प्रायः पित्त द्वारा होने वाले कब्ज में प्रयोग होता है।
बच्चो के कब्ज में मुलेठी का प्रयोग
मुलेठी खांसी आदि की भी अच्छे दवा है। इसके साथ ही यह कब्ज में भी प्रयोग होती है। इसका स्वाद मीठा होने के कारण बच्चे आसानी से खा लेते है। जिसके कारण बच्चो के कब्ज में ज्यादातर प्रयोग होती है। जबकि चिकित्सा शास्त्रों में अन्यो के ऊपर भी, इसका प्रयोग किया जाता है।
युवाओ या वयस्कों के लिए कब्ज का रामबाण इलाज
आजकल कब्ज की समस्या युवाओ में भी देखी जा रही है। जिसका कारण कृत्रिम खान – पान, रहन – सहन आदि है। जिसको त्यागे बिना इन समस्याओ से छुटकारा नहीं पाया जा सकता। जिसके लिए इनके विधिवत पालन के स्पष्ट निर्देश है। जो सभी प्रकार के रोग और दोष से सुरक्षित रखते है। किसी भी रोग का उपचार करने में, उसकी तह तक पहुंचना होता है। जिसको रोग कारण कहा जाता है। युवाओ में कब्ज के निवारण में constipation meaning in hindi, को समझाना ही रोग की जड़ को पकड़ने जैसा है। जिसके आधार पर कब्ज का रामबाण इलाज होता है।
युवाओ के लिए कब्ज की आयुर्वेदिक दवा की बात करे, तो इसके अनेको उपाय है। इसको आंग्ल भाषा में ayurvedic medicine for constipation कहते है। जिसके उपचार के लिए दशमूल क्वाथ का प्रयोग होता है। इसके साथ ही नवायस चूर्ण आदि भी कब्ज में उपयोगी है। जिनका प्रयोग कब्ज के उपचार में किया जाता है। जिसके चलते इसके उपचार से सम्बंधित अनेको प्रश्न किये जाते है। जैसे – कब्ज की आयुर्वेदिक दवा बताइए। प्रतिरोधक शक्ति कब्ज होने पर घटती है। जिसके लिए गिलोय का प्रयोग होता है। इसको उपयोग करने के लिए गिलोय का काढ़ा कैसे बनाये? को जानलेना भी आवश्यक है।
युवाओ में कब्ज के समाधान के लिए योग अच्छा साधन है। जिसको आंग्ल भाषा में yoga for constipation कहते है। जिसके द्वारा न केवल हमारा शारीरिक व्यायाम होता है, बल्कि हम मानसिक स्तर पर भी मजबूत बनाते है। ध्यान रखने वाली बात इसके यम – नियम को लेकर है। जिसका ध्यान आजकल बहुत ही काम लोग रखते है। जिसके कारण इसके दुष्परिणाम भी देखने को मिलते है। जबकि विधि – विधान से इनका प्रयोग किया जाय, तो इनका प्रभाव किसी औषधि से कम नहीं होता।
प्रौढो के लिए कब्ज का रामबाण इलाज
प्रौढ़ावस्था वह अवस्था होती है, जिसमे व्यक्ति अपनी आधी आयु व्यतीत कर चुका होता है। जिसमे होने वाली सभी विसंगतियों का पूरा प्रभाव, यहाँ देखने को मिलता है। जिसमे कब्ज की समस्या आदि है। क्योकि इस समय वह अध्ययन, जीविका और अन्यो कार्यो में यस्त होता है। जिसके कारण इन पर ध्यान आकृष्ट नही हो पाता। वही दूसरी ओर युवा अवस्था में शरीर बल अधिक होता है। जिसके कारण भी बहुत प्रभाव नहीं पड़ता।
युवावस्था में शरीर के अवयव अंग, उपांग आदि में दृढ़ता होती है। इसको अंगो के प्रसार की अवस्था भी कहा जाता है। जबकि प्रौढ़ावस्था में व्यक्ति का शरीर शिथिल पड़ने लगता है। जिसका कारण शरीरगत अंगो का शिथिल होना है। जिसके कारण पुरानी कब्ज प्रायः प्रौढो और वृद्धो में पायी जाती है। जिसके लिए पुरानी कब्ज का रामबाण इलाज की आवश्यकता होती है। आजकल पतंजलि आदि के द्वारा भी कब्ज के उपचार विधिया है। जिनको कब्ज की आयुर्वेदिक दवा पतंजलि द्वारा जाना जाता है।
गिलोय के फायदे की बात करे, तो कब्ज के समाधान मे भी इसका प्रयोग होता है। जिसको हम ayurvedic medicine for constipation कह सकते है। यह त्रिदोशघ्न होने के कारण वात, पित्त और कफ दोषो का वारण करती है। जिसके कारण इसको कब्ज का रामबाण इलाज भी कहते है। जब भी कब्ज की आयुर्वेदिक दवा की बात आती है। तब गिलोय का भी स्मरण होना चाहिए। जबकि इसके उपचार में yoga for constipation भी है।
वृद्धो के लिए कब्ज का रामबाण इलाज
वृद्धो में कब्ज की समस्या प्रायः देखी जाती है। जिसका कारण उनके पाचक अंगो में शिथिलता, दांत आदि का गिर जाने जैसे अनेको कारण है। जिसके निवारण के लिए गिलोय घनवटी आदि का प्रयोग होता है। जिसको कब्ज की आयुर्वेदिक गोली कहते है। जिसके लिए गिलोय घनवटी कब खाना चाहिए की आवश्यकता है। यह एक प्रकार की कब्ज की आयुर्वेदिक दवा भी है। जिसको ayurvedic medicine for constipation भी कहा जाता है।
आजकल ज्यादातर लोग कब्ज की एक्सरसाइज, व्यायामादि का प्रयोग भी करने लगे है। इसके साथ ही कब्ज के लिए योग, yoga for constipation का प्रयोग करते है। जबकि चिकित्सा में कब्ज के कारण को समझे बिना। उसका निवारण संभव नहीं। इसकारण ही constipation meaning in hindi को जानना भी जरूरी है। इनमे कब्ज के कारण पक्षाघात की समस्या देखने को मिलती है। जिसे लकवा के नाम से भी जाना जाता है। जो जीर्ण होने पर विप्लवकारी परिणाम प्रकट करता है।
आज के समय में शहरी जीवन भी वृद्धो के लिए काल है। जिसमे हर व्यक्ति किसी न किसी कारण रोग ग्रस्त हो ही जाता है। जिसका कारण आयुर्वेद के विरुद्ध आहार – विहार, दिनचर्या और जीवनचर्या है। इनके कारण ही रोग को आश्रय प्राप्त होता है। यह बदलाव अनेक वर्षो से धीरे – धीरे होने के कारण पता नहीं लगता। जिसके कारण इन गलतियों, विसंगतियों पर हमारा ध्यान भी नहीं जाता। जबकि सैद्धांतिक त्रुटि के कर्ता जाने अनजाने में हम स्वयं ही होते है। इन्ही कारणों से हम बीमारी का मुँह देखते है, और कोटी – कोटी उपाय के बाद भी इनसे छुटकारा नहीं पाते।
कब्ज के लिए योगासन (Yoga For Constipation in Hindi)
महर्षि पतंजलि ने योग का प्रतिपादन योगदर्शन में किया। जिसमे शरीर को स्वस्थ रखने की उपायों की चर्चा की। जिसमे इन्होने योग को आठ चरणों में विभाजित किया। जो क्रमशः यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि है। आजकल ज्यादातर लोग आसन और प्राणायाम को ही योग कहते है। जिसमे यम और नियम की कही कोई बात ही नहीं होती। बिना यम नियम के किये जाने वाले सभी योग न्यून फल देते है। परन्तु प्रकट या तीव्र फल देने के कारण आस्था और विश्वास बनाने में सफल होते है। जिसके कारण कब्ज का रामबाण इलाज में योग का नाम भी लिया जाता है।
यदि योग को विधिवत किया जाय, तो यह किसी औषधि से कम नहीं है। यह परिश्रम और व्यायाम दोनों का उत्कृष्ट रूप है। इसके लिए वज्रासन, पवनमुक्तासन, सवासन, मयूरासन, हलासन आदि है। जिनके माध्यम से कब्ज का उपचार किया जा सकता है। योग दर्शन में रोग को आगंतुक कहा गया है, जबकि स्वास्थ्य को अनागन्तुक माना गया है। जिसके आधार पर आगंतुक रोग का निवारण करने पर, पुनः स्वास्थ्य की प्राप्ति होना स्वाभाविक है। फिर चाहे इसके लिए कब्ज की आयुर्वेदिक दवा का प्रयोग करे, या योगादि का।
हमारे विचारो का स्वास्थ्य प्रभाव पड़ता है। जिससे बचने के लिए बेस्ट थॉट ऑफ द डे बहुत असरकारी है। ध्यान रखने वाली बात यह है कि – जहा आयुर्वेद ने औषधियों को महत्व दिया है, वही परिश्रम का प्रतिकार भी नहीं किया है। कहने का आशय परिश्रम भी स्वास्थ्य प्राप्ति का अभिन्न अंग है।
कब्ज की आयुर्वेदिक दवा (Ayurvedic Medicine For Constipation in Hindi)
आयुर्वेद की दृष्टि में ऐसी कोई समस्या नहीं निवारण न हो, अर्थात सभी समस्याओ का समाधान आयुर्वेद में है। आवश्यकता है तो इसे दर्शन, विज्ञान और व्यवहार सामंजस्य साधकर प्रतुत करने की। जब बात कब्ज की आयुर्वेदिक औषधि की आती है, तो इसमें स्नेहन, स्वेदन, विरेचन, निरूहनवस्ति और अनुवासनवस्ति आदि की बात बतायी गई है। जिसमे रोगी की परिस्थति आदि का विचार कर, प्रयोग की विभिन्न विधाओं पर भी प्रकाश डाला गया है। जो कब्ज का रामबाण इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका प्रस्तुत करती है। चिकित्सा में उपरोक्त सभी उपाय कब्ज की आयुर्वेदिक दवा है। जोकि आयुर्वेद को मान्य है, जिसमे उपयुक्त और प्रयुक्त सभी विधिया उपयोगी है।
जब कोई रोग अधिक समय तक उपचारित नहीं होता। या उसका पूर्ण निदान नहीं किया जाता, तो जीर्णता को प्राप्त करता है। जिससे उसकी संज्ञा जीर्ण रोगो में होने लगती है। जिसको लोग पुरानी कब्ज के नाम से भी जानते है। जिसकी आयुर्वेदिक दवा को लोग पुरानी कब्ज की आयुर्वेदिक दवा, कब्ज दूर करने की आयुर्वेदिक दवा कहते है। गैस कब्ज की आयुर्वेदिक दवा और कब्ज का आयुर्वेदिक दवा, दोनों के विषय में आगे चर्चा की गई है। जिसमे कब्ज की आयुर्वेदिक मेडिसिन और कब्ज की पतंजलि दवा, दोनों को ही समाहित किया गया है।
हिंदी में कब्ज के अर्थ को समझने को, constipation meaning in hindi कहते है। जिसमे ayurvedic medicine for constipation और yoga for constipation है। जिसको हम कब्ज का देसी नुस्खा, घरेलू उपचार आदि के नाम से भी जानते है। जिसका वर्णन कब्ज के घरेलू उपचार में किया गया है। गिलोय को भी इसकी अच्छी दवा बताई जाती है। जिसके कारण गिलोय सेवन विधि का ज्ञान होना चाहिए।
कब्ज की एलोपैथिक दवा
एलोपैथी भी एक प्रकार की चिकित्सा पद्धति है। जिसमे भी कब्ज का उपचार किया जाता है। जिसको लोग कब्ज की अंग्रेजी दवा के नाम से जानते है। यह टेबलेट और सिरप दोनों प्रकार से उपलब्ध है। टेबलेट को कब्ज की अंग्रेजी tablet कहते है। एलोपैथी में कब्ज की टेबलेट डुल्कोलैक्स का प्रयोग होता है। यह लैक्सेटिव होने के कारण आंतो की सफाई करने का काम करती है। जिससे आंतो में एकत्रित मल बाहर निकल जाता है। जिससे कब्ज की समस्या कुछ समय के लिए ठीक हो जाती है।
कब्ज की अंग्रेजी दवा syrup लक्सोक्लियर है। जो डुल्कोलैक्स की भाँती लैक्सेटिव है। जिसके कारण यह आंतो की गति को बढ़ाकर मल की सफाई करता है। जिससे आंतो की सफाई होती है। जिसको पेट साफ करने की अंग्रेजी सिरप भी कहा जाता है। इसके कारण इसको कब्ज का रामबाण इलाज में प्रयोग किया जाता है। आमतौर पर कब्ज की समस्या से निपटने के लिए योग का चलन है। जिसको yoga for constipation भी कहा जाता है।
कब्ज का घरेलू उपचार
कब्ज का घरेलू इलाज में अनेको दवाइया प्रयोग होती है। जिनसे सम्बंधित प्रश्नो के लिए, कब्ज की आयुर्वेदिक दवा बताएं या कब्ज की आयुर्वेदिक दवा बताओ, जैसे प्रश्न किये जाते है। यह सभी उपाय आयुर्वेदादी शास्त्रों में वर्णित है। जिसके कारण इनको कब्ज की आयुर्वेदिक दवा भी कहा जाता है। प्रायः कब्ज में गैस बनाने की समस्या होती है। जिससे पेट प्रभावित होता है। इसलिए इनको पेट गैस के लिए घरेलू उपाय के नाम से भी जाना जाता है। इन्ही विशेषताओ के कारण कब्ज का रामबाण इलाज में इनका प्रयोग किया जाता है।
इसके उपचार के लिए त्रिकटु चूर्ण आदि का प्रयोग किया जाता है। जिसमे सहिजन, पिप्पली, सोचा नमक आदि है। जिनके द्वारा कब्ज का उपचार किया जाता है। जबकि कब्ज के स्थाई इलाज के लिए तांबे के जल का प्रयोग किया जाता है। जिसके निर्माण की उपयुक्त विधा है। जिसका अनुशरण करने पर ही लाभकारी है। ग्रीष्म ऋतु में ताम्बे का पानी पीना औषधि है। ऐसा माना जाता है। इनके साथ ही कुछ प्रसिद्द उपायों को यहाँ बताया गया है।
कब्ज का रामबाण इलाज में गोघृत का प्रयोग
आयुर्वेद के अनुसार घृत को सर्वश्रेष्ठ स्नेहक कहा गया है। और कब्ज स्नेहकता के अभाव में होने वाला रोग है। जिसका नियमित सेवन करने से पुरानी से पुरानी कब्ज भी ठीक हो जाती है। जिसके कारण इसको पुरानी से पुरानी कब्ज की दवा माना गया है। जब कब्ज जीर्ण अवस्था में आ जाती है, तब औषध योगो के साथ इसका व्यवहार होता है।
कब्ज का रामबाण इलाज में सौंठ का प्रयोग
कफ दोष के कारण कब्ज से सम्बंधित समस्या के निदान में सोंठ सर्वोत्तम है। गैस और कब्ज की दवा में सोंठ स्वभाव से उपयोगी है। जिसके कारण इसको ayurvedic medicine for constipation भी कहते है। यह स्वभाव से ही उष्ण होती है।
कब्ज का रामबाण इलाज में पीपर का प्रयोग
पीपर स्वभाव से उष्ण होती है। जिसके कारण कफजनित कब्ज के निवारण में इसका प्रयोग होता है। इस कारण कब्ज का उपचार करने से पूर्व constipation meaning in hindi में समझने की आवश्यकता है। जबकि कब्ज के निदान के लिए पतंजलि की अनेको दवाइया है। जिसे कब्ज की पतंजलि दवा के नाम से जाना जाता है।
कब्ज का रामबाण इलाज में अलसी, तिल और अरंडी तेल का प्रयोग
किसी भी प्रकार के कब्ज में आंतो की शिथिलता पायी जाती है। जिसका कारण उनमे एकत्रित होने वाली गंदगी है। जिसको आयुर्वेद में मल कहा जाता है। इनके कारण ही कब्ज की दवा में विभिन्न तेलों का प्रयोग होता है। जिनका मुख्य कार्य विरेचन और स्नेहन करना है। अलग – अलग तेलों के उपयोग की अपनी विधा है। जिनके अनुसार प्रयोग करने पर ही इनकी उपयोगिता सिद्ध होती है। उपरोक्त दोनों गुणों को धारण करने के कारण ही, इनको कब्ज की आयुर्वेदिक दवा कहा जाता है।
कब्ज का रामबाण इलाज में त्रिफला चूर्ण का प्रयोग
आयुर्वेद में प्रायः सभी प्रकार के रोगो के विरेचन में, त्रिफला का उपयोग होता है। जिसका कारण त्रिफला का अपना स्वाभाविक गुण है। इन्ही विशेषताओं के कारण इसका उपयोग कब्ज को दूर करने के लिए भी किया जाता है। जिसके कारण इसको best ayurvedic medicine for constipation भी कहते है। जब गैसादि के कारण समस्या अधिक बढ़ जाती है। तब कब्ज से तत्काल राहत पाने के लिए लोग उपाय ढूढ़ते है। जिसमे से त्रिफला भी एक उपाय है। जिसका प्रयोग 10 ग्राम की मात्रा में गर्म दूध या पानी से किया जाता है।
कब्ज की होम्योपैथिक दवा
होम्योपैथी चिकित्सा में कब्ज को जड़ से इलाज किया जाता है। ठीक उसी प्रकार जैसे अन्य चिकित्सा पद्धतियों में किया जाता है। जिसमे रोगी से प्राप्त लक्षणों के आधार पर चिकित्सा विधान है। जिसमे प्रमुखता से रोग ग्रस्त रोगी से प्राप्त लक्षणों, और चयनित औषधिगत स्वाभाविक लक्षणों का मिलान किया जाता है। जिससे रोगी के रोग का नाश होता है। यहाँ भी रोगी के सामर्थ्य की परीक्षा की जाती है। जिससे सही औषधि के साथ सही मात्रा का निर्धारण हो सके। इन्ही कारणों को ध्यान में रखकर अनेको लक्षणों की प्रबलता का ध्यान रखते हुए औषधि दी जाती है।
गैस एसिडिटी कब्ज उपचार करते समय भी, उपरोक्त नियम का पालन होता है। जिसमे गैस से चक्कर आना आदि सभी के लिए, एक ही दवा का चयन होता है। जिसके लिए उसके कारणों पर विचार किया जाता है। उसके उपरान्त ही कब्ज का रामबाण इलाज की, होम्योपैथिक प्रक्रिया का प्रारम्भ होता है। जिसमे constipation meaning in hindi को भी समझा जाता है।
जिस प्रकार आयुर्वेद में कब्ज की आयुर्वेदिक दवा, ayurvedic medicine for constipation होती है। उसी प्रकार होम्योपैथी में भी कब्ज की होम्योपैथिक दवा होती है। जिसमे लाइकोपोडियम, चाइना, कार्बो वेज, पल्साटिला, कैल्केरिया कार्ब, सल्फर आदि है। जिनका प्रयोग लक्षणों के आधार पर ही किया जाता है। सामान्यतया पेट के ऊपरी हिस्से में गैस बनने पर कार्बो बेज, निचले हिस्से में गैस बनने पर लाइकोपोडियम, और पूरे पेट में गैस बनने पर चाइना का प्रयोग होता है। गरिष्ट भोजन करने से होने वाली कब्जियत के लिए पल्साटिला का प्रयोग होता है।
कब्ज से सम्बंधित प्रश्न ( FAQ Related To Constipation )
लैट्रिन न होने पर क्या करें?
जब कब्ज की समस्या अधिक हो जाती है, तब पेट में वायु के जमाव से मल का वेग शांत हो जाता है। जिसको कब्ज की जीर्णता कहते है। जिसके लिए योग्य और कुशल विशेषज्ञ से सलाह लेना चाहिए। इस स्थिति में अविलम्ब चिकित्सा करानी चाहिए।
कब्ज तुरंत निकालने के लिए कैसे उपाय करें?
इसके लिए गुनगुने पानी के साथ हींग का प्रयोग करने से शीघ्र लाभ होता है।
तुरंत पेट साफ कैसे करें?
पेट साफ़ करने के लिए त्रिफला चूर्ण को गर्म पानी या दूध के साथ लेना चाहिए।
कब्ज का परमानेंट इलाज क्या है?
आयुर्वेद में कब्ज के स्थाई उपचार के रूप में उपयुक्त आहार विहार की बात बतायी गई है।
47 thoughts on “कब्ज ( कॉन्स्टिपेशन ) : Home Remedies For Constipation in Hindi”