खांसी का इलाज घरेलू : Home Remedies For Cough in Hindi

आयुर्वेदानुसार कास रोग को कायिक रोगो में स्थान प्राप्त है। जिसको खांसी ( khansi ) भी कहा जाता है। जिसके उपचार हेतु खांसी का इलाज घरेलू अत्यंत प्रभावी है। जिसको खांसी का घरेलू उपचार भी कहते है। जिसमे खांसी की आयुर्वेदिक दवा आदि काभी प्रयोग होता है। आयुर्वेद में जितने भी खांसी के घरेलू उपाय है। सब के सब आयुर्वेदीय उपाय है। जिनका वर्णन विभिन्न आयुर्वेद संहिताओं में किया गया है। इसके कारण इनको खांसी का रामबाण इलाज भी कहा जाता है। कभी – कभी फैटी लीवर होने पर भी खांसी आती है।

खांसी का इलाज घरेलू
खांसी आना

आमतौर पर जब ऋतु में परिवर्तन होता है, तब खांसी की समस्या होती है। जिसका कारण शरीरगत दोषो का आनुपातिक असंतुलन है। जिनको वात, पित्त और कफ के नाम से जाना जाता है। जिनके सम होने को आयुर्वेदमें स्वस्थ होना कहा जाता है। जबकि इनकी विषमता को अस्वास्थ्यता के रूपमें देखा जाता है। जो सभी रोगो में सामान्य रूप से पाया जाता है। इसकी चिकित्सा को खांसी का इलाज कहा जाता है। जिनके लिए आयुर्वेदिक औषधि, सिरप आदि का प्रयोग होता है। जिसमे से कुछ सिरप ऐसी होती है। जो लगभग सभी पर प्रभाव कारक होती है। जिन्हे खांसी की बेस्ट सिरप कहते है।

प्रायः खांसी की प्राम्भिक अवस्था में बलगम निकलता है, और जीर्ण हो जाने पर बलगम सूख जाता है। जिसे सूखी खांसी, काली खांसी, हूपिंग कफ आदि के नाम से जाना जाता है। जिसके उपचारार्थ सूखी खांसी की दवा सिरप, काली खांसी की दवा का उपयोग होता है। जिसको पुरानी से पुरानी खांसी की दवा भी कहते है। सही समय पर खांसी का उपचार न होने से असाध्य रोग होने की संभावना होती है। जिसमे क्षय रोग आदि को स्थान प्राप्त है। इसकारण खांसी के घरेलू उपाय का आलंबन लेकर, हम कष्ट साध्य होने से बच सकते है।

Table of Contents

खांसी क्या है ( what is cough in hindi)

यह एक प्रकार का कायिक रोग है। जो विशेषकर गले से सम्बंधित है। जिसके अवरुद्ध होने पर खांसी जैसी समस्या होती है। मानव शरीर रचना के अनुसार विचार करने पर, नाक और मुँह का सीधा सम्बन्ध गले से होता है। जिसके कारण खांसी को तीनो से सम्बद्ध माना गया है। जिसमे मुख, नाक और गले को कास रोगसे प्रभावित माना गया है। जिसका प्रभाव व्यवहारिक धरातल पर भी देखने को प्राप्त होता है। जो खांसी होने पर देखा भी जाता है। जिससे सम्बंधित अनेक प्रश्न पूछे जाते है। जैसे खांसी क्या होता है आदि।

जिसके उपचार के अलग अलग माध्यम है। जिनमे घरेलू, देशी, आयुर्वेदिक, अंग्रेजी आदि है। जिनको खांसी का रामबाण इलाज भी कहा जाता है। जिससे सम्बंधित अनेक शंकाए है। जैसे – खांसी की दवा क्या है, खांसी का इलाज क्या है देसी, खांसी का घरेलू उपाय क्या है, खांसी की आयुर्वेदिक दवा क्या है, खांसी जुकाम की दवाई क्या है ? ठीक उसी प्रकार जैसे कब्ज का रामबाण इलाज किया जाता है।

सामन्यतया व्यक्ति को जब खांसी होती है, तो अनेको रूपों में देखने को मिलती है। जिसमे केवल खांसी, सर्दी खांसी एवं सर्दी खांसी जुकाम है। जिसका मूल कारण दोष प्रधान देहगत प्रकृति है। जिसको आयुर्वेद में वात प्रधान, पित्त प्रधान, कफ प्रधान इत्यादि बताया गया है।  तीनो रूपों में देखने को मिलती है। जो ऋतु परिवर्तन आदि कारणों से विक्षोभित होती है। जिससे दोष प्रधान देह में असंतुलन स्थापित हो जाता है। जिसके परिणाम स्वरूप हमें रोग की प्राप्ति होती है। यह आंतरिक कारण है। जबकि वाहय कारणों में धुल, धुए आदि के द्वारा गले की अवरुद्धता है।

खांसी का कारण क्या है ( Cause Of Cough )

चरक ने अपने चिकित्सा अध्याय 18.8 में ” कसनात कासः “, ” कासते अनेन इति कासः ”  इत्यादि शब्दों से खांसी की निरुक्ति की है। जिसके कारणों में शरीर के अवयव अनपेक्षित विजातीय द्रव्यों को बाहर निकालने के लिए सचेत रहते है। इसलिए हमारी श्वासप्रणाली में बाहर से आकर घुसे हुए धुल, धुँआ आदि को बाहर निकालने के लिए जो धक्का सा लगता है, उसे ही खांसी या कास कहते है। अर्थात चरक ने भी खांसी होने का कारण गले को ही स्वीकारा है।

कास होने का कारण
फेफड़ो में कफाच्छादन होना

मधुकोशकार ने खांसी होने के तीन कारण माने है। जिसमे पहला मुख, नाक और गले में धुँआ लगने से एवं मुख, नाक तथा गले के छिद्रो से धुल के प्रवेश होने से, व्यायाम से, रूखे ( स्निग्धता रहित ) अन्न ( भोजनाहार ) के निरंतर सेवन से। दूसरा श्वसननलिका आदि विपरीत मार्ग में, भोज्य पदार्थो के चले जाने से। तीसरा छींक आदि वेगो को रोकने से कास रोग होता है। जिसमे प्राणवायु उदानवायु से मिलकर दूषित होकर फूटे हुए, कांसे के पात्र को बजाने जैसा शब्द होता है। उसी प्रकार का शब्द जब कफ आदि, दोषो से युक्त होकर मुख से निकलता है। उसे ही खांसी या कास रोग कहते है।

मुख के अंदर गले की संरचना
मुँह के अंदर का भाग

आयुर्वेदोक्त कफ रोग के जनन कारको पर विचार करे, तो अन्न और जल की विकृति से कफ रोग होता है। धूल, भोजन अदि सब के सब कफ उत्पादक है। दूसरी ओर खांसी में निकलने वाला बलगम भी गाढ़ा, और चिपचिपा होता है। जिससे गला साफ़ नहीं होता। जो खांसी होने के कारण में प्रधान कारण है। इसलिए बार बार खांसी होने का कारण भी, गले का साफ़ न होना है। जिसके लिए आयुर्वेदादी शास्त्रों में अनेक उपायों का वर्णन किया है। जिसे खांसी के घरेलू उपाय कहा जाता है। तिल्ली बढ़ने पर भी खांसी हो सकती है।

खांसी के प्रकार ( types of cough in hindi)

आयुर्वेद में खांसी के पांच प्रकार बताये गए है। जिनमे वातज, पित्तज, कफज, क्षतज और क्षयज आते है। इनकी समय पर चिकित्सा न करने पर उत्तरोत्तर बलवान होते है। अर्थात वातज कास से पित्तज कास, पित्तज कास से कफज कास, कफज कास से क्षतज कास और क्षतज कास से क्षयज कास, में परवर्तित हो जाते है। जिससे शरीर का नास ( अर्थात रुग्णता ) होता है। सभी कासो में कुछ लक्षण ऐसे है, जो सामान है। कुछ ऐसे है जो असमान है। जिनसे इनमे भेद किया जाता है। जिसकी अलग अलग चिकित्सा पद्धतियों अपनी चिकित्सीय विधा है।

जिस प्रकार ” संताप लक्षण ” को प्रमुख माना जाय, तो बुखार एक ही प्रकार का सिद्ध होता है। जिसको उपचारित करने के लिए बुखार की सबसे अच्छी दवा का प्रयोग होता है। उसीप्रकार ” कसनं कासः ” की दृष्टि से कास भी एक ही प्रकारक होता है। परन्तु लक्षण भेद से, खांसी की आवाज या ध्वनि से, इसके पांच प्रकारो की प्राप्ति होती है। जिसके उपचार के लिए खांसी की आयुर्वेदिक दवा का प्रयोग होता है। जिसको खांसी का इलाज घरेलू, खांसी का घरेलू उपचार कहाजाताहै।

जबकि वृद्धावस्था में एक खांसी होती है। जिसे जराकास के नाम से जाना जाता है। जिसकाअंतर्भाव भी उपरोक्त पांचो प्रकारो में कर लिया जाता है। जिससे खांसी के विभिन्न प्रकार भी कहते है। 

खांसी के आरम्भिक/ शुरुआती लक्षण

खांसी के प्रकार और लक्षण
खांसी के प्रारम्भिक लक्षण

जब कोई भी रोग शरीर को प्रभावित करता है, तो प्रतिक्रया के रूपमें हमारा शरीर लक्षण प्रकट करता है। जो प्रतिरोधक शक्ति के द्वारा उत्पन्न होती है। जिसके कारण हमें किसी भी रोगके होनेका पूर्वाभाष होता है। जिन्हे हम रोगका प्रारम्भिक या आरम्भिक लक्षण कहते है। जिसका उपचार हम घरेलू उपायों का आलंबन लेकर आसानीसे कर सकते है। जिनको खांसी का घरेलू उपचारभी कहा जाता है। प्रायः सभी खांसियों के प्रारम्भ में गले में, काँटा चुभने जैसा अनुभव होता है। मुँह और गले आपसमें जुड़े होते है। जिसके कारण कुछ लोग मुँहमें भी काँटा गड़ने जैसी बात करते है। इसका अनुभव ठीक उसी प्रकार होता है। जैसे – जौ, धान आदि की बालियों की चुभन का होता है।

गले में खुजली सी प्रतीत होती है। जिसको लोग गले का सहलाना भी कहते है। गले और तालूमें कुछ लीपा हुआ महसूस होता है। इसीको लोग खुर – खुराहट या सुर – सुराहट कहते है। आजकल इसको एक और नामसे जाना जाता है। जिसे खिच – खिच कहा जाता है। जिससे स्वर भेद हो जाता है। जिसको आवाज का फटना भी कहा जाता है। कभी कभी आवाज भी चली जाती है। जिसके लिए खांसी की आयुर्वेदिक दवा की आवश्यकता पड़ती है। आयुर्वेदमें कुछ दवाई ऐसी है, जो पुरानी से पुरानी खांसी की दवा कहलाती है।

भोजन, खाद्य पदार्थो को निगलने में कठिनाई होती है।  जिसको गले में दर्द होना कहते है। अग्नि मंदता के कारण भोजनसे अरुचि हो जाती है। जिससे शरीर में थकान, आलस्य और शक्तिहीनता का अनुभव होता है। जिससे पीछा छुड़ाने के लिए खांसी का इलाज घरेलू सर्वोत्तम है। कोई भी रोग जितना जल्दी उपचारित होगा, उतना अधिक शीघ्रतासे उसका शमन होगा। जिसमे घरेलू उपायों को महारथ हासिल है। जिनको खांसी के लिए खांसी के घरेलू उपाय कहते है। इनको ही कुछ लोग खांसी का रामबाण इलाज भी कहते है।

खांसी के लक्षण ( Symptoms Of Cough in Hindi)

इस रोग के लक्षणों की बात की जाय, तो दोष प्रधानता के कारण लक्षण में भेद परिलक्षित है। जैसे एलर्जी खांसी के लक्षण, काली खांसी के लक्षण, सर्दी खांसी के लक्षण, कुकर खांसी के लक्षण, कुकुर खांसी के लक्षण, सूखी खांसी के लक्षण इन हिंदी, कोरोना खांसी के लक्षण अलग अलग है। जिसका उपचार करने के लिए, खांसी का इलाज घरेलू की आवश्यकता होती है। जबकि खांसी को उपचारित करने के लिए सिरप का भी प्रयोग होता है। जिसको खांसी की दवा सिरप कहा जाता है। जबकि यहा पर खांसी के कुछ लक्षण इस प्रकार है –

  • छाती में दर्द होना
  • पेट और फेफड़े की पसलियों में दर्द होना
  • मुँह सूखना
  • गला बैठना
  • सीने में जलन होना
  • खांसने पर मुँह से कफ निकलना
  • बुखार होना
  • मुँह से पीले, सफ़ेद या हरे रंग का कफ निकलना
  • शरीर का रूखा या पीला हो जाना
  • पूरे शरीर में दर्द होना
  • भूख न लगना
  • खांसने पर गाढ़ा कफ निकलना
  • खुजली होना आदि।
  • सूखी खांसी के लक्षण और उपायकाली खांसी के लक्षण और उपचार

खांसी की आयुर्वेदिक दवा ( Ayurvedic Medicine For Cough )

उपरोक्त लक्षणों पर खांसी की चिकित्सा आधारित है। जिसके लिए लोग खांसी की आयुर्वेदिक दवा बताइए, खांसी की आयुर्वेदिक दवा बताएं, खांसी की आयुर्वेदिक दवा कौन सी है, खांसी की आयुर्वेदिक दवा बताओ जैसे प्रश्न करते है। जिनका उद्देश्य दवा या औषधि के माध्यम से, खांसी का उपचार करना है। जिसको खांसी का देसी इलाज, या खांसी का रामबाण इलाज कहा जाता है। जिसके लिए आयुर्वेद में अनेको औषधिया बतायी गई है। जिसे खांसी की आयुर्वेदिक दवाइयां कहा जाता है। इनको ही कुछ लोग खांसी की आयुर्वेदिक दवा जड़ी बूटी, का नाम भी देते है।

खांसी की दवा
खांसी का उपचार

जबकी खाँसीका उपचार घरेलू उपायों द्वारा भी किया जाता है। जिन्हे खांसी की आयुर्वेदिक दवा घरेलू उपाय कहा जाता है। जब एलर्जी से खांसी होती है, तो उसको ठीक करने के लिए, एलर्जी खांसी की आयुर्वेदिक दवा की आवश्यकता होती है। जो उपरोक्त प्रकारो में ही समाहित है। जिसके लिए लोग खांसी की दवा बताओ की बात भी करते है। दवोपचार पद्धति में खांसी के लिए टेबलेट का प्रयोग होता है। जिसमे खांसी की टेबलेट नाम जैसे – डिक्सोमाथार्फ़न, फोल्कोडाइन, ग्वाइफेनसन आदि का प्रयोग होता है।

आयुर्वेद में कास चिकित्सा के लिए घृत, चूर्ण, लेह आदि का प्रयोग किया जाता है। जिसका निर्माण अनेको प्रकार की जड़ी बूटियों के समिश्रण से किया जाता है। जिसमे गिलोय, भटकैया, गाय का घी, पिप्पली, सोंठ, धनिया, ग्वार पाता, मुलेठी, जवाखार, हींग आदि है। जिसको मिलाने की विधि संहिता का उल्लेख आयुर्वेद में है। इनके साथ ही इनकी मात्रा के निर्धारण की बात भी यहाँ रखी गई है। जिससे रोगी को शीघ्र ही स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। जिसमे गिलोय का सेवन करने के लिए गिलोय सेवन विधि, की बात भी स्वीकार की गई है।

खांसी की होम्योपैथिक दवा ( Homeopathic Medicine For Cough )

होम्योपैथी के द्वारा भी खांसी का रामबाण इलाज होता है। जिसमे रोगी से प्राप्त होने वाले लक्षणों के आधार पर, खांसी का होम्योपैथिक दवा का चयन करने का सिद्धांत है। ठीक इसीप्रकार खांसी की आयुर्वेदिक दवा का चुनाव भी आयुर्वेदोक्त संगत है। ड्रोसेरा को खांसी की सबसे अच्छी दवा माना जाता है। जबकि खांसी की होम्योपैथी दवा की बात करे, तो इसके लिए स्पोंजिया, रुयूम, सेनेगा, एकोनाइट और हीपर सल्फ आदि का प्रयोग किया जाता है। इनको ही खांसी की होम्योपैथिक दवाइयां भी कहा गया है। इन्ही खांसी की दवा होम्योपैथिक का प्रयोग वर्षो से हो रहा है। 

काली खांसी की होम्योपैथिक दवा मे ड्रोसेरा आदि, सूखी खांसी की होम्योपैथिक दवा हीपर आदि, सर्दी जुकाम खांसी की होम्योपैथिक दवा में एकोनाइट आदि, और सर्दी खांसी की होम्योपैथिक दवा में इपिकाक आदि उपयुक्त है। जबकि लक्षण के अनुसार खांसी की दवा होम्योपैथिक में अन्य दवाओं का भी प्रयोग होता है। इन दवाओं को लेकर अनेकप्रश्नहै। जैसे लक्षणानुकूल दवा का चायनादि। इन्ही दवाओं को काली खांसी की होम्योपैथिक दवा, भी कहा जाता है। जिनका मूल रोगी द्वारा प्राप्त होने लक्षण है। होम्योपैथी में भी खांसी के लिए सिरप है। जैसे – व्हीजल कफ सिरप आदि।

जिसको लोग खांसी की होम्योपैथिक दवा बताओ के द्वारा प्रकट करते है। जबकि आयुर्वेद में खांसी के घरेलू उपाय, खांसी का इलाज घरेलू की व्यवस्था की गई है। जिसको खांसी का घरेलू उपचार के नाम से जाना जाता है। यह उसी प्रकार है। जैसे – बुखार में गिलोय के फायदे का उपयोग किया जाता है।

खांसी का इलाज घरेलू ( Home Remedies For Cough )

जब भी घरेलू उपचार की बात आती है, तो इसको ऐसा उपचार समझा जाता है। जो आयुर्वेद की सीमा के बाहर है। जबकि वास्तव में सभी नुस्खे, देसी इलाज, देसी तरीके, सब के सब आयुर्वेदीय उपचार है। जिनका विधिवत उल्लेख आयुर्वेदादी शास्त्रों में किया गया है। जब खांसी का इलाज घरेलू, खांसी का घरेलू उपचार, खांसी के घरेलू उपाय आदि की बात होती है। तो यह सभी प्रामाणिक उपाय है। जिसका उपयोग और प्रयोग हमारे आचार्योने सफलता पूर्वक किया है। सैद्धानितक अभिन्नता के कारण इनके परिणामो में, आज भी किसी प्रकारके त्रुटि होने की संभावना नहीं है।

आज आवश्यकता इस बात की है कि – प्रामाणिक आचार्यो में सामजस्य के बल पर ऐकमत्य स्थापित करने की। उदहारण के लिए खांसी की आयुर्वेदिक दवा, को ले तो सभी ने सैद्धांतिक पक्ष का समादर किया है। जबकि देश, काल आदि की दृष्टि से उपचार में कुछ भेद है। जिसका होना स्वाभाविक है। इनके कारण ही लोगो के मन में अनेको प्रकार के भ्रम है। जिसके निराकरण के लिए अनेको बाते सामने आती है। जैसे – खांसी का घरेलू उपचार बताएं, खांसी का घरेलू उपचार बताइए, सर्दी जुकाम और खांसी की दवा बताइए, खांसी का घरेलू उपचार कैसे करें आदि है। जिनके उपचार को खांसी का रामबाण इलाज कहा जाता है।

आयुर्वेद में कुछ ऐसी औषधिया है, जो खांसी में रामबाण है। जैसे – मरिच ( काली मिर्च ), पिप्पली, सोंठ आदि है। जिनके समिश्रण से विभिन्न प्रकार की खांसी उपचार होता है। जिन्हे खांसी का घरेलू उपचार दवा, पुरानी खांसी का घरेलू उपचार, सूखा खांसी का घरेलू उपचार, खांसी का घरेलू इलाज, खांसी के घरेलू उपाय हिंदी, खांसी के घरेलू उपाय आदि नामो से जाना जाता है।

बच्चों की खांसी का इलाज घरेलू ( Home Remedies For Child Cough )

बच्चों की खांसी का घरेलू उपचार
बच्चों की खांसी का उपचार

प्रायः बच्चे अमनस्क और चंचल होते है। जिसके कारण किसी भी वस्तु को खा लेते है, कुछ भी खेल खेलने लगते है। जिससे उनके शरीरगत दोषो में विषमता आ जाती है। जिसके कारण इन्हे सर्दी, जुकाम और खांसी जैसी समस्याए होती है। बच्चो में होने वाली ज्यादातर समस्याए साध्य होती है। यदि सही समय पर उनका उपचार किया जाय तो, बहुत ही काम समय में वह स्वस्थ हो जाते है। जिसके लिए बच्चों की खांसी का तुरंत इलाज आवश्यक है। इसके लिए खांसी का रामबाण इलाज के साथ – साथ, खांसी की आयुर्वेदिक दवा, बच्चों की खांसी के लिए घरेलू नुस्खे, और बच्चों की खांसी के घरेलू उपाय बताये गए है।

बच्चों की खांसी के उपाय में अनेक विधिया है। जिनको बच्चों की खांसी के लिए घरेलू उपचार, बच्चों की खांसी का देसी इलाज, बच्चों की खांसी के घरेलू नुस्खे, बच्चों की खांसी का घरेलू इलाज कहा जाता है। जिसको खांसी के घरेलू उपाय कहा जाता है। बच्चो के लिए खांसी की दवा के रूप में, शहद, पुराना गुड़, काली मिर्च, पिप्पली आदि का प्रयोग होता है। जिनको बच्चों की खांसी का इलाज कहते है। इनके विशेष योगो को आगे विस्तार से बताया गया है। गिलोय घनवटी का प्रयोग भी सर्दी, जुकाम के लिए किया जाता है। जिसके लिए गिलोय घनवटी कब खाना चाहिए, को जानने की आवश्यकता है।

वयस्कों की खांसी का इलाज घरेलू ( Cough remedies for adult )

जिस प्रकार बच्चे खांसी आदि से प्रभावित होते है। उसी प्रकार युवा, वृद्ध आदि को भी होती है। जिसको उपचारित करने के लिए खांसी की दवा आयुर्वेदिक, का उपयोग किया जाता है। जिनको खांसी की दवा घरेलू उपाय, खांसी के घरेलू उपाय, खांसी का घरेलू उपचार, पतंजलि खांसी की दवा, बड़ो की खांसी की दवा, खांसी की दवा घरेलू इत्यादि के नाम से जाना जाता है। इन्ही को खांसी की दवा का नाम हिंदी, और खांसी की दवा english भी कहते है।

आगे खांसी की आयुर्वेदिक दवा बतायी गई है। जिसको खांसी का इलाज घरेलू के नाम सेभी जानते है। इन्ही उपायों के द्वारा खांसी का रामबाण इलाज होता है। जिसमे अनेको प्रकार के चूर्ण, लेह, सिरप आदि को सम्मिलित किया जाता है। जिनके आधार पर ही खांसी का उपचार किया जाता है। ठीक उसी प्रकार जैसे कब्ज का उपचार, कब्ज की रामबाण दवा के द्वारा होता है। सभी प्रकार के रोगो में दिनचर्या का योगदान होता है। जिसके लिए आधुनिक जीवन की स्वस्थ्य दिनचर्या जानना चाहिए।

बलगम खांसी क्या है ( What Is Wet Cough )

प्रायः खांसी होने पर जब व्यक्ति खासता है, तो खांसने के दौरान या उपरांत गाढ़ा द्रव्य निकलता है। जिसे कफ या बलगम कहा जाता है। जो पतला और गाढ़ा दोनों हो सकता है। जिसके रंगकी बात करे तो यह सफ़ेद, पीला या हरे रंगका हो सकता है। पित्त की प्रधानता से होने वाली खांसी में, पीले या हरा रंगका कफ निकलता है। जबकि कफकी प्रधानतासे होने वाली खांसी में, सफ़ेद रंग का कफ निकलता है। जिसके आधारपर बलगम वाली खांसी पित्त और कफ वाली होती है। जबकि क्षतज और क्षयज कासमें भी कफ निकलता है। लेकिन उतना नहीं जितना की इन दोनों में निकलता है।

इसकी दवा को कफ वाली खांसी की दवा कहते है। जिसके लिए आज अनेको प्रकारकी सिरप उपलब्ध है। बलगम वाली खांसी के लिए सिरप की बात करे तो, इसमें आयुर्वेदिक और एलोपैथिक दोनों प्रकार की है। आयुर्वेदिक बलगम वाली खांसी के लिए सिरप नाम में, कासामृत आदि को लिया जा सकता है। जबकि एलोपैथिक में टोरेक्स आदिहै। जो सूखी खांसी की बेस्ट सिरप भी कहलाती है। सूखी खांसी की दवा सिरप भी इनको कहा जाता है। बलगम वाली खांसी के लिए सिरप प्राइस की बात करे, तो 150 से 200 रुपये है।  जिनको कफ सिरप खांसी के नाम से भीजाना जाता है। जिससे खांसी का रामबाण इलाज किया जाता है।

बलगम वाली खांसी की अंग्रेजी दवा में गुआइफेनसिन,  टरबूटालाइन , ब्रोमहेक्सिन का प्रयोग किया जाता है। इनको ही सूखी खांसी की अंग्रेजी दवा, बच्चों की खांसी की अंग्रेजी दवा कहा जाता है। और काली खांसी की अंग्रेजी दवा भी कहा जाता है। इनको मिलाकर ही सूखी खांसी के लिए सिरप बनायी जाती है। जबकि बलगम वाली खांसी के लिए टेबलेट, एस्कोरिल प्लस का प्रयोग किया जाता है। इनके द्वारा भी सुखी खांसी का इलाज होता है। इसकी विकराल अवस्था को काली खांसी कहा जाता है। 

बलगम वाली खांसी का इलाज घरेलू ( Wet Cough Home Remedies )

पीले कफ वाले बलगम वाली खांसी के लिए घरेलू उपाय, में अनेको उपाय है। जिनमे से कुछ खांसी के घरेलू उपाय को यहाँ रखा गया है।

  • पिप्पली, आवला, मुनक्का, कच्चीलाख, धान का लावा, मिश्री। इन सभी को दूध में गाढ़ा पकाकर उतार ले। ठंडा हो जाने पर आठवाँ भाग शहद मिलाकर रोगी को चटाई। यह पित्तज खास में शीघ्र लाभ करता है। 
  • 50 मुनक्का, 30 पिप्पली, 4 तोला चीनी। इन तीनो को पीसकर मधुमिलाकर चाटना चाहिए। ऐसा करने के बाद केवल गोदुग्ध का सेवन करे, भोजन आदि न करे। या गोमय रस निकालकर मधु के साथ चाटे।
  • चीनी, सफ़ेद चन्दन, मुनक्का, मधु, आँवला, और नील कमल। इन सभी को मिलाकर लेह बनाये। खूब गाढ़ा जैसे बनाने को ही आयुर्वेद में लेह कहा जाता है। 

कफ से होने वाली बलगम वाली खांसी के घरेलू उपाय इस प्रकार है –

  • चीनी, सफ़ेद चन्दन, मुनक्का, मधु, आँवला, नील कमल, नागरमोथा और कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर लेह बनाये। इस लेह में घी मिलाकर रोगी को पिलाये। 
  • सोचर नमक, हरड़, आँवला, पिप्पली, जवाखार, सोंठ। इन सभी को कपड़छन चूर्ण बना कर समभाग लेकर मिला ले। इसे घी में मिलाकर चाटे या पिए। 
  • 10 ग्राम पिप्पलियो की चटनी बना ले। जिसको तिल के तेल में भूनने के बाद 10 ग्राम मिश्री मिला ले। जिसको कुल्थी या मधु मिलाकर सेवन करे। 

सभी प्रकार की बलगम वाली खांसी में, इन नुस्खों का प्रयोग निर्भीकता पूर्वक किया जाता है। इनका प्रयोग बलगम वाली खांसी कोरोना वायरस में, भी आसानी किया जा सकता है। आयुर्वेद में इनको ही खांसी की आयुर्वेदिक दवा बताया गया है। जिनको खांसी का इलाज घरेलू भी कहा जा सकता है।

सूखी खांसी का इलाज घरेलू ( Dry Cough Home Remedies )

किसी भी रोगका उपचार उस रोग से, प्राप्त होने वाले लक्षणों के आधार पर होता है। इसी प्रकार सूखी खांसी का उपचार भी, सूखी खांसी के लक्षण के आधार परही किया जाता है। जिसके कुछ लक्षण की चर्चा ऊपर की जा चुकी है। इसके साथ ही इसके लक्षणों में, विशेषता यह पायी जाती है कि – इसमें खांसी तो बहुत होती है। परन्तु किसी प्रकार के बलगम, कफ या किसी प्रकार का कोई गाढ़ा द्रव्य नहीं प्राप्त होता। अर्थात खासते समय मुँह से बाहर नहीं निकलता। जिसके आधार पर ही इसको सूखी खांसी कहा जाता है। इसमें सूखी खांसी और सांस फूलना प्रायः देखा जाता है।

जिसको ठीक करने के लिए सूखी खांसी की दवा, उपयोग मे लाई जाती है। जिनको सूखी खांसी के लिए घरेलू उपाय, सूखी खांसी का बढ़ियां घरेलू उपचार, सूखी खांसी की देसी दवा आदि नामोसे जाना जाता है। जबकि सूखी खांसी की दवा पतंजलि सिरप, का उपयोग भी इसके इलाज मे किया जाता है। जबकि आयुर्वेद में खांसी का घरेलू उपचार को, खांसी की आयुर्वेदिक दवा कहा जाता है। जिसमे अनेको प्रकार की औषधियों का उपयोग होता है। इसके कुछ योग इस प्रकार है –

  • सेंधा नमक, पिप्पली, भारंगी, अदरक, दुर्लभा। इन सब को सम भाग लेकर चूर्ण बनाकर रख ले। 10 से 15 ग्राम की मात्रा में अनार रस के साथ सेवन करे। अथवा भारंगी और सोंठ को समान मात्रा के चूर्ण का सेवन गुनगुने जल से करे।
  • कंटकारी, पिप्पली, नागरमोथा, भारंगी, काकड़ासिंगी और कचूरा। इन सभी द्रव्यों को सामान भाग लेकर चूर्ण बना ले, और कपडे से चूर्ण को छान ले। तदुपरांत पुराने गुड़ और तिल का तेल मिलाकर चाटे।
  • कचूर, सोंठ और सुगन्धबाला तीनो को सामान भाग में लेकर, सिल पर पीसकर चटनी बना ले। साफ़ कपड़ा लेकर छानकर रस निकाल कर, घी मिलाकर चाटने से सूखी खांसी ठीक हो जाती है।

सूखी खांसी का सिरप नाम लिस्ट ( cough syrup name list )

जब सूखी खांसी की दवा बताइए की बात होती है, तो लोगो के दिमाग में सिरप का नाम आता है। अबकी आज खांसी की टेबलेट भी उपलब्ध है। आज के समय में प्रसिद्द सूखी खांसी के लिए सिरप, जिनपर लोगो का वर्षो से भरोसा है। जिसमे डाबर, वैद्यनाथ, झंडू आदि है। जिनका सेवन सभी प्रकार की ख़ासियो में किया जा सकता है। जिनको सूखी खांसी की दवा सिरप, या खांसी की बेस्ट सिरप के नाम से जानते है। जिनसे खांसी का रामबाण इलाज किया जाता है। जो निम्न है –

  1. डाबर हनिटस
  2. वैद्यनाथ कासामृत। इसको ही खांसी की दवा बैद्यनाथ के नाम से भी जानते है।
  3. झंडू कफ सिरप 
  4. पतंजलि कफ सिरप
  5. चरक फार्मा कफ सिरप
  6. नो कास आयुर्वेदिक कफ सिरप
  7. टॉरेक्स हर्बल कफ सिरप
  8. मुल्तानी कूका कफ सिरप
  9. क्रक्स आयुर्वेदिक कफ सिरप
  10. ग्रीन क्योर हर्बल कफ सिरप

सर्दी खांसी की दवा tablet ( Cough Tablets )

सर्दी जुकाम और खांसी की टेबलेट भी अब सुलभ है। जो चरक फार्मा द्वारा कोफोल नाम से मिलती है। यह भी आयुर्वेदीय दवा है।

काली खांसी क्या है / काली खांसी क्या होती है ( What Is Whooping cough )

यह खांसी की जीर्ण अवस्था है। जिसको आयुर्वेदमें क्षतज कास और क्षयज कास कहा गया है। जिसका ठीक समय पर उपचार न करे पर, असाध्यता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसको कूकर, या कूकुर खांसी के नाम से भी जाना जाता है। यह नाम इसलिए दिया गया है, क्योकि जब व्यक्ति खासता है, तो उसके मुँह से कुत्ते के खांसने के जैसे आवाज होती है। इनको ही काली खांसी के लक्षण कहा जाता है। जबकि इसमें खांसी के अन्य लक्षण भी पाए जाते है, जिनकी चर्चा ऊपर की जा चुकी है। इसको ही काली खांसी इन हिंदी कहते है।

इसमें सर्दी जुकाम और खांसी बुखार सभी लक्ष्ण पाए जाते है। यह खांसी साध्य से कब असाध्य हो जाती है। इसका पता नहीं चलता। असाध्यता के कारण व्यक्ति की जान भी जा सकती है। इस प्रकार की खांसी को क्षयरोग ( टूयबरकुलोसिस ) का जनक माना जाता है।  क्षयरोग काली खांसी के कारण होता है, कुछ ऐसा भी मानते है। इस प्रकार की परिस्थिति उत्पन्न न हो। इसके लिए खांसी का रामबाण इलाज की आवश्यकता होती है। काली खांसी के जीवाणु का नाम ब्रोडेट्रेला परट्यूसिस है। यह जीवाणु काली खांसी होने का कारण है। जो आधुनिक वैज्ञानिको के अनुसार है।

जबकि आयुर्वेद में काली खांसी के कारण में, देह गत दोषो और बाहरी आघातों को स्वीकारा गया है। जो ब्लैक फंगस ( म्युकर माइकोसिस ) में भी देखने को मिलता है।

काली खांसी का इलाज घरेलू ( Whooping Cough Home Remedies)

इस खांसी की दवाई अन्य ख़ासियो से भिन्न है। जिसके लिए चिकित्सा शास्त्रों में काली खांसी की दवा, का विधान किया है। जो विशेष चिकित्सा के अंतर्गत राखी गई है। जिसमे बहुत ही सावधानी और योग्यता की आवश्यकता होती है। जो सामान्य सर्दी – खांसी की दवा से भिन्न है। जिसके लिए कुछ योग इस प्रकार है –

  • काली मिर्च की आनुपातिक मात्रा लेकर घृत, मधु और चीनी के साथ चाटना चाहिए। ( काली मिर्च को यहाँ बच्चो के लिए एक चुटकी, और वयस्कों के लिए दो चुटकी का प्रयोग करना चाहिए )
  • झड़बेरी के ताजे पत्तो के चटनी को घी में भूजकर, सेंधा नमक मिलाकर खाना चाहिए। 
  • रेड या अरंडी के पत्तो के क्षार को सोंठ, काली मिर्च, पिप्पली का चूर्ण, तिल का तेल एवं गुड़ मिलाकर चाटना चाहिए।  

सर्दी जुकाम और खांसी का इलाज घरेलू ( Home Remedy For Cough and Cold )

जुकाम और खांसी के कारण रोगी के सिर में दर्द हो रहा हो, या नाक बह रही हो, या ह्रदय में अन्धकार जैसा छाया हो , तो ऐसे समय आयुर्वेद में धूमपान का निर्देश है। जो रोगी की इच्छा नहीं बल्कि चिकित्सा विशेषज्ञ द्वारा, आवश्यकता समझने पर किया जाना चाहिए। जिसमे सर्दी-खांसी-जुकाम और उनका इलाज, सर्दी जुकाम और खांसी के घरेलू नुस्खे, सर्दी जुकाम और खांसी के घरेलू उपाय, सर्दी जुकाम और खांसी की दवा बताई गई है। जिनमे सर्दी जुकाम और खांसी के लक्षण के आधार पर, सर्दी जुकाम और खांसी का इलाज करने का निर्देश है।

सर्दी जुकाम और खांसी के उपाय में, धूमपान के लिए एक विशेष यन्त्र होता है। जिसे स्थानीय भाषा में हुक्का कहा जाता है। जबकि एक अन्य विधि है। जिसमे औषधि को किसी पत्ते या वस्त्र आदि में, लपेट कर धूमपान किया जाता है। इसमे मुँह से ही औषधि मिश्रित धुए का, ग्रहण और त्याग किया जाता है। जिसके कारण ह्रदय प्रदेश में जमे हुए कफ को, धुँआ अपनी तीक्ष्णता से काट – काट कर बाहर निकाल देता है। जिससे खांसी से राहत मिलती है। यह उपाय सर्दी जुकाम और खांसी में अत्यंत लाभकारी है। आयुर्वेद में इनको भी खांसी की आयुर्वेदिक दवा, के रूप में स्वीकारा गया है। जिसके कुछ योग निम्न है –

  • मैनसिल, हरताल, पिप्पली, सोंठ। इन सभी को पीसकर धूमवर्ती बनाकर, और घी में चुपड़कर धूमपान करे। उसके बाद दूध या गुड़ का शरबत पिए। ( धूमवर्ती से तात्पर्य किसी पत्ते आदि में चूर्ण को लपेटकर भरना )

खांसी में क्या नहीं खाना चाहिए

जब खांसी की आयुर्वेदिक दवा से, खांसी का उपचार किया जाता है। तो खान – पान का ध्यान रखा जाता है। जिसको आयुर्वेद में पथ्या – पथ्य कहते है। जिसको जानने और समझने वाले, खांसी में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं का विचार करते है। जबकि उपचारण की पद्धति में परहेज आदि को लेकर, लोग बाग़ पूछ बैठते है कि खांसी होने पर क्या नहीं खाना चाहिए। 

कास रोग अनेक रोगो में अनुगत देखा जाता है। जिसका समर्थन आयुर्वेदादी शास्त्र भी करते है। जैसे – सर्दी, खांसी, जुकाम और बुखार आदि में। जिससे इसको अनेक रोगो में एक साथ देखा जाता है। इसलिए सर्दी खांसी में क्या नहीं खाना चाहिए अथवा खांसी जुकाम में क्या नहीं खाना चाहिए। जिससे सुगमता पूर्वक रोग शांत हो सके। 

वही सूखी खांसी बहुत ही कष्टकारक है। जिसमे अत्याधिक कास उठता है। जिसकी प्रशांति के लिए दवा के साथ परहेज रखने की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए सूखी खांसी में क्या नहीं खाना चाहिए आदि का विचार है। जिसका ध्यान कास चिकित्सा के समस्त विधानों के साथ, खांसी के घरेलू उपाय में भी रखा गया है।

इसकारण कफ को भड़काने वाली, किसी भी द्रव्य का उपयोग नहीं करना चाहिए। जैसे – बर्फ, आइसक्रीम, कुल्फी, खट्टे फल नीबू, संतरा, मुसम्बी, केला आदि।

जबकि इनके सेवन से सामान्य बुखार आदि के लिए, गिलोय के काढ़े का प्रयोग कर सकते है। जिसके लिए गिलोय का काढ़ा कैसे बनाये जानना चाहिए।

उपसंहार :

खांसी भीषण और सामान्य दोनों प्रकार के रोगो में देखी जाती है। जिसमे कारण इसके सामान्य तथा विशेष कारण है। जिसमे खांसी का इलाज घरेलू फायदेमंद है। जबकि आयुर्वेद वर्णित दोषगत चिकित्सा में, खांसी का रामबाण इलाज सार्वभैमिक रूप से उपयोगी बताया गया है।  

यदि समय और विधि का ध्यान रखा जाय, तो किसी भी समस्या से पार पाया जा सकता है। फिर चाहे वह खांसी हो या कुछ और। शास्त्रोचित और व्यवहारिक दोनों ही प्रकार से किसी भी रोग का उपचार प्रारम्भिक अवस्था में, करना उपयक्त माना गया है न कि जीर्ण अवस्था में।

जब हमारे पास खांसी की आयुर्वेदिक दवा हमारे घर में, उपलब्ध हो तो इनसे सुगमता पूर्वक बचा जा सकता है। जिसको हम खांसी का आयुर्वेदिक उपाय कहते है और वास्तव में है भी। परन्तु लोक व्यवहार में प्रचलित होने से खांसी का घरेलू उपचार कहलाते है। जबकि वायरस जनित बीमारियों में भी खांसी की समस्या होती है। जैसे – कोरोना वायरस आदि। 

खांसी का इलाज घरेलू को लेकर पूछे जाने वाले प्रश्न ( FAQ Related To Cough )

बार बार खांसी होने का क्या कारण है?

इसके दो कारण हो सकते है। पहला शरीरगत दोषो का असंतुलित होना। दूसरा रोग का पूर्ण उपचार न होना।

सूखी खांसी आए तो क्या करें?

भारंगी और सोंठ को समभाग लेकर गुनगुने पानी से सेवन करे।

खांसी की सबसे अच्छी दवा कौन सी है?

सोंठ, काली मिर्च और पिप्पली तीनो के चूर्ण को पुराने गुड़ और घी के साथ चाटे। यह पुरानी से पुरानी और नई खासी में भी लाभकारी है।  

खांसी होने पर क्या नहीं खाना चाहिए?

किसी भी ठन्डे पदार्थो का सेवन न करे। जैसे – आइसक्रीम, खट्टे फल एवं इनके जूस आदि।

25 thoughts on “खांसी का इलाज घरेलू : Home Remedies For Cough in Hindi”

  1. Pingback: बुखार की सबसे अच्छी दवा क्या हो सकती है ?
  2. Pingback: बुखार की सबसे अच्छी दवा क्या हो सकती है ?
  3. Pingback: मानवो में पाचन क्रिया कैसे सुधारे के महत्वपूर्ण उपाय
  4. Pingback: ज्वरनाश के लिए गिलोय का काढ़ा कैसे बनाये
  5. Pingback: म्यूकर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) की परिभाषा, लक्षण और उपचार
  6. Pingback: कोविड-19 से बचाव के 5 उपाय ( 5 ways to prevent covid-19)
  7. Pingback: कोरोना पॉजिटिव (कोविड-19) रोगियों के लिए आहार प्रबंधन
  8. Pingback: कोरोना वायरस के बारे में बताइए
  9. Pingback: तिल्ली का बढ़ना कारण, लक्षण और घरेलू उपचार
  10. Pingback: Fatty Liver in Hindi | फैटी लीवर की दवा | फैटी लिवर में खाना
  11. Pingback: कोरोना पॉजिटिव (कोविड-19) रोगियों के लिए आहार प्रबंधन
  12. Pingback: मानवो में पाचन क्रिया कैसे सुधारे के महत्वपूर्ण उपाय
  13. Pingback: शादी के बाद बच्चा कैसे पैदा किया जाता है?
  14. Pingback: लीवर बढ़ने के लक्षण | Enlarged Liver Symptoms in Hindi
  15. Pingback: बुखार की सबसे अच्छी दवा | वायरल, टाइफाइड की सबसे अच्छी दवा
  16. Pingback: लीवर बढ़ने के लक्षण, कारण, खानपान और घरेलू उपचार
  17. Pingback: पेट दर्द होने का कारण, लक्षण और देसी उपचार
  18. Pingback: सिर दर्द से जल्दी छुटकारा पाने के उपाय | how to get rid of headache fast

Leave a Comment