पेट के निचले हिस्से में दर्द : lower abdominal pain in hindi

श्रोणी से लेकर छाती के बीच होने वाले दर्द को पेट दर्द कहा जाता है। जिसमे उदर के विशेष स्थान (अधोभाग ) में होने वाला दर्द, पेट के निचले हिस्से का दर्द कहलाता है। जिसमे मुख्य रूप से मूत्राशय, प्रजनन अंग आदि है। जिनको पेल्विक एरिया में मौजूद अंग भी कहते है। जो पेट के निचले हिस्से में दर्द के कारण है। दर्द दूर करने एवं वंश संरक्षण आदि की दृष्टि से, पेट के निचले हिस्से में दर्द के उपाय आवश्यक है। जिसमे निचले पेट के दर्द की आयुर्वेदिक दवा आदि का प्रयोग होता है। जिसको न जानने वाले लोग पेट के निचले हिस्से में दर्द के कारण क्या है पूछते है। 

पेट के निचले हिस्से में दर्द क्यों होता है (lower abdominal pain causes)

पेट दर्द एक ऐसी समस्या है। जो हर किसी को कभी न कभी होती ही है। फिर चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, बालक हो या वृद्ध, किशोर हो या युवा। यह सामान्य और विशेष दोनों रूपों में प्रकट होती है। जिससे यह सामान्य और विकराल दोनों रूप धारण करती है। जोकि एक प्रकार का पेट दर्द ही है। जिसमे पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है। जिसके लिए पेट दर्द से छुटकारा कैसे पाएं को जानना अनिवार्य है। 

पेट के निचले भाग में होने वाले दर्द की प्रकृति में भेद है। जिनमे पेट के निचले हिस्से में जलन, मरोड़, चुभन इत्यादि है। जिसमे दर्द की तीव्रता आदि को जोड़ दिया जाय, तब इसकी विकरालता प्रत्यक्ष प्रकट होती है। जिसमे रोगी की जान बचाने के लिए, त्वरित और आकस्मिक चिकित्सा की आवश्यकता पड़ सकती है। जबकि पेट के मरोड़ को दूर करने में, पेट के मरोड़ से छुटकारा कैसे पाएं उपयोगी है। 

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पेट के निचले हिस्से में दर्द होना क्या है (pet ke nichle hisse me dard hona kya hai)

पेट के निचले भाग में दर्द होने को निचले पेट में दर्द होना कहते है। जिसका आशय आमतौर पर नाभि के नीचे दर्द होना है। इसका स्थान पेट के नीचे और श्रोणि के ठीक ऊपर है। जिसमे नर – मादा जननांगो सहित अनेक महत्वपूर्ण अंग होते है। जैसे – आंते, मूत्राशय आदि। जिनसे महिला और पुरुष दोनों प्रभावित हो सकते है। यह पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होने के विपरीत है। 

यह सामान्य और विशेष दोनों प्रकार का हो सकता है। सामान्य दर्द कभी कभार थोड़े समय के लिए, हल्का या तेज हो सकता है। जिसमे अधिकतर छोटे उपायों के द्वारा ही आराम मिल जाता है। जबकि विशेष प्रकार का दर्द अक्सर और बार – बार हो जाया करता है। जिसका निदान और उपचार अत्यंत कठिन होता है। ज्यादातर यह जीर्ण पेट रोगो में देखने को मिलता है।   

पेट के निचले हिस्से में दर्द का कारण (causes of lower abdominal pain)

पेट के निचले हिस्से में दर्द होना (pet ke nichle hisse me dard hona)

प्रजननांगो के अतिरिक्त स्त्री और पुरुष के अंगो में समानता है। जिनके कारण दोनों में एक समान रोग पाए जाते है। जिनको निचले पेट दर्द का सामान्य कारण कहा जा सकता है। जिसमे शामिल है – 

  • पेट में चोट लगना
  • पेट में गैस बनना
  • अफरा 
  • कब्ज
  • किसी विशेष पदार्थ की खाद्य असहिष्णुता
  • हर्निया 
  • आंतो में सूजन ( आंत्रशोथ )
  • डायवर्टीकुलीटिस ( बड़ी आंत को प्रभावित करने वाली स्थिति )
  • आईबीएस ( इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम )
  • आईबीडी ( इन्फ्लैमटरी आंत रोग )
  • पेरिटोनाइटिस ( पेट की अंदरूनी परत का संक्रमित हो जाना )
  • आंतो में रुकावट ( छोटी या बड़ी आंत में )
  • गुर्दे की पथरी
  • गुर्दा संक्रमण
  • आंत का कैंसर
  • मूत्र पथ संक्रमण ( युटीआई ) आदि। 

जननांग के भेद से लिंग में भेद मान्य है। जिसके कारण स्त्री और पुरुष में, निचले पेट का दर्द अलग – अलग प्रकार का होता है। जिसके कारण इनको पेट के निचले हिस्से में दर्द का, विशेष कारण माना जाता है। 

महिलाओ में पेट के निचले हिस्से में दर्द का कारण (lower abdominal pain causes in females)

पेट के निचले हिस्से में दर्द होना (pet ke nichle hisse mein dard hona)

मादा जननांग में योनी, गर्भाशय ( बच्चेदानी ), गर्भाशय ग्रीवा, अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब आदि है। जिनमें अनेको प्रकार के विकार होने की संभावना होती है। जिनके कारण महिलाओ और लड़कियों को निचले पेट में दर्द होता है। जिसमे शामिल है –

  • ओवरी ( डिंबग्रंथि ) सिस्ट
  • पीआईडी ( श्रोणि सूजन की बीमारी ) – यह स्थिति तब उत्पन्न होती है। जब जीवाणु आपके प्रजनन अंगो को प्रभावित करते है।
  • कुछ दुर्लभ मामलो में पेट के निचले हिस्से में दर्द का कारण एन्ड्रोमेट्रियोसिस या पेल्विक फोड़ा का भी लक्षण हो सकता है। जिसमे गर्भ और योनि के बीच मवाज बनने लगता है।
  • प्रसव के उम्र की महिलाओ में अस्थानिक ( एक्टोपिक ) गर्भावस्था आदि। 

लड़कियों की विकसित होती अवस्था में, अनेको बदलाव होते है। जिनमे मुख्य रूप से मासिक स्राव आदि है। जिनमे अनेको प्रकार की गड़बड़िया होती है। जिसमे महिलाओं और लड़कियों को, पेल्विक क्षेत्र (pelvic area female) में दर्द होता है। कभी – कभी माहवारी अनियमित, अधिक और कम होने के साथ – साथ बंद भी हो जाती है। जिससे कभी – कभी लड़कियों का स्वास्थ्य भी गिरने लगता है। जिसका अंदाजा लड़कियों की फोटो आदि को, देखकर लगाया जा सकता है। 

पुरुषो में पेट के निचले हिस्से में दर्द के कारण (lower abdominal pain causes in male)

वही नर जननांगो में अंडकोष, प्रोस्टेट आदि अंग होते है। जिनसे जुडी समस्या होने पर, पुरुषो को निचले पेट में दर्द होता है। जिसमे अनेको प्रकार के विकार की संभावना होती है। जैसे – वृषण कोष का मुड़ जाना आदि। यह पुरुषो का पेल्विक एरिया (pelvic area male) है। 

पेट के निचले हिस्से में दर्द का लक्षण (symptoms of lower abdominal pain)

पेट के निचले हिस्से में दर्द होने पर अनेक लक्षण पाए जाते है। जिनमे से कुछ निम्नलिखित है – 

  • लम्बे समय तक बैठने के बाद पेट के निचले हिस्से में दर्द होना
  • मलत्याग के दौरान पेट में दर्द होना
  • शारीरिक सम्बन्ध बनाते समय तीव्र दर्द होना
  • माहवारी के समय असहनीय दर्द होना
  • भारी सामान उठाते समय दर्द महसूस होना आदि। 

नीचे पेट में दर्द हो तो क्या करे (pet mein dard ho to kya karen)

शरीर रचना विज्ञान के अनुसार, सभी अंगो का अपना महत्व और कार्य है। परन्तु पेट में अंग समूह होने के कारण, पेट का विशेष महत्व सिद्ध है। जिसमे मलो ( दोषो ) का अधिक संचय हो जाने, और स्रोत मार्गो के रुक जाने से पेट रोग होता है। जिसके कारण पेट घड़े के समान फूलने लगता है। जो जीर्ण रोगो में ही ज्यादातर देखने को मिलता है। जिसमे दर्द हो भी सकता है और नहीं भी। जबकि नया पेट दर्द अत्यंत वेदनायुक्त होता है। जिसका दर्द अत्यंत कष्टदायक होता है। जिसमे कभी – कभी प्राण बचाना भी मुशिकल हो जाता है।     

पेट के निचले भाग में दर्द (lower abdominal pain)

हमारे पेट का निचला भाग अनेको तंत्रिकाओं, स्नायुओ, पाश्वसंधियो आदि से निर्मित है। जिसमे पाए जाने वाले सभी सुकोमल अंग है। जिनका निर्माण उच्च कोटि की नलिकीय त्वचा आदि से हुआ है। जिसमे मल के जमने आदि से उदरस्थ नलिकाए बध्द हो जाती है। जिनके कारण इनमे संक्रमण आदि होने की संभावना बढ़ जाती है। जिससे उस स्थान में सूजन, लालिमा और घाव होने लगता है। जिसके कारण महिला और पुरुषों में पेट के निचले हिस्से में दर्द (pet ke nichle hisse me dard in hindi) होता है। जिसके लिए पेट का साफ होना आवश्यक है। तो ऐसी परिस्थिति में पेट साफ कैसे करे ?

जिसका दर्द दूर करने के लिए निदान और उपचार अपेक्षित है। जिसमे रोगी का मौखिक और शारीरिक परीक्षण किया जाता है। जैसे – रोगी की तकलीफो का जायजा लेना, नाड़ी देखना, जीभ का अवलोकन करना आदि। तदनुकूल चिकित्सा का उपक्रम चलाया जाता है। जबकि आधुनिक चिकित्सा में निदान की प्रक्रिया में अनेको प्रकार की टेस्ट शामिल है –

  • मूत्र परीक्षण
  • ब्लड टेस्ट
  • अल्ट्रासाउंड
  • सीटी स्कैन
  • इंडोस्कोपी
  • एमआरआई आदि। 

पेट के निचले हिस्से में दर्द के उपाय (treatment of lower abdominal pain)

नीचे पेट में दर्द होने के कई कारण है। जिनके प्रभाव में आकर रोगी में, अग्निबल की क्षीणता होने लगती है। जिससे शारीरिक बल भी घटने लगता है। जिसका प्रभाव हमारे काम काज आदि पर पड़ता है। जिससे हम मानसिक रूप से परेशान होने लगते है। रोग के बने रहने पर उत्तरोत्तर वृद्धि होती है। जिससे रोग अपनी गंभीरता को प्राप्त करता जाता है। इसकारण शास्त्रों में शीघ्र रोगापनोदन की बात बतलाई गई है। जिनमे पेट की गैस को जड़ से खत्म करने के उपाय आदि है। lower abdominal pain treatment

जिस पर ध्यान न देने पर हमारे देखते – देखते, सामन्य रोग भी जीर्ण रोगो में परिवर्तित हो जाते है। जो व्यवहार में ज्यादातर रोगियों के साथ देखा भी जाता है। पेट के निचले हिस्से में दर्द के उपचार के पहले रोगी के, बलाबल का आकलन आयुर्वेदादी चिकित्सा के अनुकूल है। जिसका अनुपालन आज की लगभग सभी चिकित्सा में होता है। इसके आधार पर ही औषधि की मात्रा आदि का निर्धारण होता है। जैसे पेट साफ न होने के लक्षण के आधार पर पेट साफ करने वाली दवा। 

आजकल की प्रचलित चिकित्सा मुख्य और आवांतर रूप से दवाओं पर निर्भर है। जबकि प्राचीन चिकित्सा विविध उपक्रमों आदि का संयोग है। जैसे – आहार, दिनचर्या, मालिस ( पंचकर्मा ) आदि। जिसके माध्यम से रोगी को रोग मुक्त कर, ओज बल सामर्थ्य आदि का आधान किया जाता है। जिसमे आवश्यकता पड़ने पर निम्न उपाय किये जाते है – 

  • स्नेहन
  • स्वेदन
  • विरेचन
  • अनुवासन 
  • वस्ति ( आस्थापन और निरुह ) आदि।   

पेट दर्द दवा (pet dard ki dawa)

पेट दर्द से पीड़ित व्यक्ति जल्द से जल्द दर्द से छुटकारा पाना चाहत है। जिसके लिए वह किसी उपाय को करने में पीछे नहीं हटता। परन्तु रोग कारण का ध्यान रखकर उचित मात्रा में, ली गई दवा ही दर्द का निवारण करने में समर्थ होती है। जो पेट में जलन और दर्द होने के साथ, अन्य विकारो पर भी कारगार होती है। जिसके लिए आयुर्वेदादी शास्त्रों में अनेको उपाय कहे गए है। जिन्हे व्यवहारिक जगत में पेट दर्द का इलाज घरेलू कहते है। 

जबकि आज के समय में पेट में, अनेको प्रकार के दर्द होते है। जिनके लिए लोग पेट दर्द की दवा बताएं पूछते है। जिनका आशय पेट दर्द की एलोपैथिक दवा और होम्योपैथिकदवा से है। जिनके विविध योग इस प्रकार है –

निचले पेट दर्द के नुस्खे (pet dard ke nuskhe)

आयुर्वेद वर्णित सभी प्रकार के उपाय आयुर्वेदीय उपचार है। फिर चाहे इनकी प्रसिद्धी किसी भी नाम से क्यों न हो? हमारे घर परिवार आदि में, छोटी मोटी समस्याए कभी न कभी होती ही है। जिनके निवारण के लिए अनेको प्रभावी उपाय है। जिनमे निचले पेट का दर्द आदि भी है। जिनके कुछ योग इस प्रकार है – 

हींग : एक चुटकी हींग का सेवन गुनगुने पानी से करने पर पेट दर्द में आराम मिलता है। 

सौफ लौंग और तुलसी : सौफ, तुलसी की पत्ती और लौंग को पीसकर। चूर्ण बना ले। जिसका सेवन गुनगुने पानी से करना पेट दर्द में लाभकारी है।  

काला नमक और अजवाइन : अजवाइन और काले नमक को पीसकर, गर्म पानी में सेवन करने से पेट का दर्द दूर होता है।  

छाछ : सभी प्रकार के पेट रोगो में छाछ ( मठ्ठा ) गुणकारी है। जिसका सेवन भोजनोपरांत करना और भी अधिक फलदायी है। वातज पेट रोग में पिप्पली मिलाकर सेवन करने पर, पेट का दर्द शीघ्र बंद करने में सहायक है।  

अनार दाना : पेट रोगियों के लिए अत्यंत उपयोगी है। जिसका सेवन करने पर पेट दर्द दूर होकर, शारीरिक दौर्बल्य का नाश करता है। जिसका सेवन काला नमक मिलाकर करने पर और अधिक फलदायी है। 

अदरक और नीबू का रस : नीचे पेट में दर्द होने पर अदरक का रस और नींबू का रस मिलाकर, पीने से पेट दर्द से बहुत जल्दी आराम मिलता है। इनको पेट दर्द में अदरक के फायदे भी कहते है। 

निचले पेट के दर्द की आयुर्वेदिक दवा (nichle pet dard ki ayurvedic dawa in hindi)

पेट के निचले हिस्से में दर्द होने पर, कुछ विशेष औषधियों का प्रयोग होता है। जो अपने – अपने सिद्धांतो के अनुरूप प्रयुक्त की जाती है। जिनमे से कुछ निम्न है –

अग्नि – प्रभा रस : यह पाउडर के रूप में मिलने वाली दवा है। जिसका सेवन मधु के साथ किया जाता है। यह पेट के पाचन को बढ़ाकर पेट रोगो को दूर करती है। इसके साथ पेट में गैस आदि के एकत्रित होने से, दर्द होने पर भी लाभदायी है। 

प्रलय नाला रस : पिप्पली, शुंठी, मारीच, निर्गुन्डी, जयन्ती आदि से मिलकर बनी होती है। जिसका सेवन गुनगुने पानी के साथ किया जाता है। जो अनियमित पाचन आदि को मिटाकर पेट दर्द से राहत दिलाती है।

अग्निमुख रस : एकोनाइट, त्रिफला, वासा, धतूरा और सुपारी जैसे द्रव्यों से मिलकर बनी होती है। जो वात दोषो से होने वाले सभी प्रकार के दर्दो में उपयोगी है। फिर चाहे वह पेट का हो या कही और का। 

पिप्पल्यादि चूर्ण : वायविडंग, सोंठ, पिप्पली, जमालगोटा की जड़, चित्रकमूल। इन सभी को सामान भाग में लेकर और हरीतकी को दूनी मात्रा में लेकर। सबको कूट पीसकर रख ले। इस चूर्ण का सेवन गर्म जल के साथ करने पर, पेट दर्द में लाभ होता है। जबकि स्वतंत्र रूप से सोंठ के फायदे और भी है। 

निचले पेट दर्द की होम्योपैथिक दवा (nichle pet dard ki homoeopathic dawa)

पेट की तकलीफो को दूर करने में, होम्योपैथी में भी अनेको उपाय है। जिनमे अनेको दवाइयों का उपयोग होता है। जिनमे कुछ इस प्रकार है – 

लाइकोपोडियम : नीचे पेट का अधिक फूलना, कब्ज होना, पेट में वायु जमकर पेट गड़गड़ाना, पेट के भीतर गों – गों शब्द होने आदि पर यह लाभ करती है।

कैली कार्ब : इसका पेट इतना अधिक फूल जाता है कि रोगी को लगने लगता है की पेट फट जाएगा। इसके अलावा पेट में इतना दर्द होता है कि पेट पर किसी को हाथ नहीं लगाने देता। जो कुछ खाता – पीटा है, सब वायु में बदल जाता है।

मिक्रोमेरिया : पेट फूलना और पेट में शूल का दर्द होना। साथ ही पेट में जबरजस्त दर्द और मिचली होने पर उपकारी है।

साफिटिडा : पेट फूलने के साथ मुँह में पानी भर आना, पाकस्थली के ऊपरी अंश में हृत्पिण्ड (hrutpinda) स्पंदन। जिसमे एक तरह की धुक – धुकी होती है। घातक कोटि का पाकस्थली का शूल का दर्द, वक्षोदर – मध्यस्थ – पेशी के पास जलन और काटने – फाड़ने जैसा दर्द, पेट में गड़गड़ाकर जोर की आवाज होना, और अंत में जोर की आवाज के साथ मुश्किल से साकार आने पर प्रभावकारी है।  

प्लम्बम : इसमें भयंकर कब्जियत होती है। जिसमे ऐसा मालूम पड़ता है जैसे गेंद की तरह कोई पदार्थ नीचे पेट में घूम रहा है।

आनिस्कस : पेट में भयकर दर्द के साथ पेट फूलता है, और पेट कडा हो उठता है। 

पेट दर्द की टेबलेट (pet dard ki tablet)

एलोपैथी में पेट के दर्द के लिए अनेक दवाओं का प्रयोग होता है। निनमे से कुछ निम्न है –  

एंटासिड (Anntacid) : इसका उपयोग पेट में अम्ल बनने के लक्षणों को रोकने के लिए होता है। जो पेट में जलन, सूजन और अपच आदि को दूर करने का काम करता है। यह सिरप और टेबलेट दोनों रूपों में मिलता है। जिसका सेवन बच्चे, बड़े और बूढ़े कर सकते है। इसका इस्तेमाल बच्चों के पेट दर्द का सिरप के जैसा भी होता है।

लैक्टेड (Lactaid) : इसका प्रयोग पेट में गैस और सूजन आदि होने पर किया जाता है। यह विशेषकर उन लोगो के लिए अधिक उपयोगी है। जिनको दूध या दूध उत्पादों की असहिष्णुता है। यह समस्या तब होती होती है। जब शरीर में लैक्टोज एंजाइम नहीं बनता। यह समस्या अक्सर छोटे बच्चो में देखने को मिलती है। 

सीमेथिकोन (Simethicone) : यह दवा पेट में होने वाली गैस के लक्षणों में उपयोगी है। यह पेट फूलने के कारण दबाव और सूजन से होने वाले दर्द में लाभकारी है। 

ट्रामाडोल कैप्सूल (Tramadol Capsule) : इस कैप्सूल का प्रयोग पेट दर्द के इलाज के लिए किया जाता है। जिसके कारण इसको पेट दर्द का कैप्सूल भी कहते है। पेट में तेज या धीमा दर्द होने पर इसका प्रयोग किया जा सकता है। परन्तु इसका ट्रामाडोल का प्रयोग करने पर वाहन न चलाये। क्योकि इसका सेवन करने पर नींद आती है।   

आवश्यक निर्देश : सभी प्रकार की एलोपैथिक दवाओं में कुछ न कुछ दुष्प्रभाव होते है। जिनकी जानकारी दवा निर्माताओ और इनका सुझाव देने वालो को होती है। इस कारण इनका उपयोग बिना सलाह के न करे। खाली पेट और सोने के ठीक पहले, इन दवाओं को खाने से अत्यधिक नुकसान हो सकता है। इसलिए इन दोनों ही परिस्थियों में इनके सेवन से बचे। 

सारार्थ ( लब्बोलवाब ) :

पेट के निचले हिस्से में होने वाला दर्द, ज्यादातर वात विकारो का परिणाम है। फिर चाहे वह महिला के हो या पुरुष के। जिसका समुचित निदान और उपचार करने पर, कुछ विशेष परिस्थियों को छोड़कर पूर्ण साध्य है। जिसमे उपयोगी नुस्खे, आयुर्वेदीय, होम्योपैथी सहित अनेको उपाय बताये गए है। जबकि कुछ लोगो में प्रजनन अंगो की गड़बड़ी भी, पेट के निचले भाग में दर्द का कारण हो सकती है। जिनको साध्य करने के लिए विशेष उपचार की आवश्यकता पड़ती है।  

परन्तु सदा सर्वदा पेट में निचले भाग के दर्द से, बचने के लिए वात दोष की वृद्धि करने वाले कारको से बचना अपेक्षित है। जिसमे भोजन, दिनचर्या, ऋतुचर्या आदि की शास्त्रीय विधा का पालन आवश्यक है। यह वह सिद्धांत है, जिसका परिपालन विकल्प शून्य है। दार्शनिक सिद्धांतो की यह विशेषता है कि – इनको व्यवहार में उतारने की विधा भी दर्शन परक ही होनी चाहिए। नहीं तो विस्फोट हो जाता है। जिसके कारण आयुर्वेदिक्त विधा ही एकमात्र अनुकरणीय है।

ध्यान रखे : किसी भी दवा के सेवन के पूर्व चिकित्सीय परामर्श अवश्य ले। विशेषकर गर्भवती महिलाओ, बच्चो और जीर्ण रोगो में। ऐसा करना हम सभी के स्वास्थ्य में हितकारी है। 

FAQ

पेट को इंग्लिश में क्या बोलते हैं

पेट को आंग्ल भाषा में स्टमक या एब्डोमेन कहते है। 

रेफरेन्सेस (references) :

चरक संहिता चि अ 13 

सुश्रुत नि अ 7 

सुश्रुत चि अ 14

कॉपरेटिव मैटेरिया मेडिका द्वारा डा एन सी घोष

लाइव्हेल्थली 

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