बवासीर सिरप : Piles Syrup In Hindi

आयुर्वेद आदि में बवासीर के लक्षण पर बवासीर का सिरप अत्यंत उपयोगी बताया गया है। बवासीर सिरप ( piles syrup ) का सेवन करते समय, प्रायः अनुपान आदि की अलग से कोई आवश्यकता नहीं पड़ती। इसके साथ यदि इनको विधि पूर्वक रखा जाय तो वर्षो खराब नहीं होते। विशेषकर आयुर्वेदिक आसव और आरिष्ट, बल्कि पुराने होते जाने पर अधिक प्रभावी हो जाते है। इसलिए बवासीर से छुटकारा पाने के लिए, बवासीर की सिरप ( syrup for piles ) का उपयोग अब बढ़ने लगा है।  

बवासीर का सिरप 

मानव गुदीय शिराओ का फूलकर मस्सो में बदल जाना ही पाइल्स के लक्षण है। जिसके आकार में बदलाव होने से यह गुदा को बंद कर सकते है। जिससे अपानवायु आदि के निकलने में कठिनाई होती है। जिसके कारण पेट में जलन और दर्द के साथ, उठते – बैठते समय गुदा में भी दर्द और भारीपन बना रहता है। जिस पर बवासीर की गारंटी की दवा बहुत कारगर है।

बवासीर का आयुर्वेदिक सिरप एक सुरक्षित और प्रभावी उपचार है। जो हजारो वर्षो से बवासीर जैसे रोगो के लिए उपलब्ध है। जिन्हे आसव और आरिष्ट के नाम से जाना जाता है। जिनको बवासीर का सिरप ( hemorrhoids syrup ) भी कहा जाता है। जिनका निर्माण आयुर्वेदीय सिद्धांतो के अनुसार किया जाता है। जिसके कारण इनको बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज कहा जाता है।   

बवासीर का आयुर्वेदिक सिरप ( best ayurvedic syrup for piles )

जिस प्रकार बवासीर का स्थाई इलाज करने में, बवासीर के मस्से को जड़ से खत्म करने का उपाय प्रभावी है। उसी प्रकार बवासीर के लिए बवासीर की सिरप भी उपयोगी है। यह बादी बवासीर के लक्षण में जितनी प्रभावी है। उतनी ही खूनी बवासीर के लक्षण में भी उपयोगी है।  

विधि पूर्वक बनाया गया और विधि – विधान से रखा गया, आयुर्वेदिक आसव और आरिष्ट कभी खराब नहीं होता। इसलिए इनको कांच के बर्तन में, सूर्य प्रकाश से छिपाकर रखना परम गुणकारी है। जिसके लिए अम्बर बोतल सबसे अच्छा उपाय है। लेकिन आवागमन आदि में दुविधा के कारण, बहुत सी कम्पनिया इन दवाओं को फाइबर बोतलों में रखकर बेचते है। जिससे इसकी गुणवत्ता पर कुछ प्रभाव पड़ता है।  

हालांकि पाइल्स सिरप ( piles syrup ) सभी तरह की बवासीर में प्रभावी है। जिससे यह महिला और पुरुष बवासीर के लक्षण पर सामान रूप से काम करती है। इसलिए बवासीर का उपचार सिरप के द्वारा भी होता है। जो बवासीर के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। जिसके कारण बवासीर की सिरप भी बवासीर की दवा कहलाती है।

आयुर्वेद में बताई गई बवासीर की सबसे अच्छी सिरप ( best syrup for piles ) विभिन्न प्रकार के आसव और आरिष्ट है। जो मल – विबंध ( कब्जियत ) को दूर करने के साथ, अपानवायु को अनुलोम कर मंदाग्नि को खत्म करते है। बवासीर के उपचार में उपयोगी आरिष्ट और आसव निम्न है –     

अभयारिष्ट ( abhayarishta for piles )

अभयारिष्ट सिरप 
डाबर अभयारिष्ट, सांडू अभयारिष्ट और वैद्यनाथ अभयारिष्ट

आंवला, कैथ, इन्द्रायण की जड़, हरड़, वायविडंग, लोध आदि से बनने वाली बवासीर की श्रेष्ठ पाइल्स आयुर्वेदिक सिरप ( piles ayurvedic syrup ) है। जिसका अधिकतम उपयोग उदर रोगों में किया जाता है। जैसे – कब्ज, ग्रहणी, प्लीहा रोग, कामला, पेट के कीड़े, आरोचक आदि। जो बवासीर के प्रभावी कारणों में से एक है। जिनके बने रहने पर बवासीर की समस्या बनी ही रहती है। इसलिए बवासीर के उपचार में, इसके सहायक कारणों को भी उपचारित करने की आवश्यकता पड़ती है।   

इसके अतिरिक्त अभयारिष्ट ह्रदय रोग, गुल्मरोग, ग्रंथिरोग, अर्बुद, सूजन और बुखार में भी उपयोगी है। जिसके कारण यह बवासीर रोग के होने पर देखे जाते है। इन स्थितियों में अभयारिष्ट का सेवन करने से यह सब रोग नष्ट हो जाते है। जिसके कारण यह अभयारिष्ट बवासीर रोगी के बल और जठराग्नि की वृद्धि कर देते है। जिससे बवासीर की समस्या दूर होकर, रोगी अपने खोये हुए स्वास्थ्य की प्राप्ति करता है।  

अभयारिष्ट का निर्माण आयुर्वेदिक कंपनियों के द्वारा किया जाता है। जिनमे कुछ प्रमुख इस प्रकार है – 

कनकारिष्ट ( कनकासव )  

कनकासव ( कनकारिष्ट ) बवासीर का सिरप 
डाबर कनकासव एवं वैद्यनाथ कनकासव

यह पीने में बहुत स्वादिष्ट और भोजन के प्रति रूचि बढ़ाने वाली औषधि है। जिसके सेवन से ग्रहणीविकार, अनाह, उदर रोग, ज्वर, पांडुरोग, ह्रदय रोग, शोथ, गुल्म, सभी प्रकार की खांसी तथा भयंकर कफ विकारो को दूर करने के साथ बवासीर को सर्वकाल के लिए नष्ट कर देता है। जिसके कारण कनकासव खांसी की रामबाण दवा है। इसके साथ शरीर में झुर्री पड़ जाना, अकाल में बाल सफेद होने और झड़ने की बढ़िया दवा है। जिसके कारन कनकारिष्ट स्वास्थ्य और सौंदर्य प्रदान करने वाली औषधि कही गयी है। जिनकी कुछ उपयोगी दवाइया इस प्रकार है –

न्त्यरिष्ट ( dantyarishtam syrup for piles ) 

दन्त्यरिष्ट बवासीर का आयुर्वेदिक सिरप 
कोट्टाक्कल दन्त्यरिष्ट

जमालगोटा, बेल, पंचमूल, चित्रकमूल, कटेरी, सोना पाता, गंभार की छाल, हरड़, बहेड़ा और आवला से बनने वाली बवासीर की उत्कृष्ट दवा है। जिसका सेवन करने से बवासीर में मल सूखने के समस्या से राहत मिलती है। यह पेट में जलन और दर्द की भी बढ़िया दवा है। जिसके सेवन से समस्त पेट विकारो को दूर करने में मदद मिलती है।  

दन्त्यरिष्ट का सेवन करने से बवासीर तो ठीक होता ही है। इसके साथ पाण्डु रोग और ग्रहणी दोनों का विनाश करता है। यह मूढ़ अपानवायु और मल का अनुलोम करता है। इसके साथ अग्नि को दीप्त कर, अरुचि का नाश करता है। जिससे आंतो में जमा मल ढीला होकर आसानी से बाहर निकलता है। जिसके कारण इसको बवासीर में अत्यंत उपयोगी माना गया है। जिसमे निम्न कम्पनियो की दन्त्यरिष्ट लाभकारी है –

दुरालभारिष्ट ( Duralabharisht syrup for piles ) 

दुरालभारिष्ट बवासीर का आयुर्वेदिक सिरप 
कोट्टाक्कल दुरालभारिष्ट

दुरालभा, हरड़, आंवला, शित्राक, दंती, सोंठ, पाता, अडूसा आदि से बनने वाली बहुत ही गुणकारी औषधि है। जिसको बवासीर में वाग्भट्ट जी ने बहुत ही गुणकारी बताया है। जिसका सेवन करने से बवासीर के सहित पेट में गैस बनने आदि की समस्या नहीं होती। जिससे यह शारीरिक दुर्बलता का नाश क्र देता है। यह बवासीर के मस्सों से निकलने वाले स्राव, खुजली, जलन और भारीपन का भी नाश करता है। इस कारण दुरालभारिष्ट को बवासीर में बहुत ही उपयोगी बताया गया है। 

आमलकारिष्ट ( amalakarishtam syrup for piles ) बवासीर का आयुर्वेदिक सिरप 

आमलकारिष्ट बवासीर का आयुर्वेदिक सिरप 
वैद्यरत्नम आमलकारिष्ट

आंवला, पिप्पली, नागकेशर, चव्य, चित्रक, लोध, पाठा, मरिच, मोठा आदि से बनने वाली औषधि है। जो अभयारिष्ट के समान बहुत ही गुणकारी दवा है। जिसका सेवन बवासीर रोग में बहुत ही फलकारी बताया गया है। यह बवासीर रोग में होने वाली समस्त समस्याओ को दूर करती है। जिसके कारण बवासीर को मिटाने में आमलकारिष्ट बहुत ही गुणकारी दवा है। के सहित 

आमलकारिष्ट का फायदा ( amalakarishtam benefits ) बवासीर के साथ, सौंदर्य प्रसाधन के लिए भी होता है। जिसके कारण आमलकारिष्ट का उपयोग ( amalakarishtam uses ) असमय में होने वाली झुर्रियों, पालित ( जल्दी बाल सफेद होना ) और खलित ( गंजेपन ) आदि को नष्ट करने में किया जाता है। जिसके कारण यह बवासीर का सिरप स्वास्थ्य और सौंदर्य का रक्षक है। 

गुग्गुलवासव ( Guggulvasav syrup for piles )

वाग्भट्ट महर्षि ने बवासीर का उपचार करने में, गुग्गुलवासव को उपयोगी बताया है। जिसका सेवन करने से बवासीर की तकलीफो में कमी देखी जाती है। यह बवासीर के मस्सों को नष्ट करने के साथ, शरीर की खोई हुई जठराग्नि को पुनः उद्दीप्त करता है। जिससे बवासीर का रोगी अपने अंदर बल और भोजन के प्रति रूचि का अनुभव करता है। 

शर्करासव ( Sharkrasav syrup for piles )

शर्करासव को बनाने में, उन सभी औषधियों का प्रयोग किया जाता है। जो न केवल बवासीर के दर्द को कम करे। बल्कि इसके कारण का भी नाश करे। जैसे – जवासा, अरूसा, चित्रकमूल, अँवरा, पुरइनपाढ़ी, हर्रा आदि। इसका सेवन करने से बवासीर तो नष्ट होता ही है। इसके साथ पेट की गुड़गुड़ाहट, मल – मूत्र और वायु का अवरोध, अरुचि, कब्ज, ह्रदय रोग और मंदाग्नि को दूर करता हुआ। सब प्रकार के रोगो को नष्ट कर डालता है।

शर्करासव के सेवन में कोई भी कार्य निषिद्ध नहीं है। जिसके कारण हर कोई आसानी से इसका सेवन कर सकता है। फिर भी यदि इसका पथ्य पूर्वक सेवन किया जाए तो विशेष लाभकारी है।     

द्राक्षासव ( Drakshasava syrup for piles ) 

द्राक्षासव बवासीर की आयुर्वेदिक सिरप 
वैद्यनाथ द्राक्षासव और डाबर द्राक्षासव

द्राक्षासव मुनक्का आदि से बनने वाली बवासीर की बहुत ही उत्तम दवा है। जिसका सेवन करने से बवासीर के मस्से नष्ट हो जाते है। साथ ही बवासीर की तकलीफ से होने वाली, समस्याओ से भी हमें बचाता है। जैसे – गुदा में भारीपन, खुजली, दर्द, चुभन होने की समस्याओ पर बहुत ही कारगार है। जिसके कारण सभी प्रकार की बवासीर में द्राक्षासव का उपयोग लाभकारी है। 

इसके साथ यह सूजन, ह्रदय रोग, पाण्डु, रक्तपित्त, भगंदर, पेट रोग, कृमि रोग, क्षय और बुखार की भी बढ़िया दवा है। जो बवासीर रोग के उग्र होने पर दिखाई पड़ता है। जिसके आधार पर रोग की पहचान और उपचार करने में आसानी होती है। इस दवा को बनाने वाली श्रेष्ठ कंपनी निम्न है – 

पतंजलि पाइल्स सिरप ( patanjali piles syrup )

बवासीर के लक्षणों से छुटकारा पाने के लिए बवासीर का सिरप एक अच्छा उपाय हो सकता है। जिसके कारण पतंजलि की दिव्य फार्मेसी में, बवासीर की आयुर्वेदिक सिरप बनाई जाती है। जिसे आरिष्ट और आसव कहा जाता है। जिनका गुण और प्रभाव ऊपर लिखे गए है। जिसमे कुछ प्रमुख इस प्रकार है –

बवासीर का होम्योपैथिक सिरप ( piles syrup in homeopathy )

होम्योपैथी औषधि से बना बवासीर का सिरप, बवासीर का उपचार करने का एक अच्छा उपाय है। जो बवासीर के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। जिसके कारण यह बवासीर का उपचार करने में सहायक है। 

एलेन पिलोहिप सिरप ( Allen Pilohip Syrup ) 

पिलोहिप बवासीर का सिरप ( pilohip syrup for piles ) है। जो होम्योपैथी दवाओं से बना हुआ है। जिसके कारण इन्हे बवासीर का होम्योपैथिक सिरप कहा जाता है। यह एसिड म्यूर, एसिड नाइट्रिकम, एस्कुलस, सल्फर, हैमामेलिस और रैटनिया आदि से मिलकर बनी है। जिसके कारण यह दवा खूनी, दर्द करने वाली, जलन खुजली अंदरूनी और बाहरी सभी तरह की बवासीर में उपयोगी है। 

रेडियंट होमोरिड सिरप ( Radient Homorid Syrup )

यह होम्योपैथी की बहुत ही उत्कृष्ट दवा है। जिसमे होम्योपैथी की लैप्साना, रैटान्हिया, कोलिंसोनिया, एस्कुलस आदि के मदर टिंचर को मिलाया गया है। जिसके कारण गुदा में भारीपन, खुजली और बवासीर के मस्सो से मवाज और खून के रिसाव में उपयोगी है। इसके साथ मल त्याग के समय होने वाली तकलीफ को भी दूर करती है। जिससे यह बवासीर के मस्सो को सुखाने में मदद करता है। जिसमे रेडियंट होमोरिड सिरप बहुत ही उपयोगी है।  

बवासीर के मल को ढीला करने की सिरप ( stool softener syrup for piles )

बवासीर में एक समस्या बहुतायत में देखी जाती है। वह है कब्जियत होने से मल का कडा हो जाना। जिसमे बवासीर का सिरप बवासीर का एक अच्छा उपचार है। जो आपको बवासीर के दर्द से तुरंत राहत देता है। जिसका सेवन करने से बवासीर की अनेक समस्याओ से छुटकारा मिल सकता है। जैसे – मल का सूख कर कडा हो जाना, पेट में बहुत अधिक गैस बनना, बवासीर के मस्सों से खून आना आदि। जिसकी कुछ सिरप इस प्रकार है –  

उपसंहार :

आयुर्वेद में बवासीर का उपचार करने के लिए, आसव और आरिष्ट को बवासीर का आयुर्वेदिक दवा के सामान उपयोगी माना गया है। इन्ही आसव और आरिष्ट को लोग बवासीर का आयुर्वेदिक सिरप भी कह देते है। जिसके कारण बवासीर का सिरप आपके लिए एक अच्छा उपचार हो सकता है।

जिसके लिए चरक और सुश्रुत ने अभयारिष्ट, कनकारिष्ट और न्त्यरिष्ट को, वाग्भट्ट ने अभयारिष्ट, दन्त्यरिष्ट, दुरालभारिष्ट, आमलकारिष्ट और गुग्गुलवासव को एवं योगरत्नाकर के आचार्य ने शर्करासव और द्राक्षासव को बवासीर के लिए सर्वोकृष्ट कहा है। जिसका विधि पूर्वक सेवन करने से, बवासीर का उपचार किया जाता है।  

अम्बर कांच की बोतल और सूर्य प्रकाश की अनुपस्थिति में रखा गया, आरिष्ट और आसव कभी खराब नहीं होता। बल्कि जितना पुराना होता जाता है, उतना अधिक गुणकारी हो जाता है। जिसके कारण पुराने आसव और आरिष्ट का सेवन बवासीर में बहुत ही लाभकारी है।  

संदर्भ :

चरक संहिता चिकित्सा अध्याय – 14

सुश्रुत संहिता चिकित्सा अध्याय – 14

अष्टांग संग्रह चिकित्सा अध्याय – 06

योगरत्नाकर अर्श रोग चिकित्सा 

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