मोटापा : obesity in hindi

आज दुनिया की लगभग आधी आबादी मोटापे की चपेट में है। जिसमे 39 % भागीदारी युवाओ ( 18 वर्ष से अधिक ) की है। जो 1975 की तुलना में आज लगभग 4 गुनी हो गई है। ऐसे में प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि मोटापा कैसे कम करें ? या तुरंत मोटापा कम कैसे करे ? मोटापा कम करने का रामबाण उपाय अथवा मोटापा कम करने का अचूक उपाय क्या है और मोटापा कम करने की दवा कौन सी है? 

मोटापा क्यों बढ़ता है

अत्याधुनिक चिकित्सा विज्ञानियों ने मोटापे को जीर्ण रोगो का जन्मदाता कहा है। जिसका विकास विकसित होती अर्थव्यवस्था के साथ हुआ। जिसने परिश्रम रहित औद्योगिक ( यन्त्र आधारित ) क्रांति को बल दिया। जिसमे भोग्य सामाग्री के उत्पादन और उपभोग की नवीन ( अप्राकृतिक ) परम्परा विकसित हुई। जिससे हम ( मानव ) परिश्रम से दूर मौज मस्ती पूर्ण जीवन को जाने – अनजाने में अपनाते गए और बीमार होते गए। जैसे – अधिक वजन बढ़ना ( ओवरवेट ) आदि।

आधुनिक चिकित्सको की माने तो मोटापा आदि होने की मुख्य वजह वजन का बढ़ना है। जिसके कारणभूत योगो में पेट विकार आदि को स्वीकारा गया है। जैसे – पेट में गैस बनना, कब्ज होना इत्यादी है। जिसका प्रसार विकसित आर्थिक व्यवस्थाओ के साथ हुआ। जिसने परिश्रम पूर्ण सामाग्री के उत्पादन, संचयन, वितरण और उपभोग की शास्त्रीय विधा पर पानी फेरने के साथ – साथ व्याधि को भी मोल ले लिया। जिसको भौतिकी में रोग को शास्त्रोक्त विधा का व्युत्क्रमानुपाती कहा गया। जिसके अनुसार रोग से बचने के लिए आयुर्वेदोक्त सिद्धांतो का परिपालन अपेक्षित है।

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मोटापा क्या है ( what is obesity in hindi )

चिकित्सा में वजन बढ़ने की अग्रिम अवस्था को मोटापा कहा जाता है। जिसके मूल हेतुओ में मेद या वजन बढ़ना ( अधिक होना ) प्रमुख है। जबकि देहगत दोषादि के असंतुलन की परिणिति भी, मोटापे आदि के रूप में प्रकट होती है। जिसमे रहन – सहन, खान – पान, बात – व्यवहार आदि महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। जिसके कारण मोटापा कम करना इतना आसान नहीं, जितना हम – आप समझते है। जिसमे भोग और रोग दोनों की बराबर भागीदारी है। जैसे – शहरी जीवन और कब्ज। जिससे निजात दिलाने में गिलोय सेवन विधि उपयोगी है।

मानव शरीर में कैल्शियम अवशोषण की न्यूनता होने पर, वसा के संग्रहण में विकृति ( अधिकता ) आने लगती है। जिससे शरीर में अत्यधिक मात्रा में वसा का जमाव होने लगता है। जिसके कारण वजन बढ़ने लगता है। जिस पर ध्यान न देने से शरीर में सीमा से अधिक शारीरिक वसा एकत्रित होने लगती है। जिसको ( इस अवस्था को ही ) मोटापा कहा जाता है। ऐसा होने पर शरीर देखने में भद्दा, मोटा और वजन में अधिक महसूस होने लगता है। जिससे व्यवहार में अनेको प्रकार की दिक्क़ते आती है। जैसे – शारीरिक एवं मानसिक कार्य का प्रभावित होना आदि।

मोटापा कम करने के लिए कैल्शियम और वसा, दोनों के अनुकूलित अनुपात की अपेक्षा होती है। जो सभी में भिन्न – भिन्न है। जिसका मूल कारण आयुर्वेदादी शास्त्रों ने देहगत दोषो की प्रधानता को माना गया है। जिसका निर्धारण विशेषज्ञों द्वारा व्यक्ति विशेष के लिए ही कर सकता है। यह विषय विशेषज्ञों की बाध्यता है। जिसको राकेट, कम्प्यूटर, एटम और मोबाइल के युग में समझने की आवश्यकता है। जिसका अनुपालन करने पर मोटापे को कम ही नहीं, सदा – सदा के लिए मोटापा दूर ( समाप्त ) भी किया जा सकता है।

मोटापा का अर्थ ( obesity meaning in hindi )

आज के समय में मोटापा की परिभाषा शरीर भार सूचकांक के आधार पर की जाती है। जिसमे 30 इकाई से अधिक बी एम आई को मोटापा कहा जाता है। जिनके हेतुओ की बात आगे की जा रही है। जिसमे मोटापा क्यों होता है और कैसे होता है आदि है। परन्तु आजकल तो लोग वजन बढ़ने को भी मोटापा समझने लगते है। ध्यान रहे : किसी भी रोग की वास्तविक पहचान रोगी से प्राप्त होने वाले, शास्त्रगत लक्षणों के आधार पर ही संभव है। न कि किसी अन्य विधा से।

विकासवादी संरचना के दुष्प्रभावों के रूप में इनकी प्राप्ति होती है। जिससे विकास की चपेट में पड़कर, हम जीवनशैली के रोगो से नाता जोड़ लेते है। स्वास्थ्य की दृष्टि से आधुनिक विकासवाद ऐसा दलदल है। जिसमे हम जितना छटपटाते है ( बाहर निकलने की कोशिश करते है ), उतना अधिक रोगो से जकड़ते जाते है।

यह विकासवाद का वह चेहरा है। जिसे हम देख नहीं पाते। जिसके कारण आजीवन मोटापा कैसे घटे के फेर में फसे रहते है। किसी भी रोग का सही समय पर उपचार न करने पर विकराल रूप धारण करने लगता है। ठीक यही स्थिति मोटापा के साथ भी है। जिससे लीवर की समस्याए जैसे – फैटी लीवर, लीवर का बढ़ना आदि।  

मोटापा कैसे बढ़ता है ( how does obesity increase in hindi )

मोटापा के बढ़ने में उपयोगी कारण 

आयुर्वेदादी शास्त्रों की भाषा संस्कृत है। जिसमे मोटापे के लिए मेद शब्द का प्रयोग है। जिसकी सम्प्राप्ति मेदोधातु के बढ़ने पर होती है। जिसको आयुर्वेद में मेदो धातु का दूषित होना भी कहा गया है। जिसमे मेदोधातु द्वारा मार्गो के अवरुद्धन से शरीर में स्थित अन्य धातुओ की पुष्टि नहीं हो पाती। जिसके कारण रोगी सभी कार्यो को करने में असमर्थ हो जाता है। इसको ही शरीर का मोटापा बढ़ना कहा जाता है। 

विकसित होती आर्थिक गतिविधियों ने महायंत्रों को जन्म दिया। जिसके कारण 21 वी सदी को अन्य सदियों से भी अधिक विकसित माना गया। जिसमे मानव आधारित कार्य ( मैनुअल तकनीक ) को स्वचालित मशीन ( आर्टिफीसियल इंटेलीजेंस ) में परिवर्तित कर दिया गया। जिनका प्रसार कृषि ( पृथ्वी ) से लेकर मंगलयान ( आकाश या आंतरिक्ष ) तक किया गया।  जिसका प्रभाव घास – पात, तरु – लता, पशु – पक्षी पर पड़ने के साथ – साथ मानवो पर भी पड़ा।

जिसने मानवों की सम्पूर्ण जीवनशैली को ही बदल डाला। जिसके कारण घर के अंदर से लेकर घर के बाहर ( व्यापार आदि ) तक के सभी कार्य मशीनों द्वारा होने लगे। जिससे भारत सहित दुनिया भर के लोग उद्योगों पर और अधिक ( पूर्णतः ) निर्भर हो गए। जिसने मानवीय गतिविधियों को न्यून ( शून्य ) कर परिश्रम से दूर कर दिया। जिससे भोजन भी अब आर्थिक गतिविधि का हिस्सा बन गया। जिसका परिणाम यह हुआ हुआ कि भोजन शास्त्रीय विधा से न बनकर औद्योगिक विधि से बनाया जाने लगा। जाने अनजाने में इनका उपभोग करने के कारण इनके दुष्प्रभावों ( मोटापा आदि ) का शिकार होने लगे।

मोटापा बढ़ने के कारण ( obesity causes in hindi )

आयुर्वेदानुसार मोटापा के लिए अनेको उत्तरदायी कारण है। जिन्हे मोटापा बढ़ने का कारण भी स्वीकारा गया है।  जिसको कम करने के लिए प्रश्न पूछे जाते है। जैसे – मोटापा कम कैसे करें और मोटापा कैसे घटाएं ? जबकि शास्त्रों में मोटापा होने के कारण इस प्रकार बताये गए है –

शारीरिक श्रम ( व्यायाम, कसरत आदि ) न करने से, कफ – कारक आहारो का सेवन करने से, दिन में सोने से, मधुर रस वाले भोज्य पदार्थो ( चीनी इत्यादी ) का सेवन करने से, अधिक स्नेह युक्त पदार्थो ( तेल, घी आदि ) एवं आमरस का सेवन करने से मेदोधातु बढ़ती है। जिससे मोटापा रोग होता है। वही आधुनिक विचारको ने कुछ अन्य कारण भी बताये है। जैसे –

  • नींद न पूरी होना
  • आनुवांशिक विकार
  • असंतुलित हार्मोन ( हार्मोनल इम्बैलेंस )
  • अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन
  • तनाव
  • अनावश्यक रूप से एंटीबायोटिक, स्टेरॉयड आदि दवाओं का सेवन करना। आदि

मोटापा के लक्षण ( obesity symptoms in hindi )

जिस व्यक्ति को मेदोधातु बढ़ने से मोटापा हो जाता है। उसमे निम्नलिखित लक्षण पाए जाते है –

  • क्षुद्र श्वासी ( धीरे – धीरे सांस लेने वाला )
  • तृष्णा से भरा हुआ
  • मोह से ग्रस्त
  • अधिक या कम निद्रा वाला
  • उच्छ्श्वास ( गहरी या लम्बी सांस लेने ) में रुकावट होना
  • गले में घुर्र – घुर्र शब्द का सुनाई देना ( खर्राटे लेना )
  • ग्लानि ( चिंता या तनाव ) से घिरा हुआ
  • अत्यधिक भूख लगना
  • दुर्गन्धयुक्त पसीना आना
  • अल्पशक्ति वाला ( बलहीन ) और
  • बहुत कम स्त्री सहवास कर पाता है।

मोटापा के प्रकार ( obesity types in hindi )

आयुर्वेद में मेद धातु के संग्रहित होने के दो स्थान बताये गए है। जिनमे पहला पेट और दूसरा अस्थिया है। जिनके आधार पर मोटापा भी दो प्रकार का हो सकता है।

  1. मेदोधातु का संचय उदर में होना। जिसके कारण मोटापा रोगियों का प्रायः पेट निकलते देखा जाता है। जैसे – महानगरों में निवास करने वाले व्यक्तियों का पेट।
  2. मेद धातु का हड्डियों में संचित होना। जिसके कारण मोटापे का प्रभाव पूरे शरीर पर दिखाई पड़ता है। जैसे – भारतीय ( विशेष रूप से दक्षिण के ), लंकावासी आदि।

परन्तु मॉडर्न चिकित्सा विज्ञान ने इसके निम्न प्रभेद बताये है। जैसे – वर्ल्ड जनरल ऑफ़ गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी में इसके चार प्रकार बताये गए है।

  1. नार्मल वेट ओबेसे
  2. मेटाबोलिकली ओबेसे नार्मल वेट
  3. मेटाबोलिकली हेल्दी ओबेसे
  4. मेटाबोलिकली अनहेल्दी ओबेसे

बॉडी मास इंडेक्स (BMI) के अनुसार भी इसको चार भागो में बांटा गया है –

  1. ओवरवेट ( नॉट ओबेस ) : यदि BMI 25.0 – 29.9
  2. क्लास 1 ( लो रिस्क ) ओबेसिटी ( obesity class 1 ) : यदि BMI 30.0 – 34.9
  3. क्लास 2 ( मॉडरेट रिस्क ) ओबेसिटी ( obesity class 2 ) : यदि BMI 35.0 – 39.9
  4. क्लास 3 (  हाई रिस्क ) ओबेसिटी ( obesity class 3 ) : यदि BMI 40 या इससे अधिक

मोटापे के अन्य प्रकारो में गले का मोटापा, कमर का मोटापा, पेट का मोटापा, नितम्ब या जांघ का मोटापा इत्यादी भी माना गया है। जिस पर अभी भी शोध क्रियान्वित है।

शरीर भार सूचकांक द्वारा मोटापा की गणना ( obesity bmi calculator in hindi )

मॉडर्न चिकित्सा विशेषज्ञों ने मोटापे के मापन की विधि विकसित की। जिसे बी एम आई कहा गया। जिसमे मनुष्य के किलोग्राम भार को प्रति वर्ग मीटर लम्बाई से निरूपित किया गया।

 BMI = kg/m²

जिससे प्राप्त होने वाली संख्या ( भागफल ) को यहाँ बी एम आई कहा गया है। उदहारण के लिए यदि किसी व्यक्ति का वजन 63 किलो और लम्बाई 1.68 मीटर है। तो उसका BMI = 22.324 होगा। जो न मोटापे और न ही अधिक वजन की श्रेणी में आएगा। बल्कि सामान्य वजन वाला होगा। यदि आप मोटापा जल्दी से घटाना है चाहते तो, वजन पर नियंत्रण अनिवार्य है।

मोटापे की बी एम आई सीमा ( obesity bmi range in hindi )

आज के परिवेश में मोटापे का मापन बी एम आई द्वारा किया जाने लगा है। जिसमे अलग – अलग रोग की अपनी सीमा है। जिसके आधार पर रोग की पहचान की जाती है। जिनमे मोटापा आदि भी है। जिसकी बी एम आई न्यूनतम सीमा 30 और अधिकतम 40 या उससे भी अधिक मानी गयी है। जिसके आधार पर मोटापा की तीव्रता ( जोखिम ) जानी जा सकती है। मोटापा कम करने में भी यह सहायक है। जिससे समय रहते अनावश्यक दुविधाओं से भी बचा जा सकता है।

मोटापा बनाम वसा ( obesity vs fat in hindi )

वसा और मोटापा दोनो एक दूसरे के पूरक है। जिससे एक में विसंगति होने पर दूसरे का विसंगतिग्रस्त होना स्वाभाविक है। यह पारितान्त्रिक क्रिया है। जिसका निष्पादन और नियंत्रण मस्तिष्क द्वारा होता है। जो समय – समय पर विभिन्न चारित्रिक संक्रियाओं से इस पर ध्यान आकृष्ट करता है। जैसे – बुखार, खांसी, अंग विशेष में दर्द, खुजली इत्यादी। परन्तु हम उसे रोग समझकर दबाने का प्रयास करते है, न कि समाप्त ( उपचार ) करने का।

आधुनिक चिकित्साओं ने नियमित असंतुलित ( मात्रा से अधिक अनसैचुरेटेड ) वसा के एकत्रीकरण को मोटापा कहा है। इन वसाओं को आजकल मोनो अनसैचुरेट्स ( मूफा ), पॉली अनसैचुरेटेड ( पूफा ), ट्रांस फैट्स के नाम से जाना जाता है। जो पूरी तरह से शास्त्र विरुद्ध और प्रतिकूल है। जिनके निर्माण और उपयोग का उल्लेख आयुर्वेदादी ग्रंथो में नहीं है। बल्कि इनके सेवन का प्रतिषेध गोप्यता ( गुप्त रीति ) से किया गया है। जिसका विकास तकनीकी के बल पर, व्यापार को समृद्ध बनाने के लिए किया गया है।

आजकल देखने में सुन्दर, मनमोहक खुशबू वाले और स्वादिष्ट भोजनादि का निर्माण इनके द्वारा किया जाता है। जिनका आस्वादन ( मात्रा और काल की अतिरेकता ) से करने वाला स्वयं को विकसित कहता है। जो आधुनिक विकासवादी परिभाषाओ के सदृश है। ऐसी पुनरावृत्ति बार – बार काने पर एसिडिटी आदि को निमंत्रण मिलता है। जो मोटापा को घटाने के बजाय बढाता जाता है। जिसके लिए एसिडिटी को जड़ से ख़त्म करने के उपाय अपनाना चाहिए।

मोटापा के नुकसान ( obesity side effects in hindi ) 

मोटापा से होने वाले नुकसान

मोटापे से ग्रसित व्यक्ति में निम्नलिखित रोगो के होने की संभावना प्रबल हो जाती है –

  • हाई ब्लड ग्लूकोज ( शुगर ) या डायबटीज
  • हाई ब्लड प्रेशर ( हाइपर्टेंशन )
  • हाई ब्लड कोलेस्ट्रॉल और ट्राईग्लिसराइड ( डिसलिपिडिमिया या हाई ब्लड फैट्स )
  • ह्रदय धमनियों के संकरा होने से हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर और स्ट्रोक )
  • अधिक वजन के कारण हड्डियों और जोड़ो पर दाब पड़ने से हड्डियों और जोड़ो की समस्याए हो सकती है। जो आगे चलकर ऑस्ट्रियोअर्थराइटिस में बदल सकती है। इस बीमारी में जोड़ो में सूजन के कारण दर्द और कड़ापन हो जाता है।
  • नींद के दौरान साँस का रुकना ( स्लीप एपनिया ), जिसके कारण दिन में थकान और आलसपन, ध्यान में कमी और काम करने में परेशानी हो सकती है।
  • पित्त की पथरी और लीवर की समस्याए हो सकती है।
  • पेशाब रोग और किडनी की समस्या।
  • श्वसन इत्यादी से सम्बंधित फेफड़ो की समस्याए।
  • गर्भधारण में कठिनाई।
  • किडनी फेलियर
  • अनेको प्रकार के कैंसर आदि।

रोग जो मोटापा का कारण बनते है ( diseases which cause obesity in hindi )

प्राचीन आयुर्वेदज्ञों एवं आधुनिक चिकित्सक भी उदर विकार को, मोटापे आदि का कारण मानते है। जिसका मूल कारण समस्त खादित पदार्थो को पचाने का कार्य उदरंगीय ( पेट के उपांग ) संक्रियाओं द्वारा संचालित होता है। जिसके मुख्यतः तीन भाग है। जिनसे सम्बंधित भागो की विकृति की दशा में अलग – अलग रोग होते है। जैसे – छोटी और बड़ी आंत, गुदा आदि में विकृति होने पर गैस की समस्या होती है। जिसके लिए गैस को जड़ से ख़त्म करने के उपाय शास्त्रों में सुझाए गए है।

कब्ज, गैस, एसिडिटी इत्यादी सतत और दीर्घकाल से चलने वाली दुष्क्रियाए है। जो पेट के नीचे, बीच में और ऊपर अपना प्रभाव दिखाते है। जिसका धीरे – धीरे हमारा शरीर अभ्यासी ( आदी ) हो चुका है। जिससे एकाएक पीछा छुड़ाना असंभव है। जब इन रोगो को मिटाना इतना कठिन है, तब मोटापा तो इससे भी घातक रोग है। इस कारण मोटापा घटाने या समूल नाश करने के लिए, इसके विविध आयामों पर पानी फेरना होगा। जिसके लिए तीनो स्तरो पर कार्य करना होगा।

अब जब भी मोटापा कैसे घटायें का चिकित्सीय विचार होगा। तब – तब इन घटको पर ध्यान देना होगा। जिससे मोटापा कम करें ( कर सके )। जिसको आमतौर पर मोटापे का प्रबंधन कहा जाता है। जिसकी चर्चा आगे की गई है।

मोटापा कम करने के लिए क्या करें ( obesity treatment in hindi )

अब बात आती है मोटापा के उपचार की। जिसको मोटापा कम करने का इलाज भी कहते है। जिसके लिए शरीर का मोटापा कैसे घटाएं और मोटापा कम कैसे करे जैसे वाक्य का भी प्रयोग होता है। परन्तु आजकल लोग 10 दिन में मोटापा कैसे कम करें की बात भी करते है। जो प्रायोगिक रूप से हो पाना कठिन है। यदि किसी अस्थायी उपाय का आलंबन लेकर कम भी कर दिया जाय तो थोड़े ही समय में पुनः विध्वंशकारी रूप में प्रकट होता है। जैसे – डाइटिंग ( न्यून मात्रा में भोजन का सेवन ) आदि।

इसलिए मोटापा कैसे दूर करें का विधि सम्मत विचार होना चाहिए। जिसमे मोटापा कैसे घटता है और क्यों ?  का केवल विज्ञान ही नहीं, बल्कि दर्शन और व्यवहार परक चिंतन होना भी  आवश्यक है। जिसको सनातनी आयुर्वेदज्ञों ने सनातन चिकित्सा का ह्रदय स्वीकारा है। जिसका वृहद् विवेचन अनेक आयुर्वेद सहिताओ में किया गया है। जिसमे औषधियों, भोजन परहेज सहित मोटापे के प्रबंधन पर भी प्रकाश डाला गया है। जिनको मोटापा कम करने का उपाय कहा गया है।

इन सभी का समुचित प्रबंध करने पर, निश्चित रूप से मोटापा को हराया जा सकता है। यह तथ्य न जानने के कारण ही लोग अनायास पूछ बैठते है कि मोटापा कम करने के लिए क्या करना चाहिए ? जिसकी उद्घोषणा महान समाज सुधारक राजीव दीक्षित जी ने भी किया है। जिसको राजीव दीक्षित मोटापा घटाने का उपाय कहा जाता है। जबकि योग गुरु के रूप में विख्यात बाबा रामदेव जी ने भी इस पर अनेको बाते बतायी है। जिनकी प्रसिद्धी मोटापा कैसे कम करें रामदेव बाबा से है। इसमें भी इन्होने से मोटापे के उपचार से अधिक इसके प्रबंधन पर बल दिया है।

मोटापा प्रबंधन ( obesity management in hindi )

किसी भी समस्या ( रोग ) पर नियंत्रण के लिए प्रबंधन आपेक्षित है। जिसके बिना छोटी से छोटी समस्या भी विकराल रूप धारण करने में समर्थ हो जाती है। चिकित्सा में गुण और दोष के समन्वय को ही प्रबंधन का नाम दिया गया है। जिसमे दोषापनोदन के लिए द्रव्य में सन्निहित गुणो के उपयोग होता है। जिसका समर्थन शास्त्र और शास्त्रत्रज्ञ दोनों करते है। जिन्होंने दोषो की शून्यता को चिकित्सा की मान्यता दी है

जिस आधार पर मोटापे में प्रायः तीन प्रकार के दोषो की प्रशक्ति देखी जाती है। जिसको हम देहगत दोष, पौष्टिक न्यूनता और दिनचर्या और ऋतुचर्या में विसंगति कहते है। जिन पर नियंत्रण साधने से मोटापा जैसे रोग स्वतः समाप्त होने लगते है। माता – पिता के सामरिक संघट्ट के फलस्वरूप दोषप्रधान शरीर की प्राप्ति शिशु के रूप में होती है। जिसका क्रमिक विकास बालक, किशोर, युवा और वृद्ध में होता है। जिसमे देहप्रधान स्वाभाविक दोषानुगति उभयनिष्ठ रूप से विद्यमान रहती है। जिसका वारण किसी भी विधा से संभव नहीं।

शास्त्रीय सीमा में मोटापा कफ नामक दोष की विकृति से होने वाला रोग माना गया है। जिसके मूलभूत कारणों में अन्न और जल की विसंगति मान्य है। जबकि मोटापे से ग्रस्त लोगो में कब्ज ( वात प्रधान दोष ) पायी जाती है। जिसके निवारण में कब्ज का रामबाण उपाय लाभदायक है।   जीवनभर स्वास्थ्य को सुचारु रूप से संचालित करने में ऋतुचर्या और दिनचर्या का अभूतपूर्व योगदान है। जिसको आधुनिक जीवन की स्वस्थ्य दिनचर्या कहा गया है। रह गई बात पौष्टिकता की तो इसका विश्लेषण मोटापा घटाने के उपाय, खानपान आदि के माध्यम से किया जा रहा है।  

मोटापा कम करने के उपाय (how to reduce the obesity in hindi)

शास्त्रीय ( आयुर्वेदादी ) विधा में मोटापा कम करने की विधि बतलाई गई है। वही आधुनिक प्रचलित चिकित्सीय पद्धतियों ने भी, अनुसंधान करके मोटापा कम करने के तरीके निकाले है। जो बहुत हद तक सैद्धांतिक पक्ष में अशास्त्रीय नहीं है। इनमे विशेषता यह है कि जहाँ तक, इन्होने सिद्धांत का यथानुरूप पालन किया है। वहाँ तक यह कारगार है अर्थात इनकी उपयोगिता व्यवहारिक धरातल पर चरितार्थ है। इस आधार पर इनको भी शास्त्रीय कहा जाता है।  

मोटापा कम करने का तरीका में विविध प्रकार के उपाय है। जिसमे मोटापा कम करने के घरेलू नुस्खे, मोटापा घटाने का चूर्ण, मोटापा कम करने का आहार, मोटापा कम करने की दवाई ( आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, एलोपैथिक ) आदि है। इनमे से मोटापा कम करने के उपाय बाबा रामदेव द्वारा भी प्रतिपादित किया गया है। जो उपरोक्त विधाओं का युग्मरूप है। जिनके माध्यम से मोटापे पर नियंत्रण साधा जा सकता है।

पाचन की समस्या मोटापा जैसे रोगो का उत्सर्जन करने में सहायक है। जिसमे विसंगति होने पर पाचन से जुड़े रोगो के होने की संभावना प्रबल हो जाती है। जिसके लिए रोग नहीं अपितु रोग के कारण अर्थात पाचन क्रिया में सुधार की आवश्यकता होती है। जिसके लिए पाचन क्रिया कैसे सुधारे को जानना ही उपयोगी है। जबकि मोटापे के अन्य विधियों का यहाँ क्रमिक वर्णन प्रस्तुत है। 

मोटापा कम करने के घरेलू उपाय ( home remedies for obesity in hindi )

आयुर्वेद ने घरेलू उपायों को चिकित्सीय मान्यता दी है। जिसके कारण इनको अन्यथा नहीं सिद्ध किया जा सकता। यह उपाय ठीक उसी प्रकार कार्य करते है। जिस प्रकार अन्य आयुर्वेदीय उपाय। जिनके कारण इनकी प्रसिद्धी आयुर्वेद जैसी ही है। यह इतना लोक कल्याणी और व्यवहारी है कि आप इसकी कल्पना नहीं कर सकते है। यह जितना सरल है, उतना ही सुगम और क्रियाशील। जिससे कम समय में ही लाभ प्रदर्शित ( असर दिखाता ) है।

इस पर भी कुछ लोगो की मान्यता है कि – घरेलू नुस्खे का प्रयोग प्रायः नए रोगो के शमन में होता है। जबकि वास्तविकता में ऐसा नहीं है। चिकित्सा में दवा की मात्रा और उसकी अवधि दोनों ही महत्वपूर्ण है। जिनके तारतम्य ( तालमेल ) से रोग पर विजय पायी जाती है। जिसके लिए मोटापा कम करने के नुस्खे इस प्रकार है –

  • मेथी खाने से मोटापा कम होता है। जिसको भिगोकर, भिगाकर अंकुरित करके भी खाया जा सकता है। इसके साथ ही इसके चूर्ण का काढ़ा बनाकर भी सेवन किया जा सकता है।
  • मोटापा को कम करने के लिए अनेको प्रकार के क्वाथ का वर्णन है। जिसमे अदरक, काली मिर्च, अजवाइन और सेंधानमक का उपयोग होता है। जबकि कफ रोगो में अदरक के फायदे अनेक है।
  • पाचन से सम्बंधित सभी विसंगतियों में जीरे का उपयोग फायदेमंद है। जिसके कारण जीरा और मोटापा आपस में शत्रु तुल्य है।
  • दूध और केला से मोटापा को बल मिलता है। इसलिए मोटापा घटाने की इच्छा रखने वालो को इसको नहीं खाना चाहिए।
  • त्रिफला चूर्ण मोटापा कम करने में सहयोग करता है।
  • निम्बू शहद मोटापा को घटाने में सहायक है।
  • आधुनिक विशेषज्ञ ग्रीन कॉफी से मोटापा घटाए की बात करते है। वही ग्रीन टी को मोटापा कम करने की चाय भी कहा जाता है।

मोटापा कम करने की दवा ( medications for obesity in hindi )

आयुर्वेद शीत, उष्ण, शीतोष्ण आदि अनेको दिव्योषधियो से समृद्ध है। जिसके कारण सभी प्रकार के रोगो को उपचारित करने की क्षमता आयुर्वेदादी शास्त्रों में सन्निहित है। जिसका दर्शन चिकित्सा सिद्ध विशेषज्ञों द्वारा निर्देशित विधि – विधानों से होता है। जिसमे कर्तित्व ( करने वाले ) और अकर्तित्व ( न करने वाले ) दोनों प्रकार के वचन है। जैसे – बहेड़ा, आंवला, हरड़ के मिश्रण से बनने वाले त्रिफला चूर्ण का मोटापा में प्रयोग। जो पेट में जलन और दर्द को दूर करता है।

मेद रोग का नाश करने के लिए प्रायः गर्म औषधियों का प्रयोग होता है। जोकि कफ रोगो का मूलगात सिद्धांत है। जबकि व्यवहार में वात और पित्त दोष के कारण भी मोटापा देखा जाता है। जिसके लिए वात नाशक और पित्त नाशक औषधि द्रव्यों की भी आवश्यकता होती है। जैसे – शाखोटक, गोमूत्र, कसीस, हींग, सोंठ, सेंधानमक, शिलाजीत, गंभारी, मधु ( शहद ), पाढ़ल आदि।

लक्षण विशेष के आधार पर औषधियों का चयनकर दिव्य फार्मेसी आदि ने मोटापे का चूर्ण तैयार किया है। जिसे पतंजलि मोटापा कम करने की दवा के रूप में जाना जाता है। जिसमे मुख्यता निम्न है –

  • पतंजलि मेदोहर चूर्ण
  • पतंजलि मेदोहर वटी। इसको मोटापा कम करने की आयुर्वेदिक टैबलेट भी कहते है।

मोटापा कम करने के लिए आयुर्वेदिक दवा ( obesity treatment in ayurveda in hindi )

आयुर्वेद में दवाओं के चयन की विशेष विधा है। जिसमे व्यवहार और विज्ञान के साथ – साथ दर्शन पर भी विचार किया जाता है। जिसके कारण आयुर्वेदिक दवाओं को संजीवनी भी कहते है। जब बात मोटापे के उपचार की हो तो मोटापा की अचूक दवा भी इसमें वर्णित है। जैसे –

  • आयुर्वेद में त्रिफला को मोटापा कम करने का चूर्ण कहा गया है। जबकि प्रायः सभी रोगो में इसका विरेचन के रूप में उपयोग है।
  • त्रिफला चूर्ण और मोटापा दोनों एक दुसरे के प्रतिद्वंदी माने जाते है। जिसमे मधु के साथ त्रिफला के क्वाथ का सेवन किया जाता है। जिससे मेदो रोग ( मोटापा ) नष्ट हो जाता है।
  • रात्रि में शयन से पूर्व गर्म जल का सेवन कफ नासक है। जिससे मोटापा का नाश करता है। इसको मोटापा कैसे कम करें घरेलू उपाय भी कहते है।
  • गर्म जल को ठंडाकर शहद मिलाकर पीने से मोटापा नष्ट होता है। जिसको मोटापा कैसे कम करे घरेलू नुस्खे इन हिंदी भी कहते है।
  • बेलगिरी, अरणी, श्योनाक ( अरलू ), गंभारी और पाढ़ल का क्वाथ मधु मिलाकर पीने से चर्बी बढ़ाने वाले अर्थात मोटापा को दूर करता है।
  • भुजा हुआ हींग, खारी मिट्टी, शुद्ध तूतिया, सेंधानमक, शिलाजीत, सफ़ेद और पीला कसीस को सम भाग में मिलाकर पीने से जीर्ण मोटापा भी शीघ्र ही नष्ट हो जाता है।
  • अश्वगंधा से मोटापा कम होता है।

ध्यान रखे : शहद ( मधु ) का प्रयोग कभी भी उष्ण पदार्थो के साथ या गर्माकर नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से मधु विषैला हो जाता है। जिसको चरक, सुश्रुत सहित सभी आयुर्वेदज्ञ स्वीकार करते है।

मोटापा कम करने की होम्योपैथिक दवा (obesity homeopathic medicine in hindi)

होम्योपैथी एक प्रकार की निदानात्मक चिकित्सा है। जिसमे रोग से ग्रसित व्यक्ति का विधिवत परीक्षण किया जाता है। जिसके दो भेद है। पहला रोगी से बातचीत करके। जिसमे शरीर में होने वाली अनबन वाली बाते रोगी से पूछी जाती है। जैसे – दर्द का स्थान, दर्द की प्रकृति, दर्द का समय, मन में उठने वाले ख्याल, मानसिक उदवेदना और प्रतिदिन घटित होने वाले क्रियाकलापों में होने वाली समस्याए आदि। दूसरा परीक्षण करके। जिसमे विशेषज्ञ रोगी के शारीरिक अंगो परीक्षण कर लक्षण इकठ्ठा करते है। जैसे – शरीर का ताप, जीभ का रंग, चमड़ी के रंग में परिवर्तन, दाग, खुजली, मवाज या पास और हार्ट बिट इत्यादि।

जिनके आधार पर संकलित लक्षणों में विभेदकर प्रमुख लक्षण को ध्यान में रखकर उसके जैसे लक्षण को प्रदर्शित करने वाली सादृश्य दवाई चुनी जाती है। फिर रोगी की प्रतिक्रिया और सहिष्णुता को ध्यान में रख कर उसकी मात्रा ( पोटेंसी ) का चयन होता है। फिर रोग की तीव्रता के आधार पर दवा की आवृत्ति ( रिपीटीशन ) निर्धारित होती है। होम्योपैथिक सिद्धांतो के अनुरूप यह क्रिया मोटापा के उपचार में भी सहायक है। जिसमे स्वास्थ्य को बाधित करने वाले रोगो का उपचार होता है।

जिसमे मुख्य रूप से कैल्केरिया कार्ब, लाइकोपोडियम, एण्टियम क्रूड, सल्फर, पल्सटिला, साइलीशिया, सीपिया, चाइना, लिलियम टिग, अर्जेंटीकम नाइट्रिकम, नाइट्रिक एसिड, फास्फोरस आदि दवाओं का उपयोग होता है। जो लक्षणानुरूप प्रयोग होती है। जबकि एलोपैथी में भी इसका उपचार होता है।

मोटापा कम करने की अंग्रेजी दवा ( allopathic medicine in hindi )

होम्योपैथिक उपचार पद्धति की भाँती अँग्रेजी पद्धति में भी मोटापा का उपचार होता है। जिसमे मुख्यतः मोटापा कम करने का कैप्सूल और टेबलेट का प्रयोग होता है। जिसको मोटापा कम करने के लिए अंग्रेजी दवा भी कहते है। यह सभी दवाई पाचन क्षमता में सुधारकर शरीर में जमा चर्बी को गलाने का कार्य करते है। ऐसा इनके निर्माताओं द्वारा कहा जाता है। जो इस प्रकार है –

  • एम एच पी मोटापा मुक्ति आयुर्वेदिक कैप्सूल
  • मेदविन टेबलेट

मोटापा कम करने के व्यायाम (obesity exercise in hindi) 

मानव शरीर में उपस्थित मांसपेशियों में संचित ऊर्जा को, खर्च करने का सबसे बढ़िया माध्यम परिश्रम है। जिसका आकलन शताब्दियों पूर्व आयुर्वेद के आचार्यो ने कर लिया था। जिसका सदुपयोग करने के लिए सृष्टि प्रक्रिया का अध्ययन कर नियम निर्धारित किया। जिसको दिनचर्या का नाम दिया। इन्ही विशेषताओं से विशेषित होने के कारण आयुर्वेद को चिकित्सा पद्धति ही नहीं जीवन पद्धति भी कहते है। जिसको प्रमाणिकता और दृद्गता प्रदान करने के लिए चिकित्सा सिद्ध आयुर्वेदज्ञों में चिकित्सा से पूर्व दिनचर्या को स्थान दिया।

मोटापा की एक्सरसाइज 

यह वह क्रिया है जिसका पालन सभी स्थावर और जंगम प्राणी करते है। अपवाद के रूप आज मनुष्य है। जो इनके विरुद्ध कार्य करने पर अज्ञानतावश स्वयं को गौरवान्वित महसूस करता है। जिसका कारण महायन्त्रिक जड़ता है। जिसने मशीन आधारित कार्य और एक्सरसाइज़ को जन्म दिया। जिसके कारण लोग मोटापा घटाने का परिश्रम के बजाय मोटापा कम करने का एक्सरसाइज की बात करते है। जो एक प्रकार से दिनचर्या का आंशिक अंश है।

आजकल मोटापा कम करने की एक्सरसाइज में तेजी से दौड़ लगाना, अत्यधिक उछल – कूद मचाना, अधिक भार उठाने जैसीरीर को थकाने वाली ना ना प्रकार की क्रियाए करते है। जिसको मोटापा कैसे कम करें exercise के नाम से जाना जाता है। ऐसा करने पर मोटापा रोगियो को कमर दर्द, घुटना दर्द और पीठ दर्द जैसी समस्याओ से जूझना पड़ सकता है। जिससे बचने के लिए मोटापा कम करने के लिए एक्सरसाइज में सरल और आसानी से की जाने वाली क्रियाओ का ही आलंबन लेना उचित है।

मोटापा कम करने के लिए क्या खाना चाहिए ( obesity diet in hindi )

आयुर्वेदादी ग्रंथो में मीठे के सेवन से मेद नामक धातु की वृद्धि मान्य है। जिसके कारण मीठा खाने से मोटापा बढ़ता है। जिसकी प्राप्ति में कार्बोहाइड्रेट आदि की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। जिसमे सभी प्रकार की शर्कराए सम्मिलित है। जैसे – ग्लूकोज, सुक्रोज, फ्रटोज आदि। मॉडर्न साइंस ने सभी शर्कराओं में, संरचना में सबसे सरल ग्लूकोज को और सबसे कठिन फ्रटोज को माना है। जिसके कारण ग्लूकोज को रोगकारक शर्करा भी कहा जाता है। क्योकि यह जितनी सरलता से टूटता है, घुलता है, उतनी ही सरलता से अवशोषित भी होता है। 

मोटापा के लिए डाइट 

परन्तु आज की उन्नत प्रौद्योगिकी ने सभी खाद्य पदार्थो में मीठा और नमक मिलाने की नवीन परम्परा को जन्म दिया है। जिससे हर व्यक्ति बाजार में मिलने वाली, सभी चीजों में न चाहते हुए भी मीठा के नाम पर चीनी और नमक के नाम पर आयोडाइज्ड ( कृत्रिम विधा से परिष्कृत ) नमक खाता है। जिससे प्रत्येक व्यक्ति मोटापा आदि का शिकार होता ही है। जिस प्रकार चीनी असंश्लिष्ट होकर रोगो को जन्म देती है। वैसे ही नमक हड्डियों को गला कर रोगो की उत्पत्ति करता है

जब हम चीनी का अधिक मात्रा में सेवन करते है। तब यह शरीरगत पानी को सोखती है। जिससे गला सूखना, अंगो के सिकुड़ने जैसी समस्याए जन्म लेती है। वही अधिक नमक खाने पर कैल्शियम अवशोषण में कमी आती है। मोटापा होने में इन्ही दो कारको की आवश्यकता होती है। जिनकी पूर्ति हम भोजन के माध्यम से पूरीकर ( जानकार या अनजाने में ही सही ), मोटापा जैसे रोग को गले का हार बना लेते है। जिससे पीछा छुड़ाने के लिए हम व्यायाम, योग, अनेको प्रकार के सप्लीमेंट का सहारा लेते है। फिर भी मोटापे आदि का शिकार बने रहते है।    

मोटापा कम करने के लिए डाइट ( diet of obesity in hindi )

जिसका मूल कारण भोजन में अन्तर्निहित त्रुटि है। जिस पर जिम्मेदारियों, काम के दबाव आदि के कारण हमारा ध्यान नहीं जाता। और किसी के द्वारा ध्यान दिलाया भी नहीं जाता। अब समस्या इसमें यह है कि त्रुटि को मिटाने पर स्वाद से हाथ धोना पडेगा। जिसके लिए कोई तैयार नहीं होता। और धीरे – धीरे यह गलती रोग के रूप में परिणत होती जाती है। जो शनैः शनैः प्रतिवर्ष गंभीर होती रहती है। जिससे और भी अधिक विध्वंशक रोग का जनन कर सके। 

चिकित्सीय आहार मीमांसा और पाकशास्त्र में भोजन का विधान उल्लेखित है। जिसमे भोजन को स्वाद के लिए नहीं, अपितु स्वास्थ्य के लिए निर्धारित किया गया है। जो आधुनिक परिभाषाओ के ठीक विपरीत है। जिसमे तालमेल बिठाने पर ही मोटापा जैसे जीर्ण रोगो से बचना संभव है। जिसको आज की भाषा में मोटापा डाइट चार्ट कहा जाता है। मोटापा घटाने के लिए यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण चरण है। क्योकि मोटापा को कम करने के लिए हर कोई एक्सरसाइज, योग आदि नहीं करता। लेकिन भोजन करना हमारा विवशता है।

जिसके लिए सामान्य भोजन नहीं बल्कि विशेष ( शास्त्रीय विधा के अनुरूप ) भोजन की अपेक्षा है। जिसको आधुनिक विज्ञान मोटापा कम करने के लिए डाइट चार्ट कहता है। जिसमे भोजन से सम्बंधित अनेको प्रकार के विधि – निषेध है। जैसे – क्या खाने से मोटापा कम होता है आदि। मोटापे को कम ( शून्य ) करने के लिए रेशेदार ( फाइबर युक्त ), शुद्ध और सात्विक भोजन को निर्धारित समय पर लेने की आवश्यकता है। जिसमे विविध प्रकार के फल, सब्जिया, अन्न इत्यादि है।

मोटापा से बचाव ( obesity prevention in hindi )

आज के युग में मोटापा वात, पित्त और कफ दोषो के कारण देखा जाता है। जिसके कारण तीनो प्रकार के प्रतिषेधक भोज्य पदार्थो का विवेचन है। इसके साथ मनोभावों की शुद्धी, दिनचर्या आदि का पालन भी मोटापा से बचने का अमोघ उपाय है। जैसे –

  • पर्याप्त मात्रा में पानी का उपयोग करे। विशेषकर भोजन करते समय।
  • जल में उत्पन्न और पाए जाने वाले शाक – पात, जीव जंतु ( मांस ) का प्रयोग न करे। जैसे – अधिक मात्रा में कमलगट्टा, मछली आदि।
  • रिफाइंड ( जला तेल ) का प्रयोग भोजन पकाने में न करे।
  • ताली – भुनी वस्तुओ का सेवन मोटापा में हानिकारक है। जैसे – बाजार में बिकने वाले समोसा, स्नैक्स, चिप्स, पापड आदि।
  • विदाही ( जलन पैदा करने वाली ) खाद्य वस्तुओ का सेवन न करे। जैसे – पिज्जा, बर्गर, चाउमीन, चॉकलेट, तरह – तरह की मिठाईया आदि।
  • गुरु ( जो शीघ्र नहीं पचते ) पदार्थो को खाने से मोटापा बढ़ता है। जिससे इसका सेवन नहीं करना चाहिए। जैसे – उरद की दाल, पूड़िया, पराठे आदि।
  • विष्टम्भी ( कब्जकारक ) वस्तुओ के सेवन से बचे। जैसे – चटपटी और तीखी नमकीन, मैदे से बनी बस्तुए।
  • रूखे ( स्नेह रहित ) पदार्थो को खाने से परहेज करे। जैसे – केक, बिस्कुट ( बिस्किट ) आदि।
  • अभिष्यंदी ( कफकारक ) पदार्थो को खाने से बचे। जैसे – चावल के आटे से बनी वस्तुए।
  • ठन्डे और शीतल पदार्थो को नहीं खाना चाहिए।
  • बासी भोजन को भूलकर भी न खाये।
  • दिन में भूलकर भी न सोये।
  • प्रकट और सुप्त ( कार्बोनेटेड वाटर आदि के रूप में ) अवस्था में भी चीनी का प्रयोग न करे। जिसमे रिफाइंड चीनी आदि भी है।
  • रिफाइंड नमक ( आयोडीन ) नमक का प्रयोग न करे।
  • प्रतिदिन सवा घंटे भजन, ध्यान और स्वाध्याय करे।
  • 5 वर्ष की अवस्था के बाद दिन में दूध का प्रयोग न करे।

मोटापा कम करने का योग ( obesity yoga in hindi ) 

सभी प्रकार के जीर्ण रोगो में एक्सरसाइज से अधिक उपयोगी योग को माना जाता है। जिसमे यम – नियम के छोटे छोटे अभ्यासों से शरीर को पुष्ट किया जाता है। जिससे व्यक्ति सतत निरोगता की और अग्रसर होता है। जिसके परिणामस्वरूप मोटापा जैसे रोग दूर भागते है। जबकि सामान्य व्यवहार में वजन बढ़ते ही व्यक्ति हड्डी से सम्बंधित किसी न किसी रोग के चपेट में आ ही जाता है। जिसका कारण अतिरिक्त भार होने से हड्डियों का आपस में घिसाव होना है।

मोटापा कम करने के योग 

जबकि आसन और प्राणायाम योग का अभिन्न अंग है। जिसमे आसन के द्वारा शारीरिक क्रियाओ को सुव्यवस्थित क्या जाता है। जिससे प्राणायाम में उपयुक्त प्राण ( नासिका और मुखगत वायु ) पर नियंत्रण साधा जाता है। जिसका परिणाम शीघ्रता से प्रकट होता है। जिसमे प्रमुखता से शोधन का कार्य होता है। अक्सर लोग प्राणायाम से सम्बंधित प्रश्न करते है कि – किस प्राणायाम से मोटापा कम होता है ? तो मोटापा में अनुलोम – विलोम, भ्रामरी, भ्र्स्तिका इत्यादि प्रामायम उपयोगी है।

FAQ

क्या मोटापा जीर्ण ( दीर्घकालिक ) रोग है ( is obesity a chronic disease in hindi )

मोटापा अनेको दीर्घकालिक ( क्रोनिक ) रोगो का जन्मदाता है। जिसके कारण मोटापे को स्वतंत्र रूप से दीर्घकालिक रोग कहा गया है।

क्या मोटापा जीवनशैली का रोग है ( is obesity a lifestyle disease in hindi )

मोटापा रहन – सहन, खान – पान इत्यादि की विसंगति से होने वाला रोग है। जिनको आयुर्वेद में जीवनशैली कहा गया है। इस कारण मोटापा को भी जीवनशैली का रोग माना जाता है।

क्या मोटापा कुपोषण है ( is obesity malnutrition in hindi )

सामान्यतया मोटापा कुपोषण नहीं, बल्कि अतिपोषण से होने वाला रोग माना जाता है।

क्या मोटापा संचारी रोग है ( is obesity a communicable disease in hindi )

बिलकुल नहीं।

मोटापा कम करने के लिए क्या नहीं खाना चाहिए ( what not to eat to lose fat in hindi )

अप्राकृतिक वसा और इससे निर्मित सभी प्रकार के द्रव्यों का सेवन नहीं करना चाहिए। इनके साथ पचने में भारी, जलनकारक, चिकने और चटपटे इत्यादी खाद्यो को नहीं खाना चाहिए।

क्या मोटापा मधुमेह का कारण बन सकता है  ( can obesity cause diabetes in hindi )

मधुमेह रोग का एक लक्षण मोटापा है। जिसके कारण मोटापा को मधुमेह का कारण कहा जा सकता है।

क्या मोटापा पीठ दर्द का कारण बन सकता है ( can obesity cause back pain in hindi)

मोटापा होने से शरीर का वजन बढ़ जाता है। जिससे उठते, बैठते, सोते और चलते समय हड्डियों में दाब पड़ता है। जिससे मोटापा पीठ दर्द का कारण हो सकता है।

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