म्यूकर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) की परिभाषा, लक्षण और उपचार : (Mucormycosis / Black fungus definition, symptoms and treatment)

दुनियाभर के सहित भारत में कोरोना के बाद म्यूकर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) का प्रभाव देखा जा रहा है। जिसके कारण ही mucormycosis / black fungus के बारे में लोग जानना चाहते है। म्यूकरमाइकोसिस एक प्रकार का संक्रमण है। जिसके कारण इसको म्यूकर माइकोसिस संक्रमण कहते है। हिंदी में म्यूकरमाइकोसिस mucormycosis in hindi को ब्लैक फंगस के नाम से जाना जाता है। कोरोना के संक्रमण के बाद ब्लैक फंगस इन इंडिया की स्थिति भी विचारणीय है। जिसमे पेट दर्द आदि के होने से अधिक तकलीफ होती है। इससे बचने में पेट दर्द होने का कारण, लक्षण और देसी उपचार महत्वपूर्ण भूमिका रखता है।

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ब्लैक फंगस की बीमारी ज्यादातर उन लोगो में पायी जाती है। जो पहले से किसी बीमारी के शिकार है। जिसके कारण उनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। प्रायः प्रतिरक्षा प्रणाली की न्यूनता सभी रोगो में देखी जाती है। इम्युनिटी की सुदृढ़ता को स्वास्थ्य और इसकी कृशता को रोग की संज्ञा आयुर्वेदादी शास्त्रों को मान्य है। जिसको मजबूत करने के लिए अनेको प्रकार की विधाओं का वर्णन सनातन ग्रंथो में किया गया है। जिसमे मानवो में पाचन क्रिया कैसे सुधारे भी एक विधा है।

ब्लैक फंगस का मतलब साधारणः मृत्युग्रस्त कोशिका के अपघटन में फफूंद के निर्माण से है। जिसमे किसी भी कारण से मरी हुई कोशिकाओं की उपस्थिति और नमी की पर्याप्तता प्राप्त होने पर फफूंद का निर्माण होता है। इसको ही फफूंद की स्वाभाविक अवस्था नहीं कहा जा सकता है। जिसको आजकल म्यूकर माइकोसिस या ब्लैक फंगस के नाम से जाना जा रहा है। इसका निर्माण कवक के माध्यम से होता है। इस कारण इसे ब्लैक फंगल रोग ( black fungal disease ) भी कहते है। ब्लैक फंगस वायरस नहीं है बल्कि यह जीवाणुजनित रोग है। इसलिए म्यूकर माइकोसिस kya hai के उत्तर में हम इसको जीवाणुओ के द्वारा उत्पन्न होने वाला रोग कह सकते है।

मानवो में ब्लैक फंगस क्या है ( What is black fungus in human )?

आयुर्वेदानुसार फंगस को जीवो के वर्गीकरण में जंघात्मक जीवो के स्वेदज श्रेणी के अंतर्गत रखा गया है। जबकि मनुष्य को जंघात्मक जीव के जरायुज श्रेणी में रखा गया है। वर्गीकरण की प्रक्रिया में स्वेदज और अण्डज श्रेणी के बाद जरायुज श्रेणी को स्थान प्राप्त है। इस आधार पर स्वेदजो का विकसित रूप ही अण्डज प्राणी है और अण्डजो का विकसित रूप ही जरायुज प्राणी है। जरायुज प्राणी सर्व प्राणियों में विकास की दृष्टि से उत्कृष्ट है। जिसमे मनुष्य को जरायुजों में भी सर्वोकृष्ट स्थान प्राप्त है। इसकारण ही मानवो को सभी जीवो का विकसित रूप भी कहा जाता है। इसप्रकार मनुष्य में सर्व जीवो की गति है। जिसका सर्वोकृष्ट लाभ चिकित्सा जगत को दवाओं के रूप में प्राप्त है।

मानवीय जीवनशैली में प्रमाद के कारण मृत कोशिकाओं के निर्माण को अपघटित करने हेतु फफूंद के निर्माण को ब्लैक फंगस कहा जा सकता है। जो आजकल कोरोना आदि से ग्रसित रोगियों में देखने को प्राप्त हो रहा है। जिसका रंग काला या कालापन लिए होता है। जिसको mucormycosis in hindi में ब्लैक फंगस कहते है। जबकि आंग्ल भाषा में म्यूकर माइकोसिस in english कहा जा रहा है। जिसका मुख्य कार्य मृत कोशिकाओं को अपने भोजन के रूप में ग्रहण करना है। जब तक इनके भोजन की उपलब्धता है तभी तक इनका अस्तित्व है।

लम्बे समय से जब हम किसी बीमारी के शिकार होते है तो हमारी कोशिकाए उस रोग से लड़ने के कारण मृत्युग्रस्त हो जाती है। जैसे मधुमेह रोग तो अपने आप में एक रोग है। जिसके कारणों में मोटापा, अत्यधिक भोजन करना, शारीरिक श्रम न करना, अनुपात से अधिक वजन का होना आदि है। इन कारणों की विद्यमानता के कारण ही मधुमेह रोग की प्राप्ति होती है। इनके अनुपस्थिति में नहीं। इन सभी रोगो में प्रायः त्वचा में प्रसार देखने को मिलता है। इसके साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता में दिन प्रतिदिन कमी भी आती है। इसप्रकार के अनेको कारणों की विद्यमानता से मृत कोशिकाओं का निर्माण होता है। जिसका विघटन करने के लिए फफूंद आदि उत्पन्न हो जाते है। इसी फफूंद निर्माण को मानवो में ब्लैक फंगस के रूप में जाना जाता है।

भारत में ब्लैक फंगस क्या है ( What is black fungus in India? )

भारत में होने वाली म्यूकर माइकोसिस / ब्लैक फंगस की बीमारी को ही ब्लैक फंगस इन इंडिया कहा जा सकता है। जीवाणु संक्रमण के कारण ही इस रोग की प्राप्ति होती है। इस कारण ही इसको ब्लैक फंगल संक्रमण या ब्लैक फंगल इन्फेक्शन कहते है। 

कोरोना के दौरान असावधानी के रूप में ही ब्लैक फंगस को देखा जा रहा था। जिसमे अनेको प्रकार की बाते है। जिसमे स्टेरॉयड के अधिक इस्तेमाल आदि को माना जा रहा है। जिसके कारण व्यक्ति की मधुमेह आदि बढ़ जाती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है। मधुमेह बढ़ने से फंगस अधिक तीव्रता से अपना प्रसार करता है। जिसका कारण मधुमेह में पाया जाने वाला मीठापन है। इसके द्वारा प्राप्त संक्रमण को म्यूकर माइकोसिस संक्रमण कहते है।

म्यूकर माइकोसिस/ब्लैक फंगस की परिभाषा ( Definition of mucormycosis/black fungus )

मानवो में म्यूकर माइकोसिस को इस प्रकार से परिभाषित किया गया है। म्यूकरमाइकोसिस एक प्रकार का फंगल संक्रमण है। यह मुख्य रूप से उन लोगो को प्रभावित करता है। जो पहले से किसी अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओ के लिए दवा ले रहे है। जिससे उनकी पर्यावरण रोगनाशक से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। इससे ऐसे व्यक्तियों के साइनस और फेफड़े प्रभावित होते है। जो कवक बीजाणुओ को हवा के माध्यम से अंदर लेते है। इसको ही black fungal infection in hindi कहा जाता है। जिसमे खांसी आदि भी आती है। इस स्थिति में खांसी का इलाज घरेलू बहुत उपयोगी है।

यह रोग मुख्यतः इम्युनिटी के कमजोर या क्षीण होने के कारण होता है। जिसके कमजोर के चार प्रमुख कारण है। पहला पूर्व से किसी बीमारी का शिकार होना। जैसे मधुमेह, कैंसर आदि है। दूसरा कारण स्टेरॉयड का अनाधिकारिक और अत्यधिक उपयोग करना है। तीसरा वर्तमान समय में किसी रोग से ग्रसित होना है। चौथा साफ़ सफाई है। जिसमे प्रतिरक्षा तंत्र का सर्वाधिक योगदान होता है। इन्ही कारणों को black fungal disease origin भी कहा जा सकता है। फंगस इन्फ़ेक्सन को म्यूकर माइकोसिस संक्रमण कहा जा रहा है।

प्रायः हमारे शरीर में जब किसी विषाणु (वायरस) या जीवाणु (बैक्टेरिया) का संक्रमण होता है। तो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली उसका विरोध करती है। जिसके रूप में अनेको प्रकार की क्रियाओ का संपादन करती है। जैसे खांसी, बुखार, छीके आना आदि। यह सब सम्पादित करने का मुख्य प्रयोजन हमारे शरीर से इनका निष्कासन करना है। इनके बाहर निकलते ही सभी शारीरिक क्रियाए अपने आप व्यवस्थित हो जाती है। जबकि ऐसा न हो पाने से ब्लैक फंगस जैसी अनेक समस्याए होने लगती है। इन्ही समस्याओ को mucormycosis in hindi भी माना जा सकता है।

ब्लैक फंगस कैसे शुरू होता है ( How does black fungus start )?

किसी भी फंगस की शुरुआत होने का मुख्य आधार उनके रहने के अनुकूल वातावरण की प्राप्ति है। जिसमे उनका भोजनादि सम्मिलित है। जिसके होने के अनेको कारण है। जैसे स्वच्छता का अभाव, अनुपयुक्त ढंगसे स्टेरॉयड का इस्तेमाल करना और पूर्वमें किसी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याका शिकार होना है। जिसका ठीक ठीक आकलन न हो पाने के कारण ब्लैक फंगस जैसी समस्याए आती रहती है। जो अपने आप में कोई गंभीर समस्या तो नहीं है। लेकिन भविष्य में होने वाली किसी गंभीर समस्या का संकेत करती है। इस कारण इन पर ध्यान देना आवश्यक है।

उपरोक्त कारणों में किसी एक या किन्ही दो या तीनो का योग होने पर म्यूकर माइकोसिस संक्रमण हो सकता है। यह सभी रोगियों में देखने को नहीं मिलता है। जिसका कारण अलग अलग रोगियों में प्रतिरक्षा प्रणाली में अंतर होने के कारण है। जिसकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत है, उनमे यह देखने को नहीं मिलता है। जो अधिक समय से बीमार और अधिक समय से टेबलेट या इंजेक्शन के रूप में किसी न किसी प्रकार का स्टेरॉयड आदि ले रहा है। उसके black fungal disease से ग्रसित होने की संभावना अधिक होती है। जिसके कारण के रूप में स्टेरॉयड में सन्निहित गुण धर्म है।

स्टेरॉयड में मुख्य रूप से दो गुण पाए जाते है। जिसमे पहला गुण है एंटी इन्फ्लामेट्री और दूसरा इम्युनोप्रेसन है। एंटी इंफ्लामेसन से पर्याय किसी भी कारण से शरीर के आंतरिक या वाहय हिस्से में होने वाली सूजन को कम या समाप्त करना। जबकि इम्युनोप्रेसन से अभिप्राय शरीर में अतिरिक्त इम्युनिटी को शिथिल करना है। इसी कारण स्टेरॉयड को इम्युनोप्रेसन ड्रग भी कहा जाता है। फिर भी mucormycosis / black fungus प्रवृत्त होने के निम्न कारण है –

  • अनियंत्रित मधुमेह
  • लम्बे समय तक ICU में रहना
  • स्टेरॉयड के द्वारा इम्युनोप्रेशन
  • सह-रुग्णता – प्रत्यारोपण के बाद /असाध्यता
  • वोरीकोनाजोल

कोविड में ब्लैक फंगल संक्रमण क्या है ( What is black fungal infection in covid )?

कोरोना के कारण लम्बेसमय तक चिकित्सालयमें रहनेके साथ कमजोर इम्युनिटी और अनियंत्रित मधुमेह के चलते ब्लैक फंगस फैलता है। इस प्रकार होने वाले संक्रमण को black fungal infection in Covid कहा जा रहा है। कोविड संक्रमण से प्राप्त रोग को black fungal disease covid भी कहा जा रहा है। जिससे प्राप्त होने वाले लक्षणों की चर्चा आगे आएगी। कोरोना रोग के ग्रसित लोगो में ब्लैक फंगस की समस्या देखने को मिलती है। जैसे आजकल इसके कुछ मामले प्रकाश में आ रहे है। सामान्यतया यह बहुत ही कम होता है।

कोरोना पॉजिटिव लोगो में इसकी अनुगति देखने को मिल रही है। जिसके कारण लोगो के मन में प्रश्न है कि What is black fungus Covid? वास्तव में देखा जाय तो ब्लैक फंगस का अस्तित्व तो अनादि काल से है। जो मिट्टी, पेड़ – पौधों आदि में पायी जाती है। जिसके पाए जाने के कारणों की चर्चा आगे की जा चुकी है। जब इसकी प्राप्ति कोरोना पॉजिटिव या कोरोना संक्रमण से स्वस्थ्य होने के बाद होती है तो इसको black fungal infection in covid कहते है। जोकि कोरोना की तुलना में बहुत ही कम है। ब्लैक फंगस की जानकारी होने पर ही हम इससे बच सकते है।

जिसके कारण ब्लैक फंगस इन इंडिया में भी इसके प्रभावों को देखा जा सकता है। जिसको हिंदी में जानना ही mucormycosis in hindi कहा जाता है। इनके संक्रमण को ही म्यूकर माइकोसिस संक्रमण के नाम से जाना जा रहा है। इम्युनिटी बढ़ाने के लिए गिलोय का काढ़ा आयुर्वेद में प्रसिद्द है। कब्ज की जीर्णता के कारण भी ब्लैक फंगस होता है। जिसके लिए कब्ज का रामबाण इलाज की आवश्यकता होती है।

ब्लैक फंगस कैसे घातक है ( How serious is black fungus )?

म्यूकर माइकोसिस / ब्लैक फंगस स्वयं में कोई घातक बीमारी नहीं है। यह भविष्य में होने वाली किसी घातक बीमारी का संकेतक होने के कारण घातक है। अलग अलग व्यक्ति में इसके लक्षण अलग अलग हो सकते है। जिनके आधार पर ही इसके खतरनाक होने का अंदाजा लगाया जा सकता है। ब्लैक फंगस के लक्षणों में नाक से काला खून आना, मुँह के तालू का काला हो जाना, नाक के अंदर काले होने जैसी समस्याए होती है। किसी भी जीव में किसी भी अंग या प्रत्यंगादि के काले होने को कोशिका के नष्ट होने का संकेतक माना जाता है।

इनके आधार पर mucormycosis / black fungus को चिकित्सको द्वारा घातक बीमारी के रूप में देखा जा रहा है। इसलिए ब्लैक फंगस को नजरअंदाज करने की भूल हम सब नहीं करनी चाहिए। सभी चिकित्सीय विधाओं में बचाव को उपचार से अधिक महत्वपूर्ण समझा जाता है। इसका प्रभाव कमजोर इम्युनिटी वालो पर ही देखी जाती है। और कोरोना या कोविड-19 का प्रभाव भी इन्ही पर अधिक पाया जा रहा है। जिसके कारण इन सभी समस्याओ से बचने का सुरक्षित उपाय स्वयं की प्रतिरोधक क्षमता को नियंत्रित रखना है।

जिसके लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण हमारा भोजन, दिनचर्या और ऋतुचर्या है। जिसमे सभी प्रकार के योगो का स्वाभाविक रूप से सन्निवेश है। जिनको mucormycosis in hindi के माध्यम से भी जाना जा रहा है। म्यूकर माइकोसिस संक्रमण से बचने के लिए इन बातो का ध्यान रखना बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस परिस्थिति में तीव्र ज्वर का ताप प्रायः देखने को मिलता है। जिसके लिए आयुर्वेद में बुखार की सबसे अच्छी दवा का वर्णन किया गया है। जिनका उपयोग सदियों से किया जाता रहा है।

क्या ब्लैक फंगल की बीमारी संचारी है ( is black fungal disease contagious )?

अब तक म्यूकर माइकोसिस / ब्लैक फंगस के संचारी होने के बात की पुष्टि नहीं हुई है। जिसके आधार पर black fungal disease contagious नहीं कहा जा सकता। मृत कोशिकाओं का निर्माण होने के कारण इनका जन्म होता है। जिसके अनेको कारणों की चर्चा पूर्व में की जा चुकी है। इस कारण वायरस की तरह इनका संचरण नहीं होता है। जिसके आधार पर इनको संचारी रोग नहीं कहा जा सकता। कहने का आशय यह भी संक्रमण के द्वारा ही होने वाला रोग है। जिसमे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ही मुख्य हेतु है। अब प्रश्न यह खड़ा होता है कि How is black fungus spreading?

फंगस के पनपने की विधा के आधार पर ही black fungal disease spread होती है। जिसमे इम्युनिटी, स्टेरॉयड, पूर्व बीमारी की तीव्रता और साफ़ सफाई इसका मुख्य आधार है। जिसके कारण इसका प्रसार एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में देखने को नहीं मिलता। इसप्रकार सामंजस्य न साध पाने के कारण ही इस रोग की प्राप्ति होती है। इस कारण कोविड-19 से बचाव के 5 उपाय को यहाँ भी अपनाने की आवश्यकता है। जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली की सुदृढ़ता को नियंत्रित रखा जा सके। इस प्रकार ब्लैक फंगस या mucormycosis को संचारी रोग नहीं कहा जा सकता है।

म्यूकर माइकोसिस / ब्लैक फंगस लक्षण ( mucormycosis symptoms/black fungal symptoms)

किसी भी रोग की पहचान रोग से प्राप्त होने वाले लक्षणों के आधार पर की जाती है। तो म्यूकर माइकोसिस / ब्लैक फंगस की पहचान भी ब्लैक फंगस के लक्षण के आधार पर की जानी चाहिए। जिसको हम म्यूकर माइकोसिस सिम्पटम्स भी कहते है। जिसके आधार पर प्रश्न प्रतिस्थापित होता है कि ब्लैक फंगस की पहचान क्या है या What happens in black fungus? ब्लैक फंगस लक्षण भिन्न रोगियों में भिन्नता के साथ प्रकट होते है। तो आइये जानते है ब्लैक फंगस लक्षण इन हिंदी।

यह निम्नलिखित चेतावनी संकेत और लक्षणों के साथ गंभीर बीमारी को भी पैदा कर सकती है –

  • आँखों या नाक के आस पास दर्द होना और लाल होना
  • ज्वर या बुखार होना
  • खांसी आना
  • खून की उल्टी होना
  • सांस लेने में कठिनाई या तकलीफ
  • अस्थिर मानसिक स्थिति/ मनः स्थिति  (Altered mental status)

उपरोक्त लक्षणों को ही black fungal disease symptoms in hindi भी कहा जा सकता है। इसके अतिरिक्त रोग की तीव्रता के अन्य कारण भी हो सकते है। जिनका स्पष्टीकरण आने वाले समय विशेषज्ञों द्वारा किये जाने की आशंका है। इसको ही हिंदी में mucormycosis in hindi कहा जा रहा है। लक्षणों को जानकर ही हम म्यूकर माइकोसिस संक्रमण से बच सकते है।

म्यूकर माइकोसिस आँख लक्षण ( mucormycosis eye symptoms in hindi)

ब्लैक फंगस की बीमारी में आँखों से सम्बंधित लक्षणों की बात यहाँ विशेष रूप से की जा रही है। जिसमे केवल आँखों में संक्रमण के लक्षणों को यह बताया जा रहा है। जिनको हम black fungal disease symptoms in eyes भी कह सकते है। म्यूकर माइकोसिस संक्रमण का प्रभाव आँखों पर भी देखने को मिलता है। इस कारण इस रोग में आँखों से सम्बंधित निम्न समस्याए हो सकती है –

  • आँखों में लालपन आ सकता है
  • यहाँ तक की पलकों में सूजन
  • आँखों में तेज जलन व् दर्द
  • आँखों में पानी आना
  • आँखों के आस पास कालापन
  • चेहरे पर सूजन और दोहरी दृष्टि होना
  • आँखों का बाहर निकलना
  • दिखाना बंद हो जाना

म्यूकर माइकोसिस के अन्य लक्षण ( other mucormycosis symptoms )

इसके अतिरिक्त black fungal disease symptoms में अन्य अंगो से सम्बंधित समस्याए भी है। जैसे नाक, चेहरा और मस्तिष्कादि। जिनसे प्राप्त होने वाले लक्षण इस प्रकार है –
  • शुरुआत में नाक में दर्द
  • नाक से खून आना
  • नाक से काले रंग का खून निकलना
  • नाक के अंदर कालापन आना
  • दांत में दर्द के साथ चेहरे में दर्द
  • चेहरे के हिस्से का सुन्न हो जाना
  • चेहरे के एक हिस्से में सूजन हो जाना
  • धीमा या तेज बुखार होना

यदि नाक में कालापन आ जाए तो सतर्क हो जाए। इसके साथ ही फंगस जब मस्तिष्क पर प्रभाव डालता है तो सेंसलेस बाटे करना, खड़े – खड़े गिर जाना जैसी समस्याए भी हो सकती है। जिन पर नियमित रूप से हमें ध्यान रखना चाहिए। यह mucormycosis / black fungus से बचने की सावधानिया है। यह सभी म्यूकर माइकोसिस संक्रमण के बचाव के लिए आवश्यक है।

म्यूकर माइकोसिस / ब्लैक फंगस में की जाने वाली सावधानी

इसके प्रभाव से बचने के लिए सावधानियों के रूप अनेको बाते है। जिनका ध्यान रखकर हम इस प्रकार की समस्या से स्वयं को बचा सकते है। जिससे हम अपने स्वास्थ्य, समय और राष्ट्र की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने में भी सहयोग कर सकते है। यह सावधानिया देखने में जितनी छोटी है, व्यवहार में उतनी ही लाभप्रद भी है। इसकारण इनका आलंबन लेना हमारे लिए विहित है। जिसकी कुछ बाते इस प्रकार है –

  • मधुमेह रिगियो को अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। अपने शुगर लेबल को नियंत्रित रखने का भरसक प्रयास करे।
  • कोरोना से उपचारुत होकर आये है तो mucormycosis / black fungus के लक्षणों पर ध्यान दे।
  • प्रतिरोधक क्षमता के कम होने पर ही ब्लैक फंगस प्रभावी होता है, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय करते रहे।
  • संतुलित और प्रोटीन युक्त भोजन बेहद जरूरी है। जैसे covid patients diet plan आदि है।
  • पोस्ट कोविद या सामान्य दोनों ही स्थिति में पर्याप्त नींद लेना आवश्यक है।

म्यूकर माइकोसिस / ब्लैक फंगस से कैसे बचे

  • यदि आप धूल भरे निर्माण स्थलों पर जा रहे है तो मास्क का प्रयोग करे
  • मिट्टी ( बागवानी और खाद ) में काम करते समय जूते, लम्बी पैंट ( पतलून ), पूरी ब्याह की कमीज और दस्ताने पहने
  • स्नान सहित निजी शारीरिक स्वच्छता का ध्यान रखे

म्यूकर माइकोसिस / ब्लैक फंगस में कब शक करे

  • कोविड-19 रोगियों में, मधुमेह या प्रतिरक्षादमन (इम्युनोप्रेशन) व्यक्तियों में साइनोसाइटिस – नाक का बंद होना / जमाव होना, नाक बहना ( काले या खूनी रंग का )
  • गाल के हड्डी पर स्थानीय दर्द होना
  • चेहरे के एक तरफ दर्द, सुन्नपन या सूजन होना
  • नाक के अंदर या तालू के ऊपर कालापन आना
  • जबड़े के साथ दाँत में दर्द होना, दांतो का ढीला होना
  • दर्द के साथ दोहरी या धुंधली दृष्टि, बुखार, त्वचा में घाव होना
  • छाती में दर्द, फुफुस बहाव, हीमोप्टाइटिस, श्वसन लक्षण का बिगड़ना
  • घनास्रता ( किसी रक्तवाहिका के अंदर रक्तजमाव के कारण रक्त प्रवाह की बांधता )
  • परिगलन या नेक्रोसिस ( शरीर के किसी भाग में कोशिकाओं अथवा ऊतकों की मृत्यु होना )

म्यूकर माइकोसिस उपचार / ब्लैक फंगस ट्रीटमेंट ( Mucormycosis treatment )

म्यूकर माइकोसिस का इलाज करने के लिए अनेको विधाए है, जिसमे भोजन प्रमुख है। जिस प्रकार कोरोना के उपचार और बचाव में भोजन को सर्वाधिक महत्व दिया गया है। जिसके आधार पर ब्लैक फंगस उपचार में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान है। कोरोना पॉजिटिव (कोविड-19) रोगियों के लिए आहार प्रबंधन में उपयोग होने वाला भोजन आयुर्वेदादी नियमो के अनुरूप है। जिसमे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन, फैटी एसिड के साथ साथ प्रतिरक्षा प्रणाली को नियंत्रित करने में भी सक्षम है। जिसके आधार पर इस प्रकार के भोजन की आवश्यकता mucormycosis / black fungus के ट्रीटमेंट में अनिवार्य है।

ज्यादातर लोगो के मन में एक बात उठती है कि Is there a cure for black fungus? तो इसका निराकरण यहाँ कर देना मै उचित समझता हूँ। रोगी में प्राप्त होने वाले लक्षणों को उचित विधा से समाप्त कर देने को ही चिकित्सा कहा जाता है। जिसके आधार पर किसी भी रोग की चिकित्सा की जा सकती है। अलग अलग रोग के निवारण की अपनी अपनी विधि – निषेध है। जिनका पालन करने के लिए हम बाध्य है। इसी विधा का अनुगमन आयुर्वेद, होम्योपैथी आदि में किया जाता है। जिसमे रोग नाश के समग्र स्वरूप को ध्यान में रखकर विचार क्या जाता है।

आजकल ब्लैज फंगस के उपचार black fungal test की बात भी सुनने में आ रही है। जबकि फंगल टेस्ट तो पहले भी किया जाता था और अभी भी किया जा रहा है। इसी आधार पर ब्लैक फंगल टेस्ट को भी किया जाता है। उपचार में दवाइयों, खान – पान, गाढ़ी नींद और सकारात्मक सोच positive mindset का अद्भूत महत्व है। जिसके बल पर किसी भी समस्या और रोग से छुटकारा पाया जा सकता है। जिसका उपयोग हम सदियों से करते आये है। डर या भय के कारण भी हमारी प्रतिरोधक क्षमता घटती है। इस कारण मनोविज्ञान का प्रयोग विशेषज्ञ द्वारा सर्वप्रथम रोगी पर करने की परम्परा रही है।

ब्लैक फंगस संक्रमण का उपचार (black fungal infection treatment)

ब्लैक फंगस के उपचार में निम्न बातो का ध्यान रखा जाना आवश्यक है। यह सब वह बाते है जिनका ध्यान हमें रखना चाहिए। ब्लैक फंगस इन इंडिया में भी इस प्रकार के लक्षण पाए जा रहे है –

  • हाइपरग्लेसेमिया को नियंत्रित करे
  • कोविड-19 से डिस्चार्ज के बाद रक्त शर्करा की निगरानी करे ( मधुमेह रोगियों में भी )
  • स्टेरॉयड का प्रयोग बुद्धिपूर्वक करे – सही समय, सही खराक और उचित समयांतराल का ध्यान रखकर
  • आक्सीजन चिकित्सा के दौरान हुमिडीफायर के स्वच्छ और जीवाणुरहित (सभी सूक्ष्मजीवों जैसे कवक, बीजाणु, बैक्टीरिया आदि से मुक्त) जल का प्रयोग करे
  • एंटीबायोटिक / एंटीफंगल का प्रयोग विवेकपूर्वक करे

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