मलद्वार में सूजन ( मलाशय शोथ ) : proctitis in hindi

बवासीर के लक्षण गंभीर होने आदि से, मलाशय और इसके आस – पास सूजन की समस्या देखी जाती है। जिसको गुदाद्वार में सूजन के लक्षण भी कहा जाता है। इसमें मलत्याग के समय रगड़ लगने से, मलद्वार में दर्द होना भी देखा जाता है। जिसके लिए गुदाद्वार में सूजन के उपाय और गुदाद्वार में सूजन की दवा की आवश्यकता पड़ती है। तो आइये मलद्वार में सूजन और दर्द का इलाज जानते है।  

मलद्वार में सूजन और दर्द का इलाज 

गुदा में होने वाले रोगो में, गुदाद्वार में सूजन ( guda dwar me sujan ) की समस्या आमतौर पर दिखाई पड़ती है। जिसके कारणों में मांसपेशियों में ऐंठन, कब्ज आदि को माना गया है। जिससे गुदाद्वार में दर्द का इलाज करते समय, कब्ज का रामबाण इलाज अत्यंत उपकारी है। इसलिए गुदाद्वार में दर्द की दवा के साथ रेचक औषधियों का भी प्रयोग किया जाता है।

आयुर्वेद आदि में पेट रोगो को मलाशय के रोग का जन्मदाता कहा गया है। जिसके कारण गुदा नली एवं गुदाद्वार में होने वाले रोगो में, पेट साफ न होने के लक्षण प्रायः पाए जाते है। फिर चाहे वह खूनी बवासीर हो या कोई अन्य रोग।     

मलाशय क्या है ( what is rectum in hindi )

मानव बड़ी आंत 

मल का स्थूल इक्कठा होने के स्थान को ही, मलाशय कहा जाता है। जिसमे होने वाली सूजन मलाशय शोथ या मलाशय में सूजन कहलाती है। जो पेट में कब्जादि विकारो के कारण पैदा होती है। जिसमे रक्तवाहिनियां खून से भरकर फूल उठती है। जिससे टट्टी के रास्ते में सूजन को जन्म देती है। जिसको गुदा में सूजन ( guda me sujan ) के नाम से जाना जाता है। जो बादी बवासीर के लक्षण में देखा जाता है। 

प्रोक्टिटिस मीनिंग इन हिंदी ( proctitis meaning in hindi )

मनुष्यो में पायी जाने वाली आंत का अंतिम हिस्सा गुदा कहलाता है। जिसे आंग्ल भाषी एनल ( anal ) या ऐनस ( anus ) कहते है। ऊपर बड़ी आंत का चित्र दिया गया है। जिसमे गुदा और मलाशय का चित्र भी सम्मिलित है। जिसका कारण मलाशय और गुदा बड़ी आंत के ही उपांग है।

भेद केवल इतना है कि बड़ी आंत का निचला हिस्सा गुदा है, और गुदा से ठीक ऊपर का हिस्सा मलाशय है। जिसमे सूजन आने पर गुदाद्वार में सूजन आ जाती है। जिसको अंग्रेजी में प्रोक्टिटिस के नाम से जाना जाता है। जो खूनी बवासीर के लक्षण में भी दिखाई पड़ता है। 

गुदाद्वार में सूजन क्यों आती है ( proctitis causes in hindi )

गुदाद्वार में सूजन होने पर, गुदाद्वार में दर्द होना स्वाभाविक है। चिकित्सा विज्ञान के अनुसार सूजन होने पर, सूजन वाले स्थान का लाल होकर दर्द करता है। जिससे मलद्वार में सूजन के कारण और मलद्वार में दर्द होने का लगभग समान कारण है। जैसे –

  • तिक्त, कटु आदि दोषो के कुपित होने से
  • शरीर में दोषो के असंतुलन से
  • कठिन – विषम – उत्कट आसन पर बैठने से
  • तेज रफ्तार और झोका मारने वाली सवारी की यात्रा करने से
  • अति मैथुन करने से
  • गुदा में बार – बार शीतल जल के स्पर्श से
  • गुदा पर मिट्टी के ढेले – तृण आदि के घिसने से
  • मल त्याग के समय अधिक काखने से
  • मल – मूत्र आदि के वेग को रोकने से
  • मल – मूत्र – अपानवायु आदि को जोर लगाकर निकालने से
  • स्त्रियों में कच्चे – गर्भ के गिरने, आदि से  

गुदाद्वार में सूजन के लक्षण ( proctitis symptoms in hindi )

मलाशय में सूजन के लक्षण निम्नलिखित है –

  • गुदाद्वार में तनाव महसूस होना
  • गुदाद्वार का कडा और तना हुआ लगना
  • गुदा में दर्द होना
  • गुदा में फूलेपन का एहसास होना 
  • मलत्याग के समय भीषण दर्द होना
  • मलत्याग के समय मलद्वार में जलन होना
  • मलद्वार में भारीपन बना रहना
  • गुदाद्वार में खजली होना
  • गुदा से दर्द जांघो, कूल्हों, रीढ़ की हड्डी तक जाना
  • गुदा से स्राव होते रहना
  • पेचिस और दस्त होना
  • कब्ज का बने रहना, आदि।  

मलद्वार में सूजन और दर्द का इलाज ( treatment for proctitis in hindi )

गुदाद्वार में दर्द का इलाज

पेट से सम्बंधित बहुतायत रोगो का जन्म, मंदाग्नि की न्यूनता के कारण पाया जाता है। जिसमे कब्ज, उदावर्त आदि प्रमुख है। जिनकी शांति न होने पर मलद्वार में सूजन आना ( maldwar me sujan aana ) जैसी समस्याए होने लगती है। जिसके कारण मलत्याग जैसे दैनिक कार्यो को करते समय, गुदा में भीषण दर्द होता है।

मलाशय का निचला हिस्सा स्थूलांत्र से लगा हुआ, चार अंगुल लंबा भाग गुदा कहलाता है। जिसमे डेढ़ – डेढ़ अंगुल लम्बाई की तीन वालिया ( पेशिया ) होती है। जिनको प्रवाहिनी, विसर्जनी और संवरणी वली कहते है। जो आपस में मिलकर चार अंगुल लम्बी, एक अंगुल टेढ़ी उभरी हुई एवं शंख की बनावट की तरह एक के ऊपर एक रहती है। जिसका रंग हाथी के जीभ जैसे काला – काला होता है। वाह्य रोमो से लेकर डेढ़ यव परिणाम ऊपर गुदौष्ठ ( गुदा ) होता है।  

इसमें प्रथम प्रवाहणी वली गुदौष्ठ से, मात्र एक अंगुल दूर होती है। जबकि गुदौष्ठ ( Anus ) से तीसरी संवरणी वली तक, गुद नलिका की लम्बाई चार अंगुल होती है। इन चार अंगुल के स्थान में जो शिराए पायी जाती है। उनके विकारग्रस्त होने पर गुदा में सूजन होती है। जिसके परिणामस्वरूप मलद्वार में दर्द ( maldwar me dard ) होता है।

जिसके लिए कब्ज को मिटाने वाली और दर्द को, दूर करने वाले आयामों की आवश्यकता पड़ती है। जिसे गुदा द्वार में सूजन का इलाज ( guda dwar me sujan ka ilaj ) कहा जाता है। तो आइये अब गुदा में दर्द और सूजन के इलाज और उपाय जानते है।

गुदाद्वार में सूजन के उपाय ( guda me sujan ke upay in hindi )

गुदाद्वार में सूजन के उपाय  

मलाशय में सूजन के उपाय की बात करे, तो मलद्वार में सूजन के कारण कई प्रकार के है। जिससे इसके इलाज में उपयोग होने के उपाय भी अलग है। किन्तु आयुर्वेद संगत उपायों में दोषो की प्रगल्भता को, मलद्वार में सूजन और दर्द का कारण माना गया है। जिसके कारण इसमें भी पाइल्स के लक्षण देखे जाते है। क्योकि यही स्थान बवासीर का भी है।     

आयुर्वेदानुसार बवासीर के इलाज में प्रयुक्त होने वाले उपाय, मलद्वार में सूजन के उपाय है। जिसका मूल कारण बवासीर और गुदा के सूजन का एक होना है। जबकि आधुनिक चिकित्सा विधियों में, इसको अलग – अलग माना गया है। जैसे –

  • एंटीबायोटिक इनड्यूजेड प्रोक्टाइटिस ( Antibiotic induced proctitis)
  • गोनोरियल प्रोक्टाइटिस ( Gonorrheal proctitis )
  • हरेप्टिक प्रोक्टाइटिस ( Herpetic proctitis )
  • इस्केमिक प्रोक्टाइटिस( Ischemic proctitis )
  • रेडिएसन प्रोक्टाइटिस ( radiation proctitis )  
  • अल्सरेटिव प्रोक्टाइटिस ( ulcerative proctitis ) 

ऊपर जितने भी गुदा में सूजन के प्रकार बताये गए है। उनमे से कुछ स्वाभाविक और कुछ विशेष उपचार के फलस्वरूप पाए जाते है। जबकि महिलाओ को गर्भावस्था के दौरान गुदा से, सम्बंधित बहुत सी समस्याए आती है। जैसे – प्रेगनेंसी में बवासीर होना आदि। जो कि ज्यादातर महिलाओ को प्रसव होने के उपरान्त, ठीक हो जाया करती है। जबकि कुछ महिलाओ को गर्भावस्था के बाद भी नहीं ठीक होती।  

गुदाद्वार में दर्द का इलाज ( guda dwar me dard ka ilaj )

गुदाद्वार में दर्द का इलाज

आयुर्वेदानुसार मलद्वार में दर्द का इलाज करने के लिए, दोषगत विकृतियों का ध्यान रखने की आवश्यकता पड़ती है। जिसका कारण वात, पित्त और कफ दोष में अलग – अलग लक्षणों का पाया जाना है। जिसके कारण पित्त दोष के कारण होने वाले, मलद्वार में दर्द की दवा अलग है। वही कफ के कारण गुदा के सूजन और दर्द की औषधियों में भेद हो जाता है। यह भी दोषो के भेद से निम्न प्रकार की होती है –

एक दोषज : वात दोष के कारण मलद्वार में सूजन की दशा में, चुभन की प्रकृति अधिक देखने को मिलती है। वही कफ दोष में दर्द नहीं, लेकिन गुदा में सूजन अधिक होती है। जिससे कपडे की रगड़ लगने आदि से, दर्द उत्पन्न होता है। जबकि पित्त के कारण होने वाले दर्द में, गुदा में सूजन के साथ अत्यधिक जलन की समस्या होती है। जिसमे खूनी बवासीर को जड़ से खत्म कैसे करें वाले उपचार बहुत लाभ देते है।       

द्वि दोषज : यह दो दोषो से मिलकर, गुदा में दर्द और सूजन को जन्म देती है। जिसमे एक प्रधान रूप से अवस्थित रहकर, गौड़ रूप से दुसरे को अपने में समाहित कर लेती है। जिसके कारण इसमें दो दोषो के मिलते जुलते लक्षण दिखाई पड़ते है।  

सन्निपातिक : यह तीनो दोषो से मिलकर, उत्पन्न होने वाली गुदा की सूजन है। जिसमे सभी दोषो के लक्षणों से मिलते जुलते लक्षण पाए जाते है। जिसके कारण इसका इलाज कठिन माना जाता है।  मलद्वार में दर्द होना 

गुदाद्वार में सूजन की दवा ( guda me sujan ki dawa )

गुदाद्वार में सूजन की दवा

मलद्वार में कफ दोष के बढ़ जाने से, सबसे अधिक सूजन देखने को मिलती है। जबकि वात दोष के बढ़ जाने पर अधिक समय तक सूजन बनी रहती है। जैसे 20 साल पुरानी बवासीर के इलाज में, बवासीर के मस्से पुराने होकर बने रहते है। जिनके कारन भी गुदाद्वार की सूजन बनी रहती है। जिससे मलद्वार में सूजन और दर्द की समस्या समस्याए बनी रहने लगती है। 

आयुर्वेद में गुदा के अंदर, बाहर और गुदद्वार पर होने वाली समस्याओ के उपचार बताये गए है। जिनमे गुदाद्वार में दर्द की दवा और मलद्वार में सूजन की दवा भी बतायी गई है। जिसका उपयोग करने पर गुदा में दर्द के साथ चुभन, जलन और खुजली जैसी समस्याओ से छुटकारा मिल जाता है।

मलद्वार में सूजन और दर्द का इलाज में, उपयोग होने वाली कुछ प्रमुख मलद्वार में सूजन और दर्द की दवा इस प्रकार है –

गुदाद्वार में सूजन की आयुर्वेदिक दवा

मलद्वार में सूजन और दर्द का इलाज करने के लिए, वायु और अग्नि की रक्षा के उपाय अत्यंत लाभकारी है। जिसमे उपयोग होने वाले लेप ( मलहम ), औषधि और आहार – विकार की बात बताई गई है। गुदा में सूजन होने पर दर्द, मल और मूत्र रुकने, कड़े मल और रक्तस्राव की समस्या अक्सर देखने को मिलती है। जिनको दूर करने के निम्न उपाय बताये गए है –

पेडू में दर्द होने पर : कूठ, सौफ, देवदारु, सुरभि, पुनर्नवा और अगरु से बने कल्क को नाभि के निचले भाग पर लेप करे।

मूत्र और मल के रुक जाने पर : एरंडमूल का सुहाता गुनगुना कषाय परिशेध और अवगाहन करे। पीठ, कटि, वक्षण प्रदेश और गुदा पर अच्छी तरह तेल मलकर। इसी कषाय से स्नान कराये या इसी कषाय के टब में बिठाये।

मल को ढीला बनाने के लिए : निशोथ, बथुआ, चौलाई का शाक भोजन के साथ ले। यह बवासीर के बाद होने वाली समस्याए है। जिसमे बवासीर में कौन सी सब्जी खानी चाहिए बहुत ही लाभदायक है।    

मलाशय से रक्तस्राव : एक तोला काले तिल को पत्थर पर पीसकर, एक तोला चीनी मिलाकर प्रतिदिन प्रातः काल खाकर बकरी का दूध पीने से रक्तस्राव बंद हो जाता है।

गुदा में सूजन का घरेलू इलाज ( guda me sujan ka gharelu ilaj )

मलद्वार में सूजन और दर्द का इलाज करने में, घरेलू उपाय बहुत ही उपकारी है। जिसके कुछ उपाय निम्न है –   

  • गुदा में आयी सूजन को दूर करने के लिए, गुनगुने पानी का प्रयोग कर गुदा की सिकाई की जाती है। जिसे सिट्ज बाथ भी कहते है। 
  • सोंठ, पीपर, मारीच, चित्रक मूल छाल, वायविडंग, शुद्ध भिलावा, हरड़ और तिल सबका चूर्ण एक – एक भाग लेकर आठ भाग गुड़ मिलाकर खाने से गुदा की सूजन और दर्द नष्ट हो जाता है।
  • सोंठ का चूर्ण पुराने गुड़ के साथ खाने से, मलद्वार के सूजन और दर्द को दूर करता है।
  • हर्रे का चूर्ण पुराने गुड़ के साथ खाने से, गुदाद्वार में आयी सूजन और दर्द का नाश करता है।
  • अजवाइन के चूर्ण के साथ पुरइन पाढ़ी के चूरन को खाने से, गुदा सूजन का दर्द नष्ट हो जाता है।  

गुदाद्वार में सूजन की होम्योपैथिक दवा

मलद्वार में सूजन और दर्द के इलाज में होम्योपैथिक दवा बहुत ही लाभकारी है। यह गुदा में होने वाली सूजन और दर्द दोनों को मिटाती है। जिसके कारण मलाशय में दर्द का इलाज, इन दवाओं के द्वारा किया जाता है। होम्योपैथी में मलद्वार में सूजन और दर्द की लाभकारी दवाई निम्न है –

एस्कुलस : गुदा से सम्बंधित समस्याओ के निवारण में, यह बहुत ही लाभदायी दवा है। यह गुदा में सूजन, जलन, चुभन का दर्द और खुजली को दूर करती है। इसके साथ गुदा शोथ के कारण कमर के दर्द आदि में बहुत ही लाभदायी है।   

इग्निसिया : यह गुदा के रोगो में तब विशेष लाभदायी होती है। जब गुदा में कैंसर, कांच निकलने की समस्या उत्पन्न होती है। लेकिन गुदा में शोथ को दूर करने की बहुत ही उपकारी दवा है। 

ब्रायोनिया : यह कड़े, सूखे और चुभन वाले दर्दो की बहुत ही बढ़िया और उपकारी दवा है। जिसका उपयोग करने से बवासीर के सहित, गुदा में होने वाले अनेको समस्याओ में लाभ होता है। 

एलो : यह दवा तब लाभ करती है, जब मल त्याग के समय पहले भड़भड़ाहट के साथ गैस निकले। इसमें गैस ही अधिक निकलती है, मल बहुत ही कम आता है। जिसके कारण प्रवाहन करने से, गुद वलियो में सूजन आ जाती है। जिसको दूर करने में यह ही गुणकारी है।  

नक्स वोमिका : यह होम्योपैथी की जानी मानी, सबसे अधिक और जल्दी लाभ करने वाली दवाइयों में से एक है। इसमें मलत्याग कर लेने के बाद भी, मल त्यागने की हाजत बनी रहती है। जिससे मल त्यागने में हमेशा कठिनाई बनी रहती है।    

गुदाद्वार में सूजन की एलोपैथिक दवा 

मलद्वार में दर्द की अंग्रेजी दवा में एंटीबायोटिक, एंटी फंगल, एंटी वायरल और लैक्सेटिव जैसी दवाइयों का प्रयोग किया जाता है। जिससे मलाशय में खुजली, सूजन, दर्द और कड़े मल की समस्या को दूर करने में सहायता मिलती है। कुछ असरकारी गुदाद्वार में सूजन की अंग्रेजी दवा निम्न है –

  • गुदाद्वार की सूजन को दूर करने के लिए, एनिमा ( enema ) बहुत ही प्रभावी उपचार है। जिसमे औषधि मिश्रित दवाइयों को पानी में घोल  कर उपयोग किया जाता है। जैसे – सुक्रालफेट, मेसालेमिन आदि।
  • सल्फासालजीन
  • मेट्रोनिडाजोल, आदि। 

मलाशय की सफाई कैसे करें

मलाशय में दर्द, खुजली और जलन आदि से बचने के लिए मलाशय को साफ रखना आवश्यक है। जिसके लिए इसको भी मलाशय में सूजन के उपाय में शामिल किया गया है। मलाशय में गांठ और सूजन एवं दर्द होने पर, गुदनली को साफ रखने पर मलत्याग में आसानी होती है। जिसके कारण मलद्वार में सूजन और दर्द का इलाज करते समय, मलाशय को साफ रखने की आवश्यकता पड़ती है।

मलाशय साफ करने की विधि 

मलाशय को साफ करने के लिए, प्रत्येक शौच के बाद गुदा में उगली डालकर सूखे मल को निकाल देना चाहिए। जिसके लिए गुनगुने पानी का प्रयोग लाभदायी है। यह प्रक्रिया तब तक दोहरानी चाहिए। जब तक कि मलाशय पूरा साफ न हो जाय। इसके बाद गुनगुने पानी से गुदा को अच्छे से धोने के बाद, साफ और सूती वस्त्र से थपथपाकर सूखा लेना चाहिए। इसके उपरांत इसमें नारियल तेल अथवा मलहम आदि का प्रयोग करना चाहिए।  

ध्यान रहे : मलाशय को ठंडे पानी से भूलकर भी साफ नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से बवासीर, गुदा द्वार में सूजन और दर्द की तकलीफ बढ़ सकती है। 

उपसंहार :

मलद्वार में दर्द होना बवासीर के अतिरिक्त, गुदाद्वार में सूजन के लक्षण भी हो सकते है। जिसके कारण जिसे हम बवासीर समझते है। वह गुदाद्वार में सूजन भी हो सकती है। यह स्थिति अक्सर बवासीर के बाद ही देखने को मिलती है। जिसके कारण इसकी पहचान करना भी कठिन होता है। ऐसा होने पर गुदा में सूजन के साथ, भीषण दर्द होता है। जिसके लिए मलद्वार में सूजन और दर्द का इलाज करना आवश्यक होता है। 

गुदाद्वार में सूजन के उपाय न करने पर, गुद विद्रधि या गुदा का कैंसर आदि भी हो सकते है। जिससे बचने के लिए गुदाद्वार में सूजन की दवा से, गुदाद्वार में दर्द का इलाज जल्दी से जल्दी कराना चाहिए। इसके साथ रेशेदार ( फाइबर ) युक्त खाद्य सामाग्रियो का उपयोग भी बढ़ा देना चाहिए। अनियमित दिनचर्या आदि को शास्त्रानुकूल अवश्य करना चाहिए। जैसे दिन में सोना और रात्रि भोजन का सर्वथा परित्याग करना चाहिए।  

सन्दर्भ :

  • अष्टांग संग्रह निदान अध्याय – 07
  • अष्टांग संग्रह चिकित्सा अध्याय – 10
  • सुश्रुत संहिता निदान अध्याय – 02
  • सुश्रुत संहिता निदान अध्याय – 06
  • भैषज्यरत्नावली अर्श रोग चिकित्सा प्रकरण – 09 
  • योगरत्नाकर अर्श रोग चिकित्सा
  • कॉपरेटिव मटेरिया मेडिका एन सी घोस द्वार लिखित 

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