आयुर्वेद में गिलोय सेवन विधि बताई गई है। जिसमे गिलोय घनवटी सेवन करने की विधि भी बतायी गई है। जो गिलोय घनवटी के गुण और गिलोय घनवटी के फायदे को ध्यान में रखकर की गई है। जिनके आधार पर सहज ही प्रश्न उपस्थापित होता है कि गिलोय घनवटी कैसे ले? या गिलोय घनवटी कब खाना चाहिए और गिलोय कब खाना चाहिए। सामान्य से सामान्य कार्य में विधि – निषेध का पालन करना होता है। ठीक इसी प्रकार चिकित्सा कर्मो में भी इनका पालन रोगी को निरोगी करने में प्रयुक्त है।
घनवटी को ही वटी भी कहा जाता है। कही कही इसको गोली भी कहते है। आंग्ल भाषा में tablet कहा जाता है। यह सब की सब गिलोय घनवटी की सेवन विधि के अंतर्गत ही है। इसका सेवन भी चिकित्सीय नियमो के आधार पर ही किया जाता है। जिसके कारण इसके भी वही लाभ है जो गिलोय सेवन की अन्य विधाओं में है। काढ़े या कषाय आदि का सेवन ताजा ही बना कर करना होता है। जबकि वाटियो के परिपेक्ष्य में इसकी सेवन की विधा कुछ सुगम है। इसमें मात्रा आदि को लेकर भी स्थिरता है। जिसका कारण विशेषज्ञों के द्वारा इनका निर्मित होना है।
इन वटियो के निर्माण में प्रयुक्त गिलोय के गुणों पर ही इनकी गुणवत्ता निर्भर है। जिसके कारण गिलोय के चयन में विशेष सावधानी नितांत आवश्यक है। जिसके देश, काल और परिस्थिति का ध्यान रखना भी जरूरी है। यह देश का अर्थ साफ़ स्वच्छ स्थान पर लगी हुई गिलोय से है। काल से अभिप्राय उचित समय में एकत्रित गिलोय से है। और परिस्थिति का अर्थ कीड़े, अग्नि आदि दोषो से रहित गिलोय से है। तीनो में विसंगति विहीन होने से ही गुणों की प्राप्ति होती है। जब भी गिलोय कब खाना चाहिए तो रोग लक्षण के अनुसार आवश्यकता होने पर।
गिलोय घनवटी क्या है (What is Giloy Ghanvatee)?
घनवटी एक प्रकार आयुर्वेदिक गोली कही जा सकती है। जब बात गिलोय घनवटी की हो तो गिलोय से विनिर्मित गोली है। जिसका निर्माण क्षार या घन से किया जाता है। घन को गोमूत्रादि से प्राप्त किया जाता है। जिसमे गिलोय के चूर्ण को आनुपातिक मात्रा में मिलाकर बनाया जाता है। जिसको कांच या अन्य किसी पात्र में गिलोय चूर्ण मिलाकर रखा जाता है। जिससे शीलन या शीत का प्रभाव इन वटियो पर न पड़े। यह भी गिलोय सेवन की एक विधि है। जिसके होने वाले लाभ को गिलोय घनवटी के फायदे कहते है। जो तिल्ली के बढ़ने में भी लाभकारी है।
घन का अर्थ किसी भी पदार्थ की ठोस अवस्था है। जिसके लिए उसको अग्नि पर धीरे धीरे पकाया जाता है। ठीक उसी प्रकार जैसे खोया या मावा को प्राप्त किया जाता है। जब उसकी घनी भूत अवस्थाकी प्राप्ति होने लगती है तब उसमे औषधि मिलाई जाती है। जिससे उस घन में डाले गए पदार्थ के स्वभावसिद्ध गुणों का आधान हो सके। इसको ही गिलोय घनवटी के गुण कहा जाता है। इसको सेवन को लेकर प्रश्न उठता है कि गिलोय घनवटी कैसे ले? या गिलोय घनवटी कब खाये? इसको ही गिलोय की गोली खाने से क्या फायदा होता है? भी कहा जाता है।
कोई भी औषधि कितनी ही बढ़िया क्यों न हो? जब तक विधि – विधान से न ली जाय तब तक उसकी कोई उपयोगिता नहीं है। इसकारण प्रश्न उठता है कि गिलोय घनवटी कब खाना चाहिए? आजकल पतंजलि आयुर्वेद से इन घनवटियो का निर्माण भी होने लगा है। जिसके लिए लोग प्रश्न करते है कि पतंजलि गिलोय घनवटी कब खाना चाहिए? किसी भी वस्तुके सेवनमें लोगो द्वारा स्वाभाविक रूपसे इसप्रकार के प्रश्न उठाये जाते है। जो इसकी उपयोगिता और महत्व को ख्यापित करते है। जैसे भोजन को लेकर प्रश्न है। भोजन कब कितना और कैसे करे? ठीक उसी प्रकार गिलोय को लेकर गिलोय कब खाना चाहिए?
गिलोय घनवटी के फायदे (benefits of giloy ghanvatee in hindi)
गिलोय के फायदे के सामान ही गिलोय घनवटी के फायदे भी है। इसके कारण ही इनका उपयोग चिकित्सीय लाभ के लिए किया जाता है। जिसको गिलोय घनवटी के लाभसे भी जाना जाता है। प्रायः गिलोय घनवटी का उपयोग प्रतिरोधक क्षमता को स्थिर बनाये रखने के लिए किया जाता है। जिसके लिए यह पता होना चाहिए कि गिलोय घनवटी कब लेनी चाहिए? जिससे इनके लाभों को आसानी से प्राप्त किया जा सके। आजकल तो गिलोय पाउडर पतंजलि मिल जाता है। जिसके कारण आसानी से इसका अनेको प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है।
भारतके लगभग सभी स्थानोंमें यह प्राप्त होती है। जिसके कारण गिलोय घनवटी का मूल्य भी अधिक नहीं होता। जिसको गिलोय घनवटी का रेट या गिलोय घनवटी का प्राइस भी कहते है। जिसके कारण अधिकांश लोग इसका आसानी से प्रयोग भी करते है। इसके स्वभाव सिद्ध गुण की बात करे तो अमृत के सामान गुणोंको भी धारण करती है। जिससे अनेको प्रकारके रोगो में इसका प्रयोग किया जाता है। जिसको ही गिलोय घनवटी टेबलेट के फायदे भी कहते है। कौन से रोग में गिलोय घनवटी tablet कब खाना चाहिए? चिकित्सामें यह भी महत्वपूर्ण है।
जब भी गिलोय घनवटी के फायदे पतंजलि की बात होती है। तो यह गिलोय के स्वाभाविक गुणोंको लेकर ही चरितार्थ है। जिसको विधि – विधान पूर्वक लेनेपर यह व्याधियों को हरने वाला है। उदारणके लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को ही ले। ऐसा कौन सा रोग है जो इसकी आनुपातिक मात्रा के रहने पर होता है। तो उत्तरके रूप में कोई नहीं ही प्राप्त होता है। जिसमे केवल गिलोय का सेवन ही नहीं अन्य उपाय भी बराबर की सहयोगिता रखते है। जैसे आहार – विहार आदि। यहाँ किसी की उपेक्षा में तात्पर्य नहीं है। इसलिए गिलोय घनवटी के फायदे के लिए इसको सेवन करने का एक नियम है। जिसे गिलोय घनवटी कब खाने चाहिए कहते है।
गिलोय घनवटी कब खाना चाहिए
गिलोय घनवटी को खाने को लेकर अनेको प्रश्न है। जैसे – गिलोय घनवटी का कैसे सेवन करे? यहाँ ध्यान रखने वाली बात यह है कि यह भी एक औषधि है। जिसका सेवन चिकित्सीय नियमो के अनुसार ही करना चाहिए। जिसमे रोग तीव्रता, रोग लक्षण आदि की चर्चा की गई है। जिसको विधि – निषेध के साथ लेने को ही गिलोय घनवटी कब खाना चाहिए कहा जा सकता है। औषधि सेवन के जो नियम है। वह सभी इस पर भी लागू होते है। जब तक किसी औषधि की आवश्यकता न हो तब तक उसका सेवन नहीं करना चाहिए। यह सभी दवाओं पर लागू होते है।
चिकित्सा में एक ही औषधि के लेनेके अनेको प्रकार है। जो रोग और रोगी दोनों में सामंजस्य साधने वाले होते है। उदहारण के लिए गिलोय खाने में कड़वी होती है। जिसका सेवन बच्चे सहजता से नहीं करते। यदि बच्चे को गिलोय खिलाना है तो उसको किसी मीठी वस्तु जैसे मधु या गुड़ के साथ खिलाया जाता है। जिससे बच्चा आसानीसे औषधि खा लेता है। और अनुपान आदिके अनुसार औषधि अपना प्रभाव भी शरीर पर डालती है। जिससे रोगी के रोग का नाश होता है। चिकित्सा और चिकित्सक दोनों को सम्मान प्राप्त होता है। इसकारण ही लोगो द्वारा प्रश्न किया जाता है कि गिलोय घनवटी कैसे ले और गिलोय कब खाना चाहिए?
जब औषधि अपने स्वाभाविक गुण के आधार पर दी जाती है। तब लाभदायक होती है। इसी प्रकार जब गिलोय घनवटी के गुण के आधार पर प्रयोग किया जाता है। तब हमें गिलोय घनवटी के फायदे प्राप्त होते है। सामान्यतया गिलोय का प्रयोग क्वाथ या कषाय के रूप में किया जाता है। जिसके लिए गिलोय का काढ़ा कैसे बनाये जैसे प्रश्न किये जाते है। जबकि अनेको रोगो को इसके स्वरस का भी प्रयोग होता है। जिसके कारण इसकी उपयोगिता व्यावहारिक धरातल पर चरितार्थ होती है।
कमजोरी में गिलोय घनवटी कब खाना चाहिए
दुर्बलता या कमजोरी को दूर करने की गिलोय अच्छी दवा है। जिसका प्रयोग चूर्ण, स्वरस और घनवटी के रूप में किया जाता है। जिनको आमतौर पर गिलोय घनवटी के फायदे कहते है। जो गिलोय घनवटी के गुण पर आधारित होते है। जिनके सेवन के लिए गिलोय घनवटी कैसे ले जानने की आवश्यकता होती है। जिसको कुछ लोग गिलोय कब खाना चाहिए भी कहते है। इसप्रकार से गिलोय घनवटी का उपयोग करता है।
बुखार आदि रोगो के समाप्त होने के बाद कमजोरी आती है। जिसके कारण व्यक्ति थकान, आलस्य आदि से घिरा रहता है। यह ऐसा समय होता है। जब रोगी उदास और अन्य प्रकार की गतिविधियों को प्रदर्शित करता है। यदि इस समय में ध्यान न दिया जाय तो पुनः रोग की चपेट में आ सकता है। जो ज्यादातर रोगो में देखा जाता है। जिसके कारण रोगी के हितैसियो को रोगी का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। इस समय रोगी की पाचन क्रिया भी प्रभावित होती है। जिसके लिए पाचन क्रिया कैसे सुधारे के उपायों पर भी ध्यान रखना चाहिए।
अब बात आती है कि कमजोरी में गिलोय कब खाना चाहिए? तो इसमें बच्चो की और वयस्कों की अलग अलग मात्राए है। जिसमे यदि बड़ी वटी हो तो एक बच्चो के लिए और दो वयस्कों के लिए प्रयोग की जाती है। यदि छोटी हो तो दो बच्चो के लिए और चार वयस्कों के लिए प्रयोग होती है। जिसकी आवृत्ति की बात करे तो इनको दिन में दो बार या तीन बार भी लिया जा सकता है। यह सामान्य नियम है। जिसका सेवन रोग के उपचार के अंत में किया जाता है। जबकि विशेष नियम के लिए विशेषज्ञ का परामर्श अनिवार्य है।
प्रतिरोधक क्षमता के लिए गिलोय घनवटी कब खाना चाहिए
किसी भी रोग से लड़ने के लिए हमें प्रतिरोधक क्षमता की जरूरत पड़ती है। जिसको हम इम्युनिटी या प्रतिरक्षा तंत्र के नाम से भी जानते है। इसकी निर्बाधता बनी रहने पर किसी भी रोग का हम कोई प्रभाव नहीं होता। जबकि इसकी आनुपातिक मात्रा में न्यूनता आने पर हम रोग से ग्रसित हो जाते है। प्रतिरक्षा से सम्बंधित अनियमितताओं से बचने में गिलोय की भूमिका महत्वपूर्ण है। कोरोना और म्युकर माइकोसिस ( ब्लैक फंगस ) इसकी कमी के कारण होने वाले रोग है। जिनसे रक्षण में गिलोय घनवटी का योगदान है। जिसके लिए गिलोय घनवटी कैसे ले को जानना चाहिए।
मानव शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखना गिलोय घनवटी के गुण है। जिनको गिलोय घनवटी के फायदे भी कह सकते है। इसको ही कुछ लोग गिलोय घनवटी का क्या काम है भी कहते है। प्रतिरोधकता को संजोने के लिए सही समय पर गिलोय का सेवन करना चाहिए। जिसके लिए गिलोय कब खाना चाहिए? इसका ज्ञान हमें होना चाहिए। जब बात घनवटी सेवन की हो तो गिलोय घनवटी कब खाना चाहिए?
औषधि सेवन में ध्यान रखने वाली दो बाते है। पहली मात्रा और दूसरी आवश्यकता या जरूरत। इसलिए मात्रा से अधिक और आवश्यकता से कम औषधि खाने से कोई लाभ नहीं होता। किसी भी औषधि का सेवन नियमित भी नहीं करना चाहिए। जिससे शरीर उनके प्रति निष्क्रिय हो जाए। यहाँ पर भी उपरोक्त विधा के अनुसार वाटियो को लेना चाहिए।
सर्दी जुकाम बुखार में गिलोय घनवटी कब खाना चाहिए
मौसम में परिवर्तन के कारण सर्दी जुकाम बुखार होना आम बात है। जो पूरी दुनिया में सदियों से होता आया है। और भविष्य में भी होने की पूरी संभावना है। जिसमे गिलोय हमारी मदद करती है। जिसको हम गिलोय घनवटी के गुण कहते है। और इससे होने वाले लाभ को गिलोय घनवटी के फायदे कहते है। प्रतिरक्षा प्रणाली में विसंगति के कारण ही इसप्रकार की समस्याए होती है। जिनके बचने के लिए आहार – विहार, दिनचर्या, ऋतुचर्या आदि ध्यान रखना होता है। जिसमे गड़बड़ी होने पर इनकी प्राप्ति होती है। जिससे बचने का सुगन उपाय इन नियमो को विधिवत पालन है।
अब प्रश्न उठता है कि सर्दी जुकाम बुखार में गिलोय घनवटी कब खाना चाहिए? जिसके लिए अनेको नियम रोग प्रकृति और देह प्रकृति को लेकर प्राप्त है। जिसके लिए लोगो के मन में जिज्ञासा होती है कि गिलोय घनवटी कैसे ले? जिसके समाधान के लिए विशेषज्ञ का परामर्श आवश्यक है। इसलिए गिलोय कब खाना चाहिए और कब नहीं। इसका विचार आयुर्वेदादी शास्त्रों की सीमा में ही किया जाना चाहिए।
सर्दी जुकाम बुखार में गिलोय घनवटी का डोज बच्चो और वयस्कों के लिए भिन्न है। जिसमे छोटी वटी हो तो बच्चो के लिए दो और वयस्कों के लिए चार वटी है। जबकि वटी बड़ी होने पर बच्चो के लिए एक और बड़ो के लिए दो वटी ली जा सकती है। इसप्रकार की परेशानियों में काढ़ो का भी प्रयोग किया जाता है . जिसको ज्वर नाशक काढ़े बनाने की विधि और उपयोग के नाम से जाना जाता है।
कोरोना में गिलोय घनवटी कब खाना चाहिए
कोविड-19 से बचाव में गिलोय घनवटी का उपयोग भी किया जाता है। जिसमे रोगी को गिलोय कब खाना चाहिए और कैसे खाना चाहिए। दोनों को जानना अनिवार्य है। जिससे रोगी को अनावश्यक हानि से बचाया सके। साथ ही साथ अधिक से अधिक लाभ भी प्राप्त हो सके। इस प्रकार से दोहरा लाभ रोगी को प्राप्त हो। जिस प्रकार अन्य रोगो में भोजन और औषधि दोनों का महत्व है। ठीक इसी प्रकार कोरोना में इनका अद्भुत महत्व है। जिसको कोविड-19 रोगियों के लिए आहार प्रबंधन के नाम से जाना जाता है।
कोरोना विषाणु जनित रोग है। जो लिपिड या प्रोटीन से बना होता है। जो स्वतः परिवर्तित होता रहता है। जिसका कारण इसके द्वारा उपयोग की जाने वाली सभी सामाग्रियां सभी जीवो के शरीर में विद्यमान है। प्रोटीन आदि का नियमित सेवन हम लोगो के द्वारा नियमित रूप से किया जाता है। इनके दुष्प्रभाव से बचाने के लिए हमारे पास ईश्वर प्रदत्त प्रतिरक्षा तंत्र है। जिसका निर्माण हमारे द्वारा ग्रहण किये ज्वाले भोजनादि से बनता है। जिसमे कुछ औषधिया भी है। जैसे गिलोय घनवटी। जिनके प्राप्त होने वाले लाभों को गिलोय घनवटी के फायदे कहते है।
कोरोना में गिलोय घनवटी के गुण के आधार पर ही इसका प्रयोग किया जाता है। जिसके लिए यह जानना जरूरी है कि गिलोय घनवटी कैसे ले? या गिलोय घनवटी कब खाना चाहिए? कोरोना जैसे रोगो से बचने के लिए 90 दिन नियमित वटी ली जा सकती है। उसके बाद 15 दिन का अंतराल करने के पश्चात पुनः 90 दिन तक ली जा सकती है। यह सामान्य नियम है जिसको सभी कर सकते है। जबकि 10 वर्ष से छोटे बच्चो के लिए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इसकारण गिलोय कब खाना चाहिए को जानना आवश्यक है।
मधुमेह में गिलोय घनवटी कब खाना चाहिए
आयुर्वेद में प्रमेह रोग के अंतर्गत मधुमेह को रखा गया है। यदि मधुमेह शब्द को लेकर विचार करे, तो यह मधु और मेह या प्रमेह दो शब्दों से मिलकर बना है। जिसमे मधु का पर्याय मीठा और प्रमेह से अर्थ प्रमेह नामक रोग से है। जिसमे मीठा से अभिप्राय शरीर में भोज्य पदार्थो के द्वारा एकत्रित होने वाली शर्करा है। इसी शर्करा में होने वाली विसंगति को मधुमेह का नाम दिया जाता है। जिसके होने के अनेको कारणों की चर्चा चिकित्सीय ग्रंथो में की गई है। जिसमे गिलोय को मधुमेह की अच्छी दवा के रूप में स्वीकार किया गया है। जिसको हम घनवटी, स्वरस और क्वाथ के रूप में भी लेते है।
अब प्रश्न उठता है कि मधुमेह में गिलोय घनवटी कब लेना चाहिए? आयुर्वेद के अनुसार किसी भी रोग में किसी भी औषधि का प्रयोग लक्षणों के आधार पर की जाती है। जिसमे गिलोय घनवटी के गुण को केंद्र में रखकर विचार किया जाता है। सामान्यतः गिलोय घनवटी के फायदे तो है। लेकिन कभी कभी इसका कोई लाभ नहीं प्राप्त होता। जिसका कारण गिलोय को उपयुक्त विधा के अनुरूप प्रयोग न करना है। इसकारण गिलोय कब खाना चाहिए और गिलोय घनवटी कैसे ले दोनों पता होना चाहिए।
मधुमेह में गिलोय घनवटी कब खाना चाहिए? यह महत्व का है। किसी भी रोग में औषधि का चयन विशेषज्ञ के परामर्श के द्वारा ही किया जाना चाहिए। जबकि सामान्य रोग में गिलोय की चार छोटी घनवटी का प्रयोग दिन में दो से तीन बार किया जाता है। जबकि इस रोग से बचाने में भोजादि का प्रमुख योगदान है। जिसका विधि पूर्वक सेवन करने से कब्ज आदि नहीं होता है। यदि ऐसा है, तो उसे शीघ्र दूर करने की आवश्यकता है। जिसके लिए कब्ज की रामबाण दवा को जानना चाहिए।
मूत्र रोगो में गिलोय घनवटी का प्रयोग
यह मूत्र वर्धक होने के कारण मूत्र रोगो में प्रभावी है। जिसका सेवन गिलोय घनवटी आदि के रूप में, भी किया जा सकता है।
अन्य रोगो में गिलोय घनवटी कब खाना चाहिए
इनके अतिरिक्त अन्य रोगो में भी गिलोय घनवटी का प्रयोग किया जाता है। जैसे स्तन्यशुद्धि आदि में। जिनको ग्रहण करने का विधान आयुर्वेदादी शास्त्रों में किया गया है। जिसमे किसी भी औषधि से लाभान्वित होने के लिए विधि – निषेध का पालन करना होता है। इसको कुछ लोग गिलोय की गोली भी कहते है। जिसके लिए प्रश्न किया जाता है। गिलोय की गोली कब खानी चाहिए?
जब भी प्रश्न किया जाता है कि गिलोय घनवटी कैसे ले? तो ज्यादातर यह नवीन रोग को लेकर ही किया जाता है। जिसको एक्यूट रोग के नाम से भी जाना जाता है। जबकि जीर्ण रोग को चोकित्सीय विधा में घातक माना गया है। जिसमे गहन अध्ययन और अनुभव की आवश्यकता होती है। जिसके लिए गिलोय कब खाना चाहिए और कब नहीं खाना चाहिए। यह ध्यान रखने वाली बातहै। कोई भी चिकित्सा चिकित्सा विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में कराना ही उचित है।
आमतौर पर बुखार को बहुत ही सामान्य समझा जाता है। जबकि इसके भेदो पर दृष्टि डाले तो इसके विकराल रूप का दर्शन होता है। जिसके कारण यह बहुत ही सावधानी से की जाने वाली चिकित्सा है। उदहारण के लिए बुखार की सबसे अच्छी दवा को ही ले। इनको सामान्य रूप से गिलोय घनवटी के गुण कहते है। और इनसे होने वाले फायदे को गिलोय घनवटी के फायदे कहा जाता है। गिलोय कब खाना चाहिए और गिलोय घनवटी कब खाना चाहिए का ज्ञान होना अनिवार्य है। गिलोय घनवटी कैसे ले? यह गिलोय की मात्रा को लेकर किया जाने वाला प्रश्न है। जिसके लिए रोगी के रोग लक्षणों के परीक्षण की आवश्यकता होती है।
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