मानव पेट में अनेक शरीर अवयवों का समावेश है। जिसमे आंते, यकृत, प्लीहा, गुर्दे, पित्ताशय और पक्वाशय आदि आते है। इन शरीरावयवों में होने वाली व्याधियो को, सामान्यतया पेट रोग की संज्ञा दी जाती है। यद्यपि अतिसार, शूल और ग्रहणी आदि भी उदर रोग ही माने गए है।
इसमें से बहुत से पेट रोगो में पेट के राइट साइड में दर्द देखा जाता है। जिसे पेट के साइड में दर्द होना भी कहते है। वैसे तो पेट के दाहिने साइड दर्द होना कोई बड़ी समस्या नहीं, फिर भी सावधानी की दृष्टि से पेट के राइट साइड में दर्द का इलाज में देरी नहीं करनी चाहिए।
हालांकि आयुर्वेद में सभी रोगो का मूल मंद अग्नि बताया गया है। इसमे भी उदररोग को मन्दाग्नि मूलक कहा गया है। जिनमें पेट के दाहिने भाग में होने वाला दर्द भी इसी का कारण माना गया है। जिसमें अजीर्ण और दूषित खानपान आदि के कारण, वातादि ( मल ) का संचय होने से भी पेट के दाहिने भाग में दर्द हो जाता है।
जिसे आंग्ल भाषान्तर्गत राइट साइडेड स्टमक पेन (right sided stomach pain) कहा जाता है। जो खाना खाने के बाद पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द कर सकता है। पेट के राइट साइड में भारीपन दाहिनी तरफ पेट में दर्द का लक्षण हो सकता है।
जिसमें दाहिनी ओर पेट के निचले हिस्से में दर्द के साथ, पेट की नसों में दर्द हो सकता है। जिससे रुक – रुक कर या लगातार ( कंटिन्यू ), पेट के राइट साइड में दर्द बना रह सकता है। जिसमें रोग की तीव्रता ( मल संचयन की मात्रा ) आदि के आधार पर दर्द धीमा, गंभीर और अत्यंत भीषण हो सकता है। जिसका शीघ्रता से उपचार न करने पर नियमित रूप से दाहिने पेट में दर्द बना रह सकता है।
पेट के दाहिने हिस्से में दर्द होना क्या है (what is right side abdominal pain)
हमारे पेट में अनेक सूक्ष्म और महत्वपूर्ण अंग पाए जाते है। जो शरीर को स्वस्थ रखने के लिए, अभिमत कार्य की सिद्धी में दिन रात लगे रहते है। जिसके लिए इन अंगो को उपयुक्त समय पर, अनुकूल द्रव्य ( पोषणीय पदार्थ ) इत्यादि की आवश्यकता पड़ती है।
जिसमे इनके सेवन की विधा, दिनचर्या एवं अनुकूल श्रम ( व्यायाम ) आदि प्रकारांतर से सन्निविष्ट है। ऐसा न हो पाने की दशा में, पौष्टिकता के स्थान पर अपौष्टिक्ता का जन्म होता है। जिससे हमारे शरीर में वातादि दोष का संचय दाहिनी ओर होने लगता है। तब पेट में दाहिने तरफ दर्द होने लगता है। जिसे दाहिनी ओर का पेट दर्द कहते है।
इसके कारण हमारे शरीर में पाए जाने वाले, दोष असंतुलित हो जाते है। जिससे नाभि के नीचे पेट दर्द सहित, अनेक स्थानों पर दर्द होता है। सामान्यतया दाहिनी ओर पेट दर्द होना आम बात है। जिसको लोग पेट में दर्द होना भी कहते है।
परन्तु अंग विशेष की विकृति के कारण भी, दाहिने तरफ पेट में दर्द होना देखा जाता है। जिसके चलते पेट में दाहिने तरफ दर्द होना, हमेशा सामान्य पेट दर्द नहीं समझना चाहिए। बल्कि अच्छा तो यह है कि पेट दर्द से छुटकारा कैसे पाएं के उपाय करना चाहिए।
पेट के दाहिने हिस्से में दर्द का कारण ( right side stomach pain reasons )
पेट के राइट साइड में होने वाला दर्द भी, पेट दर्द की भाँती दो प्रकार का हो सकता है –
1) दाहिने उदरांत में होने वाले दोषो की विकूलता
दाहिनी ओर पेट दर्द का कारण , देहप्रकृति के प्रतिकूल दोषो का एकत्रीकरण आदि है। जिसमे वातादि दोषो की अधिकता पायी जाती है। जो अलग – अलग व्यक्ति में भिन्न – भिन्न रूपों में परिलक्षित होती है। जैसे – किसी के पेट में गैस बनना, अजीर्ण, वातविकार, शूल, अनाह, किसी को खट्टी डकार आना, किसी को पेट के दाहिने हिस्से में सूजन होना आदि। जबकि पेट के दाहिने हिस्से में दर्द का कारण उदरगत शरीरांगों की विक्रिया भी है। जिनसे दाहिने ओर पेट में दर्द होता है।
2) दाहिने भाग में पाए जाने वाले अंगो में विकृति
मानव शरीर के अंगो में गड़बड़ी, राइट साइड पेट में दर्द होने का कारण है। जिसमे पेट के दाहिने भाग में, पाए जाने वाले अंग प्रमुख रूप से आते है। जिसमे – किडनी, छोटी और बड़ी आंत का आधा हिस्सा आदि है। जिनके कारण भी दाहिने भाग में दर्द होना पाया जाता है।
आधुनिक चिकित्सा के अंतर्गत कुछ रोग, पेट में दाहिने तरफ दर्द का कारण है। जैसे – पथरी, हर्निया, अपेंडिक्स, इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम, राइट ओवेरियन सिस्ट आदि।
पेट के राइट साइड में दर्द का लक्षण ( pet ke right side me dard ka lakshan )
दाहिनी तरफ पेट दर्द होने पर निम्न लक्षण पाए जाते है –
- पेट के नीचे नसों में दर्द होना
- पेट साफ न होना
- भूख न लगना
- पेट में दाहिने तरफ चुभन होना
- पेट के दाहिनी ओर सूजन और दर्द होना
- पीठ और पेट में दाहिनी तरफ दर्द होना
- उदासी होनी
- बेचैनी रहना
- उल्टी होना आदि।
पेट के राइट साइड में दर्द हो तो क्या करें (pet ke right side me dard ho to kya karen)
आयुर्वेद में सभी प्रकार के पेट दर्द, त्रिदोष चिकित्सा के अंर्तगत रखे गए है। फिर चाहे वह शूलादि के कारण हो, या किसी अन्य रोगादि के कारण हो। जिसमे पुरुषो में पेट के निचले भाग में दर्द इत्यादि है। पेट के दाहिने तरफ होने वाले दर्द का उपचार, पेट में राइट साइड दर्द के उपचार कहलाते है।
राइट एब्डोमिनल पेन (right abdominal pain) बहुतो में, खाना खाने के बाद पेट के दाहिने हिस्से में दर्द ( right sided stomach pain after eating ) करता है। जबकि महिलाओ में पेट के दाहिनी तरफ दर्द (pet ke dahine taraf dard), राइट एब्डोमिनल पेन फीमेल ( right abdominal pain female ) कहलाता है।
जो प्रेगनेंसी में पेट के राइट साइड में दर्द का प्रमुख कारण बनता है। जिसमे अत्यंत भयावह दर्द होता है। जिसकी तकलीफ को कम करने के लिए, राइट साइड स्टमक पेन रिलीफ ( right side stomach pain relief ) के उपाय अपेक्षित है। हालाकिं यह दर्द सभी महिलाओं में नहीं पाया जाता।
जिसमें राइट एब्डोमिनल पेन काजेज ( right abdominal pain causes ), के आधार पर राइट साइड स्टमक पेन का उपचार होता है। जिससे दाहिनी तरफ पेट दर्द होना ठीक हो जाता है। कुछ लोगो में खाना खाने के बाद भी पेट खाली लगने का अनुभव होता है। वही कुछ में खाना खाने के बाद पेट में दर्द होना देखा जाता है। ऐसा दाहिने ओर का पेट दर्द के साथ पेट साफ न होने के लक्षण हो सकते है।
पेट की इन तमाम समस्याओ से, बचने के लिए लोग प्रश्न कर देते है कि – पेट में राइट साइड में दर्द हो तो क्या करें (pet mein right side dard ho to kya karen) ? क्योकि रोग होने की कोई उम्र नहीं होती। यह 12 साल की उम्र या 18 साल की उम्र में भी हो सकता है।
राइट साइड पेट दर्द का उपाय (pet me right side pain in hindi)
कहने का आशय प्रारब्ध और दोष आयुर्वेदानुसार रोग में हेतु है। जिसमे शरीर के दोषो का असंतुलित होना, और पाप कर्म ( अधर्म ) रुग्णता के कारक है। इनका अपनोदन अर्थात दोषापनोदन और पापापनोदन ही उपाय है। जिसके द्वारा पेट में राइट साइड दर्द होना (pet me right side dard hona) सहित सभी दोषो का उपचार होता है।
आयुर्वेद में सभी प्रकार के रोगियों को ध्यान में रखकर, चिकित्सा कर्म का विधान निर्धारित है। जिसमे कमजोर ( दुर्बल ) और बलवान दोनों प्रकार के रोगी है। ऐसा करने पर रोगी आसानी से उपचारित होता है। जिसमे अत्यंत कृष रोगी को मृदु औषधियों से बलवान बनाया जाता है। तदुपरांत विभिन्न योगो के द्वारा, उनमे शक्ति युक्त उपायों का आधान किया जाता है। जैसे – विरेचन आदि। परन्तु व्यवहारिक जगत में पेट दर्द की टेबलेट का नाम, पेट दर्द का शाबर मंत्र आदि की बात होती है।
पेट के राइट साइड में दर्द इन हिंदी (pet ke right side me dard in hindi) को भाषांतर के तौर पर पेट दर्द होता है। समझा और कहा जाता है। जिसमे से कुछ विशेषण और कुछ विशेषता के साथ प्रकट होते है। आमतौर पर कोखा का दर्द, पेट के दोनों किनारो में होता है। जिसमे दाहिनी ओर कोखा दर्द (side pain right) आमतौर पर देखा जाता है। जिसके लिए पेट दर्द की दवा बताओ की बात आती है। जिसमे पेट साफ कैसे करे आदि शीर्ष पर आते है।
पेट में खिचाव के कारण, पेट की नसों में दर्द होना देखा जाता है। पेट की नसों में दर्द का इलाज और, पेट में भारीपन का इलाज आदि है। जिसमे पेट के राइट साइड में दर्द का इलाज ( pet ke right side me dard ka ilaj ) आता है। इसमें से कुछ इस प्रकार है –
पेट दर्द की देशी दवा (pet dard ki desi dawa)
पेट के राइट साइड दर्द होना (pet ke right side dard hona), में घरेलू उपचार उपयोगी है। इन उपचारो की विशेषता यह है कि यह जितने आसान है, उतने ही असरदार। जिनसे इनकी जन – जन में पहुंच और प्रसिद्धी है। अनादिकाल से प्रयोग में होने के कारण, इनमे हमारी आस्था भी है। जिनके योग निम्न है –
- पेट में मरोड़, चुभन, भारीपन आदि वातोदर के लक्षण कहे गए है। जिसमे मठ्ठे में पिप्पली का चूर्ण और सेंधा नमक मिलाकर पीना लाभदायी है।
- पेट में जलन आदि आयुर्वेद में पित्तोदर माने गए है। जिसमे मठ्ठा में खांड और काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर पीने से लाभ होता है।
- कफोदर के रोगी को मठ्ठे में अजवायन चूर्ण 1 माशा, सेंधा नमक 2 माशा, जीरे का चूर्ण 1 माशा, सोंठ का चूर्ण 4 रत्ती, मरीचो का चूर्ण 4 रत्ती, पिप्पली का चूर्ण 2 रत्ती और मधु मिलाकर प्रतिदिन पीने से लाभ होता है।
- अन्य सभी प्रकार के पेट रोग में मठ्ठे में त्रिकटु चूर्ण, यवक्षार तथा सेंधा नमक 1 -1 माशा मिलाकर कुछ गाढ़ा और खट्टा पीने से लाभ होता है।
पेट दर्द की दवा आयुर्वेदिक (pet dard ki dawa ayurvedic)
अन्य उपचारो की तरह ही आयुर्वेद में भी, पेट में हाहिने तरफ दर्द होने (pet mein dahine taraf dard hona) की दवाई है। जैसे –
- समुद्री नमक, काला नमक, सेंधा नमक, यवक्षार, अजवायन, अजमोदा, छोटी पीपल, चित्रक छाल, सोंठ, विड लवण और शुद्ध हींग। इन सब को सामान मात्रा में लेकर कूटपीसकर शीशी में भर ले। इस चूर्ण के 1 से 3 चुटकी का सेवन भोजन के पहले घी से करने पर वातोदर, गुल्म, अजीर्ण, भक्ताजीर्ण, बातरक्त, सभी प्रकार के बवासीर, पांडुरोग और भगंदर को नष्ट करता है।
- 1 पल पुराने मानकाण्ड को पीसकर दूने चावल के साथ मिलाकर। समभाग गृहीत चतुर्गुण जल और दूध में खीर सिद्ध करे। यह वातोदर,शोथ, गृहणी और पांडुरोग को दूर करता है।
सारार्थ :
दाहिने तरफ पेट में दर्द होना (dahine taraf pet mein dard होना)। एक प्रकार का पेट दर्द है। जो अक्सर राइट साइड इन हिंदी ( right side in hindi ) होता है। जिसे प्रायः पेट के राइट साइड में दर्द होना (pet ke right side me dard hona in hindi) कहते है। यह किडनी, आंत आदि किसी भी समस्या के कारण हो सकता है। जिसकी पहचान सामान्य तौर पर पेट दर्द के द्वारा ही की जाती है।
निदानात्मक चिकित्सा का गहनता से अध्ययन करने पर, चिकित्सा की सांगोपांग विधा का ज्ञान होता है। जो चिकित्सा विशेषज्ञ समझता है। जिसको निस्तारित करने में दवा आदि का प्रयोग, आयुर्वेदादी शास्त्रों में प्रतिपादित सिद्धांत के अनुरूप होता है। जबकि किसी भी रोग से बचने में देश, काल परिस्थिति के अनुरूप आयुर्वेद को अपने जीवन में डालने की आवश्यकता है।
ध्यान रहे : किसी भी दवा का प्रयोग मनमानी ढंग से न करे। दवा सेवन के पूर्व चिकित्सक की सलाह अवश्य ले।
FAQ
पेट क्या है
पेट (pait) हमारे शरीर का ऊर्जा स्रोत है। जिसमे भोजन को पचाने, पोषक रसो को अवशोषित करने और मल को बाहर निकालने आदि से सम्ब्नधित अंग पाए जाते है।
पेट के दाहिनी तरफ दर्द क्यों होता है
हमारे शरीर में वातादि दोषो जब दाहिनी ओर इकठ्ठा हो जाते है। अथवा दाहिनी ओर पाए जाने वाले अंगो में, गड़बड़ी के कारण दाहिनी ओर पेट में दर्द होता है।
कोख किस तरफ होती है
यह महिलाओ में पाया जाने वाला विशेष अंग है। जिसे यूटरस या गर्भाशय कहते है। जिसका विस्तार पेट के दोनों ओर और मध्य में होता है, ठीक है।
रेफरेन्सेस ( references in hindi ) :
चरक संहिता चिकित्सा अध्याय 13
भाव प्रकाश
भैषज्यरत्नावली चि प्र 40
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