प्रतिदिन एक जैसा खाना खाने से हो सकते है बीमार?

आजकल ज्यादातर लोग समय बचाने के लिए, प्रतिदिन एक जैसा खाना खाने के आदी ( अभ्यासी ) हो गए है। ये आदत हमारा समय तो बचा सकती है, परन्तु हमारे सेहत ( स्वास्थ्य ) पर बुरा असर डालती है। इसलिए हम प्रतिदिन एक जैसा खाना खाने से हो सकते है बीमार? 

प्रतिदिन एक जैसा खाना खाने से हो सकते है बीमार?
प्रतिदिन एक जैसा खाना खाने की आदत

आज के तकनीकी युग में हर व्यक्ति की दिनचर्या दौड़भाग से भरी है। जिसमे सुबह नौकरी पेशा करने वालो को कार्यालय जाने की देर हो रही होती है, तो बच्चो को स्कूल जाने की। जिसमे समय का इतना अभाव होता है कि सेहतमंद खाने से हम किनारा कर लेते है। कुछ तो बाहर खा लेते है। बचे खुचे लोग ( गृहणियां इत्यादि ) जल्दी बनने वाले खाने दाल – चावल को खाकर ही भूख मिटा लेते है। 

रह गई बात शाम की तो कार्यालय में काम का बोझ अधिक होता है। जिसको समाप्त कर घर आने में अक्सर देरी हो ही जाती है। महानगरों में रहने वाले ज्यादातर लोग काम करने के लिए घर से 40 – 50 किलोमीटर दूर जाते है। जिनको फुर्सत से बैठकर, खाना खाने का समय ही नहीं मिलता। और घर लौटने में ही पूरा समय चला जाता है। 

ऐसा नियमित करने से शरीर को बहुत हानि पहुँचती है। जिससे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, और बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है। आइये जानते है कि प्रतिदिन एक जैसा खाना से क्या नुकसान होता है –

शरीर में पोषण की कमी 

हमेशा एक जैसा खाना खाने वाला व्यक्ति पोषकता की कमी से जूझता रहता है। जिसका मूल कारण हमारा शारीरिक अंग अनेक रासायनिक तत्वों से मिलकर बना है। जिसकी आपूर्ति के लिए अलग – अलग भोज्य पदार्थो की आवश्यकता पड़ती है। जो एक जैसे खाने से सुलभ हो पाना असंभव है।

जिसकी विसंगति को दूर करने के लिए पोषण से भरपूर, उपयुक्त विधि से बने भोजन का ठीक समय पर खाना खाने की अनिवार्यता है। जिसके लिए उपयुक्त विधा से संरक्षित एवं ताजे भोजन का चयन, सही तरीके से खाना पकाना और खाना आवश्यक है। इस कारण प्रतिदिन एक जैसा खाना नहीं खाना चाहिए। 

शरीर की सफाई न हो पाना

आजकल खाने की सभी चीजे उद्योगों में निर्मित होती है। जिसमे अनेक ऐसी प्रक्रियाए शामिल होती है। जिनसे शरीर में विषाक्त वातावरण का निर्माण होता रहता है। जो धीरे – धीरे पूरे शरीर पर अपना प्रभुत्व दिखाने लगता है। जिसके कारण शरीरस्त अंग – उपांग आदि की विधिवत सफाई नहीं हो पाती।

जिससे बीमारियों के पनपने का खतरा बढ़ जाता है। जिस पर हम ध्यान न देकर बीमार के लिए प्रार्थना करते है। फिर भी हमे सफलता हाथ नहीं लगती। जबकि शरीर की सफाई के लिए नियत समय पर, खाना बनाना और खाना दोनों आवश्यक है। जिससे शरीर में पोषकता की कमी न हो। 

पाचन शक्ति का कम हो जाना

आज के समय में खाना बनाने की विधि आधुनिक ढंग की है। जिसमे भोजन की गुणवत्ता पर बहुत ध्यान न देकर, उसके स्वाद को सर्वोच्च स्थान दिया जाता है। जिससे पाचन आदि में समस्या देखी जाती है। माना कि स्वाद भोजन में रूचि पैदा करता है। परन्तु बिना गुणवत्ता के शरीर की मजबूती कहा से आएगी। शरीर सुडौल तभी होगा जब उसे पर्याप्त पोषण प्राप्त होगा। 

शरीर में भोजन के माध्यम से पोषण डालना, और शरीर द्वारा भोजन से पोषक तत्वों को गहन करना। दोनों अलग – अलग बाते है। जिसके लिए मुख्य रूप से पाचन शक्ति जिम्मेदार है। जो व्यक्तियों के बीमार होने के कारण है। यह हमारे शरीर में प्रतिदिन होने वाले क्रियाकलाप है। जिसमे बीमारियों के लिए प्रार्थना नहीं, बल्कि अपेक्षित भोजन की नितांत आवश्यकता है। 

ऐसे भोजन जिसमें खाने का सोडा आदि का प्रयोग न किया गया हो। उसका सेवन करने पर पाचन शक्ति में न्यूनता देखी जाती है। जिससे होने वाली बीमारियों के नाम निम्न है –

  1. बवासीर
  2. पेट में गैस बनना
  3. मोटापा
  4. दस्त
  5. पेचिस आदि।    

पेट साफ न होना

जब हम प्रतिदिन एक जैसा खाना खाते है। तब शरीर को इसकी आदत लग जाती है। जैसे – एक ही फल-सब्जी, अनाज आदि। तब पाचन क्रिया के उपरान्त एक ही प्रकार के पदार्थ का निष्कर्षण होता है। जिसको बाहर निकालने के लिए सहायक पदार्थ की आवश्यकता पड़ती है। जो उस अन्य में न पाया जा कर, किसी अन्य में पाया जाता है।

ऐसा न हो पाने पर पेट साफ न होने की समस्या होने लगती है। जो अपने आप में एक गंभीर समस्या है। जिससे निजात पाने के लिए प्रतिदिन होने वाला कार्य, विशेषकर भोजन की गुणवत्ता अत्यंत आवश्यक है। जिस पर आज के आधुनिक घर – परिवार में ध्यान ही नहीं दिया जाता। जिसके कारण पेट साफ न होने की दिक्कत, वयस्कों के साथ – साथ अब बच्चो को भी होने लगी है। जिसका कारण हर दिन एक जैसा खाना खाने से शरीर की अम्लता बढ़ने लगती है। जिसको विष कहा जाता है।  

डाइटिंग के दौरान भूलकर भी न खाये एक जैसा खाना 

आजकल डाइटिंग का उपयोग बीमारियों के घरेलू उपचार के रूप में किया जाता है। जिसमे कम खाने के फायदे है। परन्तु बीमारी की एक वजह रोज एक जैसा खाना खाना भी है। जिसके सेवन से सेहत पर क्या होता हैं असर?

डाइटिंग एक प्रकार की शरीर शोधन की क्रिया है। जिसमे शरीर में पाए अथवा बनने वाले मलिनता का आपनोदन किया जाता है। लेकिन जब हम नित्य एक ही भोजनाहार का प्रयोग करने लगते है। तब शरीर शुद्धि की क्रिया बाधित होती है। जिसके कारण हमें डाइटिंग करने का कोई लाभ नहीं मिलता। जिसके चलते हर दिन एक जैसा खाना खाना शरीर के लिए घातक है। 

उपसंहार :

मानव शरीर के पोषण को संभव करने का एक मात्र उपाय दिन प्रतिदिन अलग – अलग प्रकार की सब्जी, अन्न, फल आदि का सेवन करना। जिससे शरीर को समय रहते आवश्यक पोषक तत्वों की प्राप्ति हो सके। जबकि हर दिन एक जैसा खाना खाने से शरीर में पोषकता का अभाव हो जाता है। इसलिए प्रतिदिन एक जैसा खाना खाने से हो सकते है बीमार?

पोषण के अभाव में श्री की हानि और शरीर बिगड़ता है। जबकि पोषण के प्रभाव में शरीर रुग्ण होने पर भी स्वस्थ हो जाता है। पूरे पृथ्वी पर स्वास्थ्य का यह अकाट्य सिद्धांत है। जो आदि से लेकर अंत तक यथावत रहने वाला है। जो दूध, घी आदि पर लागू नहीं होता।  

यदि किसी क्रिया को हम 21 दिन नियमित करे, तो 22 दिन से वह सहज रूप में होने लगती है। यदि 40 दिन नियमित कर दे तो आजीवन साथ देने वाली हो जाती है। इसकारण किसी भी भोज्य पदार्थ का उपयोग, निरंतर इस समयावधि तक न करें। 

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