मल्टीविटामिन टेबलेट्स और कैप्सूल खाने के बजाय मौसमी फल और सब्जियाँ खाने के फायदे

मल्टीविटामिन टेबलेट्स का निर्माण रसायनीकरण कर बनाया जाता है। जिसमे आमतौर पर जल और वसा में घुलनशील विटामिन होती है। शरीर में रक्त के निर्माण आदि में मल्टीविटामिन के फायदे है। इस कारण इनको सतत लेते रहना हमारी मजबूरी है। ठीक वैसे ही जैसे प्रतिदिन एक जैसा खाना खाना खाने से बीमार हो सकते है। 

मल्टीविटामिन टेबलेट्स

मल्टीविटामिन की कमी को पूरा करने में, ताजे फल और सब्जियाँ की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए बेहतर स्वास्थ्य और जीवनी शक्ति को संजोये रखने में, ताजी एवं जैविक सब्जियों और फलों का अभूतपूर्व योगदान होता है। इस तरह हम मनुष्य इन पादपों पर निर्भर है और वो हम पर। इसलिए मौसमी फल और सब्जियां खाने के फायदे है। 

लेकिन तकनीकी बदलावों के आ जाने से, मल्टीविटामिन टेबलेट्स और मल्टीविटामिन कैप्सूल ने इनकी जगह ले ली है। जिससे मल्टीविटामिन की कमी के लक्षण का पता लगने पर, आमतौर पर मल्टीविटामिन गोली ( multivitamin tablets ) का ही प्रयोग होता है। 

परन्तु मौसमी फल और सब्जियों के जैसे नहीं, क्योकि मौसमी फल और सब्जियां मल्टीविटामिन आदि का प्राकृतिक स्रोत है। जबकि मल्टीविटामिन टेबलेट्स और मल्टीविटामिन सिरप आदि, इनका कृत्रिम स्रोत है। इसलिए इसमें कोई संदेह नहीं कि मल्टीविटामिन टैबलेट के फायदे है। लेकिन उतने नहीं जितने मौसमी फल और सब्जियों के है। 

जिसका कारण प्रकृति का परिवर्तनशील होना है। जिसको सर्दी – गर्मी आदि के माध्यम से न केवल महसूस किया जा सकता है। बल्कि चन्द्रमा की कलाओं आदि में होने वाले परिवर्तनों के द्वारा देखा भी जा सकता है। इस आधार पर इन ऋतु परिवतर्नों का सीधा सम्बन्ध, हमारे शरीर पर पड़ता है। 

मल्टीविटामिन की कमी के लक्षण ( vitamin deficiency symptoms in hindi )

मल्टीविटामिन की कमी के लक्षण

जिससे बचने के लिए जैसे – जैसे मौसम में बदलाव आता जाता है। वैसे – वैसे प्रकृति में अलग – अलग जाती और प्रजाति की फल और सब्जिया पैदा होती है। जिसमे हमारे शरीर पर ऋतु परिवर्तन से आये हुए, दोषों के वारन की अन्तर्निहित योग्यता समाई होती है। तत्व अनुपातिक भेद 

जिससे इन फलों और सब्जियों का सेवन करने वाले लोग बीमार नहीं पड़ते। यदि पड़ते भी है तो किसी विशेष जीर्ण रोगो के चपेट में नहीं पड़ते। लेकिन जो मल्टीविटामिन कैप्सूल के फायदे के चक्कर में पड़े रहते है। वो अपेक्षाकृत मौसमी फल और सब्जियां खाने वाले लोगो से अधिक बीमार होते है।   

आमतौर पर शरीर में मल्टीविटामिन की कमी को निम्नलिखित लक्षणों से पहचाना जा सकता है – 

  • नाखूनों का कमजोर होकर टूटना
  • त्वचा में रूखापन आना
  • मुहासे होना 
  • बालों का बेजान होना 
  • बाल झड़ना
  • मांसपेशियों में सिकुड़न होना
  • कमजोरी महसूस होना 
  • थकान बनी रहना 
  • त्वचा का पीला पड़ना
  • हाथ – पैर में सुन्नपन या झुनझुनी होना 
  • वजन घटना
  • भूलने की समस्या होना, आदि।  

मल्टीविटामिन टेबलेट्स के बजाय मौसमी फल एवं सब्जी खाने के फायदे 

मौसमी फलों और सब्जियों में मल्टीविटामिन, खनिज, लवण और एंटीऑक्सीडेंट्स का आनुपातिक संयोजन पाया जाता है। इस लिए मौसमी फल और सब्जियां हमारे आपके लिए वरदान है। जिनकी चमत्कारी अच्छाइयों को अपनाकर, आप जीवन भर खुशहाली भरा निरोगी जीवन जी सकते है। 

फिर चाहे वह गर्मियों में होने वाले रसभरे आम और तरबूज की मिठास हो, वर्षा में होने वाली रसदार खट्टी – मीठी जामुन हो। अथवा सर्दियों में होने वाले सेब का फुसफुसापन। इनका समय आते ही इनका स्वाद लेने के लिए न केवल मन बल्कि जीभ भी चटकोरे मारने लगती है। 

इसी तरह सब्जियों में अनेको प्रकार की सब्जिया है। जैसे – सर्दियों के समय होने वाला बथुआ, मेथी और सरसों आदि का साग, बारिस में होने वाला बंडा और अरुई की रसीली सब्जी किसको नहीं भाती। वही गर्मी के दिनों में होने वाला कद्दू, नेनुआ और लौकी खाने से शरीर को ठंडक मिलती है।    

आमतौर पर सर्दिया पोषण के लिए सबसे अधिक उपयोगी मानी जाती है। जिसका सबसे बड़ा कारण तापमान काम होने से, भारी से भारी भोजन भी आसानी से पचता है। जबकि पोषण की जरूरत तो हमें हर समय होती है। इस कारण ताजी और मौसमी सब्जियों और फलों का सेवन करने से, मल्टीविटामिन टेबलेट्स से कही अधिक लाभ मिलता है। 

स्वादिष्ट होने से मन को भाता है

स्वादिष्ट होने से मन को भाता है

फलों का खट्टा मीठा स्वाद बच्चों के मन को बहुत पसंद होता है। जिसके कारण बच्चे फलों का आसानी से सेवन करते है। लेकिन सब्जियों का स्वाद प्रायः कषैला होता है। जिसके कारण बच्चे सब्जी खाना पसंद नहीं करते।

लेकिन यदि सब्जी को रोचक ढंग से स्वादिष्ट बनाया जाय, तो बच्चे बड़े चाव से सब्जियों का सेवन करने लगते है। परन्तु हम लोग प्रायः बच्चों का अप्राकृतिक मीठा खिलाने लगते है। जिससे वे मीठा खाने के आदि हो जाते है। जिसको खाने की वो बार – बार जिद करने लगते है।

जबकि ज्यादातर वयस्क लोग भी स्वाद को ही अधिक महत्व देते है। जिसके कारण लोग फल तो खा लेते है। लेकिन सब्जी खाना नहीं पसंद करते। जिसके अभाव में लोग मल्टीविटामिन टेबलेट्स खाकर काम चलाते है। जो स्वस्थ्य के लिए बिलकुल अच्छा नहीं है।

आजकल लोगों के ऊपर काम का इतना दवाव रहता है कि लोगों के पास खाने सोने का समय ही नही बचता। लेकिन स्वस्थ रहे बिना काम करना भी संभव नहीं। जिसके लिए शरीर में पर्याप्त पोषण का होना जरूरी है। जिसके लिए लोग मल्टीविटामिन टेबलेट्स मजबूरी में खाते है। 

किन्तु स्वास्थ्य बढ़कर जरूरी काम कौन सा हो सकता है? इसलिए हमें अपने काम और दैनिक दिनचर्या आदि के बीच तालमेल बिठाना चाहिए। क्योकि आपका शरीर प्राकृतिक है तो उसको स्वस्थ रहने के लिए भी प्राकृतिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। जो मौसमी और ताजे फलों और सब्जियों में पाए जाते है, न कि मल्टीविटामिन टेबलेट्स में।    

विटामिन को पचने के अनुकूल अतिरिक्त पोषण प्रदान करता है 

ज्यादातर मल्टीविटामिन टेबलेट्स में विभिन्न प्रकार के विटामिन्स पाए जाते है। लेकिन इन विटामिन्स को पचने के लिए भी कुछ पोषक तत्वों की आवश्यकता पड़ती है। जिसमे जल और वसा प्रमुख है। क्योकि बहुत विटामिन ए और सी जल में घुलनशील होते है। बाकी सभी वसा में घुलनशील होते है। इसलिए विटामिन को सोखने के लिए इन अतिरिक्त पोषक द्रव्यों की आवश्यकता होती है। जो मल्टीविटामिन टेबलेट्स और मल्टीविटामिन सिरप आदि में नहीं पाई जाती। जिसकी पूर्ति मल्टीविटामिन टेबलेट्स का सेवन करने वाले को बाहर से करनी पड़ती है। 

वाकई में कुछ विटामिन्स को पचाने के लिए लवण, मिनरल ( खनिज ) के सहित कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट्स आदि की जरूरत पड़ती है। लेकिन किस अनुपात में यह अभी भी शोध का विषय है। इतना ही शरीर को पुष्ट करने में धातुओ की भी आवश्यकता पड़ती है। लेकिन किसके साथ और कितनी मात्रा में, वैज्ञानिकों को अभी इसका पता लगाना बाकी है।  

परन्तु ईश्वर के द्वारा बनाई प्रकृति चेतन है। जिसमे किस मौसम में किस अनुपात में और किस देश में रहने वाले व्यक्ति को किन पोषक तत्वों के साथ कितनी मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता है। ठीक उतनी ही मात्रात्मक अनुपात में वो – वो पोषक तत्व उस मौसम में पाए जाने वाले फल और सब्जियों में पायी जाती है। जिससे मौसमी फल और सब्जी खाने वाले को बीमारियां लगने का खतरा प्रायः नहीं होता।   

पचने में आसान है

मल्टीविटामिन टेबलेट्स और सिरप, पोषक तत्वोव के स्रोतों से संस्कृत और प्रसंस्कृत कर बनाये जाते है। जिससे इनमे पाए जाने पोषक तत्वों के संयोजन का अनुपात गड़बड़ हो जाता है। जिसमे उबालने, सुखाने आदि का क्रम चलाया जाता है। जिससे मल्टीविटामिन टेबलेट्स अपचने में भारी और कठोर हो जाया करती है। परिणाम स्वरूप शरीर इनका आसानी से पाचन नहीं कर पाता ।

जबकि मौसमी फलों और सब्जियों में, शरीर को पोषण देने के अनुकूल तत्व तो पाए ही जाते। बल्कि इन पोषक तत्वों का शरीर में पाचन करने वाले भी अतिरिक्त तत्व पाए जाते है। जिनके बिना फलों और सब्जियों के पोषक तत्वों को आपका शरीर नहीं सोख पाता। जैसे – फाइबर आदि। यही वजह है कि फल और सब्जियों का पाचन आसानी से हो जाता है। लेकिन मल्टीविटामिन टेबलेट्स आदि का नहीं हो पाता। 

पेट साफ करता है

ताजे फल और सब्जियों में पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जाता है। जो आँतों में फसी हुई गंदगी को साफ करता है। जिससे आँतों के सहित गुदवलियों ( गुदा नली ) में, गन्दगी नहीं जमने पाती। जिससे पेट में प्रतिलोमित हुई वायु भी अनुकूल होकर, पाचक अग्नि को बढ़ाती है। जिससे न केवल हमारा पेट साफ़ होता है। बल्कि खुलकर भूख भी लगती है। 

जबकि मल्टीविटामिन टेबलेट्स को बनाने में, बहुत महीन और बारीक पाउडर्स का इस्तेमाल किया जाता है। जिसके कण बहुत ही छोटे और चिकने होते है। जिससे आँतों में चिपकते है और पानी भी अधिक सोखते है। जिससे पेट में वायु जमकर कब्ज के लक्षण को पैदा करती है। जिसके कारण गुदा बली भी जाम हो सकती है। 

रसायन मुक्त है ( chemical free )

आजकल दुनिया भर में दो तरह की खेती देखने को मिलती है – भी दो तरह की होती है।

  1. रसायन मुक्त : वैदिक कृषि पूर्णतया गोवंश पर आधारित खेती है। जिसमे फल और सब्जियों का उत्पादन गोवंश से प्राप्त होने वाले गोमय से किया जाता है। जिससे यह पूर्णतया जैविक होता है अर्थात अप्राकृतिक रसायनो से मुक्त होता है। जिससे जैविक रसायनों में हमारे शरीर को पोषित करने वाले पोषक तत्व पाए जाते है। जिनका अवशोषण हमारा शरीर आसानी से करता है। इसके अतिरिक्त इसमें पोषकता और उत्पादकता दिन ब दिन बढ़ती जाती है। जिसका एक मात्र कारण मिट्टी की उर्वरा शक्ति का लगातार बढ़ते रहना है। 
  2. और रसायन युक्त : कल कारखानों में कृत्रिम विधा से तैयार किये गए, कृत्रिम ( जर्सी ) खाद आदि डालकर की जाने वाली खेती को जहरीली खेती कहा जाता है। जिसमे जहरीले कीटनाशक और जंतुनाशक का इस्तेमाल होता है। जिससे उत्पादित फल और सब्जियों में कृत्रिम रसायन वाले पोषक तत्व पाए जाते है। जो हमारे स्वास्थ्य के लिए दुश्मन है। इस तरह की खेती से मिट्टी की उर्वरता शुरुआत में बढ़ती है। लेकिन कुछ दिनों के बाद उत्पादित फल और सब्जियों की पोषकता और उत्पादकता दोनों घटने लगते है। 

जबकि multivitamin tablets और मल्टीविटामिन कैप्सूल आदि का निर्माण संशोधन के द्वारा किया जाता है। जिससे यह कृत्रिम रसायनों से युक्त होते है। 

बीमारियों के लगने का खतरा नहीं होता

अलग – अलग स्थान पर और अलग – अलग मौसम में, अलग – अलग तरह की फल और सब्जियां उगती है। जिससे मौसमी फलों में ऋतुकूल पाए जाने वाले पोषक तत्वों का अनुपात अलग – अलग होता है। जो उस मौसम में शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिए जरूरी होता है। जिसका हिसाब किताब केवल और केवल प्रकृति ही कर सकती है।   

जबकि मल्टीविटामिन टेबलेट्स कृत्रिम रसायनो से बनाये जाते है। जिसमे इनके शुद्धीकरण के कई चरण होते है। जिनसे इनकी संरचना चरण दर चरण कठिन होती जाती है। फिर इन मल्टीविटामिन टेबलेट्स का निर्माण मौसम को ध्यान में रखकर नहीं किया जाता। जिसके कारण इनमे पाए जाने वाले पोषक तत्व समायोजी होते है, न कि मौसम के अनुकूल अनुपाती।

प्रदूषण रहित है ( ecofriendly )

जैविक तरीके से उपजाई जाने वाले फल और सब्जियों को, गोबर आदि का उपयोग करके उपजाया जाता है। जिसमे पर्यावरण के प्रदूषण का कोई सवाल ही नहीं होता, और न इसमें किसी तरह की कोई ऊर्जा का क्षय होता है। 

जबकि मल्टीविटामिन टेबलेट्स और मल्टीविटामिन सिरप आदि का निर्माण करने में बहुत सी ऊर्जा व्यय होती है। फिर इसके रख रखाव के लिए ज्यादातर प्लास्टिक का ही उपयोग किया जाता है। जिसका योगदान न केवल मिट्टी बल्कि जल, अग्नि, वायु और आकाश को प्रदूषित करने में है। फिर प्लास्टिक में लिपटी मल्टीविटामिन टेबलेट्स आपके लिए फायदेमंद कैसे हो सकती है?

इतने पर भी मल्टीविटामिन टेबलेट्स के फायदे बताये जाते है। जोकि आपातस्थिति से निपटने तक तो ठीक है। लेकिन नियमित उपयोग के हिसाब से बिलकुल नहीं। 

महगा बहुत है

आजकल अत्याधुनिक तकनीकी के आ जाने से, महगाई दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। जिसका एक कारण अत्याधुनिक सुविधा की ओर लोगो की ललक बढ़ रही है। जिससे अब लोगो को पेट और परिवार के लिए पैसा जुटा पाने में नाको चने चबाने पड़ रहे है।

वही दूसरी ओर मल्टी विटामिन गोलियों का निर्माण कल कारखानों में होता है। जिससे इनकी लागत अधिक होती है। वही इनको एक स्थान से दुसरे स्थान तक ले जाने, और बेचने के लिए बाजार खड़ा करना पड़ता है। जिसके कारण इसमें बहुत धन का व्यय होता है। 

इसलिए लोग परेशान होकर, लोग सबसे सस्ता मल्टीविटामिन कैप्सूल खोजते है। लेकिन इसमें कमी यह होती है कि लागत कम करने में, इसकी क्वालिटी उतनी अच्छी नहीं रह जाती। इसलिए लोग अच्छे मल्टीविटामिन कैप्सूल्स नाम जानने की कोशिश में लगे रहते है।  

राष्ट्र को समृद्ध बनाता है 

इनका निर्माण बहुत बड़े – बड़े कारखानों में होता है। जिससे इनके विपणन का पूरा बाजार खड़ा किया जाता है। इसलिए मल्टीविटामिन टेबलेट्स price फल और सब्जियों से कही अधिक होते है। कई बार तो इन्हे बिना आवश्यकता के भी रोगियों को खिलाया जाता है। जिससे यह मल्टीविटामिन आम लोगों के जेब पर भारी होता है।

वही दूसरी ओर बाजार का सारा पैसा मुठ्ठी भर लोगो के पास चला जाता है। जिससे देश में गरीब व्यक्तियों का ताता लग जाता है। जिसके कारण देश में आर्थिक विषमता आने लगती है। जो अपने ही देशवासियो के बीच मनमुटाव, अशांति और मारकाट को जन्म देने लगती है।

एक ओर धन पतियों का बहुत सारा पैसा, इन कंपनियों में लगा हुआ होता है। जिनका मूल उद्देशय अधिक से अधिक धन कमाना होता है। न कि आपको स्वस्थ करना क्योकि यदि आप स्वस्थ हो गए तो इनके कारखानों में बनने वाली मल्टीविटामिन टेबलेट, मल्टीविटामिन कैप्सूल और मल्टीविटामिन सिरप कौन खरीदेगा। तब इनका व्यापार कैसे होगा? 

जबकि फलों और सब्जियों का सेवन करने से, गाँवों में रहने वाले छोटे – छोटे किसानों को रोजगार मिलता है। जिससे इनकी आमदनी भी होती है। परिणामतः उनकी आवश्यकताओ की भी पूर्ति होती है। जिससे एक ओर लोगों में एक दुसरे के प्रति सहानुभूति जगती है। अन्ततं वो अपने से ऊपर राष्ट्र के विषय में सोच पाते है। वही दूसरी ओर लोग फलों और सब्जियों की उन्नत और देशी बीज को जैविक तरीके से उगाना शुरू कर देते है। जिससे हमें अधिक पोषक और पर्यावरण के अनुकूल फल और सब्जियां खाने को मिलती है। 

उपसंहार :

आमतौर पर मल्टीविटामिन को सेहत का खजाना माना जाता है। जिसमे अनेको प्रकार के विटामिन्स के साथ खनिज लवण आदि पाए जाते है। जिसमे कुछ ऐसी विटामिन्स भी होती है, जो एंटीऑक्सीडेंट्स कहलाती है। जैसे – विटामिन सी। जिसकी मात्रात्मक आपूर्ति होती रहने पर, हम स्वस्थ बने रहते है। जब किसी कारण से ऐसा नहीं हो पाता, तब आपका शरीर मल्टीविटामिन की कमी के लक्षण दिखाने लगता है। जिसमे दिनभर थकान बनी रहना, पैरों में दर्द और झुनझुनाहट होना आदि शामिल है। 

लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण में मल्टीविटामिन की सबसे अधिक आवश्यकता पड़ती है। जिसकी समय पर उपलब्धता न होने पर, हमारे शरीर में खून की कमी होने लगती है। कई बार यह स्थिति अत्यधिक गंभीर भी हो जाती है। जो प्राकृतिक रूप से मौसमी और ताजे फल एवं सब्जियों में पायी जाती है। इसलिए हर माता – पिता का दायित्व है कि वे अपने लाडले और दुलारे बच्चों को मौसमी फल और सब्जी खिलाने की आदत डलवाये।  

आपात स्थिति से निपटने में मल्टीविटामिन सिरप और मल्टीविटामिन टेबलेट्स आदि के फायदे है। लेकिन नियमित उपयोग के लिए उतने ही घातक भी है। एलोपैथिक मल्टीविटामिन टेबलेट्स तो दूर आयुर्वेदिक मल्टीविटामिन टैबलेट भी उतने उपयोगी नहीं है। जितने मौसमी और ताजे फल एवं सब्जियां। क्योकि यह पूर्ण रूप से जैविक और मौसम के अनुकूल होते है। जिससे इसमें न केवल मल्टीविटामिन पाए जाते है। बल्कि औषधीय गुण भी विद्यमान होते है। जो उस ऋतु में होने वाली समस्याओं को हर लेते है। 

सन्दर्भ :

ग्लोरिया एस्क्यू और जेर पैकुएट द्वारा लिखित सप्लीमेंट्स की कुछ सच्चाइयां 

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