प्रेगनेंसी में बवासीर होना : Piles During Pregnancy In Hindi

महिलाओं को प्रेगनेंसी में बवासीर होना आम समस्या है। जिससे गर्भावस्था के दौरान अक्सर महिला प्रभावित देखी जाती है। गर्भावस्था में बवासीर होने को ही पाइल्स इन प्रेगनेंसी भी कहते है। जिसमे गुदा में खुजली, जलन और भारीपन जैसी परेशानिया होती है। 

गर्भावस्था में बवासीर

जो प्रेगनेंसी में बवासीर के लक्षण हो सकते है। जो प्रसव होने के बाद बिना कोई उपाय किये भी ठीक हो सकते है। इसलिए प्रेगनेंसी में बवासीर होना कोई गंभीर समस्या नहीं है। हालांकि कुछ महिलाओ को प्रेगनेंसी होने पर बहुत तकलीफ होती है।

जो उनके अपने शरीर प्रकृति के अनुसार है। जिसमे बवासीर के घरेलू उपाय बहुत ही असरकारक है। जो महिला बवासीर के लक्षण को भी दूर करने का काम करते है। परन्तु कुछ ऐसी दवाइया है, जिनका प्रयोग गर्भावस्था में करना वर्जित है। गर्भ को सुरक्षित रखने के लिए जिसका ध्यान रखना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।

प्रेगनेंसी की बवासीर दो तरह की हो सकती है। पहली जिसमे केवं बवासीर का मस्सा विभिन्न आकार और रंग का हो सकता है। जो बादी बवासीर के लक्षण कहलाता है। दूसरी ऐसी बवासीर जिसमे बवासीर के मांसीय मस्सों के साथ खून का स्राव ( रिसाव ) होता है।

जिसे खूनी बवासीर के लक्षण कहते है। इनके होने से गर्भावस्था की परेशानी में चार चाँद लग जाते है। जिससे गर्भवती महिलाओ में चिड़चिड़ापन, क्रोध ( गुस्सा ) और अवसाद भी देखा जा सकता है।  

प्रेगनेंसी में बवासीर क्यों होता है ( why piles in pregnancy )

महिला मलाशय की शिराए गुदनालिका की दीवारों में लम्बाई की और फैली रहती है। जिनमे कपाट नहीं होता। जिससे गर्भ के विकसित होने पर गुदा की शिराओ पर दाब डालता है। जिससे मलत्याग के समय बैठने और प्रवाहण करने आदि से शिराओ में आया हुआ रक्त वापस लौटकर नहीं जा पाता।

जिसके कारण गर्भवती महिला की गुदीय शिराओ में खून इकठ्ठा होने लगता है। जो खून से भरकर फूल जाते है एवं उनमे सौत्रिक धातु का आवरण बनते रहने से खून से भर कर फूला हुआ भाग दर्द करने लगता है।

प्रेगनेंसी में बवासीर के लक्षण ( symptoms of piles in pregnancy )

piles images in female

गर्भावस्था में मिलने वाले सभी लक्षण बवासीर के लक्षणों जैसे ही होते है। अंतर केवल इतना होता है कि यह केवल गर्भावस्था में पाए जाते है। जो आमतौर पर इस प्रकार है – 

  • गुदा में भारीपन लगना
  • गुदा पर या अंदर खुजली होना
  • मलद्वार में जलन होना
  • मल का सख्त और कडा होना
  • मलद्वार में मस्से निकल आना 
  • प्रेगनेंसी में लैट्रिन में ब्लड आना
  • मलत्याग के बाद घंटो जलन बनी रहना
  • गुदा में कांटे की तरह चुभन होना, आदि। 

गर्भावस्था में बवासीर का उपचार कैसे करें ( how to treat piles in pregnancy )

piles in pregnancy pictures 

आमतौर पर महिलाओ की प्रेगनेंसी में बवासीर का होना देखा जाता है। जिनको प्राइवेट पार्ट्स महिला बवासीर कहा जाता है। जिसको ऊपर महिला बवासीर इमेजेज में देख कर समझा जा सकता है। जिसके लिए पाइल्स इन प्रेगनेंसी ट्रीटमेंट ( piles in pregnancy treatment ) किया जाता है। जिसके होने के दो कारण है – 

पहला : गर्भावस्था में बवासीर होने का कारण विकसित होने वाला भ्रूण है। जिसके कारण गर्भाशय बढ़ता है। जिनके फलस्वरूप पेट में पाए जाने वाले अंग – प्रत्यंग आदि पर दाब पड़ता है। जो उठने – बैठने के दौरान गुदीय शिराओ पर सर्वाधिक प्रभाव डालता है। जिससे गर्भवती महिला की गुदा के अंदर अथवा मांस के मस्से निकल आते है।

दूसरा : जबकि कुछ महिलाओ में गर्भावस्था के पहले ही बवासीर की बीमारी होती है। जो गर्भ के ठहरने पर अपने पूर्व रूप से भी अधिक हो जाती है। इन दोनों ही अवस्थाओं में होने वाली बवासीर को गर्भावस्था की बवासीर कहा जाता है। जिसमे बवासीर को जड़ से खत्म करने के उपाय अत्यंत लाभकारी है।

प्रेगनेंसी में बवासीर का इलाज ( pregnancy me bawasir ka ilaj ) करते समय दोनों तरह की अवस्थाओं का ध्यान रखना चाहिए। जिसमे पहली अवस्था तात्कालिक रूप में है। जबकि दूसरी अवस्था स्थायी ( सेटल्ड ) है। जिसको दूर करने में बवासीर की गारंटी की दवाई प्रभावकारी हो सकती है।  

प्रेगनेंसी में बवासीर के घरेलू उपाय ( pregnancy me bawasir ke gharelu upay )

गर्भवती महिला बवासीर में घरेलू उपाय बहुत ही उपयोगी है। जिनके कारण इनका सर्वाधिक उपयोग भी होता है। प्रेगनेंसी में बवासीर के उपाय निम्न है – 

  • ताजे मक्खन में शहद मिलाकर खाने से बवासीर नष्ट हो जाती है।
  • अनारदाने के चूर्ण में गुड़ मिलाकर खाने से गर्भवस्था की बवासीर में लाभ मिलता है।
  • हर्रे चूर्ण में गुड़ मिलाकर खाने से प्रेगनेंसी की बवासीर से छुटकारा मिलता है।
  • काले तिल में पुराना गुड़ मिलाकर खाने से बहुत लाभ मिलता है। इसके साथ गर्भावस्था में होने वाली कैल्शियम की कमी को भी पूरा करता है। जिससे शरीर में मजबूती आती है। 

प्रेगनेंसी में बवासीर की होम्योपैथी दवा 

गर्भावस्था में बवासीर का उपचार ( bawasir ka upchar ) करने में होम्योपैथी भी उपकारी है। जिसमे अनेक ऐसी दवाई है, जो पाइल्स इन प्रेगनेंसी का समाधान कर सकती है। जिसमे उपयोगी दवाइया निम्न है – 

एसिड म्यूर : गर्भावस्था में बवासीर की बीमारी होने पर अधिक लाभकारी है। इसमें पेशाब करने के समय बवासीर का मस्सा निकल पड़ता है। जो होम्योपैथी के सिद्धांतसार इस दवा का विशिष्ट लक्षण है।  

प्लान्टेगो : बवासीर के मस्सो में जलन और दर्द होने पर, इसके टिंचर में रुई डुबोकर लगाने से बहुत फायदा होता है। वही यह बार – बार मलत्याग होने की इच्छा होना आदि में भी गुणकारी है।

लाइकोपोडियम : यह पेट में अधिक गैस बनने और गरम वस्तुओ का सेवन करने की इच्छा होने में लाभकारी है। जिससे गर्भावस्था में होने वाली कब्जियत आदि को भी मिटाती है। वही यह पुरुष बवासीर के लक्षण की भी प्रभावकारी दवा है। 

प्रेगनेंसी में बवासीर से बचने के उपाय ( precautions of piles in pregnancy )

प्रेगनेंसी में बवासीर होने का मुख्य कारण बवासीर की जानकारी न होना है। जबकि कुछ ऐसे उपाय है। जिनके द्वारा गर्भावस्था की बवासीर से बचा जा सकता है। गर्भावस्था में बवासीर के लिए निम्न उपाय लाभकारी हो सकते है –

  • अधिक समय तक मल और मूत्र को न रोके।
  • भारी वजन उठाने से परहेज करे। 
  • भूख लगने पर ही भोजन करे।
  • भूख को अधिक देर तक रोके नहीं। 
  • अधिक भोजन करने से बचे।
  • तीखा, चटपटा और मिर्च मसाले वाला भोजन न ले।
  • चीनी का प्रयोग बिलकुल न करे।
  • गेहू और चावल के इस्तेमाल से बचे। इसके स्थान पर मिल्लेट्स का प्रयोग करे।  
  • दिन में दूध के सेवन से बचे।
  • प्रातःकाल सुबह जल्दी उठे।
  • फास्ट फूड, जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक आदि का प्रयोग न करे।
  • आइसक्रीम, बर्फ और रेफ्रिजेटर में रखे पानी और जूस को खाने और पीने से बचे।
  • हमेशा ताजे भोजन का ही प्रयोग करे।
  • मौसमी और ताजे फलों और सब्जियों का ही अधिक से अधिक प्रयोग करे, आदि। 

उपसंहार :

प्रेगनेंसी में बवासीर के लक्षण आमतौर पर देखे जाते है। जिसके कारण गर्भावस्था में बवासीर होना सामान्य है। जबकि गर्भवस्था के पहले बवासीर होने पर गर्भधारण के बाद भी जारी रहती है। जिसके लिए पाइल्स इन प्रेगनेंसी का उपचार करना आवश्यक हो जाता है। 

जिसको केवल दवाइयों से नहीं मिटाया जा सकता है। यह दिनचर्या आदि से जुड़ने के कारण जीवनशैली का रोग माना जाता है। जिससे प्रेगनेंसी में बवासीर होने पर भोजन, पानी के साथ अनुकूल व्यायाम करने से जल्दी ही गर्भावस्था की बवासीर से छुटकारा मिल सकता है। 

ध्यान रहे : गर्भ की अवस्था बहुत नाजुक होती है। जिसमे सभी प्रकार के आहार, मसाले और दवाई लेने के पूर्व बहुत सावधानी रखनी चाहिए। इसलिए इस समय बिना किसी चिकित्सीय परामर्श के किसी भी दवा को नहीं खाना चाहिए।  

सन्दर्भ :

भैषज्यरत्नावली अर्श रोग निदान प्रकरण 

सुश्रुत संहिता निदान अध्याय 2

योगरत्नाकर अर्श रोग निदान एवं चिकित्सा 

FAQ

प्रेगनेंसी में बवासीर क्यों होता है?

महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान गर्भ के विकसित होने से, गुदा की शिराओ आदि पर दाब पड़ने से गुदा द्वार पर मस्से निकल आते है। जिसे बवासीर हो जाता है।   

आयरन की गोली खाने से लैट्रिन काला होता है क्या? 

कुछ लोगो में आयरन की गोली खाने से मल के रंग में परिवर्तन हो सकता है। आमतौर पर महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान आयरन की गोली खाने को दी जाती है। 

प्रेगनेंसी में बवासीर हो तो क्या करना चाहिए? 

महिलाओ की शरीर रचना बच्चे पैदा करने के अनुकूल बनी है। जिसमे बवासीर होना कोई बड़ी समस्या नहीं मानी जाती है। जो गर्भावस्था के बीत जाने पर अपने आप ठीक भी हो जाती है। परन्तु प्रेगनेंसी ,ही  

क्या बवासीर नार्मल डिलीवरी को प्रभावित कर सकता है ( will piles affect normal delivery )?

बवासीर का सामान्य प्रसव पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता, क्योकि गुदा और योनी द्वार का मुख अलग – अलग होता है। यह बात और है कि डिलीवरी के दौरान बवासीर होने पर दर्द हो सकता है।  

क्या बवासीर के दौरान मैं गर्भधारण कर सकती हूँ ( can i get pregnant with piles )?

हाँ, यदि पेट में गर्भाशय, कब्जादि से सम्बंधित अन्य कोई विकार न हो।