भोजन के बीच में थोड़ा – थोड़ा पानी पीना आवश्यक क्यों?

हम मनुष्य अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए भोजन करते है। जिससे हमें ऊर्जा मिलती है, लेकिन भोजन पचने के बाद। इसलिए हमारे शरीर में भोजन का पचना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए लोग भोजन के दौरान पानी न पीने अथवा गरम पानी पीने की सलाह देते है। लेकिन सैद्धांतिक धरातल पर, भोजन के साथ पानी पीना आवश्यक माना गया है। आइये जानते है कि भोजन के बीच में थोड़ा – थोड़ा पानी पीना आवश्यक क्यों?

भोजन के बीच में थोड़ा - थोड़ा पानी पीना आवश्यक क्यों?

शरीर को ताकत अधिक खाने से नहीं, बल्कि अधिक पचाने से मिलती है। जो जल के बिना हो पाना सम्भव नहीं। इसलिए भोजन को पचाने के लिए, खाद्य आहारों के साथ जल की भी आवश्यकता होती है। जिसको न जानने वाले अक्सर खाना खाते समय पानी पीना चाहिए या नहीं की बात करते है। 

भोजन के पाचन में तीन चौथाई योगदान जल का होता है। यही कारण है कि हरी सब्जियों और फलों का लगभग 75% भाग जल होता है। बाकी बचे एक चौथाई भाग में विटामिन, कार्बोहाइड्रेट्स और प्रोटीन आदि पाए जाते है। जो भोजन को पचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। 

पेट की अनियंत्रित अग्नि को नियंत्रित करने के लिए जल की आवश्यकता होती है। जैसे भड़की हुई आग को बुझाने के लिए जल की जरूरत होती है। इसकी सबसे अधिक जरूरत तब होती है। जब हम उच्च शर्करा हाई इंडेक्स वाली वस्तुओ का सेवन करते है। जिसमे आमतौर पर कार्बोहाइड्रेट आते है। जैसे – चीनी, आलू, चावल और गेहू इत्यादि।

रह गई बात हमारे शरीर की तो हमारा आपका शरीर भी, एक तरह से जल में ही डूबा है। अर्थात हमारे शरीर का अधिकांश भाग जल ही है। फिर चाहे वह रक्त, पीब और मांस आदि के रूप में ही क्यों हो। इसलिए भी भोजन के बीच में थोड़ा – थोड़ा पानी पीना आवश्यक हो जाता है। 

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खाना खाते समय पानी पीना चाहिए या नहीं ( khana khate samay pani pina chahiye ya nahi )

हमारे आस – पास खाना खाते समय, पानी पीने को लेकर बहुत सी मान्यताए है। कुछ लोग खाना खाते समय पानी पीने के नुकसान बताते है। वही दूसरे लोग खाना खाते समय पानी पीने के फायदे की बात करते है। लेकिन सबसे बड़ी कठिनाई यह है कि कौन सी इनमे से सही है और कौन सी गलत?

जिसका निर्धारण सामान्य व्यक्ति के बस की बात नहीं। लेकिन यह ऐसी घाटी है। जिससे हर किसी को प्रतिदिन कम से कम बार दो दो हाथ करना पड़ता है। इसलिए यह जानना सभी के लिए आवश्यक है कि  भोजन के दौरान बीच – बीच में पानी पीना जरूरी क्यों है?

खैर भोजन को पचाने के बहुत से नियम है। जिसमे सुबह जल्दी उठने के फायदे भी शामिल है। लेकिन पानी में ऐसी कौन सी खासियत है? जो भोजन के साथ पीने से, हमारे पाचन को आसान बनाती है। इसलिए कौतुहल वस लोग खाना खाते समय पानी पीना चाहिए या नहीं की बात करते है। 

खाने के बीच में पानी पीने से क्या होता है?

खाने के बीच में पानी पीने से क्या होता है

आयुर्वेद के अनुसार खाना, हमारे मुँह से ही पचना शुरू हो जाता है। जिनमे मुख्य योगदान हमारे मुँह में बनने वाली लार का होता है। जोकि क्षारीय होती है। जो भोजन को गीला और चिकना बनाती है। जिससे गटकने के दौरान भोजन आसानी से, आहार नाल में उतरता है। लेकिन इसके लिए हमें भोजन को चबाना पड़ता है। तभी हमारी जीभ के अगले हिस्से में पाए जाने वाली संवेदनिया, भोजन के स्वाद को ले पाती है।

जो एक ही तरह का भोजन करते – करते, उसी स्वाद से लिप्त हो जाती है। जिसके कारण भोजन का प्रकार बदलने पर, हमें उस भोजन का पूरा स्वाद नहीं मिल पाता। जिसके कारण हमें जीभ को धोने की आवश्यकता पड़ती है। जिसके लिए भोजन के बीच में पानी पीना आवश्यक हो जाता है। 

आयुर्वेदानुसार खाने को पचाने के लिए, हमारे पेट के ऊपरी हिस्से में एक अग्नि पाई जाती है। जिसे पाचक अग्नि अथवा जठराग्नि के नाम से जाना जाता है। जो विशेष रूप से हमारे आमाशय में पायी जाती है। जोकि बाहर दिखने वाली आग की तरह न होकर, एक प्रकार का अम्ल ( acid ) होता है। जो आग की तरह जलनकारी स्वभाव रखने के कारण, अग्नि कहलाता है। 

जब हम खाना खाते है। उसी दौरान यकृत आदि से उचित मात्रा में, तीन तरह के एंजाइम का स्राव हमारे पेट में होना शुरू हो जाता है। 

  1. हाइड्रोक्लोरिक अम्ल : यह बहुत ही सांद्र अम्ल है। जो भोजन को पचने में सहयोग करता है। लेकिन यह अधिक होने पर आपके पेट की मुलायम त्वचा को काट सकता है। 
  2. म्यूकस : हाइड्रोक्लोरिक अम्ल ऐसा न कर पाए। इसके लिए हमारे पेट में म्यूकस पायी जाती है। जो आपके पेट की दीवारों को चारो तरफ से घेरकर, सुरक्षा प्रदान करती है। लेकिन यदि किसी कारण वस पेट में अम्ल ज्यादा स्रावित हो जाय और म्यूकस कम निकले। तो हमारे पेट में छाले पड़ जाते है।
  3. और पेप्सिन : यह भोजन के साथ खाई गई प्रोटीन को पचाने में मदद करता है। लेकिन इसके साथ मजबूरी यह है कि इसके लिए इसे अम्लीय माध्यम की आवश्यकता पड़ती है।    

खाना खाते समय पानी पीने के नुकसान

पेट में भोजन को पचने के लिए, उपरोक्त तीनों को आपस में मिलाने की आवश्यकता पड़ती है। जिसके लिए पेट एक गति करता है। जिसके दौरान पेट फूल पिचकर, तीनो द्रवों को खाये हुए भोजन में मिलाता है। लेकिन यह बहुत गाढ़ा होने से मिलने में कठिनाई होती है।

पेट की लार को हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से मिलाने के लिए भी जल की आवश्यकता पड़ती है। ताकि पेट में अम्ल और क्षार आपस में मिलकर, पेट को न अम्लीय रहने दे और न क्षारीय। इसलिए अक्सर हमें खाना खाते समय पानी पीने की आवश्यकता पड़ती है।

अक्सर जब हम रूखा भोजन करते है। तब मुँह में बहुत कूचने पर भी, भोजन को निगलने में कठिनाई पैदा करता है। जिससे भोजन के दौरान पानी पीना अनिवार्य हो जाता है। कभी – कभी जब हमारे आहार नाल में भोजन फस जाता है। तब भी भोजन के दौरान बीच – बीच में, पानी पीने की जरूरत हमें महसूस होती है। और अक्सर हम पीते भी है। 

लेकिन अधिक मात्रा में खाना खाते समय पानी पीने के नुकसान है। यह ठीक उसी तरह हमें नुकसान पहुंचाता है। जैसे खाना खाते समय बिलकुल भी पानी न पीने से। जिसका सबसे बड़ा कारण आयुर्वेद में, जठराग्नि का दुर्बल होना बताया गया है। जिसको न जानने वाले लोग शंका करते रहते है कि भोजन के बीच में पानी पीना जरूरी क्यों ? 

भोजन करते समय बीच – बीच में पानी पीना जरूरी क्यों?

आज से हजारों वर्ष पहले आयुर्वेद में वर्णित है कि भोजन करने से हमें ऊर्जा मिलती है। लेकिन भोजन करते ही नहीं, बल्कि भोजन के कुछ घंटे बाद अर्थात पाचन के उपरांत। लेकिन हमारे आस पास ऐसे भी कुछ तत्व है। जिनका सेवन करते ही हमें ऊर्जा मिलने लगती है। जैसे – शर्करा या चीनी इत्यादि।

लेकिन जिन खाद्य पदार्थों में फाइबर पाया जाता है। उनको पचाने में हमारे शरीर को अधिक समय लगता है। फिर भी हमें इनके सेवन की सलाह दी जाती है। जिसका एक मात्र कारण यह है कि यह एकाएक न पचकर, धीरे – धीरे पचता है। जिससे हमारे शरीर को लगातार ऊर्जा मिलती रहती है। 

इसलिए ऐसे खाद्य पदार्थ हमारे लिए सबसे अधिक उपयोगी है। लेकिन इन्हे भी पचने के लिए, उपरोक्त प्रक्रिया से गुजरना होता है। इस कारण इनका सेवन करते समय भी बीच – बीच में पानी पीना जरूरी हो जाता है। क्योकि खाना खाते समय पानी पीने के फायदे निम्नलिखित है –

खाना खाते समय पानी पीने के फायदे ( khana khate samay pani pine ke fayde )

खाना खाते समय पानी पीने के फायदे

केवल भोजन को उगाने में पानी की जरुरत नहीं होती। बल्कि भोजन को पचाने में भी जल की आवश्यकता पड़ती है। परन्तु इनको न जानने वाले पूछ बैठते है कि भोजन के बीच में थोड़ा – थोड़ा पानी पीना आवश्यक क्यों? परन्तु खाना खाते समय पानी पीने से हमें निम्नलिखित लाभ मिलते है – 

भोजन गले नहीं अटकता 

भोजन बहुत सूखा और कडा होने पर, भोजन को ठीक से कूचने के बाद भी निगलने में दिक्कत नहीं होती। कभी – कभी तो यह हमारे आहार नाल को ही बंद कर देता है। जिससे हमें पीठ में भयंकर चुभन वाला दर्द होता है। जिससे जान जाने का भी खतरा बना रहता है। लेकिन यदि हम भोजन के बीच – बीच में थोड़ा पानी पिए, तो इस प्रकार की समस्याए नहीं आती। 

भोजन का भरपूर स्वाद मिलता है  

भोजन के दौरान जल पी लेने से, जीभ धो उठती है। जिससे हमें हमारे भोजन का भरपूर स्वाद मिलता है। जिससे भोजन में निरंतर हमारी रूचि बनी रहती है। जबकि ऐसा न करने वालों को अक्सर भोजन से अरुचि हो जाती है।  

आवश्यक मात्रा में हम खाना खा पाते है

जब हम भोजन के साथ उचित मात्रा में, जल का सेवन करते है। तब भोजन बड़ी आसानी से, बिना गैस किये हमारे पेट में चला जाता है। इसके अतिरिक्त भोजन के साथ जाने वाली वायु, पानी पीने से बाहर आ जाती है। जिसके कारण हम पर्याप्त मात्रा में भोजन कर पाते है। जिससे न बहुत मोठे होते है और न पतले।

लेकिन जो लोग ऐसा नहीं करते, कुछ दिन के बाद वो काम या अधिक भोजन के आदि हो जाते है। जिसके कारण आगे चलकर उनमे मोटापा, वजन बढ़ने आदि समस्याए होने की संभावना पाई जाती है। जो मांसाहार और चिकनाई युक्त भोजन करने वालों में अधिक देखा जाता है।     

भोजन पचने में आसानी होती है 

भोजन के मध्य में जल पीने से पाचक अग्नि का दीपन होता है। जिससे हमारी पाचन क्षमता में सुधार होता है। इस कारन हमारे द्वारा सेवन किये गए, भोजन का अधिकांश आसानी से पच जाता है। जिससे पेट सम्बन्धी विकारो से हमारा बचाव होता है। जिससे हमें गैस और कब्ज, बवासीर जैसे गुदा रोगो होने की संभावना नहीं रह जाती।  

शरीर नहीं सूखता 

भोजन पचते समय पेट में सांद्र अम्ल का स्राव होता है। जो अधिक भारी भोजन करने पर मात्रात्मक रूप से अधिक निकलता है। जिससे पेट में छाले होने की संभावना बनी रहती है। लेकिन भोजन के साथ पानी पीते रहने पर, इस प्रकार की समस्याओं से हमारा बचाव होता है। 

वजन को नियंत्रित रखता है 

वजन को संतुलित रखने के उत्तम उपायों में से, एक है भोजन के बीच – बीच में पानी पीते रहना। लेकिन विशेष परिस्थियों में यह अलग तरह का गुण रखता है। जोकि इस प्रकार है – 

भोजन के आरम्भ में जल पीने का फल 

भोजन के आरम्भ में पानी पीने से, कृशता और अग्नि की मंदता नामक दोष देखने को मिलते है। इसलिए जो लोग अपना वजन घटाना चाह रहे है। उनके लिए यह परम गुणकारी उपाय है। लेकिन ऐसे लोग जिनका शरीर बहुत कमजोर और दुबला पतला है। उन्हें भोजन के आरम्भ पानी पीने से बचना चाहिए। 

भोजन के मध्य में जल पीने का फल 

भोजन के मध्य में जल पीने का फल 

भोजन के मध्य में पानी पीने से अग्नि का दीपन होता है। जिससे पाचन क्षमता में इजाफा होता है। जिसके परिणाम स्वरूप ऐसे लोगो की देह सम होती है, अर्थात न अधिक मोठे होते और न अधिक पतले। यह उनके लिए विशेष लाभकारी है। जिसमे अभी हाल में ही कम किया है अथवा बढ़ाया है। भोजन के बीच में पीने से, उनका वजन स्थिर बना रहता है। 

लेकिन आमतोर पर यह देखा जाता है कि जब तक लोग वजन को नियंत्रित करने वाले उपाय करते रहते है। तब तक उनका वजन संतुलित रहता है। लेकिन उपाय छोड़ने के कुछ दिन बाद ही, उनका वजन ज्यो के त्यों हो जाता है।  

भोजन के अंत में जल पीने का फल 

भोजन के अंत में जल पीने से शरीर में, स्थूलता और कफ की वृद्धि होती है। ऐसा करने वाला व्यक्ति बहुत मोटा और अधिक वजन वाला होता है। इसलिए जो लोग वजन और मोटापा कम करना चाहते है। उन्हें अपने भोजन के अंत में जल पीने से परहेज करना चाहिए। लेकिन यह उपाय उन लोगो के लिए बहुत बढ़िया है। जिनका शरीर बहुत दुबला पतला है। कहने का आशय वजन बढ़ाने के उत्तम उपायों में से एक है।  

खाना खाते समय पानी क्यों नहीं पीना चाहिए ( khana khate samay pani kyon nahin pina chahie )

इतना कुछ जान लेने के बाद भी लोग, खाना खाते समय पानी क्यों नहीं पीना चाहिए की बात करते है। जोकि बिलकुल आधारहीन बात है। इसलिए लोगों को अपने मन से यह बात निकाल देना चाहिए कि खाना खाते समय पानी नहीं पीना चाहिए। 
हाँ यदि आपका भोजन बहुत अधिक गीला है। पेया ( जूसदार ) या विलेपी ( चटनी ) के जैसा है। तब यह बात लागू होती है, अन्यथा लागू नहीं होती। लेकिन खाने के बीच में पानी पीने से, हमारे स्वास्थ्य पर अनुकूल असर देखने को मिलता है। 

खाना खाते समय कितना पानी पीना चाहिए ( khana khate samay kitna pani pina chahie )

आयुर्वेद में खाना खाते समय पानी पीने की बात कही गई है। लेकिन कितना पानी पीना चाहिए नहीं बतलाया गया है। इसलिए यह मात्रा हर व्यक्ति के लिए अलग – अलग हो सकती है। लेकिन अनुभव के आधार पर वयस्क व्यक्ति के लिए एक पाँव के मात्रा पर्याप्त है। लेकिन बच्चों के लिए क्रमनुगत रूप से इसकी मात्रा कम हो जाती है। 

उपसंहार :

हमारे शरीर का अधिकांश भाग जल है। इसलिए जल से हमारे शरीर का लगभग तीन चौथाई भाग पोषित होता है। परन्तु भूख की निवृत्ति, शरीर की पुष्टि और तृप्ति दिलाने वाला तो भोजन है। जिसके पचने पर हमें स्वास्थ्य और न पचने पर रोग प्रदान करता है। जिसके लिए हमें भोजन के साथ जल की भी आवश्यकता पड़ती है। लेकिन बहुत से लोग भोजन के साथ जल पीने को गलत ठहराते है। ऐसे माहौल में हमें यह जानना आवश्यक हो जाता है कि भोजन के बीच में थोड़ा – थोड़ा पानी पीना आवश्यक क्यों?

भोजन के बीच – बीच में पानी पीने को लेकर लोगों में बहुत तरह के भ्रम है। कोई कहता है कि खाना खाते समय पानी पीने के नुकसान है। तो कोई खाना खाते समय पानी पीने के फायदे की सिफारिस करता है। ऐसे यह जानना महत्व का हो जाता है कि खाना खाते समय पानी पीना चाहिए या नहीं। यदि नहीं तो खाना खाते समय पानी क्यों नहीं पीना चाहिए?

वास्तव में भोजन के दौरान बीच – बीच में पानी पीना जरूरी है। जिससे हमारे पेट की अग्नि पुष्ट होती है। जो हमारे स्वास्थ्य को सहजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह उपाय भोजन के आदि, अंत और मध्य में करने से अलग तरह के गुण रखता है। जिसमे भोजन के आरम्भ में पानी पीने से वजन और मोटापे को घटाता है। जबकि भोजन के अंत में पानी पीने से, दुबलेपन को मिटाता है। जबकि भोजन के मध्य में जल का सेवन करने से, शरीर सम बना रहता है। लेकिन बीच – बीच में पानी पीने से, भोजन का स्वाद और तृप्ति दोनों प्राप्त होते है।  

ध्यान रखे : लेकिन यदि किसी कारण से पेट में पानी भरा हुआ है। तब भोजन के साथ पानी पीना हानिकारक हो सकता है। जैसे – जलोदर, पेट के कैंसर, गर्भाशय कैंसर आदि रोगों में। जिसमे पानी का सेवन चिकित्सा विशेषज्ञ की अनुसंसा के अनुसार ही करना चाहिए। 

सन्दर्भ :

भाव प्रकाश – दिनचर्यादि प्रकरण

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