मोटा अनाज स्वाद और स्वास्थ्य का खजाना है। परन्तु हममे से ज्यादातर लोग अनाज और मोटे अनाज में अंतर नहीं कर पाते। जिससे उन्हें मोटे अनाज के नाम जानने की जरूरत पड़ती है। ताकि आसानी से उनको पहचाना जा सके।
लेकिन आयुर्वेद में अनाज के लिए धान्य शब्द का प्रयोग किया गया है। जोकि संस्कृत भाषा का शब्द ( तत्सम ) है। जिसका अपभ्रंस ( सद्भव ) अनाज है। जिसमे अनाजों की विस्तृत श्रृंखला दी गई है। जिसको भावप्रकाशकार ने पांच श्रेणियों में विभक्त किया है –
- शाली
- व्रीहि
- शूक
- शिम्बी
- तृण
जबकि चरक, वाग्भट्ट और सुश्रुत ने धान्यों को शूक और शिम्बी नामक दो वर्गों में ही समाहित किया है। जिसके कारण मोटा अनाज के नाम को लेकर शंका बनी रहती है।
आधुनिक खाद्य विज्ञान मोटे अनाजों के लिए मिलेट शब्द का प्रयोग करता है। जिससे मोटे अनाज को अंगरेजी में ( mota anaj in english ) को मिलेट ही कहते है। जिससे लोगों के मन में एक ही बात बार – बार आती है कि आखिर मिलेट क्या है?
मोटा अनाज क्या है ( mota anaj kya hai )?
आधुनिक परिभाषा के अनुसार घास परिवार से आने वाले अनाजों को ही, मोटे अनाज का दर्जा दिया जाता है। जिसको भाव प्रकाश ने तृण अथवा कु धान्य के अंतर्गत रखा गया है। जबकि चरक आदि में शूक धान्य कहा गया है।
जिसमे ज्यादातर ऐसे अनाज होते है। जिनमे शूक ( नुकीलापन ) पाया जाता है। जिसमे मुख्य रूप से चावल, जौ, गेहू जैसे अनाज होते है। जो एक तरह से घास परिवार का ही समूह है। लेकिन प्रायः इनको मोटे अनाज की सूची ( mota anaj list ) में शामिल नहीं किया जाता।
जबकि शिम्बी या शमी धान्य में फलियों वाले अनाज आते है। जैसे – मूंग, मसूर, अरहर ( तूर / तुअर ), चना, मात्र आदि। जिनको आम बोलचाल की भाषा में दाल कहा जाता है।
फिर मोटे अनाज के नाम को लेकर, तरह – तरह की अटकले शुरू हो जाती है। फिर भी मोटा अनाज के नाम को लेकर असमंजस बना रहता है। जिसको दूर करने के लिए आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान में तालमेल बिठाने पर यह बात निकलकर आती है।
विभिन्न रंग के छोटे और गोल दाने वाले ऐसे अनाज, जिनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम और ग्लूटेन मुक्त हो। उन्हें मोटे अनाज अथवा मिलेट के नाम से जाना जाता है। जिनका सेवन करने से हमें स्वास्थ्य और पर्यावरण सम्बन्धी बहुत से लाभ है। जिन्हे आमतौर पर मोटे अनाज के फायदे कहा जाता है।
परन्तु अधिकांश मिलेट ऐसे है। जिनका जलाइसेमिक इंडेक्स दहाई अंक रखता है। जबकि कुछ ऐसे भी मोटे अनाज है, जो इकाई से अधिक ग्लाइसेमिक इंडेक्स नहीं रखते। जिससे यह बिना साइड इफेक्ट के मधुमेह की सबसे अच्छी दवा कहलाते है।
मिलेट्स में कौन कौन से अनाज आते हैं ( which grains are included in millets )?
आमतौर पर आयुर्वेद में एक वस्तु से दुसरे वस्तु को, वर्गीकृत करने का माध्यम वास्तु के स्वाभाविक गुण धर्म को माना गया है। लेकिन जिस कुल ( फेमली ) में वो आते है। उन्ही के आधार पर उनका नामकरण किया जाता है। जो अलग – अलग क्षेत्र की भाषा के अनुसार अलग – अलग हो सकते है।
किन्तु आधुनिक विज्ञान उस वस्तु में पाए जाने वाले, पोषक तत्वों के अनुपात को अधिक महत्व देता है। इस आधार पर जो अनाज उपरोक्त परिभाषा पर खरे उतरते है। उन्हें हम मोटा अनाज ( मिल्लेट्स ) कहते है। जिसकी जानकारी तकनीकी ज्ञान रखने वालों को ही होती है।
जिससे लोगों में सावला उठना लाजिमी है कि millets के अंतर्गत कौन कौन से अनाज आते हैं? जिससे लोगों को पता चल सके कि मोटे अनाज के नाम क्या – क्या हैं?
कौन से अनाज के दाने मिलेट्स है ( which grains are millets in hindi )
प्रायः जिन्हे हम मोटे अनाज कहते है। उनके दाने आकार में छोटे गोले या चपटे होते है। जिसमे कुछ के रंग काले तो कुछ पीले, लाल और सफ़ेद रंग लिए होते है। जिसमे से कुछ मोटा अनाज के नाम ( mota anaj ke nam ) इस प्रकार है –
मोटे अनाज के नाम ( mote anaj ke naam )
मोटे अनाजों को पहचानने के लिए लोग मोटा अनाज के नाम चित्र सहित मांगते है। जिससे उन्हें उनको पहचानने में आसानी हो। लेकिन क्षेत्रीय भाषा में अंतर के कारण, मोटा अनाज का नाम अलग हो जाता है। लेकिन हिंदी में मोटे अनाज के नाम इस प्रकार है –
- ज्वार
- रागी
- मक्का
- जौ
- बाजरा
- सांवा
- कुटकी
- कोदो
- कंगनी
- हरी कंगनी
- चना
- मटर, आदि।
उपसंहार :
मोटे अनाज पचने में हल्के होते है। जिससे बहुत हे कम समय में और आसानी से पच जाते है। इसलिए शाम के भोजन के लिए यह बहुत ही बढ़िया अनाज है। जिसे सभी उम्र के लोग इसको खा सकते है। लेकिन ऊपर जो मोटे अनाज के नाम बताये गए है, उनमे रुक्षता भी पायी जाती है। जिससे इनका सेवन घी के साथ करना लाभदायक है।
आजकल लाइफस्टाइल डीजीज के खतरे दिन बी दिन बढ़ते ही जा रहे है। जिसमे मोटे अनाज कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स रखने के कारण, बहुत ही उपयोगी है। इसलिए भी लोग मोटा अनाज के नाम जानने की कोशिश करते है।
वही दूसरी ओर जिन लोगों को गेहू नहीं पचता। उन्हें लिए मोटे अनाज बहुत ही बढ़िया विकल्प है। लेकिन मोटे अनाज की सूची बहुत बड़ी है। जिससे लोगों में यह भ्रम बना रहता है कि कौन सा मोटा अनाज खाये और कौन सा न खाये। इसके लिए हर दिन बदलकर, मोटे अनाज का सेवन करना अधिक फलकारी है।
सन्दर्भ :
- चरक संहिता सूत्रस्थान अध्याय – 27
- सुश्रुत संहिता सूत्र स्थान अध्याय – 46
- भाव प्रकाश निघण्टु धान्यवर्गाः
- अष्टांग ह्रदय सूत्र स्थान अध्याय – 06
- अष्टांग संग्रह सूत्र अध्याय – ०७, 12
FAQ
मोटा अनाज दिवस कब मनाया जाता है?
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 5 मार्च 2021 को प्रस्ताव पारित कर, 2023 को अंतराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया।
मोटा अनाज में कौन कौन सा अनाज आता है?
ज्वार, बाजरा, मक्का, रागी, सांवा, कंगनी, कोदो, कुटकी आदि को मोटा अनाज कहा जाता है।
सबसे पौष्टिक अनाज कौन से है?
सभी अनाज अपने आप में अपने गुण धर्म के लिए जाने जाते है। जिससे युक्ति पूर्वक इस्तेमाल करने पैर ही लाभ पहुंचाते है।
मोटा अनाज कौन सा है?
आज जिसे हम मिलेट कहते है। उनको ही मोटा अनाज भी कहा जाता है। जैसे – जौ, बाजरा, ज्वार आदि।
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