ओवुलेशन का समय महिला के गर्भ धारण का सबसे स्वर्णिम समय होता है। फिर भी यह महिला के गर्भ जनन का पहला चरण होता है। किंतु महिला में गर्भ तब रुकता है। जब महिला के ओवुलेशन में निकलने वाले अंडे का फर्टीलाइजेशन होता है। जो केवल तभी संभव है, जब महिला और पुरुष दोनों इस दौरान सम्बन्ध बनाये। लेकिन आमतौर पर महिलाओ को इसकी जानकारी नहीं होती। जिससे इनके मन में प्रश्न बना रहता है कि फर्टीलाइजेशन ओवुलेशन के कितने दिन बाद होता है?
लेकिन महिलाओं में गर्भ तब ठहरता है। जब महिला का निषेचित अंडा गर्भ में आरोपित ( implant ) हो जाता है। जोकि ओवुलेशन होने के बाद की प्रकिया है। जिसमे यह जानना बहुत आवश्यक है कि ओवुलेशन के बाद क्या नहीं करना चाहिए? जिसमे सबसे पहले बात आती है खानपान की, क्योकि महिला के शरीर का पोषण विभिन्न प्रकार के पोषक द्रव्यों द्वारा ही होता है। इसलिए गर्भ धारण करने वाली महिलाओं को जानना आवश्यक है कि ओवुलेशन के बाद क्या खाना चाहिए?
हालांकि फर्टीलाइजेशन और इम्प्लांटेशन की प्रक्रिया ओवुलेशन के बाद होती है। जिसको व्यवस्थित बनाये रखने के लिए ओवुलेशन के बाद का समय, ओवुलेशन के समान ही महत्वपूर्ण है। इस कारण ओवुलेशन के बाद क्या नहीं खाना चाहिए को जानना भी, गर्भ धारण करने वाली महिला के लिए आवश्यक है। किन्तु बहुत सी महिलाए अपने ओवुलेशन के समय को नहीं जान पाती। जिससे उनमे संशय बना रहता है कि पीरियड के कितने दिन बाद ओवुलेशन होता है?
ओवुलेशन का हिंदी अर्थ ( ovulation meaning in hindi )
महिलाओं का मासिक चक्र चार चरणों में, लगभग चार सप्ताह की अवधि में पूरा होता है। लेकिन शुरू के तीन चरण लगभग दो सप्ताह में पूर्ण होते है। जबकि बाद का चौथा और अंतिम चरण दो सप्ताह में पूरा होता है। जिसके दौरान महिला गर्भाशय अग्रिम गर्भ धारण की तैयार कर रहा होता है। इस तरह चार चरणों के पूरा होते ही पुनः माहवारी शुरू हो जाती है।
जिसके पहले और तीसरे चरण में बच्चेदानी का मुँह खुला होता है। जिसके कारण महिला के गर्भ रुकने का यही समय होता है। लेकिन इसके लिए उसे अपने पुरुष साथी से सम्बन्ध बनाना होता है। इस कारण ओवुलेशन क्या होता है इन हिंदी को समझना आवश्यक है।
परन्तु महिला के माहवारी के पहले चरण में, एंडोमेट्रियम झिल्ली के टूटने से रक्तस्राव होता रहता है। जिसके कारण इस दौरान महिला के गर्भाशय में गया हुआ वीर्य, रक्तस्राव के साथ बहकर बाहर आ सकता है। बल्कि अक्सर बाहर आता ही है। ठीक उसी तरह जैसे बारिस के पानी के साथ गंदगी।
जबकि ओवुलेशन के दौरान भी महिला के गर्भाशय का मुँह खुला रहता है। लेकिन इस दौरान बच्चेदानी से किसी प्रकार का कोई स्राव नहीं निकलता है। जिसके कारण इस समय सम्बन्ध बनाने से, महिला के गर्भवती होने की संभावना अधिक होने के दो कारण है –
- ओवुलेशन में सम्बन्ध बनाने के दौरान, पुरुष के द्वारा महिला के योनि में छोड़ा गया वीर्य गर्भाशय से होता हुआ फैलोपियन ट्यूब तक चला जाता है।
- इसी दौरान महिला के दो अंडाशयों में से किसी एक अंडाशय से एक परिपक्व अंडा फैलोपियन ट्यूब में निकलता है।
जिससे महिला के फैलोपियन ट्यूब में, फर्टीलाइजेशन होने की सबसे अधिक संभावना पाई जाती है। जिसके कारण ओवुलेशन महिला के गर्भ धारण करने का सबसे उपयुक्त समय मान जाता है। जिसको जानने के लिए लोग ओवुलेशन मीनिंग इन हिंदी की बात करते है।
ओवुलेशन के दौरान क्या होता है ( what happens during ovulation in hindi )
जबकि दुसरे और चौथे चरण में बच्चेदानी का मुख बंद होता है। जिसके कारण इस दौरान महिला में गर्भ धारण होने का कोई सवाल ही नहीं उठता। इसलिए यह परिवार नियोजन अपनाने वाले जोड़ो के प्रेमालाप का अवसर होता है। परन्तु इसके लिए उन्हें ओवुलेशन पीरियड क्या होता है और कितने दिन तक रहता है को जानना आवश्यक है।
महिलाओं की प्रत्येक माहवारी में एक बार ओवुलेशन होता है। लेकिन जिन महिलाओं का मासिक चक्र 20 दिन से कम होता है। उनमे महीने में दो बार भी ओवुलेशन हो सकता है। इस कारण ऐसी महिलाओं को एक महीने में, दो बार गर्भ के रुकने की संभावना पाई जाती है। परन्तु एक बार गर्भ रुकने पर, दोबारा गर्भ नहीं रुकता। अर्थात दोनों ओवुलेशन में से किसे एक ओवुलेशन में ही गर्भ रुकता है।
लेकिन इसके लिए उस महिला को उसी दौरान, अपने पुरुष साथी से यौन सम्बन्ध बनाना होता है। जिसमे चूक होने पर महिला में गर्भ धारण करने की संभावना तब तक नहीं रहती। जबकि उसका अगला मासिक न आ जाय।
ओवुलेशन के दौरान स्पॉटिंग ( spotting during ovulation ) होना, ओवुलेशन के लक्षण कहलाते है। जिसके दौरान महिलाओं में पाए जाने वाले, एक जोड़ी अंडाशय से परिपक्व अंडे फैलोपियन ट्यूब में निकलते है। परन्तु दोनों में से किसी एक अंडाशय ( ovary ) से।
ओवुलेशन के बाद क्या होता है ( what happens after ovulation in hindi )
ओवुलेशन के बाद गर्भ जनन की दो महत्वपूर्ण क्रियाए संपन्न होती है –
- निषेचन ( फर्टीलाइजेशन ) : महिलाओं में निषेचन होने के बाद ही गर्भ रुकता है। जिससे निषेचित अंडा जाइगोट और ब्लास्टो सिस्ट आदि में परिवर्तित होता हुआ। कुछ दिन तक ( लगभग एक सप्ताह ) फैलोपियन ट्यूब में ही रहता है। जिसके कुछ दिन बाद इसका प्रेगनेंसी टेस्ट किट से परीक्षण भी किया जा सकता है।
- गर्भारोपण ( इम्प्लांटेशन ) : निषेचित अंडा फैलोपियन ट्यूब में ब्लास्टो सिस्ट आदि में विकसित होकर, जब तक गर्भाशय में जाकर उसकी दीवारों पर आरोपित नहीं हो जाता। तब तक तकनीकी रूप से महिला का गर्भ नहीं ठहरता।
यह दोनों क्रियाए महिलाओं के शरीर में प्राकृतिक रूप से घटित होती है। लेकिन इस दौरान महिला यदि अपने खानपान का विशेष ध्यान रखे तो बेहतर परिणाम प्राप्त होते है। अर्थात सुख पूर्वक प्रसव होने के साथ, दीर्घाणु संतान की प्राप्ति होती है। लेकिन इसके महिला को ओवुलेशन के बाद क्या खाना चाहिए को जानना आवश्यक है।
परन्तु अब कृत्रिम विधा से भी गर्भधारण करना संभव है। जो सर्वथा आयुर्वेद विरुद्ध है। तो आइये जानते है कि जल्दी प्रेगनेंसी कंसीव करने के लिए क्या खाना चाहिए?
ओवुलेशन के बाद क्या खाना चाहिए ( ovulation ke baad kya khana chahiye )
महिलाओं में गर्भ धारण की संभावना को बढ़ाने के लिए, प्रजनन क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है। जिसके लिए ovulation booster food की आवश्यकता होती है। जो न केवल महिला को पोषण प्रदान करती है। बल्कि महिला गर्भाशय में होने वाली प्रक्रियाओं को भी बल देती है।
आमतौर पर महिलाओ के अंडे का निषेचन होने के बाद, महिला का गर्भ रुक जाया करता है। लेकिन जब तक महिला के गर्भ में भ्रूण प्रत्यारोपित नहीं हो जाता। तब तक महिला का गर्भ नहीं ठहरता। इस कारण ओवुलेशन के बाद और दौरान, महिलाओं को अपने खान – पान का विशेष ध्यान रखना होता है।
जिससे महिला में गर्भ न केवल आसानी रुक सके, बल्कि बच्चेदानी में सफलता पूर्वक आरोपित भी हो। जिसमे सबसे अधिक भूमिका पोषक तत्वों की होती है। जिसको तकनीकी भाषा में निम्नलिखित तत्वों के नाम से जाना जाता है –
- विटामिन बी 12
- ओमेगा 3 और 6, प्रोटीन
- आयरन
- फोलिक एसिड
- जिंक
- कैल्शियम
- फाइबर, आदि।
परन्तु कठिनाई यह है कि ये सभी तत्व स्वतंत्र रूप में नहीं पाए जाते। जिससे इन्हे प्राप्त करने के लिए, जिन पदार्थों में ये पाए जाते है। उन्हें खाना होता है अर्थात इनके मूल स्रोत की आवश्यकता पड़ती है।
ओवुलेशन होने के लिए क्या खाएं ( What to eat for ovulation in hindi )
हालांकि जीवनी शक्ति को बनाये रखने के लिए, हमारे शरीर को आजीवन पोषक तत्वों की आवश्यकता बनी रहती है। लेकिन महिलाओ की गर्भावस्था के दौरान अधिक पोषण की आवश्यकता पड़ती है। जिसका मूल कारण महिला के भीतर भ्रूण का विकास होना आदि है।
जिसके अभाव में गर्भ गिरने की आशंका बनी रहती है। जिससे बचने के लिए महिलाओं को जानना जरूरी है कि ओवुलेशन के बाद क्या खाना चाहिए? जिससे महिला के शरीर में किसी भी तरह के पोषण की कोई कमी न होने पाए। जिसके लिए गर्भ धारण करने वाली महिला को, अपने खानपान में निम्नलिखित बदलाव लाना जरूरी हो जाता है। जैसे –
- मौसमी और ताजी सब्जियों का भरपूर सेवन करे
- हरी और पत्तेदार सब्जियों का नियमित सेवन करे
- सुबह में मौसमी फलों को जरूर खाये। जैसे – अनार, संतरा, केला, मौसम्बी आदि।
- सब्जी और फल का जूस पीने के बजाय गूदे सहित ही खाये। जिससे शरीर को जरूरी फाइबर मिल सके
- प्रतिदिन बदलकर फल, सब्जी और अन्य खाद्य पदार्थो का सेवन करे
- दूध का नियमित रूप से सेवन करे
- चांदी की कटोरी में जमी दही का सेवन अवश्य करे
- स्नेह के रूप में शुद्ध घी जरूर ले
- अच्छा हो कि खाना बनाने के लिए कोल्ड प्रेस्सेड तेल का ही उपयोग करे
- डीप फ्राई के लिए नारियल और महुए का तेल प्रयोग करे
- सूखे मेवों को रात भर पानी में भिगाकर ही खाये
- खाने में मिल्लेट्स को अवश्य शामिल करे
- पीने के पानी के रूप में ताँबे के बर्तन में रात भर रखे पानी का प्रयोग करे
- मीठे में मिश्री और खजूर गुड़ का ही सेवन करे
- अधिक मात्रा में खाना खाने से बचे
- गर्मी अधिक होने पर पानी में नीबू निचोड़कर पिए, आदि।
ओवुलेशन के बाद क्या नहीं खाना चाहिए ( ovulation ke baad kya nahi khana chahiye )
महिला को गर्भ धारण करने के लिए, गर्भाशय और गर्भाशय ग्रीवा के पी एच मान को संतुलित बनाये रखना आवश्यक होता है। जिसके लिए खट्टे और अम्लीय पदार्थो को खाने से बचना चाहिए। ऐसा न करने पर पुरुष शुक्राणुओ के नष्ट होने की संभावना बनी रहती है।
लेकिन महिलाओं को गर्भ धारण करने के लिए, ओवुलेशन के दौरान खाने पीने की सावधानी रखनी होती है। जिसको जानने के लिए महिलाओं को यह जानना जरूरी है कि प्रेगनेंसी कंसीव करने के लिए क्या नहीं खाना चाहिए?
आमतौर पर ओवुलेशन के दौरान और बाद खाने पीने में, निम्नलिखित सावधानी रखने से जल्दी गर्भ ठहरता देखा जाता है। जैसे –
- बासी भोजन से दूर ही रहे
- खाने में गरम तासीर वाली वस्तुओ का सेवन बिलकुल न करे। विशेषकर पपीता, हींग आदि।
- रुक्ष और तीखी वस्तुओ के सेवन से बचे। जैसे – नमकीन, समोसे आदि।
- आँतों में चिपकने वाली वस्तुओ का सेवन न करे। जैसे – केक, पेस्टी, बिस्किट आदि।
- बहुत अधिक तली – भुनी, मिर्च और मसालेदार भोजन न करे
- खाने में खट्टी चीजे जैसे – इमली, कच्चा आम, अचार और खटाई का प्रयोग न करे
- रात्रि में देर से पचने वाले भोजन के स्थान पर, हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन करे
- रिफाइंड तेल और नमक का सेवन न करे
- अलसी और तिल के तेल को गर्म करके कभी भी प्रयोग न करे
- पीने और खाना बनाने के लिए आर ओ के पानी का प्रयोग न करे
- बर्फ का पानी न पिए
- सॉफ्ट और कोल्ड ड्रिंक आदि का सेवन न करे
- फ़ास्ट फ़ूड और जंक फूड के सेवन से बचे
- पैकेट वाले दूध के स्थान पर प्राकृतिक दूध का ही सेवन करे
- सूखे मेवों को बिना भिगाये न ले
- चीनी का भूलकर भी सेवन न करे
- धूम्रपान, शराब और नशीले द्रव्यों का उपभोग न करे, आदि।
उपसंहार :
ओवुलेशन की सफलता पर ही महिलाओ का गर्भ धारण होता है। जिसके कारण महिलाओं को अपने ओवुलेशन के समय को समझना होता है। ताकि सही समय पर यौन संबंधों के द्वारा, महिला के गर्भ धारण की संभावनाओं को बढ़ाया जा सके। लेकिन महिला में गर्भ के रुकने की संभावना, ओवुलेशन में निकलने वाले अण्डों के निषेचन पर टिकी होती है। जिसको अबाधित रूप से संचालित करने में खान पान का विशेष महत्व है। इसलिए गर्भ धारण करने वाली महिलाओं को जानना आवश्यक है कि ओवुलेशन के बाद क्या खाना चाहिए?
वही महिला का जब तक गर्भ ठहर नहीं जाता, तब तक महिला के गर्भ में शिशु का विकास नहीं होता। हालाकिं यह क्रिया भी ओवुलेशन के बाद ही होती है। जिससे ओवुलेशन के बाद निषेचन और इसके बाद गर्भारोपण की क्रिया होती है। जिसके दौरान उष्णता आदि से युक्त खाद्य पदार्थो के सेवन से हानि होती है। इस कारण जो महिलाए गर्भवती होना चाहती है, उन्हें यह जानना आवश्यक है कि ओवुलेशन के बाद क्या नहीं खाना चाहिए?
सन्दर्भ :
- भाव प्रकाश – गर्भ प्रकरण
- चरक संहिता शरीर अध्याय – 01 – 08
- सुश्रुत संहिता शरीर अध्याय – 01 – 10