ओवुलेशन के बाद क्या नहीं करना चाहिए और क्या करना चाहिए

महिला को गर्भधारण करने के लिए, सबसे उपयुक्त समय ओवुलेशन का होता है। जिसके दौरान शारीरिक सम्बन्ध बनने से ओवुलेशन में निकले, अण्डों के फर्टीलाइज्ड होने की संभावना अधिक होती है। खैर फर्टीलाइजेशन ओवुलेशन के बाद ही होता है। लेकिन अधिकतर महिलाए यह नहीं जानती कि फर्टिलाइजेशन ओवुलेशन के कितने दिन बाद होता है?

ओवुलेशन के बाद क्या नहीं करना चाहिए 

महिला गर्भवती तब कही जाती है। जब उसके ओवुलेशन में निकले अंडे पुरुष शुक्राणु से मिलकर निषेचित हो जाते है। परन्तु इसके लिए महिलाओं को बहुत सी बातों का ध्यान रखना होता है। ताकि निषेचन की क्रिया सुव्यवस्थित ढंग से पूरी हो सके। जिसके लिए महिलाओं को यह जानना आवश्यक है कि ओवुलेशन के बाद क्या नहीं करना चाहिए और क्या करना चाहिए?

गर्भ धारण करने वाली महिला अपने बच्चे को लेकर आशान्वित होती है। जिसका एक कारण उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा का बढ़ना है। कहने का आशय महिला के माँ बनने पर उसको एक नई पहचान मिलती है। लेकिन उसके लिए उसे ओवुलेशन के लक्षण को जानना जरूरी है।   

अमूमन महिलाओं में पीरियड की ब्लीडिंग और ओवुलेशन पीरियड लगभग सामान होता है। परन्तु पीरियड में होने वाले रक्तस्राव की तरह ओवुलेशन में पारदर्शी और चिकना स्राव होता है। जो महिला के उपजाऊ दिनों की ओर इशारा करता है। जिसको समझने के लिए जानना आवश्यक है कि ओवुलेशन क्या है या ओवुलेशन पीरियड क्या होता है

गर्भवती होने वाली महिलाओं के पास, गर्भ धारण करने के लिए बहुत कम समय होता है। जिससे उन्हें यह जान लेने की आवश्यकता होती है कि प्रेग्नेंट होने के लिए कब संबंध बनाना चाहिए?  क्योकि ओवुलेशन के समय निकलने वाले अंडे का जीवनकाल मात्रा 12 – 24 घंटो का ही होता है। जिसके दौरान यदि निषेचन हो गया तो महिला गर्भ धारण करती है, अन्यथा नहीं कर पाती। 

ओवुलेशन क्या है ( ovulation kya hai )

ओवुलेशन माहवारी के दौरान आने वाला सबसे कीमती समय है। जिसके दौरान संबंध बनाने से महिला गर्भ धारण करती है, और परहेज करने से परिवार नियोजन को अपनाती है। इसलिए ovulation time in hindi की उपयोगिता उन महिलाओं में भी है, जो माँ बनना चाहती और अनचाहा गर्भ धारण करने से बचना चाहती है। जिसके लिए उन्हें यह समझना पड़ता है कि ओवुलेशन क्या होता है और कब होता है?

महिला में माहवारी शुरू होने पर, चार चरणों में पूरी होती है। जिसमे पहला चरण रक्तस्राव का होता है। जिसमे पिछले मासिक धर्म में फर्टीलाइजेशन न होने से, गर्भ के न रुकने पर स्राव के रूप में दिखाई पड़ता है। हालाकिं इस दौरान भी महिला अंडाशय में फॉलिकल बनना शुरू हो जाते है।

जिसके बंद होने अर्थात रक्तस्राव के समाप्त होने पर, मासिक धर्म चक्र का दूसरा चरण शुरू हो जाता है। जिसमे महिला का अंडाशय तेजी से अण्डों को परिपक्व करता है। जिसके दौरान आमतौर पर कोई लक्षण नहीं दिखाई पड़ते। फिर भी इस दौरान संबंध बनाने पर, महिला के गर्भवती होने की आशंका बनी रहती है। 

जिसके बाद बारी आती है, मासिक धर्म चक्र के तीसरे चरण ओवुलेशन की। जिसके दौरान महिला अंडाशय परिपक्व अण्डों का उत्सर्जन फैलोपियन ट्यूब में करता है। जहाँ शारीरिक संबंध बनाने के दौरान महिला गर्भाशय में स्खलित शुक्राणुओ की भेट होती है। जिससे महिला के अंडे के निषेचन की संभावना पाई जाती है।

ओवुलेशन में क्या होता है ( ovulation me kya hota hai )

जिस दिन महिला अंडाशय से अंडा निकलता है। उसे महिला का ओवुलेशन डेज कहते है। परन्तु हर महिला के मासिक धारण की अवधि और देह प्रकृति दोनों अलग होती है। जिससे इसकी पहचान करने में कठिनाई होती है। परन्तु महिला के गर्भधारण करने के लिए ही नहीं, अपितु परिवार नियोजन अथवा बच्चों में अंतर देने के लिए भी इसको समझना जरूरी है। परन्तु ज्यादातर महिलाओं को यह नहीं होता कि पीरियड के कितने दिन बाद ओवुलेशन होता है?

लेकिन जो महिलाए गर्भ धारण करना चाहती है। उन्हें ओवुलेशन और फर्टीलाइजेशन को सही से होने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना होता है। जिसको अधिकतर महिलाए नहीं जानती, जिससे इन्हे गर्भ नहीं ठहरता। जिसके कारण इन्हे जानने की आवश्यकता पड़ती है कि ओवुलेशन के बाद क्या नहीं करना चाहिए?

फर्टीलाइजेशन क्या होता है ( fertilization kya hota hai )

फर्टीलाइजेशन क्या होता है

महिलाओ में फर्टीलाइजेशन के सफल होने पर ही महिला में गर्भ रुकता है। यदि किसी कारण महिला में निषेचन नहीं हो पाता, तो महिला गर्भ धारण नहीं करती। लेकिन इसके लिए ओवुलेशन मीनिंग ovulation in hindi मीनिंग को जानने की आवश्यकता होती है। 

महिला अंडे और पुरुष शुक्राणु के संलयन को फर्टीलाइजेशन कहा जाता है। जिसके लिए दो बातों का होना जरूरी है 

  1. महिला का ओवुलेट ( अण्डोत्सर्ग ) करना
  2. महिला के ओवुलेशन के दौरान या कुछ दिन पहले महिला और पुरुष के बीच असुरक्षित यौन संबंध बनना

उपरोक्त दो शर्तों के पूरा होने पर, महिला का परिपक्व अंडा और पुरुष के शक्तिशाली शुक्राणु फैलोपियन ट्यूब में आ जाते है। जिसके दौरान पुरुष शुक्राणुओ में महिला के अंडे में, प्रवेश करने की होड़ मच जाती है। इस दौरान जो शुक्राणु प्रबल होता है। वही अंडे में प्रबेश कर पता है। जिसे आमतोर पर निषेचन या फर्टीलाइजेशन कहा जाता है। 

जिसमे किसी तरह की कोई अड़चन न आये। इसके लिए विवाहित जोड़ों को ओवुलेशन के बाद क्या नहीं करना चाहिए, और ओवुलेशन के बाद क्या करना चाहिए का ध्यान रखना जरूरी होता है। 

कैसे पता लगाये की ओवुलेशन हो रहा है ( how to know ovulation is happening in hindi )

कैसे पता लगाये की ओवुलेशन हो रहा है

महिलाओं में होने वाले ओवुलेशन का पता, ओवुलेशन होने के लक्षण ( signs of ovulation in hindi ) से लगाया जा सकता है। जो हर महिला में अलग – अलग पाए जा सकते है। जैसे – 
  • ओवुलेशन के दौरान कामेच्छा का बढ़ जाना
  • स्तनों में दर्द होना
  • गर्भाशय ग्रीवा से चिकना और पतला, गंधहीन स्राव निकलना 
  • गर्भाशय ग्रीवा का मुलायम होकर, नीचे खिसक जाना
  • हाथों – पैरों में दर्द के साथ थकान होना
  • सिर में दर्द होना, आदि। 

घर पर ओवुलेशन कैसे चेक करें ( How to check ovulation at home in hindi )

महिलाओं में ओवुलेशन होने पर, गर्भाशय ग्रीवा ढीली और मुलायम हो जाती है। जिसके कारण गर्भाशय ग्रीवा का मुँह पहली की अपेक्षा कुछ नीचे होता है। जिसे महिलाए अपनी योनि में उगली डालकर आसानी से जांच सकती है। परन्तु इस दौरान बहुत सी बातो का ध्यान रखना आवश्यक है। जिसके लिए अक्सर महिलाए पूछती है कि Ovulation के बाद क्या ध्यान रखना चाहिए? 

ओवुलेशन के बाद क्या नहीं करना चाहिए ( ovulation ke baad kya nahi karna chahiye )

यदि आप गर्भवती होने की संभावनाओं को अधिकतम करना चाहती हैं, तो ओव्यूलेशन के बाद कुछ गलतियों से बचना अत्यंत आवश्यक है। जैसे – 

  • नशीले और मादक द्रव्यों का सेवन न करे
  • बालो को न धोये
  • अधिक परिश्रम करने से बचे
  • भाग दौड़ के स्थान पर आराम करे
  • खाने में पौष्टिक और बलवर्धक के साथ उष्णता रहित खाद्य पदार्थों का ही सेवन करे
  • किसी तरह का कोई तनाव न ले
  • कठिनाई और मेहनत वाले व्यायाम और योगासनों का अभ्यास न करे। जैसे – कुम्भक आदि।
  • ज्यादा उछल कूद न करे
  • टेढ़े – मेथे, विषम और कठोर आसन और शायिका का सेवन न करे
  • अत्यधिक मात्रा में चाय, काफी आदि के सेवन से बचे
  • मसालेदार और चटपटे भोजन से परहेज करे
  • तीखा और टला – भुना खाना न खाये
  • रात्रि में देर से पचने वाली सब्जी आदि का सेवन न करे
  • आवश्यकता से अधिक एवं बासी भोजन न करे
  • चीनी का प्रयोग न करे
  • पेट के बल न सोये
  • चिल्लाने और चिघ्घाड़ने से बचे
  • भारी सामान उठाने से बचे
  • सिर को ऊंचा रखकर न सोये
  • सोकर उठने के बाद सीधा न उठे
  • एकाएक जमीन पर बैठने से बचे
  • उकडू आसन में में न बैठे 
  • ऐसा कोई भी काम न करने से बचे, जिससे पेट पर दबाव पड़े, आदि।   

Ovulation के बाद क्या ध्यान रखना चाहिए ( ovulation ke baad kya karna chahiye )

गर्भ धारण करने के इच्छा रखने वाली महिला को ओवुलेशन के बाद क्या नहीं करना चाहिए के साथ – साथ यह जानना भी जरूरी है कि Ovulation के बाद क्या ध्यान रखना चाहिए? 

  • ओवुलेशन के आस – पास नियमित सम्बन्ध अवश्य बनाये
  • ओवुलेशन के दौरान दौड़ – भाग से बचे
  • खाने में दूध, घी और मक्खन का भरपूर इस्तेमाल करे
  • भोजन में फाइबर का अधिक से अधिक इस्तेमाल करे
  • खाना बनाने के लिए कोल्ड प्रेस्सेड तेल का ही प्रयोग करे
  • खाने में काला अथवा सेंधा नमक का ही प्रयोग करे
  • ताजे और मौसमी फल और हरे पत्तेदार संजियों का सेवन करे
  • पर्याप्त पानी पिए
  • मीठे में मिश्री या गुड़ का ही सेवन करे
  • सोते समय पैरों को सिर से कुछ ऊंचा रखे
  • सोकर उठने के लिए सीधा न उठकर करवट ही उठे
  • बिस्तर से छटपटाहट में न उतरे
  • बैठने के लिए कुर्सी या स्टूल का प्रयोग करे
  • अधिक धूप, धूल और धुए से बचे 

उपसंहार :

महिलाओं में ओवुलेशन के बाद फर्टीलाइजेशन होने पर ही गर्भ ठहरता है। जो अक्सर ओवुलेशन के बाद होने वाली क्रिया है। जिसमे व्यवधान आने पर महिला में गर्भ नहीं रुकता। जिसके लिए विवाहित जोड़ों को यह जानना महत्वपूर्ण है कि ओवुलेशन के बाद क्या नहीं करना चाहिए?

परन्तु महिलाओं का ओवुलेशन ही वह समय है। जिसमे गर्भ धारण अर्थात फर्टीलाइजेशन होने की सबसे अधिक संभावना पाई जाती है। जिससे गर्भवती होने वाली महिला को जानने की आवश्यकता पड़ती है कि ओवुलेशन क्या है और इसे कैसे जाना जा सकता है।  

हालाकिं ओवुलेशन और उसके बाद गर्भ ठहरने के लिए कुछ ऐसे कार्य होते है। जो फर्टीलाइजेशन करने में मदद करते है। जिससे माँ बनने वाली महिलाओं को यह जानना आवश्यक है कि Ovulation के बाद क्या ध्यान रखना चाहिए? 

सन्दर्भ :

  • भाव प्रकाश – गर्भ प्रकरण 
  • चरक संहिता शरीर अध्याय – 01 – 08
  • सुश्रुत संहिता शरीर अध्याय – 01 – 10

FAQ

ओवुलेशन का मतलब क्या होता है?

महिलाओं में ओवुलेशन का मतलब अंडाशय से परिपक्व अंडे का उत्सर्जन करना है।  

ओवुलेशन के बाद क्या होता है?

ओवुलेशन की क्रिया पूरी होने के बाद फर्टीलाइजेशन होता है। जिसके बाद भ्रूण बनने आदि की क्रियाए होनी शुरू हो जाती है। महिलाओ की ऐसी अवस्था को गर्भावस्था कहा जाता है। लेकिन यदि किसी कारण वस महिला में गर्भ नहीं रुकता तो कुछ सप्ताह बाद माहवारी शुरू हो जाती है।  

अण्डोत्सर्ग के बाद निषेचन कब होता है?

अण्डोत्सर्ग यानी फर्टीलाइजेशन महिलाओं में, ओवुलेशन होने के 12 – 24 घंटो के भीतर होने लगता है।  

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