रोटी और बेटी की प्रशस्त परम्परा पर ही, देश की सभ्यता और संस्कृति टिकी होती है। जब तक इनमे विकृति नहीं आती, देश गुलामी की बेड़ियों में नहीं जकड़ता। फिर चाहे वह छोटा देश हो अथवा बड़ा देश। लेकिन आजकल पति पत्नी के कमजोर होते सम्बन्ध, पेट और परिवार की मर्यादा का अतिक्रमण कर बैठते है।
जिसे व्यवस्थित करने के लिए लोग पति पत्नी में प्रेम बढ़ाने का उपाय ढूढ़ने लगते है। जिसमे से कुछ लोग शास्त्रीय उपाय चुनते है तो कुछ अशास्त्रीय। लेकिन अधिकतर मामलों में आपसी मन मुटाव ही देखा जाता है। जो पति पत्नी में अनबन पैदा करता है।
जबकि शास्त्रों में वैवाहिक संबंधों के निर्वाह की विधि बतलाई गई है। जिसका हमारे पाठ्यक्रम में कोई स्थान ही नहीं है। क्योकि आज रोजगार परक शिक्षा को व्यवहारिक शिक्षा से अधिक महत्व दिया जाता है। लेकिन वैवाहिक रिश्तों का निर्वाह व्यवहारिक ज्ञान पर आश्रित होता है।
जिसको दूर करने के लिए प्रायः किसी ज्योतिष आदि की आवश्यकता नहीं, बल्कि व्यवहारिक खामियों को दूर करना होता है। लेकिन अधिकतर मामलों में ऐसा नहीं हो पाता। जिससे परेशान होकर लोग पति पत्नी में कलेश के उपाय ढूढ़ते रह जाते है। जैसे लोग किसी को अपने प्यार में पागल करने का तरीका खोजते रह जाते है।
आजकल लोग धन, मान, प्राण और परिजन के पोषण में जी जान से लगे रहते है। फिर भी न जाने कहाँ से गलतिया हो जाती है। जिससे बचने के लिए सैद्धांतिक परिपेक्ष्य को न केवल जानना, बल्कि उसे समझकर व्यवहार में उतारने की भी आवश्यकता होती है। तब जाकर कही पति पत्नी में कलेश दूर करने के उपाय पूरे हो पाते है।
पति पत्नी में अनबन दूर करने के उपाय
सनातन शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मचर्य, वानप्रस्थ और सन्यास आश्रम, पूर्णतः गृहस्थ आश्रम पर ही निर्भर है। जिसकी शुरुआत होती है विवाह से, क्योकि विवाह के बाद ही स्त्री पुरुष पति पत्नी बनते है। इस प्रकार गृहस्थ आश्रम पर ही अन्य तीन आश्रमों का गुरुतर दायित्व होता है। जिसका निर्वाह पति पत्नी में प्रेम संबंधों के बिना संभव नहीं।
जिसको सुव्यवस्थित रूप से संचालित करने के लिए, पति पत्नी में प्रेम बढ़ाने के उपाय की आवश्यकता पड़ती है। जिसका सनातन ग्रंथों में विस्तार से वर्णन नारी धर्म, मानव धर्म आदि शब्दों से श्रीमद्भागवत आदि में किया गया है।
आमतौर पर विवाह के शुरुआती दिनों में पति पत्नी में सुमधुर सम्बन्ध देखा जाता है। लेकिन जैसे – जैसे शादी के दिन बीतने लगते है। वैसे – वैसे पति पत्नी के बीच खटपट शुरू हो जाती है। फिर चाहे वह प्रकट रूप से हो अथवा परोक्ष। ऐसे में किसी भी जोड़े के लिए रिश्तो को निभाना भारी लगने लगता है।
लेकिन तब तक बच्चे आदि भी हो जाते है। जिससे सम्बन्ध को तोड़ना भी कठिन हो जाता है। किन्तु मन मुटाव के बीच रहना भी दुस्वार हो जाता है। जिसमे जरुरत पड़ती है पति-पत्नी में कलेश के उपाय की। जोकि पति-पत्नी में प्रेम बढ़ाने का मंत्र है।
यह समस्या अक्सर तब आती है। जब दोनों के बीच आकर्षण कम हो जाता है। जो विवाह के बाद स्वाभाविक रूप से कम होना ही है। परन्तु यदि पति पत्नी जागरूक हो अथवा उनको सही मार्गदर्शन प्राप्त हो। तो अधिक समय तक, पति पत्नी की रीति और प्रीति दोनों बनी रहती है। यही वास्तव में पति-पत्नी में अनबन दूर करने के उपाय है।
पति पत्नी में कलेश के उपाय ( pati patni me kalesh ke upay )
विवाह होते ही महिला और पुरुष के कन्धों पर जिम्मेदारियों का बोझ आ जाता है। वो भी एक परिवार नहीं बल्कि दो – दो परिवारों का। लेकिन अधिकांश पति – पत्नी इस जिम्मेदारी को नहीं समझते। जिससे आये दिन दोनों में नोकझोक होती रहती है।
यदि कुछ लोग समझते भी है तो केवल अपने घर की जिम्मेदारी। मतलब पति अपने घर को घर समझता है, और पत्नी अपने मायके को अपना घर समझती है। जिससे पति अपने ससुराल की फ़िक्र नहीं करता और पत्नी अपने ससुराल की। इस कारण पत्नी मायके वालों की बातो पर ध्यान देती है, और पति अपने घर के लोगों पर ध्यान देता है।
ऐसे में हमारे भीतर जाने अनजाने अहंकार पलने लगता है। जिससे पति और पत्नी दोनों अपनी – अपनी दायित्वों को उठाने की बात करने लगते है। जो आज के समय में सम्बन्ध विच्छेद का बहुत बड़ा कारण है। जिसको बचाने के लिए आवश्यकता पड़ती है, पति पत्नी में कलेश दूर करने के उपाय की।
मानाकि शादी के बाद पति पत्नी को, एक दुसरे के संबंधों को अपनाने में समय लगता है। जो स्वाभाविक रूप से लगना भी चाहिए। क्योकि विवाह होने से ही कोई भी स्त्री पुरुष पत्नी और पति नहीं बनते। बल्कि पति द्वारा पत्नी को और पत्नी द्वारा पति को मिलने वाले स्नेह, सुविधा और सम्मान से बनते है। जोकि सही ढंग से पति पत्नी में प्रेम बढ़ाने का उपाय है।
वही जिन बच्चों के माता – पिता संस्कारवान है। उनके बच्चे भी संस्कारी होते है। वे विवाह की व्यवहारिक मान्यताओं को बखूबी समझते है। जिससे विवाह के बाद वे दोनों घरों को अपना घर समझते है। जिससे जीवन पर्यन्त पति पत्नी में कलेश होता ही नहीं। यह पति-पत्नी में कलेश के उपाय मंत्र है। लेकिन ऐसी भावना बहुत कम लोगों में देखी जाती है।
पति पत्नी में प्यार बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए
पति और पत्नी के बीच प्यार बना रहे तो न केवल घर परिवार सुखी रहता है। बल्कि घर में लक्ष्मी का वास और बच्चों के संस्कारी होने से कुल की कीर्ति भी बढ़ती है। लेकिन इसके लिए पति पत्नी में प्रेम बढ़ाने का उपाय जानना जरूरी है।
विवाह के बाद पति पत्नी का सम्बन्ध जीवन भर का होता है। यह वह रिश्ता है, जिसके आगे अन्य रिश्ते फीके पड़ जाते है। लेकिन सही ढंग से पति पत्नी में प्रेम बढ़ाने का उपाय न करने पर, अक्सर रिश्तों की चमक कमजोर पड़ने लगती है। जिसके लिए लोग पति पत्नी में प्यार बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए की बात करते है।
वही उचित रीति से पति पत्नी में प्रेम बढ़ाने का उपाय अपनाने से, समय बीतने के साथ विश्वास बढ़ता जाता है। जिससे पति पत्नी में तालमेल पहले से बेहतर हो जाता है। जिसमे पति पत्नी के बीच झगड़े आदि का प्रश्न ही नहीं उठता। जिससे यह pati patni ke bich pyar badhane ke upay भी कहलाते है।
लेकिन जो लोग पति पत्नी में कलेश के उपाय को नहीं जानते। पति पत्नी में प्यार बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए की दुर्व्यवस्थाओं में फसे रहते है। लेकिन वैवाहिक जीवन में कलह को दूर करने के लिए, पति पत्नी में प्रेम बढ़ाने का उपाय जानने की आवश्यकता पड़ती है।
पति पत्नी में प्रेम बढ़ाने का उपाय ( pati patni me pyar badhane ke upay )
किसी भी घर की संस्कृति विवाह पर निर्भर होती है। इस कारण इस बात का ध्यान रखे कि विवाह की मर्यादा को तोड़कर विवाह न करे। विशेषकर उस जगह जहा अभी भी वर्णाश्रम की मर्यादा खंडित नहीं हुई है। फिर चाहे वह कोई भी देश अथवा प्रान्त क्यों न हो?
विवाह के बाद पति पत्नी का शेष जीवन वैवाहिक जीवन कहलाता है। जिसमे समय – समय बहुत से विपरीत और सुखद क्षण आते है। जिसमे सुखद क्षणों को हर कोई हॅसते हुए बिताता है। जबकि दुखद क्षण बीतना भारी हो जाता है। ऐसे में कलह होने की संभावना बनी रहती है। जिनको संभालने के लिए वैवाहिक जीवन में कलह को दूर करने के उपाय काम आते है।
आमतौर पर जिन उपायों से पति पत्नी का जीवन खुशहाल रहता है। उनको ही पति पत्नी में प्रेम बढ़ाने का उपाय कहा जाता है। जो बहुत ही सरल होने से सहजता से व्यवहार में उतरते है। जैसे –
आपस में झूठ न बोले
पारदर्शिता को बनाये रखने के लिए सत्य बोलना आवश्यक है। मानाकि सत्य कडुआ होता है। लेकिन इसके परिणाम उतने बुरे नहीं होते। जितना असत्य बोलने से होते है। आमतौर पर आपस में झूठ बोलने से ही अनबन होती है। इसलिए सत्य बोलना पति पत्नी में अनबन दूर करने के उपाय कहलाते है।
गलतिया छिपाने के बजाय बेखटके स्वीकार करे
पति पत्नी के बीच मनमुटाव की शुरुआत गलती न मानने से होती है। यदि विवाह के पहले अथवा बाद में जाने अनजाने आपसे कोई गलती हो गई है, और सामने वाले को इसका पता चल गया है। तो उसके पूछने पर उसको छिपाने के बजाय स्वीकार कर ले। फिर चाहे पत्नी की ओर से हुई हो अथवा पति की ओर से।
लेकिन जो विवाहित महिला और पुरुष आपस में ऐसा नहीं करते। उनके बीच विवादों की खाई सी बन जाती है। जिसको स्वीकारे बिना पाटना संभव नहीं। इसलिए पति पत्नी को गलतिया छिपाने के बजाय, उसे स्वीकार कर लेना पति पत्नी में प्रेम बढ़ाने का बढ़िया उपाय है।
जब तक हम आप गलतिया स्वीकारते नहीं, तब तक उनमे सुधार करने की आवश्यकता समझ नहीं आती। इस कारण हम उन्हें दोहराते रहते है। जिससे पति पत्नी आदि में विवादों का सिलसिला लगातार चलता रहता है।
एक दुसरे की बात को काटने के बजाय, पूरी बात को पूरा ध्यान से सुने
महिलाए स्वाभाविक रूप से सम्मान की भूखी होती है। इसलिए उनकी इच्छा होती है कि आप उनकी हर बात को ध्यान से सुने। फिर चाहे वह सुनने लायक हो अथवा न हो। लेकिन यह आप पर निर्भर है कि आप उसे माने या न माने। यह पति पत्नी में प्रेम बढ़ाने का उपाय है।
लेकिन जब महिला कुछ बोल रही हो तो उसका प्रति उत्तर कभी न करे। जो अधिकतर पुरुषों से हो नहीं पाता। जिससे दोनों के बीच जीवनभर तकरार बनी ही रहती है। इसलिए पतियो को इस बात का अभ्यास करना चाहिए कि जब पत्नी कुछ कह रही हो तो उसकी ओर शांत भाव से देखते हुए। जब तक वह चुप न हो जाय तब तक बिना कोई प्रतिक्रया के सुनते रहे।
घर पर खाने – पीने, रहने और आने – जाने का उचित प्रबंध करें
पति पत्नी का दायित्व है कि घर के प्रत्येक सदस्य के लिए, खाने – पीने आदि की सुविधा उपलब्ध रहे। क्योकि अक्सर लोग शानो – शौकत पर पैसा खर्च करते है। लेकिन खान पान का ध्यान नहीं रखते। जिससे घर वालों में मन मुटाव तो पलता ही है। इसके साथ उनका स्वास्थ्य भी गिरता है।
जिससे अनावश्यक रूप से आने जाने में, परिश्रम के साथ – साथ पैसा भी खर्च होता है। इसलिए उचित ढंग से दैनिक जरूरतों के सामानों की आपूर्ति होना आवश्यक है। ऐसा न हो पाने पर पति पानी के बीच लड़ाई झगड़ा होना स्वाभाविक है। यह दायित्व उनका होता है जिनके ऊपर जीविका के प्रबंधन की जिम्मेदारी है।
किसी भी परिस्थिति में एक दुसरे से गाली – गलौज, चिल्लाना, हाथापाई अथवा मारपीट न करे
आमतौर पर पति पत्नी में किसी बात की झिकझिक होने पर, अक्सर पति पत्नी पर चिल्लाते और गाली आदि देते है। कई बार पर स्वयं पर नियंत्रण न होने से हाथ तक उठा देते है। महिला पर हाथ उठाना उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने वाला है।
लेकिन एक बार ऐसा होने पर पत्निया अक्सर चुप रहती है। लेकिन बार ऐसा करने पर पत्नी की ओर से भी हाथापाई शुरू हो जाती है। जिससे महिलाए भी अक्सर पुरुषों सा व्यवहार करने लगती है। जिससे पुरुषों के आत्म सम्मान को चोट पहुँचती है।
जोकि घर परिवार और समाज में नकारात्मक सन्देश पैदा करते है। इसलिए किसी भी परिस्थिति में बातचीत के द्वारा मामले को हल करने का प्रयास करे। खास तौर पर तब जब पति अथवा पत्नी आपकी की बात को सुनने और समझने की स्थिति में हो। अर्थात उनका मूड ठीक हो। यही पति पत्नी के बीच झगड़े दूर करने के उपाय कहे जाते है।
आपस की कोई भी बात एक दुसरे से छिपाए नहीं
विवाह के बाद पति पत्नी में संवाद होना सबसे आवश्यक है। आपसी संवाद होने पर मन में कोई गाठ नहीं बधती। लेकिन अक्सर विवाहित जोड़े संवाद नहीं करते। जिससे बिना आरोप के ही एक दुसरे को आरोपी मानने लगते है। यह परिस्थिति तब आती है। जब दोनों के बीच कोई तीसरा व्यक्ति आ जाता है।
जिससे अनावश्यक रूप से एक दुसरे में शक पलने लगता है। जिससे पति पत्नी में बिना मतलब का तनाव आदि पलने लगता है। जिसका विरीत प्रभाव महिला के साथ – साथ उसके बच्चों और घर वालों पर पड़ता है। इसलिए पति पत्नी में प्रेम बढ़ाने का उपाय आपसी संवाद को बनाये रखना है।
कभी भी किसी के भी सामने पत्नी की बुराई न करे
पति पत्नी के बीच झगड़े की बड़ी वजह दूसरों के सामने, एक दुसरे की बुराई करना या अमर्यादित शब्दों का प्रयोग करना। आप अपने पति और पत्नी के गुणों की चर्चा लोगों से करे। लेकिन बुराई को अपने तक ही सीमित रखे। यह पति पत्नी के बीच झगड़े खत्म करने के उपाय है।
पति के घर ( ससुराल ) को अपना घर समझे
आजकल की नवविवाहिताएं अपने मायके को नहीं भूल पाती। जिससे वह अपनी हर जरूरत को मायके से ही पूरा करना चाहती है। जिससे उनके ससुराल में वो सम्बन्ध नहीं बन पाता। जो बनना चाहिए। ऐसा होने पर कई बार सास और ननद में तू – तू, मै – मै होने लगती है। जिसके कारण पूरे घर का माहौल तनाव पूर्ण हो जाता है।
जिसका बराबर असर पति और पत्नी पर भी पड़ता है। लेकिन यदि महिलाए सावधानी रखे तो बेवजह होने वाले तनाव से बच सकती है। और पति के अनुकूल रहकर सुख पूर्वक वैवाहिक जीवन का निर्वाह कर सकती है।
लोगो से दिल के रिश्ते बनाये लेकिन शारीरिक रिश्ता केवल आपस में ही बनाये
कोई भी महिला और पुरुष अपने और अपनों के प्रति सदाचार को लेकर जितना सहिष्णु होती है। चारित्रिक दोष के प्रति उतना ही असहिष्णु। इसलिए कोई भी सदाचारी महिला और पुरुष अनाचार, कदाचार का पक्षधर नहीं होता।
विवाह के बाद अक्सर महिला घर का चूल्हा और चौकी संभालती है। और पुरुष जीविका के लिए घर से बाहर जाता है। लेकिन अब तो महिलाए भी नौकरी पेशा करने लगी है। जिससे इनमे भी चारित्रिक पतन की संभावना बनी रहती है।
जो न तो किसी महिला को पसंद है और न किसी पुरुष को। इसलिए जब भी पति पत्नी और वो की संभावना बनती है। रिश्तों में दरार आ ही जाती है। फिर चाहे आप कितने भी विश्वासी क्यों न हो? फिर आप सामने वाले की नजर में वो सम्मान नहीं प्राप्त कर पाते। जो पहले आपको मिलता था।
काम संबंधों की मधुरता को बनाये रखे
आजकल के लोग काम किंकर बहुत है। जिससे पति पत्नी की रोमांटिक बातें फोन पर होती है। खासकर नए पति पत्नियों में। लेकिन पति पत्नी का रिश्ता विश्वास पर टिका होता है। जिसमे अक्सर महिलाए लज्जा और नैन नुक्स से पतियों को अपना दीवाना बना ही लेती है।
महिलाए जब तक समागम नहीं करती, तब तक उनमे सहवास करने की इच्छा नहीं जगती। लेकिन यदि स्त्री ने सम्भोग का चरम सुख पा लिया तो उसकी काम रति बढ़ती जाती है। लेकिन पुरुष स्वभाव से सम्भोग में रति रखते है। इसकारण ऋतुकाल में महिलाओं को स्वाभाविक रूप से संसर्ग की इच्छा होती है। जिसमे महिला कुछ अलग ढंग से संकेत करती है।
अक्सर इस दौरान रमण करने से न केवल पति – पत्नी को सम्भोग का सुख प्राप्त होता है। बल्कि पत्नी की इच्छा पूरी होने से पति के अनुकूल बनी रहती है। परन्तु इसमें भी जब तक पति पत्नी में सहवास के दौरान एक साथ स्खलन होता है। तब तक दोनों में लैंगिक सम्बन्ध की प्रगाढ़ता बनी रहती है।
किन्तु यह केवल तब तक बनी रहती है, जब तक पत्नी पति से पहले स्खलित हो। जैसे ही मैथुन के समय पति पत्नी से पहले स्खलित होता है। वैवाहिक संबंधों में खटास आनी शुरू हो जाती है। यह महिलाओं की स्वाभाविक प्रकृति है।
जिसको काव्य रसिकों ने समझांते हुए कहा है कि महिला में पुरुष से आठ गुना काम पाया जाता है। जिसके लिए पुरुष को सम्भोग के पूर्व और बाद में होने वाली विभिन्न उपक्रियाओं को सीखना आवश्यक है। जैसे – आलिंगन, चुम्बन, नख और दन्त क्षत, संवेसन, प्रहणन, सीत्कार, पुरुषायित, पुरुषसृप्त आदि।
यदि ऐसा करने के बाद भी पुरुष महिला को स्खलन तक नहीं पहुंचा पाता तो आयुर्वेदिक उपचारों की जरूरत पड़ती है। जिसमे शिलाजीत आदि का प्रयोग किया जाता है। इसलिए कहा भी जाता है कि असली शिलाजीत की कीमत वही पुरुष समझ सकते है। जो अपनी पत्नी की संतुष्ट नहीं कर पाते।
भविष्य के लिए कुछ बचाकर अवश्य रखे
आवश्यक खर्च को वहन करने के साथ – साथ, भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए कुछ पूजी अवश्य बचाकर रखे। जिसमे शादी व्याह, बीमारी आदि शामिल है। जब कोई भी अपने घर वालों के लिए ऐसा करता है। तब पति पत्नी में प्रेम बढ़ता है।
अपना काम और जीविका अर्जन पूरी निष्ठा से करे
ऐसी जीविका चुने जिससे लोकहित हो। ताकि आप लोगों के प्रिय बने रहे। फिर चाहे उसमे आमदनी कम ही हो। लेकिन अपने काम को पूरी निष्ठा से करे। जिससे आपका घर और घर वाले दोनों की समृद्धि हो। यह पति पत्नी में प्रेम बढ़ाने का उपाय है। ऐसा करने पर वैवाहिक जीवन में आत्म निर्भरता आती है।
पति जितना कमा कर लाये उसी में संतोष करे लेकिन ताने न मारे
पति के कम कमाने पर पत्निया अक्सर ताना मरती है। यह महिलाओं में उनसे स्वाभाविक प्रकृति के कारण होता है। जिससे कई बार बना बनाया काम भी बिगड़ जाता है। इसलिए पत्नियों को अपने पर नियंत्रण रखना चाहिए। ऐसा करना पति पत्नी में प्रेम बढ़ाने का उत्तम उपाय है।
आवश्यकता पड़ने पर एक दुसरे का हाथ बटाए
पति पत्नी में प्रेम बढ़ाने का उपाय है, एक दुसरे के काम में सहयोग करे। ऐसा हर रोज होना संभव नहीं, लेकिन जब भी अवसर मिले दोनों को एक दुसरे के काम में हाथ अवश्य बटाना चाहिए। विशेषकर महिला के मासिक धर्म, गर्भावस्था और प्रसव काल आदि के दिनों में।
नियमित आध्यात्मिक पुस्तकों का अध्ययन करे
जीव ज्ञान का भोक्ता है, विषय का नहीं। इसलिए हम सभी को नियमित रूप से आध्यात्मिक विद्या का अर्जन करना चाहिए। जिससे हमारे मस्तिष्क में सदाचार और धर्म के प्रति आस्था पुष्ट हो सके। ताकि भगवत भक्ति रूपी साधन का उपयोग करते हुए, अपने मूल लक्ष्य ( मोक्ष ) पर विजय प्राप्त कर सके।
स्वधर्म का पालन करते हुए ईश्वर पर भरोसा रखे
मन में किसी तरह की कामना न पाले। क्योकि कामना की पूर्ति न होने पर दुःख होगा। जिसको दूर करने की एकमात्र दवा है। स्वभाव से कामना को निकाल फेकना। फिर चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़ें। कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े?
यदि आप अपने अंदर इन उपायों को विकसित करते है, तो हर कोई आपसे दूर नहीं रहना चाहेगा।
वास्तव में विचारों की शुद्धता ही हमारा मूल ध्येय होना चाहिए, न की शरीर और बाहरी आकर्षण आदि। क्योकि विचारो का प्रतिफलन हमारे व्यवहार में प्रकट अवश्य होता है। जिससे हमारे व्यक्तित्व का विकास होता है। जिसकी हमें सामाजिक जीवन में सबसे अधिक आवश्यकता होती है।
उपसंहार :
सुख पूर्वक दाम्पत्य जीवन बिताने के लिए पति पत्नी में, प्रेम और विश्वास होना अत्यंत आवश्यक है। जिसमे कमी आने पर पति पत्नी के रिश्तों में अनबन और कलेश आने लगती है। पति पत्नी में प्रेम जगता है देखभाल, सम्मान और सुखमय सम्भोग से। जबकि विशवास पनपता है विपरीत परिस्थिति में एक दूसरे के सहयोग से।
इसलिए पति पत्नी में प्रेम बढ़ाने का उपाय है। पति और पत्नी का जीवन उगली उठाने योग्य न हो। यदि इसमें कोई खामी है तो पति पत्नी में कलेश के उपाय की आवश्यकता पड़ती है। जिसको लोग पति पत्नी में अनबन दूर करने के उपाय भी कहते है। मजे की बात यह है कि यह समस्या केवल मनुष्यों में ही देखी जाती है।
जब पृथ्वी पर रहने वाले अरबो – खरबों जीव जंतु अपनी मर्यादा को नहीं तोड़ते तो हम मनुष्यों को अपनी मर्यादा तोड़ने का अधिकार किसने दे दिया? क्या केवल विज्ञान को आधार बनाकर, दर्शन और व्यवहार को ताक पर रखकर मर्यादा को खंडित करना ही हम मनुष्यों की बुद्धिमानी है?
यह हम सभी के लिए विचारणीय प्रश्न है। जिस पर मनुष्य होने के नाते हम सभी को शांत दिमाग से सोचना चाहिए। जबकि हम हिन्दुओ के पास सिद्धांत प्रतिपादक ग्रंथ और उनका बोध कराने वाले परम्परा प्राप्त सार्वभौम आचार्य आज भी सुलभ है। वेद ( सकल विद्या और कला के स्रोत ) और वेदाध्ययन करने वाले आचार्य दोनों सुलभ है।
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