नाभि के नीचे पेट दर्द : nabhi ke niche pet dard 

छाती और श्रोणि के मध्य होने वाले दर्द को पेट दर्द कहा जाता है। जिसके बीचो बीच उदर के केंद्र में नाभि होती है। इसके नीचे होने वाले दर्द को ही, नाभि के नीचे पेट दर्द होना कहते है। नाभि के नीचे पेट दर्द के कारण पेट में, भयंकर वेदना युक्त पीड़ा होती है। जिसकी समाप्ति के लिए नाभि के नीचे पेट दर्द के उपाय किये जाते है। जिनको नाभि के नीचे दर्द का इलाज भी कहते है। जिसमे पेट के दर्द की आयुर्वेदिक दवा आदि का प्रयोग होता है। 

pet ki nabhi ke niche dard hona

नाभि के नीचे होने वाला दर्द अत्यंत कष्टदायी होता है। जो सम्भवतः पेट के निचले हिस्से में दर्द होने पर भी पाया जाता है। जिसमे करीब – करीब समानता है। जबकि पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होने में भेद है। जिनको सामान्य रूप से पेट दर्द कहते है। जिसको दूर करने के लिए, पेट के दर्द से छुटकारा कैसे पाएं को जानने की अपेक्षा है।  

नाभि को चिकित्सीय विधा के अनुरूप, पूरे शरीर का केंद्र माना जाता है। जिसके संतुलित होने पर स्वास्थ्य और असंतुलित दशा में पेट में दर्द होता है। जिसके कारण पेट में मरोड़ होना, दस्त होना, पेट दुखने जैसी अनेको समस्याए हो सकती है। जो पेट खराब होने की निशानी मानी जाती है। जिसमे पाचन तंत्र की विसंगति मुख्य हेतु है। जिसमे पेट में मरोड़ आदि परेशानी होती है। जिससे निजात पाने में पेट के मरोड़ से छुटकारा कैसे पाएं उपयोगी है। 

नाभि के नीचे होने वाले दर्द को, गंभीरतापूर्वक लिया जाना आवश्यक है। क्योकि इसके नीचे अनेक महत्वपूर्ण अंग पाए जाते है। जिनमे मूत्राशय, पक्वाशय, गर्भाशय, अंडाशय आदि पाए जाते है। जिनमे विषंगति सधने पर भी, नाभि के नीचे दर्द होना स्वाभाविक है।   

नाभि के नीचे पेट में दर्द का कारण (nabhi ke niche pet dard ka karan)

नाभि के नीचे पेट दर्द होने के बहुत से कारण है। जिनमे से कुछ स्त्री और पुरुष दोनों में पाए जाते है। जबकि कुछ ऐसे है जो स्त्रीयो और पुरुषो में अलग – अलग पाए जाते है। जिसका मुख्य कारण दोनों की शारीरिक बनावट में भेद होना है। जिसके निम्न संभावित कारण है – 

  • गैस : पेट में गैस बनना पेट दर्द होने का मुख्य कारण हो सकता है।  
  • आंतो में रुकावट : आंतो में मल के चिपकने से आंते बंद हो जाती है। जिससे पेट साफ नहीं होता। जिसके कारण पेट में वायु का अत्यधिक जमाव हो जाता है। जो न ऊपर से निकलता है न नीचे से। इनके कारण भी पेट में दर्द होता है।   
  • कब्ज : पेट के रोगो में कब्ज अत्यंत चर्चित नाम है। जिससे आज सबसे अधिक लोग ग्रस्त है। जिससे निजात पाने में कब्ज का रामबाण इलाज अत्यंत उपयोगी है। 
  • उदावर्त (disease of bowel) : आई बी एस और आई बी डी जैसी समस्याए, नाभि के नीचे पेट दर्द की बड़ी वजह है। 
  • स्टमक फ्लू (stomach flu) : वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण गैस्ट्रोएन्टेराइटिस का कारण है। जिससे पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है। 
  • मूत्र संक्रमण (urine infection) : यूरिन इंफेक्शन के कारण भी, निचले पेट में दर्द उत्पन्न करता है। 
  • मूत्र पथरी (urinary stone) : मूत्र पिंड में होने वाली पथरी भी नाभि के नीचे दर्द का कारण हो सकती है। आदि 

नाभि के नीचे पेट में दर्द के लक्षण (nabhi ke niche pet dard ke lakshan)

नाभि के नीचे पेट में दर्द होने पर, पेट दर्द के साथ अनेक लक्षण देखे जाते है। जैसे –

  • नाभि के नीचे पेट में भारीपन होना
  • नाभि के नीचे पेट में वायु जमना
  • बहुत प्रयत्न करने पर भी डकार न आना, न अपान वायु निकलना 
  • नाभि के नीचे पेट में कडा लगना
  • नाभि के नीचे पेट में मरोड़ होना
  • नाभि के नीचे पेट फूलना 
  • पेट साफ न होना
  • पेट गुड़गुड़ाना
  • बार – बार दस्त लगना
  • थकान लगना और शरीर भारी लगना
  • बेचैनी और घबराहट होना आदि।

नाभि के नीचे पेट दर्द का उपचार (abdominal pain treatment)

आयुर्वेदगत चिकित्सानुसार पेट के नीचे दर्द होने में, दोषो के असंतुलन को स्वीकारा गया है। जिसमे वात दोष की प्रधानता मानी गई है। जिसका मतलब यह नहीं कि पित्त और कफ दोषो का, पेट दर्द से कोई ताल्लुक नहीं। हालांकि आयुर्वेद ने प्रत्येक प्राणियों को त्रिदोषज माना है। जिसके अनुसार चतुर्दश भुवनात्मक ब्रह्मांड में ऐसा कोई प्राणी नहीं। जिसको वात, पित्त एवं कफ नामक दोष प्राप्त न हो। अर्थात सभी को प्राप्त है।

नाभि के नीचे पेट दर्द क्यों होता है 

जब बाह्य अथवा आंतरिक कारणों से, त्रिदोषों में किसी एक दोष की अधिकता हो जाती है। तब हम रोग के चपेट में पड़ जाते है। जिससे पार पाने का एकमात्र उपाय, दोषो में सानुकूल सामंजस्य स्थापित करना है। जिसको आयुर्वेदादी ग्रंथो में विस्तार पूर्वक बताया गया है। जिसका सिद्धांतनुकूल अभ्यास चिकित्सा कहलाती है। इस प्रकार की चिकित्सा कर्म का सम्पादन करने वाले, वैद्य या चिकित्सक को आयुर्वेद ने ईश्वर तुल्य माना है।  

जबकि आधुनिक चिकित्सा में इन दोषो से, कुछ भी लेना देना नहीं। इनमे नाभि के नीचे पेट दर्द के कारण इन हिंदी में गैस आदि बताया जाता है। जिसमे पाचन विकृति, अंग विशेष की क्रियात्मक सक्रियता आदि है। जिसके निवारण की उनकी अपनी विधा है। जिसमे दवाइयों को ही मुख्य स्थान दिया गया है।

वही आयुर्वेद शास्त्रों ने भोजन को दवाइयों आदि से, भी अधिक उपयोगी बताया है। जिसमे ऋतुनुकूल और देहगत प्रकृति के अनुकूल भोजन को सर्वहितकारी माना गया है। जिसकी उपादेयता लोक और परलोक में, सामान रूप से सिद्ध है। जिसका विधिवत पालन करने पर स्वास्थ्य ( सुख ) की प्राप्ति सुनिश्चित है।

पेट दर्द के लिर घरेलू नुस्खे (pet dard ke liye gharelu nuskhe)

पेट में दर्द (pet me dard) को ठीक करने में घरेलू उपाय कारगर है। फिर चाहे वह नाभि के नीचे दर्द होना या कही और। जिसके लिए पेट दर्द का घरेलू उपाय बताएं की बात आती है। नाभि (nabhi) को बोडरी, धरण आदि भी कहते है। जिसका अपने स्थान ( मध्य ) से, हट जाना पेट उखड़ना (pet ukhadna) कहलाता है। जिसके कारण इसको भी पेट दर्द से जोड़ा जाता है। आजकल पेट दर्द के पुराने 3 वर्ष शिकायत होने पर, यह आमतौर पर देखा भी जाता है। जिसमे पेट की मालिस उपयोगी है। 

नाभि के नीचे होने वाले पेट दर्द के घरेलू उपचार निम्न है –

हींग : पेट में कही भी जमने वाली वायु ( गैस ) को निकालने में हींग को महारथ हासिल है। यह तब विशेष प्रकार से उपयोग होती है। जब पेट में वायु जमकर पेट फूलने लगता है। इसका सेवन गुनगुने पानी से करने पर, बहुत ही कम समय में लाभ होता है। 

अजवाइन काला नमक और जीरा : पेट की पाचन समस्याओ आदि के कारण होने वाले पेट दर्द में लाभदायी है। यह पेट फूलने और चुभन आदि को भी दूर करती है। जिसकी समान और असमान मात्रा का उपयोग भी होता है। जिसका सेवन गर्म पानी से करना अच्छा है।

अदरक : दो ग्राम अदरक के रस को आधा गिलास पानी में, मिलाकर लेने से यह पेट दर्द को कम करता है। इनको नाभि के नीचे पेट दर्द में अदरक के फायदे कहते है।   

एलोबेरा जूस : पेट में गैस, कब्ज, डायरिया आदि में एलोवेरा फायदेमंद है। इसका आधा कप ( लगभग 30 मिली ) जूस पेट की जलन आदि के साथ पेट के दर्द को भी दूर करता है।   

पेट दर्द का आयुर्वेदिक इलाज (pet dard ka ayurvedic ilaaj)

पेट दर्द का इलाज बताएं

पेट दर्द दूर करने में आरिष्ट और आसव सहायक है। जिनको आयुर्वेदानुसार पेट दर्द की दवा आयुर्वेदिक (pet dard ki ayurvedic dawa) कहते है। जिनके कुछ योग निम्न है – 

दशमूलारिष्ट : यह वात दोषो का हरण करने वाली और भूख को बढ़ाने वाली रसायन है। जो पेट के दर्द के साथ जोड़ो के दर्द में विशेष रूप से उपयोगी है।  

अशोकारिष्ट : यह वातदोषहर औषधि है। जो गर्भाशय के लिए बल्यकारी है। जिससे महिलाओ के पेट दर्द में विशेष रूप से उपयोगी है।

कुमारी आसव : यह एक प्रकार का सौम्य रेचक रसायन है। जो बबासीर, तिल्ली का बढ़ना, यकृत शोथ आदि में उपयोगी है। साथ इनके कारण होने वाले नाभि के नीचे के दर्द, को भी दूर करने में सहायक है। 

हिंग्वाष्टक चूर्ण : पेट में कही भी किसी भी कारण से, वायु जमने पर इसका उपयोग होता है। यह पेट फूलने पर भी अत्यंत उपयोगी दवा है। गैस के उहापोह को भी शांत करने में प्रभावी है। 

पेट दर्द की गोली (abdominal pain tablet)

पेट में दर्द होने पर पेट दर्द का इलाज बताइए (pet dard ka ilaj bataye) की बात होती है। जिसके लिए एलोपैथी में टेबलेट्स का उपयोग होता है और क्या। इसलिए पेट दर्द के लिए कौन सी गोली ले और कौन सी न ले? के भ्रम में हम पड़ जाते है। परन्तु अच्छा तो यही है कि बिना परामर्श के, इन दवाओं का सेवन न करे। फिर भी पेट दर्द की कुछ दवाई इस प्रकार है। जिनसे नाभि के नीचे पेट दर्द के कारण ilaj होना संभव है – 

मेफ्टाल – स्पास (meftal spas) : यह किसी भी प्रकार के पेट दर्द को ठीक करती है। फिर चाहे वह गैस के कारण हो, बदहजमी, पेट फूलने आदि के कारण हो।

ओलीजा पेट 5 एम जी टेबलेट (oliza pet 5 mg tablet) : पेट में दर्द, गैस, खट्टी डकार, एसिडिटी, जोड़ो में दर्द आदि में उपयोगी मानी जाती है।  

सारांश :

नाभि के नीचे होने वाला पेट दर्द, दोषगत चिकित्सा के अनुसार वात दोषो के अंतर्गत है। जबकि अन्य चिकित्सा विधाओं में गैस आदि को माना गया है। जो एक प्रकार के आयुर्वेदीय सिद्धांत का अंश है। जिसका शमन करने के लिए लक्षणानुकूल दवाओं का सेवन, विशेषज्ञों से राय लेकर करना हितकर है। जिसमे भोजन की गुणवत्ता और उपयोगिता अतुलनीय योगदान रखती है। जिससे बिना इनका पालन किये, अंधी पीसे बिल्ली खाये की कहावत चरितार्थ है। यदि इनमे ऋतुचर्या एवं दिनचर्या आदि को जोड़ दे, तो सोने पे सुहागा।   

ध्यान रखे : किसी भी दवा का सेवन मनमानी ढंग से करे। विशेषकर गर्भवती महिलाओ, बच्चो और जीर्ण रोगियों के मामलो में। ऐसा करना विपरीत परिणाम देने वाला हो सकते है। 

FAQ

पेट को हिंदी में क्या कहते हैं?

पेट को हिंदी में उदर के नाम से जाना जाता है। 

उद्धरण :

चरक संहिता अ 13

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