पाइल्स में गुड़ खाना चाहिए या नहीं : piles me gud khana chahiye ya nahi

आजकल ज्यादातर गुड़ गन्ने के रस से बनाया जाता है। जिसमे सुक्रोज की ही अधिकाँश मात्रा पायी जाती है। जिसका अधिक मात्रा में सेवन करने से, सूजनकारी गतिविधियों को बल मिलता है। जोकि पाइल्स के लक्षण में प्रधान रूप से पाया जाता है। इसलिए पाइल्स रोगी यह जानने में लगे रहते है कि पाइल्स में गुड़ खाना चाहिए या नहीं?

पाइल्स में गुड़ खाना चाहिए या नहीं

गन्ने से बनने वाले गुड़ का सर्वांस भाग सुक्रोज ही होता है। जबकि ताड और खजूर से बनने वाला गुड़ फ्रक्टोज होता है। जिससे दोनों गुड़ों के रंग और आकार एक जैसे होने पर भी, इनके स्वाभाविक गुण में अंतर पाया जाता है। जिससे आम गुड़ ( गन्ना ) खाने पर वो फायदे हमे नहीं मिलते। जो खास ( खजूर ) गुड़ खाने पर मिलता है। इसलिए बवासीर में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।    

इन्ही विशेषताओं के कारण पाइल्स के लिए सही आहार का चयन करना मुश्किल होता है। एक और जहां सामान्य गुड़ की बनावट सरल होती है। वही दूसरी ओर विशेष गुड़ की बनावट गूढ़ ( काम्प्लेक्स ) होती है। जिसके कारण इनमे पायी जाने वाली मिठास में भी अंतर पाया जाता है। इसलिए बवासीर में गुड़ खाना चाहिए या नहीं को जानना उतना ही आवश्यक है। जितना कि बवासीर में मीठा खाना चाहिए या नहीं।  

बवासीर में गुड़ खाना सही या गलत 

बवासीर में गुड़ खाना सही या गलत 

सुक्रोज का मतलब हमारे घरो में इस्तेमाल की जाने वाली चीनी है। जिसकी संरचना इतनी सरल होती है कि तेजी से टूटकर, पेट के रास्ते आंतो से होते हुए खून में जा मिलती है। जिसका अधिक मात्रा में सेवन करने से, एड्रिनल ग्लैंड्स द्वारा बनाई गयी गुणवत्ता परक चीनी और आक्सीजन का संतुलन बिगड़ जाता है। जिससे खून में चीनी का स्तर आवश्यकता से अधिक हो जाती है। आवश्यकता से अधिक चीनी का मतलब है, शरीर को बवासीर आदि रोग लगने का खतरा। इसलिए पाइल्स के लिए सही आहार का चयन बहुत महत्वपूर्ण होता है।

जरूरत से ज्यादा चीनी खाने पर मस्तिष्क और पैंक्रियाज पर, ऐसा लगता है जैसे किसी ने उन्हें जोर का धक्का दिया हो। जिसका प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता है। जिसके प्रभाव के रूप में फुलाव, गैस और पाचक नली में फालतू ग्रोथ के रूप में भारीपन, चिड़चिड़ापन देखा जाता है। ऐसा बार – बार होने से हमारा शरीर विटामिन सी की पूंजी खो देता है। जिसके कारण शारीरिक अंगो को संक्रमण लगने का खतरा बढ़ जाता है। जिसके कारण बवासीर में गुड़ खाना चाहिए या नहीं का विचार अवश्य करना चाहिए। 

यह गुड़ सुक्रोज से बने होने के कारण, स्वस्थ व्यक्ति के खाने में कुछ हद तो ठीक है। लेकिन बवासीर में भयावह स्थिति उत्पन्न करता है। जिसके कारण इनका सेवन बहुत अच्छा नहीं माना जाता है। परन्तु गन्ने से बना गुड़ फास्फोरस, कैल्शियम जैसे पोषक तत्वों का खजाना है। जिसके सेवन से हमारे शरीर को आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति होती है। जिसकी पूर्ति के लिए इनको खाना हमारी मजबूरी है।  

बवासीर में कौन सा गुड़ खाना चाहिए 

बवासीर में कौन सा गुड़ खाना चाहिए 
खजूर गुड़

जबकि ताड़, खजूर आदि से बनने वाले गुड़ में, प्राकृतिक रूप में पाई जाने वाली शर्करा फ्रक्टोज है। जो ग्लूकोज और ग्लैक्टोज के समान आवश्यक रक्तशर्करा है। जो विशेषकर फलों आदि में पायी जाती है। जिसका सेवन करने से हम सुक्रोज और ग्लूकोज खाने से होने वाली समस्याओ से बच जाते है। 

इसलिए बवासीर में फ्रक्टोज युक्त गुड़ खाना गुणकारी है, न कि सुक्रोज वाला गुड़। खजूर आदि से बनने वाला गुड़ सामान्य गुड़ से भी अधिक हानिरहित, पोषक तत्वों को अपने में समाहित रखता है। जिसका सेवन करने से पोषक तत्वों के साथ मीठा खाने की तृप्ति हमें हो जाती है। जो मीठा खाने वालो के लिए राहत भरी खबर है।

जिससे हम अनेको प्रकार के रोग और दोष से बचे रहते है। इसलिए यह जानना उतना ही जरूरी है, जितना कि बवासीर में दूध पीना चाहिए या नहीं। चिकित्सीय निदानात्मक विधाओं के अनुरूप, स्वाभाविक स्वाद का न मिल पाना अर्थात तृप्ति न होना भी रोगकारी है।    

उपसंहार :

पाइल्स के लिए सही आहार का सेवन करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसलिए जब भी पाइल्स में गुड़ खाना चाहिए या नहीं की बात होती है तो गुड़ अवश्य खाना चाहिए। लेकिन सुक्रोज वाला नहीं बल्कि फ्रक्टोज वाला। 

खजूर और ताड़ के रस से बनने वाले गुड़ अन्य गुड़ों की तुलना में अच्छे होते है। इसका मतलब यह नहीं कि किसी भी दशा में इनका सेवन नुकसानदायक नहीं है। मात्रा से अधिक और अनुपयुक्त मात्रा में किसी भी वस्तु का, किसी भी व्यक्ति द्वारा किया गया उपभोग हानिकर होता है। जिसके कारण फ्रक्टोज वाला गुड़ भी अधिक मात्रा में खाने से, बवासीर की तकलीफो को बढ़ा सकता है। जबकि आनुपातिक मात्रा में खाने से बवासीर में फायदेमंद हो सकता है।

ध्यान रहे : सभी प्रकार के गुड़ों का रंग एक जैसा होने का कारण, इनके निर्माण में प्रयुक्त होने वाली विधि के कारण है। 

सन्दर्भ :

सप्लीमेंट्स की कुछ सच्चाइयां – ग्लोरिया एस्क्यू और जैर पैकुएट

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