बवासीर में दूध पीना चाहिए या नहीं : bawasir me dudh pina chahiye

आजकल बवासीर के मरीजों के लिए दूध पीना एक विवादित मुद्दा बन गया है। जिससे बवासीर के रोगियों के लिए बवासीर में दूध पीना एक बड़ा सवाल होता है। इन विवादों को लेकर बवासीर में दूध पीने से जुड़ी तमाम बातों के सहित हमारे मन में संदेह होता हैं कि क्या बवासीर में दूध पीना चाहिए या नहीं? तो आइये जानते है कि बवासीर में दूध पीना चाहिए या नहीं?

बवासीर में दूध पीना चाहिए या नहीं

गुदीय शिराओ में सूजन, जलन और मस्से निकलना आदि बवासीर के लक्षण है। जो प्रकांतर से महिला और पुरुष दोनों में देखे जाते है। जब महिलाओ में इसके लक्षण देखे जाते है, तब इसे महिला बवासीर के लक्षण कहते है। किन्तु पुरुषो में देखे जाने पर, पुरुष बवासीर के लक्षण कहलाते लगते है। जो मुख्यतः दो प्रकार की होती है –

बादी बवासीर : इसको मस्से वाली बवासीर के नाम से जाना जाता है, क्योकि इसके मस्से आकार में बहुत बड़े, मोठे, चिकने अथवा खुरदरे ( दरदरे ) होने के साथ अत्यंत दर्द करने वाले होते है। जो मुख्य रूप से बादी बवासीर के लक्षण कहलाते है। इस प्रकार की बवासीर में गुदा में अत्यधिक सूजन और चुभन होती है। जिसको दूर करने के लिए मस्से वाली बवासीर में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं को जानना लाभकारी है।  

खूनी बवासीर : ऐसी बवासीर जिनसे किसी प्रकार का स्राव या खून निकले, खूनी बवासीर कहलाती है। यह अक्सर गुदा के भीतर पायी जाती है। इसके मस्से छोटे, बहुत जलन करने वाले और दर्द से भरे होते है। जिनको चिकित्सा शास्त्रों में खूनी बवासीर के लक्षण माना गया है। जिसका इलाज करते समय खूनी बवासीर में क्या खाना चाहिए क्या नहीं का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।  

बवासीर में दूध पीने को लेकर वैज्ञानिक विश्लेषण 

बवासीर में दूध पीने को लेकर वैज्ञानिक विश्लेषण 

आयुर्वेद शास्त्रों में दूध की भूरि – भूरि प्रशंसा की गई है। जिसका वृहद विवेचन उपनिषद आदि से लेकर आयुर्वेद के चरक, सुश्रुत, भैषज्यरत्नावली, भाव प्रकाश आदि में किया गया है। आयुर्वेद के सभी आचार्य बवासीर में दूध के सेवन को उपयोगी मानते है। किन्तु आज के कुछ प्रसिद्द चिकित्सा सिद्ध लोग दूध के सेवन को अच्छा नहीं बताते।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विचार करे तो आज का दूध और चरक आदि महर्षियो ने जिसको दूध कहा। उनकी मान्यताओं में जमीन और आसमान का भेद है। जिसको जानने और समझने पर ही तथ्य तक पहुंच सकते है, अन्यथा नहीं। 

आज के समय में मिलने वाला दूध शंकर नस्लों की गाय और भैस से प्राप्त होता है। जिसका आयुर्वेद में सर्वथा प्रतिकार किया गया है। इस रहस्य को जानने और समझने वाले लोग बवासीर के उपचार में दूध न पीने की सलाह देते है। जिसका मुख्य कारण यह पाचन में व्यवधान उत्पन्न करता है। जिससे हमारी गुदा में पाए जाने वाले माइक्रोब असंतुलित होकर, माइक्रोबियल असंतुलन पैदा करते है। जिनके कारण बवासीर जैसे रोग होने का मार्ग प्रशस्त होता है।

जबकि आयुर्वेदानुसार प्राप्त दूध का सेवन पाचन की तमाम समस्याओ को दूर करता हुआ। गुदा में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवाणुओ को पोषित करता है। जिससे असंतुलित हुआ माइक्रोब संतुलित होने लगता है। इसके साथ पित्त दोष के निवारण में मृदु विरेचन का काम करता है। जिससे खूनी बवासीर के लिए दूध को रामबाण माना जाता है। 

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से बवासीर में ऊट और बकरी का दूध बहुत ही लाभदायक है। परन्तु वात नाशक और अग्नि प्रदीपक वस्तुओ का सेवन, बवासीर को मिटाने का अमोघ उपाय बताया गया है। जोकि गाय के दूध में पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। जिसमे गाय का दूध बहुत ही गुणकारी है। बवासीर में दूध और नींबू का प्रयोग, बार – बार पतले मल का वेग लगने पर फायदा करता है। जिसके कारण इसको बवासीर के घरेलू उपाय कहते है।   

बवासीर में दूध पीने के फायदे 

बवासीर में दूध पीने के फायदे 

बवासीर रोग में दूध का सेवन करने से निम्न लाभ होते है –

  • सामान्यतः दूध त्रिदोषों को नष्ट करने वाला है। किन्तु किंचित कफकारक होता है। 
  • दूध स्वाद में मधुर और शरीर को शीतलता प्रदान करता है। 
  • यह हमारी अग्नि का दीपन करता है।
  • मंदाग्नि को नष्टकर पाचन क्षमता में सुधार करता है।
  • यह शरीर को स्निग्धता देता है।
  • शरीर के दोष और धातुमल के निक्षेपण में सहायता करता है। 

बवासीर में दूध पीने के नुकसान 

अमूमन जब भी दूध पीने की बात आती है, तो लोग अक्सर गाय और भैस का ही दूध समझते है। परन्तु बकरी का दूध बवासीर में विशेष रूप से लाभकारी है। फिर भी लोगो को संशय होता है कि पाइल्स में दूध पीना चाहिए या नहीं

यदि किसी कारणवश बवासीर में दूध हानिकारक बताया जाता है, तो उसके दो कारण हो सकते है –

  • पहला वह दूध आयुर्वेद के विरुद्ध है।
  • दूसरा जानकारी का अभाव है।

इन दोनों त्रुटियों पर ध्यान देने पर, बवासीर में दूध पीना सही है या गलत का निर्णय हो जाता है।

परन्तु आधुनिक दृष्टि में दूध और दुग्ध उत्पादों ( डेयरी प्रोडक्ट ) में, फाइबर की बहुत न्यून मात्रा पायी जाती है। जिससे दूध का सेवन बवासीर में करना अच्छा नहीं माना जाता। लेकिन मृदु रेचक, शीतलता, जठराग्नि की प्रबलता आदि की दृष्टि से दूध बवासीर में अत्यंत उपयोगी वस्तु है। परन्तु कफ दोष से पीड़ित बवासीर रोगियों के लिए दूध हानिकारक हो सकता है। किन्तु बकरी और ऊंट का दूध नहीं।      

उपसंहार :

आजकल खाने पीने की चीजों को लेकर बहुत सी शंकाए है। जबकि आयुर्वेदादी शास्त्रों में रोगानुसार औषधि और आहार के गुण का विशद वर्णन किया गया है। जिस पर निर्णय करने का अंतिम और एकमात्र साधन है – आयुर्वेद शास्त्र। इस आधार पर बवासीर में दूध पीना चाहिए या नहीं का न्याय आयुर्वेद ही कर सकता है।

आज की उन्नत तकनीक खाने पीने जैसी तमाम चीजों की गुणवत्ता का अपहरण कर रही है। जिसका प्रभाव हमारे दूध पर भी देखा जा सकता है। इसलिए क्या बवासीर में दूध पीना चाहिए को सही और गलत कहने से पहले विकृत गायो की नस्लों आदि पर भी विचार करना चाहिए।

ध्यान रहे आयुर्वेद में वर्णित सामाग्री और उसके प्राप्त होने की विधा, दोनों में तालमेल बिठाने पर सामाग्री दोष से रहित होती है। जिस पर ध्यान न देकर आयुर्वेद पर उगली उठाना, स्वयं को आजीवन रोगी बनाकर रखने जैसा है। इसलिए बवासीर में प्राकृतिक गर्भाधान और मिलावट रहित दूध का ही सेवन करना चाहिए।

बवासीर रोगी को उन सभी अन्न, पान और दवाओं का सेवन करना चाहिए। जो कब्जियत को दूर करके, अपानवायु को अनुकूल करने के साथ पाचकाग्नि को बढाए। जोकि दूध में स्वभाव से पाए जाते है, अस्तु बवासीर में दूध पीना लाभकारी है। परन्तु बकरी का दूध बवासीर के लिए सर्वोकृष्ट है। 

सन्दर्भ :

चरक संहिता चिकित्सा अध्याय – 14

सुश्रुत संहिता चिकित्सा अध्याय – 06

अष्टांग ह्रदय चिकित्सा अध्याय – 08

अष्टांग संग्रह चिकित्सा अध्याय – 10

भैषज्यरत्नावली – चिकित्सा अध्याय – 09, 10

भाव प्रकाश – दुग्ध वर्ग

योगरत्नाकर – अर्श चिकित्सा प्रकरण 

FAQ

बवासीर में दूध के साथ क्या नहीं खाना चाहिए?

चाय और काफी जैसी चीजे दूध से ही बनाई जाती है। जिनसे लोग पाँव रोटी, टोस्ट और ब्रेड का भी सेवन करते है। जो बहुत ही हानिकारक है। इसके अतिरिक्त दूध में नमक मिलाकर खाने से बचे। 

क्या दूध पाइल्स के लिए अच्छा है ( is milk good for piles )? 

हाँ, गाय और भैस का दूध सामान्य रूप से उपयोगी है। जबकि बकरी और ऊंट का दूध बवासीर के लिए बहुत ही अच्छा है। 

क्या दही बवासीर के लिए अच्छा है ( is curd good for piles )?

दही का सेवन बवासीर में अच्छा नहीं माना जाता, क्योकि दही पचने में भारी होती है। जिससे बवासीर का रोगी दही को पचने में अक्षम होता है। जिसका सेवन करने पर रोग के भड़कने की संभावना होती है। 

बवासीर में पनीर खा सकते हैं?

पनीर दूध से बनने वाला उत्पाद है। जो वसा आदि की उपस्थिति से चिकना और अत्यंत गरिष्ट हो जाता है। जिसका सेवन करने पर, बवासीर के रोगियों को मलत्याग में परेशानी पैदा कर सकता है। कुछ लोगो को यह कब्जियत से भी परेशान कर सकता है।  

बवासीर में दूध से बनी आइसक्रीम खा सकते है?

आजकल बाजर में दूध के बहुत से विकल्प है। जिनसे आइसक्रीम बनाई जाती है। किन्तु आयुर्वेद के अनुसार बर्फ से बनी वस्तुओ का सेवन, बवासीर में करना हानिकर माना गया है। जिसके कारण बवासीर में आइसक्रीम आदि न खाये तो ही अच्छा है। 

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