हम भारतीयों के तीज – त्यौहार हो या व्रत उपवास, सांवा के चावल के बिना अधूरे से लगते है। यह स्वाद में मन को भाने वाला होने के साथ – साथ, पोषण से भी भरपूर है। फिर सांवा यकृत सहित शरीर के भीतर पाए जाने वाले कोमल अंगों की सफाई करने में माहिर है। जिससे स्वास्थ्य की दृष्टि से हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इस पोस्ट में हम सांवा खाने के 7 आश्चर्यजनक फायदे जानेंगे।
यह मुख्य रूप से लीवर, पैंक्रियाज, स्प्लीन, मूत्राशय, पित्ताशय, गुर्दे जैसे कोमल और महत्वपूर्ण अंगों की सफाई करने में बार्नयार्ड मिलेट के फायदे है। यह वह महत्वपूर्ण अंग है। जिनके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। वह भी आज के जहरीले और दूषित वातावरण में। लेकिन कठिनाई यह है कि लोग मोठे अनाज के नाम को लेकर संदेह में रहते है। जिससे कई बार मिलेट और दुसरे अन्नों में अंतर कर पाना कठिन हो जाता है।
सावां को आजकल बार्नयार्ड बाजरा भी कहा जाता है। सांवा की खेती लगभग सभी तरह की भूमि में आसानी से उग जाता है। फिर चाहे वह मैदानी क्षेत्र हो अथवा पहाड़ी। इसको उपजाने में लगभग 200 – 300 लीटर/किलो पानी की आवश्यकता पड़ती है। इसकी फसल तीन महीने में तैयार हो जाती है। जिससे एक वर्ष में इसको आसानी से तीन बार उगाया जा सकता है।
सांवा पचने में आसान और भूख को बढ़ाने वाला है। जिससे यह छोटे बच्चों के लिए विशेष रूप से उपकारी है। खासतौर पर उनका जिनका मन खाने में नहीं लगता। उनमे सांवा खाने के फायदे है। फिर चाहे वह बालक हो अथवा वृद्ध। दौड़भाग करने वाला नवयुवक हो अथवा आरामदायक जीवन यापन करने वाला व्यापारी। सभी के लिए सांवा के फायदे है। ठीक वैसे ही जैसे कुटकी खाने के फायदे है।
सोलह संस्कारों के अंतर्गत होने वाले अन्न प्राशन आदि में, सांवा का चावल ( barnyard millet rice ) विशेष रूप से उपयोग में लाया जाता है। मेहमानबाजी में सांवा की खीर के दीवाने हम भारतीय है। जबकि संवा का प्रयोग मीठे और नमकीन दोनों तरह के व्यजनों में होता है।
सांवा क्या है ( what is sanwa millet in hindi )
आयुर्वेद के अनुसार सांवा घास है। जिसके कारण इसको तृण समूह के अन्तर्गत रखा गया है। जबकि ज्यादातर अनाज घास परिवार से ही आते है। लेकिन इनकी विभक्ति के लिए आयुर्वेदाचार्यों ने शूक और शिम्बी नामक दो वर्गों का निर्धारण किया है।
जबकि आधुनिक विज्ञान कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स रखने वाले अनाजों को मिलेट की मान्यता देता है। फिर चाहे वह बारनयार्ड मिलेट हो या कोई और। कुछ लोग बारनयार्ड मिलेट को ही udalu millet कहते है।
बहुत से लोग सांवा को व्रत के चावल मानते है। जिससे कुछ क्षेत्रों में लोग सावा चावल व्रत में खाते है। सामा की प्रसिद्धी जापानी मिलेट और जर्मन मिलेट के रूप में भी है। यह देखने में कुछ क्रीमिस ( मटमैले ) रंग का गोल और कुछ चपटा आकार लिए होता है।
आजकल लोग असंतुलित ग्लूकोज के कारण होने वाली, भीषण बीमारियों से त्रस्त है। जिससे आजकल आहार विशेषज्ञों द्वारा सांवा कोदो को खाने की सिफारिस की जाती है। इसलिए आज के समय में मिलेट को आहार में शामिल करने के 5 कारण को जानना जरूरी है।
सांवा का वैज्ञानिक नाम ( barnyard millet scientific name in hindi )
बारनयार्ड या सांवा का वैज्ञानिक नाम एक्नोकोवा स्कूलेंटा है।
सांवा पोषण मानक ( barnyard millet nutritional value in hindi )
barnyard millet nutritional value per 100g की जाय तो इसमें निम्नलिखित तत्व पाए जाते है –
नियासिन राइबोफ्लेविन थियामिन आयरन कैल्शियम फास्फोरस प्रोटीन खनिज कार्बोहाइड्रेट फाइबर 1.5 0.08 0.31 2.9 0.02 0.28 6.5 4.4 65.5 10
सांवा का ग्लाइसेमिक इंडेक्स ( glycemic index of barnyard millet in hindi )
किसी भी खाद्य पदार्थ में पाए जाने वाले कार्बोहाइड्रेट और फाइबर के अनुपात को ही उस तत्व का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कहा जाता है। सांवा में लगभग 10% फाइबर पाया जाता है। जबकि 65.5% के आसपास कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है।
इस आधार पर दोनों के अनुपात ( C/F) = 65.5/10 = 6.5
यह बहुत ही कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स रखता है। इस कारण मधुमेह आदि रोगों में भी समा के चावल खाने के फायदे है।
सांवा खाने के 7 आश्चर्यजनक फायदे ( 7 barnyard millet benefits in hindi )
सांवा में स्वास्थ्य हितकारी अनेको प्रकार के गुण पाए जाते है। जिनको सांवा के स्वास्थ्यवर्धक फायदे ( health benefits of barnyard millet in hindi ) भी कहा जाता है। जो इस प्रकार है –
लीवर की पूरी तरह से सफाई करता है
सांवा का चावल मुख्य रूप से लीवर की सफाई करता है। जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में सहायता देता है। लीवर को ही आमतौर पर यकृत अथवा कलेजा कहा जाता है। सांवा मुख्य रूप से लीवर पर काम करता है न कि ह्रदय पर।
यकृत हमारे शरीर में निम्नलिखित कार्यों को अंजाम देता है –
- यह बहुत सी चयापचय गतिविधियों को पूरा करता है।
- शरीर के लिए आवश्यक विटामिन डी का भंडारण करता है।
- हमारे शरीर में सभी जैव रासायनिक अभिक्रियाओं को प्रतिभाग करता है, आदि।
आमतौर पर लीवर में गड़बड़ी होने पर यह रोग देखे जाते है –
- पीलिया
- लीवर सिरोसिस
- सभी तरह के वायरल इन्फेक्शन्स को दूर करता है। जैसे – हेपेटाइटिस बी, सी आदि।
- एसिटिस आदि।
इन सभी समस्याओं को दूर करने में सांवा के फायदे है। इसके सेवन से मेटाबोलिक जैसे अनेको तरह के कार्य में आने वाली बाधा दूर होती है।
शरीर के भीतर पाए जाने वाले कोमल अंगो को साफ करता है
सांवा शरीर के भीतर पाए जाने वाले सभी कोमल अंगों की सफाई करता है। जिसमे प्लीहा, गुर्दे, मूत्र थैली, पित्त थैली, पैंक्रियाज जैसे महत्वपूर्ण अंग है। यह हमारे शरीर के वह अंग है। जिनका नियमित रूप से साफ होना जरूरी है।
लेकिन इन अंगों को साफ करने वाले गुण सांवा में स्वाभाविक रूप से पाए जाते है। जिससे इनमे गंदगी नहीं जमने पाती, और अधिक समय तक हम स्वस्थ बने रहते है।
गुर्दे और पित्ताशय की पथरी को निकालता है
वैसे तो गुर्दे और पित्त की थैली में पथरी बनने के बहुत से कारण है। जिसमे से एक प्रमुख कारण बहुत अधिक मात्रा में प्रोटीन और मिनरल आयल का सेवन करना है। जो आजकल हम आप रिफाइंड तेल के रूप में करते है।
इस कारण आजकल पथरी बनने की समस्या आम हो चुकी है। फिर चाहे वह पित्त की थैली में हो, मूत्र पिंड में हो अथवा किडनी में ही क्यों न हो। आमतौर पर किडनी और मूत्राशय, मूत्र पथ आदि की पथरी आसानी से ठीक हो जाती है।
लेकिन पिता की थैली वाली पथरी आसानी से नहीं निकलती। परन्तु सांवा का सेवन करने से पित्ताशय की पथरी ही नहीं बल्कि उसमे जमी हुई गंदगी भी साफ हो जाती है। इसके साथ गुर्दे आदि की पथरी को भी निकाल देती है।
हमारे शरीर के ग्लूकोज को संतुलित रखता है
सांवा में 10% फाइबर पाया जाता है। जिससे यह ग्लूकोज के असंतुलन की समस्या को भी समाप्त करता है। जो आज के समय में बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है। विशेष कर मधुमेह जैसे जीर्ण रोगों में। जो अधिकांश लोगों को पोषण की कमी या अधिकता की स्थिति में होते है।
छोटे बच्चों की भूख बढ़ाता है
यह बच्चों का मनपसंद मिलेट है। जिससे बच्चे इसे जमकर खाते है। दूसरा इसका औषधीय गुण बच्चों की भूख बढ़ाता है। जिससे यह उन बच्चों के लिए विशेष रूप से गुणकारी है। जिनमे भूख नहीं लगती या कम लगती है। जो देखने में पतले दुबले और बेजान से दिखाई पड़ते है।
हमारे शरीर में खून की गुणवत्ता को बढ़ाता है
यह हमारे शरीर में पाए जाने वाले प्लीहा को साफ और स्वस्थ रखता है। जो हमारे शरीर में खून की गुणवत्ता को बनाये रखता है। इस कारण सांवा का सेवन उन लोगों के लिए भी हितकारी है। जिनमे खून की कमी की समस्या है।
यह रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा और उसकी उसकी गुणवत्ता दोनों को बनाये रखता है। जिससे हमारे शरीर में खून की कमी नहीं होने देता। यह sanwa millet benefits है। जो बहुत कम लोगों को पता है।
मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाता है
सांवा चिड़ियों का भी मनपसंद आहार है। जिसके कारण जहाँ सांवा की फसल होती है। वंहा अनेको प्रकार की चिड़िया आती है। जिससे वह अपना पेट तो भरती है। इसके साथ एक पौधे से दुसरे पौधों पर फुदकती हुई, कलरव करती है। जिसकी आवाज कानों को बहुत प्रिय होती है।
इसके साथ यह हमारे खेतों में बीट ( मल त्याग ) करती है। जिसमे अनेको प्रकार के आवश्यक तत्व पाए जाते है। जिनके मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और हमें हर वर्ष पहले से अच्छी पैदावार मिलती है।
सांवा के नुकसान ( barnyard millet side effects in hindi )
जिन लोगों की शुगर लो रहती है। उन्हें सावाँ का सेवन कम करना चाहिए। हालाकिं अन्य पदार्थों की तरह ही समा के चावल के नुकसान और फायदे है। लेकिन आमतौर पर सांवा खाने के फायदे ही है। जिनको barnyard millet health benefits कहा जाता है।
समा के चावल की तासीर कैसी होती है
आमतौर पर सांवा के चावल की तासीर चावल के जैसी ही होती है। अर्थात सांवा मिलेट भी ठंडी तासीर वाला होता है। लेकिन गुणवत्ता में यह चावल से बिलकुल अलग गुण रखता है।
उपसंहार :
सांवा मुख्य रूप से यकृत ( लीवर ) और हमारे शरीर के भीतर पाए जाने वाले सभी कोमल अंगों के सफाई करता है। जैसे – प्लीहा ( स्प्लीन ), पैंक्रियाज, यूरीनरी ब्लैडर, किडनी, पित्ताशय आदि। यह हमारे शरीर के वह महत्वपूर्ण अंग है। जिनके बिना हमारा स्वस्थ रहना संभव नहीं। इनको आजीवन स्वस्थ रखने में सांवा के फायदे है।
सांवा लीवर की बीमारियों को दूर करने के साथ – साथ, भूख बढ़ने, खून की कमी दूर करने, पथरी जैसी समस्याओं में सांवा खाने के 7 आश्चर्यजनक फायदे है। जिनको बार्नयार्ड मिलेट के फायदे कहते है। जो अपने आप में किसी औषधि से कम नहीं है।
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