फर्टिलाइजेशन ओवुलेशन के कितने दिन बाद होता है : fertilization ovulation ke kitne din baad hota hai

महिलाओ में होने वाले फर्टीलाइजेशन को ही, महिला का गर्भ धारण करना कहा जाता है। जो ओवुलेशन के बाद की प्रक्रिया है। जिसकी सफलता महिला में होने वाले ओवुलेशन के लक्षण पर टिकी होती है। जिसके लिए महिला और पुरुष को ओवुलेशन के दौरान यौन सम्बन्ध बनाना होता है। परन्तु सब कुछ होने के बाद भी कई बार महिलाओं में गर्भ नहीं ठहरता। जिसके लिए इनके मन में शंका बनी रहती है कि फर्टिलाइजेशन ओवुलेशन के कितने दिन बाद होता है?

फर्टिलाइजेशन ओवुलेशन के कितने दिन बाद होता है

महिलाओं में ओवुलेशन के दौरान निकलने वाले अण्डों का जीवन 12- 24 घंटों का होता है। अगर इस दौरान पुरुष शुक्राणु महिला के अंडाणु से निकलने वाले अंडे में प्रवेश कर जाता है, अर्थात निषेचित कर देता है। तब महिला गर्भवती हो जाती है। यदि ऐसा नहीं होता तो महिला गर्भ धारण नहीं करती है। इसलिए जो महिलाए गर्भ धरण करना चाहती है। उन्हें यह जानना आवश्यक है कि पीरियड के कितने दिन बाद ओवुलेशन होता है?

हालाकिं जिन लड़कियों और महिलाओं में माहवारी शुरू हो चुकी है। उनमे हर मासिक धर्म चक्र के बीच में कुछ समय के लिए ओवुलेशन होता है। जो सामान्यतः 3 – 5 दिन तक हो सकता है। जिसमे विवाहित जोड़े यदि सम्भोग करे तो महिला के गर्भ रुकने की संभावना सबसे अधिक पाई जाती है। लेकिन इसके यह समझना आवश्यक है कि ओवुलेशन पीरियड क्या होता है और कितने दिन तक रहता है?   

फर्टिलाइजेशन / निषेचन किसे कहते हैं ( What is fertilization in hindi )

निषेचन किसे कहते हैं

महिला को गर्भ धारण करने के लिए जितनी आवश्यकता ओवुलेशन की होती है। उतनी ही आवश्यकता फर्टीलाइजेशन यानी निषेचन की होती है। हालाकिं ओवुलेशन और फर्टीलाइजेशन दोनों ही प्रक्रियाए महिला जननांगों में होती है। बस अंतर केवल इतना है कि ओवुलेशन महिला जननांग की स्वतंत्र प्रक्रिया है। जबकि फर्टीलाइजेशन के लिए पुरुष शुक्राणुओ की अपेक्षा होती है। जिसको न जानने वाले लोग अक्सर सवाल उठाते है कि फर्टिलाइजेशन क्या है?

महिला अंडाणु और पुरुष शुक्राणुओं का आपस में मिलकर, एक हो जाना ही फर्टीलाइजेशन या निषेचन कहलाता है। जो महिलाओं में केवल और केवल ओवुलेशन के दौरान ही होता है। यही कारण है कि महिलाओ के पास हर माहवारी में गर्भ धारण करने की संभावना पाई जाती है। लेकिन बहुत सीमित दिनों के लिए। इसी कारण गर्भधारण करने वाली महिलाओं को जानना आवश्यक हो जाता है कि आखिर प्रेग्नेंट कैसे होते हैं?

फर्टिलाइजेशन / निषेचन कैसे होता है ( where does fertilization occur in hindi )

आमतौर पर महिला में गर्भ ठहरने के लिए दो बातों का होना आवसश्यक है –

  1. ओवुलेशन : महिला जननांग मासिक धर्म चक्र के बीच ( तीसरे चरण ) में, अंडाशय से परिपक्त अण्डों को फैलोपियन ट्यूब में छोड़ती है। सामान्य रूप से महिलाओं का प्रजनन ओवुलेशन चक्र ( fertility ovulation cycle ), लगभग उतने ही दिन का होता है। जितने दिन तक महिला को उसकी माहवारी में रक्तस्राव होता रहता है।   
  2. और फर्टीलाइजेशन : जिसको निषेचित करने के लिए वीर्य में पाए जाने वाले शुक्राणुओं की आवश्यकता फैलोपियन ट्यूब में होती है। जिसकी आपूर्ति तभी संभव है, जब महिला ओवुलेशन के समय अपने पुरुष साथी से यौन गतिविधि को अपनाये। तब जाकर अंडाणु और शुक्राणु का संलयन होता है। जिसे निषेचन कहा जाता है। 

किन्तु सब कुछ सही होने पर भी, अक्सर महिलाए अपनी प्रेगनेंसी को लेकर स्वयं पर भरोसा नहीं कर पाती। क्योकि उनके मन में यह जानने की उत्कंठा होती है कि फर्टिलाइजेशन ओवुलेशन के कितने दिन बाद होता है? 

निषेचन कितने प्रकार का होता है ( types of fertilization in hindi )

आमतौर पर जीवो में निषेचन दो प्रकार का होता है –

आंतरिक निषेचन ( Internal fertilization ) : जब अंडाणु और शुक्राणु महिला ( मादा ) के शरीर के भीतर मिलते है। तब उसे आंतरिक निषेचन कहा जाता है। जो आमतौर पर मनुष्यो, गाय, शेर, बाघ आदि में होता है।

वाह्य निषेचन ( External fertilization ) : वही जब महिला अंडाणु और पुरुष शुक्राणुओं का मिलन मादा के शरीर के बाहर होता है। तब उसे वही निषेचन कहा जाता है। जो जलीय जीव और पादपों में पाया जाता है। जैसे – मछली, मेढक, पुष्प आदि। 

ओवुलेशन के बाद फर्टिलाइजेशन के लक्षण ( signs of fertilization after ovulation in hindi )

ओवुलेशन के बाद फर्टिलाइजेशन के लक्षण

निषेचन क्या होता है को समझने के बाद, बारी आती है फर्टिलाइजेशन के लक्षण को जानने की। क्योकि  निषेचन के बाद के लक्षण में अनेको तरह के सूक्ष्म बदलाव दिखाई पड़ते है। जो फर्टिलाइजेशन के दौरान शुक्राणु का अंडाणु के भीतर प्रवेश होने का परिणाम है। जिसके दौरान महिला में आमतौर पर निम्नलिखित लक्षण दिखाई पड़ते है –

गर्भधारण के लक्षण ( symptoms of conceive in hindi )

तकनीकी तौर पर महिला में निषेचन के सफल होने को ही, महिला का गर्भ धारण करना कहा जाता है। जिसके बाद महिलाओ में गर्भ धारण के लक्षण पाए जाने लगते है। लेकिन कई महिलाओं में पहली और दूसरी बार गर्भधारण के लक्षण एक सामान नहीं पाए जाते। वही कुछ महिलाओं में 3 बार गर्भधारण के लक्षण भी एक जैसे ही होते है। परन्तु अधिकांश मामलों में गर्भधारण करने के लक्षण एक समान होते है।

फर्टीलाइज्ड अंडे से भ्रूण बनने की प्रक्रिया के परिणाम स्वरूप, गर्भधारण के 48 घंटे बाद के लक्षण कुछ इस तरह दिखाई पड़ सकते है। 

  • शरीर में सुस्ती और थकान बनी रहना
  • अधिक भूख लगना या भूख का कम हो जाना
  • चलते समय पैर लड़खड़ाना
  • हल्का बुखार सा लगना
  • पेट में दर्द होना 
  • कमर में दर्द होना 
  • पेट फूले होने का एहसास होना, आदि।  
  • साँस लेने में तकलीफ होना 
  • जल्दी जल्दी पेशाब लगना
  • हाथ और पैर में दर्द होना
  • स्तनों में दर्द होना
  • सिर भारी होना, आदि।    

गर्भधारण करने के बाद के लक्षण ( symptoms after conception in hindi )

कन्सेप्शन के सफल होने पर, महिलाओ में गर्भधारण होने के बाद के लक्षण ( signs after conception ) पाए जाते है। जिनको प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण भी कहा जाता है। ऐसे में आमतौर पर गर्भ धारण करने वाली महिला में निम्नलिखित लक्षण देखे जाते है –

  • बार – बार पेशाब लगना
  • खाने से गंध आना
  • पीरियड मिस होना
  • गला जलना 
  • छाती में जलन होने लगना
  • कब्ज आदि के कारण पेट में दर्द होना
  • भूख कम हो जाना
  • सर में दर्द होना
  • थकान बनी रहना
  • स्तनों में कड़ापन और दर्द होना 
  • नींद अधिक आना
  • अंडर गारमेंट में खून के धब्बे दिखाई पड़ना
  • योनि स्राव होना, आदि।  

ओवुलेशन के बाद गर्भ के आरोपित होने के लक्षण ( implantation symptoms after ovulation in hindi )

महिला के गर्भ धारण करने का सबसे अच्छा समय, उसका ओवुलेशन पीरियड होता है। जिसमे महिला और पुरुष के बीच यौन सम्बन्ध बनने से, महिलाओं के गर्भवती होने की सबसे अधिक संभावना होती है। लेकिन फिर भी नई – नई शादी सुदा लड़कियों में शक बना रह सकता है कि एक बार करने से प्रेग्नेंट होते हैं

ऊपर आरोपण से पहले निषेचन के लक्षण बताये गए है। जो गर्भ में भ्रूण के प्रत्यारोपित होते समय बदल जाया करते है। जैसे –

  • पेट के नीचले हिस्से में मरोड़ वाला दर्द होना
  • योनि स्राव के रूप में खून के धब्बे दिखाई पड़ना
  • जी मिचलाना या घबराहट होना
  • स्तनों में कसाव आना और दर्द होना 
  • भूख न लगना
  • थकान के मारे हाथों पैरों में दर्द होना
  • सर में दर्द होना, आदि।   

महिलाओं में फर्टिलाइजेशन ओवुलेशन के कितने दिन बाद होता है

आमतौर पर महिलाओं की प्रत्येक माहवारी के मध्य में ओवुलेशन होता है। जिसके दौरान महिला जननांग ( अंडाशय ) परिपक्व अण्डों का उत्सर्जन करता है। जिसके फर्टीलाइज्ड होते ही महिला गर्भवती हो जाती है। इस कारण यह समय महिला को गर्भवती कराने वाला है। 

लेकिन महिला तब तक गर्भ धारण नहीं कर सकती, जब तक कि उसका रज ( अंडा ) निषेचित न हो जाय। किन्तु अंडे का निषेचन तभी होगा। जब महिला के ओवुलेशन के समय निकलने वाले परिपक्व अण्डों तक वीर्य ( स्पर्म ) की पहुंच होगी। जो महिला और पुरुष में बिना शारीरिक सम्बन्ध बनाये हो नहीं सकती। जिसको न जानने वाली महिलाए प्रेग्नेंट होने के लिए कब संबंध बनाना चाहिए की बात करती है।

हालांकि ओवुलेशन के दौरान निकला हुआ, महिला का अंडा 12 – 24 घंटों तक जीवित रहता है। लेकिन पुरुष के वीर्य में पाए जाने वाले शुक्राणुओ का जीवन काल, लगभग एक सप्ताह का होता है। इसलिए यदि पुरुष महिला के ओवुलेशन करने के सप्ताह भर पहले से लेकर, ओवुलेशन होने तक सम्बन्ध बनाये तो महिला गर्भ धारण कर सकती है। अर्थात महिला का अंडा पुरुष शुक्राणु से मिलकर फर्टीलाइज्ड हो सकता है। 

क्योकि महिला के अण्डों को फर्टीलाइज्ड करने के लिए, शुक्राणुओ के पास केवल 12 – 24 घंटो का ही समय होता है। इसलिए महिलाओं में फर्टीलाइजेशन ओवुलेशन होने के लगभग 24 घंटों के भीतर ही होता है। जो अधिकतर समय फैलोपियन ट्यूब में होती है। जिसके बाद महिला में फर्टिलाइजेशन के लक्षण ( fertilization symptoms after ovulation ) देखे जाने लगते है। 

फर्टीलाइजेशन के बाद क्या होता है ( What happens after fertilization in hindi )

ज्यादातर समय फर्टीलाइजेशन अंडाशय और गर्भाशय को जोड़ने वाली फैलोपियन ट्यूब में ही होता है। जहाँ भ्रूण लगभग एक से दो सप्ताह तक रहने के बाद, गर्भाशय में प्रत्यारोपित होने के लिए चला जाता है। जहां शिशु विकसित होने लगता है।   

ओवुलेशन ही महिला के गर्भ धारण का सही समय है। जिसमे यौन गतिविधियों से दूरी बनाकर, महिला गर्भवती होने से बच सकती है। लेकिन यह सब कुछ तभी संभव है, जब पुरुष भी महिला का साथ दे। 

लेकिन आजकल अप्राकृतिक तकनीक के द्वारा, महिला शरीर के बाहर निषेचन कराया जाता है। जिसको कुछ दिन तक बाहर विकसित करने के बाद, महिला ( रोगी ) के बच्चेदानी में आरोपित कर दिया जाता है। जहा गर्भाशय में बच्चे का विकास होने लगता है।  

उपसंहार :

दुनिया भर में हर माह लाखों जोड़े बच्चे को जन्म देने की सोचते है। लेकिन ठीक से नहीं जानते कि फर्टिलाइजेशन ओवुलेशन के कितने दिन बाद होता है? जिससे इन जोड़ों को गर्भ धारण की सबसे अधिक संभावनाओं को जानने में भूल हो जाती है। जिससे बचने के लिए हमें यह जानना भी आवश्यक है कि निषेचन किसे कहते हैं और निषेचन कैसे होता है?

हालाकिं यदि महिला सावधान हो तो ओवुलेशन के लक्षणों के समान ही, फर्टिलाइजेशन के लक्षण भी गर्भ धारण करने वाली महिला में देखा जाता है। जिसके दौरान खान – पान आदि में, सावधानी रखने से महिला गर्भवती हो जाती है और स्वस्थ बालक का जन्म होता है।  

सन्दर्भ :

भाव प्रकाश – गर्भ प्रकरण

चरक संहिता शरीर अध्याय – 01 – 08

सुश्रुत संहिता शरीर अध्याय – 01 – 10

FAQ

ओवुलेशन के बाद क्या होता है?

महिलाओं में ओवुलेशन के दौरान शारीरिक सम्बन्ध बनने पर निषेचन की क्रिया होती है। जिसे गर्भ का ठहरना या रुकना कहा जाता है। 

निषेचन क्या है?

ओवुलेशन के दौरान महिला अंडाणु और पुरुष शुक्राणु आपस में मिलकर फर्टीलाइज्ड होते है। जिसको निषेचन कहा जाता है। 

फर्टिलाइजेशन कैसे होता है?

फैलोपियन ट्यूब में जब शुक्राणुओ का संयोजन महिला अंडाणु से होने पर निषेचन हो जाता है।  

निषेचन कहाँ होता है?

निषेचन की प्रक्रिया महिला जननांगों में पूरी होती है। परन्तु महिलाओ में निषेचन गर्भाशय और अंडाशय को आपस में जोड़ने वाली नलिका में होता है। जिसे फैलोपियन ट्यूब कहा जाता है।  

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