मिलेट ( मोटा अन्न ) ऐसा धान्य है। जो सदियों से अनेको संस्कृतियों का मुख्य भोजन रहा है। लेकिन आज की महंगाई और समय के अभाव में, मिलेट का स्थान फ़ास्ट और जंक फ़ूड आदि ने ले लिया है। जोकि पूर्णतया अप्राकृतिक तरीके से प्रसंसकृत करके तैयार किया जाता है। जिनके कारण इस तरह के खान पान को औद्योगिक खाद्य संस्कृति कहा जाने लगा है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या मिलेट महंगा है?
इसमें कोई दो राय नहीं कि मिलेट अनेको प्रकार के आवश्यक और महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर है। जिसके बिना न हम स्वस्थ रह और न सुखी हो सकते है। फिर भी केवल स्वाद, आकर्षक और पका पकाया मिलने के कारण बाजारू खाने को खाते है। बिना यह सोचे कि क्या यह भोजन हमें भविष्य में मजबूती देगा?
आज विज्ञान यह मानने को विवश है कि समय के साथ, सभी प्रकार की जैव कोशिकाए स्वाभाविक रूप से अपघटित होती है। फिर हम मनुष्यों के भीतर भी कुछ इसी तरह की जैव कोशिकाए पायी जाती है। इसलिए अपघटन की क्रिया निश्चित रूप से हमारे भीतर पायी जाती है। जिसको ख़त्म कर पाना केवल और केवल ईश्वर के हाथ में है।
हमारे हाथ में केवल इतना ही है कि हम हमारे अंदर होने वाले, अपघटन की दर को कम कर सकते है। जिसके लिए शुद्ध गाय का घी, बैल चालित घानी का तेल, मिलेट आदि का सेवन करना अत्यंत आवश्यक है। पर जाने क्यों हम इनकी ओर ध्यान न देकर, विभिन्न प्रकार की कंपनियों में तैयार औद्योगिक भोजन को अधिक महत्व देते है।
और अंत में न हम पैसा बचा पाते है और न स्वास्थ्य। क्योकि बाजार में जिस कम्पनी का जितना बड़ा नाम होगा। उसका उत्पाद उतने ही अधिक दाम पर बिकेगा। जिसको खरीदने में पैसा तो खर्च होगा ही। फिर यह कम्पनिया पढ़े लिखे लोगों से और पैसा कमाने के लिए बची खुची कसर को पोषण के नाम पर लूट कर पूरा करेंगी।
लेकिन स्वस्थ के नाम पर हमें खाना धोखा ही पडेगा। क्यों उद्योगों में स्वादिष्ट और आकर्षक चीजों का निर्माण तो किया जा सकता है। लेकिन मिलेट में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले फाइबर, फास्फोरस, खनिज और कैल्शियम आदि को नहीं बनाया जा सकता। इतना सबकुछ होने के बाद भी हमारे आपके मन में होता है कि क्या मिलेट महंगा है?
वास्तव में क्या मिलेट महंगा है ( Really is millet costly )?
आजकल जागरूकता के अभाव और कृषि के पारम्परिक तौर तरीके बदल जाने से, मोटे अनाजों के मांग और पैदावार में कमी आने लगी है। जिसका सबसे बड़ा कारण मोटे अनाजों को औद्योगिक रीति रिवाज से उपजाने में कीमत अधिक आती है। जिससे अक्सर मोटे अनाज हमारे बजट से बाहर हो जाते है।
इसलिए आमतौर पर मिलेट को अक्सर अनदेखा किया जाता है। जबकि मिलेट पोषण का एक ऐसा स्रोत है। जो हमें अनेको तरह से लाभ पहुंचाता है। इसलिए हमें इसे अपने आहार में शामिल करना एक गेम-चेंजर हो सकता है। क्योकि मिलेट विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होने के कारण, समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।
फिर चाहे आप अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देना चाहते हों। पाचन में सुधार करना चाहते हों या स्वस्थ वजन बनाए रखना चाहते हों। मोटे अनाज आपके लिए वरदान है। लेकिन बाजार में मिलेट प्रचलित अन्नों से अधिक कीमती है। जिससे हमारे दिमाग में यह बात आ ही जाती है कि क्या मिलेट महंगा है?
मोटे अनाज अन्य अनाजों की तुलना में एक किफ़ायती विकल्प है। यह न केवल हमारे बजट के अनुकूल है, बल्कि व्यापक रूप से उपलब्ध भी है। जो इसे उन लोगों के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प बनाता है। जो बिना बैंक एफ डी को तोड़े स्वस्थ भोजन खाकर आजीवन निरोगी रहना चाहते हैं।
मोटे अनाजों के महंगे होने का कारण
- मांग की कमी : आजकल लोग औद्योगिक खानपान को ही बढ़ावा दे रहे है। जिसमे सबसे अधिक मांसाहार और जंक एवं फ़ास्ट फ़ूड आदि है। जो हमारे स्वास्थ्य में लिए बहुत ही घातक है। फिर भी इनको प्रचारित किया और करवाया जाता है। जिसका सबसे बड़ा कारण, बड़ी बड़ी कंपनियों को अधिक मुनाफ़ा कमवाना है।
- पैदावार की कमी : आजकल खेती करने के लिए मिट्टी में अनेको तरह के जहरीले रसायनों का प्रयोग किया जाने लगा है। जिससे मिट्टी के उपजाऊ बनाने वाले केचुए मर जाते है। जिसके कारण धीरे – धीरे खेती वाली जमीने ऊसर में बदलने लगती है। जिससे पैदावार में कमी आना स्वाभाविक है। फिर मोटे अनाजों को उपजाने के लिए अप्राकृतिक खाद आदि की जरूरत नहीं पड़ती। परन्तु जिन जमीनों में पहले से कृत्रिम खाद डाली जा चुकी है। उनमे बिना खाद डाले कुछ पैदा भी नहीं होता।
- मोटे अनाजों की खेती न कर पाना : मिलेट के उत्पादन में किसी तरह के जैव रासायनिक खाद और कीट नाशकों की आवश्यकता नहीं पड़ती। जिसके कारण इनको कोई उगाने की सलाह नहीं देता। आखिर दे भी क्यों जब उन्हें ( औद्योगिक घरानों ) इनसे कोई लाभ नहीं। दूसरी ओर बड़ी और व्यापक औद्योगिक कंपनियों के मालिक उद्योगों में खाने – पीने की चीजों का उत्पादन नहीं बंद करना चाहते। फिर चाहे देश और समाज को इसकी कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े।
- शासन तंत्र की दिशाहीनता : किसी भी देश में बिना शासन तंत्र से परामर्श लिए कोई भी चीज नहीं बेची जाती। इसका मतलब जानबूझकर मिलेट आदि को उपजाने के लिए प्रोत्साहित नहीं करती। फिर चाहे वह किसी नहीं देश की क्यों न हो?
मोटे अनाजों के महंगे होने पर भी खाने का कारण
इन सबके बावजूद मिलेट अन्य अनाजों से अधिक पौष्टिक और किफायती होने के कारण लोकप्रिय हो रहा है। इसे आज नई पीढ़ी का अनाज कहकर भी नवाजा जा रहा है। लेकिन उत्पादन में इसकी लागत अधिक होने से इसका मूल्य अन्य अनाजों की तुलना में कुछ अधिक है। फिर आज की महंगाई दर भी अधिक है। इसलिए अक्सर लोग सवाल कर देते है कि क्या मिलेट महंगा है?
मोटा अनाज अपने छोटे गोल दानों और अनोखे स्वाद के लिए जाना जाता है। जिसको खाने से निम्नलिखित फायदे होते है –
- बीमार होने से बचाता है : मोटे अनाजों में वह सभी कुछ पाया जाता है। जो हमें स्वस्थ बने रहने के लिए आवश्यक है। जिससे यह सर्दी – जुकाम से लेकर जीर्ण रोगो जैसे – मधुमेह, कैंसर आदि से हमारा बचाव करता है।
- ग्लूटेन मुक्त है : सभी प्रकार के मोटे अनाज पूरी तरह से ग्लूटेन मुक्त है। जिससे इनका सेवन करने से पेट रोग होने की कोई समस्या नहीं होती। जिससे कारण न हमें कब्ज होती है और न हमारा वजन बढ़ता है। दूसरी ओर इनका सेवन करने से कब्ज मिट जाती है और आजीवन वजन नियंत्रित बना रहता है। इसके साथ यह सीलिएक रोग से पीड़ित लोगों के लिए विशेष रूप से उपकारी है। लेकिन कई बार लोगों के मन में होता है कि क्या मिलेट ग्लूटेन मुक्त है?
- मेधा शक्ति का वर्धन करता है : मोटे अनाजों की विशेषता है कि ये पेट में कब्ज नहीं रहने देते। जिससे हर सुबह हमारा पेट स्वाभाविक रूप से साफ़ होता है। जिसके कारण हमारा ध्यान बढ़ता है और बुद्धि तीक्ष्ण हो जाती है। बोलने की बीमारी नहीं होती।
- लीवर, किडनी और ह्रदय को मजबूत बनाता है : मोटे अनाजों का सेवन करने से लीवर और किडनी में जमी गंदगी साफ़ हो जाती है। जिससे हृदय स्वाभाविक रूप से कुशलता पूरवक अपना कार्य कर पाटा है। जिससे हमारी आयु बढ़ जाती है।
हड्डियों को मजबूती देता है : मिलेट हमारी अस्थियों के भीतर पाए जाने वाले मज्जा को पोषण देता है। जहाँ स्वस्थ रक्त कोशिकाओं का निर्माण होता है। जिससे शरीर में रक्त की कोई कमी नहीं होने पाती। और कैल्शियम एवं फास्फोरस जैसे तत्व हड्डियों को मजबूत अनाये रखते है।
- अलग से किसी सप्लीमेंट की कोई जरूरत नहीं पड़ती : मोठे अनाज में वो सभी आवश्यक और उपयोगी पोषक तत्व पाए जाते है। जिनकी हमारे शरीर को स्वाभाविक रूप से आवश्यकता पड़ती है। जैसे – मल्टीविटामिन, प्रोटीन, प्रोबायोटिक आदि। इस कारण इनका सेवन करने से अमूमन किसी तरह के हेल्थ सप्लीमेंट की जरूरत नहीं रह जाती।
बाजरे की वास्तविक कीमत से आपके स्वस्थ्य की तुलना की जाय तो बहुत कम है। परन्तु अभी भी अधिकांश लोग सत्य से अवगत नहीं है। इस कारण अक्सर सुनने को मिल ही जाता है कि क्या मिलेट महंगा है?
उपसंहार :
आजकल के विज्ञानी अपनी जांच पड़ताल के बाद वही पहुंच रहे है। जिनका वर्णन आयुर्वेद आदि में वर्षों से मौजूद है। अर्थात आज भी आयुर्वेदीय सिद्धांत उतने ही प्रासंगिक है। जितने कि पहले थे। इसकारण आज हम आयुर्वेद्गात सिद्धांतों को मानने के लिए विवश है। इसलिए आधुनिक विज्ञान भी उन्ही तत्वों को मान रहा है। जो आयुर्वेद आदि में वर्णित है।
रह गई बात मोटे अनाजों के महगें होने की तो इसकी मुख्य वजह पैदावार और मांग का कम होना है। लेकिन इनमे पाए जाने वाले पोषक तत्वों का अनुपात और संख्या दोनों अधिक है। फिर भी इनमे फाइबर की अधिक मात्रा पायी जाती है। जिसके कारण इनकी खपत गेहू और चावल की तुलना में लगभग आधी है। इस आधार पर तो यह बिलकुल भी महंगे नहीं है। फिर भी जो लोग मोटे अनाजों का सेवन नहीं करते उनके मन में यह बात आ ही जाती है कि क्या मिलेट महंगा है?
वास्तव में खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता का मूल्यांकन, उसमे पाए जाने वाले गुणों के आधार होना चाहिए न कि केवल पैसों के आधार पर। गुणवत्ता और पोषक तत्वों के आधार पर विवेचना करे तो मिलेट बिलकुल भी महंगा नहीं है। क्योकि आम तौर पर मिलेट को खाने पर, फाइबर और प्रोटीन आदि के लिए अलग से किसी तरह के हेल्थ सप्लीमेंट की आवश्यकता नहीं रह जाती। बजाय देशी घी और दूध के।
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