गर्भावस्था उत्साह, उम्मीद और कई बार अनिश्चितता से भरी हो सकती है। जिसके कारण गर्भिणी स्त्री को अत्यधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। लेकिन जाने अनजाने गर्भवती महिला से अथवा घर – परिवार, नात – रिश्तेदारों के यहाँ ऐसी घटना घट जाती है। जिससे गर्भ धारण की हुई महिला की मनः स्थिति पर, विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। जिसके कारण Pregnancy me रुक रुक के ब्लीडिंग होना की संभावना बन सकती है। इस कारण महिलाओं के मन में अक्सर प्रेग्नेंट होने के बाद भी पीरियड आता है क्या की बात आने लग जाती है।
हालाकिं यह समस्या गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान अधिक देखने को मिलती है। लेकिन बहुत सी महिलाओं को दूसरी तिमाही में, और कुछ गर्भवती माताओं को तीसरी तिमाही में भी यह देखने को मिल सकती है। जो गर्भवती महिला के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जाता। जिसके दौरान इन्हे पेट में मरोड़ और दर्द होने की समस्या भी हो सकती है। जिसको महिलाए प्रेगनेंसी में पीरियड जैसा दर्द होना कहती है।
आमतौर पर स्वस्थ महिला की सामान्य गर्भ की अवस्था में, योनि स्राव ( vaginal discharge ) आदि देखने को नहीं मिलता। इस कारण पीरियड का मिस होना, प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षणों में शुमार किया गया है। लेकिन जब गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान, किसी तरह की शारीरिक अथवा मानसिक वेदना होती है। तब इनमे गर्भस्राव अथवा गर्भपात होने की संभावना पाई जा सकती है। जिसको देखते ही गर्भवती महिला के मस्तिष्क में एक ही सवाल आता है। वह यह कि प्रेगनेंसी में पीरियड आता है क्या?
प्रेगनेंसी में लाल पानी आना क्या है ( pregnancy me lal pani aana kya hai )
गर्भवती महिलाओं को जब किसी कारण वश, वेजाइनल डिस्चार्ज होने लगता है। जिसका रंग लाल या भूरा ( सूखे खून की तरह ) हो सकता है। जिसमे महिलाओं को खून के दाग – धब्बे नहीं, अपितु बहुत तेजी से रुक रुक कर पीरियड जैसी ब्लीडिंग होती है। जिसमे उन्हें अपनी योनि में कपड़ा अथवा सेनेटरी पैड लगाना पड़ता है। जिससे घबरा कर महिलाओ के दिमाग में, एक ही बात आती है कि प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग कितनी होती है?
जो महिला के गर्भ में दाब, आधात ( मानसिक और शारीरिक ) लगने के कारण होता है। जो गर्भवती महिला की असावधानी, पति के साथ संयम न रख पाने एवं खानपान में गड़बड़ी आदि कारण से हो सकता है। इसलिए गर्भवती महिला को अपने गर्भ काल में, उन सभी व्यवहारों से दूर रहने की सलाह दी जाती है। जो उन्हें तनाव और परेशानी पैदा कराने वाली होती है। जिसमे गर्भवती महिला के घर वालों और सगे सम्बन्धियों का सहयोग अपेक्षित होता है। जिसका अनुकूल प्रभाव महिला की गर्भ में, पलने वाले शिशु पर पड़ता है। अर्थात उसका पोषण होता है।
इसके अतिरिक्त अस्थानिक गर्भवस्था में भी प्रेगनेंसी के दौरान ब्लीडिंग देखने को मिल सकती है। जिसका एकमात्र कारण गर्भ का गर्भाशय के बाहर विकसित होना माना गया है। जिसके बढ़ने पर पर्याप्त स्थान के अभाव में, फैलोपियन नलिका आदि फटने का भय बना रहता है। जिसके कारण गर्भवती महिला के योनि से रक्तस्राव हो सकता है। जिसको आमतौर से लोग Pregnancy me रुक रुक के ब्लीडिंग होना कहते है।
महिला गर्भवती कब होती हैं ( mahila garbhvati kab hoti hai )
महिलाओं में गर्भ धारण करने के कुछ निश्चित दिन होते है। जो प्रत्येक मास आने वाले महिला की हर माहवारी में पाए जाते है। जिसके दौरान पति – पत्नी के बीच असुरक्षित संबंध बनने पर, महिला गर्भ धारण कर सकती है। लेकिन कई बार महिलाओं को अपने उस दिनों की जानकारी नहीं होती। जिससे महिलाओं को प्रेग्नेंट होने में दिक्क्तों का सामना करना पड़ सकता है। जिसके लिए महिला को जानने की अपेक्षा होती है, कि प्रेग्नेंट होने के लिए कब संबंध बनाना चाहिए।
जिन दिनों में महिला गर्भ धारण करती है। वह उसका उपजाऊ दिन होता है। जो महिला का पीरियड समाप्त होने के बाद आता है। इसलिए महिला को गर्भवती होने के लिए जानना चाहिए, कि पीरियड ख़त्म होने के कितने दिन बाद गर्भ ठहरता है। ताकि गर्भ धारण की इच्छा वाली महिला, यह जान सके कि महिला प्रेग्नेंट कब नहीं होती है। जिससे वह प्रेग्नेंट न होने पर, अनावश्यक तनाव से बची रहे।
आमतौर पर नव विवाहित जोड़ों में अत्यधिक लगाव होता है। जो महिला के गर्भ ठहरने के बाद भी बना रहता है। लेकिन दोनों में स्पर्श आदि होने से, रोमांचकारी स्थिति बन जाती है। जिसमे विशेषकर पति अपना नियंत्रण खो देते है। जिससे कभी – कभी Pregnancy me रुक रुक के ब्लीडिंग होना देखा जाता है।
प्रेग्नेंट होने पर पीरियड आता है क्या ( pregnant hone par period aata hai kya )
गर्भावस्था के शुरुआती दौर में, हल्का – फुल्का खून या खून के धब्बे आना सामान्य है। जो गर्भाशय में गर्भ के प्रत्यारोपित होते समय देखे जाते है। इस कारण गर्भावस्था में खून के धब्बे सामान्यतः देखे जाते है। जिसमे इतनी अधिक ब्लीडिंग नहीं होती, कि महिला को कपडा या पैंटी लाइनर लगाना पड़ जाए। लेकिन यदि ऐसा होता है तो वह Pregnancy me रुक रुक के ब्लीडिंग होना हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान मासिक दर्द ( Period pain during pregnancy ) बने रहने पर, Pregnancy me रुक रुक के ब्लीडिंग होना पाया जा सकता है। जिसमे अक्सर प्रेगनेंसी में पीरियड जैसा कमर दर्द भी हो सकता है। जिसमे योनि स्राव होने की संभावना अधिकांशतः बनी रहती है। जोकि गर्भावस्था की असामान्यता को दर्शाती है। इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान पीरियड पेन होने पर, बिना समय गवाए अपने चिकित्सा विशेषज्ञ से सलाह लेना चाहिए।
उपसंहार :
Pregnancy me रुक रुक के ब्लीडिंग होना, गर्भवती महिला के लिए अच्छा संकेत नहीं है। जो सामान्य और असामान्य दोनों रूपों में, दर्द के साथ और बिना दर्द के भी हो सकती है। पेट में मरोड़ के साथ प्रेगनेंसी में लाल पानी आना, गर्भवती महिला के प्रसव का भी संकेत हो सकता है। जिन माताओ में का प्रसव समय से पहले हो जाता है। उनमे अक्सर गर्भावस्था के आखिरी तीन महीनों में, रुक – रुक कर ब्लीडिंग देखने को मिल सकती है।
जिसमे यदि बिना थक्का जमा और चमकीला लाल खून निकले तो सामान्य है। लेकिन यदि किसी तरह की बद्बू और थक्केदार जमा हुआ पुराना खून निकले तो यह गर्भपात का भी संकेत हो सकता है। लेकिन थोड़े बहुत पेट दर्द के साथ या बिना दर्द के, शुरुआती प्रेगनेंसी में लाल पानी आना गर्भस्राव हो सकता है। जिसमे अस्थानिक गर्भावस्था, संक्रमण आदि भी शामिल है। इसलिए इन सभी परिस्थितियों में, गर्भवती महिला को शीघ्र विशेषज्ञीय उपचार की आवश्यकता होती है।
हालाकिं प्रेगनेंसी के आख़िरी तिमाही में, अधिक भार उठाने और आगे झुकने आदि कारणों से ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है। जबकि प्रेगनेंसी के शुरुआती तिमाही में खाने पीने में गड़बड़ी आदि को ब्लीडिंग का मुख्य कारण माना जाता है। जबकि बीच की तिमाही में आहार और दिनचर्या आदि के साथ, भावात्मक संवेदना को इसका प्रबल कारण माना जाता है। जबकि आयुर्वेद में पूरी गर्भावस्था के दौरान, तीनों तिमाहियों में पायी जानी वाली विसंगतियों को दूर करने की बात कही गई है। जो Pregnancy me रुक रुक के ब्लीडिंग होने का कारण हो सकती है।
सन्दर्भ :
चरक संहिता शरीर अध्याय – 02, 04, 08
सुश्रुत संहिता शरीर अध्याय – 04, 10
सुश्रुत संहिता निदान अध्याय – 08
वाग्भट्ट अष्टांग ह्रदय शरीर अध्याय – 02
भाव प्रकाश – गर्भ प्रकरण