शुगर में चावल खाना चाहिए या नहीं sugar me chawal khana chahiye ya nahi

आजकल चावल हम सभी के भोजन का प्रमुख हिस्सा है। परन्तु चावल में स्वाभाविक रूप से लगभग सर्वांश भाग कार्बोहाइड्रेट का पाया जाता है। जबकि रेशा या फाइबर लगभग नहीं पाया जाता। जिससे चावल को उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स ( high glycemic index ) वाला खाद्य पदार्थ माना गया है। जो शुगर के मरीजों के लिए बिलकुल भी अच्छा नहीं माना जाता। इस कारण अक्सर शुगर रोगियों में संशय बना रहता है कि शुगर में चावल खाना चाहिए या नहीं।

शुगर में चावल खाना चाहिए या नहीं

आमतौर पर उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले भोज्य पदार्थों का पाचन होने पर, अचानक बहुत अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट सीधे ग्लूकोज ( शर्करा ) में बदल जाता है। जिससे आंते मजबूरी वश अतिरिक्त शर्करा को अवशोषित कर, हमारे खून में मिला देती है। जबकि हमारे शरीर में शर्करा की आवश्यकता, हमारे शरीर में पाए जाने वाले रक्त का लगभग एक ग्राम प्रति लीटर होती है। इसकारण चावल खाने पर कुछ समय के लिए स्वस्थ व्यक्ति में भी रक्त शर्करा बढ़ने की संभावना पायी जाती है।

आमतौर पर नियमित चावल का सेवन करने वाले लोगो में, शुगर होने के लक्षण पाए जाने की प्रायिकता बढ़ जाती है। फिर डायबिटीज ( diabetes ) की बीमारी में तो रक्त शर्करा का स्तर वैसे ही बढ़ा हुआ होता है। जिसमे चावल खाने पर अतिरिक्त रक्त शर्करा बढ़ने का खतरा और भी अधिक बढ़ जाता है। इसलिए शुगर से पीड़ित लोगों को यह जान लेना आवश्यक है कि शुगर में चावल खाना चाहिए कि नहीं।

शुगर क्या होता है ( sugar kya hota hai )?

आमतौर पर ब्लड में शुगर ( चीनी ) की मात्रा का बढ़ जाना ही डायबिटीज कहा जाता है। परन्तु आयुर्वेद के अनुसार मेह ( प्रमेह ) की समय पर चिकित्सा न करने से। जिनके प्रमेह में मधु के समान मीठा मूत्र होता है और शरीर मधुर ( शरीर में पाया जाने वाला खून मीठा ) हो जाता है। मधुमेह या डायबटीज ( diabetes ) अथवा ब्लड शुगर कहलाता है।    

आधुनिक चिकित्सानुसार मधुमेह को चयापचय विकार ( metabolic disorder ) माना जाता है। जो हमारे शरीर के कार्बोहाइड्रेटेट, वसा और प्रोटीन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों के प्रसंस्करण और वितरण को नकारात्मक रूप से बदल देता है। अमूमन इन विकारों के होने की संभावना तब अधिक हो जाती है। जब शरीर में असामान्य रासायनिक प्रतिक्रियाएं सामान्य चयापचय प्रक्रिया को बदल देती है।

चयापचय के मुख्य दो भाग  हैं – 

अपचय – भोजन से कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा को तोड़ने की प्रक्रिया है। जिससे ऊर्जा निकलती है।

उपचय – वह प्रक्रिया है। जो निकली हुई ऊर्जा का उपयोग कोशिकाओं, ऊतकों आदि के निर्माण, मरम्मत और विकास के लिए करती है।

स्वस्थ व्यक्ति का शुगर कितना होना चाहिए

जिन व्यक्तियों का ब्लड शुगर लेवल खाना खाने के पहले ( फास्टिंग ) 80 – 110 mg/dl और खाना खाने के बाद 140 – 180 mg/dl होता है। उन्हें स्वस्थ या मधुमेह मुक्त माना जाता है। जबकि इससे अधिक ब्लड शुगर लेवल पाए जाने पर, उसे मधुमेह का रोगी कहा जाने लगता है।

जिसमे कही न कही चावल की भी भागीदारी होती है। क्योकि आज हम जो भी खाते है। उनमे चावल जैसे हाई इंडेक्स फ़ूड शामिल है। इसलिए शुगर में चावल खाना चाहिए या नहीं को जानना और भी महत्वपूर्ण है।   

शुगर क्यों बढ़ती है?

आजकल पूरी दुनिया में लगभग एक जैसा ही खानपान है। जिसमे आमतौर पर हम उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली चीजों को खाते है। जिसमे सबसे अधिक कार्बोहाइड्रेट यानी शर्करा पायी जाती है। जो हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है। जिसको पचाने के लिए इन्सुलिन की आवश्यकता पड़ती है। जो हमारे अग्नाशय में स्रावित होता है।

किन्तु जब हम बार – बार खाना खाते है या मुँह झूठा करते है। तब हमारे अग्नाशय को शर्करा ( ग्लूकोज ) पचाने ( खून में मिलाने ) के लिए इन्सुलिन स्रावित करना पड़ता है। ऐसा प्रतिदिन लगातार करने से अग्नाशय की क्षमता धीरे – धीरे कम होने लगती है। जिससे हमारे शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध ( insulin resistance ) की परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है।

पर कुछ लोगों में स्वाभाविक रूप से इन्सुलिन नहीं बनने पाता। जिसके फलस्वरूप हमारे शरीर का ब्लड शुगर नॉर्मल रेंज को पार कर जाता है। जो रक्त परीक्षण के दौरान हमारे खून में बढ़ा हुआ दिखाई पड़ता है।    

शुगर के लक्षण 

शुगर के लक्षण 

हालाकिं चावल बहुत से रोगों में उपयोगी है। लेकिन तभी तक जब तक कि हमारे शरीर में शुगर के लक्षण न पाए जाए। लेकिन हमारे शरीर में रक्त शर्करा के बढ़ने पर निम्नलिखित लक्षण देखे जाते है –

  • मूत्र में शर्करा (sugar ) का पाया जाना
  • बार – बार भूख और प्यास लगना
  • थकान होना
  • वजन का कम होते जाना
  • आँखों से धुंधला दिखाई पड़ना
  • घावों का जल्दी न भरना
  • बार – बार पेशाब लगना
  • यौन अक्षमता
  • चक्कर आना
  • त्वचा संक्रमण आदि।

क्या शुगर में चावल खा सकते हैं?

आमतौर पर शुगर तब अपना प्रभाव दिखाता है। जब यकृत से निकलने वाले इन्सुलिन की मात्रा कम या खतम हो जाती है। यह समस्या आमतौर पर तब खड़ी होती है। जब हम बिना पचे ही भोजन कर लेते है। जिससे उपजती है पाचन समस्या। इसलिए शुगर में चावल खाना चाहिए या नहीं को जानने में ही समझदारी है। 

चावल में लगभग 80 प्रतिशत कार्ब ( कार्बोहाइड्रेट ) पाया जाता है। जिसको खाने पर हमारे पेट में इसका पाचन एकाएक हो जाता है। अर्थात पूरा का पूरा कार्ब चीनी ( ग्लूकोज आदि ) में परिवर्तित हो जाता है। जिससे दो तरह की समस्या खड़ी हो जाती है 

  1. अचानक से बहुत सी ऊर्जा ( ग्लूकोज ) उत्पन्न हो जाता है।
  2. हमें बहुत जल्दी भूख लग जाती है। 

जिससे मजबूरी वश हमें भूख को मिटाने के लिए खाना खाना ही पड़ता है। जिसका पाचन होने पर पुनः वही दो समस्याए सामने आती है। जिससे शरीर पर अतिरिक्त शर्करा का बोझ बढ़ने लगता है। जिसको सामान्य करने के लिए पहले से भी अधिक मात्रा में इन्सुलिन की आवश्यकता पड़ती है।

लेकिन हमारा शरीर अग्नाशय से अब और अधिक इंसुलिन का उत्सर्जन नहीं कर पाता। जिसके फलस्वरूप हमारा ब्लड शुगर लेवल धीरे – धीरे बढ़ना शुरू हो जाता है। और एक दिन बढ़कर डायबिटीज आदि में बदल जाया करता है। 

शुगर में चावल खाना चाहिए कि नहीं 

फिर हमारा अग्नाशय एक निश्चित अनुपात में ही इन्सुलिन को स्रावित कर सकता है। लेकिन बिना इन्सुलिन के चीनी का उपयोग हमारी कोशिकाए नहीं कर सकती। जबकि चावल में तो चीनी ही चीनी भरी होती है। जिसका उपयोग न होने पर इसका हमारे रक्त में मिलना तय है। जिससे फिर ब्लड शुगर बढ़ने के साथ – साथ गाढ़ा होना भी तय है। इसलिए हम सभी का हित शुगर में चावल खाना चाहिए या नहीं को जान लेने में ही है।

जबकि बहुत से ऐसे कारण है। जिससे इन्सुलिन की मात्रा और गुणवत्ता दोनों प्रभावित होती है। जैसे –

  • भरपूर नींद न लेना 
  • कम पोषण वाला खाना खाने से
  • पेट रोग का होना
  • चिंता ( anxiety ) या बेचैनी होना
  • पेट साफ न होना, आदि। 

आमतौर पर यह सब ऐसी समस्याए है। जिनसे आज की भागदौड़ में दो – दो हाथ करना ही पड़ता है। फिर चावल में तो स्वाभाविक रूप से चीनी पाई जाती है। जिसको चावल से नहीं निकाला जा सकता है। बल्कि एक ही उपाय है कि शुगर में चावल खाना चाहिए या नहीं को जान समझ लेना है। और अपने भोजन को सयंमित रखना आदि। 

शुगर में चावल खाना चाहिए या नहीं 

शुगर में चावल खाना चाहिए कि नहीं 

फिर भी हम सभी चावल का ही उपयोग भोजन के तौर पर अधिक करते है। चाहे मजबूरी में करे, जानबूझकर करें या अनजाने में। आज नहीं तो कल परिणाम तो आपको ही भुगतना है। इसलिए आयुर्वेदीय सिद्धांतों के अनुरूप जानना आवश्यक है कि शुगर में चावल खाना चाहिए या नहीं।

आमतौर पर भारत सहित दुनियाभर के देशों में, व्रीही धान की प्रजातियों को ही अधिक उपजाया और खाया है। जिसे आजकल हम सफेद चावल के नाम से जानते है। जिसमे स्वभाव से 75 – 85% कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। जिसको खाने से ब्लड शुगर ( Blood Sugar ) के बढ़ने की संभावना बनी रहती है।

पहले के समय में हाथ से धान को कूटकर चावल निकाला जाता था। जिसमे आधे से एक प्रतिशत तक फाइबर पाया जाता था। लेकिन अब धान से चावल निकालने के लिए मशीनों का प्रयोग होने लगा है। जिससे चावल के ऊपरी सतह में पाया जाने वाला डायट्री फाइबर, पोलिस आदि के नाम पर निकाल लिया जाता है। जिससे चावल में बचती है तो केवल और केवल चीनी।

अब भला चीनी खाकर कौन शुगर से बच सकता है – कोई भी नहीं। जबकि शुगर रोगियों के लिए चीनी बहुत ही हानिकारक है। तो सवाल यह उठता है कि मधुमेह में चावल खाना चाहिए या नहीं। तो इसका एक ही उत्तर है कि मधुमेह रोगियों को चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। विशेषकर सफेद चावल का। 

निष्कर्ष :

मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए चावल शत्रु है या मित्र। इसका पता लगाना अति आवश्यक है। क्योकि चावल में स्वाभाविक रूप से 80 प्रतिशत के आस पास कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। जो पाचन के उपरांत पूर्णतया ग्लूकोज ( शर्करा ) में परिवर्तित हो जाता है। जिसको पचाने के लिए इन्सुलिन की आवश्यकता पड़ती है। 

जबकि मधुमेह रोगियों में अग्नाशय से इन्सुलिन बहुत ही कम मात्रा में स्रावित हो पाता है। जिससे यह जानना और भी महत्व का हो जाता है कि शुगर में चावल खाना चाहिए या नहीं। आमतौर पर चावल को धान से ही प्राप्त किया जाता है। जिसके आज हमारे पास दो साधन है – पहला हाथ से कूटकर और दूसरा मशीन से कूटकर। 

परन्तु डायबिटीज रोगियों में तो पहले से ही शुगर बढ़ा होता है। फिर चावल खाने से उसके और भी अधिक बढ़ने की संभावना पायी जाती है। ऐसा करने पर मधुमेह असाध्य हो सकता है या और भी अधिक गंभीर समस्याए पैदा कर सकता है।

उद्धरण : 

  • भाव प्रकाश धान्यवर्ग
  • चरक संहिता चिकित्सा अध्याय 
  • सुश्रुत संहिता
  • अष्टांग संग्रह
  • अष्टांग हृदय
  • योगरत्नाकर उत्तरार्धगत प्रमेह और मेह चिकित्सा
  • भैषज्य रत्नावली अध्याय – 38

FAQ

शुगर पेशेंट को चावल खाना चाहिए या नहीं।

डायबिटीज के लिए चावल बहुत ही घातक है। फिर चाहे वह type-1 वाला डायबटीज हो अथवा type-2 वाला। इसलिए डायबिटीज के रोगियों को चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। 

शुगर पेशेंट को चावल कितना खाना चाहिए?

आमतौर पर शुगर के मरीजों को चावल खाने से हमेशा बचना चाहिए। विशेषकर सफेद चावल से। किन्तु चावल खाये बिना न रहा जाय तो रक्त शाली ( सम्पूर्ण लाल चावल ) का ही उपयोग करना चाहिए। वो भी बहुत ही सीमित मात्रा में।

6 thoughts on “शुगर में चावल खाना चाहिए या नहीं sugar me chawal khana chahiye ya nahi”

Leave a Comment