शुगर में कौन सा चावल खाना चाहिए sugar me konsa chawal khana chahiye

आमतौर पर सफेद चावल में कार्बोहाइड्रेट ही अधिक पाया जाता है। जिसका पाचन होने पर यह बहुत तेजी से ग्लूकोज ( शर्करा ) में बदल जाया करता है। जबकि शुगर रोगियों के रक्त में पहले से ही शर्करा अधिक होती है। जिससे मधुमेह रोगियों को चावल से परहेज करने की सलाह दी जाती है। परन्तु आयुर्वेद में कुछ चावलों की ऐसी प्रजाति बताई गई है। जिनका सेवन डायबिटीज आदि में भी किया जा सकता है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर शुगर में कौन सा चावल खाना चाहिए।

शुगर में कौन सा चावल खाना चाहिए

आमतौर पर ब्लड शुगर बढ़ने की दशा में, लोग तीन मुख्य कारको पर ध्यान देना शुरू कर देते है। चावल, चीनी और आलू से परहेज करने लगते है। जो आधुनिक खाद्य प्रणाली में हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ माने गए है। परन्तु आज हमारे पास जो भी खाने पीने की चीजे उपलब्ध है। सब में ब्लड शुगर को बढ़ाने वाले अवयव पाए ही जाते है। परन्तु अकसर यह देखने में आता है। जो लोग बार – बार खाते – पीते रहते है या चावल जैसे पदार्थों का उपयोग अधिक करते है। उनमे शुगर होने की प्रबल संभावना पाई जाती है। ऐसे में लोगो के मन में शंका बनी रहती है कि शुगर में चावल खाना चाहिए या नहीं

आयुर्वेद में धान्यों के 5 प्रभेद बताये गए है। जिसमे चावल को शालि, व्रीही और शूक आदि वर्गों में वर्गीकृत किया गया है। लेकिन आजकल कुछ लोग तृण धान्य को भी चावल की मान्यता देते है। जिसके कारण देश, काल और ऋतु के अनुसार चावल की अनेको प्रजातियां पाई जाती है। प्रायः दुनियाभर के सहित भारत में दो तरह के चावल उगाये जाते है। पहला व्रीही और दूसरा शालि चावल।जिसमे व्रीही वर्षा काल में उगाया जाता है। जो अक्सर सफेद रंग का होता है। फिर चाहे इसके कितने भी प्रभेद क्यों न हो।

 क्या शुगर में चावल खा सकते हैं?

वही शालि चावल व्रीही से श्रेष्ठ गुण वाले होते है। जिन्हे रक्तशाली, महाशाली, कलम, पाण्डुक आदि नामों से जाना जाता है। जबकि दुनिया भर में बहुतायत सफेद चावलों की ही खेती की जाती है। जिसमे कृष्ण व्रीही ( काले चावल ), पाटल, कुक्कुटांडक, शालामुख और जतुमुख आदि प्रमुख है। 

किन्तु कृष्णव्रीही और शालामुख चावलों का रंग काला एवं जतुमुख का रंग लाल होता है। बाकी के जितने प्रभेद है सबका रंग सफेद ही होता है। जिसके कारण आमतौर पर, इन्हे सफेद चावल ही कहा जाता है। जिनको खाने से ब्लड शुगर बढ़ने की संभावना पाई जाती है। जिससे यह जानना आवश्यक है कि शुगर वालों को कौन सा चावल खाना चाहिए और कौन सा नहीं?

आमतौर पर वर्षा काल में जितने भी चावल उगाये जाते है। लगभग सबका रंग सफेद ही होता है। फिर चाहे उसका आकार और सुगंध अलग – अलग क्यों न हो। फिर जितनी भी हाई इंडेक्स वाली खाद्य वस्तुए है। उनका रंग भी सफेद ही होता है। इस कारण बाजार में मिलने वाली अक्सर मीठी चीजे सफेद रंग की ही होती है। फिर चाहे वह मैदा हो, चीनी हो, सूजी हो या गेहू ही क्यों न हो। आखिर सबका रंग सफेद ही तो है। 

अक्सर सफ़ेद रंग की खाने पीने वाली चीजों में मीठापन स्वाभाविक रूप से पाया जाता है। फिर चाहे वह कार्बोहाइड्रेट हो, ग्लूकोज हो अथवा अन्य कोई मीठी चीज क्यों न हो। फिर सवाल यह उठता है कि शुगर के मरीज को कौन सा चावल खाना चाहिए?

शुगर में कौन सा चावल खाना चाहिए ( sugar me konsa chawal khana chahiye )

sugar me konsa chawal khana chahiye

आजकल लोगों में आम धारणा यह है कि काला चावल और लाल चावल शुगर फ्री चावल है। लेकिन यह पूर्ण सत्य नहीं है। क्योकि शालि चावलों का रंग लाल आदि रंगो का होता है। जो अक्सर अगहन के महीने में पककर तैयार होते है। जो अक्सर सफेद न होकर कुछ पीले, मटमैले, काले अथवा लाल रंग के होते है। फिर भी इसमें कार्बोहाइड्रेट पाया ही जाता है। तो फिर मधुमेह में इन्हे कैसे खाया जा सकता है। 

जबकि व्रीही चावलों का रंग भी काला और लाल होता है। जो अक्सर वर्षा काल में पककर तैयार होते है। इनमे अंतर केवल इतना होता है कि शालि चावल पूरा लाल होता है। जबकि व्रीही चावलों की केवल ऊपरी परत ही रंगीन होती है। लेकिन इसमें भी कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। फिर इसको खाने से भी शुगर बढ़ने के आसार बने रहते है। तो आखिर डायबिटीज में कौन सा चावल खाना चाहिए

परन्तु मधुमेह रोगियों में रक्त शर्करा का स्तर पहले ही बढ़ा रहता है। जिसको खाने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ना तय है। फिर शुगर में कौन सा चावल खाना चाहिए? आमतौर जो लोग डायबिटीज से पीड़ित है। उन्हें ऐसे चावल ( खाद्यों ) खाने चाहिए। जिससे ब्लड शुगर के लक्षण में कमी दिखे। जैसे –

  • रक्त में शर्करा की स्थिति न बिगड़े
  • बार – बार भूख, प्यास और मूत्र का वेग न आये
  • बल और मांस क्षीण न हो ( शरीर कमजोर न पड़े ), आदि।   

शुगर पेशेंट को कौन सा चावल खाना चाहिए

शुगर पेशेंट को कौन सा चावल खाना चाहिए

व्रीही धान्य ( सफेद चावल ) को खाने से, ब्लड शुगर लेवल ( blood sugar level ) बढ़ने की संभावना बनी रहती है। जिसका एकमात्र कारण इसमें बिना / बहुत कम फाइबर के बहुत अधिक कार्बोहाइड्रेट का पाया जाना है। इसलिए आयुर्वेद में सफ़ेद चावल न खाना शुगर को जड़ से खत्म करने के उपाय माने गए है। जो बहुत हद तक सही है और कारगार है। तो आखिर शुगर में कौन सा चावल खाना चाहिए?

जबकि शालि धान्य वर्ग में जितने भी चावल है। सब के सब व्रीही धान्य से श्रेष्ठ गुण वाले है। जिनका सेवन करने से ब्लड शुगर नार्मल रेंज ( blood sugar normal level ) में बना रहता है। इसके साथ मूत्रादि के वेग को भी नियंत्रित रखता है। और शरीर को आवश्यक बल भी प्रदान करता है।

परन्तु फिर भी तकनीकी रूप से चावल में कार्बोहाइड्रेट और फाइबर का अनुपात बहुत न्यून होता है। जिससे शुगर में चावल खाने से ब्लड शुगर लेवल अक्सर बढ़ जाता है। इसलिए शुगर के रोगी को चावल से परहेज करना ही उचित है। परन्तु कुछ लोगो को चावल इतना पसंद होता है कि बिना चावल के इनका पेट ही नहीं भरता। तो फिर मधुमेह में कौन सा चावल खाना चाहिए?

जिनके लिए चावल खाना मजबूरी है। तो उन्हें व्रीही ( सफ़ेद चावलों ) के स्थान पर शाली ( रक्तशाली, महाशाली आदि ) अर्थात पूरे लाल रंग के चावलों का प्रयोग करना चाहिए। परन्तु बहुत ही सीमित मात्रा में।    

निष्कर्ष :

आयुर्वेदानुसार पांच धान्यों में दो धान्यों की प्रजाति चावल की बताई गई है। जिसमे मुख्यतौर पर शालि और व्रीही का वर्णन है। परन्तु समस्त आयुर्विदों के अनुसार शालि धान्य व्रीही से उत्तम गुणों वाला है। अतः शुगर आदि रोगों में शालि धान्य की समस्त प्रजातियों से बने चावल का प्रयोग करना हितकारी है। लेकिन आयुर्वेदज्ञों ने हाथ द्वारा मूसर और खली की मदद से कूटकर ही शालि चावलों को खाना उचित माना है। न कि मशीनीकरण कर धान से निकाले गए चावल को।  

आजकल बाजार में जितने भी चावल पाए जाते है। उनमे से अधिकांश सब के सब सफेद चावल ही है। हालांकि शालि और व्रीही दोनों प्रकार के धान्यों की अनेको नस्ले पाई जाती है। जिनकी पहचान प्रायः हम सभी को नहीं होती। फिर बाजारवाद के दौर में अधिक मुनाफ़ा कमाने के चक्कर में, झूठ का सहारा भला कौन नहीं लेता। ऐसे में अक्सर हमसे शालि और व्रीही दोनों प्रजातियों में भेद कर पाना अत्यंत कठिन हो जाता है। 

परन्तु कुछ ऐसे उपाय है। जिनके माध्यम से दोनों में भेद किया जा सकता है। जैसे रक्त शालि और लाल व्रीही दोनों के चावल लाल रंग के होते है। लेकिन दोनों में भेद ये होता है कि व्रीही धान्य का केवल ऊपर हिस्सा ही लाल होता है। जबकि शालि धान्य व्रीही की तुलना में कम लाल होता है। किन्तु पूरा लाल होता है। इसी प्रकार काले आदि रंग का भी चावल होता है। परन्तु इन्हे खरीदते समय सावधानी अपेक्षित है।   

उद्धरण :

  • भाव प्रकाश धान्यवर्ग
  • चरक सूत्र अध्याय -25
  • चरक संहिता चिकित्सा अध्याय – 6
  • माधव निदान अध्याय – 
  • सुश्रुत संहिता चिकित्सा अध्याय – 11
  • अष्टांग संग्रह चिकित्सा अध्याय – 
  • अष्टांग हृदय चिकित्सा अध्याय – 12
  • योगरत्नाकर उत्तरार्धगत प्रमेह और मेह चिकित्सा
  • भैषज्य रत्नावली अध्याय – 38

FAQ

चावल में शुगर की मात्रा कितनी होती है?

आमतौर में बाजार में मिलने वाला चावल मशीन से कूटकर निकाला जाता है। जिसमे उसके वजन का लगभग 80% कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। जो पाचन के उपरांत ग्लूकोज ( शर्करा ) में बदल जाता है। जिसे आमतौर पर हम शुगर के नाम से जानते है। 

डायबिटीज में चावल खाना चाहिए या नहीं 

ऐसे डायबिटीज के रोगी जिनको चावल खाना पसंद होता है। वो अक्सर शुगर के मरीज को चावल खाना चाहिए या नहीं के उलझ फेर में फसे रहते है। जबकि वास्तव में डायबिटीज रोगियों को व्रीही चावल खाने से बचना चाहिए।  

डायबिटीज में चावल खा सकते हैं?

डायबिटीज में चावल खाना बहुत ही खतरनाक है। इसकारण मधुमेह रोगियों को चावल खाने से परहेज करना चाहिए।

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