आमतौर पर मौसमी का स्वाद मीठा या खट्टा होता है। लेकिन शुगर की बीमारी में रक्त शर्करा स्वाभाविक रूप से बड़ी हुई होती है। जिससे शुगर के बढ़ने की संभावना बनी रहती है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि शुगर में मौसमी का जूस पीना चाहिए या नहीं।
सामान्यतया चावल स्वाद में मीठा न होने पर भी उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स रखता है। जिसका एकमात्र कारण है iअधिकाधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट का पाया जाना। जिसको खाने से शुगर के बढ़ने की प्रबलता पायी जाती है। जिससे शुगर रोगियों में आशंका बनी रहती है कि शुगर में चावल खाना चाहिए या नहीं।
मौसमी नींबू की प्रजाति का फल है। जो प्रायः तासीर में ठंडा होता है। इसलिए यह स्वाभाविक रूप से कफ सम्बन्धी रोगों को उत्पन्न करता है। जबकि आयुर्वेद में 10 प्रकार के कफज प्रमेह बतलाये गए है। जिसको खाने से प्रमेह के भड़कने की पूरी संभावना बनी रहती है। इसलिए डायबिटीज में मौसमी का जूस पीना चाहिए या नहीं जानना आवश्यक है।
मौसमी के गुण
मौसमी के रस में साइट्रिक अम्ल और विटामिन सी पाया जाता है। जो हमारे शरीर के आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। जिससे हमारी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के साथ – साथ हड्डियां भी मजबूत होती है। परन्तु स्वाद मीठा होने से यह भय बना रहता है कि मधुमेह में मौसमी का जूस पीना चाहिए या नहीं।
आयुर्वेद में मौसमी के निम्नलिखित गुण बताये गए है –
- यह दीपन, पाचन, चक्षुष्य, हृद्य, किंचित उष्ण एवं कफ कारक होता है।
- पित्त और वात जन्य ज्वर का नाश करता है।
- तृष्णा को समाप्त करता है।
- प्रतिश्याय रोग में लाभकारी है।
- भूख और प्यास को मिटाता है।
क्या शुगर में मौसमी का जूस पीना चाहिए या नहीं
आमतौर पर मधुमेह रोगी मौसमी का स्वाद मीठा होने से, इसका सेवन करने से बचते है। लेकिन सामान्यतया मौसमी का स्वाद खट्टे के साथ मिठास लिए होता है। जो ग्लूकोज या सुक्रोज न होकर फ्रटोज कोटी का होता है। जिससे शुगर रोगी आसानी से मौसमी का सेवन कर सकते है। परन्तु अक्सर लोगों का भ्रम होता है कि शुगर में मौसमी का जूस पीना चाहिए कि नहीं।
आयुर्वेद में 20 प्रकार के प्रमेहों की चर्चा है। जिसमे से 10 कफज, 6 पित्तज और 4 वातज प्रमेह है। परन्तु मौसमी आमतौर पर कफज रोगो का कारक है। लेकिन वात और पित्त रोगों में लाभदायक है। जिसके कारण मौसमी डायबिटीज रोग में भी फायदेमंद है।
शुगर पेशेंट को मौसमी का जूस पीना चाहिए या नहीं
फिर मौसमी में विटामिन सी पाया जाता है। जो हमारी प्रतिरोधक क्षमता को बनाये रखने में अत्यंत गुणकारी है। इसके साथ इसमें अन्य कई तरह के एंजाइम पाए जाते है। जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में मददगार होते है। जिसको न जानने वाले लोग इस फेर में फसे रहते है कि शुगर में मौसमी का जूस पीना चाहिए कि नहीं।
मौसमी में जो शर्करा पायी जाती है। वह सुक्रोज और ग्लूकोज न होकर फ्रटोज वाली शर्करा होती है। जो तब बनती है। जब दो मोनोसैकेराइड ग्लाइकोसिडिक लिंकेज द्वारा जुड़ते है। जिससे इस कोटि की शर्करा को डबल शुगर कहा जाता है। जो अक्सर फल आदि में पायी जाती है। जिसे फ्रूट शुगर के नाम से भी जाना जाता है।
इतना ही नहीं मौसमी के फल में फाइबर पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। जो शुगर रोगियों की क्षीण हुई पाचन क्षमता को सुदृढ़ करता है। जिससे डायबिटीज रोगियों में क्षय हुई धातु और बल को पुष्ट करता है। इस कारण शुगर रोग में मौसमी का सेवन किया जा सकता है। लेकिन कफज प्रकृति के व्यक्तियों को इसे संभल कर ही लेना चाहिए।
निष्कर्ष :
मौसमी का जूस ऋतु और शरीर दोष के अनुसार ही लेना उपकारी है। जैसे कफ प्रवृति के लोगों के लिए मौसमी ग्रीष्म ऋतु में लाभप्रद है। लेकिन अन्य ऋतुओ में हानिप्रद हो सकता है। जबकि वात एवं पित्त प्रकृति के लोगों के लिए लगभग सभी ऋतुओ में गुणकारी है।
शुगर रोग में मौसमी का जूस पीने से लाभ होता है। जिसमे मुख्य रूप से हमारी प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है। फिर इसमें पाया जाने वाला फाइबर हमारी पाचन क्षमता को मजबूती देता है। जिसकी आवश्यकता आमतौर पर शुगर के मरीजों में बनी रहती है।
उद्धरण:
- भाव प्रकाश धान्यवर्ग
- चरक सूत्र अध्याय -25
- चरक संहिता चिकित्सा अध्याय – 6
- माधव निदान अध्याय –
- सुश्रुत संहिता चिकित्सा अध्याय – 11
- अष्टांग संग्रह चिकित्सा अध्याय –
- अष्टांग हृदय चिकित्सा अध्याय – 12
- योगरत्नाकर उत्तरार्धगत प्रमेह और मेह चिकित्सा
- भैषज्य रत्नावली अध्याय – 38