उत्तर प्रदेश भौगोलिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक तीनो दृष्टियों से संपन्न भूमि है। इस कारण उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला हर त्यौहार, स्वास्थ्य वर्धक होने के साथ शास्त्र सम्मत भी है। जिसके कारण यहाँ होली बहुत खास होती है। क्योकि चेहरों के साथ दिलों को रंगने का त्यौहार है होली। तो आइये जानते है कि उत्तर प्रदेश में होली कैसे मनाई जाती है?
उत्तर प्रदेश गंगा के उत्तरी भाग में स्थित है। जहाँ छः ऋतुए सतत प्रकृति का शृंगार करती है। जिसके कारण यह भूमि न केवल विविध प्रकार के औषधियों और वनस्पतियो आदि को उत्पन्न करती है। बल्कि हितकारक और स्वास्थ्य वर्धक खाद्यान्नों को भी उपजाती है। यहाँ अयोध्या, काशी और मथुरा नामक तीन पुरिया होने से विज्ञान और कला का केंद्र बिंदु है।
गंगा यमुना का संगम होने से त्रिवेणी का स्थान, सभी तीर्थो का सिर मौर तीर्थराज प्रयाग भी उत्तर प्रदेश में ही स्थित है। जहाँ अर्ध कुम्भ, पूर्ण कुम्भ और महा कुम्भ का आयोजन सदियों पुरानी परम्परा से आज भी होता है। प्रतिवर्ष गंगा की गोद में लगने वाला मेला, विश्व भर की संस्कृति और सभ्यता को संजोने वाला है। क्योकि यह स्थान ही भारतीय संस्कृति और विरासत की छाप विश्व पटल पर छोड़ता है।
बाबा भोले नाथ की नगरी काशी जहाँ का कंकड़ – पत्थर भी शिव है। भगवान राम की जन्म स्थली अयोध्या तक ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय गोवर्धन मठ पुरी के शंकराचार्य का आध्यात्मिक क्षेत्र है। इसके साथ भगवान श्री कृष्ण जन्म स्थली वृन्दावन एवं कर्म स्थली मथुरा भी उत्तर प्रदेश में ही है। जो अथर्वेदीय उत्तराम्नाय जोतिर्मठ के शंकराचार्य की धर्म नगरी के अंतर्गत है। जिससे इस क्षेत्र को सनातन धर्म के सार्वभौम आचार्य, दो – दो शंकराचार्यों का मार्गदर्शन प्राप्त है।
उत्तर प्रदेश में होली कैसे मनाई जाती है ( how is holi celebrated in uttar pradesh in hindi )
भारत विश्व का ह्रदय है। मगर भारत की मूल आत्मा का दर्शन, गंगा और यमुना के बीच बसे भू भाग पर होता है। जो आजकल उत्तर प्रदेश के आगरा से लेकर, बिहार के पटना तक का क्षेत्र है। जिसे मनुस्मृति में ब्रह्म क्षेत्र का विशेषण प्राप्त है। क्योकि शुक्र नीति के अनुसार यह क्षेत्र 32 विद्या और 64 कला से समृद्ध है। अर्थात सकल विद्या और कला से परिपुष्ट भू भाग है।
होली का समय बसंत होने से बड़ा ही सुहाना होता है। इस समय न हो बहुत गर्मी होती और न बहुत सर्दी, लेकिन हवा वेग अधिक होता है। जिससे पूरे वातावरण में वात दोष के आगोश में आ जाता है। जो हम सभी के भीतर काम को बढ़ाता है। जिससे स्त्री – पुरुष में स्वाभाविक रूप से आकर्षण होता है। जिसमे हास – परिहास के साथ साज सज्जा बड़े अनोखे ढंग की होती है।
दूल्हे की तरह पुरुष और दुल्हन के जैसे स्त्रियाँ शृंगार करती है। जो फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होकर पूर्णिमा पर्यन्त चलता है। जिसमे होली रंग – गुलाल से शुरू होकर नाच – गान के सहित लठ्ठ से भी खेली जाती है। जिसका प्रयोजन होली मिलन संयोजको की ओर से होता है।
उत्तर प्रदेश के वृन्दावन की लठ्ठमार होली का कोई जबाव ही नहीं। जिसको देखने की लालसा देश के हर नागरिकों में होती है। परन्तु पूर्वी उत्तर प्रदेश में फाल्गुन अष्टमी से, गाँवों और नगरों के चौराहों में होलिका जलाने के लिए ईंधन जुटाया जाता है। जिसमे प्रमुख रूप से गोबर से बने उपले और सूखी लकडिया होती है।
जो होली के एक दिन पूर्व, चतुर्दशी तक जुटाई जाती है। जिसमे सभी नागरिक अपनी ओर से सहयोग भी करते है। जिसको गाँव के मुखिया अथवा वरिष्ठ नागरिक, भोर के समय माँ होलिका का पूजन कर होलिका को मुखाग्नि देते है। जिसके चारों ओर लोग होलिका माई के जयकारे लगाते हुए, नाचते और गाते है। जो हमें बुराई पर अच्छाई की जीत का सन्देश देती है।
बिहार में होली कैसे मनाई जाती है ( How is Holi celebrated in Bihar in hindi )
जिसके कुछ समय बाद लोग खेतों में बोये गए, जौ आदि को होलिका की आग में भूनते है। इसके उपरान्त जले हुए उपलों की ठंडी राख को एक दुसरे के मस्तक पर लगाकर गले मिलते है। फिर यथा योग्य शिष्टाचार करते हुए, एक – दुसरे को होली की शुभकामना ( holi ki shubhkamnaye in hindi ) देते है।
फिर टेलीफोन पर आपको और आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनाएं सगे संबंधियों को दी जाने लगती है। फिर सूरज के ऊपर चढ़ते ही रंग और गोमय मिश्रित मिट्टी से होली खेली जाने लगती है। जिसके दौरान व्यक्ति के शरीर पर मिट्टी लगाई जाती है। जो कुछ को पसन्द होती है और कुछ को नहीं। इसलिए लोग जानने के फिराक में लगे रहते है कि होली कब है?
इस दिन जगह – जगह होली मिलन का आयोजन होता है। जहा दोपहर तक रंग से होली खेली जाती है। जिसके दौरान लोग चेहरों पर रंग लगाकर, हैप्पी होली ( happy holi ) का शोर मचाते है। उसके बाद अबीर – गुलाल से होली खेली जाने लगती है। जिसमे होली की शुभकामनाएं संदेश और हैप्पी होली विशेस की भरमार होती है।
भारतीय पर्व हो और खाने – पीने की बात न हो, यह कैसे हो सकता है? गुजिया होली का पसंदीदा व्यंजन है। जिसमे मावा खोया गुझिया का दीवाना हर कोई होता है। फिर अनेको मेवों और दूध आदि से बनी ठंडई मिल जाए तो होली का हुड़दंग का कहना ही क्या? जिसको जानने के लिए होली के रसिया ( holi ke rasiya ) लोग, एक – दुसरे से जानने में लगे रहते है कि होली कितने दिन बाद है?
आमतौर पर बिहार और उत्तर प्रदेश में होली एक जैसी ही होती है। लेकिन देहाती होली का मजा ही कुछ और है। जो होली पर लेख ( holi par lekh ) आदि के माध्यम से, कवियों ने अपने भावो को जीवंत रूप दिया है। लेकिन आजकल शहरों में होली की हार्दिक शुभकामनाएं बैनर, और होली शायरी 2 लाइन में ही सिमट कर रह गई है।
होली कब की है ( holi kab ki hai )
भारतीय संस्कृति और परम्परा के सर्वोच्च आचार्य शंकराचार्य होते है। जिनके द्वारा निर्धारित पंचांग से होली आदि पर्वों के दिनों का निर्धारण किया जाता है। जिसमे होली कब की है और किस दिन है को बताया गया होता है। ज्यादातर होली गंगोलियन कैलेण्डर के अनुसार मार्च महीने में होती है। लेकिन होली आदि भारतीय पर्व तिथियों के अनुरूप मनाये जाते है।
जिसको मनाने के लिए लोग अपने घरों की ओर जाना चाहते है। विशेषकर वो लोग जो नौकरी – पेशा अपने घर से दूर रहकर करते है। जिसके लिए उन्हें महीनों पहले कार्यक्रम बनाना होता है। जिससे वे लोग होली कब की है मार्च में तलासते है। जिसमे मुख्य रूप से होली कितनी तारीख को है ( holi kitni tarikh ko hai ) पूछा जाता है।
होली कब है 2024 ( holi kab hai 2024 )
भारतीय पर्व त्यौहार तिथियों के आधार पर निर्धारित किये गए है। जो सूर्य और चन्द्रमा की कलाओं के काल पर चलते है। जिससे इसका गंगोलियन कैलेंडर से कोई सम्बन्ध नहीं है। लेकिन आधुनिक पढाई – लिखाई में हर जगह गंगोलियन कैलेंडर का ही प्रयोग किया जाता है।
जो तिथि में तालमेल साधकर, काम में लाया जाता है। जो हर वर्ष तिथि के बदलने पर अक्सर बदल जाया करता है। जिससे लोगों को कैलेण्डर के अनुसार जानना पड़ता है कि इस बार होली कब की है?
होली कितनी तारीख की है ( holi kitni tarikh ki hai )
आइये अब जानते है कि वर्ष 2024 की होली कितने तारीख को है? वर्ष 2024 में फाल्गुन पूर्णिमा 25 मार्च को पड़ रही है। जिससे इसी दिन होली खेली और मनाई जाएगी।
होली किस दिन है ( holi kis din hai )
अक्सर लोग होली कितनी तारीख की है 2024 में की बात करते है। जो इस बार 25 मार्च को पड़ रही है। जोकि सोमवार के दिन पड़ रहा है।
होलाष्टक कब है 2024
आजकल लोग मोबाइल और इंटरनेट पर होली स्टेटस, होली के कुछ दिन पहले से लगाने लगते है। जो फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को शुरू हो जाता है। जिसमे सभी प्रकार के शुभ कार्य बंद हो जाते है। फिर इसी दिन से शुरू हो जाती होली की तैयारी है। जो इस बार 18 मार्च को पड़ रही है।
जिससे ज्यादातर लोग परिचित ही नहीं होते। लेकिन रीति – रिवाज को जानने और मानने वालों के लिए, इनको जानने की आवश्यकता होती है। जिसका मूल कारण उन्हें काल के विधि – निषेध पर चलना होता है। जबकि ज्यादातर लोग केवल इतना ही जानने के लिए प्रयास करते है कि होली कितना तारीख को है?
होली की एकादशी कब है 2024
फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही होली की एकादशी कहा जाता है। जो इस बार 21 मार्च दिन गुरूवार को पड़ रही है।
होली कब जलेगी 2024 ( holi kab jalegi 2024 )
होली में जो अलाव जलता है। उसे ही होलिका कहा जाता है। जो फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के ब्रह्म मुहूर्त में जलती है। इसलिए 2024 का होलिका दहन 25 मार्च दिन सोमवार के भोर में होगा है। जिसको हम 24 मार्च की देर रात का समय भी कहते है। जिसमे नाचते गाते रात्रि जागरण करते है। इसको जानने के लिए ही लोग होलिका दहन कब का है 2024 की बात करते है।
उपसंहार :
भारत में उत्तर प्रदेश की होली सबसे मशहूर है। जिससे लोगों के मन में जानने की इच्छा होती है कि उत्तर प्रदेश में होली कैसे मनाई जाती है? होली बसंत ऋतू में आने वाला हिन्दू त्यौहार है। जो भारत और भारत के बाहर हर उस जगह मनाया जाता है, जंहा हिन्दू निवास करते है। यह रंग, उत्सव और आनंद का पर्व होकर भी देश प्रेम और भाईचारे का सन्देश देता है। जिसको जानने के लिए लोग होली कब की है और होली कब है 2024 की बात करते है।
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