बसंत ऋतु आते ही फागुनी बयार बहने लगती है। जिसमे हमें न केवल ठण्ड से निजात मिलती है। बल्कि मौसम भी सुहाना हो जाता है। मौसम बदलने से शरीर को कुछ विशेष पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। जो बसंत उत्सव ( basant utsav ) यानी होली के खानपान से पूरी हो जाती है। इसके अतिरिक्त और भी शरीर को मिलने वाले होली के फायदे है।
आमतौर पर होली रंगों का त्यौहार माना जाता है। लेकिन वास्तव मे यह आपस में खुशिया बाटने वाला उत्सव है। जिसमे यार – दोस्तों की पुरानी और बचकानी यादों के चर्चे, हमें हमारे बचपन के दिनों की याद दिलाते है। जिससे हमारा मन खुशी के मारे झूम उठता है। शायद इसीलिए चेहरों के साथ दिलों को रंगने का त्यौहार है होली।
होली के त्यौहार में बनने वाले व्यंजन स्वादिष्ट तो होते ही है। जिसका जायका इष्ट – मित्रों के साथ और भी बढ़ जाता है। इसके साथ अनेको प्रकार के पोषक तत्वों को अपने में संजोये होते है। जो हमें स्वस्थ बने रहने के लिए उपयोगी ही नहीं, बल्कि आवश्यक भी होते है। जिनका सेवन करते ही यह हमें प्राप्त हो जाते है। जिससे हम अधिक समय तक ऊर्जावान और स्वस्थ बने रहते है।
होली का पर्व जहा हमारी संस्कृति और सभ्यता का रक्षण करती है। वही दूसरी ओर हमारे शरीर को पोषण देकर, आगामी मौसम में होने वाली हानियों से भी बचाती है। इसके साथ दिलों में छिपे मैल को रंगो की पिचकारी से धो डालती है। जिससे न केवल मन का बोझ हल्का होता है। बल्कि पूरा देश और समाज एक विचार की डोर में बंध जाता है।
होली क्यों मनाते है ( holi kyu manate hai )
होली का समय प्रकृति और काम के उत्सव का समय है। जिसमे एक दुसरे पर रंग डालने की मौज – मस्ती के साथ, होली के व्यजनों की बहार होती है। जिससे हम मानसिक रूप से ही नहीं, बल्कि शारिक रूप से भी मजबूत होते है। लेकिन बहुत से लोग यह नही जानते कि होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
होली सनातन धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है। फिर सनातन धर्म की यह विशेषता है कि यह समय – समय पर, हमारे मन और शरीर को शोक से मुक्त करता है। जो शरीर को मिलने वाले होली के फायदे में से एक है।
होली का त्यौहार हमारे भीतर छिपी हुई बुराई को, प्रह्लाद की बुआ की तरह जला डालने का संकेत देता है। जिससे धर्म राज्य और राम राज्य की प्रतिष्ठा का मार्ग प्रशस्त होता है। परिणामतः हमें लोक और परलोक में प्रतिदिन होली के उत्सव जैसा हर्षोल्लास देखने को मिलता है।
श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार प्रथम सत्याग्रही प्रह्लाद जी को कहा गया है। जिन्होंने ने न गाली का प्रयोग किया और न गोली का प्रयोग किया। फिर भी दुर्दांत हिरण्यकश्यपु के अराजकता भरे शासन को, सिद्धांत और सम्बन्ध के बल पर उच्छिन्न कर दिया।
जिससे भोग और मोक्ष को प्राप्त करने के अनुकूल, धर्म राज्य की प्रतिष्ठा हुई है। जिसका उज्ज्वल इतिहास आज भी हमारे लिए अनुकरणीय है। यही होली मनाने का संदेह वेदादि शास्त्रों की ओर से हमें प्राप्त है।
हमारे शरीर को मिलने वाले होली के फायदे ( benefits of holi for our body in hindi )
होली का त्यौहार आते ही लोग होली के गाने गुनगुनाने लग जाते है। क्योकि बसंत का समय होने से काम परवान चढ़ा होता है। जिससे बच्चे होली होली का शोर मचाते है, और युवा दीवानगी में होली शायरी ( holi shayari ) करने लगते है। आजकल तो मोबाइल आदि पर होली रमी गेम भी खेला जाने लगा है।
अक्सर लोग होली की शुरुआत होली के भजन से करते है। जिसमे वे अपने इष्ट देव का आवाहन अपनी – अपनी परम्परा के अनुसार करते है। जो भारत के अलग – अलग प्रदेश में अपने ढंग से मनाई जाती है। लेकिन उत्तर प्रदेश लठ्ठमार, लड्डूमार और मसाने की होली सबसे प्रसिद्द और आकर्षक है। जिसके लिए लोग यह जान्ने का प्रयास करते है कि उत्तर प्रदेश में होली कैसे मनाई जाती है?
हालाकिं खान – पान की तैयारी, होली के कई दिन पहले से ही शुरू हो जाती है। लेकिन होलाष्टक आते ही होली की तैयारियां और तेज हो जाती है। जिसमे घर से दूर रहने वाले लोग अपने घर का रुख करते है। जिससे होली की धूम बाजारों में रंग विरंगे अबीर – गुलाल के साथ, हमारे मन में भी होने लगती है।
लेकिन आज मिलावट का दौर है। जिससे बाजारों में मिलने वाला सामान जैविक न होकर कृत्रिम होता है। जो हमारे स्वास्थ्य को हानि पहुंचाता है। फिर चाहे वह रंग हो या खाने – पीने का सामान हो। लेकिन यदि हम सावधानी बरते तो हमारे शरीर को होली के दौरान निम्नलिखित फायदे मिलते है –
शरीर को पोषण मिलता है
स्वस्थ बने रहने के लिए पोषण का महत्व तो हम सभी जानते है। लेकिन काम – काज की मारा मारी में, कही न कही हमारा ध्यान इन पर नहीं जाता। जिससे हमें पोषण ट्रैकर की आवश्यकता पड़ती है। ताकि हमारे शरीर में किसी भी तरह के पोषण की कोई कमी न होने पाए।
भारतीय पर्व हमारे शरीर के लिए एक तरह का पोषण अभियान है। जिसके दौरान हम खाने – पीने में, पोषण युक्त भोज्य पदार्थों का सेवन करते है। जो हमारे शरीर का पालन पोषण करती है। जैसे – होली के दौरान हम वसा से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करते है। जो गर्मियों के दिनों में आवश्यकता पड़ने पर, शरीर की स्वचालित प्रणाली के द्वारा खर्च किया जाता है। फिर चाहे वह खोये से बनी गुझिया हो या तेल एवं घी में तले पापड़ और चिप्स।
त्वचा में निखार आता है
होल में त्वचा को नम और सौम्य बनाने के लिए, सरसों के उबटन ( बुकवा ) को शरीर पर लगाते है। जो बहुत ही जल्दी सूखकर त्वचा में छिपी हुई, गंदगी को अपने में सोख लेता है। जो बहुत रगड़ने पर ही छूटता है। जिससे हमारी त्वचा में पाए जाने वाले रोम छिद्र खुल जाते है।
जिससे हमारी त्वचा में निखार आने के साथ, गर्मियों के दौरान पसीना निकलने में परेशानी नहीं होती है। जिसके परिणाम स्वरूप होली में लगने वाला रंग आसानी से निकल जाता है। बल्कि हमारी त्वचा पर गर्मियों के दिनों में घमौरिया और फुंसिया नहीं होती।
रक्त परिसंचरण को बल देता है
होली के दौरान दोस्ती – यारी का नायाब नमूना देखने को मिलता है। जिसके दौरान बिछड़े दोस्तों की रंग – बिरंगी बाते मन को अति सुंदर लगती है। जिससे पुराना याराना मिलने से मन प्रशन्न हो उठता है। जिससे हमारे शरीर का रक्त परिसंचरण तंत्र मजबूत होता है। जिससे रक्तचाप आदि की समस्या से, हमें छुटकारा मिलता है।
खुशी देने वाले हार्मोंस का स्राव होता है
हमारे शरीर में हार्मोन्स के असंतुलन से रोग होते है। लेकिन जब हम होली में रंग – विरंगे, रंगों को देखते है। तो उसका हमारे ह्रदय और मन पर बड़ा ही सकारात्मक प्रभाव होता है। जिसके दौरान एंडोर्फिन नामक हार्मोन्स निकलता है। जो हमारे मन को खुशियों से भर देता है। फिर चाहे वह पति – पत्नी का रिश्ता हो या कोई और।
जिसको आजकल कलर थेरेपी के नाम से जाना जाता है। जिसमे विभिन्न रंगो में पाए जाने वाले वेव लेंथ का उपयोग, हार्मोन बैलेंस मेडिसिन के रूप में किया जाता है। जिसके कारण हमारे मन में किसी तरह की गाँठ नहीं बनती। जिससे हमारे भीतर किसी तरह का मन मुटाव नहीं पलता। यह शरीर को मिलने वाले होली के फायदों में से एक है।
तनाव दूर होता है
रंगो का हमारे मन पर बहुत ही गहरा असर होता है। जिसके कारण हमारा मन प्रसन्न होता है। जिसे आजकल की भाषा में मूड फ्रेश होना कहा जाता है। इस कारण से यह तनाव प्रबंधन कभी एक जरिया है। जो होली खेलने से हमको बिना प्रयास के ही मिल जाता है। जिससे तनाव से होने वाली बीमारियों से हमारा बचाव होता है। जैसे – रक्तचाप, मधुमेह, नपुंसकता आदि।
मानशिक शांति मिलती है
जब शरीर को पोषण मिलता है। तब हमारे रक्त का परिसंचरण सुव्यवस्थित ढंग से हो पाता है। जिससे न केवल हमारी त्वचा में निखार आता है। बल्कि तनाव न होने से मानसिक शांति भी मिलती है। जिससे आपसी सम्बन्ध मजबूत होते है, और काम की वासना दुर्व्यसन में नहीं बदलती। यह शरीर को मिलने वाले होली के फायदे है। जो किसी दवा आदि से मिल पाना असंभव है।
मन शांत होने से दिमाग में अच्छे विचार आते है। जो ईर्ष्या – द्वेष, भावुकता और विवेक से निर्लिप्त होते है। जिसके कारण भाईचारा और आपसी सद्भाव मजबूत होता है। जिससे हमारे अंदर प्रत्युपकार के बिना सहयोग की भावना जगती है। जिसकी चर्चा भारत की देशी कहावतों और होली पर निबंध ( holi par nibandh ) आदि में देखने को मिलती है।
सामाजिक संवाद मजबूत होता है
मन में तनाव न होने से मन शांत रहता है। जिससे सहयोग और सद्भाव की भावना को बल मिलता है। तब व्यवहार में बिना किसी स्वार्थ के मित्रता और भाईचारा देखने को मिलता है। परिणाम स्वरूप देश की अखंडता बनी रहती है, अर्थात देश की संस्कृति और सभ्यता पर आंच नहीं आती। जिससे देश गुलामी की बेड़ियों में नहीं जकड़ता।
हालाकिं होली की राख के फायदे ( holi ki raakh ke fayde ) भी है। यह धन लाभ कराने और रोगो को मिटाने वाली है। जिससे इसका उल्लेख भी होली पर 10 लाइन वाले निबंधों में किया जाता है।
उपसंहार :
होली का खुमार चढ़ते ही, मन प्रशन्नता से झकजोर उठता है। जिसके दौरान एंडोर्फिन नामक हार्मोन का स्राव होता है। जो हमारे अंदर पलने वाले तनाव को कम करता है। जिससे हमारे मन को शांति मिलती है। इसके अलावा होली में उपयोग किये जाने वाले जैविक रंग और अबीर, हल्दी आदि आयुर्वेदिक जड़ी – बूटियों से बने होते है। जिसमे कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट और सूजन रोधी गुण पाए जाते है। जो हमारी वचा के लिए भी फायदेमंद होते है। जिनको शरीर को मिलने वाले होली के फायदे कहा जाता है।
हालांकि आजकल होली ज्यादातर कृत्रिम रंगों से ही खेली जाती है। जिसके बहुत से नुकसान है। फिर भी विविध प्रकार के मनमोहक रंग हमारे भीतर के द्वेष भाव को मिटाते है। जिससे मित्रता और भाईचारे का दायरा बढ़ता है। जो एक समग्र और संतुलित राष्ट्र निर्माण की नींव है।
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