आज के समय में हमारे आस – पास, रोग और रोगियों की कमी नहीं है। हर रोज हमें नई – नई बीमारियों के बारे में सुनने को मिलता है। जिसकी चपेट में आते ही लोग बीमार हो जाते है। जिसमे कुछ रोग ऐसे है जो एक बार हो जाए तो जीवन भर साथ निभाते है। जैसे – मोटापा, डायबटीज, कैंसर आदि।
आजकल बाजरे ( बाजरा ) को हिंदी में मिलेट के नाम से जाना जाता है। जबकि आधुनिक विज्ञान के अनुसार मिलेट अनाजों का समूह है। जिसके कई प्रभेद बताये गए है। जिसको समझने के लिए हमें यह जानना आवश्यक है कि आखिर मिलेट क्या है?
मिलेट फाइबर, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, पोटैशियम, एंटीऑक्सीडेंट और आयरन भरपूर होने के बाद भी लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स ( जी आई ) वाला और ग्लूटेन फ्री होता है। जिससे हमें मोटे अनाज के फायदे मिलते है।
हालाकिं आजकल के रोगो से हाथ मिलाने में, हमारे खानपान का बहुत बड़ा हाथ है। जिस पर प्रायः हम ध्यान नहीं दते। लेकिन ध्यान रहे स्वास्थ्य ही असली धन है। जिसको पाने के लिए हमें आहार और दिनचर्या के साथ परिश्रम, विश्राम और स्वध्याय आदि में संतुलन साधना पड़ता है।
मिलेट क्या है ( what is millet in hindi )
चरक संहिता के अनुसार अनाजों को शूकधान्य वर्गों में स्थान दिया गया है। जिसका अनुसरण सुश्रुत संहिता में भी किया गया है। जबकि भाव प्रकाश निघण्टु ने धान्य वर्ग के पांच प्रभेद बतलाए है –
- शालिधान्य
- व्रीहिधान्य
- शूकधान्य
- शिम्बीधान्य
- और क्षुद्रधान्य या तृणधान्य
परन्तु अष्टांग हृदयकार ने अनाजों को शूकधान्य कहा है। किन्तु दालों को शिम्बीधान्य के अंतर्गत रखा है। जिससे लोगों के मन में अनाजों को लेकर, कई तरह के भ्रम उजागर होते है। जिसमे तालमेल बिठाने पर, एक जैसी बात ही देखने को मिलती है।
जबकि मोटे अनाजों को आमतौर पर मिलेट कहा जाता है। जो अधिकतर घास परिवार से आते है। जिनको मनुष्यो और जानवरों का पेट भरने के लिए, हजारों सालों से इनको उपजाया जाता रहा है। लेकिन इनका उल्लेख आयुर्वेद आदि में किया गया है। जिससे यह सिद्ध होता है कि आयुर्वेद काल के पहले भी इनको खाया और उगाया जाता था।
मिलेट मीनिंग इन हिंदी ( millet meaning in hindi )
आज भी मिलेट मीनिंग ( millet meaning ) से लोग बाजरा ही समझते है। जोकि मिलेट के नाम से प्रसिद्द है। जो आज से कुछ वर्ष पहले तक मिलेट को विकासशील देशों का भोजन कहा जाता था। जिसका उत्पादन अफ्रीका और एशिया आदि क्षेत्रों में किया जाता था।
लेकिन आजकल मिलेट को बीमार लोगो का अनाज कहा जाता है। क्योकि मिलेट कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला होने के साथ, ग्लूटेन मुक्त अनाज है। जिससे रक्तशर्करा और सीलिएक रोग ( ग्लूटेन असहिष्णुता ) वालों के लिए वरदान स्वरूप है।
जिससे आज सबसे अधिक विकसित देशों के लोग प्रभावित है। इस कारण अब यह पढ़े लिखे और अमीर लोगों का भोजन कहलाने लगा है। इसके साथ यह एंटीऑक्सीडेंट का बढ़िया स्रोत है। जो उम्र बढ़ने के कारण होने वाली बीमारियों से हमारा बचाव करता है। जिसमे ऑक्सीडेटिव तनाव और अल्जाइमर रोग आदि है।
मिलेट का वैज्ञानिक नाम ( millet scientific name )
जीव विज्ञान के अनुसार मिलेट पैनिकम मिलीयसीम ( Panicum Miliaceum ) परिवार का सदस्य कहलाता है।
मिलेट के प्रकार ( types of millets in hindi )
मिलेट के नाम से जाना जाने वाला मोटे अनाज का समृद्ध इतिहास रहा है। जिसने पीढ़ियों का पोषण करते हुए, सभ्यताओं और संस्कृतियों को जीवित रखा है। लेकिन आज यह ग्लूटेम मुक्त प्रकृति और उच्च पोषक तत्व रखने से लोकप्रियता हासिल कर रहा है।
जिससे यह सीलिएक रोगियो के आहार का स्वस्थ विकल्प है। इसके साथ इसमें पाया जाने वाला न्यूनतम जी आई, मधुमेह रोगियों में असाधारण लाभ के साथ एक सुपर अनाज के रूप में उभरा है।
जिसका स्वाद इससे बनने वाले, कई तरह के मीठे और नमकीन व्यंजन से लिया जा सकता है। जो पौष्टिकता से भरपूर होने से ह्रदय के लिए अच्छा है। पचने में लघु होने से बीमार लोगों को भी आसानी से पचता है। जिसके कारण यह वजन प्रबंधन में भी सहायक है।
जिसको आधुनिक विधि से दो प्रकार से बाटा जा सकता है –
ग्लाइसेमिक इंडेक्स के आधार पर
किसी भी अनाज में पाया जाने वाला कार्बोहाइड्रेट और फाइबर का अनुपात, उस पदाथ का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कहलाता है। जो हमें यह बताता है कि उस वस्तु का सेवन करने के बाद, हमारी रक्त शर्करा पर पड़ने वाले प्रभाव को बताता है। जिसको मिलेट मैन ऑफ़ इंडिया के नाम से जाने जाने वाले डॉ खादर वल्ली ने वर्गीकृत किया है –
पॉजिटिव मिलेट ( Positive millets in hindi )
पॉजिटिव मिलेट्स ऐसे अनाजों को कहा जाता है। जिनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत ही कम होता है। जिनमे फाइबर अधिक मात्रा में पाया जाता है। जिसके कारण इनका पाचन बड़ी ही आसानी से और धीरे – धीरे होता है। जिससे हमारी रक्त शर्करा पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता।
इस कारण यह अनाज मधुमेह, कैंसर आदि रोगियों के लिए बहुत ही फायदेमंद है। जिसमे आमतौर पर निम्नलिखित अनाज आते है। जिनको आयुर्वेद में क्षुद्र धान्यों में स्थान दिया गया है।
- कंगनी
- सांवा
- कोदो
- कुटकी
- हरी कंगनी
न्यूट्रल मिलेट ( Neutral millets in hindi )
इस श्रेणी में ऐसे आनाज आते है। जिनका जी आई तीव्र न होकर मध्यम होता है। जिसकी सबसे बड़ी वजह इसमें फाइबर की मात्रा निगेटिव मिलेट से ज्यादा होती है। जिससे इनका सेवन करने पर, हमारे रक्त में चीनी की मात्रा एकाएक नहीं बढ़ती।
जिससे इनका सेवन करने वाले लोग अधिक समय तक स्वस्थ बने रहते है। जिनको आयुर्वेद में तृण और शिम्बी धान्य के अंतर्गत रखा गया है। जिसनमे आने वाले निम्नलिखित अनाज है –
- बाजरा
- ज्वार
- रागी या नाचनी
- मक्का
- चना
- मटर आदि।
निगेटिव मिलेट ( Negative millets in hindi )
यह उन तरह के अनाजों की श्रेणी है। जिनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स तीव्र होता है। क्योकि इनमे फाइबर की बहुत ही कम मात्रा पायी जाती है। जो आमतौर पर इनके बाहरी आवरणों में मिलती है। जो पॉलिस आदि करने पर प्रायः शेष नहीं बचती।
जिनको खाने पर, हमारी रक्त शर्करा कम समय में बहुत तेजी से बढ़ जाती है। जिससे हमें थकान, कमजोरी आदि का अनुभव होने लगता है। लेकिन जब हम इनका नित्य सेवन करने लगते है।
तब यही शर्करा हमारे शरीर के विभिन्न हिस्सों में जमने लगती है। जिससे हमें रोग होने की आशंका बढ़ जाती है। जिसमे आमतौर पर गेहू और चावल है। जिनको आयुर्वेद में शुक ( नुकीला ) धान्य वर्ग में रखा है। परन्तु यह तब अधिक खतरनाक हो जाते है। जब इनको प्रसंस्कृत कर उपयोग किया जाता है।
रंग के आधार पर ( according to colour )
मिलेट खाने के स्वस्थ्यवर्धक फायदे है। जिनको रंगों के आधार पर निम्नलिखित तरीके से वर्गीकृत किया जा सकता है –
यलो मिलेट ( yellow milet )
जिन अनाजों का रंग पीले रंग का होता है। उन्हें यलो मिलेट के नाम से जाना जाता है। जैसे –
- कोदो
- कंगनी
- कुटकी, आदि।
ग्रीन मिलेट ( Green milet )
ऐसे मिल्लेट्स जो देखने में हरे रंग के दिखाई पड़ते है। ग्रीन मिलेट कहे जाते है। जैसे –
- हरी कंगनी, आदि।
रेड मिलेट ( red milet )
ऐसे अनाज जो लाल रंग के hote है। उन्हें रेड मिलेट भी कहा जाता है। जैसे –
- रागी ( मकरा ) या मडुआ या नाचनी
- लाल चावल,
- राजमा, आदि।
ब्लैक मिलेट ( black milet )
हमारे खेतों में उगाये जाने वाले वो अनाज जिनका रंग काला होता है। उन्हें ब्लैक मिलेट के नाम से जाना जाता है। जैसे –
- बाजरा
- चना
- काला चावल, आदि।
व्हाइट मिलेट ( white millet )
वाइट मिलेट उन अनाजों को कहा जाता है। जिनका रंग देखने में सफ़ेद होता है। जैसे –
- सांवा
- ज्वार
- मटर
- गेहू
- सफ़ेद चावल, आदि।
भारत में मिलेट के प्रकार ( types of millets in india )
आमतौर पर भारत में सभी प्रकार के मिलेट पाए जाते है। जो भारत के अलग – अलग हिस्सों में उगाये और खाये जाते है। लेकिन आज भी मिलेट के रूप में बाजरे का ही, अधिक मात्रा में उत्पादन होता है। आमतौर पर डॉ खादर वल्ली के अनुसार पॉजिटिव मिलेट की सारणी इस तरह तैयार की गई है –
पॉजिटिव मिल्लेट्स की सूची ( positive millets list in hindi )
- कंगनी
- कोदो
- कुटकी
- सांवा
- हरी कंगनी या मुरात
उपसंहार :
आज हमारे आपके द्वारा खाया जाने वाला अनाज गेहू और चावल है। जबकि दाल भी एक तरह का मिलेट है। जिसको आयुर्वेद के आचार्यों ने धान्यो के अंतर्गत रखा है। जिसमे मिलेट शाली, व्रीही, शूक, शिम्बी और क्षुद्र सभी धान्य वर्गों में आता है। इस कारण अक्सर लोगो को मिलेट पहचानने में भ्रम हो जाता है कि मिलेट मिलेट क्या है?
लेकिन आधुनिक परिभाषा में अनुसार ग्लूटेन मुक्त और कम जी आई वाले अनाजों को मिलेट के नाम से जाना जाता है। जिनका सेवन करने से हमारी रक्त शर्करा संतुलित रहती है। और ग्लूटेन आदि न होने से भोजन आसानी से पचता है। जिसके कारण रोग होने की गुंजाइस नहीं होती है। लेकिन यदि किसी कारणवश हम रोग के आगोस में आ गए, तो इनका सेवन करने से रोग को दूर करने में सहायता मिलती है।
सन्दर्भ :
चरक संहिता सूत्रस्थान अध्याय – 27
सुश्रुत संहिता सूत्र स्थान अध्याय – 46
भाव प्रकाश निघण्टु धान्यवर्गाः
अष्टांग ह्रदय सूत्र स्थान अध्याय – 06
अष्टांग संग्रह सूत्र अध्याय – ०७, 12
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