पुरुषों में पेट के निचले भाग में दर्द : lower abdominal pain in males

पुरुषो के पेट में दर्द होना सामान्य बात है। जो किसी भी उम्र के लोगो को हो सकती है। जिसमे ऐंठन, मरोड़ या चुभन हो सकती है। जो आमतौरपर पेट में गैस बनने आदि पर होता है। किन्तु पुरुषों में पेट के निचले भाग में दर्द अजीब समस्या मानी जाती है। क्योकि इसका सम्बन्ध गुप्तांगो से जोड़कर देखा जाता है। जिसमे अंडकोष और पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है। पेट का निचला हिस्सा पेडू कहलाता है। जिसमें पुरुषो को भी दर्द होता है। जिसको पुरुष के पेडू में दर्द होना भी कहते है। जिसमे नाभि के नीचे पेट दर्द होता है। 

पुरुषो में पेट दर्द होना पुरुषों में पेट के निचले भाग में दर्द

उदरांतर्गत दोषो के संचय को आयुर्वेद ने, सभी प्रकार के पेट दर्द का कारण माना है। फिर चाहे वह स्त्री – पुरुष हो, बालक – वृद्ध हो, युवा – किशोर हो। इसके होने से उदर दोषपूर्ण और पाचकाग्नि मन्द हो जाती है। जिसके कारण रस को वाहन करने वाले, स्रोत्रों ( स्रोतसो ) के मार्गो में रुकावट हो जाती है। जिसकी वजह से अन्न के बने हुए रस का वहन नहीं होते रहने से, वह पेट में आकर जमने लगता है। जो पेट साफ न होने का लक्षण भी है। जिसके कारण पुरुषो के पेट में दर्द सहित, समस्त रोग होने का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। 

स्त्री और पुरुष के शरीर में भेद है। जिससे पुरुषो में पेट के निचले भाग में दर्द होना, महिलाओ से अलग है। इसको दार्शनिक भाषा में स्थूल या लिंग शरीर कहा गया है। यहाँ स्थूल का अर्थ हड्डियों के सहित मांसल शरीर है। जो पंचज्ञानेंद्रियों, कर्मेन्द्रियों, अंतःकरण सहित जीवात्मा का अभिव्यंजक संस्थान है। जिसमें रोग होने पर भीषण दर्द होता है। साथ ही लौकिक और पारलौकिक कर्मो के, सम्पादन में भी बाधा आती है। 

पुरुषों में पेट के निचले भाग में दर्द का कारण (causes of lower abdominal pain in male)

पेट दर्द क्यों होता है (pet dard kyon hota hai)

महिलाओ की तरह पुरुषों के, पेट में दर्द होने के अनेक कारण है। जिनसे पुरुषों के पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है। कभी – कभी तो यह दर्द इतना, आक्रामक हो जाता कि जीना मुश्किल कर देता है। जो अनेको भेदो से स्वयं को प्रकट करता है। यह किसी – किसी में बिना समय के प्रकट होता है। जिससे लोगो में डरावनी कहानी की तरह, पेट के दर्द को लेकर डर बैठ जाता है। क्योकि इसमें विपत्ति के बादल कभी भी फट सकते है। अर्थात पेट का दर्द कभी भी शुरू हो सकता है।

जबकि कुछ में पेटदर्द निश्चित समय पर होता है। जो धीरे – धीरे आरम्भ होकर आक्रामक होता हुआ, घोर आक्रामक हो सकता है। या अत्यंत भीषण दर्द के साथ शुरू होकर, शनैः शनैः शांत हो जाता है। ऐसा बार – बार होने से मन आक्रान्त हो जाता है। जिससे मन में घबराहट और चिंता होती है। कभी – कभी यह पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द उत्पन्न करता है।  

पुरुषों में पेट के निचले भाग में दर्द होने के निम्न कारण हो सकते है –

बोवेल ऑब्स्ट्रक्शन (bowel obstruction)

आंतो में होने वाली किसी तरह की रुकावट, बोवेल ऑब्स्ट्रक्शन कहलाती है। यह स्थिति तब पैदा होती है। जब आंतो के मुँह बंद हो जाते है। जिससे पाचन और पोषक तत्वों के अवशोषण में व्यवधान होता है। यह समस्या छोटी और बड़ी दोनों आंतो में हो सकती है। जब यह छोटी आंत में होती है, तब छोटी आंत में रुकावट (small bowel obstruction) कहलाती है। 

जब बड़ी आंत में होती है, तब इसको बड़ी आंत में रुकावट (large bowel obstruction) कहते है। जिसके संभावित कारणों में पेट में सूजन अथवा आंतो में सूजन, हर्निया, ट्यूमर और अन्य आंत रोग आदि है।

कब्ज की बीमारी में भी आंतो की रुकावट देखी जाती है। जिसमे कब्ज का रामबाण इलाज अत्यंत प्रभावी है। जिसमे आंतो की सफाई आदि कर्मो को करने का विधान है। जिसके लिए स्निग्ध, विरेचक आदि द्रव्यों की आवश्यकता पड़ती है।  

अपेंडिसाइटिस (appendicitis)

अपेंडिसाइटिस वह स्थिति है। जिसमे भीषण और घातक दर्द होता है। यह अपेंडिक्स में सूजन के कारण होता है। अपेंडिक्स पेट के नीचे दाहिनी ओर का अंग है। इस कारण अपेंडिसाइटिस होने पर, पुरुषों में दर्द हो सकता है। जिसमे दर्द के साथ भूख में कमी, उल्टी और बुखार आदि पाए जाते है। जो अपेंडिसाइटिस के लक्षण कहलाते है। इसमें पेट साफ होने में समस्या आती है। इसको ठीक करने के लिए पेट का साफ होना जरूरी है। जिसके लिए पेट साफ कैसे करे को जानने की आवश्यकता है। 

पथरी (stone)

पथरी (pathri) या स्टोन पुरुषों में पेट दर्द का कारण हो सकती है। फिर चाहे वह पित्ताशय की हो या गुर्दे की। पथरी में बहुत तीव्र दर्द होता है। जिसमे पित्त की पथरी और भी अधिक दर्द वाली होती है। जो आमतौर पर पेट के ऊपरी हिस्से में पायी जाती है। जबकि किडनी और मूत्र पिंड में पायी जाने वाली, पथरी का दर्द पेट के निचले हिस्से में होता है। परन्तु दोनों में भेद यह है कि – गुर्दे की पथरी का दर्द दाहिनी और बाई ओर होता है। जबकि मूत्र पिंड की पथरी का दर्द, पेडू के स्थान पर होता है। 

संक्रमण (infection)

संक्रमण पुरुषों में पेट दर्द होने का प्रमुख कारण है। जिसमे शामिल है –

स्टमक फ्लू (stomach flu)

मौसम परिवर्तन, यात्रा आदि के दौरान पेट में फ्लू हो जाता है। जिसका मुख्य कारण खानपान आदि की गड़बड़ी को मानते है। जिसमे आजकल की शैली में यात्रा के समय, लोग खाने के लिए भोजनालय आदि पर निर्भर है। जिसके कारण भोजन विषाक्तता की सम्भवना होती है। जिसके कारण दस्त, उल्टी के साथ पेट में मरोड़ हो सकता है। 

मूत्र संक्रमण और मूत्रपथ संक्रमण (urin infection & UTI)

पुरुषों में यूरिन इन्फेक्शन पेट के निचले भाग में दर्द का कारण हो सकता है। जिसमे पेशाब के मार्ग अथवा मूत्र पिंड आदि का संक्रमण शामिल है। यह प्रोस्टेट आदि का जनक है।   

वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण (Viral and bacterial infection)

अनेको प्रकार के जीवाणु और विषाणु जनित संक्रमण, पेट दर्द का कारण आमतौर पर देखा जाता है। जो बारिस के समय पर देखी जाती है। जिसमे दस्त, उल्टी, पेचिस आदि की समस्या होती है। 

इन्फ्लामेट्री बोवेल डिजीज (inflammatory bowel disease)

यह पेट की आंतो की सूजनकारी बीमारी है। जो पेट साफ न होने के कारण होती है। जिसके कारण पुरुषो के पेट में दर्द होता है। यह पुरुष (purush) और स्त्री (stree) दोनों में देखने को मिलता है।    

पेट का अल्सर (stomach ulcer)

यह पेप्टिक अल्सर के नाम से भी जाना जाता है। जिसमे पेट में जलन और दर्द होता है। जो कुछ घंटे से लेकर अधिक समय तक हो सकता है। जिसमे अचानक पेट के नीचे दर्द (sudden lower abdominal pain) होना भी पाया जाता है।
इस प्रकार पुरुषों के पेट के निचले भाग में दर्द के उपरोक्तादि कारण है।  

पुरुषों में पेट के निचले भाग में दर्द का लक्षण (symptoms of lower abdominal pain in males)

पुरुषों के पेट के निचले भाग में दर्द होने पर निम्नलिखित लक्षण देखे जाते है –

  • पेट में ऐंठन होना
  • पेट में जलन और दर्द होना 
  • पेट में भारीपन लगना
  • बार – बार उबकाई और कै आना
  • खट्टी डकार आना
  • गला जलना 
  • पेट में सूजन और दर्द होना
  • निर्जलीकरण ( डिहाइड्रेसन ) की समस्या होना
  • भूख में कमी आना
  • बार – बार दस्त लगना
  • पेशाब रुकना
  • पीठ के अगल – बगल और पीठ में दर्द होना 

पुरुषो के पेट में दर्द होने पर इत्यादि लक्षण हो सकते है। 

पेट दर्द का इलाज (pet dard ka ilaaj)

आयुर्वेदादी की दृष्टि में उदर में संचित अतिरिक्त दोषो का, अपनोदन पेट दर्द की चिकित्सा मानी गई है। जिसका उद्देश्य त्रिदोषों को समत्व पर लाना है। जिसके लिए आयुर्वेद में अनेको उपाय सुझाये गए है। जिसमे न केवल रोगी को रोग से निवृत्ति दिलाना, बल्कि रुग्णता से क्षयित बल की पुनर्प्राप्ति कराना है। यह वैदिक चिकित्सा का उदात्त सिद्धांत है। 

पेट के निचले हिस्से में होने वाले अधिकांश रोग वातजनित होते है। जिसके निवारण के लिए वात रोग की पहचान आवश्यक है। जिसमे वातावरण ( मौसम ) आदि का ध्यान रखकर, वात नाशक औषधि का चुनाव करना होता है। परन्तु इन दवाओं ( ड्रग ) को चुनने के नियम है। जिसके कारण आयुर्वेदिक औषधियों को चुनना अपेक्षाकृत कठिन है। 

आयुर्वेदानुसार प्रत्येक प्राणी में वात पित्त कफ नामक दोष सन्निहित है। ठीक उसी प्रकार जैसे जल में फेन ( झाग ), बुदबुद ( बुलबुला ), तरंग आदि। जिनका अस्तित्व जल के रहने पर स्वतःसिद्ध है। 

मनुष्यो में अधिकाँश पेट दर्द वात रोग के कारण होते है। जिसमे प्रायः नीचे पेट में दर्द (niche pet me dard) होता है। जिसको पुरुषों में पेट के निचले हिस्से में दर्द (lower abdominal pain in male) होना कहते है। जिसके उपचार को पुरुषो में पेट दर्द का इलाज कहते है। 

पेट में दर्द का इलाज 

पुरुषों के अंडकोष में दर्द होने पर, अधिकतर लोगो को पेट में दर्द होता है। जिसके लिए अंडकोष और पेट के निचले हिस्से में दर्द ka ilaj कराना आवश्यक है। रोग उपचार में कारण का ज्ञान होने पर, रोग को परास्त करना आसान होता है। जिसमे विविध उपाय कारगर है।  

पेट दर्द का देसी इलाज (pet dard ka gharelu ilaaj)

पुरुषों में होने वाले पेट दर्द में घरेलू उपाय अत्यंत उपयोगी है। जिसका कारण जहाँ एक ओर आयुर्वेद संगत है। वही दूसरी ओर लोक व्यवहार में इनकी प्रसिद्धी है। इनके कारण इन उपायों की दोहरी उपयोगिता सिद्ध है। इनको पुरुषों के पेडू में दर्द का घरेलू उपाय भी कहा जाता है। जिसके कुछ योग इस प्रकार है –  

  • लगभग 20 मिली एरंड तेल को 50 मिली गोमूत्र या 100 मिली दूध में मिलाकर पीने से पेट साफ होता है। जिसके साथ पेट में संचित अतिरिक्त दोष भी बाहर निकल जाते है। तद्पश्चात उदर पर वस्त्रपट्ट लपेट देना चाहिए। जिससे खाली जगह न रहने से वायु का संचय न हो। यह पेट के मरोड़ से छुटकारा भी दिलाती है। 
  • मठ्ठे में पिप्पली चूर्ण 2 रत्ती ( चुटकी ) और सेंधा नमक लगभग 8 – 10 ग्राम पीना लाभकारी है। 
  • पुरुषो में पेट के निचले भाग में दर्द होने पर दूध पीना लाभदायक है। 

पेट दर्द आयुर्वेदिक दवा (pet dard ayurvedic dawa)

आयुर्वेद चिकित्सा सम्बन्धी समस्त उपायों से परिपूर्ण है। जिसमे पुरुषो में पेट के निचले भाग में दर्द के विभिन्न उपाय इस प्रकार है –

  • 10 मिली एरण्ड तेल 40 मिली दशमूल क्वाथ में मिलाकर पीने से पेट का दर्द ठीक होता है। 
  • 40 मिली त्रिफला क्वाथ में 20 मिली गोमूत्र मिलाकर पीने से, पेट के निचले भाग में होने वाला दर्द ठीक हो जाता है।
  • 40 मिली दशमूल क्वाथ में 20 मिली गोमूत्र मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।  

ध्यान रखे : एक साथ उपरोक्त तीनो उपायों में किसी एक उपाय का ही प्रयोग करे। 

पेट दर्द की मेडिसिन टेबलेट (pet dard ka tablet)

आयुर्वेद की भांति एलोपैथी में भी पेट दर्द की दवाईया है। जिनका उपयोग पेट दर्द से राहत पहुंचाने में होता है। पेट के निचले हिस्से में दर्द वात रोगो के कारण भी होता है। जिसमे वात रोग की एलोपैथिक दवा प्रयोग होती है। जैसे – 

पेरासिटामोल टेबलेट (paracetamol tablet) : यह एलोपैथी की बहुत चर्चित दवा है। जिसका उपयोग अनेक बीमारियों में होता है। यह पेट के दर्द में भी उपयोगी है। जबकि पेट दर्द के लिए anafortan का भी प्रयोग आमतौर पर होता है। जिसे अंडकोष और पेट के निचले हिस्से में दर्द in hindi में भी प्रयोग किया जाता है। 

आइबूप्रोफेन टेबलेट (ibuprofen tabet) : यह पेट दर्द की चुनिंदा दवाइयों में से एक है। जिसका इस्तेमाल आकस्मिक परिस्थियों में होता है। सामान्य तौर पर इनका प्रयोग हानिकारक है। यह पेट दर्द से छुटकारा कैसे पाए में भी उपयोगी है। 

सारांश :

आयुर्वेदानुसार पेट के निचले भाग में होने वाला, पेट दर्द वातिक दोषो के अंतर्गत आता है। जिसका अपनोदन कर देने  पर स्त्री और पुरुषों में पेट के निचले भाग में होने वाला दर्द ठीक हो जाता है। जिसमे कुछ सहायक घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय बताए गए है। आज की आधुनिक चिकित्सा एलोपैथी कहलाती है। जिसमे पेट दर्द के लिए उपायों के रूप में, टेबलेट आदि का प्रयोग किया जाता है। जिसमे उपयोगी दवाओं ऊपर बताई गई है। 

ऋतुकाल, दिनचर्या के सहित देह प्रकृति के अनुकूल खानपान स्वस्थ रहने का सनातन सिद्धांत है। जिसका प्रामाण्य आयुर्वेदादी शास्त्र है। जिसका विधि – विधान से पालन करने वाला, रोग – दोष से बचता हुआ निरोग रहता है। जिससे हमारे पास स्वलक्ष्य और शास्त्र लक्ष्य ( परमात्मा ) प्राप्त करने की अनुकूलता बनी रहती है। 

नोट : सभी एलोपैथिक दवाओं के दुष्परिणाम होते है। जिनको ड्रग एलर्जी के नाम से जाना जाता है। इसलिए किसी भी दवा का उपयोग स्वेच्छा न करे। इसके लिए विशेषज्ञ परामर्श अपेक्षित है।  

FAQ

पेट दर्द को इंग्लिश में क्या कहते हैं?

इंग्लिश में पेट दर्द को स्टमक पेन या एब्डोमिनल पेन कहते है। 

पेट में दर्द क्यों होती है?

आयुर्वेदानुसार वात, पित्त और कफ दोषो में असंतुलन होने से पेट दर्द की समस्या होती है। 

सन्दर्भ :

चरक संहिता अ 13

भैषज्यरत्नावली चि प्र 40

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