पेट में गैस बनना : Gas In Stomach in Hindi

आधुनिक जीवन शैली में पेट में गैस बनना आमबात है। जो बच्चो से लेकर किशोरों, युवाओ और वृद्धो में भी समानता से देखी जा सकती है। ज्यादातर लोगो में खाना खाने के बाद पेट में गैस बनना पाया जाता है। जबकि रोग से ग्रस्त होने पर, पेट में गैस बनना भूख न लगना प्रायः देखा जाता है। इस स्थिति में अक्सर लोग पेट में गैस बनना सिर में दर्द होना की भी शिकायत करते है। जिनके उपचार में पेट में गैस बनना घरेलू उपाय चमत्कारी परिणाम देता है। कभी – कभी पेट में जलन और दर्द होना के साथ भी गैस होती है। जिसको पेट में गैस और जलन होना कहा जाता है। 

आज ज्यादातर लोगो में खाना खाने के बाद पेट में गैस बनना देखा जाता है 

पेट में गैस की समस्या होने पर अनेको दिक्क़ते होती है। जैसे – पेट में दर्द होना, पेट में गैस और मरोड़ होना आदि। इसके साथ पेट में गैस और सांस फूलना भी देखा जाता है। यह दमा आदि से पीड़ित लोगो में प्रायः पाया जाता है। जबकि पेट में गैस और दर्द अधिकांश लोगो में होता है। जो ध्यान न देने पर जीर्णता को प्राप्त होता है। जिससे पेट में गैस से चक्कर आना प्रारम्भ हो जाता है। जिसके लिए पेट में गैस जड़ से खत्म करने के उपाय, जानने की अपेक्षा आज सभी को है।

भोजन की पाचन क्रिया आदि में पेट में गैस बनती है। जो एक सामान्य और स्वाभाविक क्रिया है। जिसके बिना पाचन होना असंभव है। जबतक गैस के बनने और निकलने में आपेक्षिक अनुकूलता बनी रहती है। तब तक इसको ही व्यवहारिक जगत में पेट में गैस न बनना कहते है। जब किसी कारणवश कोई विकृति व्याप्त होती है। तब इसको पेट में गैस बनना इन हिंदी कहते है। ऐसा होने पर फैटी लीवर जैसे रोगो की संभावना होती है। जिसके लिए पेट दर्द गैस का इलाज की आवश्यकता पड़ती है।

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पेट में गैस बनना क्या है ( What is Gas in Stomach in Hindi )

पेट में गैस बनने के कारण और उसके उपाय, की चर्चा चिकित्सीय ग्रंथो में की गई है। जिसमे पेट में गैस बनने के कारण क्या होता है? इत्यादी को सम्मिलित किया गया है। साथ ही पेट में गैस क्यों बनती है कारण बताएं, जैसे प्रश्न भी है। जो पेट में गैस और दर्द का इलाज में उपयोगी है। पेट में गैस के कारण तिल्ली का बढ़ना ( प्लीहावृद्धि ) भी होता है। जो अपने आप में बहुत ही कष्टदायी रोग है। इसलिए पेट में गैस बनने का कारण व उपाय को जानना आवश्यक है।

जब किसी कारण से पाचकाग्नि दुर्बल या मंद हो जाती है। तब पाचन क्रिया में अवरोध या विकृति आ जाती है। जिसके परिणामस्वरूप वात दोष प्रकुपित हो जाता है। जिससे पेट में गैस इन हिंदी होने लगती है। यह उदर में जाकर गुल्म ( गोले ) के समान आकृति की, होकर उदर रोगो को जन्म देती है। जिसको पेट में गैस का गोला बनना कहते है। जब यह अधिक पुराना या जीर्ण हो जाता है। तब कब्ज कहलाने लगता है। जिसके उपचार के लिए कब्ज का रामबाण इलाज की आवश्यकता पड़ती है।

पेट में गैस बनने का कारण और उसका इलाज को, ही पेट में गैस है कैसे ठीक होगा कहते है। जहा पहला चिकित्सीय और दूसरा व्यहारिक परिपेक्ष्य में है। जिसको पेट में गैस बनने के कारण और उपचार भी कहते है। निदान प्रक्रिया में बिना कारण, रोगी की प्रकृति आदि को समझे दवा आदि का चुनाव कैसे होगा? जब तक कारण है तब तक रोग कैसे जाएगा? क्योकि आयुर्वेदादी शास्त्रों में कारण की विद्यमानता को ही रोग कहा गया है। जिसके आपनोदन का एकमात्र उपाय कारण को सदैव के लिए हटा देना।  

पेट में गैस क्यों बनती है ( why gas in stomach forms in Hindi )

पेट में गैस बनने की मुख्य वजह उदरांत अम्लों की सांद्रता में कमी होना 

पेट में गैस के कारण का मुख्य हेतु उदराग्नि की न्यूनता है। जिसकी दुर्बलता के कारण पेट में गैस का दर्द होता है। जिसके निवारण के लिए पेट में गैस है तो क्या करें? जैसी बाते निकलकर आती है। साधारणतः सभी जीवो के पेट में गैस बनने का कार्य होता है। जब यह मानवो में होता है, तब इसको मनुष्य के पेट में गैस क्यों बनती है द्वारा प्रकट किया जाता है। वैसे तो पेट में गैस के कारण दर्द सभी को नहीं होता है। फिर भी गैस के कारण होने वाले दर्द की प्रकृति चुभन, मरोड़, जी घबराने, अत्यधिक पसीना इत्यादि वाली होती है।

चिकित्सा शास्त्रों में सभी प्रकार के रोगो का, मूल अग्नि का मंद पड़ना माना गया है। जिनको प्राप्त कराने में अजीर्णता, दूषित अन्नपान एवं मल संचय हेतु है। जिनकी सम्प्राप्ति रूखे पदार्थो को खाना, कम खाना, अधिक आयास ( परिश्रम ), मल – मूत्र आदि के वेगो को रोकना, तथा अन्य शरीर को कमजोर करने वाले कारणों से कुक्षि ( कोखा ), ह्रदय, बस्ती और गुद – प्रदेश में गयी हुई प्रकुपित वायु जठराग्नि को मंद करके, कफ दोष को अपने स्थान से हटाकर स्वयं उसी से, मार्ग रुक जाने के कारण त्वचा और मांस के बीच में अपना आश्रय बनाकर। वह वायु मनुष्यो के पेट में गैस बनाती है। जो जीर्ण होने पर उदर की वृद्धि करती है। 

जिससे बचने के लिए पेट में गैस बनने से रोकने के उपाय, की बात आती है। जिसको पेट में गैस का इलाज इन हिंदी कहते है। जिसमे अदरक और सोंठ के फायदे और नुकसान है। जिनकी मदद से पेट में गैस न बनने की, दवाई भी बनायी जाती है। इसके साथ इनका उपयोग पेट में गैस का घरेलू उपचार, में किया जाता है। जिसको पेट में गैस का घरेलू नुक्सा भी कहते है।

अन्य पेट में गैस बनने का कारण (Other Gas In Stomach Reason in Hindi)

पेट में गैस बनने के कारण में भोजन बनाने में, उपयोग होने वाला ईंधन है। जो कार्य में कारण की विद्यमानता का द्योतक है। कोई भी कार्य ( सविशेष ) अपने कारण ( निर्विशेष ) के समाश्रित रहते, हुए ही अपनी अर्थक्रियाकारिता सिद्ध करता है। यह सनातन सिद्धांत है। जिसका अनुपालन भगवान की दूती प्रकृति और उनके परिकर आकाश, वायु, तेज, जल और पृथ्वी करते है। इस कारण कार्य में कारण की अनुगति सुनिश्चित है। उदाहरण के लिए गैस से बने भोजन से पेट में गैस बहुत बनती है। इसको किसी भी तरह समाप्त नहीं किया जा सकता। इसलिए पुरातन समय में भोजन उपलों ( कंडो ) पर पकाया जाता था।

आजकल जितने भी उत्पाद बाजार में बिकते है। सब के सब जंक और फास्ट फ़ूड है। सभी लगभग सूखे, सड़े – गले और बासी पदार्थो से बनाये जाते है। जैसे – ब्रेड आदि। साथ ही अनेको प्रकार के रसायनो को रंग, स्वाद आदि को बढ़ाने के लिए भी डाला जाता है। इन सभी का निर्माण उद्योगों में होता है। जिसमे ईंधन के रूप में गैस का ही उपयोग होता है। जिससे यह अत्यंत गैस कारक हो जाता है। जिनका सेवन करने से पेट में गैस और घबराहट होती है। इनके साथ यह पेट में गैस और एसिडिटी को भी जन्म देता है।

जबभी पेट में गैस क्यों बनता है की बात होगी, तो पेट में गैस बनने के कारण इन हिंदी पर विचार होगा। जिससे पेट में गैस को जड़ से खत्म करने के उपाय, तक आसानी से पहुंचा जा सके। ठीक वैसे ही जैसे बुखार की सबसे अच्छी दवा का किया है।

पेट में गैस के लक्षण (Symptoms For Gas In Stomach in Hindi)

पेट में गैस बनने का कारण और लक्षण की, बात करे तो इसके विविध प्रभेद है। जिनको आधार बनाकर रोग की चिकित्सा का शुभारम्भ होता है। इसकारण ही पेट में गैस बनने के लक्षण को जानना महत्वपूर्ण है। जिसको पेट में गैस के लक्षण इन हिंदी भी कहते है। इन लक्षणों को जानने के लिए ही पेट में गैस के लक्षण क्या है? और पेट में गैस बनने से क्या क्या लक्षण होते हैं? जैसे प्रश्न होते है। जबकि चिकित्सीय ग्रंथो और चिकित्सा सिद्ध मनीषियों ने निम्न लक्षण सुझाये है –

  • कुक्षि ( पेट के किनारे ), हाथ, पैर, दोनों अंडकोषों में सूजन होना
  • पेट ( उदर प्रदेश ) में फटने के समान दर्द होना
  • उपरोक्त अंगो में अनिश्चितता के साथ सूजन का घटना और बढ़ना
  • कुक्षि और पसलियों में दर्द होना
  • उदावर्त होना
  • अंगो में मसलने के समान दर्द होना
  • जोड़ो में फटने की सी पीड़ा
  • सूखी खांसी का आना
  • शरीर में कमजोरी और दुर्बलता आना
  • भोजन के प्रति अरुचि होना
  • खाये हुए भोजन का न पचना
  • पेट के निचले भाग में भारीपन
  • अपान वायु, मल – मूत्र आदि त्यागने में रुकावट होना
  • नाखून, आँख, चेहरा, त्वचा, मूत्र एवं मल के रंग का बदलना ( लाल या काला होना )
  • पेट के ऊपर अंगुलियों से ठोकने पर हवा से भरे थैले के समान शब्द होना
  • पूरे पेट में पतली तथा काले रंग की रेखाओ के, रूप में सिराओ का दिखाई देना आदि।

खाना खाने के बाद पेट में गैस बनना (gas when stomach is empty In Hindi)

खाना खाने के बाद लोग गैस बनने की शिकायत करते है। जो पाचन तंत्र की गड़बड़ी के कारण होता है। जबकि सामान्यतः अक्सर लोग पूछा करते है कि – खाली पेट में गैस क्यों बनती है? या खाली पेट गैस क्यो बनती है?

किसी भी जैविक पदार्थ की विघटन क्रिया में, गैस आदि का निष्कर्षण होता है। यह स्वाभाविकी क्रिया है। जिसके बिना भोजन का पाचन संभव नहीं। इसमें समस्या तब प्रारम्भ होती है, जब यह गैस उचित मात्रा में बाहर नहीं निकल पाती। इसको ही खाना खाने के बाद गैस बनना कहते है। जिसके लिए पेट में गैस बनने का कारण और उपाय, को समझना महत्वकारी है। विशेष रूप से यह परिस्थिति तब होती है, जब अधिक पेट में गैस होता है। इसके होने का मुख्य हेतु आनुपातिक मात्रा में गैस का बाहर न निकलना है।

बच्चे के पेट में गैस बनना (Baby with gas in stomach In Hindi)

बच्चे के पेट में गैस क्यों बनती है? यह बात अक्सर माता – पिता द्वारा पूछी जाती है। बच्चे सभी को प्यारे होते है। जब इनको किसी प्रकार की समस्या होती है, तो पूरा घर चिंतित हो उठता है। इसके होने में अनेको कारण है। जैसे – बच्चे नटखट और हमेशा खाने – पीने स्वभाव वाले होते है। लोग प्रेम वस बच्चो के नाम पर, उनको खुश करने के लिए बाजारों में मिलने वाले उत्पादों को लाते है। जो बहुत ही रंग विरंगे और मनमोहक खुशबू आदि से परिपुष्ट होते है। इनके कारण बच्चे को यह लुभावने लगते है।

बाजारों में बिकने वाले उत्पादों का, पहला उद्देश्य पैसा कमाना और दूसरा कुछ और है। इसकारण इनका निर्माण अखाद्य पदार्थो ( चीनी, मैदा आदि ) के संयोग से किया जाता है। जिसका सेवन करने पर बच्चे या बड़े सब के सब, गैस आदि समस्याओ के चपेट में आ जाते है। जिनका एक उपचार इनके सेवन से बचना है।

छोटे बच्चे के पेट में गैस बनना (Gas In Stomach Of Newborn Baby In Hindi)

छोटे बच्चों के पेट में गैस बनना

नवजात शिशु ( एक वर्ष से कम ) अन्नादि का सेवन नहीं करते, फिर भी उनके पेट में गैस बनने की क्या कारण है? यह प्रश्न इसलिए खड़ा होता है क्योकि शिशुओ का, खानपान और दिनचर्या तो उपरोक्त कारणों से भिन्न है। यह तो केवल पेय पदार्थो पर ही आश्रित है। जैसे – माँ का दूध, जल इत्यादि। फिर इनमे गैस की समस्या क्यों हो जाती है?

बच्चो को दूध पिलाने वाली माताए, भूलवश जब किसी अपाचित द्रव्य का सेवन करती है। तब उसका दोष उनमे बनने वाले दूध में आ जाता है। जब बच्चा उसको पीता है, तो उसका पाचन तंत्र कमजोर होने के कारण गैस की समस्या करता है। जिसको अफारा आदि का नाम दिया जाता है। जिसके होने पर बच्चा चीखता चिल्लाता है, दूध पिलाने पर दूध नहीं पीता, हाथ और पैर दोनों ऊपर उठाकर लात मारते हुए रोता है। इसके लिए पेट में गैस के घरेलू उपाय में हींग का प्रयोग होता है।

पेट में गैस बनना और पेट साफ ना होना (gas in stomach and constipation In Hindi)

पेट में गैस और कब्ज होने पर पेट साफ़ न होने की समस्या होती है। यहाँ पेट साफ़ होने का मतलब बड़ी आंत में, पाए जाने वाले अनुपयोगी पदार्थ के निष्कर्षण से है। जिसको अंग्रेजी में माइक्रोबियल इम्बैलेंस कहा जाता है। जिसमे अनेको प्रकार के सूक्ष्म जीवाणु पाए जाते है। जिनका कार्य भोजन में उपस्थित अनेको प्रकार के, आवश्यक पोषक पदार्थो का अवशोषण करना है। जिनसे हमारे शरीर के पोषक तत्वों की आपूर्ति होती है। जिनकी आनुकूलित निर्बाधता बनी रहने पर पेट में गैस आदि, की समस्या नहीं होती।

जब हम मैदा, रिफाइंड तेल, वनस्पति घी आदि का प्रयोग करते है। तब बड़ी आंत में पाए जाने वाले, जीवाणुओ की क्रियाविधि में बदलाव आता है। जिससे गुदा और गुदा द्वार में मल एकत्रित होना प्रारम्भ हो जाता है। जिससे पेट में कब्ज, गैस, दर्द आदि होता है। ऐसा होने पर लोग पेट में गैस बहुत बनती है क्या करें पूछते है। जिनसे बचने के लिए पेट में गैस और कब्ज का इलाज किया जाता है।

जिसको पेट में गैस और कब्ज का इलाज बताओ कहते है। जब दवा के द्वारा इसके उपचार की बात होती है। तब पेट में गैस और कब्ज की दवा बताएं पूछा जाता है। आमतौर पर इनको ही पेट में गैस न बनने की दवा बताइए भी कहते है। पेट में गैस न बनने के लिए स्वादिष्ट, सुपाच्य और शास्त्र सम्मत भोजन अनिवार्य है। 

पेट में गैस बनना भूख न लगना (Gas In stomach And Appetite Loss In Hindi)

पेट में गैस बनने पर भूख नहीं लगती। ऐसा प्रायः देखा जाता है। जिसको पेट में गैस बनने पर क्या करें या, पेट में गैस है क्या करें द्वारा व्यक्त करते है। पेट में गैस बनने पर सभी रिक्त स्थानों में गैस भर जाती है। जिसको कोष्ठबद्धता भी कहा जाता है। जिसमे उदर गुब्बारे की भाँती फूल जाता है, और मरोड़ आदि के साथ दर्द करता है। जिसके उपचार को पेट में गैस और दर्द का इलाज कहते है। यह बहुत ही विचित्र स्थिति होती है। जिसके लिए पेट में गैस बनने से क्या परेशानी होती है? इस प्रकार की शंकाए प्रकट की जाती है।

जिसके लिए पेट में गैस का इलाज किया जाता है। जिसकी प्रसिद्धी पेट में गैस का उपाय के रूप में भी है। जिसमे आहार – विहार, दिनचर्या, खान – पान आदि है। साथ ही शास्त्रों में विहित औषधिया है। जिनके द्वारा इन रोगो का आपनोदन किया जाता है। जिसमे आधुनिक जीवन की स्वस्थ  दिनचर्या का पालन अनिवार्य है।

पेट में गैस बनना और डकार आना (Gas In Stomach And Bleching In Hindi)

खट्टी डकार आना

पेट में मात्रा से अधिक गैस बनने पर, गैस उर्ध्वगामी होकर मुँह से निकलती है। जिसे डकार आना कहते है। यह रोग मुख्यतः क्षुद्रांत ( आमाशय ) में बनने वाले गैस में पाया जाता है। जिसको अपच, बदहजमी नामो से जाना जाता है। जिसको दूर करने के लिए, आनुपातिक मात्रा में भोजन और पानी पीना चाहिए। इनकी विसंगति के कारण ही, पेट में गैस के उपाय की आवश्यकता पड़ती है। यह सामान्य रूप से गंभीर समस्या नहीं है। परन्तु रोग के जीर्ण होने पर, विध्वंसक परिणाम होने की संभावना होती है।

इनसे बचने के लिए पेट में गैस क्यों बनती है इसका इलाज क्या है? लोग जानना कहते है। आजकल मशीनी जीवनचर्या का अनुकरण लोगो की मजबूरी बन गई है। जिसमे सोने और खाने का कोई समय नहीं है। ठीक उसी प्रकार जैसे मशीनों के काम करने कोई समय नहीं होता। हम जब चाहे उनको चला सकते है। परन्तु मानव शरीर इसके ठीक विपरीत है। यह प्राकृतिक स्वचालन पद्धति के अनुसार संचालित है। यही कारण है कि – मानव शरीर को चेतन ( सजीव ) माना गया है। और मशीनों को जड़ ( निर्जीव ) माना गया है।

सभी सजीवों की दिनचर्या सूर्य आदि पर निर्भर है। जिसके अनुसार हमारा भोजन का समय, निद्रा आदि निर्धारित है। ठीक उसी प्रकार जैसे मशीनों की संचालन की, क्रिया विधि का निर्धारण उसके निर्माता द्वारा निर्धारित है। जिसमे फेर बदल करने पर समस्या आना तय है।

पेट में गैस बनना और घबराहट होना (Gas In stomach And Anxiety In Hindi)

पेट में गैस क्यों बनता है और घबराहट क्यों होती है? यह बहुत ही रुचिकर प्रश्न है। जिसको ज्यादातर लोग जानने के इच्छुक होते है। घबराहट मानवो को तभी होती है। जब हमारे हृदय पर किसी प्रकार का कोई दाब पड़ता है। जिसको कम करने के लिए यह उस अंग विशेष को, अधिक मात्रा में खून का स्थानांतरण करता है। जिसके परिणाम के रूप घबराहट होती है। जिसके वाह्य और अन्तः दोनों कारण है। चिकित्सा में गैस बनने से होने वाली घबराहट को आंतरिक माना गया है।

मनुष्यो के पेट में गैस बनने के अनेक कारण है। जिसकी चर्चा शुरुआत में हो चुकी है। मात्रा से अधिक गैस बनने से, यह उदर की दीवारों पर दाब डालता है। जो हृद प्रदेश तक भी वाहिनियों के माध्यम से हो सकता है। जिसके चलते घबराहट होने की संभावना पायी जाती है।

पेट में गैस बनना जी मिचलाना (Gas In Stomach And Nausea in Hindi)

जी मिचलाना और पेट गैस क्यों बनती है? यह दोनों ही बाते आपस में एक दुसरे से जुडी है। पेट में गैस बनने के उपरोक्त हेतु है। जो पाचन तंत्र की पाचन क्रिया में अवरोधक है। जिसके कारण मुँह  में पानी आना, मन पंछाना और जी मिचलाने जैसी समस्याए होती है। जिनमे पेट में गैस के घरेलू उपचार असरकारक है। 

प्रेगनेंसी में पेट में गैस बनना (Gas In Stomach During Pregnancy in Hindi)

गर्भावस्था में पेट में गैस बनती है तो क्या करे? यह वह परिस्थिति है। जिसका सामना एक न एक दिन हर मातृ शक्ति को, वश परम्परा के निर्वाह के लिए करना पड़ता है। जिसको शास्त्रों ने परम्परा प्राप्त दायित्व का दर्जा दिया है। इसमे अनेको प्रकार की क्रियाओ का सम्पादन एक साथ होता है। जिसमे मुख्य रूप से गर्भाशय फैलता है। जिससे पेट में पाए जाने वाले अंग सिकुड़ते है। जिसके कारण भूख भी लगभग नहीं लगती। जिसके कारण पेट में गैस और दर्द की समस्या होती है। जिसके उपचार को पेट में गैस से दर्द का इलाज कहते है।

गर्भ के विकास की प्रक्रिया में, अनेको प्रकार के रसो का श्रवण पेट में होता है। जिसके कारण भी गैस की समस्या हो सकती है। ऐसा होने पर पाचन की विकृति जन्म लेती है। जिसमे पेट में गैस बनने का घरेलू उपाय सुरक्षित और लाभकारी है।

पेट में गैस बनना सिर में दर्द होना (gas in stomach and headache In Hindi)

आमतौर पर पेट में गैस होने पर सभी को सर दर्द नहीं होता। ऐसा देह प्रकृति में भेद के कारण होता है। परन्तु कभी – कभी लोग भोजन के बाद पानी पीते है। जिससे पाचन में व्यवधान होता है। दूसरी और भोजन में सड़न के कारण भी, गैस की समस्या होती है। यह बदहजमी या इनडाइजेशन का बड़ा कारण है। जो पेट में गैस और सिर दर्द करता है। इनके निवारण के लिए पेट में गैस क्यों बनती है बताएं लोग पूछते है।

कभी – कभी पेट में गैस के कारण, सिर में दर्द देखा जाता है। जिसको सिर में गैस चढ़ना कहते है। जो आज के समय का बहुत ही महत्वपूर्ण रोग है। इस दर्द में कभी आधे सिर में दर्द होता है। कभी पूरे में होता है, तो कभी बाए तरफ होता है, कभी दाहिनी ओर होता है। कभी – कभी दिन निकलने पर दर्द होता और सूर्यास्त होने पर बंद हो जाता है। कभी सूर्यास्त के बाद शुरू होता है और सूर्योदय के बाद बंद हो जाता है। है। जिसके निवारण को, सिर में गैस चढ़ने के उपाय कहा जाता है। जिनकी दवाओं और चिकित्सीय उपचार की, जानकारी आगे दी जा रही है।

पेट में गैस बनने वाली चीजों के नाम (Foods that Cause Gas In Hindi)

सामान्यतः मैदे, चीनी, पाम आयल, अखाद्य वसा आदि से निर्मित सभी वस्तुए पेट में गैस करती है। अखाद्य वसा को अंग्रेजी में फैट्स कहते है। जिसमे अनसैचुरेटिड फैट्स और सैचुरेटेड फैट्स है। कृत्रिम खाद्य रसायनो के प्रयोग से निर्मित फैट्स को मॉडर्न साइंस ने अखाद्य और जानवरो की चर्बी से निर्मित वसा को खाने योग्य माना है। जबकि आयुर्वेद में इन दोनोको ही अखाद्य माना है। स्थिति विशेष में ही इनको खाद्य की स्वीकृति दी गई है। आजकल अनसैचुरेटेड फैट्स को पार्शली हाइड्रोजनेटेड और ट्रांस फैट्स के नाम से भी जाना जाता है।

मैदे को आंग्ल भाषा में कॉप्लेक्स कार्ब्स कहते है। जबकि चीनी को अखादित शर्करा कहा जाता है। जिनमे ग्लूकोज, सुक्रोज आदि है। जिनको खाने से पेट में गैस बनने की परेशानी होती है। फिर भी कुछ ऐसी चीजे है, जिनको खाने से गैस बनती है। जैसे –

  • बाजार में मिलने वाले पैकेज्ड जूस
  • काफी
  • सॉफ्ट ड्रिंक
  • नमक और शर्करा से भरपूर नाश्ता, एनर्जी बार आदि 
  • अलग – अलग प्रकार के चटनी ( सॉस ) और अचार
  • बेक हुए पदार्थ जैसे – मल्टी गर्ने ब्रेड, बिस्किट, कूकीज, केक, पेस्टी आदि।
  • टॉफी और चॉकलेट
  • मैरिनेड
  • सलाद का स्वाद बढ़ाने वाली ड्रेसिंग्स और डिप्स
  • अनेको प्रकार के रंग बिरंगे पैकेटो में पैक दही, खासकर चासनी में डूबे फलो वाली।

पेट में गैस बनने की दवा (Gas In Stomach Remedy in Hindi)

पेट में गैस न बनने की दवा की बात करे, तो अनेको ऐसी औषधिया है। जिनसे पेट में गैस ना बनने की दवा बनायी जाती है। जैसे – हींग, सोंठ, गजपीपल, सहिजन की फली, हरड़, आंवला, बहेड़ा, हल्दी, दारुहल्दी, कुटकी, देवदारु, नागरमोथा आदि। इन्ही आयुर्वेदीय औषधियों के समुचित समिश्रण से, पेट में गैस बनने की दवाओं का निर्माण किया जाता है। पेट में गैस से पीड़ित होने पर, लोग पेट में गैस बनने की दवा बताएं और पेट में गैस है दवा बताइए जैसे सवाल पूछते है।

पेट गैस की टेबलेट (Tablet For Gas In Stomach In Hindi)

पेट में गैस की टेबलेट को ही, पेट में गैस की अंग्रेजी दवा कहते है। इसको ही पेट में गैस की अंग्रेजी टेबलेट भी कहा जाता है। एलोपैथ में पेट में गैस बनने पर दवा के रूप में, टैबलेट का प्रयोग होता है। जिसको पेट में गैस की दवा का इलाज कहा जाता है। जिनकी कुछ दवाई यहाँ दी जा रही है।

डाईजेस्टोमैक्स – यह भोजन को पचाने और भूख बढ़ाने का काम करती है। जिससे गैस बनने की समस्या काम हो जाती है। ऐसा होने पर शरीर हल्का होता है।

नो गैस 150 mg टेबलेट – यह टैबलेट भी पेट में गैस बनने की समाया को कम करने में उपयोगी है। यह पाचन क्रिया को दुरुस्त कर भूख को बढ़ाती है।

इनो (ENO) – तुरंत गैस से राहत पाने में इसका उपयोग होता है। यह बहुत ही जल्दी पेट की गैस को बाहर निकालती है। जिससे पेट में गैस की समस्या से छुटकारा मिल जाता है।

ध्यान रहे : इस तरह की सभी दवाओं के सेवन से नींद अधिक आती है। गर्भावस्था में इन दवाओं के सेवन से बचना चाहिए। विशेषज्ञ की सलाह पर ही इनको लेना उचित है।

पेट में गैस बनती है तो क्या खाना चाहिए (Diet For Gas In Stomach in Hindi)

आयुर्वेद में पेट में गैस बनती हो तो क्या खाना चाहिए, का पूर्ण विचार है। जिसमे पेट में गैस हो तो क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। दोनों पर सामान दृष्टि से ध्यान आकृष्ट किया गया है। यह रोगी के रोग में कारणभूत हेतुओ में से एक है। जिसकी विद्यमानता रोग का समूल नाश करने में बाधक है। ऐसा न करने पर रोग को मिटाने वाली, अमृत तुल्य औषधियों के सेवनोपरांत भी रोग होना प्रायः पाया जाता है। जिसके कारण भोजन की गुणवत्ता और इसकी महत्ता दोनों ही अनिवार्य है।

इसकारण भोजन को ही औषधि बनाने की बात, आयुर्वेदादी शास्त्रों में कही गई है। जिसमे देहप्रकृति के अनुरूप भोजन की बात कही गई है। जिसका परिपालन करने वाला चिरायु और निरोगी होता है। जबकि पेट में गैस आदि की समस्या होने पर पाचन में हल्का, स्वादिष्ट और बल प्रदान करने वाला भोजन किया जाता है। जिसमे कुछ ऐसे अन्न इत्यादि को चुना जाता है। जिसमे यह सभी गुण स्वाभाविक रूप से विद्यमान हो।

जैसे – घृत, मधु, दूध, मूंग की दाल, जौ, अनेको प्रकार के आसव और आरिष्ट। सभी प्रकार के खट्टे फलो का रस या जूस, अनेको प्रकार के औषधियों से निर्मित होने वाला विशिष्ट क्वाथ। जैसे – पंचमूल के काढ़े में दाड़िम रस, घी और कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर भात खाना आदि। 

पेट में गैस बनती है तो क्या नहीं खाना चाहिए (Don’t Eat When Gas In Stomach in Hindi)

पेट में गैस न बनने का उपाय में, भोजन का चयन भी सर्वोत्तम उपाय है। जिसमे अनुकूल और उचित सामग्री का सेवन अत्यंत अनिवार्य है। द्रव्य सेवन की न्यून मात्रा और अधिक मात्रा दोनों ही, रोगो को जन्म देती है। उसी प्रकार देहप्रकृति के प्रतिकूल सामाग्री का सेवन भी, हमें रोगी बनाता है। उदहारण के लिर पानी को लीजिए। अधिक मात्रा में पानी पीने से अंगो में प्रसार होता है। जबकि कम मात्रा में पानी पीने से अंग सिकुड़ते है। ऐसा कोशिकाओं में बदलाव होने के कारण होता है।

उदर रोग में सामान्य नियम है कि – अधिक पानी नहीं पीना चाहिए। साथ ही जल में उत्पन्न होने वाली वस्तुओ का, सेवन भी नहीं करना चाहिए। इस कारण अक्सर प्रश्न किया जाता है कि – चावल खाने से पेट में गैस बनती है क्या? केवल लाला शालीचावल के अतिरिक्त सभी चावलों को खाने का निषेध है। क्योकि चावल की खेती पानी में होती है, एवं इसको पकाने के लिए भी पानी का ही उपयोग होता है। जबकि औषधि से युक्त चावल खाना गुणकारी है।

इनके अतिरिक्त अधिक खट्टा, गर्म और विदाहकारक वस्तु के सेवन का निषेध है। जिसमे सभी प्रकार के मिर्च मसाले, तले – भुने, अपौष्टिक और स्वादिष्ट पदार्थ है। जिनका विपणन आजकल बाजारों में होता है। तिल अनेक आयुर्वेदीय विशेषताओं से युक्त है। किन्तु पेट रोग में तिल खाना अनुचित माना गया है। जबकि अजवाइन से गैस का इलाज किया जाता है। जो सेधनामक के साथ प्रयोग होता है।

पेट में गैस बनता है तो क्या करें (How Reduce Gas In Stomach in Hindi)

पेट में गैस क्यों बनाता है को जान लेने, के बाद पेट में गैस है तो क्या करना चाहिए? इसको ही पेट में गैस बनती है उपाय भी कहा जाता है। इनको ही समझने के लिए पेट में गैस है उपाय बताएं, जैसी जिज्ञासाए व्यक्त की जाती है। जिनका मूल उद्देश्य पेट में गैस क्यों बनते हैं और इनका उपचार क्या है? इसमें निहित है।

चिकित्सा की दृष्टि से पेट में गैस बनने का क्या उपाय है? जिसमे पेट में गैस क्यों होती है? इसके लक्षण क्या होते है? और इनका सफल उपचार क्या होता है। तीनो को जान लेना हितकारी है। आज की प्रचलित उपचार पद्धतियों में पेट में गैस बनना, का अपने – अपने सिद्धांत के अनुसार निदान की प्रक्रिया है। सर्व चिकित्सा प्रधान पद्धतियों में आयुर्वेद को माना गया है

जिसमे पेट में गैस का उपचार वात, पित्त और कफ दोषो के आधार पर की जाती है। जिनके निवारण के लिए दोषो को निकालने का विधान है। जिसमे स्नेहन, स्वेदन का प्रयोग दोष को स्थान छुड़ाने के लिए और, विरेचन का प्रयोग दोषो को निकालने के लिए किया जाता है। जिसमे अनेको प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग किया जाता है। जिसमे पेट में गैस का घरेलू इलाज प्रसिद्द है। जिसमे पाचन क्रिया कैसे सुधारे माँ हत्वपूर्ण है।

पेट में गैस बनना घरेलू उपाय ( Home Remedy Of Gas In Stomach in Hindi )

पेट में गैस न बनने के घरेलू उपाय इस प्रकार है –

  • गुनगुने पानी में सेंधानमक मिलाकर पीना लाभदायक है।
  • पिप्पली, सोंठ, चित्रकमूलक, वायविडंग, जमालगोटा की जड़ – इन सभी को सामान भाग लेकर एवं हरीतकी को, दूनी मात्रा में लेकर कूट – पीसकर रख ले। इसका सेवन 5 -5 ग्राम की मात्रा में गरम पानी से करे।

पेट में गैस की होम्योपैथिक दवा (Homoeopathic Remedy For gas in stomach and pain in Hindi)

पेट में गैस क्यों होता है की चर्चा हो चुकी है। अब इसका होम्योपैथ में क्या इलाज है। इसको जानते है। होम्योपैथी में गैस के लिए अनेक दवाओं का प्रयोग होता है। जैसे – लाइकोपोडियम, सीपिया, पल्साटिला, एकोनाइट, अर्जेंटीकम नाइट्रिकम, सल्फर, ब्रयोनिया, अन्तियम क्रूड, कार्बो वेज इत्यादि।

पुरुषो में होने वाले रोगो में लाइकोपोडियम अधिक फायदेमंद है। जबकि महिलाओ में सीपिया, पल्साटिला आदि को उपयोगी माना गया है। पुरुषो की अपेक्षा महिलाओ में गैस की समस्या अधिक देखी जाती है। जिसका कारण उनका शारीरिक गठन आदि को माना गया है।

पेट में गैस के लिए योग और व्यायाम (Yoga For Gas In Stomach in Hindi)

पेट में गैस क्यों बनती है घरेलू उपाय जानने के बाद, योग और व्यायाम की बात आती है। जिसका कारण इनको भी रोग से निजात दिलाने वाला, एक माध्यम योग दर्शन आदि के अनुसार माना गया है। जिसको आजकल परिश्रम कहा जाता है। आजकल यातायात आदि में मशीनों के आ जाने से श्रम का विलोप हो गया है। जिसके कारण शरीर की मांसपेशियों में संचित ऊर्जा का उपयोग नहीं हो पाता। जिससे शरीर में असंतुलन हो जाता है, और हम बीमार पड़ जाते है।

आजकल लोगो में नींद की बीमारी पायी जा रही है। जिसका कारण भी श्रम का अभाव है। इसकारण योग आदि को पेट में गैस न बनने के उपाय के रूप में देखा जाता है। यहाँ ध्यान रखने वाली बात यह है कि – कौन से रोग में कौन सा कार्य करे, कौन सा न करे, कैसे करे, कैसे न करे का स्मरण आवश्यक है। इनका ध्यान न रखने पर भी, रोग के होने की पूर्ण सम्भवना होती है।

पेट में गैस होने पर अधिक मेहनत वाला काम जैसे – दौड़ – भाग, यात्रा आदि नहीं करना चाहिए। साथ ही सुखासन, सवासन, पवनमुक्तासन जैसे आसान करने चाहिए। प्राणायाम में भ्रामरी, अनुलोम – विलोम आदि किया जा सकता है।

उपसंहार :

आमतौर पर पेट में गैस बनने की समस्या, पाचक अग्नि के मंद होने पर देखे जाती है। जिसमे वात दोष की प्रधानता होती है। जिसमे पेट की अग्नि विषम हो जाया करती है। इस कारण पेट की वायु प्रतिलोमित होकर, पूरे पेट में अपना प्रभाव दिखाने लगती है। जिससे पेट में गैस बनना सिर में दर्द होना और पेट में गैस बनना भूख न लगना जैसी समस्याए हुआ करती है। लेकिन कुछ लोगो में खाना खाने के बाद पेट में गैस बनना आमतौर पर पाया जाता है। जिसके निदान के लिए पेट में गैस बनना घरेलू उपाय परम उपयोगी है।  

सन्दर्भ :

चरक संहिता चिकित्सा अध्याय – 13 

पेट की गैस से सम्बंधित प्रश्न (FAQ Related To Gas in Hindi)

खाना खाने के बाद पेट में गैस क्यों बनती है?

भोजन को पचाने के लिए पाचन तंत्र, भोजन के अणुओ को विखंडित करता है। जिसमे गैस भी निकलती है।

पेट में बहुत गैस बनता है क्या करें?

कुछ दिनों तक नियमित रात्रि में त्रिफला आदि का सेवन करे।

गैस पेट में क्यों बनती है?

अखाद्य पदार्थ का सेवन और पाचन तंत्र की विकृति के कारण गैस बनती है।

गैस बने तो क्या खाना चाहिए?

पेट में गैस होने पर हल्का, आसानी से पचने वाला और रोगी के दोषानुकूल ( वात आदि ) खाना खाना चाहिए।

गैस का दर्द कहाँ होता है?

सामान्यतः गैस का दर्द पेट या पेट के आसपास ही होता है। लेकिन इसके होने की संभावना सिर, छाती, कमर, पीठ और हाथ आदि में भी हो सकती है।

सिर में गैस चढ़ने पर क्या करें?

सेंधा नमक को पानी में अच्छे से उबालकर पिए।

गैस की टेबलेट कौन सी है?

नो गैस 150 mg टेबलेट आदि को गैस की बढ़िया टेबलेट माना जाता है।

गैस से तुरंत राहत कैसे पाये?

हींग सबसे अच्छी दवा हैं गैस की जिसको पानी में, घोलकर पीने से तुरंत गैस से राहत मिलती है।

गैस होने पर क्या नहीं खाना चाहिए?

देर से पचने वाले, तेल से युक्त, खट्टे और नमकीन आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। जैसे – अचार, खटाई, नमकीन आदि।

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