गुदा के बाहर ( दिखाई पड़ने वाली ) बवासीर का इलाज प्रायः बवासीर की दवाई से ही होता है। परन्तु गुदा के अंदर होने के कारण न दिखने वाले बवासीर को नष्ट करने के लिए बवासीर की गारंटी की दवाई की आवश्यकता पड़ती है।
क्योकि सामान्य बवासीर की दवाएं बवासीर का इलाज अस्थायी रूप से कर तो देती है। लेकिन कुछ समय के बाद फिर से बवासीर के लक्षण दिखने लगते है। जिसका नाश करने में बवासीर की गारंटी की दवा ही उपयोगी है।
बवासीर के कुछ ऐसे विशेषज्ञ इलाज है। जो बवासीर से लंबे समय तक राहत की गारंटी देते हैं। लेकिन पूर्ण समाधान के बिना बवासीर जैसा महारोग कैसे ठीक हो सकता है। किन्तु कुछ विशिष्ट बवासीर के घरेलू उपाय है।
जो आयुर्वेदीय संहिताओं में वर्णित होने से पुरानी से पुरानी बवासीर का इलाज आसानी से कर देते है। इसलिए पुरानी बवासीर का इलाज औषधि चिकित्सा से करना श्रेष्ठकर है। ज्यादा पुराणी बवासीर कैंसर के लक्षण पैदा कर सकती है। जिसमे गाँठ बनने लगती है। खैर यह शरीर की स्वाभाविक क्रिया है।
जो किसी भी स्थान पर अधिक समय तक घाव होने पर बन जाती है। जब यह घाव मिट जाता है, तब यह गाँठ अपने आप ही मिट जाती है। परन्तु गाँठ का इलाज वास्तव में, उस घाव का उपचार है न कि गाँठ का। जोकि बवासीर की गांठ का इलाज में भी देखा जाता है। जिसमे बवासीर के मस्से को जड़ से खत्म करने का उपाय अत्यंत कारगर है।
बवासीर रोग क्या है ( what is piles disease )
बवासीर शिराओ में खून जमने से होने वाली बीमारी है। जिसमे मुख्य रूप से मलाशय की सिराए लम्बाई की ओर फैली होती है। जिसमे कपाट नहीं पाए जाते। अतः अधिक समय से विबंध के कारण दस्त आदि के समय जोर – जोर काखने से, इनमे खून भर जाता है। जिससे यह शिराए फूल ( सूज ) कर मासांकुर या मस्से बन जाते है। जिनको बवासीर कहा जाता है।
जो रगड़, देर तक बैठने, शीतस्पर्श और अधिक समय तक मल को रोकने आदि कारणों से कुपित होकर अत्यधिक फूल जाते है। तब रोगी को चलने – फिरने में दर्द होने लगता है। जो ज्यादा पुराना होने पर बढ़ भी सकता है। जिसका स्थायी रूप से निदान करने के लिए बवासीर की गारंटी की दवाई की आवश्यकता पड़ती है।
मानव शरीर में स्थूलांत्र के अंतिम भाग के साथ संयुक्त अर्धयुक्त पांच अंगुल अथवा अर्धाङ्गुलरहित पांच अंगुल गुदा होती है। उसमे डेढ़ – डेढ़ अंगुल के अंतर पर तीन बलिया होती है –
- प्रवाहणी
- संवरणी
- विसर्जनी
आधुनिक मानव शरीर रचना विज्ञान विशेषज्ञ हूस्टन ने भी मलाशय के तीन वाल्ब बताये है। सम्भवतः ये तीनो वलियां वही है।
उपरोक्त तीनो वलियाँ मिलकर चार अंगुल लम्बी, एक अंगुल टेढ़ी उभरी हुई एवं शंख की तरह एक के ऊपर एक रहती है। जिनका रंग कुछ काला – काला होता है। जिनको हमारे शरीर में साढ़े चार अंगुल लम्बे लम्बे गुद को निम्न भागो में बांटा गया है –
- गुदौष्ठ ( anus )
- गुदनलिका ( anal canal )
- और मलाशय ( rectum )
इनके आख़िरी इंच भर हिस्से को वलियो के छल्ले, झुर्रियां या सलवट कहते है। गुदौष्ठ से तीसरी वली ( विसर्जनी ) तक गुड़नालिका की लम्बाई चार अंगुल होती है। और इसी चार अंगुल के स्थान में जो सिराएं होती है, उनमे ही बवासीर होता है। जिसमे संवरणी वली में खूनी अथवा अभ्यंतर बवासीर ( internal piles), जबकि विसर्जनी वली में बाहरी बवासीर (external piles) होने की संभावना होती है।
बवासीर के मस्से कैसे होते है ( bawasir ke masse kaise hote hai )
सहज ( जन्म से प्राप्त ) और कालज ( जन्म के बाद ) होने वाली, बवासीर के मस्से विभिन्न आकार और रंग के होते है। जो बवासीर के प्रकार और लक्षण द्वारा, अलग – अलग लोगो में अलग तरह से दिखाई पड़ते है।
किसी के बवासीर के मस्से छोटे, तो किसी के मध्यम और बड़े आकार के भी हो सकते है। अमूमन बवासीर के मस्से सरसों, मूंग, उड़द, मसूर के दानो से लेकर , अंगूर, जामुन और गाय के स्तन एवं सिंघाड़े जैसे भी देखे जाते है।
बवासीर के मस्सों के रंग लाल, काले, नीले, सफ़ेद एवं कुछ हरे अथवा पीले रंग के देखे जा सकते है। जबकि मस्सो की प्रकृति खुरदरे, गोल, चिकने, पतले, सूखे और मूल भाग में मोटे हो सकते है।
जिनको पूर्ण रूप से उपचारित करने में बवासीर की गारंटी की दवाई फलकारी है। जबकि बवासीर की पतंजलि दवा ( patanjali bawasir ki dawa ) भी इन मस्सों में उपकारी है। जो बाहरी बवासीर के उपचार ( external piles treatment ) के साथ अन्य गुदा की बवासीरो ( anus piles ) में भी उपयोगी है।
बवासीर क्यों होता है ( bavasir kyo hota hai )
बहुत पुराना विबंध होने के कारण दस्त जाते समय प्रवाहण करने से और भीषण रोग जैसे मूत्राश्मरी, तिल्ली का बढ़ना, यकृद्दाल्युदर ( लीवर का बढ़ना ), पेट में पानी भरने आदि से बवासीर ( bavasir ) उत्पन्न होता है।
वही महिलाओ में गर्भ की अवस्था के दौरान बवासीर होने की संभावना अधिक हो जाती है। इसके साथ गर्भाशय की बीमारियो में भी बवासीर होने की प्रबल संभावना देखी जाती है। जैसे – गर्भाशय का ट्यूमर आदि।
इनके अतिरिक्त कुछ दैनिक क्रियाकलाप है। जिनके कारण बवासीर हो सकती है। जैसे –
- अधिक समय तक बैठे रहना
- अत्यधिक मात्रा में मादक द्रव्यों का सेवन करना
- नियमित पेट साफ न होना
- पेट में गैस बनना
- कब्जियत होना
- तीखे, चटपटे, मशालेदार और देर से पचने वाले आहार खाना
- पैकेज्ड, प्रोसेस्ड और रिफाइंड फ़ूड को आहार में शामिल करना आदि।
बवासीर के मस्से का इलाज ( bawasir ke masse ka ilaj )
आयुर्वेद मे बवासीर की चिकित्सा के 4 उपाय बताये गये है –
- औषध
- क्षार
- अग्नि
- शस्त्र
बवासीर की दवाई ( piles medicines in hindi )
आमतौर पर गुदा के अंदर और बाहर होने वाले बवासीर के मस्सो में अंतर होता है। जिसकी मुख्य वजह गुदा की शिराओ में जमने वाला खून की विकृति और उस पर बनने वाला सौत्रिक तंतु का आवरण है।
जिसके कारण बाहरी बवासीर के लक्षण ( external piles symptoms ) और अंदरूनी बवासीर के लक्षण ( internal piles symptoms ) प्रायः अलग – अलग देखे जाते है। जिससे दोनों प्रकार के बवासीर की गारंटी की दवाई में भी कुछ अंतर आ जाता है।
बवासीर के उपचार में बवासीर क्या होता है इन हिंदी और बवासीर क्यो होता है? इन दोनों को परखना पड़ता है। जिससे बवासीर का स्थायी उपचार ( permanent treatment for piles ) किया जा सकें। जबकि वास्तव में बवासीर को जड़ से खत्म करना आसान नहीं है।
क्योकि किस बवासीर में कौन सी दवाई सबसे अधिक प्रभावी है और कौन सी नहीं। बावशीर रोग का निदान करने में इसकी अमोघ जानकारी और अभ्यास दोनों नितांत आवश्यक है।
बवासीर की सबसे अच्छी दवा का चयन रोगी के रोग लक्षण और रोगी की देह प्रकृति के आधार पर किये जाने का शास्त्रीय विधान है। जिससे लगभग – लगभग सभी तरह की बवासीर ठीक हो जाती है।
परन्तु आयुर्वेद आदि में कुछ ऐसे विशिष्ट प्रयोग है, जो न केवल बवासीर को जड़ से ख़त्म करते है, बल्कि अन्य बहुत से रोगो का भी नाश कर डालते है। जिनके कारण इनको बवासीर की गारंटी की दवाई माना जाता है, तो आइये जानते है कि बवासीर की गारंटी की दवा क्या है?
बादी बवासीर की गारंटी की दवाई ( guaranteed piles medicine ayurvedic in hindi )
आयुर्वेद आदि में बवासीर की दवाएं बहुत सी है। जिनके द्वारा बवासीर का आयुर्वेदिक इलाज ( bawasir ka ilaj ayurvedic ) किया जाता है। परन्तु आयुर्वेद में कुछ ऐसी बवासीर की दवाइया है, जो सभी तरह की बादी बवासीर की गारंटी की दवा है। जैसे –
- शक़्कर के साथ 1 – सूरनकंद ( ओल ) का चूर्ण, नागकेशर का चूर्ण सेवन करने से बवासीर के मस्से नष्ट हो जाते है।
- कोकम्ब का पंचांग दो पल ( 8 तोला ) शुद्ध भिलावे की भागी एक पल ( 4 तोला ) मारीच एक पल ( 2 तोला ) इन सभी का एकदम बारीक चूर्ण बनाकर एक कर्ष ( 1 तोला ) की मात्रा का सेवन करने से बवासीर का मस्सा शीघ्र नष्ट करता है। फिर चाहे वह गुदा के भीतर हो या बाहर। यह श्रेष्ठ बवासीर की गारंटी की दवाई है।
- शहद मिला हुआ मक्खन खाने से बवासीर के मस्से सूखकर झड़ जाते है।
- समशर्कर चूर्ण : नीचे से ऊपर को क्रम से एक – एक बढ़ाकर इलायची 1 भाग, दालचीनी 2 भाग, तेजपात 3 भाग, नागकेशर 4 भाग, मारीच 5 भाग, पीपरि 6 भाग और सोंठि 7 भाग लेकर चूर्ण कर सबके सामान शक्कर मिलाकर सेवन करने से बवासीर, मंदाग्नि ( अपच ), पेट दर्द, सूजन और अन्य गुदा से उत्पन्न होने वाले रोग भी नष्ट हो जाते है।
- 1 – सोंठ का चूर्ण, अथवा 2 – पीपरि का चूर्ण अथवा 3 – हर्रे का चूर्ण अथवा 4 – अनार दाने का चूर्ण इन चारों योगों में से किसी एक को गुड़ के साथ सेवन करने से गुदा के रोग बवासीर आदि के साथ मलबद्धता, आमदोष को भी नष्ट कर देता है।
- 1 – जवासा के चूर्ण या 2 – बेलफल की गुद्दी व 3 – अजवाइन के चूर्ण अथवा 4 – सोंठि के चूर्ण इनमे से किसी एक योग के साथ पुरइनपाढ़ी का चूर्ण सेवन करने से बवासीर का दर्द नष्ट हो जाता है।
- कटुकरंज, सेंहुड़ का डंडा, कटुतुम्बी के पत्ते और मदार का दूध इन सबको समान भाग लेकर बकरे के मूत्र में पीसकर बवासीर के मस्सों पर लगाने से लाभ होता है।
खूनी बवासीर की गारंटी की दवा ( khooni bawaseer ki guarantee ki dawa )
खून निकलने वाली बवासीर का इलाज खूनी बवासीर की गारंटी की दवाई से बहुत ही सुगमता पूर्वक हो जाता है। जिसमे निम्न विशिष्ट योग लाभकारी है।
- अपामार्ग ( चिचिड़ा ) के बीज का विधिवत चटनी बनाकर चावल के धोवन के साथ पीने से खूनी बवासीर को पूर्णतः नष्ट कर देता है। यह खूनी बवासीर की गारंटी की दवाई है, इसमें किसी तरह का कोई संदेह नहीं है।
- लालचन्दन, चिरैता, जवासा और सोंठि का विधिवत काढ़ा बनाकर पीने से रक्तज बवासीर शांत होकर ख़त्म हो जाता है।
- हर्रे के चूर्ण के साथ मठ्ठे का सेवन करने से खूनी बवासीर ठीक हो जाती है।
- दारुहल्दी, नीम की चाल, खस और दालचीनी इनका विधिवत क्वाथ बनाकर सेवन करने से खूनी बवासीर शांत होता है।
- त्रिफला चूर्ण के साथ छाछ का सेवन करने से सभी तरह की खूनी बवासीर में लाभ होता है।
- योगरत्नाकर के अनुसार हृईबेरादिघृत बवासीर के दर्द की परम औषधि है। जो त्रिदोषनाशक है।
- ज्योतिष्मती ( मालकांगनी ) के बीज की चटनी का लेप खूनी बवासीर में हितकर है।
- सरसों के तेल में राल का चूर्ण मिलाकर युक्तिपूर्वक बवासीर को धूपित करने से बवासीर के मस्सों से खून निकलना बंद हो जाता है।
सर्वाधिक गुणकारी बवासीर की गारंटी की दवाई
अच्छे से पके हुए और जो कटे – फ़टे न हों, ऐसे भिलावो को एकत्र करें। उनमे से एक भिलावे को लेकर दो, तीन या चार टुकड़ों में काटकर यथाविधि काढ़ा बनाये। इस काढ़े को ठंडा करके तालु, जीभ और होठ में घी लगाकर, लगभग दो तोले की मात्रा में प्रतिदिन प्रातः काल सेवन करे और दोपहर में दूध, घी मिले हुए चावल ( भात ) को खाएं।
इसप्रकार एक – एक भिलावा नित्य बढ़ावे, जब तक 5 भिलावे की संख्या पूरी न हो जाय। इसके बाद 5 – 5 भिलावे रोज बढाए, जब तक इनकी संख्या 70 न हो जाय। जब सत्तर भिलावो की संख्या पूरे हो जाय तब 5 -5 भिलावो को क्रम से घटावे। जब तक इनकी संख्या 5 न हो जाय। 5 भिलावों की संख्या तक पहुंचने पर, एक – एक भिलावे घातवे जब तक एक भिलावे की सान्या न प्राप्त हो जाय।
इस तरह से एक हजार भिलावो का सेवन करने वाला व्यक्ति, सभी प्रकार की बवासीर आदि से मुक्त होकर बलवान हो जाता है। और निरोग रहते हुए शतायु होता है। अर्थात जिस प्रकार खैर और विजयसार सभी प्रकार के कुष्ठों का नाश करते है। उसी प्रकार सभी प्रकार कुटज और भिलावा बवासीर का नाश कर डालते है।
बवासीर बनाम पाइल्स ( hemorrhoids vs piles )
हेमोर्रोइड्स अथवा बवासीर को ही पाइल्स के नाम से जाना जाता है। जो गुदा और मलाशय के अंदर या बाहर बढ़ी हुई रक्त वाहिकाओं के सूजन के रूप में देखी जाती है। जिसको बवासीर के मस्से ( bawasir ke masse ) कहते है। जिसके उपचार में हब्बे बवासीर खूनी के फायदे के साथ, बवासीर का होम्योपैथिक इलाज भी लाभकारी है। परन्तु बवासीर का सर्वनाश तो बवासीर की गारंटी की दवाई और रोग और रोगी से प्राप्त लक्षणों के द्वारा ही किया जा सकता है।
क्या पाइल्स पूरी तरह ठीक हो जाता है ( is piles curable )
कालज अर्थात जन्म के बाद होने वाली बवासीर को उपचारित करने अनेक उपाय है। जिसमे बवासीर की गारंटी की दवाई और बवासीर का ऑपरेशन आदि है। जिनके माध्यम से बवासीर का सुगमता से सफल उपचार हो जाता है। जबकि सहज अर्थात जन्म से होने वाली बवासीर का उपचार नहीं हो पाता। केवल सावधानी रखकर इनसे बचा ही जा सकता है।
निष्कर्ष :
बवासीर की गारंटी की दवाई बवासीर का सफलतापूर्वक करती है। यह बवासीर की गारंटी की दवा इसलिए कही जाती है क्योकि यह दिखाई पड़ने वाली और न दिखाई देने वाली दोनों तरह की बवासीर की दवाई है। जिस प्रकार यह बवासीर की दवाएं बादी बवासीर को जड़ से उखाड़ती है। उसी प्रकार यह खूनी बवासीर को भी नष्ट कर डालती है। जिससे इन दवाओं को खूनी बवासीर की गारंटी की दवा कहा जाता है।
आयुर्वेदादी ग्रंथो में सदियों से इनका प्रयोग होता आया है। जिसके कारण इन उपायों पर आज भी लोगो की पर आस्था बनी हुई है। फिर किसी भी रोग का उपचार चतुष्पाद के आधार पर होता है। जिसमे सभी प्रकार के नियम और परहेज का पालन आवश्यक है। जिसके कारण आहार और दिनचर्या के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। जिसमे गड़बड़ी होने पर पूर्ण रूप से नष्ट हुए रोग के फिर से पनपने की संभावना बनी रहती है। जिससे रोगो से बचाव के लिए इसमें सुधार करने के अलावा हमारे पास अन्य कोई मार्ग शेष नहीं रह जाता।
धान रहे : किसी भी दवा का सेवन करने से पूर्व विशेषज्ञीय सलाह अवश्य ले। ऐसा न करने पर आपको लाभ के स्थान पर हानि भी हो सकती है।
सन्दर्भ :
सुश्रुत निदान अध्याय 2
सुश्रुत चिकित्सा अध्याय 6
योगरत्नाकर अर्शोरोगचिकित्सा
FAQ
बवासीर में दर्द क्यों होता है?
बवासीर के मस्सो के ऊपर बनने वाली सौत्रिक झिल्ली में रगड़ लगने से बवासीर में दर्द का अनुभव होता है।
बवासीर का ऑपरेशन कैसे करते हैं?
बवासीर के मस्सों को सड़सी या धारदार औजार से फोड़कर या काटकर निकालने को ही बवासीर का ऑपरेशन कहा जाता है।
बवासीर में लैट्रिन नहीं हो रहा है क्या करें?
लैट्रिन ढीला करने की दवा त्रिफला या लैक्सेटिव आदि का उपयोग करें।
बवासीर को इंग्लिश में क्या बोलते हैं?
पाइल्स ( piles )
बवासीर में लैट्रिन टाइट होने का क्या कारण है?
बवासीर में मंदाग्नि और विषमाग्नि होने से पेट में कब्जियत होने के कारण मल सूख जाता है। जिससे लैट्रिन टाइट होने लगती है।
12 thoughts on “बवासीर की गारंटी की दवाई : best medicine for piles in hindi”