खूनी बवासीर के मस्से प्रायः आकर में छोटे, गुदा के भीतर और बहुत ही कष्टकारी होते है। जिनके इलाज में आहार – विहार का बहुत महत्व है। जिसमे सबसे पहले आता है कि खूनी बवासीर में क्या खाना चाहिए और खूनी बवासीर में क्या नहीं खाना चाहिए?
इस प्रकार के भोजन का प्रतिषेध करते ही, खूनी बवासीर के लक्षण में सुधार आने लगता है। इसलिए खूनी बवासीर में क्या खाये ( bawasir me kya khaye ) और क्या न खाये का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है।
खूनी बवासीर को आयुर्वेद में परिस्रावी अर्श कहा गया है। जिसका तात्पर्य ऐसी बवासीर से है, जिनके मस्सों से खून, मवाज आदि रिसता रहता है। जिसमे जलने, भभाने इत्यादि के साथ दर्द का भी अनुभव हो सकता है। जिनको बवासीर के लक्षण कहते है।
जो महिला और पुरुष दोनों में पाए जाने की संभावना होती है। जब यह महिलाओ में पायी जाती है, तब महिला बवासीर के लक्षण कही जाती है। किन्तु जब यह पुरुषो में होती है, तब पुरुष बवासीर के लक्षण कहलाती है।
आयुर्वेदानुसार प्रायः पित्त दोष से संश्लिष्ट बवासीर को खूनी बवासीर कहते है। जोकि मस्से वाली बवासीर से भी अधिक कष्टकारी मानी गई है। जिसका मूल कारण इसके मस्सो का गुदा के अंदर होना है। जिसमे बवासीर के मस्सो को जड़ से खत्म करने का उपाय बहुत गुणकारी है। यह न केवल बवासीर के मस्सो को सुखाता है। बल्कि बवासीर के मस्सो को झाड़ ( गिरा ) भी देता है। जोकि अक्सर बादी बवासीर के इलाज में देखने को मिलता है।
खूनी बवासीर में क्या खाएं ( khuni bawasir me kya khaye )
खूनी बवासीर को ठीक करने के लिए आयुर्वेद में, बहुत से विधि – निषेध बताये गए है। जिसमे सर्वाधिक निषेध हमारे भोजन को लेकर है। ठीक उसी प्रकार जैसे मस्से वाली बवासीर को ठीक करने के लिए, मस्से वाली बवासीर में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं? तो आइये जाने कि खूनी बवासीर के लिए क्या खाना चाहिए ( khooni bawaseer mein kya khana chahiye)?
- पित्त दोष की निवृत्ति में विरेचन और लंघन ( उपवास ) का बहुत महत्व है। जो खूनी बवासीर के रोगियों में अत्यधिक लाभ करती है।
- अन्नो में – पुराना साठी चावल, अगहनी धानो के चावल, कोदो, मालकागनी ( कंगनी ), नीवार, यव और तीनी का चावल गुणकारी है।
- दालों में – मूंग, मसूर, चना, अरहर और मोठ आदि लाभकारी है।
- औषधियों में – अडूसा जैसी सभी कसैली दवाई फायदा करती है।
- सब्जियों में – चौलाई ( चौराई ) का शाक, परवल और इसकी पत्ती का शाक, वेंत का कोपल, कमलकन्द, फालसा, परोरा, चिरायता का शाक, नीम की पत्ती, अदरक, पका कोहड़ा ( कद्दू ) और तुम्बी आदि खाना बहुत अच्छा है।
- फलो में – कटहर का फल, केला, पके हुए ताड़ के फल और उसके बीज का रस, मीठा कंदूरी फल, मीठा अनार, आंवला, सिंगाड़ा, भिलावा, कैथ, तरबूज आदि खाना लाभदायक है।
- मेवे ( ड्राई फ्रूट्स ) में – चिरौजी, खजूर, नारियल का गोला, कसेरू, मुक्का, मिश्री, मधु और धान के लावा का सत्तू आदि फायदेमंद है।
- मसालों में – सौफ, धनिया, जीरा और अजवाइन आदि बहुत फायदा पहुँचाती है।
- घी और दूध में – गाय और बकरी का दूध और घी, भैंस का घी आदि लाभ करता है।
- जूस में – ताजा गन्ने का रस और शुद्ध शीतल जल बहुत फायदेमंद है।
- इसके साथ शीतल जल से स्नान, तेल की मालिस, चन्दन का लेप, ठंडी हवा और चाँदनी का सेवन अत्यंत गुणकारी है।
खूनी बवासीर में क्या नहीं खाना चाहिए ( khooni bawasir me kya nahi khana chahiye )
बवासीर के उपचार के दौरान बहुत से ऐसे खाद्य पदार्थ है। जिनका सेवन हानिकारक होता है। जिसमे सबसे अधिक वो चीजे आती है, जो पित्त दोष को प्रभावित करती है। जैसे –
- प्रायः मांस सेवन से बचे, क्योकि मांस को पकाने में बहुत अधिक मिर्च – मसाले आदि का प्रयोग होता है। जोकि जलनकारी है। जिससे खूनी बवासीर के रोगियों को कष्ट का अनुभव होता है।
- घी और तेल में अत्यधिक तली – भुनी, मिर्च – मसाले से युक्त चटपटी चीजे नहीं खानी चाहिए। जिसमे सभी प्रकार के जंक और फ़ास्ट फूड आते है।
- अत्यधिक चिकनी और पचने में भारी और मीठी चीजे न खाये। जैसे चॉकलेट, पेस्टी आदि।
- चीनी का सेवन बिलकुल न करे, चीनी खाने से शरीर में रुक्षता बढ़ती है। जिससे मल सूख का कडा हो जाता है, जिससे मलत्याग के समय अत्यधिक दर्द होता है।
- किसी भी तरह के कार्बोनेटेड वाटर को पीने से परहेज करे, जैसे – कोल्ड ड्रिंक आदि।
- दही और उड़द की दाल का साथ में सेवन न करे, जैसे – दही – बड़ा आदि।
- 100 – 300 टी डी एस से कम या अधिक एवं असंरचनात्मक, प्रदूषित, और गंदे जल के सेवन से बचे।
- फ्रिज में रखे ठन्डे पानी, बर्फ आदि को न खाये।
- जला हुआ तेल न खाये, जैसे – रिफाइंड आदि।
- तीखी और जलनकारी मसाले के सेवन से बचे। जैसे – काली मिर्च, लाल मिर्च और सोंठ आदि।
उपसंहार :
खूनी बवासीर बहुत ही कष्टकारी और शर्मनाक बीमारी है। जिसके हो जाने पर हम शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान रहने लगते है। इसके उपचार में देरी करने पर, यह लाइलाज भी हो सकती है। इसलिए लोग इससे जल्द से जल्द निजात पाना चाहते है। ऐसा होना भी चाहिए। जिसमे दवा के साथ खूनी बवासीर में क्या खाना चाहिए और खूनी बवासीर में क्या नहीं खाना चाहिए का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है।
इसलिए बवासीर में क्या खाये और क्या न खाये की बात लोगो के मन में शंका पैदा करती है। जिसके निवारण के लिए ऊपर खूनी बवासीर में क्या खाएं ( bawasir me kya khaye ), और क्या न खाएं बताया गया है। जिसका बवासीर की दवाई के साथ अनुगम करने से बवासीर में शीघ्र लाभ होता है। जिससे बहुत ही कम समय में, बवासीर जैसे महारोग से छुटकारा पा सकते है।
ध्यान रहे : किसी भी दवा या भोजन को अपनाने से पूर्व, चिकित्सा विशेषज्ञ से चिकित्सीय सलाह अवश्य ले। किसी भी रोग में मनमाने ढंग से किसी भी खाद्य पदार्थ का सेवन हानिकारक हो सकता है।
सन्दर्भ :
चरक चिकित्सा अध्याय – 14
भैषज्य रत्नावली अध्याय – 9
FAQ
खूनी बवासीर में क्या परहेज करना चाहिए?
अत्यधिक तली – भुनी, मिर्च – मसाले से युक्त और जलन करने वाली वस्तुओ के सेवन से बचे। गर्मी, धूप और आग के सेवन से बचे, उष्ण, उग्र और मादक पेय से दूरी बनाये, तनाव न ले, दिन में सोना और देर रात तक जगना त्यागे।
बवासीर होने पर क्या करना चाहिए?
बवासीर से ग्रस्त हो जाने पर विधि – पूर्वक औषधियों का सेवन करते हुए, आहार – विहार की विसंगति को दूर करना चाहिए।
बवासीर की घरेलू दवा क्या है?
सुबह खाली पेट 50 ग्राम काले तिल को खूब चबाकर, शीतल जल पीने से बवासीर के मस्से सूखने लगते है। और शरीर में आयी कमजोरी भी दूर हो जाती है। विशेषकर कैल्शियम की कमी से हड्डियों में होने वाला दर्द आदि।
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